मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम compleet

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jay
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Re: मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम

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हम दोनों चूप थे ..मेरी समझ में नहीं आ रहा था क्या बोलूं ...

उसी ने चूप्पि तोड़ी और कहा

"जानू उदास मत हो ...अब तो मैने अपनी जिंदगी से समझौता कर लिया है..."

"तुम सही में बहोत हिम्मतवाली हो भारती .. "

उसे अपनी ओर खींच लिया और बेतहाशा चूमने लगा...

हम दोनों नंगे थे एक दूसरे की बाहों में.....और भारती ने अपनी कहानी सुना कर उस ने पूरी तरह अपने आप को मेरे समक्ष नंगा कर दिया था ...वो मेरे सीने में मुँह छुपाए थी ...जैसे उसे शर्म आ रही हो ...मैने उसके चेहरे को अपने हाथों से उपर उठाया और बेतहाशा चूमने लगा ..गालों को . होठों को , आँखों को ..उसके माथे को ..मैं चूमे जा रहा था ..और उसे यह महसूस नहीं होने दिया कि उसने कोई ग़लती की बल्कि यह महसूस दिलाया के मैं उसे अब और भी ज़्यादा प्यार करता हूँ...चाहता हूँ ...थोड़ी देर बाद वो नॉर्मल हुई और उठ कर बाथरूम गयीं ..फ्रेश होने ..

मैं उस की कहानी पर सोच रहा था

भारती एक ओड़िया (उड़ीसा) फॅमिली से थी...और उस के पिता वहीं सरकारी नौकरी में थे ..एक क्लर्क थे ..अच्छी ख़ासी कमाई थी ...वहीं उनकी शादी हुई. भारती की माँ बहोत खूबसूरत थी ..और उसे अपनी खूबसूरती पर बड़ा नाज़ था ..उसके पिता मामूली क्लर्क थे उनकी इनकम अच्छी थी पर इतनी अच्छी नहीं के वो अपनी बीबी के सारे शौक़ और ख्वाहिशों को पूरा कर सके ...पर परिवार चलाने लायक अच्छी इनकम थी ...पर भारती की माँ खुश नहीं थी...जब भारती 4 साल की थी ...उसकी माँ एक काफ़ी पैसेवाले रईसजाड़े के साथ चली गयी घर और अपनी एकलौती बच्ची को छोड़. भारती की जिंदगी में यह पहला झटका था ...वो बिलख पड़ी ...पर सिर्फ़ बाप का प्यार काफ़ी नहीं था ...माँ को बहोत मिस करती थी ...उस के मन में एक रोष , गुस्सा और बग़ावत ने जन्म लिया ...उसे अपने माँ बाप से चीढ़ हो गयी ...कुछ दिनों बाद उस के बाप ने दूसरी शादी कर ली ...पर सौतेली माँ का व्यवहार भारती के साथ काफ़ी अच्छा था ..शायद उसकी अपनी माँ से भी अच्छा ... सौतेली माँ से उसे एक भाई और एक बहोत सुन्दर छोटी बहेन भी हुई ..

पर भारती जवान हो रही थी , उस ने अपनी माँ की खूबसूरती और स्वाभाव लिया ... और थोड़ा रेबेलियस नेचर माँ के जाने से तो था ही... जब वो ट्वेल्फ्त क्लास में थी .काफ़ी लोगों की निगाह उस पर रहती ..सभी लड़के उस पर मरते ..कहते हैं ना इतिहास अपने आप को दूहरता है ..अपनी माँ का इतिहास भारती ने दूहराया..

भारती अपने स्कूल के एक बिगड़े रैइसज़ादे के चक्कर में , एक सुनेहरी जिंदगी की आशा में , उस के साथ घर से भाग गयी.....यह उसकी जिंदगी को दूसरा झटका था जो उस ने खूद बा खूद अपने आप को दिया ...

कुछ दिनों तक दोनों यहाँ वहाँ भटके खूब मस्ती की ...और पता चला कि भारती प्रेग्नेंट है.. वो लड़का कायर और डरपोक था , उस ने भारती को एक औरत के यहाँ यह कह कर छोड़ दिया के वो औरत उसकी रिश्तेदार है और जब तक बच्चा पैदा नहीं हो जाता ..वो वहीं रहे .. जाहिर है उस लड़के ने उस औरत को काफ़ी पैसे दिए ..और खूद लापता हो गया ...

यह उसकी जिंदगी का तीसरा झटका था ..वो औरत एक धंधा करने वाली थी , पर उस ने भारती को काफ़ी संभाल कर रखा ..उसे मालूम था के भारती उस के लिए सोने की चिड़िया है ...भारती को एक लड़का हुआ ...पर बच्चे की वजेह से उसे धंधे में थोड़ी मुश्किल होती थी ..उस औरत को भी बच्चे की वजेह से दिक्कत हो रही थी ..

गोपाल (भारती का पति ) की एंट्री यहीं होती है... गोपाल का एक छोटा मोटा कारोबार था ...काम निकल जाता ...वो इसी औरत के यहाँ रेग्युलर कस्टमर था ..और भारती से इसकी मुलाक़ात यहीं हुई...वो भारती से काफ़ी इंप्रेस्ड हो गया ...और कुछ और ही प्लान बनाने लगा ....उस ने भारती को कहा के वो उसके बच्चे का बाप और उसका पति बन सकता है अगर वो चाहे ...भारती ने भी देखा इस नरक से निकल्ने का यही मौक़ा है ..उस ने उसकी बात मान ली ... उस औरत ने भी कोई ऐतराज़ नहीं किया ..

इस तारेह गोपाल उसे उस नरक से ले आया एक परिवार दिया अपना नाम दिया पर भारती को इसकी भारी कीमत चूकानी पड़ी ...

और धीरे धीरे वो इस जिंदगी की आदि हो गयी ..अपना लिया ...

आज जब उस ने अपनी बीती जिंदगी की लड़ियों को फिर से जोड़ा .ज़ाहिर है वो बिफर उठी थी ...पुराने घाओ फिर से ताजे हो गये थे , पर बातें करने से उन घाओं से पुराना और अब तक भरा ज़हर मवाद की तारेह निकल गया ....उसे काफ़ी हल्का लगा और घाओ का टीस मिट गया था ...

मैं इन विचारो में डूबा था कि भारती कब बाथरूम से आई मुझे पता ही नहीं चला ....मैं बीस्तर पर अढ़लेटी पोज़िशन में था ...सिर्फ़ एक चादर पैर पर था ..भारती सामने खड़ी थी , मेरी आँखों के सामने चुटकी बजाते हुए कहा ..
"अरे जानू किस दुनिया में खोए हो...मेरी पिछली दुनिया में ...??"

" ह्म्‍म्म ..कुछ कुछ ..." मैने मुस्कुराते हुए कहा ..

"भूल जाओ उस भारती को .....तुम से बातें कर ऐसा लगा जैसे मेरा नया जन्म हुआ है ..."और यह कहते हुए वो बीस्तर पर उछल कर आ गयी और चादर हटा ते हुए मेरे पेट के दोनों ओर टाँगें कर
बैठ गयी ...उसका चेहरा मेरी ओर था ....और उसकी चमकती चूत की फांके फैली हुई मुझे इशारा कर रही थीं ... "लो आज इस नयी भारती को चोदो ..चॅटो चूसो जो जी में आए करो ..."

मैने देखा वो सही में बहोत खुश थी ,जैसे कोई बहोत बड़ा बोझ उसके दिल से उतर गया हो ...एक दम खिली हुई थी ..मैने भी उसको पूरी खुशी देने की सोच ली ..मेरे घूटने मूडे थे उपर की ओर .उसकी पीठ मेरे जांघों से लगी थीं और उसकी चूतड़ मेरे लौडे पर थी ..लॉडा मुरझाया था .पर भारती की गुदाज चूतडो के दबाव से उछलने की कोशिश करने लगा ..

"ओओओओओह्ह , देखो जानू ..तुम्हारा फुड़दु कैसे उछल रहा है बिल में घूसने को ... " और उस ने मेरे पैर सीधे किए और अपना चूतड़ थोड़ा पीछे करते हुए मेरी जांघों पर आ गयी ..और मेरे लौडे को अपनी मुट्ठी में लेते हुए अपनी चूत की फाँक में लगा दिया और चूत घसने लगी मेरे सुपाडे से ..मेरा पूरा बदन सीहर उठा ....लंड में गुदगूडी होने लगी... भारती भी सीहर उठी ...अपनी आँखें बंद कर सिसकारियाँ लेने लगी और मुट्ठी में लॉडा और जोरों से जाकड़ कर घीसने लगी ...""आआह ...ऊवू भारती ..भारती ...." मुझ से रहा नहीं गया .अब तक लॉडा पूरा टाइट था उसकी मुट्ठी में समा भी नहीं रहा था ..मैं अपनी पीठ सीधी करते हुए भारती को अपनी बाहों में भर लिया और गोद में लेते हुए बीस्तर से नीचे आ गया ,,भारती मेरी गोद में थी .वो अपने हाथ मेरी गर्दन में लगाते हुए मुझ से चीपक गयी .मेरा लॉडा उसकी चूतड़ के बीच फूँफ़कार रहा था ...चूत के दरवाज़े में छटपटा रहा था ...मैं उसके होंठ चूस्ते हुए उसको अपनी गोद में रखे रखे सामने एक टेबल पर बिठा दिया ...उसकी चूतड़ टेबल के बिल्कुल किनारे थी ...उसकी टाँगें मेरी कमर को जकड़े थी उसके हाथ मेरे गर्दन के पीछे ...मुझ पर अपना पूरा वेट डाल दिया था ..मानो मुझ पर अपने आप को छोड़ दिया ..मैं उसके होंठ चूस रहा था ..लगातार.उसकी चूचियाँ कड़ी हो गयीं थीं और मेरे सीने में चुभ रही थी ..और मेरा लॉडा उसकी पनियाई चूत के होल पर टीका था , अंदर जाने को बे करार ..अब मुझ से बर्दास्त नही हो रहा था ..मेरा लॉडा मानो फूल कर फॅट जाएगा ...भारती भी कराह रही थी और बॅड बड़ा रही थी ..."चूसो जानू ..मेरे होंठ से सारा रस निकाल लो ..और उस के मुँह से लार मेरे मुँह में जा रहा था ,,उसकी जीभ मेरी जीभ चूस रही थी ..चाट रही थी ...मैने उसकी कमर थामते हुए अपने लंड को उसकी चूत से लगाया ...और बस उसकी फैली चूत में अपनी कमर को झटका देते हुए पेल दिया ..फ्तछ की आवाज़ आई और लॉडा पूरा अंदर था ..भारती सीहर गयी और चिल्ला उठी "ऊऊऊऊऊओ ..आआआआः ..हाईईइ ...हां जानू पेलो और ज़ोर से पेलो .... अया " टेबल के किनारे होने से उसकी चूत पूरी खुली थे और लौडे को भी उसकी चूत का पूरा स्वाद मिल रहा था ...मैं उसकी कमर थामे हुमच हुमच कर धक्के लगा रहा था ..हर धक्के में भारती की चूतड़ उछल पड़ती ...लॉडा जड़ तक अंदर चला जाता...ऐसी चुदाई कि भारती भी मस्त थी ...रो रही थी ..चिल्ला रही थी ..सिसकारियाँ ले रही थी ..बॅड बड़ा रही थी ..."माअं रे माँ ...उईईइ ..हां चोदो राजा ..चोदो ..नयी भारती को चोदो ... फॅट जाएगी चूत ..फाड़ दो .. "
और मैं उसे अपने और करीब ले आता और धक्के लगाता ..उसकी चूत से लगातार पानी रिस रहा था ...नीचे फर्श पर टपक रहा था ..मेरी जांघों में रिस रहा था ..मेरा लॉडा गीला था ..हर धक्के में फतच फतच ...और फिर भारती जोरों से उछलने लगी .कमर हिलाने लगी ..मेरी बाहों में काँपने लगी ...उसकी जंघें मेरी कमर के गिर्द थरथराने लगी और उसकी चूतड़ जोरदार झटके दिए और "हाआआआआअ ईयी .................." करते हुए मुझ से लिपट गयी ..मैं भी झड़ने वाला था .. उसकी चूत में लॉडा धंसा कर उस से चिपक गया .... उसकी चूत मेरे लौडे में झटका खा रही थी और मेरा लॉडा उसकी चूत में ... दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे .... वो बेसूध हो कर मेरे से चिपक गयी उसकी आँखें बंद थीं .. मेरा लॉडा उसकी चूत में खाली हो गया था पर सीकूड कर भी अंदर ही था .उसकी चूत से मेरा कम और उसका रस दोनों लगातार नीचे टपक रहे थे ..

मैने उसे अपनी गोद में लिए लिए ही उसे बीस्तर पर लीटा दिया और उसके उपर टाँगें रखते हुए उसकी बगल लेट गया ..वो भी हाँफ रही थी मैं भी हाँफ रहा था ....

दोनो एक दूसरे को तृप्त नज़रों से देख रहे थे .चेहरे पे सन्तूश्ति थी ..


दोनों एक दूसरे की बाहों में कब सो गये पता नहीं चला ...सुबेह उठा तो हम दोनों नंगे थे एक दूसरे से चीपके ...उसकी बाहें मेरे गिर्द थीं ...मैने हल्के से उसे बिना जगाए उसके हाथ अपने से अलग किया ... बाथरूम गया और फ्रेश हो कर कपड़े पहेन घर जाने को तैयार हो गया ..

तब तक भारती उठ चूकि थी ..मैने उसे चूमा होंठों को और फिर उसकी चूत को ..उसकी चूत से अजीब मादक महक आ रही थी मेरे कम और उसके रस की मिली जुली महक ...


गोपाल बाहर खड़ा था मुझे ले जाने को ... मैं बाहर आया ...भारती को बाइ किया और एक और हसीन और यादगार चुदाई की याद ले कर घर की ओर चल पड़ा....

क्रमशः...............................................
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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amitraj39621

Re: मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम

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Supereb.....
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jay
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Re: मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम

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amitraj39621 wrote:Supereb.....
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घर पहूंचा दो देखा घड़ी में 7 बजे थे ... मैने कपड़े उतारे और पाजामा पहेन कर फिर सो गया ...फिर करीब 9 बजे तक सोता रहा ...उठने के बाद काफ़ी अच्छा लग रहा था .काफ़ी तरो ताज़ा महसूस कर रहा था ...जैसे शरीर बिल्कुल हल्का हो गया हो ...लगातार दो दिनों की चुदाई से वो भी भारती जैसी लड़की की चूत ...जिस से सिर्फ़ जिस्मानी ही नहीं कुछ भावनात्मक संबंध भी बन गये थे ..बड़ा रिलॅक्सिंग फील हो रहा था ... नाश्ता कर मैं ऑफीस की ओर निकल पड़ा ...पर सीधा नहीं अपने मोहन पान वाले का पड़ाव तो था ही ...

वहाँ पहूंचते ही मोहन का चहेकना शूरू हो गया ...

"लगता है साहेब को भारती बहोत पसंद आ गयी ..."और आँख मार दी

"क्यूँ क्या हुआ ..?? ऐसी कोई खास बात नहीं यार ..."

"अरे साहेब क्यूँ बनते हो..??मुझे सब पता रहता है..कल आप वहाँ थे...कोई बात नहीं अब तो आप सीधे वहाँ चले जाते हो..मुझे बिना बताए ... हां अब मेरी क्या ज़रूरत ...?? हा हा हा हा !" और अपने ट्रेड मार्क ठहाके लगाने लगा ..

"यार बार बार तुम से कहना अच्छा नहीं लगता ... " मैं कहा ...

"अरे बाबा तो मैने कब मना किया ..जाइए जाइए ज़रूर जाइए ... पर साहेब आपकी नज़रें भी बड़ी पैनी हैं ..भारती सही में लाखों में एक है ...हीरे की परख जौहरी को ही होती है ...वो भी किसी को जल्दी क्या ..आज तक किसी को इतना भाव नहीं दिया ...बस अब मस्त रहिए दोनों ..."

और फिर उस ने पान बढ़ाया ..मैने पान लिया और ऑफीस की ओर चल पड़ा ...

ऑफीस में भी आज काम पर ध्यान बना रहा ... आइ वाज़ टोटली रिलॅक्स्ड ...और जो अकेलापन ...बोरियत .. थी सब मिट गये थे ...सही में जिंदगी में किसी का साथ कितना ज़रूरी होता है...यह मैं अच्छी तरेह समझ चूका था ... !

मैं घर पहूंचा ...आज पहली बार मैने अपने क्वॉर्टर के बाहर भी नज़र डाली ...वरना ऑफीस से सीधा अंदर चला जाता ... चूँकि कंपनी क्वॉर्टर था .बाहर काफ़ी जगेह थी ...लॉन था फूल भी लगे थे ...आज पहली बार फूलों की मुस्कुराहट , उनकी सुंदरता , उनकी महक का जायज़ा लिया .. माली ( कंपनी का ) ने अच्छी देख भाल की थी ..


मेरे बागीचे में गुलाब काफ़ी लगे थे हर तरेह के ..उनकी छटा देखते ही बनती ... और भी फूल थे ..पर गुलाब की बात ही कुछ और थी ...मैने सोचा अगली बार भारती को गुलाब का गुल - दस्ता दूँगा ... उसे गुलाब बहोत पसंद थे ...

मैं अंदर गया .फ्रेश हो कर चाइ पी और बाहर वेरामदे में कुर्सी लगा कर बैठ गया ... और बगीचे का आनंद ले रहा था ... और साथ में न्यूज़ पेपर भी देख रहा था ...


तभी गेट खुलने की आवाज़ आई ... मैने न्यूज़ पेपर हटा कर सामने देखा ... लगा जैसे तूफान सामने चली आ रही है .....

एक लंबी तगड़ी औरत सामने हाथ में फ्लवर बास्केट लिए .....गेट खोल कर बेझिझक लंबे लंबे कदमों से मेरी ओर चली आ रही थी , और चेहरे पे ऐसे भाव जैसे मुझ से बरसों की पहचान हो ,

और मेरे पास आते ही चालू हो गयी " ह्म्म.... तो इस घर में आप रहते हैं ..देखिए ना मैं यहाँ रोज आती हूँ आप के बगीचे से फूल तोड़ने ..पर आज तक किसी इंसान को नहीं देखा ...."

जब सामने आ गयीं तो मैं बस देखता ही रह गया ... लंबाई ..चौड़ाई का इतना बढ़िया सेक्सी कॉंबिनेशन मैने आज तक नहीं देखा था ... मुझ से भी ज़्यादा हाइट ..जब कि मैं खूद 5 फ्ट 8इंच का हूँ ..जो अपने यहाँ लंबा ही होता है ... भारी भारी चूचियाँ .जैसे सीने से उछल कर बाहर आने को तैयार ..पर पेट एक दम फ्लॅट ... मोटी पर कसी जंघें और चूतड़ भी भरे भरे जैसे सलवार फाड़ कर अब बाहर तो तब बाहर ... यानी उस ने अपने शरीर के सही जागेह पर सही उभार बनाए रखे थे , कहीं भी ग़लत जगेह से निकलता नज़र नहीं आया ..जैसा कि आम तौर पे होता है ... पेट निकल्ना तो सब से आम बात होती है ..पर पेट बिकलूल फ्लॅट था ... चेहरा भी अट्रॅक्टिव , बड़ी बड़ी आँखें ... सब मिला कर शी वाज़ आ सेक्सी वुमन ऑफ आ टॉल ऑर्डर ... ! उपर से नीचे तक बस सेक्स , सेक्स और सेक्स ....

बातें करते करते उस ने मेरे बगल में रखी कुर्सी को अपनी ओर खींचा और बैठ गयी ....मैं उसकी बेबाक हरकतों को बस देखता ही रह गया ...कुर्सी पर बैठ ते ही इसके पहले की मैं कुछ बोल सकूँ उस ने अपना कहना जारी रखा .." हां तो मैं कह रही थी इस घर में कोई इंसान आज मुझे पहली बार दीखा ...आप कहीं बाहर गये थे क्या ...?""

मन ही मन मैने दुआएँ दीं कि कम से कम उस ने मुझे इंसान तो समझा और कहा "नहीं नहीं मैं तो यहीं था ..पर ज़रा बिज़ी था ....पर आप ...???"

"हा हा !! अरे वाह देखिए ना मैं भी ....मैं आपके पड़ोस में ही रहती हूँ ...वो आपसे एक घर छोड़ वो दूसरा घर है ना शाह साहेब का ..?? मैं उनकी बीबी स्वेता ... " और मेरी ओर ऐसे देखा जैसे मैने अब तक उनके बारे नहीं जान कर कोई बहोत बड़ा अपराध किया हो ...

मैने हाथ जोड़ते हुए कहा "नमस्कार स्वेता जी आप से मिल कर बहोत खुशी हुई ..."

"मुझे भी ...." अपनी दांतें चमकाते हुए उस ने कहा और शायद उसे नमस्कार जैसे सूखे और नीरस शिष्टाचार पर विश्वास नहीं था ..उस ने तपाक से अपने गोरे गोरे गुदाज हाथ बढ़ाए ...मैने उसकी मुलायम हथेली अपनी हथेली में ले लिया ..उस ने बड़ी गर्म जोशी से उसे थाम लिया और हिलाने लगी ...

"क्या हाथ छोड़ने का इरादा नहीं ....?? " मैं हाथ छुड़ाते हुए हँसने लगा .

"हा हा हा !! अब देखते जाइए आप भी हाथ से शूरू हुआ है ...मेरे लंबे हाथ और कहाँ तक पहूंचते हैं .... " उस ने खनखनाती हुई हँसी के साथ कहा ..

"ह्म्‍म्म्म, वो तो मैं देख ही रहा हूँ ..." मैने जवाब दिया .

" अरे वाह क्या देखा आप ने ...मैने अभी तो कुछ दिखाया ही नहीं ...??"

"देखने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं ..स्वेता जी ..!! "

"अच्छा जी ..तो आप क़यामत तक पहून्च चूके हैं..क्या देखा वहाँ ..? और यह "जी " तो ना ही लगाइए मेरे नाम के आगे ....इस भरी जवानी में ..."उस ने तपाक से मुस्कुराते हुए कहा..

"क़यामत नहीं स्वेता ..आपके हाथों का कमाल यहीं देखा मैने ..देखिए ना पहले आप अपने खूबसूरत हाथों से सिर्फ़ खूबसूरत फूलों को ही छूती थीं ..और आज आपने मेरे हाथ भी थाम लिए ..आगे और क्या थामेंगी ..?? "

"ह्म्‍म्म ...आप भी बातें खूब कर लेते हैं ...चलिए मुझे भी कोई तो मिला मेरी बराबरी का ...रही थामने की बात ..तो बस देखते जाइए ..मेरे हाथ का कमाल ... '' और उस ने एक सॅंपल दिखा ही दिया जाते जाते , मुझे आनेवाले दिनों में होनेवाले कमाल का.....


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Re: मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम

Post by jay »

वो मेरे बगल में बैठी थी... उस ने कुर्सी से उठने की कोशिश में मेरी कुर्सी का हाथ जो उसकी कुर्सी से बिल्कुल लगा था ...का सहारा लिया ..पर यह जान बुझ कर हुआ या धोखे से ..नहीं मालूम ..पर जो हुआ मेरा पूरा जहेन झन झाना उठा ...उस ने सहारा तो लिया पर उसका हाथ फिसल गया कुर्सी के हाथ से और सीधा मेरे पॅंट की ज़िप पर आ कर रूका ....चूँकि मैं पैर फैलाए रिलॅक्स्ड पोज़िशन में था .. उस ने अपने हाथ से वहाँ अच्छी तरह दबाते हुए उसका सहारा लेते हुए उठने की कोशिश की और मेरे लंड का सहारा लेते हुए कोशिश मे कामयाब भी हो गयी ..मेरा लंड तड़प उठा उसकी मुट्ठी में ... उसे भी शायद अंदाज़ा हो गया उसकी मजबूती का .. जब खड़ी हो गयी तो स्वेता के होंठों पर एक संतोष और खुशी की मुस्कान थी और आँखों में चमक ...

"बड़ा अच्छा लगा ...आप से बातें कर .." स्वेता बोली..मुस्कुराते हुए ...

मैं भी अपने क्रॉच को सहलाते खड़ा हो गया ...और कहा "मुझे भी ...."

"ओके अब मैं चलूं ...देर हो रही है ...अब तो हम मिलते रहेंगे ... "

और वो फिर अपनी तूफ़ानी चाल से मेरे बगीचे की ओर चल पड़ी ..कुछ फूल तोड़े और अपने हाथों को हिलाते हुए बाइ किया और बाहर निकल गयी ....पर मेरे अंदर अपने तूफ़ानी चल और हाथ की पकड़ का धमाकेदार असर भी छ्चोड़ दिया ....

उफफफफफफफ्फ़.. क्या चीज़ थी ...एक आँधी आई चिंगारी में आग भड़काई और चली गयी ...मेरे दिलो- दिमाग़ में हलचल सी मची थी ...

कहाँ तो मैं अकेलेपन में बिरहा के गा रहा था ...और अब यह हाल है के भारती के भजन और स्वेता के संगीत का आलम छाया था... वाह रे वाह दिन बदलते भी देर नहीं लगती ...

भारती और स्वेता ..दोनों अपनी जगह बेमिसाल थी .. भारती दशहरी आम थी ...जिसे बस चूस्ते जाओ ..मीठा रस ही निकलेगा ..वहीं स्वेता बनारसी लन्गडे आम की तरह थी ..जिसे खाओ भी चूसो भी ..और मुझे दशहरी और लंगड़ा दोनों आम बहोत पसंद हैं...

मेरे लौडे में अभी भी उसकी मुट्ठी की पकड़ महसूस हो रही थी ,,जिस तरह स्वेता ने उसे दबाया था ..लग रहा थे जैसे उसे निचोड़ लेगी ... जब पहली ही मुलाक़ात में यह हाल ..आगे का हाल सोचते ही मन में झूरजूरी सी हो उठी ...मैं डिन्नर ले कर बीस्तर पर लेटा था और इन्ही विचारो में खोया था ...स्वेता के हाथ के कमाल को मेरे लंड महाराज अभी भी याद कर रहे थे .....पर मैं अभी तक यह समझ नहीं पाया कि स्वेता की हरकत जान बूझ कर थी या सिर्फ़ एक खूबसूरत हादसा ..? यह तो पता लगाना ही पड़ेगा ...वरना लेने के देने हो सकते हैं ...

और इस बात का पता काफ़ी हद तक स्वेता की दूसरी मुलाक़ात से चल गया ...

अगले दिन शाम को मैं उसी तरह चाइ पी कर बाहर बरामदे में बैठा था ...और फिर उसी तरह आँधी आई स्वेता के रूप में ...

आज जब वो मेरे सामने आई ..... मैं देखता ही रहा ... उस ने कल की ही तरह अपनी गुदाज हथेली बढ़ाई मेरी तरफ ....मेरे हाथों को बड़े प्यार से अपने हाथ में लेते हुए मसला और झूक गयी , उस ने बहोत ही लो नेक वाली और टाइट कुरती पहनी थी ...उस की दोनों गोलाइयाँ जैसे बाहर आने को मचल रही थी ..मैं अपनी कुर्सी से पूरी तरेह उठ भी नहीं पाया था ..इसलिए उसकी छाती मेरे चेहरे के बिल्कुल करीब थी ..उस ने बहोत ही लाइट और मादक पर्फ्यूम लगा रखी थी .. उसकी खूशबू का नशीला झोंका मेरे चेहरे पर पड़ा .....मुझे जैसे नशा सा हो गया ...उसकी गोरी गोरी चूचियों की गोलाई साफ दीख रही थी ...आँखों में चूचियों की गोलाई , नाक में उसकी मादक महक और हाथ में उसके गुदाज हाथ ...मैं पागल हो उठा था ...मेरी हालत देख वो मुस्कुराए जा रही थी ...फिर वो मेरे बगल में बैठ गयी ... सलवार भी बिल्कुल टाइट थी ..जैसे उस ने आज पूरी तैय्यारि कर ली थी मुझे घायल करने की ..उसकी कुरती उसके घूटनों तक ही आती थी ...टाइट सलवार के अंदर से मांसल और गदराई जंघें जैसे सलवार फाड़ कर बाहर फैलने को तैयार थीं...मैं बेचैन हो उठा था ...
मैं एक टक स्वेता को देखे जा रहा था ...

" अरे भाई साहेब कहाँ खो गये आप ...?? " उस ने बैठ ते हुए कहा "लगता है बीबी की याद बहोत सता रही है ...?? "

" क..कैसी हैं आप स्वेता भाभी ..." मैं ने अपने आप को नियंत्रित करते हुए कहा ..पर फिर भी मेरा उतावलापन झलक ही गया ...

" हा हा !! मैं जानती हूँ बाबा , जानती हूँ ...ऐसा ही होता है ....हम दोनों की हालत एक जैसी है...." उस ने ठहाका लगाते हुए कहा ...

" क्या मतलब भाभी ..?? "

"अरे क्या करूँ भाई साहेब , आपके शाह साहेब की नौकरी ही ऐसी है...महीने में चार दिन घर रहते हैं और बाकी दिन तौर पर ...अभी दो दिन हुए गये हैं ..पता नहीं कब तक आएँगे ... "उस ने यह इन्फर्मेशन दे कर मेरी आधी मुश्किल हाल कर दी ...

" अच्छा ..?? फिर तो आप अकेली सही में बोर हो जाती होंगी ... पर बच्चे तो होंगे ना ...? " मैने पूछा

यह बात सुन कर उसके चेहरे पर अचानक उदासी छा गयी और वो चूप हो गयी ... फिर सीरीयस होते हुए कहा

" भगवान का दिया सब कुछ है भाई साहेब , पर शादी के 8 साल हो गये हमारे ..पर हम अभी तक दो के दो ही हैं ... अकेला घर जैसे काट ने को दौड़ता है ..."

" ओह्ह सॉरी स्वेता भाभी ... पर इस में आप क्या कर सकती हैं ..." मैने दिलासा देते हुए कहा.. " मैने देखा है कितने कपल्स को शादी के 15 साल बाद भी बच्चे हुए हैं ..."

" ऐसा क्या ... ?? तब तो मुझे होप नहीं छोड़नी चाहिए ..??'" थोड़ी से मुस्कुराहट वापस लाते हुए स्वेता ने कहा

" हां हां बिल्कुल नहीं भाभी ... " मैने कहा और रामू को आवाज़ दी " रामू ... अरे भाई जल्दी चाइ लाओ यार ...मेरे लिए भी .."


मेरी बातों से स्वेता फिर से अपने पुराने मूड में लौट आईं ..मेरे गालों पर चिकोटी काट ते हुए कहा "ओह , यू आर छो च्वीत भाई साहेब ...आप की बातों से मेरा मन कितना हल्का हो गया ... आपका दिल भी आपके बगीचे की ही तरह खूबसूरत है ..."

"थॅंक्स भाभी ..." मैने उनकी तरफ देखते हुए कहा ..और फिर मेरी निगाहें उनकी छाती पर चूचियों के बीच अटक गयीं ....

स्वेता अपने हाथ गले की गोलडेन चैन पर ले गयी और उसे अपने हथेलियों पर ले लिया और उस से खेलने लगी अब उसकी चूचियों की उभार बिल्कुल नंगी थी ...और उसकी धड़कन के साथ उपर नीचे हो रही थी ..मेरी आँखें वहीं चीपक गयीं ...

" अरे आप फिर कहाँ खो गये भाई साहेब ... "उस ने शरारत भरी नज़रों से देखते हुए कहा ..और चेहरे पर एक विजयी मुस्कान भी थी ...

" अरे कहीं नहीं भाभी . बस ऐसे ही कुछ पुराने यादों की गहराई में गोते लगा रहा था ... "

" अच्छा ..तो गहराई में कुछ मोटी मिले या नहीं ...??"

" अब क्या बताऊ मैं भाभी ...मोटी तो इतने हैं के दोनों हाथों से भर लूँ फिर भी ना समायें .." मैने भी नहले पे दहला छोड़ते हुए कहा ...

" कोई बात नहीं भाई साहेब ..एक बार अगर मुत्ठियो में ना भी आयें तो क्या है ..आप जितनी बार चाहें गोते लगाओ .. बार बार मोती मे भरते रहो . जब तक पूरे मोती ना मिल जायें ... "ऐसा कहते हुए स्वेता ने नेकलेस को अपने मुँह में ले लिया और दाँतों के बीच हल्के हल्के काट ने लगी .. अब गले से नीचे तक पूरी छाती नंगी थी ...

मैं एक टक उन्हें निहारे जा रहा था ... और वो मुस्कुराए जा रही थीं ...

तभी रामू चाइ की ट्रे लिए आ गया , और टेबल पर रख चला गया ...

मैं गहराई से वापस चाइ के कप की ओर लौट आया ..और कप स्वेता की ओर बढ़ाया ..

स्वेता ने आगे बढ़ते हुए अपने चेहरे को मेरे चेहरे के बिल्कुल करीब लाते हुए मेरे हाथ से चाइ की कप ली , उसकी सांस मेरे चेहरे को छू रही थी ..मैं मदहोशी के आलम में था ..और उसकी मुस्कुराहट ने अब हँसी का रूप ले लिया ..हंसते हुए उस ने मेरे हाथ से चाइ ली और वापस कुर्सी पर पैर फैला कर बड़े रिलॅक्स्ड मूड में बैठ गयी ...दोनों जांघों के बीच वी शेप मुझे निमंत्रण दे रहा था ..मेरी आँखें अब उसके उपर से नीचे की ओर पहून्च गयी थीं ...

मैने जैसे तैसे चाइ पी .. पर स्वेता बड़े आराम से चाइ की चुस्कियाँ ले रही थी ..

"आप का रामू बड़ी अच्छी चाइ बनाता है ,,खाना भी अच्छा बनाता होगा ..??"

" आप खुद ही टेस्ट कर लीजिए ना उसका खाना ...अभी तो आप अकेली हैं ...कल सनडे है मेरी भी छुट्टी है ...अगर आप को ऐतराज़ नहीं तो लंच हमारे साथ कीजिए ..मुझे भी अकेले खाने की मुसीबत से कम से कम एक दिन तो छूटकारा मिलेगा ..."

" अरे वाह क्या बात कही आप ने ...ठीक है मैं रामू के हाथ का खाना ज़रूर खाउन्गि और कल ही ..आप तैय्यार रहना ... अच्छा अब मैं चलती हूँ .."
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