प्यार का अहसास

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rajsharma
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प्यार का अहसास

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प्यार का अहसास

अमर शर्मा-घर के मुखिया हरिद्वार में इनका पूरा परिवार एक छत के नीचे प्यार से रहता है इनकी पत्नी उर्मिला देवी इतनी उम्र में भी एकदम फिट एंड फाइन..!!

इन दोनों ने अपने समय में भी लव मैरिज की थी बस अपने जवानी के किस्से सबको सुनाया करते और सब बड़े मजे से उन्हें सुनते..!!

दो बेटे बहू बड़े बेटे मदन शर्मा इनकी कपड़े की फैक्टरी, इनकी पत्नी रेखा शर्मा सुंदर सुशील इन्हे घर सजावट का बहुत शौक है हर समय घर को कुछ ना कुछ नया लुक देती रहती इनके जुड़वा बेटे नवीन ओर प्रवीण दोनों ही कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुके थे और आगे चलकर अपने पापा और चाचू का काम संभालने वाले थे..!!

अमर जी का छोटा बेटा प्रमोद शर्मा हरिद्वार में इनका अपना बिजनेस है, इनकी पत्नी सविता शर्मा ये भी सुंदर और सुशील इन्हे यूट्यूब से नई-नई डिश सीखकर अपने हाथों से बनाकर खिलाना बड़ा आनन्द देता..!! इनका बेटा जय कॉलेज में सेकंड ईयर में....और अब बारी आती है इस पूरे खानदान की एकलौती लड़की और सबकी चहेती भी डॉली शर्मा अपने नाम की ही तरह खुबसूरत.. जो एक बार देखे बस नज़रे हटाने का मन ना करे गोरा रंग,बड़ी बड़ी सी डार्क ब्राउन आंखें और घनी पलके, तीखी नाक पतले गुलाब सी पंखुड़ियों से होंठ और होंठो के नीचे एकदम बीच में तिल, लंबे कालेबाल जिसमें से कुछ छोटे बाल माथे पर आकर उसकी खुबसूरती में चार चांद लगा रहे थे..!! स्वभाव से बातुनी और चंचल पर दिल की उतनी ही साफ .

अमर जी अपने पोते पोतियों को समान प्यार देते पर उनकी खुद की कोई बहन बेटी ना होने की वजह से अपनी पोती डॉली से विशेष प्यार और लगाव था..!! इनके परिवार में छुट्टी वाले दिन महिलाओं को रसोई के काम से छुट्टी मिल जाती और सारे पुरुष मिलकर खाना पकाते..!!

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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: प्यार का अहसास

Post by rajsharma »

अब आते है इनके पड़ोसी पर इनके बीच दोस्ती तो नहीं कह सकते पर वर्षों से एक दूसरे के पड़ोसी होने के नाते दोनों परिवार के आपस में काफी अच्छे रिश्ते है.. चलिए मिलवाते है सभी से...

कैलाश तिवारी आर्मी रिटायर घर के मुखिया, इनकी पत्नी वसुधा तिवारी इनके एक बेटा और एक बेटी..!! शादी के बाद बेटी अपना ससुराल संभालने में व्यस्त हो गई..!!

इनका बेटा विजय तिवारी अपना खुद का बिजनेस खड़ा किया और उसी को तरक्की पर पहुंचा रहे है उनकी पत्नी अरुणा और इनकी बड़ी बेटी काव्या शादी कर दूसरे शहर चली गई और ओर दो बेटे ..!! बड़ा अनय तिवारी कॉलेज के सेकंड ईयर में बचपन से इंजीनियिंग करने का सपना देखा
ओर अपने पापा के बिजनेस को आगे बढाना भी उसकी ख्वाहिश थी पढ़ाई में तो होनहार है ही पर बाकी सारी चीजों स्पोर्ट्स हो सिंगिंग हो सब में अव्वल लड़कियां तो उसके लुक्स, एटिट्यूड की दीवानी थी, पर वो किसी को भाव नहीं देता.. वैसे तो तो कम ही गुस्सा आता पर जब भी आता भयानक हीआता ज्यादा बात करने का स्वभाव नहीं था ..!!

जय और अनय दोनों ही बेस्ट फ्रेंड थे..!!दोनों ने ट्वेल्थ के बाद जे ई ई किया जिसमें पूरा एक साल गया और उसके बाद एक ही कॉलेज में थे, छोटा बेटा राज पड़ाई में बिल्कुल ढ़क्कन पर दिखने में स्मार्ट..बस डॉली की महरबनी से ये अब तक पास होते आए है..!!डॉली और राज हमउम्र बचपन के फ्रेंड तो थे ही साथ ही लड़ाई झगड़े में भी अव्वल लड़ते ऐसे जैसे दोस्त कम दुश्मन ज्यादा हो, पर आपस में बनती भी बहुत है.. दोनों ने ही अभी ट्वेल्थ का एग्जाम दिया था और अब कॉलेज जाने वाले थे पर अभी रिज़ल्ट आने तक वैकेशन का भरपूर फायदा उठा रहे थे..!!

दोनों घर देखने में महल से कम नहीं थे बाहर छोटा सा लॉन घर के पिछे दोनों का मिलकर बड़ा सा बगीचा..!!

दोनों घर बाहर से जितने खुबसूरत अंदर से उससे कई गुना ज्यादा खुबसूरत..!! चलिए अब बढ़ते है आगे...

सुबह के समय

डॉली राज से-राज यार तुमने वादा किया था हम तुम्हारी पढ़ने हेल्प करेंगे तो तुम हमें स्केटिंग सिखाओगे..!!



राज उसके आगे सिर झुकाकर हाथ जोड़ते हुए-हां मेरी माँ सीखा दूंगा पर अभी इतनी सुबह यार टाइम तो देख लेती, अभी मेरे पेट में भुखे चूहे मुझे कोई भी काम करने की इजाजत नहीं दे रहे..!!

डॉली-तुम ना भुक्कड़ ही रहना हमेशा यार एक राउंड तो करवा दो प्लीज़..!!

राज-अच्छा ठीक है पर उसके बाद तुम मुझे चैन से नाश्ता करने दोगी..!! अब चलो फटाफट अपने स्केट शूज़ पहनो..!!

डॉली ने शूज़ पहने और राज ने उसका एक हाथ पकड़ लिया और उसे धीरे से आगे बढ़ने के लिए कहा.. पर पहली बार स्केटिंग करने की वजह से उसका बैलेंस बन ही नहीं पा रहा था..!!

राज-डॉली यार तुम तो सोच रही हो एक ही दिन में तुम अच्छे से बैलेंस बना लोगी पर इसके लिए बहुत प्रैक्टिस की जरूरत लगेगी, मेरी मानो तो छोड़ दो ये सब तुम्हारे बस का नहीं है..!!

डॉली-देखो राज हमें चैलेंज करने की भूल तुम करना ही मत... वरना इस खुबसूरत सी शक्ल का दो मिनट में हुलिया बदल देंगे..!!

राज उसे नकचढ़ी चुहिया कहते हुए भाग गया और वो वहीं गुस्से से दांत पिसती रह गई..!!

लाल मुंह के बन्दर तुम्हें तो हम देख लेंगे.. फिर मुंह बनाते हुए अंदर चली गई..!!

दादू डॉली को मुंह फुलाए देख-क्या हुआ..?? किसने हमारी प्रिंसेस का सुबह-सुबह मुंह सुजा दिया.. कहकर वो जोर के हंस पड़े..!!
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Re: प्यार का अहसास

Post by rajsharma »

डॉली-क्या दादू आप भी.. हम ना उस लाल मुंह के बन्दर को छोड़ेंगे नहीं उसने हमें चुहिया बुलाया वो भी नकचढ़ी..!!

उर्मिला देवी (दादी) हंसते हुए-मतलब कोई तुम्हें चुहिया कहे तुम्हे परेशानी नहीं है... बस नकचढ़ी से है..!!

डॉली बच्चों कि तरह हाथ पैर पटकते हुए-आंआआआ दादू समझाइए ना दादी को..!!

सविता जी (मम्मा)-अरे क्या हुआ सुबह-सुबह ही लड़ाई कर ली क्या..!! चलो आओ ब्रेकफास्ट रेडी है, हम सब तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे..!!

सब लोग अपनी-अपनी जगह पर बैठ गए..!!

प्रवीण-वाओ चाची आपके हाथ का कुछ भी बना हो सब लाजवाब होता है..!!

रेखा जी (बड़ी मम्मा)-हम्मम ब्रेकफास्ट तो अच्छा है, फिर हमारी प्रिंसेस क्यों उखड़ी हुई है..!!

जय (भाई)-बड़ी मम्मा इसको दो ही काम है एक तो लड़ाई करना और दूसरा मुंह फुलाना..!!

डॉली-पा...पा ये सब लोग हमें छेड़ते रहते है, आप समझाइए ना इन्हें... अभी ना दो तीन महीनों में रक्षाबनधन आने वाला है फिर ना यही सब हमारे आगे पीछे घुमेंगे रखी बंधवाने के लिए..!!

नवीन-प्रिंसेस हमनें तो कुछ नहीं किया ये तो जय तुम्हें चिढ़ा रहा है...!!

मदन (बड़े पापा)-अरे बहस तीन महीने बाद करना अभी तो ब्रेकफास्ट करो..!!

सबने चुपचाप ब्रेकफास्ट किया और सब अपने अपने काम पर चले गए जय कॉलेज चले गया..!!

डॉली ने भी ठान ली स्केटिंग सिखने की वो अपने रूम में ही दीवार के सहारे से धीरे धीरे चलने लगी..!!

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Re: प्यार का अहसास

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अप्रैल के महीने में कड़कड़ाती धूप थी वो बाहर भी नहीं जा सकती थी.. दिन जैसे तैसे काटा और शाम को फिर स्केटिंग करने बाहर चली गई और राज को भी बुला लिया.. उसने फिर हाथ पकड़ कर धीरे धीरे चलना स्टार्ट किया राज ने धीरे से हाथ छोड़ दिया वो आगे तो गई पर सामने से आते अनय को देख नहीं पाई और उससे टकरा कर गिर गई..!!

राज ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया जबकि अनय दोनों को घूरते हुए निकल गया..!!

राज डॉली को उठाते हुए-तुम ऐसे तो सीख गई अरे सामने तो देखना चाहिए पैरो में क्या है जो पैरों को देख कर चल रही थी..!!

डॉली-तुम तो ना चुप ही रहा करो.. अरे पहला दिन है आज थोड़ा टाइम तो लगेगा ना सीखने में.. तुम कौनसा पहले दिन ही महारत हासिल करके बैठे हो..!! एक तो गिर गए ऊपर से ये.. तुम्हारा खड़ूस भाई जब देखो घूरते रहता है अरे मैने क्या इनका खानदान लूट लिया या फिर प्रॉपर्टी अपने नाम करा ली... हुंह.. पता नहीं क्या प्रॉब्लम है..??

राज-वो तो अच्छा हुआ भाई ने कुछ कहा नहीं मुझे तो लगा दोनो को कान के नीचे बजाकर ही जायेंगे.. हाय ये भाई है या हिटलर..!!

डॉली-पूछ लो जाकर बता देंगे.. अच्छे से..!! फिर धीरे से बड़बड़ाई वैसे भले ही कुछ ना कहा हो पर उन्हें कहने कि जरूरत ही कहां पड़ती है आंखों से ही भस्म कर देते है..!!

यूहीं दिन बीते और रिज़ल्ट भी आ गया जिसमें डॉली ने टॉप किया और राज महाजय बस पास हुए..!!

डॉली और राज ने भी जय और अनय जिस कॉलेज में थे वहीं एडमिशन लिया और जहां उन दोनों ने लिया वहीं उनके फ्रेंड्स ने भी..!!

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