माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet

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jay
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Re: माँ का आँचल और बहन की लाज़

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maa ka aanchal bahan ki laj _03.jpg
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: माँ का आँचल और बहन की लाज़

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शशांक बॅक स्ट्रोक लगाते हुए तैर रहा है ..उसकी जंघें शांति की जांघों से टकरा रही हैं ..उसके स्विम्मिंग ट्रंक की उभार उसकी मोम की जांघों के बीच चूत से टकराता हैं , .... .वो स्ट्रोक लगाए जा रहा है ...जैसे जैसे स्ट्रोक लगाता है ,उसका उभार शांति की चूत से घिसता जाता है , शांति आनंद विभोर है ... उसके सारे शरीर में सीहरन हो रही है..वो .कांप रही है ...किलकरियाँ ले रही है .." हां .हां मेरे बेटे ..हाँ मुझे किनारे ले चलो ..मुझे बचा लो .."

शशांक के स्ट्रोक्स ज़ोर पकड़ते है ..जैसे जैसे किनारा नज़दीक आता है स्ट्रोक्स और ज़ोर और ज़ोर पकड़ते जाते हैं......शांति की चूत और तेज़ घीसती जाती है शशांक के उभार से ....... .. शांति जोरों से चीख उठ ती है " शशााआआआआआंक.." उस से और भी चीपक जाती है ..उसकी मुलायम चूचियाँ शशांक के कठोर सीने से लगी हुई एक दम सपाट हो जाती हैं....उसके चूतड़ शशांक के उभार पर बार बार उछाल मारते हैं ....वो हाँफ रही है ......पैर और जंघें थरथरा रही हैं...

शांति की नींद टूट जाती है....उसके चेहरे पे एक शूकून है ....वो उठ जाती है....उफफफफफफफ्फ़..उसकी पैंटी बूरी तरेह गीली थी....


वो उठ ती है और दबे पावं बाथ रूम की ओर जाती है ...अपनी गीली पैंटी उतारती है ....उसकी चूत के होंठ अभी भी फडक रहे थे ....उस ने अपनी चूत सॉफ की , दूसरी फ्रेश पैंटी पहनी और बाथ रूम से बाहर आ गयी...

दबे पावं फिर से बीस्तर पे लेट जाती है ...वो काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी ... अब वो किसी भी असमंजस की स्थिति में नहीं थी ...उसकी सारी उलझनें भंवर की अतः गहराइयों में डूब गयीं ...
इस सपने ने शांति को उसके भंवर से निकाल दिया था ...वो मुस्कुराती है ... उसे उस विशाल और विस्तृत झील के समान अपनी जिंदगी का किनारा मिल गया था ....

शांति आँखें बंद कर लेती है , सपने के सुनहरे पलों को संजोए फिर से सो जाती है...




Shanti ek vishaal jheel mein apne aap ko paati hai...bahot hi shaant , vistreet aur nirmaal sa jheel hai yeh........jheel mein gote laga rahee hai..uska saaraa badan us jheel ke sheetal paani mein sarabor hai....ek ek ang us sheetal aur nirmal jheel ke paani ke sparsh se kheel uthaa hai..kilkariyan le rahee hai Shanti ..kitni kho gayee hai us swargik anand mein ...achanak use mehsoos hota hai woh kheenchi chali rahi hai ..saamne ek bhanwaar deekhai deta hai ...Shanti haath pair chalaati hai , ..apne aap ko bhanwar se bachaane ki naakaamyaab koshish mein jee jaan se jooti hai....

Uski nazar jheel ke door kinaare khada ek aakriti par padti hai .........lamba , balishtha bhujayein ,chauda seena , mansaal janghein , kisi devta ki tareh sunder aur gambheer ....


Shanti us aakriti ki or dekh chillatee hai.....


Us aakriti ko Shanti ki pookar sunai padti hai ..palak jhapakte hi koodta hai paani ke andar , apne balistha haathon ko chalate hue Shanti ke kareeb aa jata hai..apne lambe majboot haath Shanti ki or badhaataa hai ..Shanti thaam leti hai...woh lamba aur majboot haath use apni taraf kheenchta hai.....doosra haath badhataa hai , Shanti ko ek bachhee ki tareh apne upar kheench leta hai , Shanti ko yeh mehsoos hota hai yeh aakriti mardaangi ka swaroop hai woh ek asahay , kamjor naari .....uski aagosh mein ab mehfooz hai , Shanti uske chehre ki or dekhti hai.... aakriti spasht hoti hai ..." Shashank .....Shashank mujhe bachaa lo..mujhe bachaa lo...mujhe bhanwar se bacha lo .... " Shanti cheekhti hai aur uske aagosh mein apne ko samet leti hai .......ab use kuch nahin hoga ..haan kuch nahin ....

" Haan Mom ...Haan Mom ." Shashank apni Mom ko apne seene ke upar le aata hai ...Shanti uske gale mein bahein daale uske seene se cheepak jati hai ...Shashank ki peeth neeche hai aur Shanti ka ab tak nanga ho chooka sharir us ke upar cheepka hai....uski nighty aur sharir ke beech pani andar hone se nighty sharir se alag paani ke upar hai....uski sudaul , bharee bharee mulayam choochiyan Shashank ke kathor seene se ragad rahee hain ....

Shashank back stroke lagaate hue tair raha hai ..uski janghein Shanti ki janghon se takra rahee hain ..uske swimming trunk ki ubhaar uske Mom ki janghon ke beech choot se takraate hain , .... .woh stroke lagaye jaa raha hai ...jaise jaise stroke lagata hai ,uska ubhaar Shanti ki choot se gheesta jata hai , Shanti anand vibhor hai ... uske saare sharir mein seehran ho rahee hai..woh .kanp rahee hai ...kilkariyan le rahee hai .." Haan .haan mere bete ..haan mujhe kinaare le chalo ..mujhe bachaa lo .."

Shashank ke strokes jor pakadte hai ..jaise jaise kinaraa nazdeek aata hai strokes aur jor aur jor pakadte jate hain......Shanti ki choot aur tez gheesti jaati hai Shashank ke ubhaar se ....... .. Shanti joron se cheekh uth ti hai " Shashaaaaaaaaaaaaaank.." Us se aur bhi cheepak jaati hai ..uski mulayam choochiyan Shashank ke kathor seene se lagi hui ek dum sapaat ho jaati hain....uske chootad Shashank ke ubhaar par baar baar uchaal marte hain ....wo hanf rahee hai ......pair aur janghein thartharaa rahe hain...

Shanti ki neend toot jati hai....uske chehre pe ek shookoon hai ....woh uth jati hai....uffffffff..uski panty boori tareh geeli thee....


Woh uth ti hai aur dabe paon bath room ki or jaati hai ...apni geeli panty utaarti hai ....uski choot ke honth abhi bhi phadak rahe the ....us ne apni choot saaf ki , doosri fresh panty pehni aur bath room se bahar aa gayee...

Dabe paon phir se beestar pe let jaati hai ...woh kaphi halka mehsoos kar rahee thee ... ab woh kisi bhi asmanjash ki stithee mein nahin thee ...uski saari uljhanein bhanwaar ki athah gehraiyon mein doob gayeen ...
Is sapne ne Shanti ko uske Bhanwaar se nikal diya thaa ...woh muskuraati hai ... use us vishaal aur vistreet jheel ke samaan apni jindagi ka kinaaraa mil gaya thaa ....

Shanti ankhein band kar leti hai , sapne ke sunehre palon ko sanjoye phir se so jatee hai...
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Re: माँ का आँचल और बहन की लाज़

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अपडेट : 12



आज फिर एक सुबेह होती है शिव-शांति के घर .... पर आज की सुबेह और कल की सुबेह में कितना फ़र्क था ....

एक ही दिन में कितना कुछ बदल गया था ...

आज सब से खुश थी शिवानी.....उसने तो मानों दुनिया जीत ली थी ....भैया का उसके होंठों का चूमना....... उसके होंठ अभी भी याद कर फडक उठ ते ....उसके पावं तो ज़मीन पे पड़ते ही नहीं थे ...झूम रही थी शिवानी ....अपने लूज टॉप और लूज स्लॅक्स में बहोत ही प्यारी लग रही थी ...उसकी गदराई चूचियाँ टॉप के अंदर उसकी ज़रा भी हरकत से हिल उठ ती ...बाहर निकलने को तैयार ...

आज दीवाली की सुबेह उसकी जिंदगी में रोशनी भरी थी ...जगमगा उठी थी ...मन में फुलझारियाँ फूट रहीं थीं ... और चूत में पटाखे .......


इधर शशांक भी अपने आप को बड़ा हल्का महसूस कर रहा था....उस ने मोम के सामने अपने प्यार का इज़हार कर दिया था..बिल्कुल ख़ूले लफ़्ज़ों में ....उसे अपने गालों पर झन्नाटेदार थप्पड़ की पूरी आशंका थी.....पर थप्पड़ के बजाय उसे मिली मोम की चुप्पी.... और यह मोम का चूप रहना भी शशांक के लिए मोम की स्वीकृति से कम नहीं थी..उस ने ठान लिया था कि अब वो अपने किसी भी हरकत से मोम को परेशान नहीं करेगा...कल शाम किचन वाली हरकत तो किसी भी सूरत में नहीं ...वो अपने मोम को साबित कर देगा उसका प्यार सिर्फ़ वासना नहीं ....एक पूजा है ...
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Re: माँ का आँचल और बहन की लाज़

Post by jay »

और शांति भी खुश है..उसके चेहरे पर एक शूकून है....जो किसी असमांजस की स्थिति से बाहर आ एक निष्कर्ष पर पहूंचने के बाद चेहरे पर आती है ...शांति , शशांक और अपने संबंधो के बारे एक फ़ैसले पर पहून्च चूकि थी ....कोई कन्फ्यूषन नहीं था अब..

सभी अपने अपने कमरों से तैय्यार हो कर डाइनिंग टेबल पर नाश्ते के लिए आते हैं....


शिव और शांति तो पूरी तरेह से तैय्यार हैं दूकान जाने को ...शांति आज जीन्स और टॉप में थी..इस उम्र में भी अच्छी फिगर के चलते बहोत सूट करता था उसके बदन पर... उसका ड्रेस सेन्स भी लाजवाब था ..जीन्स ना बहोत टाइट था ना लूज..बस सिर्फ़ उसके अंदर की आकृति की झलक दीख जाती ...और टॉप भी बस वैसा ही ..उसके दूध से सफेद सीने का उभार लोगों के मन में हलचल पैदा कर देता ... इतना भी नीचा नहीं कि चूचियाँ बाहर नीकल आयें ....बस घाटी तक पहून्च कर थामा था टॉप का गला ..लोगों को उसके अंदर नायाब गोलाई का अंदाज़ा दे देती....

दोनों , बच्चों से गले मिलते हैं और एक दूसरे को दीवाली की शुभकामनायें देते हैं...


शशांक मोम से गले मिलता है , उसके गाल चूमता है ,और दीवाली विश करता है...

शशांक चौंक जाता है..मोम का रवैया कुछ बदला बदला सा था ... ... रोज सुबेह जब वो मोम से गले मिलता और उसके गाल चूमता ....मोम एक मूरत की तरेह खड़ी रहती और छोटी सी बस निभाने वाली मुस्कान ले आती... मानो यह भी एक ज़रूरी काम हो ..बस निबटा दो ...


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Re: माँ का आँचल और बहन की लाज़

Post by jay »

पर आज तो मोम ने खुद ही अपने गाल उसकी तरफ किए ...बड़े प्यार से मुस्कुराया और काफ़ी देर तक उसके होंठों से अपने गाल लगाए रखा..उसकी मुस्कुराहट में भी एक चमक सी नज़र आई . शशांक को कुछ समझ नहीं आ रहा था ..आख़िर एक रात में ही क्या हुआ मोम को..???

शिव और शांति अपने बच्चों की तरफ हाथ हिलाते हुए बाहर निकल जाते हैं .....


पर जाते जाते शांति दोनों बच्चों को हिदायत देना नहीं भूलती " देखो तुम दोनों ज़रा ख़याल रखना ...और शिवानी तुम दिया वग़ैरह जला देना ..शशांक तुम भी शिवानी को हेल्प कर देना ..हो सकता है हमें आने में कुछ देर हो जाए .."

" यस मोम ...सब हो जाएगा डॉन'ट वरी " शिवानी बोलती है ...


जैसे ही पापा और मोम कार से निकलते हैं शिवानी से रहा नहीं जाता , वो उछलते हुए शशांक के गले से लिपट जाती है और अपने पैर उसकी कमर के गिर्द लपेटे हुए उसे चूमती है , बार बार , कभी गले को , कभी गाल को और कभी शशांक के होंठो को , वो पागल हो जाती है

" ओह भैया ,,भैया यू आर छो स्च्वीत ...आइ लव यू ....दीवाली मुबारक हो ...."


शशांक इस अचानक हमले से बौखला जाता है


" यह लड़की ..उफफफफ्फ़ ...पटाखे से भी ज़्यादा ही फट रही है ..."

" हां भैया ..तुम ने ठीक कहा पटाखे से भी ज़्यादा ... "


"ओके ओके ....आइ नो आइ नो " ..और वो भी एक प्यारा सा किस उसके होंठों पर जड़ देता है , उसे अपनी मजबूत बाहों से थामते हुए उसे पास रखी एक कुर्सी पर बिठा देता है ..और खुद भी एक कुर्सी खींच उसके बगल बैठ जाता है....

शिवानी उत्तेजना से हाँफ रही थी .....


शशांक भी शिवानी के इस प्यारे से हमले से अपने आप को पूरी तरह बचा नहीं पाया था, उसके उभरे हुए बॉक्सर का शेप इसकी बात की चीख चीख कर गवाही दे रहा था ...

थोड़ी देर तक कोई कुछ नहीं बोलता ...एक दूसरे को देखते रहते हैं ...


शिवानी की साँस नॉर्मल होती है ..शशांक चूप्पि तोड़ता हुआ बोलता है


" अच्छा शिवानी तू तो अब मेरी फिलॉसफर , गाइड और बेस्ट फ्रेंड है ना ...??" शशांक थोड़ा माखन लगाता है ..

" हां वो तो हूँ .." शिवानी अपना सीना तानते हुए कहती है ..
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