दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

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jay
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Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

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आज ये मेरी जिंदगी का पहला दिन था.. जब मैं किसी को इस तरह डिनर पर ले गया था.. वो भी इतनी हसीन लड़की को.. क्योंकि वो औरत लग ही नहीं रही थी।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था..

हम लोग एक-दूसरे के हाथों को सहलाते हुए एक-दूसरे से बात कर रहे थे कि तभी वेटर पनीर टिक्का और कोल्ड ड्रिंक देकर चला गया..
जिसे हम लोगों ने खाया और एक-दूसरे को अपने हाथों से भी खिलाया।

तब तक हमारा खाना भी आ चुका था, फिर हम लोगों ने खाना खाया और मैं फिनिश करके वाशरूम चला गया।

इसी बीच माया ने मुझे सरप्राइज़ देने के लिए और मेरे इस दिन को यादगार बनाने के लिए वेटर को बुलाया और उसे शैम्पेन और कुछ स्नैक्स का आर्डर दिया और साथ ही यह भी बोला कि जैसे ही मैं अन्दर आऊँ.. वैसे ही ‘ये शाम मस्तानी.. मदहोश किए जाए..’ वाला गाना बजा देना।

इधर अब मुझे क्या पता कि माया ने मेरे लिए क्या कर रखा है.. तो मैं जैसे ही अन्दर पहुँचा तो गाना चालू हो गया और रेस्टोरेंट की रोशनी बिल्कुल मद्धिम हो गई.. जो कि काफी रोमांटिक माहौल सा बना रही थी।

मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना ही न रहा और मैंने जाते ही माया को ‘आई लव यू वेरी मच’ बोलकर चूम लिया।

जिससे वहाँ मौजूद सभी लोग क्लैपिंग करने लगे… उनको ये लग रहा था कि हम अपनी एनिवर्सरी सेलिब्रेट करने आए हैं.. और लगता भी क्यों नहीं.. आज माया कमसिन जो लग रही थी।

उसने अपना फिगर काफी व्यवस्थित कर रखा था और साथ ही पार्लर वगैरह हर महीने जाती थी जिसकी वजह से उसे देखकर उसकी उम्र का पता लगाना काफी कठिन था।

वो बहुत ही आकर्षक शरीर की महिला थी.. फिर मैंने और उसने ‘चीयर्स’ के साथ शैम्पेन का एक-एक पैग पिया.. इसके पहले न ही कभी मैंने वाइन पी थी और न ही उसने..

खैर.. एक गिलास से कोई फर्क तो न पड़ा.. पर एक अजीब सा करेंट दोनों के शरीर में दौड़ गया।

खाना अदि खाने के बाद माया ने बिल पे किया जो कि करीब 4200 के आस-पास था और 100 रूपए माया ने वेटर को टिप भी दी।
फिर हम दोनों लिफ्ट से नीचे आए और मैं उसे वहीं एंट्री-गेट पर छोड़ कर कार लेने चला गया.. पर जब कार लेकर वापस आया तो माया वहाँ नहीं थी।

मेरे दिमाग में तरह-तरह के सवाल आ रहे थे क्योंकि माया का सर शैम्पेन की वजह से भारी होने लगा था।

मैं बहुत ही घबरा गया कि अब मैं क्या जवाब दूँगा अगर कहीं कुछ हो गया सोचते-सोचते मेरे शरीर में पसीने की बूँदें घबराहट के कारण बहने लगीं।

मैंने चारों ओर नज़र दौड़ाई.. पर मुझे माया नजर नहीं आई।

मैंने उसका फ़ोन मिलाया जो कि नहीं उठा.. तीन-चार बार मिलाने के बाद भी जब फोन नहीं उठा.. तो मैं बहुत परेशान हो गया और सोचने लगा कि अब क्या करूँ.. कहाँ देखूँ..?

मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था.. मैं सोच में पड़ गया.. कहीं माया को नशा तो नहीं चढ़ गया.. कहीं उसका कोई फायदा न उठा ले.. तमाम तरह के विचार मन को सताने लगे।

फिर मैंने गाड़ी की चाभी गेटमेन को गाड़ी पार्क करने के लिए दी.. और अन्दर चला गया।

वहाँ एक रिसेप्शनिस्ट बैठी हुई थी तो मैंने उससे घबराते हुए पूछा- अभी क्या कोई लेडी अन्दर आई है?

तो वो मेरी घबराहट को देखकर हँसते हुए बोली- अरे सर आप थोड़ा रिलैक्स हो जाइए.. लगता है मैडम से आप कुछ ज्यादा ही प्यार करते हैं।

यह कहते हुए उसने अपनी सीट पर रखे पानी के गिलास को मुझे दिया।

पानी पीकर मैं भी थोड़ा नार्मल हुआ और उससे पूछा- वैसे वो है कहाँ?

तो वो बोली- मेम ने लगता है पहली बार पी थी.. जिसकी वजह से उनको उलटी और चक्कर आ रहे थे.. तो वो वाशरूम में हैं…

तो मैं भी उसकी हालत को समझते हुए वाशरूम जाने लगा ताकि उसकी कुछ मदद कर सकूँ.. पर मैं जैसे ही उधर की ओर बढ़ा तो उस लड़की ने बोला- सर वो कॉमन वाशरूम नहीं है आप लेडीज़ वाशरूम में नहीं जा सकते।

तो मैंने चिंता जताते हुए उससे पूछा- जब उसकी ऐसी हालत है तो उसे मदद की जरूरत होगी।

बोली- आपको फ़िक्र करने की कोई जरुरत नहीं है.. मैडम के साथ लेडीज सर्वेंट भी उनकी हेल्प के लिए गई है। तब जाकर मुझे कुछ राहत की सांस मिली.. तब तक माया वहाँ आ चुकी थी।

उसको देखते ही रिसेप्सनिस्ट लड़की ने बोला- मेम आप बहुत लकी हो जो आपको इतना चाहने वाला कोई मिला।

अब उसे क्या पता कि दाल में कितना नमक है..

खैर.. वो माया को बोली- आपके अचानक अन्दर आ जाने पर सर बहुत परेशान से हो गए थे.. उनकी हालत तो देखने वाली थी.. लगता है आपको कुछ ज्यादा ही प्यार करते हैं।

तो माया मुस्कुरा कर मेरे पास आई और मेरे हाथ पकड़ कर बोली- तुम इतनी जल्दी क्यों परेशान हो जाते हो? तो मैंने बोला- तुम बिना बताए अचानक यहाँ आ गईं और मुझे नहीं दिखीं.. तो मेरा परेशान होना तो लाजिमी है।

उसने मुझसे ‘सॉरी’ बोलते हुए कहा- यार मेरी कंडीशन ही ऐसी हो गई थी कि मैं क्या करती?

मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ?

फिर मैंने बोला- चलो कोई बात नहीं.. अब तुम ठीक हो न?

तो उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया.. फिर हम दोनों बाहर आए और गेटमैन से गाड़ी मंगवाई और घर की ओर चल दिए।

रास्ते में मैंने उससे पूछा- माया जब तुम शैम्पेन बर्दास्त नहीं कर सकती थीं तो पीने की क्या जरुरत थी?

तो वो बोली- मैं तो बस तुम्हें वो सब देने के लिए ऐसा कर रही थी.. जो आजकल की लड़कियाँ करती हैं।

मैंने भी उसके इस प्यार का जवाब माया ‘आई लव यू.. वेरी मच’ बोलकर दिया।

जिस पर माया के चेहरे की ख़ुशी दुगनी हो गई और आँखों में एक अजीब सी चमक साफ़ दिखने लगी।

शायद वो अपने तन-मन से मुझे बहुत चाहने लगी थी.. उसने भी अपना एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और बोली- राहुल सच में.. तुम भी मुझसे प्यार तो करते हो न..

मैंने भी ‘हाँ’ में जवाब दिया.. तो बोली- राहुल मैं तुम्हें वो सारी खुशियाँ दूँगी जिसके तुम हकदार हो.. तुम जैसा चाहोगे मैं वैसा ही करुँगी.. पर मेरे लिए अपने दिल में हमेशा यूँ ही जगह बनाए रखना.. वरना मेरा क्या होगा।

यह कहते हुए वो अपने हाथों को मेरी जाँघों में फिराने लगी।

जिससे मेरा जोश बढ़ने लगा.. मुझे उसका इस तरह से छूना बहुत ही आनन्ददायक लग रहा था।

मैं भी उसके स्पर्श का मज़ा लेते हुए उससे रोमांटिक बातें करने लगा और घर जाने के लिए मैंने लम्बा वाला रास्ता पकड़ लिया ताकि इस रोमांटिक समय को और ज्यादा देर तक एन्जॉय किया जा सके।

मेरे लम्बे रास्ते की ओर गाड़ी घुमाते ही माया मुस्कुराकर मुझसे बोली- क्या बात है.. तुमने लम्बा रास्ता क्यों पकड़ लिया?

तो मैंने उसे बताया- तुम्हारे साथ इस पल को और लम्बा बनाना चाहता था.. बस इसीलिए।

फिर माया मेरी ओर थोड़ा खिसक आई और मेरे लौड़े को जींस के ऊपर से ही रगड़ने मसलने लगी। उसकी इस हरकत से मेरे कल्लू नवाब को एक पल बीतते ही होश आ गया और वो अन्दर ही अन्दर अकड़ने लगा.. मानो जिद कर रहा हो कि बस अब मुझे आज़ाद कर दो।
माया ने जब मेरे लण्ड का कड़कपन अपनी हथेलियों में महसूस किया.. तो उसने मेरी जींस की ज़िप खोल दी और अन्दर हाथ घुसेड़ कर लण्ड को मुट्ठी में भरते हुए निकालने लगी.. पर इतनी आसानी से वो कहाँ निकलने वाला था।

इस वक़्त वो अपने पूरे होश ओ हवाश में खड़ा हो चुका था। वो उस वक़्त इतना सख्त हो चुका था कि मेरी वी-शेप की चड्डी में नहीं मुड़ पा रहा था।

माया ने कई बार उसे दबा कर एक बगल से निकालने का प्रयास किया.. पर जब वो न निकाल पाई तो कहने लगी- राहुल क्या बात है.. आज यह मेरा छोटा राहुल लगता है मुझसे नाराज हो गया है.. देखो कितनी देर से मैं इसे देखने के लिए तड़प रही हूँ.. पर यह है कि निकल ही नहीं रहा है।

तो मैंने भी मज़ाक में बोल दिया- अरे ये तुम्हारा राहुल है न.. वो इसे निकाल देगा.. पर तुम्हें इसे मनाना खुद ही पड़ेगा।

तो वो मुस्कुराते हुए बोली- अरे फिर देर कैसी.. एक बार निकाल दो.. फिर देखो.. इसे मैं कैसे प्यार से मनाती हूँ।

तो मैंने भी गाड़ी एक बगल में ली और जींस का बटन खोल कर नीचे सरका दी और अपनी चड्डी को साइड से पकड़ कर अपने सरियानुमा लौड़े को हवा में लहरा दिया।

वो एकदम ऐसा अकड़ा हुआ किसी झंडे की तरह खड़ा था जिसे माया देखकर अपनी मुस्कान न रोक सकी।

वो मेरे लौड़े को हाथ में लेकर उसे प्यार से सहलाने लगी और बोली- अरे वाह.. तू तो हर समय तैयार रहता है.. मुझसे नाराज हो गया था क्या?

जो मेरे निकालने पर नहीं निकल रहा था।

मैं फिर से गाड़ी चलाने लगा.. पर अब रफ़्तार धीमी थी.. ताकि कोई दिक्कत न हो।

उधर माया लगातार मेरे लौड़े को प्यार किए जा रही थी जो कि मेरे अन्दर की कामुकता को बढ़ने के लिए काफी था।

मैंने बोला- ये आज ऐसे नहीं मानेगा..

वो- फिर कैसे?

मैंने बोला- अरे इसे प्यार करो.. चूमो-चाटो.. तब शायद कोई बात बन जाए।

मैंने भी माया का दायां चूचा दबा दिया.. जिसके लिए वो तैयार न थी।

मेरे इस हमले से उसके मुँह से एक दर्द भरी ‘आह्ह्ह्ह्ह्’ निकल गई और उसने भी जवाब में मेरे लौड़े को कस कर दबा दिया.. जिससे मेरे भी मुख से एक ‘आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ निकल गई।

फिर उसने अपने होंठों से मेरे गाल पर चुम्बन किया और मेरे लौड़े के टोपे पर अपने होंठों को टिका कर उसे चूसने लगी।

उसकी इतनी मादक चुसाई से मेरे शरीर में कम्पन होने लगा.. मुझसे अब गाड़ी चलाना मुश्किल हो रहा था.. तो मैंने वहीं एक तरफ गाड़ी खड़ी कर दी और एसी ऑन रखा.. हेड-लाइट बंद कर दी.. ताकि कोई समझ न सके कि क्या हो रहा है और रात के समय वैसे भी भीड़ कम ही रहती है और जो होती भी है वो सिर्फ गाड़ी वालों की होती है.. तो कोई डरने वाली बात भी न थी।

फिर मैंने सीट थोड़ा पीछे को मोड़ दिया ताकि माया और मैं आराम से मज़े ले सकें।

फिर माया ने अपनी जुबान और होंठों से मेरे टोपे को थूक से नहलाते हुए दूसरे हाथ से मुठियाने लगी।

मुझे इतना आनन्द आ रहा था कि मैं बता ही नहीं सकता.. ऐसा लग रहा था, जैसे मैं किसी जन्नत में सैर कर रहा हूँ।

फिर उसने धीरे-धीरे मेरे टोपे पर अपनी जुबान चलाई.. जैसे कोई बिल्ली दूध पी रही हो..

उसकी यह हरकत इतनी कामुक थी कि मैंने भी उसके भौंपुओं को हाथ में थाम कर बजाने लगा।

उसकी भी चूत पनिया गई थी और वो मुझसे बोली- प्लीज़ राहुल मुझे यहीं चोद दो.. अब और नहीं रहा जाता मुझसे.. प्लीज़ बुझा दो मेरी आग..

पर इस तरह खुले में मैंने चुदाई करने से मना कर दिया।

खैर वो मेरे समझाने पर मान भी गई थी।

फिर वो मेरे लौड़े को मुठियाते हुए इतने प्यार से चाट रही थी कि मुझे लगा कि अब मैं और ज्यादा देर टिकने वाला नहीं हूँ।

तो मैंने उससे बोला- जान.. बस अब और दूरी नहीं बची है.. मंजिल आने में.. थोड़ा तेज़ चलो।

तो वो मेरे इशारे को समझ गई और मेरे लौड़े को जहाँ तक उससे हो सका उतना मुँह के अन्दर तक ले जाकर अन्दर-बाहर करने लगी और अपने कोमल होंठों से मेरे लौड़े पर अपनी पकड़ मजबूत करने लगी.. जैसे मानो आज सारा रस चूस लेगी।

उसकी इस क्रिया से मेरे मुख से ‘सीइइइ.. आआह्ह’ की मादक सिसकारियाँ फूटने लगीं।

इतना आनन्द आ रहा था कि मानो मेरा लौड़ा उसके मुख में नहीं बल्कि उसकी चूत में हो.. मैंने भी उसके सर को हाथों से सहलाना चालू कर दिया।

वो इतनी रफ़्तार से मुँह ऊपर-नीचे कर रही थी कि उसके मुँह से सिर्फ ‘गूंग्गगुगुगुं’ की ध्वनि आ रही थी जो कि मेरी उत्तेजना को बढ़ाने के लिए काफी था।

फिर मैंने उसके सर को कस कर हाथों से पकड़ लिया और अपनी कमर को उठा-उठा कर उसके मुँह में लौड़ा ठूँसने लगा..

जिससे माया की आँखें बाहर की ओर आने लगीं और देखते ही देखते मैंने अपना सारा माल उसके गले के नीचे उतार दिया।

माल निकल जाने के बाद मुझे कुछ होश आया तो मैंने अपनी पकड़ ढीली की..

तो माया ने झट से मुँह हटाया और बोली- यार ऐसे भला कोई करता है.. मुझे तो ऐसा लग रहा था कि थोड़ी देर और ऐसे ही चला तो मेरी जान ही निकल दोगे तुम..

मैंने उसके गालों को चूमा और कहा- अपनी जान को भला मैं कैसे मार सकता हूँ माया डार्लिंग.. थैंक्स।

बोली- अच्छा मेरी हालत खराब करके ‘थैंक्स’?

तो मैंने बोला- इसके लिए नहीं.. वो तो उसके लिए बोला जो तुमने आज मेरे लिए किया..

तो माया बोली- जानू ये तो कुछ भी नहीं है.. आज तो मैं तुम्हारे लिए वो करने वाली हूँ जो आज तक मैंने कभी न किसी के साथ किया और न ही इस बारे में कभी सोचा था.. पर राहुल मैं अब वो तुम्हारे लिए करुँगी।

तो मैंने उसे बाँहों में भर लिया और उसकी गर्दन में चुम्बन करते हुए उसे ‘आई लव यू आई.. लव यू’ बोलने लगा।
जिससे माया का दर्द भरा चेहरा फिर से खिलखिलाने लगा और फिर उसने अपनी पर्स से रुमाल निकाल कर मेरे लौड़े अच्छे से पोंछ कर साफ़ किया।

फिर मुझे आँख मारते हुए कहने लगी- जानू अब जल्दी से घर चलो.. मुझे भी अब कुछ चाहिए.. तुम्हारा तो हो गया.. पर मेरे अन्दर की चीटियाँ अभी भी जिन्दा रेंग रही हैं।

तो मैंने उसके बोबे मसल कर कहा- अरे आज रात तेरी सारी चींटियों को रौंद-रौंद कर ख़त्म कर दूँगा.. बस तू घर चल.. फिर देख।

फिर मैंने उतर कर अपनी जींस वगैरह सही से बंद की और घर की ओर चल दिए।
करीब दस मिनट में हम अपार्टमेंट पहुँच गए.. वहाँ मैंने गार्ड को गाड़ी पार्क करने के लिए चाभी दी और माया से बोला- आप चलो.. मैं चाभी लेकर आता हूँ।

गार्ड ने कुछ ही देर में गाड़ी पार्क की और चाभी दे कर मुझसे बोला- साहब जी देर बहुत लगा दी आने में?

तो मैंने बोला- हाँ.. वो आंटी के किसी रिश्तेदार के यहाँ पार्टी थी तो इसीलिए।

अब ये तो कह नहीं सकता था कि हॉस्पिटल गया था किसी मरीज़ को देखने क्योंकि हम लोगों के कपड़े साफ़ बता रहे थे कि हम किसी पार्टी या मूवी देखने गए थे।

खैर.. मैंने उससे चाभी ली और कमरे की तरफ चल दिया।
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अन्दर जाते ही पहले मेन गेट को लॉक किया और माया को आवाज़ दी- माया कहाँ हो तुम?

तो बोली- मैं रसोई में हूँ।

तो मैंने बोला- अब वहाँ क्या कर रही हो?

बोली- अरे तेरे साथ-साथ मुझे भी अब चाय का चस्का लग गया है और सर भी भारी-भारी सा लग रहा है.. तो मैंने सोचा चाय पी ली जाए।

मैंने भी बोला- चलो अब इस घर में भी मेरी आदतों को ध्यान में रखने वाला कोई हो गया है।

मैं मन ही मन खुश हो गया.. फिर मैंने सोफे पर रखे बैग से अपना लोअर निकाला और सारे कपड़े उतार कर सिर्फ टी-शर्ट और लोअर में आ गया।

अब मेरे बदन पर मात्र तीन ही कपड़े थे लोअर.. हाफ टी-शर्ट और वी-शेप की चड्डी..

फिर मैंने उससे पूछा- कार की चाभी कहाँ रखनी है?

तो बोली- अरे टीवी के नीचे वाली रैक में डाल दो।

मैंने चाभी रखी और टीवी ऑन करके टीवी देखने बैठ गया।

तभी मेरी माँ का फोन आ गया.. मैंने रिसीव किया तो बोलीं- खाना वगैरह खा लिया?

तो मैंने बोला- हाँ माँ.. बस अभी ही खाया है.. वैसे इतनी रात को क्यों फोन किया?

तो बोलीं- बस ऐसे ही तेरे हाल लेने के लिए।

मैंने बोला- माँ इतनी फिक्र मत किया करो.. मैं यहाँ बिल्कुल अपने घर की तरह से ही रह रहा हूँ।

इतने में माया आ गई और चाय देते हुए बोली- अरे विनोद से बात हो रही है क्या?

तो मैं बोला- नहीं मेरी माँ से..

माया ने बोला- अरे मुझे भी बात करवाओ..

तो मैंने उनको फोन दिया और अब बस माया की ही आवाज़ सुन रहा था।

वो बोल रही थी- अरे भाभी जी, आप बिल्कुल चिंता न करें.. इसे भी घर ही समझें.. पर एक बात बताइए.. क्या ये चाय बहुत पीता है?

फिर शांत हो गई..

अब माँ ने जो भी बोला हो..

फिर माया बोली- अरे कोई नहीं जी.. इसी बहाने मैं भी पी लेती हूँ।

वो झूट ही बोल गई.. मुझे भी चाय पीने का शौक है.. इसलिए पूछा।

फिर कहने लगी- वैसे भी कल से इसे मिस करूँगी.. मेरे बच्चे इतना चाय नहीं पीते.. तो मुझे कोई कंपनी देने वाला नहीं मिलेगा।

उधर से माँ ने कुछ कहा होगा।

‘अच्छा भाभी जी अब हम रखते हैं।’

फिर माया ने फोन जैसे ही कट किया.. तो मैंने उसे बाँहों में भर कर चुम्बन करते हुए बोलने लगा- झूठी.. माँ से झूठ क्यों बोली.. मुझे भी चाय पसंद है?
तो बोली- अरे तो उनसे क्या कहती.. अपने राजाबाबू से सीखी हूँ..

यह कहते हुए उसने आँख मार कर लिपलॉक करके मेरे होंठों को जी भर कर चूसने लगी और मैं भी उसके चूचों को कपड़ों के ऊपर से मसलने लगा.. जिससे उसकी ‘आह्ह्ह्हह्ह’ निकलने लगी और साँसे भी गति पकड़ने लगीं।

वो मुझसे बोली- जान श्ह्ह्ह्ह इतनी तेज़ से न भींचा करो.. दु:खता है..

फिर वो मुझसे अलग हुई तो मैंने लपक कर उसके हाथों को पकड़ा.. तो बोली- रुको.. पहले कपड़े बदल लूँ और विनोद से भी बात कर लूँ.. फिर हम अपनी लीला में मन को रमायेंगे।

तो मैंने भी उसके बालों के क्लचर को खोल दिया और उसके सर को पकड़ कर गर्दन पर चुम्बन करने लगा।

जिससे माया आंटी का पारा चढ़ने लगा और वो ‘श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. बस.. बस्स्स्स्स.. आआह.. रुको भी..यार एक तो पहले ही आग लगी हुई है.. तुम और हवा दे रहे हो.. कपड़े चेंज कर लेने दो.. नहीं तो अगर ख़राब हुए तो रूचि को बहुत जवाब देने पड़ेंगे..’

तो मैंने बोला- ये उसके कपड़े हैं?

बोली- नहीं.. पर मुझे इस तरह की ड्रेस वही दिलाती है.. प्लीज़ अब जाने दो.. बस 5 मिनट और मैं यूँ गई और आई.. तब तक तुम विनोद से हाल-चाल लो ताकि ज्यादा वक्त खराब न हो.. मैं बस अभी आई..

यह कहते हुए मेरे गालों पर चुम्मा लेते हुए चली गई।

मैं मन ही मन बहुत खुश था कि आज मेरी एक अनचाही इच्छा भी पूरी होने वाली है।

तभी फिर मैंने ख्यालों से बाहर आते हुए विनोद को कॉल लगाई तो उधर से रूचि ने फोन उठाया और मेरे बोलने के पहले ही.. वो फ़ोन उठाते ही बोलने लगी- मम्मा आई मिस यू सो मच.. लव यू अभी मैं आपकी ही याद करके फोन मिलाने जा रही थी..

फिर जब वो शांत हुई तो कुछ देर मैं भी नहीं बोला.. तो वो हैलो.. हैलो.. करने लगी।

तो मैंने ‘उम्म्महह उम्म्ह्ह्ह्ह्ह’ करके हल्का सा खांसा.. तो वो समझ गई कि उसने क्या किया..

तो बोली- अरे सॉरी.. मैंने सोचा माँ हैं।

‘हम्म..’

‘और आप भी कुछ नहीं बोले..’

तो मैंने बोला- अरे तुमने तो मौका ही नहीं दिया.. वर्ना मैं भी कुछ बोल देता।

तो बोली- अरे सॉरी मैं तो भूल ही गई थी कि आप भी हो..

मैंने भी उसे छेड़ते हुए हिम्मत करके बोल ही दिया- आज कुछ सुनकर मन बहुत खुश हो गया..

तो बोली- ऐसा मैंने क्या बोल दिया?

मैंने पूछा- चल छोड़.. ये बताओ विनोद कहाँ है?

तो बोली- अरे भाई तो कोच और प्लेटफॉर्म पता करने गए हैं.. पर आप बताओ न मैंने ऐसा क्या बोल दिया.. जिससे आप को ख़ुशी हुई?

तो मैंने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए बोल ही दिया- तुम्हारे मुँह से ‘आई लव यू’ सुनकर..

तो वो बोली- मैंने अपनी माँ के लिए बोला था।

मैंने बोला- होगा माँ के लिए ही सही.. पर तुम्हारे ये शब्द मेरे दिल में घर कर गए.. आई लव यू रूचि..

तो बोली- अरे ये कैसे हो सकता है.. आप मेरे भाई जैसे हो..

और वो या मैं कुछ बोलता कि इधर माया आ गई और उधर विनोद…

फिर मैंने विनोद से ट्रेन की डिटेल पूछी और ‘हैप्पी जर्नी’ बोल कर माया को फोन दे दिया।

फिर माया विनोद से बात करने लगी और इधर मेरे दिल में उसकी बेटी की प्यारी सी फीलिंग ने हलचल सी मचा रखी थी.. चड्डी के अन्दर ही मेरा लौड़ा उसकी जवानी को महसूस करके फड़फड़ाने लगा था.. जिसे माया बहुत गौर से देख कर मुस्कुरा रही थी.. पर उसे क्या मालूम कि ये किसकी जवानी का करेंट है।

फिर माया ने बोला- अच्छा जब ट्रेन में बैठ जाना.. तो फोन करना ओके..

माया ने फोन काट दिया और मेरे पास आकर मेरे सामान को पकड़ते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी।

जैसे उसे मेरे होंठों में शहद का रस मिल रहा हो.. फिर मैं भी उसके होंठों को उसी तरह चूसते हुए अपनी बाँहों में दबोच लिया।

यार कहो चाहे कुछ भी माया में भी एक अजीब सी कशिश थी।

उसका बदन मखमल सा मुलायम और इतना मादक था कि कोई भी बिना पिए ही बहक जाए.. इस समय उसने क्रीम कलर का बहुत ही हल्का और मुलायम सा गाउन पहन रखा था।

उसकी पीठ पर सहलाते समय ऐसा लग रहा था जैसे कि उसने कुछ पहना ही न हो।

उसको मैं अपनी बाँहों में कस कर जकड़ कर जोर-जोर से उसके होंठों का रस चूसने लगा।

उसकी कठोर चूचियाँ मेरे सीने से रगड़ कर साफ़ बयान कर रही थी कि आज वो भी परिंदों की तरह आज़ाद हैं.. इसी मसली-मसला के बीच एक बार फिर से फ़ोन की घंटी बजी।

माया ने विनोद की काल देख कर तुरंत ही फोन रिसीव किया।

शायद वो लोग ट्रेन में बैठ चुके थे। यही बताने के लिए फोन किया था.. पर उसके फ़ोन पर बात करते समय मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसकी जुल्फों को एक तरफ करके.. उसकी गर्दन पर चाटते हुए चूमे जा रहा था.. जिससे माया की आवाज़ में कंपकंपी और आँखें बंद होने लगी थीं।

तभी माया अचानक बोली- अरे क्या हो गया..?

तो मैं भी रुक गया कि पता नहीं क्या हो गया.. उधर विनोद क्या बोल रहा था मुझे नहीं मालूम.. पर तभी माया बोली- मना करती हूँ.. ज्यादा उलटी-सीधी चीज़ न खाया करो.. लेकिन तुम लोग मानते कहाँ हो.. खैर जब रूचि आ जाए.. तो बात कराना..

ये कह कर उसने फोन काट दिया और मेरे पूछने पर माया ने बताया- रूचि को उलटी आने लगी है.. उन लोगों ने चाउमिन खाई थी.. जो कि शायद उसे सूट नहीं की..

मैंने पूछा- अब कैसी है?

तो बोली- अभी वो ट्रेन के वाशरूम में है.. आएगी तो फोन करेगी।

फिर मैंने उसे बोला- अरे कोई बात नहीं.. कभी-कभी हो जाता है.. कोई बड़ी बात नहीं.. इसी बहाने उसका पेट भी साफ़ हो गया।

ये कहते हुए मैंने उसके गले में हाथ डाला और कमरे की ओर चल दिया।

माया मेरी पीठ सहलाते हुए बोली- क्या बात है.. आज बड़े मूड में लग रहे हो?

तो मैंने उसकी गांड दबाते हुए बोला- अरे आज मेरी ये इच्छा जो पूरी होने जा रही है..

तो माया बोली- अरे तेरी इस ख़ुशी के आगे ये तो कुछ भी नहीं है.. मैं तो अब तुम्हें इतना चाहने लगी हूँ कि मैं तेरे लिए कुछ भी कर सकती हूँ.. राहुल आई लव यू सो मच..

फिर मैंने उसके पीछे खड़े होकर उसकी गर्दन आगे की ओर झुकाई और उसकी रेशमी जुल्फों को उसके कंधों के एक तरफ करके आगे की ओर कर दिया और फिर उसके पीछे से ही खड़े होकर गर्दन पर चुम्बन करते हुए अपने हाथों को उसके बाजुओं के अगल-बगल से ले जाकर.. उसके मम्मों को सहलाते हुए रगड़ने लगा।

मेरी इस हरकत से माया के अन्दर अजीब से नशे की लहर दौड़ गई और वो अपनी आँखें बंद करके अपने होंठों को दातों से चबाते हुए मदहोशी में सिसियाते हुए लड़खड़ाती आवाज़ में बोलने लगी- श्ह्ह्ह ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म.. जानू आई लव यू..
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मैं लगातार यूँ ही उसकी चूचियों को रगड़ते हुए उसके नुकीले टिप्पों को मसले जा रहा था और जिससे उसकी आवाजों में मादकता के साथ-साथ कम्पन भी बढ़ने लगा था।
उसी अवस्था में उसने अपना हाथ पीछे की ओर ले जाकर मेरे तने हुए लौड़े पर रख दिया और उस सहलाते हुए अपने सर को थोड़ा बाएं मोड़ कर मेरे माथे पर चुम्बन जड़ दिया।

उसकी इस क्रिया के जवाब में मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर लगा दिया और एक बार पुनः एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे।

इतना आनन्द आ रहा था दोस्तो.. जिसकी कल्पना करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।

उसके मुख से लगातार ‘उम्म्म फच उम्म्म्म्’ के नशीले स्वर निकल रहे थे और माया अपने हाथों से मेरे लौड़े को सहलाते हुए अपनी गांड के छेद पर दबा कर रगड़ रही थी..
जिससे ऐसी अनुभूति हो रही थी कि मानो मेरे लौड़े से कह रही हो- जान आज तेरा यही घर है.. कर ले जी भर के अपनी इच्छा पूरी.. मैं तैयार हूँ.. तेरी इस दर्द भरी ठुकाई के लिए।

फिर मैंने उसके बदन की सुलगती आग को महसूस करते हुए उसके मम्मों को सहलाते हुए अपने हाथों को उसके आगे किए और रसीले मम्मों को ऊपर-नीचे सहलाते हुए उसके बदन से खेलने लगा।
साथ ही मैं उसके कानों के बीच में चुम्बन करते हुए कान के निचले हिस्से को भी दांतों से रगड़ने लगा.. जिससे माया के बदन में सिहरन दौड़ने लगी।

वो अपना काबू खो कर मेरे लौड़े को सख्ती के साथ भींचने लगी.. जिससे मेरा भी जोश बढ़ गया और मैं उसकी गर्दन में अपने होंठों को गड़ा कर चूसने लगा।

मेरे इस वार को माया बर्दास्त न कर सकी और अपनी चूत की सब्र का बांध तोड़ते हुए, ‘अह्ह्ह आआह्ह्ह शह्ह्ह..’ की आवाज़ के साथ अपनी गांड को मेरे लौड़े पर दबाते हुए अपनी पीठ को मेरे सीने से चिपका कर अपनी गर्दन दाएं-बाएं करने लगी।

दोस्तों इस अद्भुत आनन्द की घड़ी में मैंने महसूस किया जैसे मैं बिना पंख के ही आसमान में सबसे तेज़ उड़ रहा हूँ।

मुझे भी होश न रहा और मैं बिना लोअर उतारे ही उसकी गांड मैं लण्ड रगड़ते हुए झड़ गया।

जब मुझे मेरे ही वीर्य की गर्म बूंदों का अहसास मेरी जाँघों पर हुआ.. तो मुझे होश आया और तब मुझे अहसास हुआ कि कोई इतना भी बहक सकता है।

और ऐसा हो भी क्यों न.. जब माया जैसी काम की देवी साथ हो।

मैं भी झड़ने के बाद कुछ देर बाद तक उसके कंधे पर सर रख कर उसके अपने होंठों से सटे गाल पर चुम्बन करते हुए उसके चूचों को प्यार से मसले जा रहा था और मेरे मुख से ‘उम्म्म्म चप्प-चप्प’ के साथ बस यही शब्द निकल रहे थे, ‘जानू आई लव यू.. आई लव यू सो मच..’

जिससे माया के बदन की आग फिर से दहकने लगी और वो भी अपने होंठों को मेरे होंठों में देकर कहते हुए बोलने लगी, ‘आई लव यू टू.. आई लव यू टू.. जान मेरा सब कुछ तुम्हारा ही तो है.. ले लो अपनी जानू की जिंदगी का रस.. आज तो मज़ा आ गया.. ऐसी घड़ी आज के पहले मेरे जीवन में कभी न आई..’

ये कहते हुए उसने अपना हाथ फिर से पीछे ले जाकर मेरे लौड़े पर रख दिया। वो हाथ रखते ही बोली- अरे ये क्या आज तुम भी भावनाओं के सागर में बह गए क्या..?

तो मैंने बोला- अरे तुम हो ही मज़ेदार और सेक्सी.. जो किसी का भी लौड़ा बस देखकर ही बहा दो..

तो माया किलकारी मारकर हँसते हुए बोली- जानू आई लव यू.. बस मैं तुम्हारी इसी अदा पर ही तो फ़िदा हूँ.. तुम साथ में जीने का कोई भी मौका नहीं गंवाते हो।

यह कहते हुए वो मेरी ओर घूमी और अपने होंठों को मेरे होंठों से गड़ा कर मेरी पीठ पर अपने हाथों को चींटी की तरह धीरे-धीरे चलाते हुए मेरी टी-शर्ट के निचले सिरे पर पहुँच गई।
वो पीछे से अपने हाथों को मेरे शर्ट के अन्दर डालते हुए उसे ऊपर धीरे-धीरे उठाने लगी।

मैं अपनी आँखों को बंद किए हुए उसे चूमने-चाटने में इतना मदहोश था कि मुझे तब होश आया जब उसने मेरी टी-शर्ट को निकालने में थोड़ी ताकत का प्रयोग किया।

ये सोचकर आज मैं बहुत हैरान था कि क्या ऐसा भी होता है कि इंसान इतना खो जाता है कि उसे होश ही नहीं रहता है कि उसके साथ क्या हो रहा है।

फिर टी-शर्ट निकालने में मैंने उसका सहयोग करते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा लिया।

पर आज माया अपनी जवानी के नशे में मुझे खा जाने के मूड में थी।

अब आप लोग सोच रहे होंगे ऐसा क्या किया माया ने.. तो बता दूँ उस वक़्त वो मेरे होंठों को तो चूस नहीं सकती थी.. पर मेरी नंगी छाती जो कि अब उसके हवाले थी.. उसे वो प्यार से अपनी जुबान से चाटते हुए चूमने लगी थी।

और मेरी टी-शर्ट के उतरते ही माया ने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और मेरे बदन की गर्माहट अपने शरीर में महसूस कराने लगी।

अब वो दाईं ओर अपना मुँह करके बंद आँखों से अपने सर को मेरे कंधे पर टिका कर.. राहत भरी सांस भरने लगी.. जैसे मेरे बदन की गर्माहट उसकी दुखती रगों को सेक रही हो।

मैंने भी उसकी पीठ को धीरे-धीरे प्यार से सहलाना शुरू किया और बोला- थक गई हो तो आराम कर लो।

मेरे इतना बोलते ही माया ने अपनी आँखें खोल दीं और प्यार भरी निगाहों से देखते हुए बोली- जान आई लव यू सो मच.. मुझे तुम्हारी बाँहों में बहुत सुख मिलता है.. मेरा बस चले तो मैं इन्हीं बाँहों में अपना सारा जीवन बिता दूँ।

फिर माया ने बारी-बारी से मेरे माथे को चूमा.. दोनों आँखों को चुम्मी ली.. फिर मेरे गालों के दोनों ओर चूम कर अपने होंठों से पुनः मेरे होंठों का करीब एक मिनट तक रसपान करती रही।

वो यूँ ही चूमते हुए धीरे-धीरे नीचे को बढ़ने लगी।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
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फिर वो मेरी गर्दन को अपने जीभ की नोक से सहलाने लगी.. जिससे मुझे असीम आनन्द प्राप्त हो रहा था।

फिर वो धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ते हुए मेरी छाती को चूमने लगी और निप्पलों को जुबान से छेड़ने लगी.. जिससे बदन में अजीब सा करेंट दौड़ गया और वो मेरे बदन के कम्पन को महसूस करते हुए पूछने लगी- राहुल कैसा लग रहा है?

तो मैंने कहा- बहुत ही हॉट फीलिंग आ रही है.. मज़ा आ गया।

फिर वो धीरे-धीरे मेरे निप्पलों को जुबान की नोक से छेड़ते हुए अपने हाथों को मेरे लोअर तक ले गई और चाटते हुए नीचे को बैठने लगी।

फिर जैसे ही उसने मेरी नाभि के पास चुम्बन लिया तो मेरे बदन में एक अज़ीब सी सिहरन हुई।

तो उसने मुस्कान भरे चेहरे से मेरी ओर देखा.. और शरारती अंदाज़ में आँख मारते हुए बोली- क्यों मज़ा आया न?

तो मैंने बोला- यार सच में.. इतना तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था।

फिर देखते ही देखते उसने मेरा लोअर मेरे पैरों से आज़ाद कर दिया और मेरी जांघों को रगड़ने लगी।

तो मैंने उसका सर पकड़ लिया और बोला- मेरी जान.. क्या इरादा है..?

तो बोली- इरादा तो नेक है.. बस अंजाम देना है।

फिर जैसे ही उसकी नज़र मेरी चड्डी के अन्दर खड़े लौड़े पर पड़ी तो उसकी आँखों की चमक दुगनी हो गई। उसने आव न देखा ताव.. मेरे लौड़े को चड्डी के ऊपर से ही अपने मुँह में भरकर दाँतों को गड़ाने लगी और वो साथ ही साथ मेरी जांघों को हाथों से सहला रही थी।

उसकी इस प्रतिक्रिया पर मेरे मुँह से दर्द भरी मादक ‘आह्ह्ह ह्ह्ह्ह’ निकालने लगी।

मैंने उसके सर को मजबूती से पकड़ कर अपने लौड़े पर दाब दिया..

जो आनन्द मुझे मिल रहा था उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है क्योंकि शब्दों में बयान किया तो उस आनन्द की तौहीन होगी।

फिर उसने मेरी चड्डी को अपने दाँतों से पकड़ कर नीचे सरकाया जैसे ही मेरा लण्ड गिरफ्त से बाहर आया तो उसने आते ही माया के माथे पर सर पटक दिया।

मानो कह रहा हो- तुस्सी ग्रेट हो तोहफा कबूल करो।

फिर उसने चड्डी को मेरे जिस्म से अलग कर दिया।

अब मैं उसके सामने पूर्ण निर्वस्त्र खड़ा था और वो उसी गाउन में नीचे झुकी बैठी थी.. जिससे उसके अनार साफ झलक रहे थे।

फिर उसने मेरे लौड़े को मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह उसे चूसने लगी.. जिससे मेरा आनन्द दुगना हो गया और मेरे मुँह से मादक भरी- श्ह्ह्ह ह्ह्ह आआआअह्ह्ह श्ह्ह्ह ह्हह्ह !!

सीत्कार निकालने लगी और मैंने आनन्द भरे सागर में गोते लगाते हुए उसके सर को अपने हाथों से कस लिया।

इसके पहले वो कुछ समझ पाती.. मैंने उसके सर को दबा कर अपने लौड़े को जड़ तक उसके मुँह में घुसेड़ कर उसके मुँह को जबरदस्त अपनी कमर को उचका-उचका चोदने लगा।

मेरे इस प्रकार चोदने से माया की हालत ख़राब हो गई। उसके मुँह के भावों से उसकी पीड़ा स्पष्ट झलक रही थी.. उसके होंठों के सिरों से उसकी लार तार-तार होकर बहने लगी।

इतना आनन्दमयी पल था.. जिसको बता पाना कठिन है.. उसकी आँखों की पुतलियों में लाल डोरे गहराते चले जा रहे थे और उसके मुख से बहुत ही उत्तेजित कर देने वाली दर्द भरी सीत्कार ‘आआआह्ह्ह ह्ह्ह आआआउउउ उउउम्म्म्म्म गुगुउउउ’ की आवाजें बड़े वेग के साथ रुंधे हुए (रोते हुए) स्वर में निकली जा रही थीं।

मैं बिना उसकी इस दशा की परवाह किए.. बस उसे चोदे जा रहा था.. और जब कभी उसके दांत मेरे लौड़े पर रगड़ जाते.. तो मैं उसके गाल पर तमाचा जड़ देता.. जैसा कि मैंने फिल्मों में देखा था।

जब मुझे यह अहसास हुआ कि अब मैं खुद को और देर नहीं रोक पाऊँगा.. तो मैंने उसके सर को पकड़ा और तेज़ स्वर में ‘आह्ह आआअह्ह्ह्ह आआह जानू.. बस ऐसे ही करती रहो.. थोड़ा और सहो.. मेरा होने वाला है बस..’ और देखते ही देखते मेरे वीर्य निकालने के साथ-साथ मेरी पकड़ ढीली हो गई।

और फिर माया ने तुरंत ही मेरे लौड़े से मुँह हटा लिया और खांसने लगी और सीधा वाशरूम चली गई।

मेरे इस तरह करने से उसे बहुत पीड़ा हुई थी और उसका मुँह भी दर्द से भर गया था, जिसे उसने बाद में बयान किया।

और सच कहूँ तो मुझे भी बाद में अच्छा नहीं लगा.. पर अब तो सब कुछ हो ही चुका था.. इसलिए पछताने से क्या फायदा..

पर कुछ भी हो ये तरीका था बड़े कमाल का.. आज के पहले मुझे लौड़ा चुसाई में इतना आनन्द नहीं मिला था।

फिर मैंने पास रखी बोतल उठाई और पानी के कुछ ही घूट गटके थे कि माया आई और दर्द भरी आवाज़ में बोली- राहुल आज तूने तो मेरे मुँह का ऐसा हाल कर दिया कि बोलने में भी दुखता है.. आआआह.. पता नहीं तुम्हें क्या हो गया था.. इसके पहले तुमने कभी ऐसा नहीं किया.. तुम्हें मेरी हालत देखकर भी तरस नहीं आया.. बल्कि चांटों को जड़कर मेरे गाल लाल करके.. दर्द को और बढ़ा दिया।

तो मैंने उससे माफ़ी मांगी और बोला- माया मुझे माफ़ कर दे.. मैं इतना ज्यादा कामभाव में चला गया था कि मुझे खुद का भी होश न था.. पर अब ऐसा दुबारा नहीं होगा।

मेरी आवाज़ की दर्द भरी कशिश को महसूस करके माया मेरे सीने से लग गई और बोली- अरे ये क्या.. माफ़ी मांग कर मुझे न शर्मिंदा करो.. होता है.. कभी-कभी ज्यादा जोश में इंसान बहक जाता है.. कोई बात नहीं मेरे सोना.. मेरे राजाबाबू.. आई लव यू.. आई लव यू..

यह कहते हुए वो मेरे होंठों को चूसने लगी और अभी मेरे लौड़े में भी पीड़ा हो रही थी जो कि मेरे जंग में लड़ने की और घायल होने की दास्तान दर्द के रूप में बयान कर रही थी।

एक अज़ीब सा मीठा दर्द महसूस हो रहा था.. ऐसा लग रहा था कि अब जैसे इसमें जान ही न बची हो।

फिर मैंने माया को जब ये बताया कि तुम्हारे दाँतों की चुभन से मेरा सामान बहुत दुःख रहा है.. ऐसा लग रहा है.. जैसे कि इसमें जान ही न बची हो.. अब मैं कैसे तुम्हारी गांड मार कर अपनी इच्छा पूरी कर पाउँगा और कल के बाद पता नहीं ये अवसर कब मिले.. मुझे लगता नहीं कि अब मैं कुछ और कर सकता हूँ.. ये तो बहुत ही दुःख रहा है।

तो माया ने मेरे लौड़े को हाथ से छुआ जो कि सिकुड़ा हुआ.. किसी सहमे से कछुए की तरह लग रहा था।

माया मुस्कुराई और मुझे छेड़ते हुए बोली- और बनो सुपर हीरो.. अब बन गए न जीरो.. देखा जोश में होश खोने का परिणाम..

और मुझे छेड़ते हुए मेरी मौज लेने लगी.. पर मेरी तो दर्द के मारे लंका लगी हुई थी.. तो मैंने झुंझला कर उससे बोला- अब उड़ा लो मेरा मज़ाक.. तुम भी याद रखना.. मुझे इतना दर्द हो रहा है और साथ-साथ अपनी इच्छा न पूरी हो पाने का कष्ट भी है.. और तुम हो कि मज़ाक उड़ा रही हो.. वैसे भी कल वो लोग आ जायेंगे.. तो पता नहीं कब ऐसा मौका मिले… तुमने तो इतनी तेज़ी से दाँतों को गड़ाया.. जिससे मेरी तो जान निकल रही है।

मैं बोल कर दर्द से बेहाल चेहरा लिए वहीं बिस्तर पर आँख बंद करके लेट गया।

मेरे दर्द को माया सीरियसली लेते हुए मेरे पास आई और मेरे माथे को चूमते हुए मेरे मुरझाए हुए लौड़े पर हाथ फेरते हुए बोली- तुम इतनी जल्दी क्यों परेशान हो जाते हो?

तो मैंने बोला- तुम्हें खुराफात सूझ रही है और मेरी जान निकाल रही है।

वो मुस्कुराते हुए प्यार से बोली- राहुल तेरी ये जान है न.. इसमें जान डालने के लिए.. तुम अब परेशान मत हो.. अभी देखना मैं कैसे इसे मतवाला बनाकर एक बार फिर से झूमने पर मज़बूर कर दूंगी।

और मैं कुछ बोल पाता कि उसके पहले ही उसने अपने होंठों से मेरे होंठ सिल दिए।
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हम कुछ देर यूँ ही एक-दूसरे को चूमते रहे..

फिर माया के दिमाग में पता नहीं क्या सूझा वो उठ कर गई और फ्रिज से बर्फ के टुकड़े ले आई।

यार सच कहूँ तो मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि ये सब क्या करने वाली है।

फिर उसने मेरे लंड को पकड़ कर उसकी अच्छे से सिकाई की..

यार दर्द तो चला गया पर बर्फ का अधिक प्रयोग हो जाने से वो सुन्न सा पड़ गया था।

मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे मतवाले हाथी को किसी ने मार दिया हो और अन्दर ही अन्दर बहुत डर सा गया था कि अब क्या होगा.. अगर इसमें तनाव आना ख़त्म हो गया.. तो क्या होगा?

मेरे चेहरे के चिंता के भावों को पढ़कर माया बोली- अरे राहुल क्या हुआ.. तुम इतना उलझन में क्यों लग रहे हो?

तो मैंने बोला- मेरा दर्द तो ठीक हो गया.. पर मुझे अब ये डर है कि इसमें जान भी बची है कि नहीं?

तो माया मुस्कुरा दी और हँसते हुए बोली- तुमने कभी सुना है.. ‘अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना..’ अब तुमने मेरे मुँह में जबरदस्ती सब कुछ किया.. तो तुम भुगत रहे हो.. पर अब जो मैं तुम्हारे दर्द को दूर करने के लिए कर रही हूँ.. उससे शायद मैं खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जा रही हूँ।

मैं उसकी बातों को सुनकर आश्चर्य में पड़ गया कि आखिर माया के कहने का मतलब क्या है.. सब कुछ मेरी समझ के बाहर था।

तो मैंने उससे बोला- साफ़-साफ़ बोलो.. कहना क्या चाहती हो?

बोली- अरे जान.. तुम्हें नहीं मालूम.. अगर बर्फ से सिकाई अच्छे से की जाए.. जब तक की लण्ड की गर्मी न शांत हो जाए और उसके बाद जो सेक्स करने का समय होता है.. वो बढ़ जाता है और अब तुम परेशान न हो.. परेशान तो मुझे होना चाहिए कि पता नहीं आज मेरा क्या होने वाला है.. और अब मुझे पता है कि इसमें कैसे तनाव आएगा.. पर मेरी एक शर्त है।

तो मैं बोला- क्या?

तो बोली- पहले बोलो कि मान जाओगे..

मैंने भी बोला- ठीक है.. मान जाऊँगा।

तो माया बोली- एक तो आज तक पीछे छेद में मैंने किसी के साथ सेक्स नहीं किया है.. तो तुम फिर से मेरे मुँह की तरह वहाँ जबरदस्ती कुछ नहीं करोगे और पहले मेरी चूत की खुजली मिटाओगे.. तुम्हें नहीं मालूम ये साली छिनाल.. बहुत देर से कुलबुला रही है..

तो मेरे दिमाग में भी एक हरकत सूझी कि बस एक बार किसी तरह माया मेरा ‘सामान’ खड़ा कर दे.. तो इसको भी बर्फ का मज़ा चखाता हूँ।

मैंने उससे बोला- ठीक है.. मुझे मंजूर है..

तो वो बर्फ ट्रे लेकर जाने लगी और बोली- अभी आई।

तो मैंने बोला- अरे ये ट्रे मुझे दे दो.. तब तक मैं इससे अपनी सिकाई करता हूँ।

वो मुझे ट्रे देकर चली गई।

अब आखिर उसे कैसे पता चलता कि उसके साथ अब क्या होने वाला है।

फिर कुछ ही देर में वो मक्खन का डिब्बा लेकर आ गई और बोली- जानू.. अब तैयार हो जाओ.. देखो मैं कैसे अपने राजाबाबू को अपने इशारे पर ठुमके लगवाती हूँ।

तो मैंने हल्की सी मुस्कान देकर अपनी सहमति जता दी।

अब बारी उसकी थी तो उसने अपने गाउन की डोरी खोली और उसे अपने बदन से लटका रहने दिया और फिर वो एक हलकी पट्टीनुमा चड्डी को दिखाते हुए ही मेरे पास आ गई और मेरे सीने से चिपक कर गर्मी देने लगी और मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे बदन पर हाथों को फेरने लगी..
जिससे मेरे बदन में प्रेम की लहर दौड़ने लगी।

उसकी इस क्रिया में मैंने सहयोग देते हुए और कस कर अपनी बाँहों में कस लिया.. फिर उसके होंठों को चूसना प्रारम्भ कर दिया।

देखते ही देखते हम लोग आनन्द के सागर में डुबकी लगाने लगे और फिर माया ने अचानक से अपना हाथ मेरे लौड़े पर रखकर देखा.. जो कि अभी भी वैसा ही था।

तो वो अपने होंठों को मेरे होंठों से हटा कर बोली- लगता है इसको स्पेशल ट्रीटमेंट देना होगा।

मैं बोला- कुछ भी कर यार.. पर जल्दी कर।

तो माया उठी और मुझे पलंग के कोने पर बैठने को बोला.. तो मैं जल्दी से उठा और बैठ गया।

मेरे इस उतावलेपन को देखकर माया हँसते हुए बोली- अरे राहुल.. अब होश में रहना.. नहीं तो यूँ ही रात निकल जाएगी.. फिर बाद में कुछ भी न कहना।

मैं बोला- यार वो एक बार हो गया… अब ऐसे कभी नहीं करूँगा.. पर दर्द तो जरूर दूँगा.. जब तुझे दर्द में सिसियाते हुए देखता हूँ और तेरी दर्द भरी चीखें मेरे कानों में जाती हैं.. तो मेरा जोश और बढ़ जाता है.. पर अब दर्द देने वाली जगह पर ही दर्द दूँगा।

तो वो हँसते हुए बोली- बड़ा मर्द बनने का शौक है तुझे.. चल देखती हूँ कि तू कितना दर्द देता है.. मुझे भी तेरे दर्द देने वाली जगह पर दर्द देने में एक अजीब से प्यार की अनुभूति होती है.. जो कि मुझे तेरा दीवाना बनाए हुए है।

यह कहते हुए उसने मक्खन निकाला और मेरे लौड़े पर मलने लगी।

फिर ऊपरी सतह पर लगाने के बाद उसने थोड़ा मक्खन और निकाला और मेरे लौड़े की खाल को खींच कर सुपाड़े पर हल्के-हल्के नर्म उँगलियों का स्पर्श देते हुए मलने लगी।

मैंने ध्यान से देखा तो सुपाड़े का रंग गुलाबी न होकर कुछ कुछ बैंगनी सा हो गया था.. तो मैं चिंता में पड़ कर सोचने लगा कि ये गुलाबी से बैंगनी कैसे हो गया?

तो मेरे दिमाग में आया या तो यह चोट के कारण है.. या फिर बर्फ की ठंडक का कमाल है?

खैर.. अब सब कुछ मैंने माया पर छोड़ दिया था।

फिर उसने सहलाते हुए मेरे लौड़े को फिर से अपने मुख में ढेर सारा थूक भर कर ले लिया और अपने होंठों से मेरे लौड़े पर पकड़ मजबूत बना दी.. जिससे मुझे मेरे सामान पर गर्मी का अहसास होने लगा।
फिर कुछ देर यूँ ही रखने के बाद माया बिना होंठों को खोले अन्दर ही अन्दर मेरे लौड़े के सुपाड़े को चूसने लगी.. जैसे कोई हाजमोला की गोली चूस रही हो।

उसकी इस चुसाई से मेरे लौड़े में जगी नई तरंगें मुझे महसूस होने लगीं और समय के गुजरने के साथ साथ मेरा लौड़े ने फिर से माया के मुँह की गर्मी पाकर हिलोरे मारने शुरू कर दिए..
जिसे माया ने भी महसूस किया और मुझसे हँसते हुए बोली- अब होश मत खोना.. बस थोड़ा समय और दो.. देखो कैसे अभी इसे लोहे सा सख्त करती हूँ।

वो फिर से मेरे लौड़े को मुँह में भरकर चूसने लगी और चूसते हुए उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपनी दोनों चूचियों पर रख दिए।

मैंने उसके इस इशारे को समझ कर धीरे-धीरे उसके चूचे मसलने लगा और कुछ ही देर में मैंने महसूस किया कि मेरे लौड़े का हाल पहले ही जैसा और सख्त हो चुका था।

तो मैंने माया के मुँह से अपने लौड़े को निकला जो कि उसके थूक और मक्खन से सना होने के कारण काफी चमकदार और सुन्दर महसूस हो रहा था.. जैसे उस पर पॉलिश की गई हो।

अब सुपाड़ा भी अपने रंग में वापसी कर चुका था.. जो कि शायद बर्फ की ठंडक के कारण नीला सा हो गया था।

फिर धीरे से मैंने माया के माथे को चूमा और उसे ‘थैंक्स’ बोला.. तो बोली- अरे इसमें थैंक्स की क्या बात है.. ये तो सब चलता है.. और किसी का भी ‘आइटम’ इतनी जल्दी खराब नहीं होता.. तभी भगवान ने इसमें हड्डियां नहीं दीं..

ये कह कर वो हँसने लगी।

तो मैंने माया के कन्धों को पकड़ा और उसे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके दोनों हाथों को सर के ऊपर ले जाकर उसे चूमते हुए.. उसके मम्मों को भींचने लगा।

जबकि माया अभी तक इससे अनजान होते हुए बंद आँखों से मेरे होंठों का रस चूस रही थी.. उसे क्या पता की आज मैं उसे कौन सा दर्द देने वाला हूँ और फिर मैंने उसके हाथों पर थोड़ा पकड़ मजबूत की.. तो बोली- अरे हाथों को इतना न कसो.. दर्द होता है।

तो मैंने बोला- जानेमन.. अभी तो बहुत बोल रही थीं कि दर्द में मज़ा आता है.. अब क्या हुआ.. अब तू देखती जा.. तेरे साथ क्या होने वाला है।

तो मारे आश्चर्य के उसकी दोनों आँखें बाहर निकल आईं और बहुत सहमे हुए तरीके से बोली- अब कैसा दर्द देने वाले हो.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।

तो मैंने बोला- समझ जाओगी.. बस आँखें बंद करो और ऐसे ही लेटी रहो..

अब क्योंकि मैं उसके ऊपर था.. तो मैंने उसके ऊपर अपने शरीर का भार डाल दिया और डोरी को पहले आहिस्ते से पलंग की रैक को खींचने वाले छल्ले में बाँध दिया जिसमें कि पहले से ही लॉक लगा हुआ था।

जिसका माया को बिल्कुल भी अहसास न था कि क्या हो रहा.. बल्कि वो भूखी शेरनी की तरह वासना की आग से तड़पती हुई मेरी गर्दन और छाती को चूसने और चाटने में लगी हुई थी।

फिर मैंने धीरे से अपने पैरों को सिकोड़ लिया और उसकी छाती पर ही बैठ गया ताकि वो कुछ भी न कर सके।

वो जब तक कुछ समझ पाती.. मैंने उसके हाथों में रस्सी का फन्दा सा बनाकर मज़बूती से कस दिया और उसके ऊपर से हटकर उसके होंठों को चूसने लगा.. जिससे माया जो बोलना चाह रही थी.. वो बोल ही न सकी।

मैं इसी तरह निरंतर उसके होंठों को चूसते हुए उसके मम्मों को रगड़े जा रहा था जिसमें माया का अंग-अंग उमंग में भरकर नाचने लगा था।

तो मैंने सोचा.. अब मौका सही है.. अब ये कुछ मना नहीं करेगी।

मैंने उसके होंठों को आज़ाद करके जैसे ही उठा और बर्फ की ट्रे हाथों में पकड़ी.. वो तुरंत ही चीखकर बोली- अरे राहुल.. अब क्या करने वाले हो.. मुझे बहुत डर लग रहा है.. प्लीज़ पहले रस्सी खोलो.. आज हो क्या गया है तुम्हें..?

पर उसे क्या पता कि आज मैं उसे दर्द ही दर्द देने वाला हूँ।
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