कुसुम रोते हुए बोली- मुन्नी मेरी अच्छी सहेली है। कल बेचारी ने पति से छुप कर हज़ार के दो नोट दिए थे, बोली थी ‘अपने घर भेज देना, तेरे मम्मी पापा मुश्किल में हैं।’ आप उसे कुछ मत बताना।
कुसुम बोली- मैं पच्चीस हजार उसके डिब्बे में वापस रख दूँगी, कम से कम मुन्नी को पैसे तो मिल जाएँगे।
दो दिन बाद मुन्नी का फ़ोन आया, वो मुझसे मिलना चाह रही थी। हम लोग अपने चुदाई अड्डे पर मिले। साड़ी उतारकर मुझसे चिपकते हुए मुन्नी बोली- चोर ने मेरे पैसे वापस उसी डिब्बे में रख दिए। ये देखो पूरे पच्चीस हजार हैं। उसने एक माफ़ी मांगने का पत्र भी लिखा है।
मुन्नी ने मेरे बचे हुए पैसे वापस कर दिए। मुन्नी थोड़ी उदास सी दिख रही थी, मैंने मुन्नी की पप्पी लेते हुए कहा- तुम उदास क्यों हो?
मुन्नी रोते हुए बोली- मेरे पैसे कुसुम ने चुराए थे।
मैंने अनजान बनते हुए पूछा- तुम्हें कैसे पता?
मुन्नी बोली- दो दिन पहले दया करके मैंने दो हज़ार के नोट उसे दिए थे, उसमें से एक के ऊपर मुन्नी लिखा था, जब भी मेरी डोक्टरनी मुझे पैसे देती है तो सबसे ऊपर वाले नोट पर मेरा नाम लिखा होता है। चोर ने जो पच्चीस हजार के नोट वापस रखे थे उनमें से एक नोट वो भी है जो मैंने कुसुम को दिया था।
मुन्नी गुस्से से बोली- कुतिया रंडी ने मेरे पैसे चुराए थे। कुसुम के लिए मैंने अपनी प्यारी सहेली गीता को चाल से निकलवाया, कुतिया ने मुझे धोखा दिया है। हरामिन को कुतिया की तरह चुदना पड़ेगा मेरे और गीता के सामने।
मुन्नी मुझसे बोली- तुम उसकी गांड मारोगे न, जैसे तुमने मेरी मारी थी, वैसे ही उसकी चोदना।
मैंने मुन्नी से कहा- कुसुम को तेरे सामने सजा देंगे और सब झगड़े की जड़ तो यही है, इसकी जवानी तो मैं तीन तीन लण्डों से चुदवाऊँगा। तेरे से भी ज्यादा इसकी चोदी जाएगी।
मुन्नी मुझसे चिपकी रही, उसकी आँखों में आँसू थे। मैंने उसका पल्लू हटाया और कान में बोला- दूध तो पिला दो !
मुन्नी ने ब्लाउज के बटन खोलकर दोनों स्तन बाहर निकाल दिए, मैंने बारी बारी उसकी दोनों निप्पल चूसीं और बोला- मुन्नी की मुन्नी मुझसे गुस्सा है क्या?
मुन्नी मुझे देखकर मुस्कराई और मुझसे चिपकते हुए बोली- मुन्नी की मुन्नी तो तुम्हारी गुलाम है, रोज़ तुम्हारे लण्ड की राह देखती है। मुन्नी ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपनी टांगें फ़ैला कर चूत का दरवाज़ा मेरे लण्ड के लिए खोल दिया।
इसके बाद एक घंटे तक हम दोनों ने चुदाई का खेल खेला, अब मुन्नी सामान्य थी, मैंने मुन्नी से कहा- कुसुम को माफ़ कर दो ! अगर वो पैसे नहीं रखती, तो तुम्हें पता भी नहीं चलता।
मुन्नी बोली मैं उसे माफ़ कर देती लेकिन जब गीता ने मुझे चुदवाया तब मुझे पता चला कि दूसरे की चुदती देखना कितनी बुरी बात है। मुझे कुसुम को यह अहसास करवाना ही पड़ेगा कि दूसरे की चुदती देखने का मज़ा लोगी तो एक दिन अपनी भी चुदवानी पड़ेगी। तुम मेरे साथ हो न? कुसुम की चोदोगे न?
मैंने हामी भरते हुए कहा- मुझे तो कुसुम से गीता भाभी और भैया की भी बेइज्ज़ती का बदला लेना है, उसकी चुदाई तो करवानी पड़ेगी ही। मैंने मुन्नी के कान में कुसुम की चुदाई का प्लान बताया। मेरा प्लान सुनकर मुन्नी बहुत खुश हुई, इसके बाद हम लोग अलग हो गए।
रात को जब मैं घर पहुँचा तो भाभी ने दरवाज़ा बंद किया और मेरे गालों पर पप्पी की बारिश करते हुए बोलीं- मज़ा आ गया। आज मुन्नी आई थी कह रही थी उसके पैसे कुसुम कुतिया ने ही चुराए हैं, उसको वो अब वैसे ही चुदवाएगी जैसे खुद चुदी थी। मुझसे कह रही थी उसी फ्लैट में कुसुम की गांड और चूत बजाएंगे। सच तुम्हारे कारण ही मैं बदला लेने मैं सफल हुई।
मैंने भाभी से कहा- मोहन भैया के थप्पड़ का भी बदला लेना है, कुसुम की चूत मोहन भैया से भी चुदवानी है। भाभी को पता नहीं था कि कुसुम ने मोहन को थप्पड़ मारा था। मैंने उन्हें पूरी बात बता दी। भाभी उत्साह से चिपकती हुई बोलीं- आह, बड़ा मज़ा आएगा जब मोहन का लण्ड उसकी चूत में घुसेगा, अपने सामने मोहन से चुदवाऊँगी कुतिया को।
भाभी के होंट चूसते हुए मैंने कहा- अब जरा प्यार वाला दूधू पिलाओ !
भाभी ने अपना ब्लाउज उठाया और अपने दोनों गोल संतरे बाहर निकाल दिए। मैंने के एक एक बार दोनों को दबाते हुए जी भरकर चूसा। शाम को मोहन भैया को भाभी ने बता दिया कि कुसुम उन्हीं हाथों से पकड़ कर प्यार से उनका लण्ड अपनी चूत में लगाएगी जिससे उसने आपको थप्पड़ मारा था, साथ ही साथ यह भी बताया ये सब मेरे कारण संभव हुआ है।
मोहन भैया कुसुम की चुदाई गीता के सामने की बात सुनकर बहुत खुश और उत्तेजित थे। अगले दिन मोहन भैया के जाने के बाद सुबह भाभी और मैं साथ साथ नहाए और खुशी ख़ुशी मैं भाभी ने मुझसे अपनी चूत का मर्दन दो बार करवाया।
इंतकाम की ज्वाला
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Re: इंतकाम की ज्वाला
घर से निकलने के बाद मैंने कुसुम को फोन किया और बता दिया कि कैसे मुन्नी को पता चल गया है कि पैसे उसने चुराए हैं। कुसुम को मैंने मिलने बुला लिया और उससे कहा- अब तुम्हें मुन्नी और गीता के सामने चुदना ही पड़ेगा नहीं तो मुन्नी तुम्हारे गाँव में सब बता देगी और तुम बदनाम हो जाओगी !
कुसुम पसीने से नहा रही थी, मैंने उसे बाँहों मैं भरा और उसकी पीठ सहलाते हुए कहा- बद अच्छा बदनाम बुरा ! मुन्नी की बात मान लेना और एक दिन मुन्नी और गीता के सामने चुद लेना ! नहीं तो पति और अपने गाँव की नज़रों में गिर जाओगी।
कुसुम डर गई और बोली- मेरे पति को और गाँव में पता नहीं चलना चाहिए।
कुसुम बोली- मैं मुन्नी और गीता के सामने चुदने को तयार हूँ।
कुसुम मुझसे चिपकती हुई बोली- आप ही चोदोगे न मुझे?
मैंने उसके होंटों को चूमते हुए कहा- कोशिश करूँगा लेकिन मैं तुम्हें बदनाम नहीं होने दूँगा। अब मुन्नी का जब फ़ोन आए तो गलती मान लेना और चुदने को तयार हो जाना। किसी को यह मत बताना कि तुम मेरी दोस्त बन गई हो।
हम लोग बात कर रहे थे, तभी मुन्नी का फ़ोन आ गया उसने कुसुम से कहा कि उसके बदन में दर्द है, थोड़ी देर को घर आ जा,वो गीता के घर मिलेगी।
कुसुम का चेहरा बुझ सा गया था। इसके बाद गीता भाभी का फ़ोन मुझे आया, बोली- मुन्नी ने कुसुम को बुलाया है, तुम भी आ जाओ। मैंने कुसुम को बाँहों में भरा और कहा- डरो नहीं, अब मैं भी वहाँ मिलूँगा।
कुसुम चिपकते हुए बोली- बड़ा डर लग रहा है, जाने से पहले एक बार मेरी चोद दो न।
मैंने कहा- ठीक है !
इसके बाद मैंने कुसुम की चुदाई करी और ऑटो में घर के लिए बैठा दिया। कुसुम से मैंने कहा कि मेरे बाद वो गीता के घर आए। इसके बाद मैंने घर के लिए ऑटो लिया।
कुसुम से पहले मैं घर पहुँच गया, वहाँ गीता पहले से बैठी थी।
तभी मुन्नी वहाँ आ गई और कमरे में घुस कर गीता को गले लगाते हुए मुन्नी बोली- गीता, मेरी प्यारी सहेली, इस कुतिया कुसुम के कारण ही मेरी बेइज्ज़ती हुई है, उसी हरामिन ने ही पैसे चुराए हैं इसके कारण ही मुझे कुतिया की तरह चुदना पड़ा। अब हम और तुम इस कुसुम को रंडी की तरह चुदवाएँगे।
मुन्नी मेरी तरफ देखती हुई बोली- राकेश भैया, आप को कुसुम की गांड और चूत वैसे ही चोदनी है जैसे आपने मेरी चोदी थी।
तभी कुसुम अंदर आ गई, मुन्नी उसे देखकर गुस्से से कांपने लगी, चिल्लाते हुए बोली- कुतिया रंडी, तूने मेरे पैसे चुराए थे। तेरे को चाल में बुलाने के लिए मैंने अपनी प्यारी सहेली गीता को चाल से निकालने के लिए खेल खेला और तू ही मेरे पैसे चुरा ले गई। तुझे तो दो दो लण्डों से चुदवाऊँगी।
गीता कुसुम के कंधे पर हाथ रखकर बोली- 2-2 से नहीं 3-3 से।
कुसुम रो पड़ी।
गीता ने आगे बढ़कर उसके आंसू पौंछे और बोली- जब खुद की चुदती है तो आँसू आते ही हैं, और जब दूसरे की चुदती है तो मज़ा आता है। एक दिन की बात है, मुन्नी और मैं तो चुद ही चुकी हैं, अब तेरी बारी है थोड़ा मज़ा लेंगें, उसके बाद हम तीनों दुबारा दोस्त हो जाएँगे।
कुसुम सर झुकाकर बोली- मैं चुदने को तैयार हूँ।
मुन्नी आगे बढ़कर बोली- तुझे तो तैयार होना ही पड़ेगा। राकेश भैया कल इसकी चुदाई का मुजरा कराते हैं। जब आपका लण्ड इसकी गांड फाड़ेगा तब इसे मज़ा आएगा।
गीता चोर आँखों से मुझे देख कर मुस्करा रही थी।
कुसुम पसीने से नहा रही थी, मैंने उसे बाँहों मैं भरा और उसकी पीठ सहलाते हुए कहा- बद अच्छा बदनाम बुरा ! मुन्नी की बात मान लेना और एक दिन मुन्नी और गीता के सामने चुद लेना ! नहीं तो पति और अपने गाँव की नज़रों में गिर जाओगी।
कुसुम डर गई और बोली- मेरे पति को और गाँव में पता नहीं चलना चाहिए।
कुसुम बोली- मैं मुन्नी और गीता के सामने चुदने को तयार हूँ।
कुसुम मुझसे चिपकती हुई बोली- आप ही चोदोगे न मुझे?
मैंने उसके होंटों को चूमते हुए कहा- कोशिश करूँगा लेकिन मैं तुम्हें बदनाम नहीं होने दूँगा। अब मुन्नी का जब फ़ोन आए तो गलती मान लेना और चुदने को तयार हो जाना। किसी को यह मत बताना कि तुम मेरी दोस्त बन गई हो।
हम लोग बात कर रहे थे, तभी मुन्नी का फ़ोन आ गया उसने कुसुम से कहा कि उसके बदन में दर्द है, थोड़ी देर को घर आ जा,वो गीता के घर मिलेगी।
कुसुम का चेहरा बुझ सा गया था। इसके बाद गीता भाभी का फ़ोन मुझे आया, बोली- मुन्नी ने कुसुम को बुलाया है, तुम भी आ जाओ। मैंने कुसुम को बाँहों में भरा और कहा- डरो नहीं, अब मैं भी वहाँ मिलूँगा।
कुसुम चिपकते हुए बोली- बड़ा डर लग रहा है, जाने से पहले एक बार मेरी चोद दो न।
मैंने कहा- ठीक है !
इसके बाद मैंने कुसुम की चुदाई करी और ऑटो में घर के लिए बैठा दिया। कुसुम से मैंने कहा कि मेरे बाद वो गीता के घर आए। इसके बाद मैंने घर के लिए ऑटो लिया।
कुसुम से पहले मैं घर पहुँच गया, वहाँ गीता पहले से बैठी थी।
तभी मुन्नी वहाँ आ गई और कमरे में घुस कर गीता को गले लगाते हुए मुन्नी बोली- गीता, मेरी प्यारी सहेली, इस कुतिया कुसुम के कारण ही मेरी बेइज्ज़ती हुई है, उसी हरामिन ने ही पैसे चुराए हैं इसके कारण ही मुझे कुतिया की तरह चुदना पड़ा। अब हम और तुम इस कुसुम को रंडी की तरह चुदवाएँगे।
मुन्नी मेरी तरफ देखती हुई बोली- राकेश भैया, आप को कुसुम की गांड और चूत वैसे ही चोदनी है जैसे आपने मेरी चोदी थी।
तभी कुसुम अंदर आ गई, मुन्नी उसे देखकर गुस्से से कांपने लगी, चिल्लाते हुए बोली- कुतिया रंडी, तूने मेरे पैसे चुराए थे। तेरे को चाल में बुलाने के लिए मैंने अपनी प्यारी सहेली गीता को चाल से निकालने के लिए खेल खेला और तू ही मेरे पैसे चुरा ले गई। तुझे तो दो दो लण्डों से चुदवाऊँगी।
गीता कुसुम के कंधे पर हाथ रखकर बोली- 2-2 से नहीं 3-3 से।
कुसुम रो पड़ी।
गीता ने आगे बढ़कर उसके आंसू पौंछे और बोली- जब खुद की चुदती है तो आँसू आते ही हैं, और जब दूसरे की चुदती है तो मज़ा आता है। एक दिन की बात है, मुन्नी और मैं तो चुद ही चुकी हैं, अब तेरी बारी है थोड़ा मज़ा लेंगें, उसके बाद हम तीनों दुबारा दोस्त हो जाएँगे।
कुसुम सर झुकाकर बोली- मैं चुदने को तैयार हूँ।
मुन्नी आगे बढ़कर बोली- तुझे तो तैयार होना ही पड़ेगा। राकेश भैया कल इसकी चुदाई का मुजरा कराते हैं। जब आपका लण्ड इसकी गांड फाड़ेगा तब इसे मज़ा आएगा।
गीता चोर आँखों से मुझे देख कर मुस्करा रही थी।
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Re: इंतकाम की ज्वाला
अगले दिन कुसुम मुन्नी और गीता के साथ फ्लैट में गई। पीछे पीछे मैं और मोहन भी आ गए हमने अंदर घुसते ही कपड़े उतार कर लुंगी पहन ली।
दूसरे कमरे मैं भाभी और मुन्नी ने अपनी साड़ी उतार ली और कुसुम की साड़ी भी उतरवा दी।
भाभी कुसुम के पेटीकोट का नाड़ा खींचकर बोली- कुसुम प्यारी, हमारी तुम्हारे कपड़ों से कोई दुश्मनी नहीं है, इन्हें उतार दो न।
तभी मैं और मोहन भी उस कमरे में आ गए। मोहन को देखकर कुसुम ने नीचे सरकते हुए पेटीकोट को पकड़ लिया, वो शरमा रही थी। कुसुम बोली- मुझे मोहन भैया से शर्म आ रही है।
मुन्नी बोली- इतनी शर्म आ रही है तो मोहन भैया से ही तुझे नंगी करा देते हैं। बेचारे सीधे साधे भैया जी को तूने थप्पड़ मारा था। उस दिन तू जब पैसे चुरा कर भाग रही थी तब तूने राखी की साड़ी पहने हुई थी ताकि दूर से तुझे कोई पहचान नहीं पाए। राखी से ये मजाक करते रहते हैं, इन्होंने राखी के धोखे में तेरे चूतड़ों पर हाथ फेर दिया और तूने इनको थप्पड़ मार दिया। आज तेरे थप्पड़ का बदला ये प्यार से तेरे चूतड़ों में अपना लण्ड डालकर देगें।
मुन्नी मोहन को आँख मारते हुए बोली- जेठ जी, देवरानी जी को नंगी करिए ना ! ऐसा शुभ दिन रोज़ रोज़ कहाँ आता है।
मोहन आगे बढ़ा और उसने गीता का हाथ पेटीकोट से हटा दिया, पेटीकोट सरसराता हुआ नीचे गिर गया, कुसुम के चूत प्रदेश का एक सुंदर नज़ारा हम सभी ने देखा।
कुसुम ने शर्म से अपनी टांगें आपस में मिला लीं।
गीता मुँह बनाते हुए बोली- राकेश भैया, आप जाकर इसे पूरी नंगी करो, इनके बस का नहीं है, देखो कुतिया ने कैसे चूत को टांगों में छुपा कर रखा हुआ है जैसे कोई पतिव्रता औरत नंगी हो रही हो। इसने कम से कम दस लण्ड खा रखे हैं, पूरी रंडी है, इसकी चाल देखकर कोई भी औरत बता देगी।
मैं कुसुम के पीछे पहुँच गया। मोहन साइड में हट गए।
कुसुम के ब्लाउज के कप ऊपर उठा कर उसकी दोनों चूचियाँ बाहर निकाल दीं और उनको दबाते हुए कान में फुसफुसाया- अब बकरी बन गई हो तो थोड़ी बेशर्म हो जाओ और सबको मज़े दो और खुद भी लो ! सब अंदर के लोग ही हैं।
मैंने उसकी चूत पर एक हाथ ले जाकर उसकी टांगें चौड़ी की और चूत में उंगली घुसा दी।
मुन्नी बोली- यह हुई न बात ! क्या फ़ूली हुई चूत है !
गीता अपनी मैक्सी के ऊपर से चूत रगड़ते हुए बोली- जरा इसका पिछवाड़ा भी तो दिखा दो।
अब उसका ब्लाउज उतारते हुए कुसुम को अपनी तरफ सीधा किया और अपने से चिपका लिया उसके नंगे पिछवाड़े का मज़ा तीनों लोग ले रहे थे।
मैंने मोहन को आँख मारी तो मोहन ने कुसुम के पिछवाड़े पर हाथ फेरते हुए गांड में उंगली करी और होंट काटते हुए कहा- आह, क्या मस्त गांड है, चोदने में मज़ा आ जाएगा।
कुसुम अब पूरी नंगी थी। मोहन और मेरे लण्ड लुंगी मैं गर्म हो चुके थे और कुसुम के नंगे छेदों मैं घुसने के लिए तड़प रहे थे।
मुन्नी ने कुसुम के चूतड़ों को सहलाते हुए कहा- अब प्यार से मोहन जी का लण्ड निकाल कर एक रंडी की तरह सहलाओ और अपनी चूत में डलवाओ।
मोहन के पास आकर कुसुम ने उनकी लुंगी खोल दी मोहन का लम्बा टनाटन लण्ड बाहर निकल आया।
कुसुम मोहन का लण्ड धीरे धारे सहलाने लगी, मोहन कुसुम की चूचियाँ दबाने लगा, मुन्नी मुस्कराती हुई बोली- इस कुतिया को लोड़े पर बैठा लो आज ! गीता भाभी की तरफ से पूरी छूट है।
गीता बोली- मोहन, इसे अपने लण्ड पर बैठाओ, जब तुम्हारा लण्ड इसकी चूत में घुसेगा तब मेरे कलेजे को कितनी ठंडक पहुंचेगी, मुझे ही यह बात पता है।
मोहन जमीन पर दीवार के सहारे अपना टनकता लण्ड हाथ में पकड़े गद्दे पर बैठ गया, कुसुम को मुन्नी हाथ पकड़ कर खींच कर लाई और उसके दोनों नंगे चूतड़ों पर दो दो पटाख पटाख चांटे धरते हुए कहा- रानी, हमें तेरी चूत में लण्ड घुसते हुए देखना है, चुपचाप मोहन जी के लण्ड पर अपनी चूत टिका दे।
मोहन ने कुसुम की जांघें चौड़ी करवा दी और इस तरह से उसकी कमर को पकड़ा कि लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर छुलने लगा।
सामने भाभी और मुन्नी उसकी चूत में लौड़ा घुसने का इंतज़ार करने लगीं।
दूसरे कमरे मैं भाभी और मुन्नी ने अपनी साड़ी उतार ली और कुसुम की साड़ी भी उतरवा दी।
भाभी कुसुम के पेटीकोट का नाड़ा खींचकर बोली- कुसुम प्यारी, हमारी तुम्हारे कपड़ों से कोई दुश्मनी नहीं है, इन्हें उतार दो न।
तभी मैं और मोहन भी उस कमरे में आ गए। मोहन को देखकर कुसुम ने नीचे सरकते हुए पेटीकोट को पकड़ लिया, वो शरमा रही थी। कुसुम बोली- मुझे मोहन भैया से शर्म आ रही है।
मुन्नी बोली- इतनी शर्म आ रही है तो मोहन भैया से ही तुझे नंगी करा देते हैं। बेचारे सीधे साधे भैया जी को तूने थप्पड़ मारा था। उस दिन तू जब पैसे चुरा कर भाग रही थी तब तूने राखी की साड़ी पहने हुई थी ताकि दूर से तुझे कोई पहचान नहीं पाए। राखी से ये मजाक करते रहते हैं, इन्होंने राखी के धोखे में तेरे चूतड़ों पर हाथ फेर दिया और तूने इनको थप्पड़ मार दिया। आज तेरे थप्पड़ का बदला ये प्यार से तेरे चूतड़ों में अपना लण्ड डालकर देगें।
मुन्नी मोहन को आँख मारते हुए बोली- जेठ जी, देवरानी जी को नंगी करिए ना ! ऐसा शुभ दिन रोज़ रोज़ कहाँ आता है।
मोहन आगे बढ़ा और उसने गीता का हाथ पेटीकोट से हटा दिया, पेटीकोट सरसराता हुआ नीचे गिर गया, कुसुम के चूत प्रदेश का एक सुंदर नज़ारा हम सभी ने देखा।
कुसुम ने शर्म से अपनी टांगें आपस में मिला लीं।
गीता मुँह बनाते हुए बोली- राकेश भैया, आप जाकर इसे पूरी नंगी करो, इनके बस का नहीं है, देखो कुतिया ने कैसे चूत को टांगों में छुपा कर रखा हुआ है जैसे कोई पतिव्रता औरत नंगी हो रही हो। इसने कम से कम दस लण्ड खा रखे हैं, पूरी रंडी है, इसकी चाल देखकर कोई भी औरत बता देगी।
मैं कुसुम के पीछे पहुँच गया। मोहन साइड में हट गए।
कुसुम के ब्लाउज के कप ऊपर उठा कर उसकी दोनों चूचियाँ बाहर निकाल दीं और उनको दबाते हुए कान में फुसफुसाया- अब बकरी बन गई हो तो थोड़ी बेशर्म हो जाओ और सबको मज़े दो और खुद भी लो ! सब अंदर के लोग ही हैं।
मैंने उसकी चूत पर एक हाथ ले जाकर उसकी टांगें चौड़ी की और चूत में उंगली घुसा दी।
मुन्नी बोली- यह हुई न बात ! क्या फ़ूली हुई चूत है !
गीता अपनी मैक्सी के ऊपर से चूत रगड़ते हुए बोली- जरा इसका पिछवाड़ा भी तो दिखा दो।
अब उसका ब्लाउज उतारते हुए कुसुम को अपनी तरफ सीधा किया और अपने से चिपका लिया उसके नंगे पिछवाड़े का मज़ा तीनों लोग ले रहे थे।
मैंने मोहन को आँख मारी तो मोहन ने कुसुम के पिछवाड़े पर हाथ फेरते हुए गांड में उंगली करी और होंट काटते हुए कहा- आह, क्या मस्त गांड है, चोदने में मज़ा आ जाएगा।
कुसुम अब पूरी नंगी थी। मोहन और मेरे लण्ड लुंगी मैं गर्म हो चुके थे और कुसुम के नंगे छेदों मैं घुसने के लिए तड़प रहे थे।
मुन्नी ने कुसुम के चूतड़ों को सहलाते हुए कहा- अब प्यार से मोहन जी का लण्ड निकाल कर एक रंडी की तरह सहलाओ और अपनी चूत में डलवाओ।
मोहन के पास आकर कुसुम ने उनकी लुंगी खोल दी मोहन का लम्बा टनाटन लण्ड बाहर निकल आया।
कुसुम मोहन का लण्ड धीरे धारे सहलाने लगी, मोहन कुसुम की चूचियाँ दबाने लगा, मुन्नी मुस्कराती हुई बोली- इस कुतिया को लोड़े पर बैठा लो आज ! गीता भाभी की तरफ से पूरी छूट है।
गीता बोली- मोहन, इसे अपने लण्ड पर बैठाओ, जब तुम्हारा लण्ड इसकी चूत में घुसेगा तब मेरे कलेजे को कितनी ठंडक पहुंचेगी, मुझे ही यह बात पता है।
मोहन जमीन पर दीवार के सहारे अपना टनकता लण्ड हाथ में पकड़े गद्दे पर बैठ गया, कुसुम को मुन्नी हाथ पकड़ कर खींच कर लाई और उसके दोनों नंगे चूतड़ों पर दो दो पटाख पटाख चांटे धरते हुए कहा- रानी, हमें तेरी चूत में लण्ड घुसते हुए देखना है, चुपचाप मोहन जी के लण्ड पर अपनी चूत टिका दे।
मोहन ने कुसुम की जांघें चौड़ी करवा दी और इस तरह से उसकी कमर को पकड़ा कि लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर छुलने लगा।
सामने भाभी और मुन्नी उसकी चूत में लौड़ा घुसने का इंतज़ार करने लगीं।
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Re: इंतकाम की ज्वाला
मोहन ने एक जोर का झटका मारते हुए लोड़ा उसकी चूत में घुसा दिया और अब वो मोहन के लण्ड पर बैठी हुई थी।
मोहन ने उसकी कमर पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करते हुए चोदना शुरू कर दिया था।
दोनों औरतें उसकी चूत में लोड़ा पिलता देख कर खुश हो रहीं थीं।
कुसुम के छोटे छोटे चूचे ऊपर नीचे होते हुए हिल रहे थे।
उसकी चूत मैं लण्ड अंदर-बाहर होते हुए बाहर से साफ़ दिख रहा था।
दोनों औरतें कुसुम की लुटती जवानी का मज़ा ले रही थीं।
मोहन ने कुसुम को उठा कर उसे लेटा दिया था और उसकी चूत की कमांड अपने हाथों में लेते हुए उसकी जांघें उठाकर उसकी चूत चोदनी शुरू कर दी, कुसुम उह… आः… उह… उई… उऊ… करने लगी।
कुछ देर बाद मोहन ने लण्ड निकाल कर अपने वीर्य की बारिश कुसुम के ऊपर कर दी। कुसुम ने शर्म से आँखें बंद कर ली थीं।
भाभी ने आँख मारी और बोली- यह शरमा बहुत रही है, इसकी घोड़ी चुदाई करवाते हैं और इसके मुँह और चूत में साथ साथ लण्ड डलवाते हैं।
कुसुम हाथ जोड़ते हुए बोली- मुझे शर्म आ रही है, प्लीज दीदी, मुझे छोड़ दो ! अकेले में आप जिससे कहोगी उससे चुद लूँगी।
मुन्नी बोली- आह, अब पता चला न जब खुले में चुदती है तब कैसा लगता है। चल अब तुझे दूसरे कमरे में चुदवाती हूँ।
दूसरे कमरे में गद्देदार सोफा पड़ा हुआ था, उस पर मोहन टांगें फ़ैलाकर बैठ गया।
कुसुम को मुन्नी ने घोड़ी बना दिया और उसका मुँह मोहन की जाँघों के बीच रखा दिया।
कुसुम ने आगे बढ़कर मुन्नी के इशारे पर मोहन का झड़ा हुआ लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मोहन भैया लण्ड चुसवाते हुए कभी धीरे धीरे से उसके चूतड़ सहलाते और कभी उन पर चांटे मार देते।
आज कुसुम उनका निजी माल जो बनी हुई थी।
गीता और मुन्नी यह देखकर अपनी मैक्सी ऊपर उठाकर चूत में उंगली कर रही थीं।
गीता ने उसके नर्म नर्म गुदाज़ चूतड़ों की तरफ देखते हुए धीरे से मेरे कान मैं कहा- चूतड़ तो कुतिया के बड़े मस्त हैं ! उस दिन मेरी घोड़ी चुदाई देखकर बहुत खुश हो रही थी और मेरी गांड में मोमबत्ती घुसाई थी हरमिन ने, आज तुम्हारा लण्ड डलवाती हूँ इसकी गांड में ! दो दो लण्डों से चुदेगी, तब पता चलेगा कुतिया को कि गीता की चुदाई देखने का मज़ा क्या होता है।
मुन्नी ने गीता की आवाज़ सुन ली थी, बोली- राकेश भैया, देर क्यों कर रहे हैं, जाकर इसकी गांड चोदिये ना, मेरी चुदाई का बदला तो तभी पूरा होगा जब इसकी गांड चुदेगी और आपके टट्टे इसके चूतड़ों पर तबला बजाएंगे।
मैंने आगे बढ़कर कुसुम की गांड के मुँह पर अपना लण्ड रख दिया और एक चुटकी उसकी कमर पर ली, यह एक इशारा था जिसका मतलब था गांड चुदवाते हुए कुसुम को जोर जोर से ऐसे चीखना है जैसे कि कुंवारी लड़की की गांड खोली जा रही है।
कुसुम ने मोहन का लण्ड मुँह से बाहर निकाल दिया और बोली- ऊई, यह क्या कर रहे हैं, मर जाऊँगी मैं।
मैंने उसके चूचियाँ हाथ में पकड़ी और लण्ड अंदर पेल दिया। कुसुम चीखने का नाटक करने लगी- आह… ऊहूह… मर गई… मर गई…
मुन्नी यही सुनना चाह रही थी।
‘दीदी छुड़वाओ… ऊई… दर्द हो रहा है… ऊऊ… ऊ… मर गई…’
मुन्नी ताली बजाते हुए बोली- आह, अब आया न असली मज़ा !
थोड़ी देर में पूरा लण्ड मैंने कुसुम की गांड में घुसा दिया मोहन और मैं उसकी कमर पकड़े हुए थे।
उसकी गांड अब मैं दनादन पेल रहा था मेरे टट्टे उसके चूतड़ों से टकरा रहे थे और तबला बजा रहे थे।
कुसुम चीखें मार रही थी, उत्तेजना में गीता और मुन्नी ने अपनी मैक्सी उतार दी थीं, दोनों एक दूसरे की चूत में उंगली करते हुए कुसुम की गांड चुदाई के मज़े ले रही थीं।
कुछ देर बाद मैंने अपना पूरा वीर्ये उसकी गांड में छोड़ दिया।
इसके बाद मैंने और मोहन ने सोफे पर बैठकर कुसुम को अपनी गोद में लेटा लिया और मोहन ने अपना लण्ड उसके मुँह में दुबारा लगा दिया और उसे चुसवाने लगे, कुछ देर बाद मोहन भैया का ढेर सारा वीर्य कुसुम के मुँह में भर गया।
अब मुन्नी एक चुदी हुई औरत की तरह हम दोनों की गोद में टांगें फेला कर सीधी लेट गई।
मुन्नी कुसुम के गालों पर पप्पी लेते हुए बोली- अब हम लोग चाय पीते हैं, उसके बाद दूसरी पारी होगी। पहली में तो तूने खूब मज़े लिए हैं। जान कर एसे चिल्ला रही थी जैसे तेरी कुंवारी गांड चुद रही हो। मेरी भी गांड चुदी हुई है और जिसकी चुदी होती है उसे पता होता है पहली गांड चुदाई का दर्द क्या होता है।
गीता बोली- इसे तो 3-3 लण्डों से पिलवाना पड़ेगा, तब सुधरेगी यह।
उसके बाद हम सब नंगे होकर प्रेम से चाय पीने लगे। मैंने मुन्नी के गले में हाथ डालते हुए कुसुम की तरफ देखते हुए कहा- मुन्नी, तुम्हें एक वादा करना होगा !
मुन्नी बोली- राकेश, तुमने मुझ पर इतने अहसान किये हैं, तुम कहोगे तो मैं तुम्हारा मूत भी ख़ुशी ख़ुशी पी लूँगी।
मैं बोला- आज की सजा के बाद तुम कुसुम से वैसा ही प्यार करोगी जैसा पहले करती थीं।
मुन्नी बोली- ठीक है, लेकिन आज के बदले के बाद !
कुसुम रोते हुए बोली- दीदी, सच मेरे कारण गीता भाभी और आपको बहुत सहना पड़ा, आप मेरी 3-3 से नहीं 4-4 लण्डों से मेरी चूत चुदवाओ पर आप मुझसे प्यार करना मत छोड़ना और मेरे गाँव में कुछ नहीं कहना ! आगे से मैं कभी आपको धोखा नहीं दूंगी।
चाय पीने के बाद आधा घंटा हम सब ने आराम किया।
मोहन ने उसकी कमर पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करते हुए चोदना शुरू कर दिया था।
दोनों औरतें उसकी चूत में लोड़ा पिलता देख कर खुश हो रहीं थीं।
कुसुम के छोटे छोटे चूचे ऊपर नीचे होते हुए हिल रहे थे।
उसकी चूत मैं लण्ड अंदर-बाहर होते हुए बाहर से साफ़ दिख रहा था।
दोनों औरतें कुसुम की लुटती जवानी का मज़ा ले रही थीं।
मोहन ने कुसुम को उठा कर उसे लेटा दिया था और उसकी चूत की कमांड अपने हाथों में लेते हुए उसकी जांघें उठाकर उसकी चूत चोदनी शुरू कर दी, कुसुम उह… आः… उह… उई… उऊ… करने लगी।
कुछ देर बाद मोहन ने लण्ड निकाल कर अपने वीर्य की बारिश कुसुम के ऊपर कर दी। कुसुम ने शर्म से आँखें बंद कर ली थीं।
भाभी ने आँख मारी और बोली- यह शरमा बहुत रही है, इसकी घोड़ी चुदाई करवाते हैं और इसके मुँह और चूत में साथ साथ लण्ड डलवाते हैं।
कुसुम हाथ जोड़ते हुए बोली- मुझे शर्म आ रही है, प्लीज दीदी, मुझे छोड़ दो ! अकेले में आप जिससे कहोगी उससे चुद लूँगी।
मुन्नी बोली- आह, अब पता चला न जब खुले में चुदती है तब कैसा लगता है। चल अब तुझे दूसरे कमरे में चुदवाती हूँ।
दूसरे कमरे में गद्देदार सोफा पड़ा हुआ था, उस पर मोहन टांगें फ़ैलाकर बैठ गया।
कुसुम को मुन्नी ने घोड़ी बना दिया और उसका मुँह मोहन की जाँघों के बीच रखा दिया।
कुसुम ने आगे बढ़कर मुन्नी के इशारे पर मोहन का झड़ा हुआ लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मोहन भैया लण्ड चुसवाते हुए कभी धीरे धीरे से उसके चूतड़ सहलाते और कभी उन पर चांटे मार देते।
आज कुसुम उनका निजी माल जो बनी हुई थी।
गीता और मुन्नी यह देखकर अपनी मैक्सी ऊपर उठाकर चूत में उंगली कर रही थीं।
गीता ने उसके नर्म नर्म गुदाज़ चूतड़ों की तरफ देखते हुए धीरे से मेरे कान मैं कहा- चूतड़ तो कुतिया के बड़े मस्त हैं ! उस दिन मेरी घोड़ी चुदाई देखकर बहुत खुश हो रही थी और मेरी गांड में मोमबत्ती घुसाई थी हरमिन ने, आज तुम्हारा लण्ड डलवाती हूँ इसकी गांड में ! दो दो लण्डों से चुदेगी, तब पता चलेगा कुतिया को कि गीता की चुदाई देखने का मज़ा क्या होता है।
मुन्नी ने गीता की आवाज़ सुन ली थी, बोली- राकेश भैया, देर क्यों कर रहे हैं, जाकर इसकी गांड चोदिये ना, मेरी चुदाई का बदला तो तभी पूरा होगा जब इसकी गांड चुदेगी और आपके टट्टे इसके चूतड़ों पर तबला बजाएंगे।
मैंने आगे बढ़कर कुसुम की गांड के मुँह पर अपना लण्ड रख दिया और एक चुटकी उसकी कमर पर ली, यह एक इशारा था जिसका मतलब था गांड चुदवाते हुए कुसुम को जोर जोर से ऐसे चीखना है जैसे कि कुंवारी लड़की की गांड खोली जा रही है।
कुसुम ने मोहन का लण्ड मुँह से बाहर निकाल दिया और बोली- ऊई, यह क्या कर रहे हैं, मर जाऊँगी मैं।
मैंने उसके चूचियाँ हाथ में पकड़ी और लण्ड अंदर पेल दिया। कुसुम चीखने का नाटक करने लगी- आह… ऊहूह… मर गई… मर गई…
मुन्नी यही सुनना चाह रही थी।
‘दीदी छुड़वाओ… ऊई… दर्द हो रहा है… ऊऊ… ऊ… मर गई…’
मुन्नी ताली बजाते हुए बोली- आह, अब आया न असली मज़ा !
थोड़ी देर में पूरा लण्ड मैंने कुसुम की गांड में घुसा दिया मोहन और मैं उसकी कमर पकड़े हुए थे।
उसकी गांड अब मैं दनादन पेल रहा था मेरे टट्टे उसके चूतड़ों से टकरा रहे थे और तबला बजा रहे थे।
कुसुम चीखें मार रही थी, उत्तेजना में गीता और मुन्नी ने अपनी मैक्सी उतार दी थीं, दोनों एक दूसरे की चूत में उंगली करते हुए कुसुम की गांड चुदाई के मज़े ले रही थीं।
कुछ देर बाद मैंने अपना पूरा वीर्ये उसकी गांड में छोड़ दिया।
इसके बाद मैंने और मोहन ने सोफे पर बैठकर कुसुम को अपनी गोद में लेटा लिया और मोहन ने अपना लण्ड उसके मुँह में दुबारा लगा दिया और उसे चुसवाने लगे, कुछ देर बाद मोहन भैया का ढेर सारा वीर्य कुसुम के मुँह में भर गया।
अब मुन्नी एक चुदी हुई औरत की तरह हम दोनों की गोद में टांगें फेला कर सीधी लेट गई।
मुन्नी कुसुम के गालों पर पप्पी लेते हुए बोली- अब हम लोग चाय पीते हैं, उसके बाद दूसरी पारी होगी। पहली में तो तूने खूब मज़े लिए हैं। जान कर एसे चिल्ला रही थी जैसे तेरी कुंवारी गांड चुद रही हो। मेरी भी गांड चुदी हुई है और जिसकी चुदी होती है उसे पता होता है पहली गांड चुदाई का दर्द क्या होता है।
गीता बोली- इसे तो 3-3 लण्डों से पिलवाना पड़ेगा, तब सुधरेगी यह।
उसके बाद हम सब नंगे होकर प्रेम से चाय पीने लगे। मैंने मुन्नी के गले में हाथ डालते हुए कुसुम की तरफ देखते हुए कहा- मुन्नी, तुम्हें एक वादा करना होगा !
मुन्नी बोली- राकेश, तुमने मुझ पर इतने अहसान किये हैं, तुम कहोगे तो मैं तुम्हारा मूत भी ख़ुशी ख़ुशी पी लूँगी।
मैं बोला- आज की सजा के बाद तुम कुसुम से वैसा ही प्यार करोगी जैसा पहले करती थीं।
मुन्नी बोली- ठीक है, लेकिन आज के बदले के बाद !
कुसुम रोते हुए बोली- दीदी, सच मेरे कारण गीता भाभी और आपको बहुत सहना पड़ा, आप मेरी 3-3 से नहीं 4-4 लण्डों से मेरी चूत चुदवाओ पर आप मुझसे प्यार करना मत छोड़ना और मेरे गाँव में कुछ नहीं कहना ! आगे से मैं कभी आपको धोखा नहीं दूंगी।
चाय पीने के बाद आधा घंटा हम सब ने आराम किया।
- SID4YOU
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- Joined: 29 Dec 2018 04:09
Re: इंतकाम की ज्वाला
गीता बोली- इसे तो 3-3 लण्डों से पिलवाना पड़ेगा, तब सुधरेगी यह।
उसके बाद हम सब नंगे होकर प्रेम से चाय पीने लगे। मैंने मुन्नी के गले में हाथ डालते हुए कुसुम की तरफ देखते हुए कहा- मुन्नी, तुम्हें एक वादा करना होगा !
मुन्नी बोली- राकेश, तुमने मुझ पर इतने अहसान किये हैं, तुम कहोगे तो मैं तुम्हारा मूत भी ख़ुशी ख़ुशी पी लूँगी।
मैं बोला- आज की सजा के बाद तुम कुसुम से वैसा ही प्यार करोगी जैसा पहले करती थीं।
मुन्नी बोली- ठीक है, लेकिन आज के बदले के बाद !
कुसुम रोते हुए बोली- दीदी, सच मेरे कारण गीता भाभी और आपको बहुत सहना पड़ा, आप मेरी 3-3 से नहीं 4-4 लण्डों से मेरी चूत चुदवाओ पर आप मुझसे प्यार करना मत छोड़ना और मेरे गाँव में कुछ नहीं कहना ! आगे से मैं कभी आपको धोखा नहीं दूंगी।
चाय पीने के बाद आधा घंटा हम सब ने आराम किया।
आराम करने के बाद मुन्नी कुसुम से बोली- अब जाकर मूत आ ! इसके बाद तो तेरे तीनों छेदों में गाड़ी दोड़ेगी और बीच में रुकेगी भी नहीं !
कुसुम मूतने चली गई।
गीता ने मोहन को घर भेज दिया और किसी को फ़ोन करने लगी, शायद किसी को बुला रही थी।
हम लोग अब घर के तीसरे कमरे में आ गए थे, यहाँ एक बड़ा सा शीशा लगा हुआ था और नीचे बिस्तर बिछे हुए थे।
तीनों औरतें अपने नंगे बदन शीशे में देखकर एक दूसरे की चूत और चूचियों से खेलते हुए हंसी ठिठोली कर रही थीं।
मुन्नी कुसुम से बोली- चल शीशे के सामने घोड़ी बन ! राकेश भैया का लण्ड तेरी चूत में डलवाती हूँ ! शीशे में तेरी चुदाई देखने में तो मज़ा आ जाएगा।
कुसुम बोली- दीदी, पिछले कमरे में चलते हैं न !
मुन्नी बोली- उह… अपनी फ़ुद्दी चुदती देखने में शर्म आ रही है? अच्छा तू यह काली पट्टी बांध ले ! उसके बाद शर्म नहीं आएगी।
गीता और मुन्नी ने कस कर पट्टी उसकी आँखों पर बाँध दी। उसके बाद गीता ने मेरे कान में बताया की मुकुंद सेठ और चिंटू आ रहे हैं दोनों के लण्ड और डलवाने हैं इस रंडी की चूत में।
पट्टी बंधने के बाद कुसुम को मुन्नी ने शीशे के सामने घोड़ी बना दिया मैंने पीछे जाकर कुसुम की चूत में अपना लोड़ा लगा दिया और कुसुम को धीरे धीरे चोदने लगा।
तभी मुझे शीशे में चिंटू और मुकुंद सेठ दरवाज़े पर खड़े दिखे, मुन्नी और गीता ने मुझे चुप रहने का इशारा किया। कुसुम की चूत धीरे धीरे मेरा लण्ड खा रही थी।
मुन्नी चिंटू की तरफ आँख मारने का इशारा करते हुए बोली- मोहन जी, आप भी अपना लौड़ा इसके मुँह में डालिए ना ! कितना अच्छा लगेगा जब एक लण्ड चूत में और दूसरा मुँह में साथ साथ दोड़ेगा ! जल्दी करिए !
चिंटू ने अपनी लुंगी उतार दी उसका लण्ड मुझसे भी मोटा और लम्बा था।
कुसुम के मुँह के आगे खड़े होकर चिंटू ने लौड़ा उसके होंटों पर रख दिया।
मोहन के धोखे में कुसुम ने एक ही पल में लोड़ा मुँह में ले लिया।
एक मोटा लण्ड उसके मुँह में घुस गया था।
हम दोनों ने एक दूसरे को देखते हुए उसकी चूत और मुँह में धीरे धीरे लोड़ा पेलना शुरू कर दिया। मुन्नी अब दो दो लण्डों का मज़ा ले रही थी, उसकी घुटी आवाज़ हमारी चुदाई का आनन्द बढ़ा रही थी।
थोड़ी देर बाद हम दोनों हट गए, कुसुम होंटों पर जीभ फिराते हुए बोली- और… आह… आह… उह… और चोदिये न… बड़ा मज़ा आ रहा था… जल्दी डालिए… और चोदिये न…
मुकुंद सेठ की लुंगी गीता ने खोल दी, उनका पिचकू लण्ड भी खड़ा हुआ था। मुन्नी ने मुकुंद सेठ का हाथ पकड़ कर कुसुम के मुँह के आगे उनका लण्ड डाल दिया।
कुसुम ने पतला सा तीन इंची लम्बा लण्ड मुँह में ले लिया। अब कुसुम की चूत पर चिंटू ने पीछे से जाकर अपना कब्ज़ा कर लिया था और लण्ड डाल कर उसकी चूत चोदने लगा था।
मैं कुसुम के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गया मुन्नी से रहा नहीं गया, वो मेरे लोड़े पर आकर बैठ गई।
उसने गीता को इशारा किया, गीता ने जाकर कुसुम की पट्टी खोल दी।
कुसुम ने जब सामने देखा तो वो चोंक गई, सामने सेठ का लोड़ा उसके मुँह में घुसा हुआ था और उसके आगे मुन्नी मेरे लण्ड पर बैठी हुई थी और शीशे में चिंटू उसकी चूत में ठकाठक लण्ड पेल रहा था।
उसके मुँह से सेठ का लण्ड निकल गया, गीता बोली- कुतिया, सेठ जी का लौड़ा मुँह में चूस ! मुझे भी चूसना पड़ा था, तुझे याद होगा बहुत ताली बजा रही थी तू।
चिंटू ने उसकी चोटी खींच कर लौड़ा उसकी गांड पर लगा दिया, चिंटू का लण्ड गधे की तरह था, गांड में घुसते ही कुसुम की चीख निकल गई, दो धक्कों में चिंटू ने गांड के अंदर पूरा लण्ड पेल दिया और 5-6 करारे झटके कुसुम की गांड पर मारे।
कुसुम दर्द से चिल्ला उठी, इसके बाद चिंटू ने लण्ड बाहर निकाल लिया और गालों पर एक पप्पी लेते हुए बोला- सेठ जी के पिचकू को मुँह में ले ना ! शीशे में जब तुझे लोड़ा चूसते देखता हूँ तो चोदने में बड़ा आनन्द आता है।
उसके बाद हम सब नंगे होकर प्रेम से चाय पीने लगे। मैंने मुन्नी के गले में हाथ डालते हुए कुसुम की तरफ देखते हुए कहा- मुन्नी, तुम्हें एक वादा करना होगा !
मुन्नी बोली- राकेश, तुमने मुझ पर इतने अहसान किये हैं, तुम कहोगे तो मैं तुम्हारा मूत भी ख़ुशी ख़ुशी पी लूँगी।
मैं बोला- आज की सजा के बाद तुम कुसुम से वैसा ही प्यार करोगी जैसा पहले करती थीं।
मुन्नी बोली- ठीक है, लेकिन आज के बदले के बाद !
कुसुम रोते हुए बोली- दीदी, सच मेरे कारण गीता भाभी और आपको बहुत सहना पड़ा, आप मेरी 3-3 से नहीं 4-4 लण्डों से मेरी चूत चुदवाओ पर आप मुझसे प्यार करना मत छोड़ना और मेरे गाँव में कुछ नहीं कहना ! आगे से मैं कभी आपको धोखा नहीं दूंगी।
चाय पीने के बाद आधा घंटा हम सब ने आराम किया।
आराम करने के बाद मुन्नी कुसुम से बोली- अब जाकर मूत आ ! इसके बाद तो तेरे तीनों छेदों में गाड़ी दोड़ेगी और बीच में रुकेगी भी नहीं !
कुसुम मूतने चली गई।
गीता ने मोहन को घर भेज दिया और किसी को फ़ोन करने लगी, शायद किसी को बुला रही थी।
हम लोग अब घर के तीसरे कमरे में आ गए थे, यहाँ एक बड़ा सा शीशा लगा हुआ था और नीचे बिस्तर बिछे हुए थे।
तीनों औरतें अपने नंगे बदन शीशे में देखकर एक दूसरे की चूत और चूचियों से खेलते हुए हंसी ठिठोली कर रही थीं।
मुन्नी कुसुम से बोली- चल शीशे के सामने घोड़ी बन ! राकेश भैया का लण्ड तेरी चूत में डलवाती हूँ ! शीशे में तेरी चुदाई देखने में तो मज़ा आ जाएगा।
कुसुम बोली- दीदी, पिछले कमरे में चलते हैं न !
मुन्नी बोली- उह… अपनी फ़ुद्दी चुदती देखने में शर्म आ रही है? अच्छा तू यह काली पट्टी बांध ले ! उसके बाद शर्म नहीं आएगी।
गीता और मुन्नी ने कस कर पट्टी उसकी आँखों पर बाँध दी। उसके बाद गीता ने मेरे कान में बताया की मुकुंद सेठ और चिंटू आ रहे हैं दोनों के लण्ड और डलवाने हैं इस रंडी की चूत में।
पट्टी बंधने के बाद कुसुम को मुन्नी ने शीशे के सामने घोड़ी बना दिया मैंने पीछे जाकर कुसुम की चूत में अपना लोड़ा लगा दिया और कुसुम को धीरे धीरे चोदने लगा।
तभी मुझे शीशे में चिंटू और मुकुंद सेठ दरवाज़े पर खड़े दिखे, मुन्नी और गीता ने मुझे चुप रहने का इशारा किया। कुसुम की चूत धीरे धीरे मेरा लण्ड खा रही थी।
मुन्नी चिंटू की तरफ आँख मारने का इशारा करते हुए बोली- मोहन जी, आप भी अपना लौड़ा इसके मुँह में डालिए ना ! कितना अच्छा लगेगा जब एक लण्ड चूत में और दूसरा मुँह में साथ साथ दोड़ेगा ! जल्दी करिए !
चिंटू ने अपनी लुंगी उतार दी उसका लण्ड मुझसे भी मोटा और लम्बा था।
कुसुम के मुँह के आगे खड़े होकर चिंटू ने लौड़ा उसके होंटों पर रख दिया।
मोहन के धोखे में कुसुम ने एक ही पल में लोड़ा मुँह में ले लिया।
एक मोटा लण्ड उसके मुँह में घुस गया था।
हम दोनों ने एक दूसरे को देखते हुए उसकी चूत और मुँह में धीरे धीरे लोड़ा पेलना शुरू कर दिया। मुन्नी अब दो दो लण्डों का मज़ा ले रही थी, उसकी घुटी आवाज़ हमारी चुदाई का आनन्द बढ़ा रही थी।
थोड़ी देर बाद हम दोनों हट गए, कुसुम होंटों पर जीभ फिराते हुए बोली- और… आह… आह… उह… और चोदिये न… बड़ा मज़ा आ रहा था… जल्दी डालिए… और चोदिये न…
मुकुंद सेठ की लुंगी गीता ने खोल दी, उनका पिचकू लण्ड भी खड़ा हुआ था। मुन्नी ने मुकुंद सेठ का हाथ पकड़ कर कुसुम के मुँह के आगे उनका लण्ड डाल दिया।
कुसुम ने पतला सा तीन इंची लम्बा लण्ड मुँह में ले लिया। अब कुसुम की चूत पर चिंटू ने पीछे से जाकर अपना कब्ज़ा कर लिया था और लण्ड डाल कर उसकी चूत चोदने लगा था।
मैं कुसुम के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गया मुन्नी से रहा नहीं गया, वो मेरे लोड़े पर आकर बैठ गई।
उसने गीता को इशारा किया, गीता ने जाकर कुसुम की पट्टी खोल दी।
कुसुम ने जब सामने देखा तो वो चोंक गई, सामने सेठ का लोड़ा उसके मुँह में घुसा हुआ था और उसके आगे मुन्नी मेरे लण्ड पर बैठी हुई थी और शीशे में चिंटू उसकी चूत में ठकाठक लण्ड पेल रहा था।
उसके मुँह से सेठ का लण्ड निकल गया, गीता बोली- कुतिया, सेठ जी का लौड़ा मुँह में चूस ! मुझे भी चूसना पड़ा था, तुझे याद होगा बहुत ताली बजा रही थी तू।
चिंटू ने उसकी चोटी खींच कर लौड़ा उसकी गांड पर लगा दिया, चिंटू का लण्ड गधे की तरह था, गांड में घुसते ही कुसुम की चीख निकल गई, दो धक्कों में चिंटू ने गांड के अंदर पूरा लण्ड पेल दिया और 5-6 करारे झटके कुसुम की गांड पर मारे।
कुसुम दर्द से चिल्ला उठी, इसके बाद चिंटू ने लण्ड बाहर निकाल लिया और गालों पर एक पप्पी लेते हुए बोला- सेठ जी के पिचकू को मुँह में ले ना ! शीशे में जब तुझे लोड़ा चूसते देखता हूँ तो चोदने में बड़ा आनन्द आता है।