प्रेम कहानी डॉली और राज की

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kunal
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प्रेम कहानी डॉली और राज की

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प्रेम कहानी डॉली और राज की


आज सुबह से ही बस्ती में भगदड़ मची हुई थी,ठीक से कुछ समझ मे भी नही आ रहा था,कि हो क्या रहा है,पुलिस यु अचानक इस तरह से आकर बस्ती क्यों खाली कराने लगी
जबकि सैकडों लोग सालों से यहाँ रहते आ रहे है,
लगभग 700 से 800 लोग,यही कुछ 10,12 साल पहले से
इस बस्ती में रह रहे थे,,,,,,

ये जमीन किसकी है ,कैसी है ,किसी को कुछ पता नहीं था बस एक के बाद एक ,दो से चार और चार से छह इस तरह बढ़ते बढ़ते ढाई से 300 झुग्गी झोपड़ियां यहां बनाई जा चुकी थी ,और लोग अपने परिवार सहित उनमें रहने लगे थे

एक एक ईंट की बनी कच्ची दीवार ,उसके ऊपर डाली हुई सीमेंट शीट ,और मेन लाइन से ली गई तारों की उलझी हुई लाइने इसी में लोग अपने परिवार के साथ रहकर अपना पेट पालते थे,, कुछ मजदूरी करते, कुछ औरतें बड़े लोगों के यहाँ जाकर बर्तन और झाडू पोछे का काम करती थी,,, तो कुछ दुकानों और होटलों पर छोटे-मोटे काम करते थे,

इन्हीं में एक परिवार था डॉली का, जो अपनी सौतेली मां ,माँ का पियक्कड़ भाई और दो सौतेली बहनो के साथ रहती थी,
आज से 8 साल पहले जब डॉली सिर्फ आठ साल की थी
एक अच्छी बस्ती में अपनी माँ और पिता के साथ रहती थी

जहाँ डॉली के पिता एक फैक्ट्री में चौकीदारी करते थे,वही माँ बाकि सारे कामो को संभालती थी ,चाहे वह बाजार का काम हो, घर का काम हो ,या ,डॉली के स्कूल का,कुल मिलाकर उनका परिवार एक छोटा और सुखी परिवार था
सब कुछ अच्छा ही चल रहा था,,,,,

पर एक दिन अचानक बाजार से आते हुए डॉली की माँ एक सड़क हादसे में चल बसीं ,,,बस फिर क्या था धीरे धीरे सबकुछ बदलने लगा,,,

लोगों के कहने पर उसके पिता ने एक्सीडेंट का केस दर्ज करवाया केस चला पर कुछ महीनों तक नतीजा ना निकलने पर कुछ लोगों ने सलाह दी की सामने वाले से सला मशहिरा करके केस वापस ले लो और हर्जाना लेकर इस झंझट से अलग हो , अगर जीत भी गया तो कौन सा तेरी बीवी वापस आ जाएगी,,,, इंसान तो इंसान ही होता है कहीं ना कहीं मन में लालच आ ही जाता है ,जैसे ही इस बात की चर्चा सामने बाली पार्टी के वकील से की,वह भी तुरंत हर्जाना देने के लिए तैयार हो गया आखिरकार 2 लाख लेकर केस वापस करने को बोला और डॉली के पिता ने ऐसा ही किया जब ₹2लाख उसके हाथ में आए तो जिंदगी में पहली बार इतना सारा पैसा देखकर उसकी आदतें भी बिगड़ने लगी, शुरु शुरु में तो उसने डॉली का खूब ध्यान रखा उसे नए कपड़े दिलाए अच्छा खाना पीना खिलाया ,जिससे वह अपनी मां की याद को भूल सके ,पर धीरे-धीरे डॉली की तरफ उसका ध्यान कम होता गया ,,,,,ध्यान जो कहीं और लग गया था ,पास में ही एक और बस्ती थी ,,,जहां से उम्मी नाम की एक औरत रोज डॉली के बगल वाले घर में झाड़ू पोछा करने आती थी ,,,


बस फिर क्या स्थिति को देखते हुए धीरे-धीरे उसने नीले के पिता को अपने जाल में फंसा लिया ,,और कहते हैं ना कि औरत के बिना आदमी ,,बिना घोड़े की लगाम की तरह हो जाता है ,,कोई रोकने टोकने वाला था नहीं तो बस जैसा उम्मी कहती वैसा वह करता , कुछ महीनों बाद बिना जांच-पड़ताल किए ही एक दिन किसी मंदिर से बरमाला पहनाकर उसे अपनी पत्नी बना कर घर ले आया,तब डॉली चौथी कक्षा में थी,वह पड़ने में काफी अच्छी थी ,,,जिस दिन से सौतेली मां घर में आई डॉली के दिन बदलने शुरू हो गए ,,
पहले 1 दिन,फिर 2 दिन,,, 5,और फिर हमेशा के लिए डॉली का स्कूल बंद कर दिया गया ,,, और धीरे-धीरे उससे घर के काम करवाने लगे ,,, जब घर के काम करके अपनी बची खुची किताबो को लेकर वह नन्ही
सी बच्ची कॉपी पेंसिल लेकर घर में ही पढ़ने बैठ जाती ,,,पर सौतेली मां उसे ये भी नहीं करने देती ,और एकदिन गुस्से में आकर उसने सारी किताबें और कॉपियां जलती आग के हवाले कर दीं,,


कहते हैं जब माँ दूसरी आती है तो ,बाप तो तीसरा हो ही जाता है,,,, उसका बाप तो जैसे दूसरी औरत और दारू के नशे में अंधा हो चुका था ,,,धीरे-धीरे उसकी दारू की लत बढ़ती ही जा रही थी,,, और जब वह कमजोर होकर अपने सारे पैसे और जो थोड़ी बहुत डॉली के मां के गहने थे उम्मी के हवाले कर चुका तो 1 दिन उम्मी अपनी दोनों बेटियों को अचानक इस घर में ले आई और जब डॉली के पिता ने इस बारे में उससे कुछ कहना चाहा तो पीछे से उसका पियक्कड़ भाई भी उसके साथ आ गया ,,

अब उनके घर पर पूरी तरह से उसकी सौतेली मां उसके मामा और उनकी दोनों बेटियों का कब्जा हो चुका था ,,,कुछ महीनों बाद डॉली के पिता की हालत बहुत खराब हो चुकी थी,जब सरकारी अस्पताल में दिखाया तो डॉक्टर ने सिर्फ 4 या 6 दिन का मेहमान बताकर उसे वापस घर भेज दिया ,,,

उसकी मां और मामा अच्छी तरह से समझ रहे थे कि ये इतने ही दिन का मेहमान है ,,,अब बस उन्हें एक ही चिंता थी डॉली के वो दो कमरों का मकान जो खुद ब खुद डॉली के 18 साल होने के बाद उसे मिल जाता उसको कैसे हड़पा जाए तो बस पिता की बेहोशी की हालत में उनशे अंगूठे का निशान ले लिया और दस्तखत भी करवा लिए और इससे पहले कि कोई लफड़ा खड़ा
हो,, लगे हाथ उसको 7 लाख में बेच दिया ,,,

पर इस बात के 2 महीने बाद ही डॉली के पिता भी 1 दिन भगवान के पास चले गये अब इस दुनिया में डॉली बिल्कुल अकेली थी ,,वह 8 साल की मासूम बच्ची जो अपनी मां के कलेजे का टुकड़ा थी जिसके डॉली आंखों को देखते हुए उसकी मां ने बड़े ही प्यार से उसका नाम डॉली रख दिया था ,, अपनी मां के जाने के बाद कुछ ही महीनों में बिल्कुल मुरझा चुकी थी ,डॉली का मकान भी बिक चुका था ,,जब तक डॉली के पिता थे तो मकान खरीदने वालो ने इन पर दया दिखाते हुए इन्हें यहां से जाने के लिए नहीं कहा था ,,,पर जैसे ही पिता चल बसे तो दूसरे दिन ही आकर उसने अपना रंग दिखाना शुरू किया और साफ शब्दों में कह दिया कि 8 दिन के अंदर उन्हें अपना मकान खाली चाहिए ,नहीं तो फिर वे अपने तरीके से खाली करवाएंगे ,,,उसकी मां और पियक्कड़ मामा ने डरते हुए आनन-फानन में अपना सामान बाधा और उसी गंदी बस्ती में चले गए जहां से वह आए थे ,,,वे चाहते तो डॉली को यहीं छोड़कर भी जा सकते थे,, पर उन्हें तो साथ ले जाने में फायदा ही था,,,

लड़की जात थी पता था घर के चार काम करेगी और जैसे ही थोड़ी बड़ी होगी तो 4 घरों में भी काम करके पैसे कमा लेगी ,,सो उसे भी अपने साथ ले गए ,,

फिर क्या था ऐसी बस्तियों में ऐसे परिवार में जो होता है वही होता था ,डॉली अपनी सौतेली मां मामा और दोनों बहनों का पूरा काम करती ,खाना बनाती ,,,और जैसे ही वह ^^^^^ साल की हुई तो उसकी मां अपने साथ उसे भी काम पर ले जाने लगी ,,,,और धीरे-धीरे तीन से चार घरों का झाड़ू कटका और साफ सफाई करने के लिए उसे लगा दिया,, अब डॉली को काम करते-करते 4 साल बीत गए थे ,,,पर डॉली के संस्कार जो बचपन में उसकी मां ने उसे दिए थे आज भी उसके साथ थे ,,,,वह ना किसी से कुछ बोलती ना कहीं बस्ती में घूमती ,,सीधा काम पर जाती और काम से सीधे घर आती पर एक दिन जब इसी तरह शाम को 6 7 बजे के करीब डॉली काम से घर लौटी तो अंदर कुछ आवाजें सुनकर उसके कदम दरवाजे पर ही ठिठक गए ,,,

उसके घर मेंकुछ तीन चार लोग बैठे हुए थे ,,जो कुछ अजीब सी बातें कर रहे थे बीच-बीच में पैसों की भी बात हो रही थी ,,वह भी लाखों में पहले तो डॉली की कुछ समझ में नहीं आया ,,

पर जब धीरे-धीरे उसने उनके बीच होने वाली बातें सुनी तो वह जान गई ,,कि उसकी मां और मामा डॉली का ही सौदा किसी से करने वाले हैं,,,जहां यह कहते हुए मामा 10 लाख पर अड़ा था ,,,कि डॉली,,,,,डॉली नही किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं है,,, अगर उसे किसी अच्छी जगह जाकर उसका सौदा किया जाए तो 10 नहीं 20 लाख मिलेंगे वहीं दूसरी तरफ खरीदने वाला 8 लाख पर सौदा पक्का करना चाहता था,,,पर आखिरकार 10 लाख में ही बात हो गई यह सुनकर डॉली के पैरों तले से तो जैसे जमीन ही खिसक गई थी 17 साल की वह मासूम बच्ची बुरी तरह घबरा गई ,,

जहां वह रह रही थी ,यह जगह भी किसी नर्क से कम न थी ,,,जो उसे दूसरे नरक में भेजना चाहते थे,, कुछ भी हो पर अभी तक डॉली ने अपनी इज्जत को सुरक्षित रखा था ,बस्ती में कभी किसी की हिम्मत नहीं हुई जो उसे आंख उठाकर भी देख सकें,,, पर अब उसे बचाने वाला कौन था,,,जैसे ही डॉली ने सोचा कि मैं अभी यहां से भाग जाऊ,, जहां काम करती है उनके यहाँ चली जाए तो शायद वह डॉली की कोई मदद कर पाए ,,,,पर जैसे ही जाने को हुई उसके दुपट्टे में उलझ कर फटाक से दरवाजे की आवाज आई,,, इससे पहले वह भागती उसके मां और मामा ने आकर उसे दबोच लियाऔर अंदर के कमरे में बंद कर दिया,,,,
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अब रोने के अलावा उसके पास कोई दूसरा चारा नहीं था,,, वह मां और मामा से रो-रोकर मिन्नतें करने लगी बुरी तरह चीखने चिल्लाने लगी पर उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था,,
अब तो उसका एक ही सहारा था उसके कान्हा जी, उसके लड्डू गोपाल जिनकी पूजा वह बचपन से करती आ रही थी उसे अच्छी तरह से याद है ,जब एक बार बाजार गई तो दूसरे बच्चों की तरह वह भी राखी खरीदने की जिद करने लगी तब उसकी मां ने कहा कि डॉली तेरा तो कोई भाई ही नहीं है किसे राखी बांधेगी। तब दुकान पर रखी हुई एक बड़ी सी कान्हा जी की मूर्ति (लड्डू गोपाल ) पर निधि की निगाह गई और डॉली ने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया,,, मां मैं कान्हा जी को अपना भाई बनाऊंगी और इन्हें ही राखी इन्हें ही राखी बांधूगी ,,,यह देख कर डॉली की मां की आंखों में भी
खुशी के आंसू आ गए थे,,, उन्होंने झट से कान्हा जी की की निछावर के पैसे दुकानबाले को दिए,,,और उनके लिए एक सुंदर सी रेशम की राखी भी खरीदी ,,,बस तब से हमेशा डॉली कान्हा जी को ही अपना भाई मानने लगी थी ,,, और मां के जाने के बाद तो जो भी सुख दुख की बातें होती वह कान्हा जी से ही कहती ,,,तो बस अब उसका सहारा एक यही थे
जिनके आगे हाथ जोड़कर वह आंसुओं से अपनी सारी बातों को कहती जा रही थी ,, डॉली को रोते रोते हुए बहुत रात हो गई थी और उसे पता भी नहीं चला कि कब उसकी आंख लग गई थी,,,,और उसके बाद सच में चमत्कार हो गया दूसरे दिन जब सुबह डॉली की आंख खुली तो सुबह-सुबह ही बस्ती में भगदड़ मची हुई थी,,, पुलिस का छापा पड़ रहा था माइक से अनाउंसमेंट की जा रही थी ,कि बस्ती को जल्द से जल्द खाली किया जाए,,, लोग अपना सामान निकाल निकाल कर घरों से बाहर निकल रहे थे,,, बस्ती में क्रेन भी आ चुकी थी ,जो लोग नहीं निकल ले उन्हें जबरदस्ती निकालकर उनके सामान के साथ ही उस पर चलाया जा रहा था ,,मरता क्या न करता ,,इस भगदड़ में डॉली की मां और मामा भी अपना सामान समेटने लगे ,,पर फिर भी बह डॉली को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहते थे,,,,तो उन्होंने सोचा क्यों न डॉली के हाथ पैर बांधकर एक बक्से में बंद करके इस बस्ती से से निकाल ले ,,और जाकर अपने काम को अंजाम दे ,,,,पर यह सब करने से पहले ही उनके दरवाजे पर
पुलिस की दस्तक होने लगी ,,और जब दरवाजा नहीं खूला तो दरवाजा तोड़कर पुलिस अंदर आ गई ,,,
तब डॉली ने इस बात का फायदा उठाकर बिना कुछ सोचे समझे अपनी कान्हा जी की मूर्ति ली और इसी भगदड़ में बेतहाशा दौड़ पड़ी ,,,,,वह सबको पीछे छोड़ते हुए बस्ती से करीब चार-पांच किलोमीटर दूर निकल आई थी,,,,,,
डॉली उस बस्ती से दूर यहां आ तो गई ,पर दौड़ते दौड़ते एक ऐसी जगह पहुंची , जहां दूर-दूर तक किसी घर या मकान का कोई नाम नहीं था ,हां एक लाइन में कुछ छोटे ट्रक खड़े हुए थे और पास के ही खेतों से कुछ चार पांच लोग सब्जियों के बोरे ट्रकों में लाद रहे थे,, डॉली ने कुछ देर अपने आपको यहां छुपा रखा था ,,,बह सोच नहीं पा रही थी, कि अब यहां से जाए कहां ,,,फिर जो लोग हैं वह भी पता नहीं कैसे हैं किसी को देखकर उसके अच्छा या बुरा होने का अंदाजा कैसे लगा सकते हैं, तो बस अपने कान्हा जी को गोदी में लेकर बैठकर उनका ही नाम जप रही थी,,, तभी ट्रक की ओट से उसे अपनी मां और मामा इसी तरफ आते हुए दिखे डॉली ने अपना मुंह बंद कर लिया नही तो शायद उसकी चीज ही निकल जाती,,,, और तभी उसे उसी ट्रक के स्टार्ट होने की आवाज आई ,,जिसके पीछे वह छुपी हुई थी ,,अब उसके पास सिर्फ एक ही चारा था कि वह उस ट्रक में बैठ जाए वर्ना ट्रक जाने के बाद वह आसानी से डॉली को पकड़ लेते ,,उसने सब कुछ कान्हा जी के हवाले छोड़ते हुए खुद को ट्रक में रखी हुई बोरियों के बीच छुपा लिया,, अब ट्रक स्टार्ट होकर आगे
बढ़ने लगा था ,,,अब वह कहां जा रही है, क्या कर रही है उसने कुछ भी नहीं सोचा था ,बस इस वक्त वह अपनी मां और मामा से अपनी जान बचाना चाहती थी, वरना तो शायद डॉली का यही सबसे बुरा समय था ,जब उसे उस नर्क में झोंक दिया जाता ,,उसे तो सबसे बड़ा सहारा अपने कान्हा जीका था और उसे विश्वास था ,कि उसके कान्हा जी उसकी रक्षा जरूर करेंगे ,,,1 घंटे बाद एक ढाबे पर जाकर ट्रक रुक गया ,,तभी कुछ लोग जैसे ही बोरियां उतारने के लिए हुए तो ट्रक मालिक की आवाज आई ,,कि अभी तुम सब जाकर खाना खा लो ,थोड़ा आराम कर लो, उसके बाद बोरियां उतार कर अंदर रख देना ,,,और इतना समय डॉली के लिए काफी था कि वह उतरकर कहीं और चली जाए ,,,जब उसे किसी की आवाज नहीं सुनाई दी और वह समझ गई कि सब लोग जा चुके हैं ,,,तो धीरे से खड़े होकर ट्रक में से इधर उधर झांकने लगी कि आस-पास क्या है ,उसने देखा कि यहां भी दूर-दूर तक बस्ती नजर नहीं आ रही है ,यह एक मेंन रोड था जो सीधा शहर के लिए जाता था ,और यहाँ एक ढाबा बना हुआ था ,,,और शायद उसी ढाबे के लिए यह सब्जियां लाई गई थी
सबसे आगे ढाबा था,बगल में काफी जगह पड़ी हुई थी जहां 10 बारह खटिया बिछी थी ,कुछ प्लास्टिक की
कुर्सियां और दूसरी तरफ एक बढ़ी सी हौदी
(पानी का टैंक) बना था जिसमे लोग हाथ मुँह धो रहे थे, ढाबे के पीछे काफी जगह छूटी हुई थी ,जिसके अंदर दो ट्रैक्टर दो लोडिंग ,,और एक खुली हुई जीप रखी थी ,,बगल में एक बड़ा सा सेड भी डला था,,,, जिसके नीचे 5,,,6 भैंसे बंधी हुई थी और अंदर एक बड़ा सा मकान भी बना था ,,,पर मकान के अंदर या बाहर कोई भी नजर नहीं आ रहा था ,,दावे के पीछे वाली जगह में काफी बड़े-बड़े पेड़ पौधे, फूल पत्तियां ,और सब्जियां लगी हुई थी ,,अमरूद का एक बड़ा सा पेड़ भी लगा
था ,,,, जिसमें अमरुद लदे हुए थे ,,,डॉली ने अच्छी तरह से सारी जगह का मुआयना कर लिया,ढाबे में काफी चहल-पहल थी ,,सर्दियों के दिन थे तो ऊपर से धूप भी अच्छी लग रही थी,,,पर डॉली को भूख भी बहुत तेज थी ,,उस बेचारी ने तो कल रात से ही कुछ नहीं खाया ,, जब सब्जी की बोरियो में झांका तो एक मे टमाटर और दूसरी में मटर दिखी भूख में तो इंसान कुछ भी खा लेता है, ये तो फिर भी ताज़ी और हरी सब्जियां थी जो अभी खेत से तोड़कर लाइ गई थी,,,फिर क्या डॉली ने जल्दी से 6,7 टमाटर और कुछ कुछ मटर की फलियां निकाली ,और वही बैठ कर खाने लगी
जब जी भर गया और धूप से बदन सिका तो नींद भी आने लगी और कुछ ही देर में कान्हा जी को गोद मे लेकर वही ढेर हो गई,,,,आखिर थी तो 16 साल की बच्ची ही ,ये बात और है कि भगवान ने जिम्मेदारिया
कुछ ज्यादा ही देदी थी,,,
शाम के 500 बज चुके थे और सर्दियों में तो 500 ही धूप लौटने लगती है जैसे ही धूप ने मुंह फेरा तो ठंड की वजह से डॉली की आंख खुल गई ,,और देखा कि कुछ लोग इसी तरफ आ रहे थे ,,,शायद सब्जियों के बोर उतारने,,, कुछ ठंड से और कुछ डर से डॉली किसी सूखे पत्ते की तरह कांपने लगी ,,,,जैसे ही बोरियां उतरना शुरू हुई धीरे धीरे वह पीछे की तरफ जा रही थी ,,,पर कितना छुपती आखिरकार जब आखिरी बोरी उतरी तो बोरी उतारने वाले लोगों ने चिल्लाते हुए कहा ! भैया जी यह देखिए जरा ,,,,
और वहां से आवाज आई ,,अभी देखना क्या है जो भी बोरी बची हैं नीचे लेकर आ ,,,
तभी यहां से एक आदमी ने फिर आवाज़ लगाई ,,,भैया जी बोरी तो सारी उतर चुकी है ,पर अपनी लोडिंग में एक छोरी बैठी हुई है !
क्या तेज आवाज के साथ वह दौड़ता हुआ ट्रक के पीछे खड़ा हो गया,, ,,,,लंबा ऊंचा कद , धूप में दबा हुआ सांवला रंग ,चुस्त तंदुरुस्त शरीर ,टाइट जीन्स ,सुर्ख रेड बनियान पर जैकेट और ,माथे पर बंधी हुई ,चौड़ी पट्टी,,,,अच्छी शक्ल पर आँखों मे एक ज़िद और गुस्सा,,,जो पता नही किसके लिए था,,,, एक उड़ती सी निगाहे से डॉली को देखा और कहा ए चल उतर नीचे ,,,,जब डॉली ने उसकी तरफ देखकर कुछ कहने की हिम्मत की तो,,, उसकी आंखों से बुरी तरह डर गई और बिना कुछ कहे पलट कर खड़ी हो गई,,,,
ओए क्या तू ऊँचा सुनती है रे ,,चल फटाफट से नीचे आजा डॉली ने जब भी कोई जवाब नहीं दिया,,
तब उसके हाथ में जो डंडा था उसको जोर से ट्रक के ऊपर बजाते हुए तीसरी बार उसने गुस्से में आवाज लगाई देख तू अपुन का भेजा खराब मत कर, मैं तेरे को 2 मिनट देता हूं नीचे आ जा वरना तेरी तो,,,,,,,
इस बार डॉली पलटी और दौड़कर ट्रक के किनारे खड़ी हो गई ,,,,,वह फिर बोला तू मेरे को क्या देख रही है ऊपर नीचे,, तब डॉली बहुत मुश्किल से बोल पाई ,,,
मैं यहां से कूदूंगी तो गिर जाऊंगी,,, आप इसके नीचे कुछ रखा दीजिए ,,,,
देख ट्रक इतना भी ऊंचा नहीं है कि तू गिरे और तेरी हड्डी पसली चूर हो जाए ,,,चल अब ज्यादा नौटंकी करने का नई,,,,,
जी मैं सच में नहीं उतर पाऊंगी आप इसके नीचे कुछ रख दीजिए ,,,,,,तब उसने आसपास नजर दौड़ाई तभी वहां मटर की कुछ बोरियां रखी थी ,,,,बगल वाले लड़के को आवाज देते हुए कहा वह तुम दोनों आकर यह मटर की बोरी ट्रक के नीचे बिछा दो उस पर कूद जाएगी ,,,
डॉली ने कोशिश की पर उसे अब भी डर लग रहा था ,,,
जी इसके ऊपर एक बोरी और रख दीजिए वरना मैं गिर जाऊंगी ,,,,,
तब उसने थोड़ा परेशान होकर डॉली की तरफ देखा और कहा ,,,,,ओ,ओ,ओ,, महारानी चल फटाफट से
कूद जा कि मैं ऊपर आकर धक्का दे दूं तुझे ,,,,
तब डॉली डर गई और कान्हा जी को वही बिठाकर मटर की बोरी के ऊपर छलांग लगा दी ,,,,लंबा सा स्कर्ट ढीला ढाला टॉप बंधी हुई दो चोटी और ठंड से कांपते हुए डॉली उसके सामने जा खड़ी हुई ,,,,उसने ऊपर से नीचे तक नहीं डॉली को देखा ,,डॉली के पैरों में चप्पल नहीं थी ,,और इतनी ठंड में एक भी स्वेटर उसके बदन पर नहीं था,,, जब उसने डॉली से पूछा ,,,,तू है कौन और अपन की लोडिंग में कैसे आई,,
डॉली ने कुछ कहना चाहा पर ठंड के मारे उसके होंठ और पूरा शरीर थरथर कांप रहे थे ,,, ठंड सच में काफी बढ़ती जा रही थी ,,,
तब उसने कुछ ना कहते हुए वहीं खड़े होकर ज़ोर से आवाज लगाई काकी यहां आओ,,,, और तभी अंदर से 50 ,,55 साल की एक औरत भागती हुई बाहरर आई क्या हुआ काहे घर सर पर उठा रहा है,,,,,
तब उसने डॉली की तरफ इशारा किया,,,
उस औरत ने डॉली के चेहरे को देखा, जिसमे डर और घबराहट साफ दिख रहे थे ,,,वह थोड़ी देर डॉली को देखती रही ,उसका मासूम चेहरा ,,और बड़ी बड़ी आंखें जो इस वक्त किसी का सहारा चाह रही थी,,,, बह कुछ देर डॉली को देखती रही ,,,,
तभी उसने फिर आवाज लगाई ,,,काकी देख क्या रही है पूछ जरा इससे कहां से आई है ,कौन है ,,और इसको यहां से बाहर निकालो ,,,,,
उसके मुंह से ऐसी बात सुनकर बह औरत उस पर बुरी
तरह बरस पड़ी,,, तू इंसान है या राक्षस जरा भी दया धर्म है तेरे मन में ,,,,अरे देख ये मासूम ठंड से कैसे कांप रही है अपनी बकवास बंद कर और जल्दी से अंदर से इक साल लेकर आ इसके लिए,,,, पर वह कुछ कहता इससे पहले ही काकी ने अपना उड़ा हुआ साल डॉली के चारों तरफ लपेट दिया और उसे पकड़ कर अंदर ले जाने लगी ,,,तभी डॉली पीछे आती हुई बोली ,,,,, पर मेरे कान्हा जी बैठे हैं उनको भी अंदर ले चलो ,,,,,तब उस औरत ने डॉली की तरफ देखा और पूछा तेरे कान्हा जी हां मेरे कान्हा जी ट्रक में ही है जब मैं उतर रही थी तो उन्हें ट्रक में बिठा दिया था ,जिससे उन्हें चोट ना आए ,,,,उसकी इस बात पर वह बहुत जोर से हंस पड़ा था तब उस औरत ने डांटते हुए कहा,,, अभी हंसना बंद कर और ट्रक में से इसके कान्हा जी इसे देदे,,,,
और एक ही झटके में वह ट्रक के ऊपर छलांग लगाते हुए ट्रक में खड़ा था ,,,हां सच में कपड़े में लिपटी हुई एक लड्डू गोपाल की बड़ी सी मूर्ति रखी थी ,,उसने हाथ में लड्डू गोपाल को पकड़ा और आकर उस लड़की के हाथ में मूर्ति पकड़ा दी ,,,,अब काकी डॉली को लेकर अंदर जा चुकी थी,,,
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राज ने हाथ मुंह धोये और नजर इधर उधर डालते हुए रसोई में आ गया,,,थोड़ा रुक कर काफी से पूछा काकी वह कहां गई
काकी उसकी बात का जवाब दिए बिना ही राज के खाने की तैयारी में लगी रही, राज काकी के पीछे रसोई में गया और फिर पूछा लगता है चली गई, अच्छा ही हुआ एक और आफत अपने गले पड़ जाती, अपुन को वैसे भी कुछ सरकी हुई लग रही थी वह ,काकी ने थाली लगाकर राज के हाथ में पकड़ाई और अपनी थाली लेकर बाहर बड़े कमरे में आकर जमीन पर बैठकर खाना खाने लगी, राज को उन्होंने किसी बात का जबाब नही दिया था ,,,,,बस खाना शुरू करने के लिए बोला रात के 1030 बज चुके थे ,,रोज की तरह काकी बोलती जा रही थी, और राज चुपचाप रोटियां खत्म करने में लगा था,
ढाबे में चाहे लाख तरह के अच्छे व्यंजन बनते थे, पर जब तक काकी के हाथ की रोटी न खा ले उसका पेट नहीं भरता ,,,, काकी ने देखा जब राज खाना खत्म कर चुका है ,और सोने की तैयारी में था, उससे पहले ही काकी ने डॉली के बारे में चर्चा छेड़ दी,,,, डॉली पर तरस खाते हुए उसकी कहानी राज को बताने लगी,, जब राज ने सारी बात सुन ली,,,
तो बड़े गौर से काकी के चेहरे को देखते हुए उसने सवाल किया
काकी तू भी बड़ी भोली है तुझसे कोई कुछ भी कहेगा तो मान लेगी ,अरे क्या भरोसा उसके साथ कोई हो कुछ ऐसा जो हमें नहीं दिख रहा हो ,,आजकल लोगों को लूटने के और नए नए तरीके के बहाने बनाने में देर नहीं लगती,,, देख अपुन का सीधा साधा काम है ढाबे का ,,,अपना ढाबा ,,,
ठरकी द ढावा
के नाम से वर्ल्ड फेमस है और अपुन नहीं चाहता कि उस पर कोई भी उंगली उठाए,,, अपुन किसी लफड़े में पढ़ने वाला नहीं है, अरे छोरी के पीछे क्या लफड़ा है ,साला कुछ समझ में नहीं आ रहा,,,, काकी तू इतनी जल्दी किसी की बात पर विश्वास कैसे कर सकती है,,, अगर कहीं वह लड़की झूठी निकली तो साला पुलिस का लफड़ा बहुत ही खतरनाक होता है ,,,,तू जेल जाएगी और साथ-साथ मेरे को भी ले। जाएंगी,,,
काकी ने राज की पीठ पर एक चपत लगाते हुए कहा !!!तू जैसे उल्टी खोपडी का है ,,,वैसे ही उल्टे
खयाल तेरे दिमाग में आते हैं ,,,,अरे तूने कभी किसी की आंखों में ठीक से देखा है,,,, राज मेरी बूढ़ी आंखें किसी की आंखों में देखकर धोखा कभी नहीं खा सकती ,,,
वह मासूम इतना में भरोसे के साथ कह सकती हूं, कि उसने जो भी कहा वह सच है लेकिन फिर भी तू अपनी तसल्ली के लिए एक बार जाकर बस्ती में पता लगा,,, तेरे मन की तसल्ली हो जाएगी तो अच्छा ही होगा ,,,,बात तो तू किसी की मानने वाला है नहीं,,,,,
ठीक है कल मुझे वेसे भी बस्ती मैं जाना है कुछ काम है ,,तो इस बारे में भी पता कर लूंगा ,लेकिन तू यह बता कि अभी वह छोरी है कहा,,,,
राज अभी वह मेरे कमरे में सोई हुई है और तू उससे कुछ नहीं कहेगा,,, कितनी भूखी थी बेचारी अरे इतना तो सोचो उसके कान्हा जी उसके साथ है ,,और चाहे कुछ भी हो भगवान जी झूठ का साथ कभी नहीं दे सकते, तू अभी जाकर आराम कर सुबह अपनी तसल्ली के लिए पता कर लेना,
पर सच कहूं मुझे तो उसमें अपनी बेटी ही दिख रही है ,मैं छोरी को घर से जाने के लिए कभी नहीं कहूंगी,, पर एक बात अच्छी तरह से सोच ले अगर उसकी बताई हुई सारी बात सही निकली ,और तुझे उस बात से तसल्ली हो गई तो फिर तू उसको इस घर में रहने से मना नहीं करेगा,,,
क्या !!!!कहते हुए राज इस बात पर बुरी तरह से चौक गया था , इस घर में रहेगी क्या मतलब छोरी
यहां क्यों रहेगी अरे अगर सारी बात सही हुई तो उसकी मदद करके पुलिस स्टेशन में बता देंगे,,, फिर उनकी जो मर्जी वो करें ,,,,अरे गरीब लड़कियों के लिए तमाम अनाथ आश्रम खुले रहते हैं ,,,सरकार उनकी मदद करती हैं ,तो फिर वो यहां क्यों रहेगी,,,,
देख राज एक बात अच्छी तरह से सुन ले अगर सच्चाई जानने के बाद तूने डॉली को घर से निकाला तो तेरी काकी भी उसके साथ जाएगी, अब तुझे जो हो मंजूर हो तू बता देना ,,,,,
काकी तेरा दिमाग सटक गया है क्या
अरे 1 दिन की आई छोरी के लिए तू मुझे छोड़कर जाएगी ,,,,अरे 20 साल से तू मेरे साथ रह रही है,, हां राज मैं तेरे साथ रह रही हूं ,और इसी अधिकार से तुझसे कह रही हूं ,,,एक अनाथ बच्ची को हम अपने घर में पनाह देंगे तो पूण्य का काम भी होगा और फिर हो सकता भगवान ने उसे इसीलिए आज तेरे ट्रक में भेजा हो ,कि उसे हमारे घर पर आसरा मिल जाए ,,,अरे तेरी ढावे में रोज 5,,,10 गरीब खाना खाते हैं ,,अगर ये बच्ची दो टाइम की रोटी खा लेगी तो तेरे यहां किसी चीज की कमी नहीं हो जाएगी,,,और फिर तुझे क्या तू तो सुबह से लेकर रात तक ढाबे में रहता है, मैं यहां अकेली घर पर दीवारों से बातें करूं क्या, अरे अब बुढ़ापे में इतना काम भी नहीं होता,,, बच्ची के रहने से घर में रौनक हो जाएगी और काम में भी मेरा हाथ बटा दिया करेंगी, अगर बुढ़ापे में मुझे थोड़ी सी खुशी मिल जाएगी तेरा क्या चला जाएगा अब तू जा,,,,,
मुझसे सुबह बात करना,,,, इतना कहकर काकि आई और डॉली के बगल में उसको अच्छे से रजाई उड़ाते हुए उसके ऊपर हाथ रख कर सोने लगी,,, काकी को ना जाने क्यों उसके भोले चेहरे से एक दिन में ही बड़ा प्रेम हो गया था उधर राज अपने कमरे में जाकर यही सोच रहा था कि ये काकी भी ना जिद पर आ जाए तो अपनी बात मनवा के ही रहती है ,,और बस रोज की तरह घोड़े बेच के सो गया,,,,

सुबह जब उठा उसके दिमाग में एक ही बात घूम रही थी, कि वह बस्ती जाए और जाकर पता करें कि यह बात सच है या झूठ और सच कहूं तो उसके मन में यही चल रहा था कि काश यह लड़की झूठ बोल रही हो तो इससे पीछा छूटे,,,उठकर हाथ मुँह धोया चाय पी और जीप लेकर चल पड़ा बस्ती की तरफ़,,, 1 दिन बाद ही बस्ती पूरी तरह से उजड़ी हुई लग रही थी, पुलिस ने बहुत सारी कच्ची झोपड़ियां क्रेन से तूड़वा दी थी, कुछ लोग कहीं बैठकर नारेबाजी कर रहे थे, तो कुछ अपॉजिट पार्टी के लोग उनके खिलाफ लड़ रहे थे,, पुलिस का पहरा अब भी वहां पर सख्त था,,, कुल मिलाकर पूरी बस्ती उजड़ी और वीरान लग रही थी, जब उसने कुछ लोगों से जाकर पूछा की बस्ती में रहने वाले लोग कहां है ,,,,तो सब ने यही जवाब दिया कि अब कुछ नहीं पता ,,,अचानक से जिसको जहां जगह मिली, जो जैसे भाग पाया भाग गया वहीं पास में 8,10
औरते बैठी थी ,जो बस्ती की लग रही थी ,,,राज ने
उनके पास जाकर ,,,डॉली का नाम लेकर डॉली के बारे में जानना चाहा ,,,पहले तो वो चुप हो गई ,लेकिन फिर उल्टा राज से सवाल किया,,, आप उसके बारे में क्यों पूछ रहे हैं ,,,,राज ने कहा कि वह मेरे यहां सफाई का काम करती थी ,और 2 दिन से आई नहीं बस इसलिए पता करने आया हूं,, तो एक औरत ने डॉली के बारे में दया दिखाते हुए उसकी परेशानी बताइ,,,,,
आप तो जानते ही होंगे कि वह अपनी सौतेली मां के साथ रहती थी मैं तो कहती हूं अच्छा ही हुआ वह आजाद हो गई , तो अच्छा है अरे उसके जैसी गन्दी औरत तो कोई दूसरी नहीं होगी,,, सुनने में तो यह भी आया था कि वह डॉली का सौदा करना चाहती थी,,,पर आगे का भगवान जाने उसके साथ क्या हुआ कहां गई हम कुछ नहीं जानते,,,, राज ने यही बात वहां पर तीन चार जगह जाकर पता कि ,,और हर जगह उसे यही उत्तर मिला,, एक जगह तो उसने डॉली की फोटो तक दिखाइ जो मोबाइल में खींचकर लाया था,,, यही जवाब मिला और उसे पूरा यकीन हो गया कि जो भी कह रही है वह सच है,,,, जब घर गया और काकी ने पूछा लगा लिया पता क्या हुआ ,,,
तव वह कुछ बोल नहीं पाया लेकिन आज उसकी आंखों में उस लड़की के लिए दया और , उसकी मां के लिए गुस्सा साफ झलक रहा था ,,,,उसने गाली देते हुए कहा साली अपन को उसकी मां मिल जाए तो अभी के अभी उसको जेल की चक्की पिसवा दूं,,,, काकी ने
राज को शांत करते हुए उसे पानी पिलाया ,,,,और हंस कर बोली राज अब इसको रहने की इजाजत है कि नहीं,,,
राज ने कहा कि क्यों तू अपन को शर्मिंदा करती है,,,,
अपन अपनी हरकत के लिए पहल ही बहुत ,,,,,,,
काकी जैसा तू चाहती है वैसे ही होगा पर कल के दिन अगर पुलिस आकर पूछती है यह पता करती है उसके बारे में तो हम क्या कहेंगे ,कि कौन है लड़की कहां से आई है,,, बेटा इसकी चिंता तू मत कर, बस तूने हां कह दी है ,,
डॉली को कैसे अपने पास रखना है यह मैंने अच्छी तरह से सोच लिया है ,,,अरे वह जो महिला मोर्चा की बहन जी है ना ,अपने यहां कभी-कभी आती रहती हैं,, तो आज सुबह ही वह हमारे घर पर आई थी ,और मैंने उन्हें डॉली की सारी कहानी बता दी ,,डॉली के बारे में सब कुछ बता दिया, और उन्होंने कहा है कि हमें पुलिस में जाकर सब बताना होगा सारी सच्चाई जो भी है ,,और फिर हमें डॉली को अपने पास रखने की इच्छा बताकर हम इसकी जिम्मेदारी ले लेंगे,,,,,
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kunal
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Re: प्रेम कहानी डॉली और राज की

Post by kunal »

महिला मोर्चा की महिलाएं इसकी गवाह होगी समय-समय पर आकर डॉली को देखेंगे ,कि उसे यहां किसी बात की दिक्कत तो नहीं है ,,,और जब डॉली 18 साल की हो जाएगी तब खुद ही फैसला करेगी उसे यहां रहना है या कहीं और जाना है ,,,जो भी करना है फिर बह उसके ही हाथ में होगा,, बेटा एक बेटी की तरह मैं डॉली को अपने पास रखूंगी, और एक मां
बनकर इसकी जिम्मेदारी लूंगी ,,,,
ठीक है काकी !!!! बस मुझे यही बात आपसे कहनी थी ,,,बाकी जैसा कि तुझे ठीक लगे तू बैसा कर,,,,
दूसरे दिन सुबह सवेरे ही काकी और राज
डॉली को पुलिस स्टेशन ले जाने की तैयारी कर रहे थे ,बस महिला मोर्चा टीम आने की ही देर थी कुछ देर में जैसे ही वह लोग आ गई राज ने जीप निकाली और सबको साथ लेकर पुलिस स्टेशन पहुंच गया,,,, वहां पर एक एप्लीकेशन दी जिसमें डॉली के बारे में सब कुछ साफ-साफ लिखा हुआ था ,और काकी ने उसे गोद लेने की इच्छा भी जाहिर की कि वह डॉली को अपनी बेटी की तरह ही रखेंगी,,,,
काकी महिला मोर्चा से पहले से ही अच्छी तरह परिचित थी, उन्होंने बताया कि डॉली इनके यहां सुरक्षित रहेगी ,,तो उन सभी ने भी अपने दस्तखत पेपर पर कर दीये,और उनने खुद भी इस बात की जिम्मेदारी ली कि वह समय-समय पर जाकर डॉली की खबर लेती रहेगी ,,,और उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि काकी के साथ डॉली सुरक्षित रहेगी,,
बस यही कुछ आज 8,10 दिन लगे कोर्ट से भी कुछ औपचारिकताएं हुई और उसके बाद डॉली की देखरेख की जिम्मेदारी काकी को सौंप दी गई ,,,,,इन 8 दिनों में डॉली देख चुकी थी कि काकी डॉली के लिए कितना
कर रही है, और फिर हर इंसान प्यार का ही भूखा होता है अगर प्यार मिले तो कोई अजनबी भी अपना बन जाता है ,और अगर नफरत तो अपने भी हम से कितने दूर हो जाते हैं,,,
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बस फिर क्या था डॉली एक सदस्य के रूप में राज के घर आकर रहने लगी एक तरफ जहां काफी के साथ अच्छे से घुलमिल कर रहती घर का सारा काम करवाती क्योंकि उसे तो बचपन से ही अच्छी तरह से काम करने की आदत थी ,,वह काफी बड़े बड़े घरों में साफ-सफाई का काम करती थी तो उसे तौर तरीके ,कैसे रहना है ,किस सामान को कहां रखना है चाय बनाना, खाना बनाना उसको तरीके से टेबल पर सजाना,, डस्टिंग उसको एक अच्छे परिवार की तरह सारे काम बखूबी आते थे ,,,तो वह धीरे-धीरे काफी के साथ भी घुलती मिलती जा रही थी
,,,,, पर अब भी राज की आंखों से उसे डर ही लगता था ,,वैसे तो सुबह सुबह निकलता और रात को आता पर जैसे ही राज आता बह चुपचाप अपने कमरे में चली जाती ,और सुबह भी जब राज ढाबे पर निकलता उसके बाद ही बाहर आती,,,,
हालांकि काकी देखकर समझ गई थी और राज के सामने ही डॉली से कहती ,,,डॉली तुझे से डरने की जरूरत नहीं है मैं हूं तेरे साथ और वह काकी कि इस बात पर चुप ही रह जाती,,, डॉली को सारे तौर-तरीके
तो आते ही थे कि शहरों में किस तरह से घर को व्यवस्थित किया जाता कैसे वहां पर सब के बेडरूम, किचन, स्टोर रूम और,, हॉल को सजाया जाता है और अलग किया जाता है,,,,, राज का घर तो बड़ा था और पक्का बना हुआ था,,,, पर घर में था कौन एक काकी और दूसरा राज दोनों को ही सामान कहां कैसे रखना है,,, इस बात की कोई समझ नहीं थी ,,जहां काकी अपने बुढ़ापे के कारण बिचारी उतना ही कर पाती थी कि बस घर का काम चलता रहे ,,,वही राज ने बचपन से देखा ही क्या,,,वह तो अनाथ बच्चा था जो काफी को रोता हुआ मिला था पर उसने अपनी मेहनत और लगन के दम पर इतना सब कुछ हासिल कर लिया था,,, तो मां लक्ष्मी ने तो अपना स्थान बना लिया था इनके यहां पर,,,,,,
लेकिन सामान व्यवस्थित कुछ भी नहीं था ऐसे लगता था जैसे आज ही इस घर में आए हो और उठापटक करते हुए सामान यहां से वहां बेतरतीबी से फैला दिया हो ,,,
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डॉली को रहते-रहते तकरीबन 3 से 4 महीने हो गए थे और वह इसे अपना घर समझने लगी, जब उसने देखा कि वह अपने हिसाब से भी यहां कुछ भी कर सकती है ,,कोई उसे रोकने टोकने वाला नहीं है ,,,,,
तो उसने धीरे-धीरे घर की व्यवस्था जमानी शुरू की, सबसे पहले ऊपर जो तीन चार कमरे खाली पड़े हुए थे
उन्हें तरीके से साफ करवाया, अच्छे से कमरे को धोया और फिर ऊपर के कमरे में व्यवस्थित तरीके से स्टोर रूम बना दिया ,यह सारा काम वह धीरे-धीरे ही कर रही थी, नीचे बड़े कमरे में जो बहुत सारे तेल के कनस्तर रखे हुए थे, उन सब को ले जाकर ऊपर स्टोर रूम में रखा गया जगह-जगह पड़ी हुई गेहूं की बोरियों को भी ऊपर ही एक लाइन से रखकर उनको एक कपड़े से ढक दिया, दाल ,चावल ,,घी के कनस्तर जो ढाबे के लिए लाए गये है सारा सामान स्टोर रूम में तरीके से रखा ,और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया,,,,, जब भी किसी सामान की जरूरत होती तो डॉली खुद जाकर ऊपर से वह सामान निकलवा देती शुरू शुरू में राज को डॉली की इन हरकतों पर खीजन हुई ,,,,उसे पसंद नहीं था कि उसके काम में कोई दखलंदाजी करें,,,
पर काकी हर बार राज को डांटते हुए चुप करा देती,,,,

और उसे बताती की,,, कितना परेशान थी जगह-जगह तेरा सामान पड़ा था चूहे आते थे सामान की बर्बादी भी होती थी,,,
अब ऊपर के कमरे में चूहे भी नहीं जाते और सामान भी साफ सफाई व सुरक्षा में रखा है ,तो तुझे क्या परेशानी है,, बच्ची को करने दे जो भी करना है उसका भी मन लगा रहेगा ,,,,,
जब डॉली को काकी सा का इतना सहारा मिलता तो वह मन ही मन खुश हो जाती पर राज के सामने कुछ बोलने की कुछ कहने की हिम्मत उसकी कभी भी नहीं
होती,,,
जब नीचे का बड़ा कमरा खाली हो गया तो डॉली ने उस कमरे को भी अच्छे से साफ किया कमरा खाली तो हो ही गया था तो उसमें रंगाई पुताई भी करवा दी उसके बाद दोनों तखत को एक साथ डाल कर उसे डबल बेड का रूप दे दिया गया ,,सोफे की दो कुर्सियां और सोफा जो पूरे कमरे में फैले थे उनको एक जगह रखकर बीच में टेबल रखी गई और उस पर एक अच्छा सा टेबल कवर भी बिछा दिया गया,,,, राज का मकान यही कोई 3 साल पहले ही बना था ,तो उसमें किचन भी नए तरीके से ही बनी हुई थी,,, पर काकी से ना तो ज्यादा खड़े होते बनता था और ना ही वह खड़े होकर काम कर पाती थी,,,,तो उसने सारा सामान नीचे ही फैला रखा था ,,एक कोने में गैस ,,,नीचे फैली हुई डिब्बिया,,,,, जब भी किसी सामान की जरूरत होती तो ढाबे से ले आती और उसी तरह पननियों में या पैकेट में वहीं कोने में सरका देती ,,,,आखिर इस उम्र में उनसे होता भी कितना ,,,डॉली ने किचन की भी एक-एक डिब्बी शीशे की तरह चमका दी थी जो खराब डिबबिया थी उन सब को फेंका और ,काकी के साथ बाजार जा कर किचन के डिब्बों का एक सुंदर सा सेट लाकर किचन में सजा दिया, जिसमें सारा सामान तरीके से भरा हुआ था, जीरा, हल्दी ,मिर्ची धनिया ,लॉन्ग ,इलायची जो भी सामान था सब कुछ अच्छे से डिब्बों में भरकर रखा और गैस को ऊपर स्लैप पर शिफ्ट किया ,,,क्योंकि अब डॉली भी काकी के
साथ काम करवा लेती थी ,,,और जब काकी को इतना सहारा मिला तो,,,किचिन भी चमक गई ,,,,अपना और काकी का कमरा तो डॉली बहुत पहले ही साफ कर चुकी थी,,,
अब बचा राज का कमरा उसमें जाने की हिम्मत तो डॉली ने कभी की भी नहीं ,,
एक या दो बार बहुत जरूरी किसी काम से वह उसके कमरे में गई, लेकिन डर के मारे उसने नजर उठाकर भी यहां से वहां नहीं देखा और जल्दी से बाहर आ गई,,,,
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