दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

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jay
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Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

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फिर क्या था.. मैं भी माया को चोदने की इच्छा रखते हुए बेसब्री के साथ उस दिन का इंतज़ार करने लगा।

इसी इन्तजार में धीरे-धीरे हफ्ता हो गया।

इस बीच मेरी और माया की लगभग रोज ही बात होती थी और हम फ़ोन-सेक्स भी करते थे।

फिर एक दिन उसने मुझसे बोला- घर कल आना।

तो मैंने मना कर दिया और अपनी बात याद दिलाई कि जब घर पर कोई नहीं होगा.. तभी मैं आऊँगा।

तो वो बोली- नहीं.. तुम कल ही आओ.. तुम्हें मेरी कसम।

मैं अब क्या करता.. उनका दिल तो रखना ही था.. तो मैंने उन्हें आने को ‘हाँ’ बोल दिया।

दरअसल बात यह थी कि उनकी बेटी रूचि को बैंक का एग्जाम देने के लिए अगले दिन दूसरे शहर जाना था..

तो वो और विनोद दोनों अगले दिन सुबह 9 बजे ट्रेन से दो दिन के लिए जाने वाले थे.. जो मुझे नहीं मालूम था और माया मुझे सरप्राइज़ देने के लिए यह बात नहीं बता रही थी कि कल से वो 2 दिन के लिए घर पर अकेले ही रहेगी..

जो अगले दिन मुझे उनके घर जाने पर मालूम हुआ।

खैर.. जैसे-तैसे शाम हुई और मेरा मन उलझन में फंसता चला गया.. यह सोचकर कि अब कल क्या होगा..
मेरी इच्छा कल पूरी हो भी पाएगी या नहीं?

यही सोचते-सोचते कब रात हुई.. पता भी न चला।

मैं माया के ख्यालों में इस कदर खो जाऊँगा.. मुझे यकीन ही न था।

फिर मैंने अपने परिवार के साथ डिनर किया और सीधे अपने कमरे में जाकर आने वाले कल का बेसब्री के साथ इंतज़ार करते-करते कब आँख लग गई.. पता ही न चला।

फिर मैं सुबह उठ कर अच्छे से तैयार होकर ढेर सारे अरमानों को लिए उनके घर की ओर चल दिया।

मुझे क्या पता था कि आज मेरी इच्छा पूरी होने वाली है।

फिर थोड़ी ही देर में मैं उनके घर पहुँच गया.. तब तक मेरे फोन पर विनोद की कॉल आ गई।

मैंने उससे बात की.. तो मुझे उसने बता दिया- आज मैं और रूचि दो दिन के लिए दूसरे शहर जा रहे हैं.. तुम माँ के हालचाल लेते रहना.. अगर वो कोई मदद मांगें.. तो पूरी कर देना।

मैंने ‘ओके’ बोल कर फोन काट दिया और मन ही मन खुश हो गया।

अब आगे मैंने सोचा कि मुझे कुछ मालूम ही नहीं है.. मुझे अब ऐसी ही एक्टिंग करनी है।

देखते हैं… माया क्या करती है।

फिर मैंने दरवाजे की घन्टी बजाई…

तो थोड़ी देर बाद माया आई और उसने दरवाजा खोला।

जैसे ही दरवाजा खुला.. मेरा तो हाल बहुत ही खराब हो गया।
वो आज इतनी गजब की लग रही थी जो कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था।

बिल्कुल किसी एक्ट्रेस की तरह उसने आज काले रंग का अनारकली सूट पहन रखा था..
बालों को खोल कर हेयरपिन से बाँधा हुआ था..
जो कि उसकी सुंदरता को चार चाँद लगाने के लिए काफी थे।

शायद आंटी काफी फैशनेबुल थीं.. बाकायदा मेकअप वगैरह सब कर रखा था।
उन्हें देख कर लग ही नहीं रहा था कि ये 40 वर्ष की हैं और दो बच्चों की माँ है।
मैं तो उनको आँखें फाड़े देखता ही रहा।

फिर उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ते हुए.. मुझसे बोला- कहाँ खो गए?

तो मैं अपने आपको सम्हाल.. नहीं पाया मेरी हालत ऐसी हो गई.. जैसे मैं अभी नींद से जागा हूँ…
मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मेरा नया फ़ोन जो कि मेरी बर्थ-डे पर मेरे पापा ने गिफ्ट किया था… अचानक गिर गया.. जिससे उसका डिस्प्ले ख़राब हो गया, पर मैंने मन में सोचा होगा कि इसे तो बाद में देखेंगे और जेब में डाल लिया।

फिर उन्होंने मुझे अपने कमरे में जाने को बोला और खुद चाय के लिए रसोई की तरफ चल दी।

तो मैंने बोला- यहीं पर ही बैठता हूँ.. कोई आ गया तो मैं क्या बोलूँगा?

तो वो हँसती हुई बोली- तू डरता क्यों है.. कोई नहीं है घर पर…

जो कि अब मुझे पता था.. पर मैं नाटक कर रहा था।

फिर उन्होंने बोला- अब अन्दर जा.. मैं चाय ले कर आती हूँ।

फिर मैं अपनी दबी हुई ख़ुशी के साथ उनके कमरे की ओर चल दिया..

जहाँ मैंने देखा काफी अच्छा और बड़ा सा डबल-बेड पड़ा था.. उस पर डनलप का गद्दा और अच्छी सी कॉटन की चादर बिछी हुई थी..
काफी अच्छा कमरा था। फिर बिस्तर के बगल वाली टेबल पर बड़ा सा शीशा लगा था.. टेबल पर जैतून के तेल की बोतल देख कर मैं समझ गया कि बेटा राहुल आज तेरी इच्छा जरूर पूरी होगी।

फिर मैं उनके बिस्तर पर बैठ कर गहरी सोच में चला गया.. थोड़ी देर बाद माया आई और मुझे चाय देकर मेरे बगल में ही सट कर बैठ गई.. जिससे उसके बदन की मादक महक मुझे तड़पाने लगी।

उसके बदन की गर्मी से मेरा मन विचलित हो गया.. जिससे मेरा लंड कब खड़ा हुआ.. मुझे पता ही न चला।

फिर मैंने उसके चेहरे की ओर देखा तो वो हँसते हुए मुझे घूरे जा रही थी।

तो मैंने बोला- तड़पा तो चुकी हो.. अब क्या मारने का इरादा है?

इस पर वो मेरे मुँह पर ऊँगली रखते हुए बोली- ऐसा अब मत बोलना.. क्योंकि जिससे प्यार होता है.. उसे कभी मारा नहीं जा सकता।

इतना कह कर वो अपने मुलायम मखमली होंठों को मेरे होंठों पर रख कर चूसने लगी।

मैं और वो दोनों कम से कम 10 मिनट तक एक-दूसरे को यूं ही चूमते रहे।

फिर मैंने उससे अलग होते हुए कहा- आज नहीं.. कहीं कोई आ गया तो गड़बड़ हो जाएगी।

तो माया ने किलकारी मार कर हँसना चालू कर दिया। मुझे तो मालूम था पर फिर भी मैंने पूछा- इतना हंस क्यों रही हो?

तो वो बोली- आज और कल तुम चिल्लाओगे तो भी कोई नहीं आने वाला।

क्योंकि मुझे तो पहले ही मालूम था अंकल आने से रहे और मेरा दोस्त अपनी बहन को साथ लेकर दूसरे शहर गया..
फिर भी मैंने ड्रामा करते हुए उनसे पूछा- सब लोग कहाँ है?

तो उन्होंने मुझे बताया- विनोद रूचि को एग्जाम दिलाने गया है।

मैंने उनसे बोला- आपने मुझे कल क्यों नहीं बताया?

तो वो बोली- मैं तुम्हें सरप्राइज़ देना चाहती थी।

फिर मुझसे लिपट कर मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख कर चूमने लगी।

क्या मस्त फीलिंग आ रही थी.. मैं बता ही नहीं सकता.. मैं तो जन्नत की सैर पर था। फिर मैं भी उसके पंखुड़ियों के समान कोमल होंठों को धीरे-धीरे चूसने लगा हम एक-दूसरे को चूसने में इतना खो गए कि हमें होश ही न रहा।

करीब 20 मिनट की चुसाई के बाद मैंने उनके शरीर पर होंठों को चूसते हुए हाथ चलाने चालू किए.. जिससे वो और बहकने लगी और मेरे होंठों को चूसते-चूसते काटने लगी।

फिर उसने एकदम से मुझे अलग किया और बोली- तुम मुझे बहुत पसंद हो.. आज हर तरह से मुझे अपना बना लो और मुझे जिंदगी का असली मज़ा दे दो… मैं इस मज़े के लिए बहुत दिनों से तड़प रही हूँ.. अब मुझे अपना बना लो.. मेरे जानू..

उसने अपनी कुर्ती को उतार दिया और मुझसे बोली- तुम भी अपने कपड़े उतार दो.. आज हम बिना कपड़ों के ही रहेंगे।

फिर उसने अपनी सलवार भी उतार दी और तब तक मैं भी अपने सारे कपड़े उतार चुका था। अब मैं और माया सिर्फ अंडरगार्मेंट्स में थे। मैं उसके बदन का दीवाना तो पहले से ही था, पर आज जब उसे इस अवस्था में देखा तो देखता ही रह गया।

क्या गजब का माल लग रही थी वो..

उसका शरीर किसी मखमली गद्दे की तरह मुलायम लग रहा था और उसकी आँखें बहुत ही मादक लग रही थीं.. जिसे देख कर कोई भी उसका दीवाना हो जाता।

फिर माया मेरे पास आई और मेरे गालों को प्यार से चूमते हुए कहने लगी- यह हकीकत है.. मेरे राजा ख्वाबों से बाहर आओ..

फिर हम दोनों एक-दूसरे को फिर से चूमने लगे।

यह मेरा पहला मौका था जब मैंने किसी महिला को इतनी करीब से देखा था.. मेरे तो समझ के बाहर था कि मैं क्या करूँ।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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फिर मैं और वो एक-दूसरे को चुम्बन करते-करते बिस्तर की तरफ चले गए और मैं उसको बिस्तर पर आहिस्ते से लिटा कर उसके बगल में लेट गया।

अब उसकी आँखों में चुदाई का नशा साफ़ दिखने लगा था।

मैंने धीरे से उसके बालों की लटों को सुलझाते हुए उसके सर को सहलाना चालू किया और उसके होंठों का रसपान करने लगा..
जिससे उसके शरीर में सिहरन पैदा हो गई..
मानो कामदेव ने हज़ारों काम के तीरों से उसके शरीर को छलनी कर दिया हो।

इधर मेरा भी लौड़ा एकदम हथौड़ा बन चुका था जो कि उनकी जांघ पर रगड़ मार रहा था।

मैंने धीरे से उसको इशारे में ब्रा खोलने को बोला..

तो वो समझ गई और सीधे लेट कर अपनी पीठ उचका ली ताकि मैं आसानी से ब्रा का हुक खोल सकूँ।

फिर मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल कर उसके शरीर से उस काले रंग की ब्रा को अलग कर दिया और उसके उठे हुए मस्त चूचे जो बहुत ही मदमस्त करने वाले थे.. उनको हाथों में लेकर दबाने लगा.. मसलने लगा..

मम्मों पर मेरे हाथों का दबाव इतना ज्यादा था कि उसकी मादक आवाज़ निकल गई।

‘आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. थोड़ा धीरे करो.. मैं कहीं भागी थोड़ी न जा रही हूँ..’

मैंने आराम से प्यार से उनके चूचों को रगड़ना और मसलना चालू किया..
जिससे वो भी मस्तियाने लगी और उसके मुँह से अजीब सी आवाजें निकलने लगीं- आआअह्हह्हह ऊऊह्ह्हुउउउउउउहु ऊऊओह्हह.. बहुत अच्छा लग रहा है.. राहुल ऐसे ही रगड़ डाल इन्हें.. आज तक ऐसा अनुभव कभी नहीं मिला है.. हाय.. जरा इनको मुँह से भी चूसो न.. रूचि के बाद से इसे किसी ने भी मुँह में ही नहीं लिया है..

मैंने यह सुनते हो उनके उरोजों को एक-एक करके मुँह से चूसना शुरू कर दिया।

क्या मखमली एहसास था.. कभी-कभी उनके चूचों के टिप्पों (निप्पलों) को चूसते-चूसते काट भी लेता.. जिससे माया के मुँह से ‘आअह’ निकल जाती और मुझे आनन्द आता।

मैंने इसी तरह उनको तड़पाना चालू कर दिया.. फिर वो भी मुझे बेतहाशा चूमने लगी।

मैंने और उन्होंने एक बार फिर से एक-दूसरे को लॉलीपॉप की तरह चूसने की प्रक्रिया दोहराई।

फिर मैं टेबल पर रखे जैतून के तेल की शीशी को लाया और उन्हें पेट के बल लेटने को बोला और उनकी पीठ पर ऊपर से नीचे की ओर तेल की बूँदें गिराईं।

उनकी कमर तक और फिर अपनी हथेलियों में भी थोड़ा सा तेल लगा कर उनकी पीठ पर मालिश करना चालू किया।

धीरे-धीरे मालिश करने से लड़कियां काफी मस्त जाती हैं और इससे चुदाई की आग भी बढ़ जाती है। यह आप चाहे कभी अज़मा कर देख लेना।

उसको मालिश में इतना मज़ा आ रहा था कि पूछो ही मत.. वो किसी मादा अज़गर की तरह बस आँखें बंद किए हुए.. मेरे कामुक स्पर्श का आनन्द ले रही थी।

फिर उसकी पीठ को चूमते हुए उसके कान में धीरे से बोला- जरा घूम जाओ.. पीछे हो गया। तब जा कर उन्होंने आँख खोली और मेरे गालों में पप्पी जड़ते हुए बोली- आज तक मैं ऐसे प्यार के लिए तड़प रही थी.. जो मुझे तुमसे मिल रहा है.. आई लव यू राहुल..

यह कह कर वो पीठ के बल लेट गई..

फिर मैंने उनके चूचों पर तेल डाला और थोड़ा सा नाभि के पास और थोड़ा हथेलियों में लेकर उनके चूचों की हलके हाथों से मालिश शुरू कर दी..
जिससे उसके मुँह से एक सिसकारी निकली- आआआहह आह आआअहह..
शायद वो मेरी मालिश से इतना कामातुर हो गई थी कि वो झड़ने लगी..
जिसका एहसास उनके हाथ व पैरों की अकड़ी नसों और पैन्टी के अगले हिस्से को देख कर लगाया जा सकता था..

लेकिन मैंने उन्हें यह एहसास नहीं होने दिया क्योंकि मैं उनके अन्दर की आग और भड़काना चाहता था ताकि वो खुद चिल्ला-चिल्ला कर भिखारी की तरह मुझसे लण्ड मांगें।

जब उसके शरीर की ऐंठन थोड़ी कम हुई तो उसने मेरे हाथों को पकड़ कर चूम लिया और बुदबुदाते हुए कहने लगी- राहुल, तुम्हारे हाथों में तो जादू है.. किसी को एक बार प्यार से छू लो तो वो तुम्हारी दीवानी हो जाए।

तो मैंने उन्हें चूमते हुए बोला- मेरी जान.. अभी तो बस तुम्हारा दीवाना बनने का दिल है.. तुम मुझे पहले दिन से ही बहुत पसंद थीं। मैं इस घड़ी के लिए कब से बेकरार था।
यह कहते हुए मैं उसकी जांघ की तरफ गया और थोड़ा सा तेल लेकर उसकी जांघों में मलने लगा.. जिससे उसका जोश दुगना हो गया और वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी।

‘अहा.. अम्मह… उम्माह… बस्स्स आहह..आहह.. ऐसे ही करते रहो.. अच्छा लग रहा है।’

फिर मैंने उसकी पैन्टी को बगल से पकड़ कर नीचे खींच दिया और उसकी फूली हुई चिकनी फ़ुद्दी को देख कर मन ही मन झूम उठा।

क्या क़यामत ढा रही थी.. एक भी बाल न था जो कि शायद आज ही मेरे लिए उसने साफ़ किए थे।

मैंने आव देखा न ताव और झट से उसके चिकने भाग को चूम लिया जिससे माया किलकारी मार कर हँसने लगी।

मैंने बोला- हँसो मत..

ऐसे हसीन पल को मैं हाथ से नहीं जाने दे सकता था इसलिए खुद को रोक नहीं पाया।
मैंने थोड़ा सा हाथों में तेल लिया और उसकी चूत की मालिश चालू कर दी..
जिससे पहले ही काफी तेल निकल चुका था।

धीरे धीरे मैं उसकी आग भड़काने के लिए उसके चूत के दाने को मसलने लगा.. जिसके परिणाम स्वरूप उसने आँखें बंद करके बुदबुदाना चालू कर दिया.. जो काफी मादक था और माहौल को रंगीन कर रहा था।

‘आआआईईस्स्सस्स.. और जोर से आअह्हह हाँ.. ऐसे ही आआआह्ह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है..’

वो एकदम से अकड़ कर फिर से झड़ गई उसके कामरस से मेरी ऊँगलियाँ भी भीग गई थीं जो मैंने उसकी पैन्टी से साफ़ कीं और फिर उसकी चूत को भी अच्छे से पौंछ कर साफ किया।

फिर वो जब शांत लेटी थी तो मैं ऊपर की ओर जाकर फिर से उसके चूचों को चूसने लगा जिससे थोड़ी देर बाद वो भी साथ देने लगी.. पर अब मेरी ‘आअह्ह्ह्ह’ निकलने की बारी थी जो कि मुझे मालूम ही न था। फिर धीरे से उन्होंने अपना हाथ बढ़ा कर मेरी वी-शेप चड्ढी को थोड़ा उठा कर किनारे से मेरे लण्ड महाराज को बाहर निकाल लिया।

मेरा लौड़ा पहले से ही सांप की तरह फन काढ़े खड़ा था।
उसको देखते ही उनके चेहरे की ख़ुशी दुगनी हो गई और बड़े प्यार के साथ वो मेरे लण्ड को मुठियाने लगी.. जिससे मुझे और उन्हें अब दुगना मजा आने लगा था।

फिर हम 69 की अवस्था में आ गए और वो मेरे लण्ड को छोटे बच्चों की तरह लॉलीपॉप समझ कर चूसने लगी और जीभ से रगड़ने लगी।
जिससे मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और मैं भी उनकी चूत को आइसक्रीम की तरह चूसने चाटने लगा।

जिससे दोनों चरमोत्कर्ष पर पहुँच गए और सारे कमरे में एक प्रकार का संगीत सा बजने लगा।
‘आआह्ह्ह ह्ह्ह अह्ह्ह…’

देखते ही देखते दोनों शांत हो गए.. माया को तो होश ही न था क्योंकि वो तीन बार झड़ चुकी थी.. जबकि मैं अभी एक ही बार झड़ा था।

बहुत से लोग समझते हैं कि लड़कियाँ देर से झड़ती हैं.. उनके लिए यह सन्देश है.. वो देर से नहीं झड़ती हैं.. अगर वो किसी के साथ आत्मबंधन में बंध कर सेक्स करती हैं, तो उन्हें चरमोत्कर्ष में पहुँचने में समय नहीं लगता है।

मैं उनके बगल में जाकर लेट गया और उन्हें अपनी बाँहों में भर कर प्यार करने लगा।
जिससे वो भी अपने आप को रोक न पाई और मुझे चूमते हुए बोलने लगी- राहुल आई लव यू.. आई लव यू.. आई लव यू.. मैंने इतना मज़ा पहले कभी भी न लिया था.. इस खेल में, पर तुम तो पूरे खिलाड़ी निकले.. कहाँ थे अभी तक…

वो पागलों की तरह मुझे चूमने और काटने लगी।
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फिर से चुम्बनों का दौर शुरू हो चला था जिससे हम दोनों ही मज़े से एक-दूसरे का सहयोग कर रहे थे.. जैसे हम जन्मों से प्यासे रहे हों।

अब मैंने भी समय को ध्यान में रखते हुए देर करना ठीक न समझा क्योंकि मुझे अपने घर से निकले तीन घंटे से ऊपर हो गए थे।

मेरे मन में यह चिंता सता रही थी कि घर वाले फ़ोन कर रहे होंगे जो स्विच ऑफ था..
पता नहीं वो कैसा महसूस कर रहे होंगे और मैं भी उन्हें फोन नहीं कर सकता था..

आंटी के घर से भी नहीं और मेरा तो पहले ही टूट चुका था..

तो मैंने घटनाक्रम को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें चुम्बन करते हुए उनके मम्मों को भी मसलना चालू किया और धीरे-धीरे उनका और मेरा जोश दुगना होता चला गया।

पता नहीं कब हम दोनों के हाथ एक-दूसरे के जननांगों को रगड़ने लगे..

जिससे एक बार फिर से ‘आह्ह ऊऊओह्ह ह्ह…’ का संगीत कमरे में गूंजने लगा।

मेरा लौड़ा अपने पूर्ण आकार में आ चुका था और उसकी चूत से भी प्रेम रस बहने लगा था।

तभी मैंने देर न करते हुए उनके ऊपर आ गया और उनके मम्मों को रगड़ते और चुम्बन करते हुए अपने लण्ड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा..
जिससे माया का जोश और बढ़ गया।

अब वो जोर-जोर से अपनी कमर हिलाते हुए मेरे लौड़े पर अपनी चूत रगड़ने लगी और अब वो किसी भिखारिन की तरह गिड़गिड़ाने लगी- राहुल अब और न तड़पा… डाल दे अन्दर.. और मुझे अपना बना ले..

उसके कामरस से मेरा लौड़ा पूरी तरह भीग चुका था।

फिर मैंने उसकी टांगों को उठाकर अपने कन्धों पर रख लीं, जिससे उसकी चूत का मुहाना ऊपर को उठ गया।

फिर अपने लौड़े से उसकी चूत पर दो बार थाप मारी.. जिससे उसके पूरे जिस्म में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई।

एक जोर से ‘आअह्ह्ह्ह्ह’ निकालते हुए वो मुझसे बोली- और कितना तड़पाएगा अपनी माया को.. डाल दे जल्दी से अन्दर..

तो मैंने भी बोला- माया का मायाजाल ही इतना अद्भुत है कि इससे निकलने का दिल ही नहीं करता।

मैंने उसके कानों पर एक हल्की सी कट्टू कर ली।

फिर मैंने उसकी चूत के मुहाने पर लौड़े को सैट करके हल्का सा धक्का दिया.. तो लण्ड ऊपर की तरफ फिसल गया।

शायद अधिक चिकनाई के कारण या फिर वो काफी दिन बाद चुद रही थी इसलिए..

फिर मैंने उसके मम्मों को पकड़ते हुए बोला- माया जरा मेरी मदद तो करो।

तो उसने मेरे लौड़े को फिर से अपनी चूत पर सैट किया और अपने हाथों से चूत के छेद पर दबाव देने लगी।

अब मैंने भी वक़्त की नजाकत को समझते हुए एक जोरदार धक्का दिया जिससे मेरा लौड़ा उसकी चूत की गहराई में करीब 2 इंच अन्दर जाकर सैट हो गया।

इस धक्के के साथ ही माया के मुँह से एक दर्द भरी आवाज़ निकल पड़ी- आअह्ह्ह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह ह्ह्हह्ह…

उसके चेहरे पर दर्द के भाव स्पष्ट दिखाई दे रहे थे..
तो मैंने उसके पैरों को कन्धों से उतार कर अपने दोनों ओर फैला दिए और झुक कर उसे चुम्बन करते हुए पूछने लगा- क्या हुआ जान.. तुम कहो तो मैं निकाल लेता हूँ.. हम फिर कभी कर लेंगे..

तो माया ने धीरे से अपनी आँखों को खोलते हुए प्यार भरी आवाज़ रुआंसे भाव लेकर मुझसे बोली- काश तुम्हारे जैसा मेरा पति होता.. जो मुझे इतना प्यार देता.. मेरी इज्जत करता.. मेरे दर्द को अपना दर्द समझता.. पर आजकल ऐसा नसीब वाले को ही मिलता है।

फिर मैंने अपनी बात दोहराई- चुदाई हम बाद में कर सकते हैं.. अभी तुमको दर्द हो रहा है.. मुझे क्या मालूम कि इस दर्द के बाद ही असली मज़ा आता है..
तो उन्होंने हँसते हुए बोला- अरे मेरे भोले राजा.. जब काफी दिनों बाद या पहली बार कोई लड़की या औरत लौड़ा अपनी चूत में लेती है.. तो उसे दर्द ही होता है.. फिर थोड़ी देर बाद यही दर्द मीठे मज़े में बदल जाता है और जिसकी चूत का पहली बार उदघाटन होता है.. उसको तो खून भी निकलता है.. किसी को ज्यादा या किसी को कम और एक बात और कभी कभी किसी के नहीं भी बहता है.. पर दर्द खून बहाने वाली लड़कियों की तरह ही होता है।

मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि मैं इस मामले में अनाड़ी जो था कि ‘एक्सपीरिएंस होल्डर’ के साथ चुदाई करने पर चलो कुछ तो ज्ञान प्राप्त हुआ..

मैं उनके चूचों को फिर से चूसने और रगड़ने लगा.. जिससे माया को फिर से आनन्द मिलने लगा।
‘आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआअह्ह्ह्ह्ह…’

वो सीत्कार की आवाज़ करते हुए अपनी कमर ऊपर को उठाने लगी और बोलने लगी- चल अब दूसरी पारी भी खेल डाल.. डाल दे अपने लौड़े को अन्दर तक..

तो मैंने भी अपने दिमाग और संयम का प्रयोग करते हुए लौड़े को धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा और बीच-बीच में थोड़ा अन्दर दबाव देकर लौड़े को अन्दर कर देता।

इस तरह मान लो कि जैसे बोरिंग की मशीन काम करती हैं।

उसी मशीन की तरह मैंने उनकी चूत की बोरिंग करते हुए अपने लौड़े को कब उनकी चूत की जड़ तक पहुँचा दिया.. उनको एक बार भी दर्द का अहसास न हुआ और अब तो वो मस्तिया कर कमर चलाने लगी।

जब मैंने यह महसूस किया कि अब मेरा लौड़ा माया की चूत में अपनी जगह बना चुका है तो मैंने भी गति बढ़ा दी..

मेरे गति बढ़ाते ही वो मेरी पीठ पर हाथ रगड़ने लगी- आअह्ह आआअह्हह्ह उउउह्ह्ह और जोर से श्ह्ह्ह्हीईईई.. बस ऐसे ही.. करते रहो जान.. बहुत दिनों से ये चूत प्यासी है.. आज बुझा दो इसकी सारी प्यास..

वो मेरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात करने लगी.. जिससे मेरा भी जोश बढ़ने लगा।

वो मेरी पीठ पर नाख़ून रगड़ रही थी.. जिसका पता मुझे बाद में चला।
उस समय मैं इतने आनन्द में था कि मुझे खुद अपना होश भी नहीं था। बस मैं हर हाल में उसे और खुद को चरम की ओर ले जाने में लगा हुआ था।

अब उसने अपने पैरों को मेरी कमर पर कस कर नीचे से गाण्ड उठा-उठा कर ठुकाई करवाना चालू दी थी। शायद वो फिर से झड़ने वाली थी।
‘हाआंणन्न् हाआआआआआ हाआआआआ राहुल ऐसे ही.. और तेज़ मेरा होने वाला है.. बस ऐसे ही करते रहो..’

वो सिसयाते हुए शांत हो गई और अपने पैरों को फिर से मेरी कमर से हटाकर मेरे दोनों और फैला दिया और आँखें बंद करके निढाल सी हो गई।
शायद इतने दिनों बाद इतना झड़ी थी.. जिसकी वजह से वो काफी रिलैक्स फील कर रही थी।
मैंने फिर उसके चूचों को जैसे ही छुआ तो उसने ऑंखें खोलीं और मेरी ओर प्यार भरी निगाहों देखते हुए कहने लगी- आई लव यू राहुल.. तुम न होते तो आज मैं इतना ख़ुशी कभी भी न प्राप्त कर पाती..

तो मैंने बोला- अब मुझे भी ख़ुशी दे दो.. मेरा भी होने के करीब है।

वो एक बार फिर से अपनी टांगों को उठाकर मेरा सहयोग देने लगी जिससे मेरा चरमोत्कर्ष बढ़ने लगा और मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा कर उनकी ठुकाई चालू कर दी।

उनके चूतरस से रस टपक कर उनकी जांघों के नीचे तक बह रहा था जिससे ‘फच्च-फच्च’ की आवाजें आने लगी और देखते ही देखते माया भी आनन्द के सागर में गोते लगाने लगी और दोनों ही बिना किसी की परवाह किए आनन्द के साथ सम्भोग का सुखद अनुभव लेते हुए मुँह से आवाज़ करने लगे- आआआआह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह इइइइइइस्स्स्स्स्स्स्स इस्स्स्स्स्स्स्स आआअह आआअह…

इसी के साथ मेरा और माया के प्रेम-सागर का संगम होने लगा।

मैं अपने वीर्य के निकलने के साथ ही साथ अपना शरीर ढीला करके माया की बाँहों में चिपक गया।
आज मुझे भी पहली बार बहुत आनन्द मिला था जो मुट्ठ मारने से लाख गुना बेहतर था।

मेरी और उसकी साँसें काफी तीव्र गति से चल रही थीं जिसे सामान्य होने में लगभग दस मिनट लगे।

फिर मैंने उसकी बंद आँखों में एक-एक करके चुम्मी ली और उसे प्यार करते हुए ‘आई लव यू’ बोला, जो माया को बहुत ही अच्छा लगा।

उसने मुझे फिर से अपनी बाँहों में जकड़ लिया और मुझ पर चुम्मों की बरसात करते हुए ‘आई लव यू.. आई लव यू.. आई लव यू.. बोलने लगी।

उसकी ख़ुशी का ठिकाना ही न रहा.. जैसे उसकी जन्मों की प्यास मैंने बुझा दी हो।

वो मुझसे चिपकते हुए कहने लगी- आज तक इतना मज़ा मुझे कभी नहीं आया.. जो कि मुझे सिर्फ और सिर्फ तुमसे ही मिला है.. मैंने अपने जीवन में सिर्फ दो ही के साथ सेक्स किया है.. एक मेरा पति और एक तुम..

तो मैंने उनसे बोला- अब इतना बोल ही चुकी हो तो रेटिंग भी दे दो।

उसने बोला- यार तेरा तो 10 में 10 है.. क्योंकि सम्भोग के दौरान पहली बार में दो बार झड़ी और उसके पहले 3 बार झड़ चुकी थी.. तुम में जरूर कोई जादू है और एक मेरा पति है जो सिर्फ ठुकाई से ही शुरू कर देता है.. मुझे अच्छा लग रहा है या नहीं.. इससे उसको कोई लेना-देना नहीं होता.. कभी-कभी तो मुझे कुछ भी नहीं हो पाता बल्कि मेरी चूत में जलन होने लगती है.. पर तेरे साथ तो आज सच में मज़ा आ गया.. अब वादा करो मुझे यूं ही हमेशा अपना बना कर रखोगे।

तो मैंने उनके माथे को चूमते हुए ‘हाँ’ बोल दिया..

फिर देखा तो हम लोग पिछले लगभग चार घंटों से एक-दूसरे को प्यार करने में लगे थे।

फिर मैं उठा और उसकी पैन्टी से अपने लण्ड को अच्छी तरह से पौंछ कर साफ़ किया।

फिर उसकी चूत की भी सफाई की.. जो कि हम दोनों के कामरस से सराबोर थी।

फिर मैं उठा और अपने कपड़ों को पहनने लगा तो आंटी मुझसे बहुत ही विनम्रता के साथ देखते हुए बोलीं- प्लीज़ आज यहीं रुक जाओ न..
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

Post by jay »



मैंने बोला- मैं अपने घर में क्या बोलूँगा.. इतनी देर से मैं कहाँ था? और अब मैं कहाँ रहूँगा रात भर.. आप तो इतनी बड़ी और 2 बच्चों की माँ हो.. आप मेरी मज़बूरी को समझ सकती हो.. मैं खुद तुम्हें छोड़ कर जाना नहीं चाहता.. पर क्या करूँ.. मेरे आगे भी मज़बूरी है प्लीज़.. इसे समझो आप कोई लड़की नहीं हो.. एक माँ भी हो.. आप एक माँ-बाप की फीलिंग समझ सकती हो।

तो वो अचानक उठकर बिस्तर से जैसे ही उतरी तो उसके पैरों में इतनी ताकत नहीं बची थी कि वे आराम से खड़ी हो सकें।
तो सीधे ही मेरे सीने पर आकर रुक गईं..

मैंने भी उसे संभालते हुए अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उसके होंठों पर होंठ रख कर उसके होंठों का रसपान करने लगा।

उसकी आँखों में एक अजीब सी कशिश थी… आज पहली बार मैंने किसी की आँखों में अपने लिए इतना प्यार और समर्पण देखा था।

उसकी आँखों में आंसू भर आए थे.. जो बस गिरना बाकी थे।

अचानक मेरे दिमाग में एक प्लान आया और मैंने उसे बताया- देखो, अगर तुम मेरे पेरेंट्स से अगर यहाँ रुकने के लिए बोलोगी.. थोड़ा कम अच्छा लगेगा, पर विनोद अगर मेरी माँ से बोलेगा तो ठीक रहेगा।

उसने झट से मेरी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिला दी तो मैंने बोला- ठीक आठ बजे विनोद को बोलना कि वो मेरे नम्बर पर काल करे तो में अपनी माँ से बात करा दूँगा। उसे बस इतना बोलना है कि मेरी माँ आज घर पर अकेली है तो आप राहुल को रात में घर में सोने के लिए भेज दें.. बस बाकी का मैं सम्हाल लूँगा।

इस पर माया चेहरा खिल उठा और वो मुझे प्यार से चुम्बन करने लगी और बोली- तुम तो बहुत होशियार हो।

फिर मुझे याद आया कि मेरा तो सेल-फोन टूट गया है.. तो मैं मन ही मन निराश हो गया।

मेरे चेहरे के भावों को देखकर माया बोली- अब दुखी क्यों हो गए?

तो मैंने उन्हें अपना फोन दिखाते हुए सारी घटना कह सुनाई।

वो हँसते हुए बोली- तुम्हें जब सब पता चल चुका था.. तो ड्रामा क्यों कर थे।

मैंने बोला- मेरा फोन खराब हो गया है.. तुम मज़ाक कर रही हो।

तो वो धीरे से उठी और मुझसे बोली- तुम्हारा फोन कितने का था?

मैंने पूछा- क्यों?

बोली- अभी जाकर नया ले लो.. नहीं तो बात कैसे हो पाएगी और अपने पापा से क्या बोलोगे कि नया फ़ोन कैसे टूटा?

फिर मैंने बोला- शायद 6300 का था।

उस समय मेरे पास नोकिया 3310 था मार्केट में नया ही आया था।

तो माया ने मुझे 7000 रूपए दिए और बोली- जाओ जल्दी से फोन खरीद कर फोन करना।

माया का इतना प्यार देखकर मैंने फिर से उसे अपनी बाँहों में लेकर चूमना शुरू कर दिया।

माया बोली- अब तो पूरी रात पड़ी है.. जी भर के प्यार कर लेना.. अभी जाओ जल्दी..

क्या करूँ यार मुझे जाना पड़ा.. पर उसे छोड़ने का मेरा तो मन ही नहीं कर रहा था।

मैं उसके घर से निकल आया।

अब आगे फिर मैं उनके घर से निकल कर मॉल रोड गया और नोकिया सेंटर से एक नया फ़ोन 3310 फिर से ख़रीदा जो की 6150 रूपए का मिला..
मैंने अपना वाला हैंडसेट भी रिपेयरिंग सेंटर में बेच दिया.. क्योंकि उसका मैं क्या करता जिसके मुझे 1500 रूपए मिले।

फिर मैंने माया को अपने नए सेल से कॉल की..
तो उसने फ़ोन उठाते ही ‘आई लव यू मेरी जान’ कहा..

प्रतिक्रिया में.. मैंने भी वही दोहरा दिया और उसको ‘थैंक्स’ बोला.. तो वो गुस्सा करने लगी।

बोली- एक तरफ मुझे अपना बनाते हो और दूसरी तरफ एक झटके में ही बेगाना कर देते हो.. क्या जरूरत है तुम्हें ‘थैंक्स’ बोलने की.. अगर मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूँगी.. तो मुझे ख़ुशी मिलेगी.. आज के बाद जब कभी भी किसी चीज़ की जरुरत पड़े तो बस कह देना.. बिना कुछ सोचे.. नहीं तो मैं समझूँगी कि तुम मुझे अपना समझते हो।

मुझे उसके इस अपनेपन पर बहुत प्यार आया और मैंने उसे ‘आई लव यू’ बोल कर फ़ोन पर चुम्बन दे दिया..
जिसके प्रतिउत्तर में माया ने भी मुझे चुम्बन किया।

फिर मैंने ‘बाय’ बोल कर फ़ोन काटा और अपने घर चल दिया।

मैं जैसे ही घर पहुँचा तो माँ ने सवालों की झड़ी लगा दी- कहाँ थे.. क्या कर थे?

मैं खामोशी से सुन रहा था..

थोड़ी देर बाद जब वे शांत हुईं तो प्यार से बोलीं- तूने कुछ बताया नहीं?

तो मैंने उन्हें बोला- माँ.. अब मैं स्कूल का नहीं.. कालेज का छात्र हूँ और मैं अपने दोस्तों के साथ मूवी देखने गया था.. इस वजह से देर हो गई.. आप प्लीज़ ये पापा को मत बोलना।

वो मान गईं.. अब आप सब समझ ही सकते हो कि माँ अपने बच्चे को बहुत प्यार करती है।

खैर.. जैसे-जैसे समय बीतता गया.. मेरे दिल की भी धड़कनें बढ़ती ही जा रही थी और मेरा लौड़ा भी पैन्ट में टेन्ट बनाए खड़ा था।

फिर जब मैं बाथरूम में जाकर मुट्ठ मार रहा था.. तभी मेरे फोन की रिंग बजी.. जो कि बाहर कमरे में चार्जिंग पर लगा था।

मैं रिंग को नजरअंदाज करते हुए मुट्ठ मारने में मशगूल हो गया और जब मेरा होने ही वाला था.. तभी दोबारा फोन बजा जिसे मेरी माँ ने उठाया और बात की

मैंने पानी से अपने सामान को साफ़ किया और कमरे में पहुँचा.. तो सुना, माँ बोल रही थीं- अरे बेटा, इसमें अहसान की क्या बात है.. मैं अभी राहुल के पापा से बात करके राहुल को भेज दूँगी और वैसे भी उनका आने का समय हो गया है।

यह कहते हुए माँ ने फ़ोन काट दिया और मेरा प्लान सफल होने के कगार पर था।

मुझे उनकी बातों से लग गया था कि वो विनोद से बात कर रही हैं।

फिर माँ से मैंने पूछा- किसका फ़ोन था?

तो उन्होंने बोला- विनोद का।

अभी करीब सवा आठ बजे होंगे।

मैंने पूछा- उसने इतनी रात फ़ोन क्यों किया था?

तो उन्होंने बताया- वो अपनी बहन को पेपर दिलाने बाहर ले गया है और उसकी माँ घर पर अकेले ही हैं.. पापा कहीं बाहर जॉब करते हैं।

तो मैंने पूछा- फिर?

वो बोलीं- कह रहा था कि राहुल को आज और कल रात के लिए घर भेज दीजिएगा क्योंकि हम परसों सुबह तक घर पहुँचेंगे।

तो मैंने बोला- फिर आपने क्या कहा?

बोलीं- अरे इतने दीन भाव से कह रहा था.. तो मैंने बोल दिया उसके पापा आने वाले हैं.. मैं उनसे बात करके भेज दूँगी।

मैंने तपाक से बोला- अगर पापा ने मना कर दिया तो आपकी बात का क्या होगा?

तो बोलीं- अरे वो मुझ पर छोड़ दो.. मैं जानती हूँ.. वो किसी की मदद करने में पीछे नहीं रहते.. फिर तो ये तेरा दोस्त है.. वो कुछ नहीं कहेंगे।

मुझे बहुत ख़ुशी हो रही थी, पर अन्दर ही अन्दर पापा के निर्णय का डर भी था।

तभी दरवाजे की घन्टी बजी.. मैंने गेट खोला तो पापा ही थे।

माँ ने आकर उन्हें पानी दिया और विनोद की बात बताते हुए कहने लगीं- मैंने बोल दिया है.. राहुल को 9 बजे तक भेज दूँगीं।

तो पापा का भी पता नहीं क्या मूड था.. उन्होंने भी ‘हाँ’ कर दी।

फिर क्या था.. मेरे मन में हज़ारों तरह की तरंगें दौड़ने लगीं।

फिर पापा ने मुझे बुलाया और कहने लगे- उसका घर कहाँ है?

तो मैंने बोला- बस पास में ही है..

तो उन्होंने कार की चाभी दी और बोला गाड़ी अन्दर कर दो और फिर चले जाओ।

मेरी माँ बोलीं- अरे यह क्या.. आप इसे उनके घर छोड़ आओ.. आप उनका घर भी देख लोगे.. कहाँ है?

शायद यह माँ की अपने बेटे के लिए चिंता बोल रही थी, तो पापा भी बोले- हाँ.. ये ठीक रहेगा।

तो मैंने बोला- एक मिनट आप रुकिए.. मैं अभी आया।

मैं अपने कमरे में गया और लोअर पहना और टी-शर्ट पहन कर आ गया और अपने पापा के साथ उनके घर पहुँच गया।

फिर पापा उनके घर के बाहर मुझे ड्राप करके वापस चले गए।

मैंने विनोद के घर की घण्टी बजाई।
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Post by jay »




मेरे घण्टी बजाते ही दरवाज़ा खुला..
मुझे ऐसा लगा जैसे माया घंटों से मेरे आने का इंतज़ार कर रही हो।
दरवाज़ा खुलते ही मेरी नजर माया पर पड़ी जो कि बला की खूबसूरत लग रही थी।

मैंने आज उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक महसूस की.. जो कि शायद उसकी वर्षों बाद यौन-लालसा की तृप्ति का सन्देश दे रही थी।

फिर मैंने घर के अन्दर प्रवेश किया और दरवाज़ा बंद करके उसको अपनी बाँहों में कैद कर लिया और वो भी मेरे बाँहों में कुछ इस तरह सिमटी की जैसे हम वर्षों के बिछड़े हों।

फिर कुछ देर इसी तरह खड़े रहने के बाद मैंने उसकी आँखों में झांकते हुए उसकी ढेर सारी तारीफ़ की.. जिससे उसको चरमानन्द प्राप्त हुआ और खुश होकर प्यार से मुझे चुम्बन करते हुए राहुल ‘आई लव यू’ बोलने लगी।

सच यार… मुझे भी कुछ समझ न आ रहा था कि ये सब सच है या मात्र एक कल्पना…

क्योंकि लड़कियों के बारे में तो सोचना अलग बात होती है, पर जब आपको एक एक्सपीरिएंस्ड औरत गर्ल-फ्रेंड के रूप में मिल जाए और वो भी माया जैसी.. तो जिन्दगी ही बदल जाए।

वो मुझे इस तरह खोया हुआ देखकर बोली- कहाँ खो जाते हो जान..

तो मैंने बोला- तुम हो ही इतनी सुन्दर.. समझ ही नहीं आता कि तुझे प्यार करूँ या तेरे रूप को ही देखता रहूँ।

तो इस पर वो बोली- तुम्हें पूरी छूट है.. कुछ भी करो.. बस मुझे अब छोड़ के न जाना.. वर्ना मैं मर जाऊँगी.. तुम्हें एक पल के लिए भी अपने से दूर नहीं देख सकती।

उसके दिल में शायद मेरे लिए अपने पति से भी ज्यादा प्यार जाग चुका था।

तो मैंने बोला- माया ये सब तो ठीक है.. पर जब मेरे माँ-बाप मेरी शादी कर देंगे तब?

तो वो कहने लगी- मैं भी तो शादीशुदा हूँ.. कोई बात नहीं.. बस अपने दिल से मुझे कभी अलग मत करना.. तुम जो चाहोगे वो मैं दूंगी और जो चाहोगे मैं वैसा ही करुँगी।

तो मैंने उसे फिर से अपनी बाँहों में भर लिया और उसके गालों और आँखों को चूमने लगा।

उसकी ख़ुशी की झलक उसके चेहरे पर साफ़ दिखाई दे रही थी। फिर मैंने उसके उरोज़ों को मसलना प्रारम्भ कर दिया.. जिससे उसकी ‘आह’ निकलने लगी।

मैंने जैसे ही उसके चूचों को आजाद करने के लिए उसकी कुर्ती उठाई तो वो बोली- जरा सब्र भी करो.. आज तो पूरी रात अपनी है.. जैसे चाहो वैसे प्यार कर लेना.. पहले हम खाना खा लेते हैं।

तो मैंने पूछा- आज क्या बना है?

उन्होंने बोला- तुम्हारे मन का है।

तो मैंने कहा- आपको कैसे पता.. मुझे क्या अच्छा लगता है?

तो वो बोली- उस दिन पार्टी में जब विनोद को बता रहे थे.. तो मैंने सुना था।

फिर मैं बोला- चलो बढ़िया है.. जल्दी लाओ.. आपने तो मेरे पेट की आग को हवा दे दी।

फिर हमने साथ मिलकर छोला-कचौड़ी खाई और खाना खाने के बाद आंटी ने रसोई का काम ख़त्म किया और जल्दी से वो मेरे पास आ गई।

मैं टीवी देख रहा था.. फिर मैंने उससे बोला- मेरी एक आदत और है.. अगर आपको बुरा न लगे तो मेरे लिए एक कप चाय बना दीजिएगा।

दोस्तो, रात के खाने के बाद गरमागरम चाय का अपना एक अलग ही आनन्द होता है और कनपुरियों को चाय तो बचपन से ही पसंद होती है।

तो वो मुस्कुराते हुए अपनी भौंहें तान कर बोली- अरे ये क्या.. मैं भला.. बुरा क्यों मानूंगी.. मुझे तो अपने नवाब का कहना मानना ही पड़ेगा।

तो मैंने बोला- मैं कोई नवाब नहीं हूँ।

बोली- तो क्या हुआ.. शौक तो नवाबों वाले हैं।

फिर वो रसोई गई और मेरे लिए चाय ले आई और मुझे चाय का कप पकड़ाते हुए हँसने लगी।

मैंने कारण पूछा- अब क्या हुआ?

तो बोली- और कोई हुक्म..?

मैंने बोला- यार प्लीज़.. मेरा मजाक मत उड़ाओ नहीं तो मैं नाराज हो जाऊँगा।

वो बोली- अरे ऐसा मत करना.. भला अपनी दासी से कोई नाराज़ होता है.. नहीं न.. बल्कि हुक्म देता है।

मैंने बोला- अच्छा अगर यही बात है.. तो क्या मेरी इच्छा पूरी करोगी?

तो बोली- मैं तो तुम्हारी हर इच्छा पूरी करने के लिए तैयार हूँ।

मैंने बोला- मेरे मन में बहुत दिन से था कि जब मेरी शादी हो जाएगी तो अपनी बीवी को रात भर निर्वस्त्र रखूँगा.. क्या आप मेरे लिए अपने सारे कपड़े उतार सकती हैं।

वो बोली- बस.. इत्ती सी बात.. राहुल मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ.. मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ।

यह कहते हुए माया ने एक-एक करके सारे कपड़े निकाल दिए।

उसके जोश और मादकता से भरे शरीर को देखकर मेरे पप्पू पहलवान में भी जान आने लगी और धीरे-धीरे लौड़े के अकड़ने से मेरे लोअर के अन्दर टेंट सा बन गया..
जिसे माया ने देख लिया और मुस्कराते हुए बोली- मेरा असली राजकुमार तो ये है.. जो मुझे देखते ही नमस्कार करने लगता है और एक तुम हो जो हमेशा मेरे राजाबाबू को दबाते और मुझसे छिपाते रहते हो।

मैंने बोला- अरे ऐसा नहीं है.. आओ मेरे पास आ कर बैठो।

वो मुस्कुराते हुए मेरे बगल में बैठ गई तो मैंने उसके गाल पर चुम्बन लिया और अपनी गोद में लिटा लिया।
हम दोनों की प्यार भरी बातें होने लगी जिससे हम दोनों को काफी अच्छा महसूस हो रहा था.. ऐसा मन कर रहा था कि जैसे बस इसी घड़ी समय रुक जाए और ये पल ऐसे ही बने रहें।
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