दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

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jay
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Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

Post by jay »

सुबह मुझे उठने में देर हो गई थी क्योंकि जब आँख खुली तो माया जा चुकी थी। मैंने अपने तकिये के नीचे रखे मोबाइल पर देखा तो सुबह के 7 बजे हुए थे.. तो मैंने फिर से फोन वहीं रखा और पेट के बल लेट कर फिर से यह सोच कर सो गया कि 8 बजे तक उठूंगा।
मुझे फिर गहरी नींद आ गई.. समय का पता ही न चला… कब 8 से 9 हो गया।

मैं बहुत गहरी नींद में सो रहा था.. तभी मुझे लगा कि कोई मुझे सीधा करने की कोशिश कर रहा है, पर मैंने एक-दो बार तो जाने दिया.. पर नींद में होने के कारण मैं कब सीधा हुआ.. मुझे पता ही न चला।
मेरे सीधे लेटते ही कोई मेरे बहुत करीब आया और मेरे होंठों में अपने होंठ रखकर मेरे सीने से अपने सीने को रगड़ते हुए चूसने लगा। इतना हुआ नहीं कि मैं कुछ होश में आया और बंद आँखों से ही मैंने सोचा कि जरूर ये माया ही होगी.. साली बुढ़ापे में भी इसकी जवानी की चुदास बरकरार है.. रात भर की ठुकाई के बाद भी इसका नशा नहीं उतरा।

उसके बालों की तीव्र महक मेरे जहन में उतरती जा रही थी.. जो कि मेरे जोश को बढ़ा रही थी।
तभी मैंने उसे अपनी आगोश में जकड़ लिया और प्यार देने लगा।
अब मैं भी उसके होंठों को चूसने लगा जिससे वो भी मचलने लगी.. पर ये क्या.. मुझे कुछ अजीब सा लगा क्योंकि माया के होंठों में और जो अभी चूस रहा था.. उन होंठों के रस में कुछ अंतर सा था।

अब मैंने जैसे ही आँखें खोलीं.. तो मैं ये देखकर थोड़ा घबरा सा गया कि जो अभी मेरी सवारी कर रही है.. वो माया नहीं बल्कि उसकी बेटी है.. और वो भी इस तरह से मुझसे लिपट कर.. उसके बाल अभी गीले ही थे.. जैसे वो बस अभी नहा कर ही आई हो..

खैर.. मैंने सबसे पहले भगवान को धन्यवाद दिया कि जल्द ही मुझे होश आ गया.. अगर ऐसा न हुआ होता.. तो पता नहीं आज क्या होता। अगर मैं बिना आँखें खोले ही कुछ माया समझ कर बोल देता.. तो आज सारी पोल खुल जाती..
जिससे एक प्रेमिका को प्रेमी की बेवफाई और एक बेटी को माँ के चरित्र का पता चल जाता।

खैर.. मैं इन्हीं सब उलझनों में फंसा हुआ था कि रूचि बोली- क्यों.. क्या हुआ आपको? मुझे लगता है मेरा इस तरह से आपकोप्यार करना अच्छा नहीं लगा..
मैंने बोला- नहीं.. ऐसा नहीं है..
तो वो इठला कर बोली- फिर कैसा है.. मुझे तो तुम काफी परेशान से दिख रहे हो?
मैंने बोला- यार.. क्या घर पर कोई नहीं है क्या?

तो वो बोली- विनोद भैया माँ से लिस्ट लेकर घर का कुछ समान लेने गए है और माँ रसोई में नाश्ता तैयार कर रही हैं।
मैं बोला- बस यही तो मेरी परेशानी की वजह है.. कहीं तुम्हारी माँ ने देख लिया तो?
तो वो बोली- मैंने दरवाज़ा बंद कर रखा है।
मैंने बोला- अरे ये क्यों किया.. वो अगर आई.. तो क्या सोचेंगी?

तो वो बोली- माँ इधर नहीं आने वाली.. मैं बोल कर आई हूँ और अब कुछ मत कहो.. अगर यूँ ही आवाज़ करते रहे और माँ ने सुन लिया तो जरूर गड़बड़ हो जाएगी।

उसके इतना बोलते ही मैंने उसके कोमल बदन को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उसके होंठों से अपने होंठों को जोड़कर उसकी मीठी जवानी को चूसने लगा.. जिससे वो भी मदहोश होकर मेरा पूरा साथ देने लगी थी।

तभी उसने मुझे चूमते हुए मेरी बनियान में हाथ डालकर उसे ऊपर को उठाते हुए निकाल दी और अपनी नंगी कठोर चूचियों को मेरे सीने से रगड़ने लगी।
न जाने कब उसने चूमते हुए मेरे लौड़े को लोवर से आज़ाद करके अपने मुँह में भर लिया.. जब मुझे अपने लौड़े पर उसके मुँह के गीलेपन का अहसास हुआ.. तब मुझे पता चला कि इस लड़की ने मुझे नीचे से भी नंगा कर दिया है।

आज एक बात तो तय थी कि रूचि भी अब अपनी माँ की तरह लौड़ा चुसाई में माहिर लग रही थी। आज वो इतने आराम से और मज़े से चूस रही थी.. जैसे की वो लौड़ा नहीं बल्कि लॉलीपॉप चूस रही हो।
उसकी लण्ड चुसाई से ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ये कल की सीखी लड़की है.. बल्कि ऐसा लग रहा था.. जैसे कोई बहुत ही रमी और जमी हुई खिलाड़िन है।

फिर मैंने धीरे से उसके खुले बालों को उसके सर के पीछे ले जाकर उसके बालों को अपने हाथों से कसा.. जिससे उसका सर पीछे की ओर हो गया।

फिर मेरा लौड़ा उसके मुँह से ‘फुक्क..’ की आवाज़ के साथ बाहर आया.. तो वो लपक कर फिर से लौड़े को मुँह में लेने लगी।
अब मैंने भी उसके बालों को पीछे की ओर खींचते हुए अपनी कमर उठा-उठा कर उसके मुँह को चोदने लगा और बीच में उसकी जुबान से लौड़े को भी चटवाता था.. जिससे मुझे दुगना मज़ा और जोश मिलने लगा था।

पर तभी मेरे मन में आया.. क्यों न इसकी भी चूत की आग बढ़ाई जाए..
तो उसे मैंने 69 में आने का इशारा किया और वो झट से मेरे ऊपर न लेटकर बगल में लेट गई..

मैंने बगल से ही उसके ऊपर चढ़ाई करते ही अपने लण्ड को उसके होंठों पर टिका कर अपने होंठों को उसकी चूत के होंठों से भिड़ा दिया।

जिससे अब उसके मुँह से ‘आह्ह.. उहह्ह ह्ह.. उम्ममह.. शिईईई..’ की ध्वनि निकलने लगी साथ ही उसका चूत रस बाहर निकल कर मेरी जुबान का स्वागत करने लगा.. उसकी चूत का रस इतना गर्म था कि जिससे उसके शरीर पर सवार चुदाई की गर्मी का अंदाज़ा लगाया जा सकता था।

तभी वो एक लंबी ‘आआह्ह्ह..’ के साथ स्खलित हो गई और उसी के साथ मेरा भी स्खलन हो गया.. जिसे उसने बड़े ही चाव से चाट लिया।

अब जैसा कि होना था.. वो लंबी साँस लेते हुए मेरे सीने पर सर रखकर मेरी छाती को चूमते हुए मेरे सोए हुए शेर को फिर उठाने के लिए.. उसे अपने कोमल हाथों से छेड़ने लगी।

तो मैंने अपने हाथों से उसके चेहरे को ऊपर को उठाया और उसकी आँखों में देखते हुए पूछा- अब क्या इरादा है.. नहा तो चुकी हो.. अब क्या डुबकी लगाओगी?

बोली- अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. मैं चाहती हूँ कि अब ये मेरे अन्दर एक बार चला ही जाए.. मुझसे अब और नहीं रहा जाता!

मैंने सोचा कि अभी अगर कुछ किया.. तो ये चीखेगी जरूर.. और हो सकता है दुबारा तैयार भी न हो.. और समय भी इस सबके लिए ठीक न था..

तो मैंने उसे प्यार से समझाया और रात तक रुकने की कह कर बोला- अभी जाओ और आंटी का हाथ बंटाओ जाकर.. और मैं सोने का नाटक करता हूँ.. उनसे कहो कि वो आकर मुझे उठाएं ताकि उनको ये लगे.. कि मैं अभी भी सो रहा हूँ।
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NISHANT
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Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

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