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मैं फ्रिड्ज से एक बॉटल बियर और एक कोक की बॉटल ले आया ..उसकी कोक ग्लास में डाला और थोड़ी बियर उसमें मिला दी ... और उसको थमा दिया ..फिर मैने भी बियर मग में डाल ली और मग लिए उसकी बगल में पहले की ही तरह चीपक कर बैठ गया ..
" कम ऑन स्वेता ..चियर्स ..! " मेरी मग और उसकी ग्लास टकराए और अपने अपने होठों से लग गये ..हल्के हल्के सीप ले रहे थे ...चूँकि उसकी कोक में बियर मिली थी ..इसलिए उसे थोड़ी कड़वाहट महसूस हुई , पर इतना नहीं के उसे अच्छा ना लगे ..
दो चार घूँट अंदर लेने के बाद स्वेता फिर बोल उठी ,
" अरे यार कुछ बोलोगे भी तुम ..क्या करते तुम मेरे साथ ... " और उसकी ज़ुबान में हल्की सी लड़खड़ाहट थी ... बहोत थोड़ी सी फिसलन .. अब तक उसकी सारी का पल्लू नीचे था सोफे पर ..उसकी छाती , पेट और पीठ लगभग नंगे थे ..उसकी साँसें तेज़ थीं और मेरे चेहरे पर उसके साँसों का झोंका आ रहा था..
मैं पहले तो एक बड़ा सा घूँट लिया बियर का और उसकी ऑर अपना चेहरा किया और कहा
" स्वेता इतनी हसीन , खूबसूरत और सेक्सी लड़की के साथ सब से पहले तो मैं यह करता ..."
स्वेता की आँखों में चमक और आशा की किरण थी ..मेरी ओर एक टक देखने लगी ..और मैने उसे निराश नहीं किया और अपने शब्द ख़तम होते ही उसे अपनी बाहों से जाकड़ लिया , अपने हाथ उसकी पीठ पर फेरने लगा....उसकी चूचियाँ मेरे सीने में दबी थीं ... जैसे बलून दब्ता है ... हमारी साँसें तेज़ हो गयीं...स्वेता को अब धीरे धीरे बियर का शूरूर आ रहा था ..उस ने कहा "फिर ...??"
मैने अपने होंठ उसके होंठों से लगाए और हल्के से चूम लिया ...और अब और उसके सवाल का इंतेज़ार किए बिना आगे बढ़ता गया ..उस ने भी अब सवाल करना बंद कर दिया ..
मेरा हल्का चूमना अब जोरदार किस में बदल चूका था ... उसके होंठ पूरे खूल गये थे ..मैं उसके भरे भरे होंठों को चूसे जा रहा था ... चूमे जा रहा था .. उस ने भी मुझे अपनी बाहों से जाकड़ लिया था और पूरा साथ दे रही थी मेरा .. दोनों एक दूसरे से चीपके थे ...मैने उसकी पीठ से ब्लाउस का स्ट्रॅप एक झटके में उतारा और ब्रा का स्ट्रॅप स्वेता ने ही हाथ पीछे करते हुए खोल दिया .. उसकी दोनों भारी भारी चूचियाँ उछल पड़ीं मेरे सीने पर .. आहह मैं एक अजीब सीहरन से भर उठा ... मैने अपनी जीभ उसके मुँह मे डाला और उसकी जीभ चाट ने लगा .. उस ने भी पूरा मुँह खोल रखा था ..चाट रहे थे हम दोनों ..चूम रहे थे चूस रहे थे ..बियर का शूरूर था और एक दूसरे की मस्ती ..उसकी नंगी चूचियाँ बार बार मेरे सीने से टकराती ...अयाया ..
मैने अपना हाथ उसकी पीठ से हटाया और चूचियों पर रखा ...इतनी बड़ी बड़ी और टाइट चूची दबाने का एक अलग ही मज़ा होता है ...भरपूर हथेली में उसकी एक चूची थी ... मैं उसे मसल रहा था ..स्वेता तड़प उठी "... आआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...हाआंन्ननननननननननननननननननननननननननननणणन् प्रीत ... दबाओ ..दबाओ ... " मैं उसकी निपल धीरे धीरे मसल रहा था ,,उसके होंठ चूस रहा था ..उसकी जीभ चाट रहा था ...मैं एक अजीब ही मस्ती में था और स्वेता आँखें बंद किए अपने सर मेरे कंधे पर रख सिसक रही थी ..कराह रही थी ..."....आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....हूऊऊऊऊऊवन्न ..माँ अयीयीयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैयीयीयियी ... हां हां चूसो , चाटो , ...अयाया प्रीत .प्रीत आज मुझे पूरा चाट जाओ ..चूस लो ...आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह " उसकी आवाज़ में नशा था ... मस्ती थी ..मैने भी अपना शर्ट और बनियान उतार फेंका ..दोनों अधनंगे थे ..चूची से सीना . पेट से पेट और मुँह से मुँह जुड़े थे ... एक दूसरे को चाट रहे थे , चूम रहे थे चूस रहे थे ...मुँह का रस पिए जा रहे थे...आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...ऊऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मस्ती का आलम था ..अब मैने अपनी एक टाँग उसकी जांघों के उपर रख दिया ..उसकी गूदाज जंघें जाकड़ लीं जोरों से ..और अपना मुँह उसकी चूची से लगा दिया और भारी भारी चूची चूसने लगा ...जैसे बनारसी लन्गडे आम को चूस्ता हूँ...ख़ाता हूँ ... चूस रहा था और धीरे धीरे चबा भी रहा था ..."ओओओओओओओओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..मेरे प्रीत ..क्या कर रहे हो जान ...मैं मर जाऊंगी ...आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चूसो ..जान ..चूसो ..मेरी चूची चूस डालो ..भर लो अपने मुँह में .....आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई .." स्वेता कराह रही थी ..मैं चूसे जा रहा था ..पूरे का पूरा ... दूसरी चूची हाथ से मसल रहा था ..स्वेता ने मेरी पॅंट मेरी ज़िप खोल दी और मेरे खड़े लौडे को दबाने लगी .. सहलाने लगी ..मुट्ठी में भर लिया ..." आआआआआः ...हां स्वेता हां ....ऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह " मैं तड़प उठा ... उसका पूरी हथेली गीली हो गयी मेरे प्री कम से ..उस ने अपनी गीली हथेली मेरे पूरे लौडे पर फिराया ...और लौडे की चाँदी उपर नीचे करने लगी ... मेरा चूची चूसना तेज़ हो गया ..और तेज़ ..जैसे मैं उसकी चूची अपने मुँह में समा लूँ ''क्या करूँ उसकी चूची थी ही इतनी भारी भारी ..जितना चूस्ता उतना ही कड़ा होता जाता ...
मुझ से रहा नहीं गया ..मैने स्वेता की साड़ी की गाँठ खोल दी ..एक झटके में सारी नीचे थी ..पेटी कोट उपर उठाया ....मेरे हाथ सीधे उसकी जांघों से होता हुआ चूत पर गया ....उस ने पूरी तैयारी की थी ..पैंटी नहीं थी ..चूत नंगी थी ..एक दम सपाट ...एक भी बाल नहीं ...आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी हथेली में उसकी मांसल और फूली फूली चूत पूरी की पूरी भरी थी मैं हल्के हल्के दबाए जा रहा था ... उसका पानी मेरी हथेली को चीप चीपा कर रहा था ..मैं रगडे जा रहा था उसकी चूत ..स्वेता चिल्ला पड़ी .".प्रीईईईईईईट ...प्रीईएट अब और नहीं जान ...मेरी जाअंन्नननननननननननननननननणणन् निकल जाएगीइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईई " और मेरे लौडे को थामे अपनी चूत में रगड़ने लगी .." डाल दो मेरी जान इसे ...मेरी चूत तड़प रही है ..मैं भी तड़प रही हूँ ..और नहीं ..चलो ना अंदर ... चोद लो ना .. "
मैं भी अब पूरी तरह तैयार था ... उसे चिपकाया अपने से , ववो उठ गयी ..मेरे सीने से लगे लगे ..मैं भी उसे चिपकाए चीपकाए ही अपने बेड रूम की ओर बढ़ता गया ...
मैने उसे अपने बेड पर एक छोर में ही लीटा दिया ... वो आधी बेड पर थी और टाँगें बेड के नीचे थी ... मैं उसकी टाँगों के बीच आ गया और अपनी पॅंट उतार दी .. दोनों पूरे नंगे थे ... उसकी टाँगें उपर उठी थीं ..चूत पूरी खूली थी ..पानी से सराबोर ..चीप चीपी ...मुँह ख़ूला था ..गुलाबी चूत ...आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या नज़ारा था ..मैने पहले उसकी चूत को जोरदार तरीके से चाटा ..तड़प उठी स्वेता .."ःआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. क्या कर रहे हो ..डालो ना ..लॉडा पेल दो ना .. रूको मत प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़....डाल दो ..." मेरा भी बूरा हाल था ..मैने उसकी टाँगें उठाई अपने कंधे पर रखा और अपना लॉडा एक झटके में उसकी चूत के अंदर पेल दिया ....उसकी चूत इतनी गीली थी //मेरा मोटा लंड एक झटके में पूरा अंदर था ..."ःआआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..ऊऊहुउउउउउउउउउउउउउउउ मार डाला ....आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह रूको मत जान ..'' मैने लौडे को बाहर निकाला और कमर को झटका देते हुए फिर से अंदर डाल दिया ...अयाया क्या चूत थी ..पूरी की पूरी मांसल .. सॉफ्ट .. फूली हुई ... एक अजीब मस्ती थी अंदर , गर्म सॉफ्ट और गीला ... मैं जोरदार झटके लगा रहा था धक्के पे धक्का हर धक्के में स्वेता उछल पड़ती ...चिल्ला उठती मस्ती में ..."हान्ंनननननननननननननननणणन् ..हान्ंनननननननननननननननननननणणन् जान ..बस ऐसे ही मार दो ..फाड़ दो ..चोद लो ..आज ऐसी चुदाई .... आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं मरी रे मरी रे... हान्ंननननननननननननननननणणन् हाँ ... " और उसकी सिसकारियों से रूम गूँज रहा था ..फतच फतच और थप थप की गूँज भी साथ दे रही थी ..तबाद तोड़ धक्के लगा रहा था मैं ..मुझे भी ऐसी मोटी , मांसल और गूदाज चूत चोदने का पहले कभी मौका नहीं मीला था ...मैं मज़े ले ले कर चोदे जा रहा था ...चोदे जा रहा था ... "आआआआआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्वेता ..स्वेता ..मैं गया ...आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..." और दो चार झटकों के बाद उसकी चूत से पानी की धार निकल गयी ..मेरा पूरा लॉडा गीला था ..मेरी जंघें भी गीली हो गयीं मैने भी अपनी पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी ...गर्म गरम कम से उसकी चूत ठंडी हो रही थी ..स्वेता आँखें बंद किए मेरे लौडे के झटके लेते हुए मेरे गर्म कम का मज़ा ले रही थी ..मैं उसकी चूचियों पर लेट गया सर रख कर ..मैं हाँफ रहा था ..स्वेता भी हाँफ रही थी ..दोनों काफ़ी देर ऐसे ही लेटे रहे ..मस्ती के आलम में ... एक दूसरे की बाहों में ...
थोड़ी देर बाद जब साँसें ठीक हुई मैने उसकी कान में धीरे से कहा " स्वेता ..मैं क्या करता समझ में आ गया ना ..??? "
उस ने बड़े प्यार से मेरी ओर देखा और कहा "हां प्रीत ..अच्छी तरह "...और फिर वो जोरों से हंस पड़ी.....
थोड़ी देर तक हम दोनों बस ऐसे ही लेटे रहे ...
फिर स्वेता ने एक मादक अंगड़ाई ली ...और कहा " ह्म्म्म........... तो तुम ने दीखा ही दिया तुम क्या करते..?"
" अब क्या करता स्वेता ..तुम ही बताओ ना ..आख़िर मैं भी इंसान हूँ .... तुम ने ऐसा जादू किया कि मैं तुम्हारे जादू के असर से अपने को बचा ना पाया ...तुम्हें बूरा लगा क्या ,,?? ""
"वाह रे वाह ..सब कुछ हो गया और अब पूछ रहे हो बूरा लगा ..??" और स्वेता ने मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे गालों को चूमते हुए कहा " भोले राजा ..बहोत अच्छा लगा ...मान गये प्रीत ..तुम नाम के ही नहीं काम के भी प्रीत हो.. " और फिर अपनी ट्रेड मार्क हँसी का फव्वारा छोड़ दिया .
" ऊवू स्वेता ..थॅंक्स आ लॉट ...मैं जाने क्या क्या सोच रहा था ,,मैने बहोत जल्दी कर दी थी ... मैं अपने आप को रोक नहीं सका ...मैं डर रहा था तुम कहीं बूरा ना मान जाओ...."
"नहीं प्रीत ..मैं भी चाहती थी ...बहोत दिनों से कुछ भी नहीं हुआ था .. शाह साहेब से तो आज कल कुछ होता ही नहीं ... बस फूच फूच कर डाल देते हैं और खाली कर देते हैं ..मैं भूखी रह जाती हूँ ...तड़पति रह जाती हूँ ... आज लगा जैसे पहली बार हो रहा है..."
" चलो मुझे खुशी हुई तुम्हें भी अच्छा लगा ..और अब तो मैं यहीं हूँ ..जब भी तुम्हारा दिल करे आ जाओ .. बेझिझक ..."
" ह्म्म्म .... देखते हैं ... अरे लेकिन मेरे पेट में तो चूहे कूद रहे हैं ...खाने का क्या इंतज़ाम है ...??"
"अरे वाह तुम ने तो मेरे मुँह की बात छीन ली ..मुझे भी जोरों की भूक लगी है ..खाना बिल्कुल तैय्यार है ...तुम तैय्यार हो जाओ ..मैं खाना लगाता हूँ .."
और मैं फटाफट उठा बाथरूम गया फ्रेश हुआ और कपड़े पहेन कर डाइनिंग टेबल पर ओवेन से खाना निकाल कर लगा दिया ..तब तक स्वेता भी एक दम फ्रेश और तैय्यार थी ..
कहानी बाकी है दोस्तो अपने कमेंट्स तो दो हॉंसला हफजाई तो करो
आपके विचार सुनने को बेताब आपका हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे
मैं फिर उसे देखता ही रहा ...अब उसके चेहरे पर एक ताज़गी थी ..एक नयी चमक थी जो उसे और भी सेक्सी और सेडक्टिव बना रही थी ..बड़ी धीमी धीमी चाल से कमर और चूतड़ मटकाती डाइनिंग टेबल के पास आई ...
" आए मिस्टर क्या देख रहे हो ..?? कभी किसी औरत को देखा नहीं क्या ..?? '' उस ने मेरे चेहरे के सामने छूटकी बजाते हुए कहा ...
" देखा है स्वेता ,,बहोत देखा है ..पर तुम्हारे जैसी नहीं .. "
" अच्छा ..?? तो क्या खास बात देखी तुम ने मुझमें ..?? मुझे तो सब मोटी मोटी कहते हैं ...तुम्हें इस मोटी औरत में क्या दीख गया जो हाथ धो कर मेरे अंदर टूट पड़े ..??? " और फिर वोही जानलेवा हँसी .
मैने उसे कमर से थामते हुए डाइनिंग टेबल की ओर ले जाते हुए कहा .." बताता हूँ बाबा बताता हूँ ..पहले बैठो तो सही ..खाना तो खा लो पहले .."
और मैने कुर्सी खींची उसे बिठाया और खुद भी उसकी बगल में बैठ गया .
"नहीं पहले बताओ ... फिर खाऊंगी ... "
"अच्छा ठीक है चलो खाना शूरू करो और साथ में मैं बताता जाऊँगा ..ओके ..?? "
"ओके बॉस ..." उस ने खाना शूरू किया और मेरी ओर देखते हुए कहा " चलो शूरू हो जाओ ..मैं तारीफ़ की भी भूखी हूँ ... ""
"देखो स्वेता ..सब से पहले तो तुम्हारा आज का ड्रेस सेन्स इतना पर्फेक्ट है ..क्या साड़ी पहनी है तुम ने ... तुम्हारी हाइट और भी उभर जाती है .. मुझे लंबी औरतें बहोत सेक्सी लगती हैं .." मैने भी खाना शूरू करते हुए कहा..
" और ...????" उस ने फिर से बड़े शरारती ढंग से मुस्कुराते हुए पूछा ..
"और ...लंबाई के साथ साथ तुम्हारे भरे भरे बदन ..दोनों मिल कर एक जानलेवा कॉंबिनेशन हो जाता है ..और शिफ्फॉन की झीनी और पतली साड़ी सब कुछ बाहर ला देता है ... " और मैं फिर से उसे एक टक देखना चालू कर दिया ...
" ह्म्म्म ... तो आप की जान आज मेरी साड़ी के अंदर चली गयी ...?? बड़ी आवारा है आपकी जान .. कहाँ कहाँ घूस्ति रहती है ... हे हे हे हे .."
" हां स्वेता बिल्कुल सही कहा तुम ने ...अभी भी वहीं अटकी है ... वापस दे दो ना .." मैने उसकी ओर निगाहें हटाए बिना कह दिया ..
"अच्छा ...तो आपकी जान मेरी साड़ी के अंदर है ..??पर ज़रा यह भी तो जानू के इतनी लंबी चौड़ी साड़ी के किस कोने में है ..?? "" उस ने फिर से शरारती मुस्कान लाते हुए पूछा..
स्वेता के सवाल का भी जवाब नहीं था आज ..पर मैने भी नहले पे दहला फेंकते हुए कहा ..
"अब क्या बताऊं स्वेता .. मेरी जान बड़ी चंचल है ..एक कोने में पड़ी रहनेवाली नहीं..जब जहाँ मर्ज़ी घूस जाती है .." और यह कहते हुए मैं भी मुस्कुरा रहा था ..
" वाह वाह क्या जान है तुम्हारी .."
"हां स्वेता तुम्हीं ने तो कहा था ना आवारा है ..? अब आवारा है तो एक जागेह तो रुक सकता नहीं .."
हम लोग साथ में खाना भी खा रहे थे ..और स्वेता बातें करते करते मेरे बिल्कुल पास आ गयी थी .. उसकी गूदाज , सॉफ्ट और भारी भारी जाँघ मेरी जाँघ छू रही थी ..और वो धीरे उसे मेरी जाँघ से रगड़ रही थी ...मेरे अंदर भी हलचल मची थी ....
" अच्छा तो यह बताओ अभी तुम्हारी जान कहाँ है ...??" उसका मेरी जाँघ से खेलना जारी था..
" तुम ने तो बड़ा मुश्किल सवाल कर दिया स्वेता ..अब मैं क्या बताऊं ..?? " उसकी हरकतों से मेरी आवाज़ कुछ भर्राई थी
"क्यूँ .. इसमें कौन सी मुश्किल है ...दो चार ही कोने तो हैं ..उन्हीं में कहीं घूसी होगी ...चलो जल्दी बताओ ..."
तब तक हमारा खाना ख़त्म हो चूका था ...
'ह्म्म्म... तो तुम मनोगी नहीं ... ओके ..पर एक शर्त है .."
"शर्त ..?? अरे इतनी छोटी सी बात के लिए शर्त ..अच्छा ठीक है बताओ तो क्या शर्त है .."
"बताऊँगा पर तुम्हें राज़ी होना पड़ेगा .."
" बोलो तो सही ... अरे मेरे पास जो देने को था तुम तो पहले ही ले चूके हो , और अब बचा ही क्या है ..??'"
" अभी बहोत कुछ है स्वेता ...तुम क्या जानो तुम्हारे पास कितना कीमती ख़ज़ाना है ..?? "
" अच्छा ..?? .तब तो अपने ख़ज़ाने की कीमत मालूम करनी ही पड़ेगी ..चलो जल्दी बताओ ....बताओ ना ..."
"ह्म्म्म..यह हुई ना बात...तो सुनो ..देखो खाना तो हो गया हमारा ..चलो अब सोफे पर चलते हैं ..."
" सोफे पर ..क्या वहाँ चली गयी जान तुम्हारी ..अरे इतनी जल्दी बाहर ...??ही ही हीही...." उस ने फिर हँसना चालू किया
"अरे नहीं बाबा ..ऐसे कैसे बाहर आ जाएगी ...देखो वहाँ जा कर हम लोग आइस क्रीम खाएँगे .."
"ह्म्म्म्म..मतलब तुम्हारी जान आइस क्रीम की ठंडक से मेरे अंदर जम जाएगी और मैं उसे थाम लूँगी ..है ना ..?? इंट्रेस्टिंग ..."
"हा हा हा हा हा !! वैसे आइडिया बूरा नहीं ..पर मेरा आइडिया कुछ और ही है ..."मैने कहा ..
" अब देखो ज़्यादा पहेलियाँ मत बूझाओ और सीधे सीधे बताओ ..."
"अरे बाबा तुम बीच में टपक पड़ती हो मुझे पूरी बात तो कहने दो ना यार.. देखो जब मेरी जान जिस भी जगह होगी तुम्हारे अंदर ..मैं चम्मच से वहाँ आइस क्रीम रखूँगा और फिर उसे अपनी जीभ से चाट जाऊँगा ..."
स्वेता की आँखें फटी की फटी रह गयीं यह शर्त सून कर ...
"पर मेरी सादी का तो बजेगा ना बारह ... ??? "
"अब यह तुम्हारे उपर है ... स्वेता साड़ी बचाओ या शर्त हारो ...साड़ी बचानी है तो बिना साड़ी के भी खेल सकतें हैं हम ..." मैने बड़े भोले पन से कहा ....
"मतलब मैं साड़ी उतार दूं ....??" उसकी आँखें और भी फॅट गयीं ..और बड़ी अजीब निगाहों से मुझे देखने लगी ..जैसे अभी के अभी मुझे कच्चा खा जाएगी ...
"यह क्या मज़ाक है प्रीत ... नहीं बाबा मुझे नहीं खेलना यह ख़तरनाक गेम ..."
"कम ऑन स्वेता .. अपने वादे से पीछे मत हटो ...तुम तो राज़ी हो गयी थीं ..और आज तुम्हारी साड़ी उतरने का कोई पहला मौका तो नहीं है.. " मैने मुस्कुराते हुए कहा ..
यह सुनते ही उसके गाल लाल हो गये ..वो और भी सेक्सी लग रही थी .
"ह्म्म्म...वो तो है ..पर वो और बात थी .. उस समय मैं होश में नहीं थी .."
"ज़रा सोचो स्वेता ..तुम होश में नहीं थी ..पर साड़ी उतारने के बाद क्या मस्ती थी..फिर सोचो होशोहवास में मस्ती तो दोगुनी हो जाएगी..मान भी जाओ ना यार ...देखो ना मेरी जान तुम्हारे अंदर बेचारी कहाँ कहाँ भटक रही है ... तुम्हें भी परेशानी हो रही होगी ..बेचारा बाहर आने को तड़प रही है ..उसे मुक्ति दे दो यार.. आइ आम शुवर आइस क्रीम की ठंडक से घबडा कर ज़रूर बाहर आ जाएगी ..."
और वो इस बात पर ठहाका लगा कर हँसने लगी ..
"हा हा हा ..तुम भी ना ... पर बाहर नहीं आई तो ..?? मैं कहाँ कहाँ लिए फिरूँगी तुम्हारी जान को ../?? अच्छा ठीक है पुक्का बाहर आएगी ना ..?? "
"हां पक्का ..अपनी जीभ के कमाल से मेरी जान तो क्या तुम्हारी जान भी निकल जाएगी ...हा हा हा !!! "
"ह्म्म्म ..बातें तो अच्छी बना लेते हो .. पर तुम मुझे घूरोगे नहीं .. नज़रें नीची रहनी चाहिए .."
"हां बाबा हां ..नज़रें मेरी आपकी कदमों पे होंगी ... आप से आँखें मिलाने की जुर्रत नहीं करूँगा ..चाट ते वक़्त भी आँखें बंद कर लूँगा ... ओके ..??"
"ठीक है .. याद रखो नज़रें नीची ..और चाट ते वक़्त आँखें बंद .. अगर ज़रा भी शरारत की तो फिर खेल वहीं बंद ... "
"हां मेरी अम्मा हां ..चलो अब जल्दी शूरू करो .. तुम्हें घर भी जाना है के नहीं ..?? "
"अरे हां अच्छा याद दिलाया तुम ने कितने बज गये हैं ..?? "
" अभी 2.30 हुआ है ... "
"ठीक है 330 तक तुम्हारी जान बाहर होनी चाहिए .. वरना मैं उसे धक्के मार कर निकाल बाहर कर दूँगी .....ही ही ही ...."
"ठीक है मैं आता हूँ आइस क्रीम ले कर .." और मैं फ्रिड्ज से एक बोवल में आइस क्रीम ले आया और साथ में एक बड़ा चम्मच .
इस खेल का रोमांच मुझे गुदगुदी कर रहा था ... एक सीहरन सी उठ रही थी ..
आइस क्रीम की बोवल हाथ में लिए स्वेता के बगल खड़ा हो गया ... वो अभी भी सोफे पर बैठी थी ..
"चलो तुम घूम जाओ ...और जब तक मैं ना बोलूं मेरी ओर मत देखना ... "
मैं घूम गया और उसके ग्रीन सिग्नल का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था ..दिल की धड़कने बढ़ती जा रहीं थीं आनेवाले रोमांच से ...
सब कुछ इतना शांत था कमरे में ..उसकी साड़ी उतारने की सरसराहट भी सुनाई पड़ रही थी ..थोड़ी देर बाद सरसराहट बंद हो गयी..एक दम सन्नाटा था रूम में ..मेरे दिल की धड़कानों की आवाज़ सुनाई पड़ रही थी ...
"चलो घूम जाओ .." उसकी धीमी और शरमाती सी आवाज़ आई ...
मैं फ़ौरन घूम गया और सोफे की ओर देखा ... ओह माई गॉड ..क्या सीन था ...वो घूटने मोड सोफे पर लेटी थी.. उसकी सुडौल टाँगें ..गूदाज़ जंघें ..जांघों के बीच की चूतड़ की दरार ..सपाट पर भरा भरा पेट ...उभरी चूचियाँ ..एक दम गोल गोल ..गुलाबी निपल्स ...ऊह मैं बस देखता ही रहा ...
" ओऊह मिस्टर घूर्ना मना है ..चलो नज़रें नीची .. और काम शूरू करो ... "
" जो हुकुम सरकार .. " मैं बोवल नीचे फर्श पर रखा और उसके बगल बैठ गया .... सोचने लगा कहाँ से शूरू करूँ..
" लेकिन यह तो बड़ी नाइंसाफी है.." उस ने कहा
"क्यूँ अब क्या हुआ .." मैने झल्लाते हुए कहा
"वाह मेरे तो कपड़े उतरवा दिए और खुद सर से पाँव तक ढँके हो ..यह क्या बात हुई ,,?? "
" ओह सॉरी ..युवर पॉइंट ईज़ वेल टेकन मॅ'म .." और मैने भी फटाफट अपने कपड़े उतार दिए ..दोनों आमने सामने नंगे थे
अब सोचो दोस्तो आगे का सीन कैसा बनेगा बताउन्गा लेकिन आपके रिस्पोन्स के बाद तो फटाफट अपने अपने कमेंट दो
यार इतना हक तो मेरा बनता है हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे
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