दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

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jay
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Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

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इस तरह जैसे ही मैंने दुबारा माया की तड़प बढ़ाई तो माया से रहा नहीं गया और ऊँचे स्वर में मुझसे बोली- जान और न तड़पाओ अब.. बुझा दो मेरी प्यास को..

तो मैंने भी देर न करते हुए थोड़ा सा उसे अपने ठोकने के मुताबिक़ ठीक किया और अपने लौड़े को हाथ से पकड़ कर उसकी चूत के ऊपर ही ऊपर घिसने लगा.. ताकि उसके कामरस से मेरे लण्ड में थोड़ी चिकनाई आ जाए..

अब माया और बेहाल हो गई और गिड़गिड़ाते स्वर में मुझसे जल्दी चोदने की याचना करने लगी।
जिसके बाद मैंने उसके सुन्दर कोमल नितम्ब पर एक चांटा जड़ दिया और उससे बोला- बस अभी शुरू करता हूँ।

मेरे द्वारा उसके नितम्ब पर चांटा मारने से उसका नितम्ब लाल पड़ गया था और उसके मुख से एक दर्द भरी ‘आह्ह्ह ह्ह्ह’ सिसकारी निकल गई जो कि काफी आनन्दभरी थी।

मुझे उसकी इस ‘आह’ पर बहुत आनन्द आया था.. इसीलिए मैंने बिना सोचे-समझे.. उसके दोनों चूतड़ों पर एक बार फिर से चांटे मारे.. जिससे उसकी फिर से मस्त ‘आआआअह’ निकल गई।

वो बोलने लगी- प्लीज़ अब और न तरसाओ.. जल्दी से पेल दो..

फिर मैंने अपने लौड़े को धीरे से उसकी चूत के छेद पर सैट किया और उसके चूतड़ को नीचे की ओर दबा कर अपने लण्ड को उसकी चूत में धकेला जिससे माया के मुख से एक सिसकारी ‘श्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ निकल गई और मेरा लौड़ा लगभग आधा.. माया की चूत में सरकता हुआ चला गया और मैंने फिर से अपने लौड़े को थोड़ा बाहर निकाल कर फिर थोड़ा तेज़ अन्दर को धकेल दिया..
जिसे माया बर्दास्त न कर पाई और फिर से उसके मुख से एक चीख निकल गई।

‘आआअह्हा आआआ हाआआआ श्ह्ह्ह्ह’

मैंने इस बार बिना रुके माया की चुदाई चालू रखी। मुझे बहुत आनन्द आ रहा था मैंने फिल्म देखते वक़्त भी सोचा था कि जीवन में इस तरह एक बार जरूर चोदूँगा.. पर मेरी इच्छा इतनी जल्द पूरी हो जाएगी, इसकी कल्पना न की थी।

अब मैं धीरे-धीरे माया की चूत में अपना लण्ड आगे-पीछे करने लगा.. जिससे माया को भी थोड़ी देर में आनन्द आने लगा और वो भी प्रतिक्रिया में अपनी गाण्ड पीछे दबा-दबा कर सिसियाते चुदवाने लगी ‘अह्ह्हह्ह्ह्ह उउउह्ह्ह्ह्ह् श्ह्ह्ह्ह’

यार.. सच में मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैंने आनन्द को और बढ़ाने के लिए उसके चूतड़ों पर फिर से चांटे मारे.. जिससे माया कराह उठती ‘आआआह दर्द होता है जान..’

इस मरमरी अदा से उसने अपनी गर्दन घुमा कर मेरी ओर देखा था कि मैं तो उसका दीवाना हो गया और मैंने अपने हाथों को उसके स्तनों पर रख दिया और उन्हें धीरे-धीरे सहलाते हुए दबाने लगा और कभी-कभी उसके टिप्पों (निप्पलों) को अपने अंगूठों से दबा देता.. जिससे माया का कामजोश दुगना हो जाता और वो तेज़-तेज़ से चुदवाने लगती।

फिर माया को मैंने उतारा और अब मैं सोफे पर बैठ गया और उसे मैंने अपने ऊपर बैठने को बोला।

वो समझ गई और मेरी ओर पीठ करके मेरे लण्ड को हाथ से अपनी चूत पर सैट करके धीरे से पूरा लण्ड निगल गई.. जैसे कोई अजगर अपने शिकार को निगल जाता है।

फिर मैंने उसके चूचों को रगड़ना और मसलना चालू किया.. जिससे वो अपने आप का काबू खो बैठी और तेज़-तेज़ से चुदाई करने लगी।
मुझे इतना आनन्द आ रहा था कि पता ही न चला कि हम दोनों का रस कब एक-दूसरे की कैद से आज़ाद होकर मिलन की ओर चल दिया।

उसकी और मेरी.. हम दोनों की साँसें इतनी तेज़ चल रही थीं कि दोनों की साँसों को थमने में 10 मिनट लग गए और फिर हम दोनों एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे।

फिर उसने मेरी ओर बहुत ही प्यार भरी नज़रों से देखते हुए एक संतुष्टि भरी मुस्कान फेंकी.. तो मैंने भी उसकी इस अदा का जवाब उसकी आँखों को चूम कर दिया और पूछा- तुम्हें कैसा लगा?

तो वो बोली- सच राहुल… आज तक मुझे ऐसी फीलिंग कभी नहीं हुई.. तुमने तो सच में मुझे बहुत आनन्द दे दिया.. मैं आज बहुत खुश हूँ.. आई लव यू राहुल..



वो ये सब बोलते हुए मेरे लौड़े को सहलाने लगी जो कि उस वक़्त ऐसा लग रहा था जैसे कोई घोड़ा लम्बी दौड़ लगाकर सुस्ता रहा हो और मैं भी उसके शरीर में अपनी ऊँगलियां दौड़ा रहा था.. जिससे दोनों को अच्छा लग रहा था।

मैंने माया से बोला- अच्छा मेरे इस खेल में तो तुम मज़ा ले चुकी और तुमने मेरी बात मानकर मेरी इच्छा भी पूरी की है.. तो अब मेरा भी फ़र्ज़ बनता है कि तुम जो कहो मैं वो करूँ।

तो माया बोली- यार मुझे क्या पता था इसमें उससे कहीं ज्यादा मज़ा आएगा.. पर तुम अगर जानना चाहते हो कि मेरी इच्छा क्या थी.. तो तुम मेरे साथ मेरे कमरे में चलो..

इतना कहकर माया उठी और मेरा हाथ थाम कर साथ चलने का इशारा किया.. तो मैं भी खड़ा हो गया और मैंने अपना बायाँ हाथ उसकी पीठ की तरफ से कन्धों के नीचे ले जाकर उसके बाएं चूचे को पकड़ लिया।

उसने मेरी इस हरकत पर प्यार से अपने दायें हाथ से मेरे गाल पर एक हलकी थाप देकर बोली- बहुत बदमाश हो गए हो.. कोई मौका नहीं छोड़ते..

तो मैंने धीरे से बोला- तुम हो ही इतनी मस्त.. कि मेरी जगह कोई भी होता तो यही करता..

यह कहते हुए एक बार फिर से मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में भर कर जोरदार तरीके से चूसा.. जिससे उसके होंठ लाल हो गए।

होंठ छूटते ही माया बोली- सच राहुल तुम्हारी यही अदा मुझे तुम्हारा दीवाना बनने में मजबूर कर देती है.. खूब अच्छे से रगड़ लेते हो.. लगता नहीं है कि तुम इस खेल में नए हो।

तब तक हम दोनों कमरे में आ चुके थे.. फिर माया और मैं दोनों वाशरूम गए.. वहाँ उसने गीजर ऑन किया।

अब तब मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये चाहती क्या है.. तो मैंने उससे पूछा- गीजर क्यों ऑन किया?

तो बोली- आज मुझे भी अपनी एक इच्छा पूरी करनी है।

तो मैंने आश्चर्य से उससे पूछा- कैसी इच्छा?
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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तो बोली- बहुत सालों पहले मेरी सहेली ने मुझे बताया था कि उसका पति उसे बाथटब में जब चोदता है.. तो उसे बहुत अच्छा लगता है.. उसने मुझे कई बार ट्राई करने के लिए भी बोला.. पर मेरे पति ऐसे हैं कि उन्होंने आज तक मेरी ये इच्छा कभी पूरी नहीं की और जब भी मैं ज्यादा कहती तो लड़ाई हो जाती थी… तो मैंने भी कहना छोड़ दिया था.. पर क्या अब तुम मेरी इस इच्छा को पूरा कर सकते हो…? मैं अनुभव लेना चाहती हूँ कि पानी के अन्दर चुदाई करने में कैसा आनन्द आता है.. क्योंकि ये मैंने सिर्फ अभी तक अपनी सहेली से ही सुना है। आज मैं तुम्हारे साथ ये करना चाहती हूँ.. क्या तुम करोगे?

तो मैंने भी देर न करते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे प्यार से चूमने लगा।

माया भी मेरा पूरा साथ दे रही थी करीब 10 मिनट तक हमने एक-दूसरे को जम कर चूसा।

फिर माया बोली- रुको यार पानी देख लूँ.. अब तक गर्म हो गया होगा..

ठीक वैसा ही हुआ.. पानी अच्छा-खासा गर्म हो चुका था..

फिर उसने बाथटब में पानी मिक्स किया और मेरी तरफ आकर उसने मुझे पहले जाने का इशारा किया।

तो मैं भी उस टब में जाकर बैठ गया फिर माया ने थोड़ा सा शावर जैल.. टब में डाला और आकर मेरी ओर मुँह करके मेरी बाँहों में आकर मुझे प्यार चूमने-चाटने लगी।

यार कितना मज़ा आ रहा था.. मैं उस अनुभव को शब्दों में पिरोने में नाकाम सा हूँ.. समझ ही नहीं आ रहा है कि मैं उसके बारे में किस शब्द का इस्तेमाल करूँ।

उसकी इस हरकत से मेरे तन-बदन में एक बार फिर से सुरसुरी सी दौड़ गई और मेरे हाथ अपने आप उसकी पीठ पर चलने लगे।

मैं हल्के हाथों से उसकी पीठ को सहलाते हुए उसके नितम्ब तक हाथ ले जाने लगा..
जिससे माया को भी अच्छा लगने लगा और अब वो मुझे बहुत तेज गति के साथ चूमने-चाटने लगी थी।

उसकी तेज़ चलती साँसें.. उसके कामुक होने का साफ़ संकेत देने लगी थीं और मेरा लौड़ा भी अकड़ कर उसके पेट पर चुभने लगा था।

उसके पेट के कोमल अहसास से ऐसा लग रहा था जैसे कुछ देर और ऐसे ही चलता रहा तो मेरा लौड़ा अपने-आप अपना पानी छोड़ देगा।

फिर धीरे से मैंने उसके कन्धों को पकड़ा और अपने नीचे करके उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूसते-चूसते उसके चूचों को रगड़ने लगा..
जिससे माया भी कसमसाने लगी और उसे तड़पते हुए देखकर पता नहीं क्यों मुझे और आनन्द आने लगता था।

मैंने उससे थोड़ा ऊपर की ओर उठने को बोला.. ताकि मैं आराम से उसकी चूचियों का रस चूस सकूँ।

तो माया ने अपना ऊपरी हिस्सा थोड़ा एडजस्ट किया और मैंने तुरंत लपक कर उसके एक चूचे को मुँह में भर लिया और दूसरे कबूतर को हाथों से मलने लगा।

जिससे माया के ऊपर एक बार फिर से मस्ती छाने लगी और तेज़ स्वर से सिसकारी ‘सस्श्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊह’ लेते हुए बोलने लगी- ररराहुल सच में.. मैं आज बहुत खुश हूँ.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.. आई लव यू.. आई लव यू.. आई लव यू..

साथ ही उसने मेरे लौड़े को भी अपने हाथों में भर लिया और उसे सहलाते हुए कहने लगी- प्लीज़ अब और न तड़पा.. मुझे देखो मेरा राजाबाबू भी अंगड़ाइयाँ ले रहा है.. अन्दर जाने के लिए..

तो मैंने भी देर न करते हुए अपने लौड़े को उसकी चूत में सैट किया.. पर सही से कुछ हो नहीं पा रहा था..
जिसे माया ने भांप लिया और अपने हाथ से मेरे लौड़े को पकड़ कर अपनी चूत पर लगाया और जब तक वो उसकी चूत के अन्दर चला नहीं गया तब तक वो वैसे ही पकड़े रही।

यार सच में काफी अच्छा अनुभव था।

फिर मैंने भी धीरे-धीरे से उसे चोदना चालू किया..
जिससे थोड़ी देर बाद माया की आँखें भारी हो गईं और उसके मुख से ‘आआह्ह्ह म्म्म्म आआह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह’ की आवाजें निकलने लगीं..

अब मेरा भी जोश दुगना हो गया और मैं भी उसे बहुत सधे हुए तरीके से तेज़-तेज़ धक्के देकर चोदने लगा जिससे पूरे बाथरूम में पानी के कारण ‘फच फच्च’ का संगीत गुंजायमान होने लगा।

ऐसा लग रहा था जैसे पानी में दो मगरमच्छ भिड़ रहे हों..

फिर थोड़ी देर बाद उसे मैंने अपने ऊपर ले लिया और उसके होंठों को चूसते हुए अपने लौड़े उसकी चूत पर टिकाया और हल्का सा अन्दर को दाब दी..
पर पानी की वजह से लौड़ा फिसल गया.. शायद ये शावर जैल का कमाल था..

उसने फिर से अपने हाथों से लौड़ा पकड़ा और एक ही झटके में मेरे ऊपर बैठ गई.. जिससे मुझे ऐसा लग रहा था जैसे ठन्ड में रज़ाई का काम होता है.. ठीक वैसे ही उसकी चूत मेरे लौड़े पर अपनी गर्मी बरसा रही थी।

यह काफी आनन्ददायक आसन था और मैं जोश में भरकर उसके टिप्पों को नोंचने और रगड़ने लगा.. जिससे उसकी दर्द भरी मादक ‘आआआह’ निकलने लगी।

थोड़ी देर में ही मैंने महसूस किया मेरे लौड़े पर उसकी चूत ने बारिश कर दी और देखते ही देखते वो आँखें बंद करके मेरी बाँहों में सिकुड़ गई.. जैसे उसमें दम ही न बची हो।

अब वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे सीने पर चुम्बन करने लगी..
पर मेरी बरसात होनी अभी बाकी थी..
तो मैंने धीरे से उसके नितम्ब को थोड़ा सा ऊपर उठाया ताकि मैं अपने सामान को नीचे से ही आराम से उसकी चूत में पेल सकूँ..

माया भी बहुत खुश थी उसने बिना देर लगाए.. वैसा ही किया तो मैंने धीरे-धीरे कमर उठा-उठा कर उसकी ठुकाई चालू कर दी.. जिससे उसकी चूत फिर से पनियाने लगी और मेरा सामान एक बार फिर से आनन्द रस के सागर में गोते लगाने लगा।

माया के मुँह से भी चुदासी लौन्डिया जैसी आवाज़ निकलने लगी।

‘आअह्ह्ह्ह आआह बहुत अच्छा लग रहा है जान.. आई लव यू ऐसे ही करते रहो.. दे दो मुझे अपना सब कुछ.. आआआहह आआअह म्मम्म..’

मैं भी बुदबुदाते हुए बोलने लगा- हाँ जान.. तुम्हारा ही है ये.. तुम बस मज़े लो..

और ऐसे ही देखते ही देखते हम दोनों की एक तेज ‘अह्ह्ह’ के साथ-साथ माया और मेरे सामान का पानी छूटने लगा और हम दोनों इतना थक गए कि उठने की हिम्मत ही न बची थी।

कुछ देर माया मेरी बाँहों में जकड़ी हुई ऐसे लेटी रही.. जैसे कि उसमें जान ही न बची हो।

फिर मैंने धीरे से उसे उठाया और दोनों ने शावर लिया और एक-दूसरे के अंगों को पोंछ कर कमरे में आ गए।

मुझे और माया दोनों को ही काफी थकान आ गई थी तो मैंने माया को लिटाया और उससे चाय के लिए पूछा तो उसने ‘हाँ’ बोला।

यार.. कुछ भी बोलो पर मुझे चाय पीने का बहाना चाहिए रहता है बस..

फिर मैं रसोई में गया और उसके और अपने लिए एक अच्छी सी अदरक वाली चाय बना ली और हम दोनों ने साथ-साथ चाय की चुस्कियों का आनन्द लिया।

कुछ देर में हम दोनों की थकान मिट गई और उस रात हमने कई बार चुदाई की..

जो कि सुबह के 7 बजे तक चली..
ऐसा लग रहा था जैसे हमारी सुहागरात हो..

हम दोनों की जांघें दर्द से भर गई थीं तो मैंने और उसने एक-एक दर्द निवारक गोली खाई और एक-दूसरे को बाँहों में लेकर प्यार करते हुए कब नींद की आगोश में चले गए पता ही न चला।
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फिर करीब 2 से 3 बजे के आसपास मेरी आँख खुली तो मैंने अपने बगल में माया को भी सोते हुए पाया.. शायद वो भी थक गई थी।
वो मेरे करीब कुछ इस तरह से सो रही थी कि उसकी नग्न पीठ मेरी ओर थी और उसके चिकने नितम्ब मेरे पेट से चिपके हुए थे..

मैंने उसे हल्के से आवाज़ लगाई- उठो माया.. उठो बहुत देर हो गई है.. पर इस सबका जब असर नहीं हुआ तो मैं उसके हॉर्न (चूचों) को मसल कर उसके गालों पर चुम्बन करने लगा..

जिससे वो थोड़ा होश में आई और बोली- सोने दो प्लीज़.. मुझे अभी नहीं उठना.. परेशान मत करो प्लीज़..

मैंने बोला- अरे 3 बज रहे हैं.. उठो।

तो बोली- हाय रे.. सच्ची 3 बज गया।

मैंने उसको घड़ी दिखाई और बोला- खुद देख लो…

तो बोली- यार आज इतनी अच्छी नींद आई कि मेरा अभी भी उठने का मन नहीं हो रहा है.. पर अब उठना भी पड़ेगा.. चलो तुम फ्रेश हो जाओ.. मैं बस पांच मिनट में उठती हूँ।

मैंने उसके गाल पर एक चुम्बन किया और बाथरूम चला गया।

करीब तीस मिनट बाद जब बाहर निकला तो देखा माया फिर से सो रही थी।

उसके चूचे कसे होने के कारण ऐसे लग रहे थे जैसे केक के ऊपर किसी ने चैरी रख दी हो।

मैं उसके नशीले बदन को देखकर इतना कामुक हो गया कि मेरे दिमाग में ही उसकी चुदाई होने लगी और मेरा हाथ अपने आप ही मेरे लौड़े पर चला गया था।

देखते ही देखते मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया।

मैंने भी देर न करते हुए उसके ऊपर जाकर उसके होंठों की चुसाई चालू कर दी, जिससे उसकी नींद टूट गई और वो मेरा साथ देने लगी।
फिर करीब पांच मिनट बाद वो बोली- चलो अब मैं उठती हूँ.. तुम्हारे लिए नाश्ता वगैरह भी बनाना है।

पर मेरा ध्यान तो उसकी चुदाई करने में लगा हुआ था।

मैं उसकी बात को अनसुना करते हुए लगातार उसके चूचों को दबा रहा था और बीच-बीच में उसके टिप्पों को मसल भी देता..
जिससे माया एक आनन्दमयी सिसकारी “स्स्स्स्स्शह” के साथ कसमसा उठती।

मैं उसकी गर्दन और गालों पर चुम्बन भी कर रहा था, जिसे माया भी एन्जॉय करने लगी थी।

फिर मैं थोड़ा नीचे की ओर बढ़ा और उसके चूचों को मुँह में भर कर बारी-बारी से चूसने लगा.. जिससे माया ने अपने हाथों को मेरे सर पर रख कर अपने चूचों पर दबाने लगी।

‘आआह्ह्ह उउम्म्म श्ह्ह्ह्ह्ह्ह…’ की आवाज़ के साथ बोलने लगी- मेरी जान.. खा जाओ इन्हें.. बहुत अच्छा लग रहा है.. हाँ.. ऐसे ही बस चूस लो इनका सारा रस…

मेरा लण्ड उसकी जाँघों पर ऐसे रगड़ खा रहा था.. जैसे कोई अपना सर दीवार पर पटक रहा हो।

फिर मैंने धीरे से उसकी चूत में अपनी दो ऊँगलियाँ घुसेड़ कर उसे अपनी उँगलियों से चोदने लगा.. जिससे माया बुरी तरह सिसिया उठी।

‘श्ह्ह्ह… अह्ह्ह.. ऊऊओह्ह्ह.. उउम्म्म…’

वो तड़पने लगी.. पर मैं भी अब सब कुछ समझ गया था कि किसी को कैसे मज़ा दिया जा सकता है।

तो मैं उसके निप्पलों को कभी चूसता तो कभी उसके होंठों को चूसता.. जिससे माया की कामाग्नि बढ़ती ही चली गई और मुझसे बार-बार लौड़े को अन्दर डालने के लिए बोलने लगी।

वो मेरी इस क्रिया से इतना आनन्द में हो चुकी थी कि वो खुद ही अपनी कमर उठा-उठा कर मेरी उँगलियों को अपनी चूत में निगलते हुए- अह्हह्ह उउउउम.. बहुत दिनों बाद ऐसा सुख मिल रहा है आह्ह्ह्ह्ह राहुल आई लव यू ऐसे ही बस मुझे अपना प्यार देते रहना आआह उउउम्म्म…

वो कामुक हो कर बुदबुदाते हुए अकड़ने लगी और अगले ही पल उसकी चूत का गर्म लावा मेरी उँगलियों पर बरसने लगा।

तब भी मैंने अपनी उँगलियाँ नहीं निकालीं.. जब वह शांत हुई तो मैंने अपनी उँगलियों को निकाल कर देखा जो कि उसके कामरस से सराबोर थी।

तभी मेरे दिमाग में न जाने कहाँ से एक फिल्म का सीन आ गया.. जिसमें लड़का लड़की की चूत रस से सनी उँगलियों को उसके नितम्ब में डाल कर आगे-पीछे करते हुए उसके मम्मों को चूसता है..

तो मैंने भी सोचा क्यों न अपनी इस इच्छा को भी पूरा कर लूँ और देखूँ क्या सच में कोई इस तरह से भी मज़ा ले सकता है।

तो मैंने भी उसके चूचे चूसते हुए उसकी चूत रस से सनी हुई उँगलियों में से एक ऊँगली उसकी गांड के छेद पर रखी ही थी कि माया ने आँखें खोल कर अपने हाथों से मेरी ऊँगली पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दी।

शायद उसने सोचा होगा मेरा हाथ धोखे से उधर गया है.. अब उसे कैसे मालूम होता कि मेरी इच्छा कुछ और ही है।

मैंने फिर से अपनी ऊँगली उसके चूत से हटा कर.. उसकी गांड के छेद पर रख दी और उसकी गांड के गोल छेद पर ऊँगली कुछ इस तरह से चला रहा था.. जैसे कोई गम लगाया जाता है।

इस बार माया चुप्पी तोड़ती हुई बोली- अरे राहुल.. ये क्या कर रहे हो.. वो गलत छेद है।

तो मैंने उससे बोला- नहीं.. तुम्हें लगता होगा.. मुझे नहीं, मैंने फिल्मों में भी ऐसे करते हुए देखा है।

तो वो डरती हुई मुझसे बोली- नहीं.. मैंने ऐसा पहले कभी नहीं किया.. पर सुना है बहुत दर्द होता है प्लीज़.. ऐसा मत करो।

तो मैंने उसे समझाया और बोला- मैं तुम्हें दर्द नहीं दूंगा.. पर हाँ.. थोड़ा बहुत तो तुम मेरे लिए बर्दास्त तो कर ही सकती हो.. अगर तुम्हें ज्यादा तकलीफ हुई तो मैं अपना हाथ हटा लूँगा.. जब तक तुम नहीं चाहोगी.. तब तक ऐसा कुछ भी नहीं करूँगा, जिससे तुम्हें तकलीफ हो।

पर माया का ‘नानुकुर’ बंद नहीं हुई, तो मैं उठ गया और उससे रुठते हुए बोला- देख लिया तुम्हारा प्यार.. बस मुँह से ही बोलती हो जो कहोगे वो करुँगी.. वगैरह.. वगैरह.. सब झूठ बोलती थीं।

इतना सुनकर वो मेरे पास आई और मेरे होंठों में अपने होंठों को रख कर मेरा मुँह बंद करके… मुझे अपने आगोश में ले लिया..

पर मेरा विरोध देख कर उसने प्यार भरी नज़रों से देखते हुए बोली- राहुल बस इत्ती सी बात पर नाराज़ हो गए… तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है.. पर मैं डर रही हूँ ऐसा करने से.. मैंने पहले कभी नहीं किया और तुम्हारा इतना बड़ा है.. अन्दर कैसे जाएगा.. मुझे बहुत तकलीफ होगी, प्लीज़ यार.. मेरी बात समझने की कोशिश करो।

तो मैंने भी मन में सोचा कि चल यार गांड तो मारनी ही है.. अब ज्यादा नहीं.. बस इसे किसी तरह तैयार करना है।

तो मैंने भी बात बनाते हुए बोला- अच्छा ये बोलो.. मैंने कब आपसे बोला कि मैं अपना लौड़ा डालना चाहता हूँ.. पर हाँ.. जब तुम कहोगी तभी ऐसा होगा.. मैं तो बस मज़े के लिए अपनी ऊँगली डाल रहा था.. आपने तो बतंगड़ बना दिया…

मेरे इस तरह ‘आप आप’ कहने पर माया बोली- प्लीज़ तुम मुझे माया या तुम कह कर ही बोला करो.. मुझे ये अच्छा नहीं लगता कि तुम मुझसे ‘आप आप’ करो.. मैं अब तुम्हारी हूँ तुमने मुझे बहुत हसीन पल और सुख दिए हैं.. जिसे मैं कभी भुला नहीं सकती हूँ।

तो मैंने भी नहले पर दहला मारते हुए उससे बोला- तो अब तुम्हारा क्या इरादा है?

तो वो कुछ नहीं बोली और मेरी बाँहों में समा कर मुझे चुम्बन करने लगी मेरे गालों और छाती पर चुम्बनों की बौछार करते हुए बोली- जैसी तुम्हारी इच्छा…

मैं उसे लेकर फिर से बिस्तर पर उसी तरह से लेट कर प्यार करने लगा.. जैसे पहले कर रहा था।
पर अब उँगलियों की चिकनाई सूख चुकी थी तो मैंने अपनी दो उँगलियों को उसके मुँह में डाल दी और उसके मम्मों को मुँह में भर कर फिर से चूसने लगा।
माया ने मेरी उँगलियों को किसी लॉलीपॉप की तरह चूस-चूस कर गीला करके बोली- अब कर लो अपनी इच्छा पूरी…
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मैंने उसकी ये बात सुन कर उसे ‘आई लव यू’ बोला और पहले उसे हर्ट करने के लिए माफ़ी भी मांगी..

पर उसने जवाब में बोला- नहीं यार.. होता है कोई बात नहीं.. मुझे बुरा नहीं लगा।

फिर मैंने भी देर न करते हुए उसकी गांड के छेद पर उसके थूक से सनी ऊँगली को चलाने लगा.. जिससे उसे भी अच्छा लग रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने फिर से उसे ऊँगलियां चुसवाईं और अबकी बार मैंने एक ऊँगली गांड के अन्दर डालने लगा।

उसकी गांड बहुत ही तंग और संकरी थी.. जिससे वो थोड़ा ‘आआआह’ के साथ ऊपर को उचक गई और मेरे दांतों से भी उसके गुलाबी टिप्पे रगड़ गए।

वो दर्द से भर उठी ‘अह्ह्हह्ह आउच’ के साथ बोली- अन्दर क्यों डाल रहे थे.. लगती है न..

तो मैंने बोला- थोड़ा साथ दो.. मज़ा आ जाएगा।

फिर से उसके चूचों को अपने मुँह की गिरफ्त में लेकर चूसने लगा और अपनी ऊँगली को उसकी गांड की दरार में फंसा कर अन्दर की ओर दाब देने लगा।

इस बार माया ने भी साथ देते हुए अपने छेद को थोड़ा सा खोल दिया, जिससे मेरी ऊँगली आराम से उसकी गांड में आने-जाने लगी.. पर सच यार उसके चेहरे के भावों से लग रहा था कि उसे असहनीय दर्द हो रहा है।

पर मैंने भी ठान रखा था.. होगा तो देखा जाएगा।

फिर उसे प्यार से चूमने-चाटने लगा और देखते ही देखते उसकी गांड ने मेरी ऊँगली को एडजस्ट कर लिया।
जिससे अब मेरी ऊँगली आराम से अन्दर-बाहर होने लगी और माया भी मज़े से सिसियाने ‘श्ह्ह्ह्ह’ लगी थी।

मैंने फिर से उसके मुँह में ऊँगलियों को गीला करने के लिए डाला और उसने भी बिना देर किए ऐसा ही किया।

फिर मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में डाली तो वो बिना विरोध के आराम से चली गई तो मैंने उसका छेद फ़ैलाने के लिए फिर से ऊँगली बाहर निकाली और अबकी बार दो ऊँगलियां उसकी गांड में डालने लगा तो माया फिर से दर्द भरी “आआअह आउच” और कराह के साथ बोली- राहुल.. दो नहीं, एक से कर.. मुझे दर्द हो रहा है।

तो मैंने बोला- अभी थोड़ी देर पहले तो एक से भी हो रहा था.. पर तुम परेशान मत हो.. मैं आराम से करूँगा।

मैं फिर से धीरे-धीरे उसकी गांड की गहराई में अपनी दो उँगलियों से बोरिंग करने लगा और उसके निप्पलों को चूसने-चाटने लगा, जिससे माया की चूत से कामरस की धार बहने लगी।

देखते ही देखते उसकी दर्द भरी ‘आआआआह’ मादक सिसकियों में परिवर्तित हो गई।

‘श्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह ऊऊम’

वो अपनी कमर ऊपर-नीचे करने लगी और अपने मम्मों खुद सहलाने लगी।

अब वो कंपकंपाती हुई आवाज़ में मुझसे लण्ड चूत में डालने के लिए बोलने लगी, पर मैंने उससे कहा- मेरा एक कहना मानोगी।

वो बोली- एक नहीं.. सब मानूंगी.. पर पहले इस चूत की आग शांत तो कर दे बस।

मैंने बोला- पक्का..

तो वो बोली- अब क्या लिख के दूँ.. प्रोमिस.. मैं नहीं पलटूंगी.. पर जल्दी कर.. अब मुझसे और नहीं रहा जाता।

तो मैंने भी बिना देर किए हुए उसके ऊपर आ गया और उसकी टांगों को फैलाकर उसकी चूत पर अपना लौड़ा सैट करके थोड़ा सा अन्दर दबा दिया ताकि निकले न और फिर अपनी कोहनी को उसके कंधों के अगल-बगल रख कर उसके होंठों को चूसते हुए उसे चोदने लगा।

अब माया को बहुत अच्छा लग रहा था.. वो भी अपनी कमर को जवाब में हिलाते हुए चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी।

जब मैं उसकी चूत में थोड़ा तेज-तेज से लौड़े को अन्दर करता.. तो उसके मुँह से मादक ‘गूं-गू’ की आवाज़ आने लगती.. क्योंकि उसके होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे।

अब माया अपने दोनों मम्मों को खुद ही अपने हाथों से रगड़ने लगी.. जिससे उसका जोश बढ़ गया और वो जोर-जोर से कमर हिलाते-हिलाते शांत हो गई।
उसकी चूत इतना अधिक पनिया गई थी कि मेरा लौड़ा फिसल कर बाहर निकल गया।

मैंने फिर से अपने लौड़े को अन्दर डाला और अब हाथों से उसके मम्मों को भींचते हुए उसकी चुदाई चालू कर दी.. जिससे वो एक बार फिर से जोश में आ गई।

अब कुछ देर की शंटिंग के बाद मेरा भी होने वाला था तो मैंने उसे तेज रफ़्तार से चोदना चालू कर दिया।

मेरी हर ठोकर पर उसके मुँह से मादक आवाज़ आने लगी।

‘अह्ह्ह अह्ह्ह्ह उम्म्म्म ऊऊओह’ मैं बस कुछ ही देर में उसकी चूत में स्खलित होने लगा..
मेरे गर्म लावे की गर्मी से चूत ने भी फिर से कामरस की बौछार कर दी, मैं उसके ऊपर झुक कर उसके गले को चूमने लगा और निढाल होकर उसके ऊपर ही लेट गया।

थोड़ी देर बाद जब फिर से घड़ी पर निगाह गई तो देखा पांच बज चुके थे।

माया को मैंने जैसे ही समय बताया तो वो होश में आकर हड़बड़ा कर उठते हुए बोली- यार तुम्हारे साथ तो पता ही न चला.. कल तुम कब आए और इतनी देर मैंने तुम्हारे साथ एक ही बिस्तर पर गुजार दिए… पता नहीं दूध वाला आया होगा और घंटी बजा कर चला भी गया होगा..

इस तरह की बातों को बोल कर वो परेशान होने लगी.. तो मैंने बोला- मैं हूँ न.. परेशान मत हो.. हम आज रात बाहर ही डिनर करेंगे और दूध वगैरह साथ लेते आएंगे।

मैंने उसके मम्मे दबाते हुए बोला- वैसे भी मुझे ये दूध बहुत पसंद है।

तो वो भी चुटकी लेते हुए बोली- ये बस दबाए, रगड़े और चूसे जा सकते हैं इनसे मैं अपने जानू को चाय नहीं दे सकती।

तो मैंने ताली बजाई और बोला- ये बात.. समझदार हो काफी।

फिर मैंने उसे याद दिलाया- अभी कुछ देर पहले कुछ बोला था तुमने.. याद है या भूल गईं?

तो बोली- बता न.. कहना क्या चाहते हो?

तब मैंने कहा- अभी कुछ देर पहले मैंने बोला था कि मेरा एक कहना मानोगी.. तो तुम बोली थीं कि एक नहीं सब मानूंगी.. पर पहले इस चूत की आग शांत कर दे।

तो माया बोली- अरे यार तुम बोलो तो सही.. क्या कहना चाहते थे?

तो मैंने उससे उसकी गांड मारने की इच्छा बता दी।

वो बोली- राहुल मुझे बहुत दर्द होगा.. सुना है, पहली बार के बाद चलने में भी तकलीफ होती है.. पर तुझे इसी से खुशी मिलेगी तो मैं तैयार हूँ.. मैं तुझे अब खोना नहीं चाहती.. तू जो चाहे वो कर..

उसके इस समर्पण भाव को देखकर मैं पिघल गया और उसे अपनी बाँहों में चिपका लिया। उसके बदन की गर्मी बहुत अच्छी लग रही थी।

थोड़ी देर ऐसे ही खड़े रहने के कुछ ही देर बाद माया बोली- अब ऐसे ही खड़े रखना चाहते हो.. या मुझे तैयार होने के लिए जाने दोगे.. नहीं तो हम बाहर कैसे जायेंगे?

तब तक माया के फ़ोन पर बेल बजी जो कि विनोद की थी। माया ने झट से फ़ोन रिसीव किया और स्पीकर ऑन करके बात करते हुए नाइटी पहनने लगी।

उधर से विनोद बोला- क्या माँ.. इतनी बार तुम्हारा फ़ोन लगाया तुमने एक बार भी नहीं देखा.. मैं बहुत परेशान हो गया था और राहुल का फ़ोन ऑफ जा रहा था.. वो है कहाँ? आंटी का भी फोन आया था.. उसके बारे में जानने के लिए.. मैं उन्हें क्या बताता.. वैसे वो है कहाँ?

माया बहुत घबरा गई.. उसकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले.. पर उसने बहुत ही समझदारी के साथ काम लिया और बोला- अरे फोन तो साइलेंट पर लगा हुआ था अभी बस केवल लाइट जल रही थी.. तो मैंने उठाया.. तब पता चला कि तुम्हारा फोन आया है और राहुल का फोन बैटरी खत्म होने की वजह से ऑफ हो गया था और अभी वो सब्जी लेने गया है रात के लिए… ख़त्म हो गई थी.. आता है तो उसे बोल दूँगी कि घर पर बात कर ले और यह बता कल कितने बजे तक आ रहा है?

तो उसने बोला- यही कोई 11 बज जाएँगे..

बस फिर इधर-उधर की बात के साथ फोन काट दिया।

फिर मुझसे बोली- जा पहले तू भी अपनी माँ से बात कर ले..

तो मैंने बोला- फोन तो ऑफ है अभी आप ने बोला है.. कहीं माँ ने फिर विनोद से बात की.. तो गड़बड़ हो सकती है।

तो मैं अब घर होकर आता हूँ और मैं भी कपड़े पहनने लगा और जाते-जाते उससे पूछा- हाँ.. तो आज गांड मारने दोगी न?

तो बोली- बस रात तक वेट करो और घर होकर जल्दी से आओ.. मैं तुम्हारा इन्तजार करुँगी।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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jay
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Post by jay »





फिर मैं वहाँ से अपने घर की ओर चल दिया और करीब 10 मिनट में घर पहुँचा.. दरवाज़ा बंद होने के कारण घंटी बजाई..

तो मेरी माँ ने दरवाज़ा खोला और मुझे देखते ही बड़बड़ाने लगीं- तुम्हारा कोई फ़र्ज़ नहीं बनता कि एक बार घर पर बात कर लूँ और अपना फोन भी ऑफ किए थे?

तो मैंने उनको समझाया- माँ ऐसा नहीं है… मैं और आंटी घर का सामान लेने बाजार गए थे.. तो विनोद से पता चला था.. पर सामान ज्यादा होने की वजह से मैंने सोचा.. बाद में मैं खुद ही आप से मिल आऊँगा और मेरे गेम खेलने की आदत आप जानती ही हो.. तो फोन रात में ही ऑफ हो गया था और चार्जर घर पर ही है.. इसी वजह से.. आप से बात नहीं कर पाया। खैर.. आप बोलो.. कोई काम हो मैं कर देता हूँ.. फिर मुझे वहाँ भी जल्दी निकलना है.. सब्जी भी लेकर जानी है… उनके यहाँ ख़त्म हो गई है.. वरना उनको खाना पकाने में देरी हो जाएगी..

इतना सब बहाना बनाने के बाद माँ कुछ शान्त हुईं.. और बोलीं- अरे कोई काम नहीं था.. मैंने बस तेरे हाल लेने के लिए फोन किया था। तेरा सुबह से ही फोन ऑफ जा रहा था और माया जी का मेरे पास नम्बर भी नहीं था और विनोद से भी तेरे कोई हाल-चाल नहीं मिले थे.. तो मुझे चिंता हो रही थी कि क्या बात हो गई.. बस और कुछ नहीं था.. खैर कोई बात नहीं.. तुम जल्दी जाओ.. नहीं तो बहन जी को खाना बनाने में रात ज्यादा हो जाएगी और हाँ.. अपना चार्जर भी लेते जाना.. वैसे कल तुम्हारा दोस्त कितने बजे तक आ जाएगा?

तो मैंने उन्हें बताया कल सुबह 11 बजे तक..

फिर वो कुछ नहीं बोलीं।

मैंने कपड़े बदले और कुछ पार्टीवियर कपड़े लैपटॉप के बैग में रखे.. साथ ही चार्जर भी डाला और माँ से बोला- अच्छा माँ.. मैं अब चलता हूँ।

तो उन्होंने बोला- कल समय से आ जाना और अगर देर हो.. तो फ़ोन कर देना।

फिर मैं ‘ओके’ बोल कर अपने घर से माया के घर की ओर चल दिया।

अब बस मेरे दिमाग में माया के चिकने गोल नितम्ब नाच रहे थे कि कैसे आज मैं उसकी गांड बजाऊँगा और यूँ ही ख्यालों में खोया हुए कब मैं उनके घर पहुँचा.. पता ही न चला।

फिर मैंने घंटी बजाई तो थोड़ी देर बाद माया ने दरवाज़ा खोला और मुझे देखते हुए बड़े आश्चर्य से बोली- अरे राहुल अभी तो बस गया था और इतनी जल्दी आ भी गया।

तो मैंने तुरंत बैग सोफे पर पटका और उसे बाँहों में भर कर प्यार करते हुए उसके चूचे दबा कर कहा- यार तेरी गांड ने मुझे इतना दीवाना बना रखा है कि मेरा मन कहीं लग ही न रहा था।

तो उसने मेरे गालों पर चुटकी ली और इंग्लिश में शैतानी भरे लहजे से बोली-यू आर स्वीट एंड सॉर.. तू बड़ा हरामखोर है..

तो मैंने भी उसके भोंपू कस कर दबा कर जवाब दिया- सीखा तो तुझी से ही है।” फिर वो एक शरारत भरी मुस्कान के साथ बोली- देख अभी मैं तेरे लिए चाय लाती हूँ और तब तक तू फ्रेश हो जा.. जब तक तू चाय पियेगा.. मैं तैयार होकर आ जाऊँगी.. फिर हम किसी अच्छे से होटल में डिनर करने चलेंगे।

तो मैंने भी उससे मुस्कुरा कर बोला- आज तुम मुझे बिना कहे ही चाय पिला रही हो… क्या बात है जो इतना ख्याल है मेरा..

तो माया बोली- अरे कुछ नहीं.. जब तू मेरा इतना ख़याल रखता है.. तो मेरा भी फर्ज बनता है।

इतना कह कर वो रसोई में चली गई और मैं वाशरूम चला गया।
मैंने चेहरा वगैरह साफ किया और अपना बैग खोल कर कपड़े निकाले।

तब तक माया चाय ले आई और मेरे कपड़े देख कर बोली- ओहो… क्या बात है राहुल किसी और को भी नीचे गिराने का इरादा है।

तो मैंने बोला- ऐसा नहीं.. वो तो मैं इसलिए लाया था क्योंकि पहली बार किसी के साथ मैं डिनर पर जा रहा हूँ.. तो इस पल को और अच्छा करने के लिए मैंने ऐसा किया है।

तो बोली- वैसे जो पहने हो.. वो भी ठीक हैं.. पर जब लाए हो.. तो बदल लो… अब तो मुझे भी तेरी तरह सजना पड़ेगा.. ताकि मैं तेरे इस पल को और हसीन कर दूँ। अब तुम चाय की चुस्कियों का आनन्द लो और मैं चली तैयार होने..

तो मैंने झट से एक हाथ से चाय का मग पकड़ा और दूसरे हाथ से उनके चूचे मसके..

तो बोली- अरे छोड़ो.. अभी रात भी अपनी ही है.. नहीं तो जाने में देर हो जाएगी। मैंने बोला- चुस्कियों का मज़ा जो तेरे मम्मे देते हैं वो चाय में कहाँ..

और एक बार उसके मस्त मम्मों को फिर से दबा दिया।

तो माया बोली- अच्छा.. अब जाने भी दो.. रात को जी भर के चुस्कियां ले ले कर पी लेना.. पर अभी तुम सिर्फ चाय पियो।

इतना कहकर वो चली गई और मैंने भी चाय ख़त्म की। मैं अपने कपड़े पहनने लगा और तैयार हो गया और वहीं सोफे पर बैठ कर माया का इन्तजार करने लगा घड़ी देखी.. तो आठ बज चुके थे पर माया अभी तक नहीं आई।

मैंने मन में सोचा पता नहीं ये कितना देर लगाएगी तो मैंने आवाज़ लगाई- आंटी और कितनी देर लगाओगी?

तो वो बोली- बस थोड़ा और वेट करो..

देखते ही देखते साढ़े आठ बज गए.. मैंने फिर जोर से आवाज़ दी- आंटी जल्दी करो..

तो वो बोली- बस हो गया अभी आई..

करीब पांच मिनट बाद आंटी आ गई और मुझसे बोली- तुमको इतनी बार बोला मुझे आंटी-वांटी नहीं.. माया बोला करो.. पर तुम्हें समझ नहीं आता क्या?

पर उनकी इस बात का मेरे ऊपर कोई असर नहीं पड़ा कि वो क्या कह रही है क्योंकि मैं उसे देखता ही रह गया था।
आज वो किसी मॉडल से कम नहीं दिख रही थी.. क्या बला की खूबसूरत लग रही थी जैसे priyanka chopra..

उसने अपने बालों को पोनी-टेल की तरह बांध रखा था और नेट वाला अनारकली सूट पहना हुआ था..
आँखों में काजल और मस्कारा वगैरह लगा कर मेकअप कर रखा था..
आज वो वाकयी बहुत सुन्दर सी किसी परी की तरह दिख रही थी।
उसके होंठों पर जो सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक थी.. वो भी शाइन मार रही थी।

मैं तो उसके रूप-सौंदर्य में इतना खो गया था कि मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था और सिर्फ वही दिखाई भी दे रही थी।

यार क्या गजब का माल लग रही थी.. देख कर लग ही नहीं रहा था कि ये रूचि की माँ है या उसकी बड़ी बहन है.. मैंने उसे अपनी बाँहों में लेकर चूम लिया उसके गर्दन और उसके कपड़ों से काफी अच्छी सुगंध आ रही थी.. जो की किसी इम्पोर्टेड सेंट की लग रही थी।

मैंने उससे पूछा- कौन सी कंपनी का कमाल है.. जो इतना मादक महक दे रही है?

तो उसने बताया- अभी पिछली बार मेरे पति लाए थे।

‘अरे मैंने कंपनी पूछी है…’

तो बोली- ‘ह्यूगो बॉस’ का है।

तो मैंने भी मुस्कुरा कर बोला- फिर तो फिट है बॉस.. वैसे आज इतना सज-धज के चलोगी तो पक्का दो-चार की जान तो ले ही लोगी।

तो बोली- मुझे तो बस अपने इस आशिक से मतलब है और मैंने तुम्हारी ख़ुशी के लिए ये सब किया है ताकि तुम्हारी पहली डेट को हसीन बना सकूँ।
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