कैसे कैसे परिवार

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Masoom
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शीला का घर:

हालाँकि समर्थ सो चुके थे, पर शीला को नींद नहीं आ रही थी. उसका मन अपने परिवार के बारे में सोच रहा था. समर्थ ने उसे कभी भी किसी सुख से वंचित नहीं रखा. उसने समर्थ के सिर पर प्यार से हाथ चलाते हुए समर्थ के शांत चेहरे को देखकर ईश्वर का धन्यवाद किया जिसने उन्हें न केवल साथ ही रखा अपितु एक जैसी सोच भी दी. कुछ देर में उसने जब अपना हाथ हटाया तो एक हाथ ने उसकी कलाई पकड़ ली. समर्थ उसकी ओर देखकर मुस्कुरा रहे थे.

शीला: “आप सोये नहीं?”
समर्थ: “सो गया था, पर किसी खटके ने जगा दिया. देखा कि तुम सिर सहला रही हो तो सोने का स्वांग करता रहा. क्या हुआ? नींद नहीं आ रही?”
शीला: “नहीं, कुछ हुआ नहीं. बस प्रार्थना कर रही थी कि सब कुछ ऐसे ही अच्छे से चलता रहे. अब निखिल की भी शादी हो जाएगी. परिवार बढ़ने लगा है. हमें कभी बेटे की कमी नहीं लगी, पर अगर एक बेटा भी होता तो वंश आगे चलता.”
समर्थ: “सच कहूँ तो केवल बेटों से वंश चलने का मुझे बहुत औचित्य नहीं लगता. हमारी दोनों बेटियाँ हमारा ही वंश हैं, और उनके बेटे हमारा ही नाम आगे ले जायेंगे.”
शीला: “बात तो आप ठीक ही कह रहे हैं.”
समर्थ: “अब अगर तुम्हें बेटा किसी और कारण से चाहिए था तो अलग बात है. नातियों के लंड के लिए तुम्हें ३८ साल जो रुकना पड़ा था.”
शीला: “हटो, मुझसे मत बोलो.”
समर्थ: “ठीक है नहीं बोलता. पर तुम्हें नींद का इंजेक्शन लगा देता हूँ.” ये कहते हुए समर्थ ने शीला पर चढ़ाई कर दी.

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सुरेखा का घर:

सुरेखा: “सजल, मेरे लिए एक ड्रिंक बनाकर लाएगा? मुझे तुझसे कुछ और भी बात करनी है. अपने लिए चाहिए तो बियर ले ले.”

सजल को आश्चर्य हुआ क्योंकि सुरेखा कभी कभार ही ड्रिंक लेती थी.
सजल: “मम्मी, सब ठीक तो है.”
सुरेखा: “लेकर आ, तुझसे कुछ बात करनी है. सुन, बोतल साथ ही ले आना.” ये कहकर वो उठी और अपने कमरे की ओर बढ़ गई.

जब तक सजल उसकी ड्रिंक और कुछ नमकीन और अपने लिए बियर लाया तब तक सुरेखा ने वो नाइटी दोबारा ओढ़ ली थी. उसने अपनी ड्रिंक के दो घूंट लिए.

सुरेखा: “मैं नागेश को तलाक दे रही हूँ.”
सजल भौचक्का रह गया. आज उसके लिए दिन कुछ अलग ही भूचाल ला रहा था. सुरेखा ने कुछ न बोलकर उसके हाथ में एक लिफाफा दे दिया.
“देख अपने बाप की करतूत.” सुरेखा के शब्दों में घृणा का पुट था.
सजल ने लिफाफे के अंदर के देखा और कुछ ही चित्र देखकर उसके हाथों से लिफाफा छूटकर नीचे जा गिरा. अब पीने की बारी सजल की थी, सो उसने एक बार में ही बियर के चार पांच घूंट लिए. उसका सिर घूम रहा था.
“ये देखकर तो संजना पागल हो जाएगी, वो तो पापा को जैसे पूजती है.”
“मैं जानती हूँ, और इसीलिए मुझे इसमें तुम्हारी सहायता चाहिए. अच्छा होगा कि संजना को तुम इस बात को धीरे से बताओ. मैं नहीं चाहती कि इस कारण हम दोनों के बीच कोई मन मुटाव हो.”
सजल ने समझते हुए कहा, “ओके, मॉम. आई विल हैंडल इट। “

“अपने कपड़े उतारो “ सुरेखा ने कहा.
सजल ने अपने कपड़े उतार दिए पर अंडरवियर पहने रखा.
“ये भी निकालो. मुझे देखना है कि तुम कितने बड़े हो गए हो.”
सजल ने थोड़ा हिचकते हुए उसे भी उतार दिया और नंगा अपनी माँ के सामने खड़ा हो गया.

“बहुत अच्छा है, बहुत बड़ा और सुन्दर है, न जाने तुम्हारा ये लंड कैसे इतना बड़ा है, तुम्हारे पापा का तो इतना बड़ा था नहीं.” फिर कुछ सोचकर, “लगता है मेरे परिवार पर पड़ा है.”
सजल फिर चौंक गया.
“आपको कैसे पता?”
“मुझे और भी बहुत कुछ पता है, पर वो इस समय की चर्चा का विषय नहीं है. इधर आओ, आगे.”

सजल सुरेखा के आगे जाकर खड़ा ही गया. सुरेखा ने उसके लंड को अपने हाथ में लेकर तौला और धीरे धीरे सहलाने लगी. अब सजल उत्तेजित तो पहले ही था, आनन फानन में उसके लंड ने अपना पूरा रूप धारण कर लिया.
“हम्म, बहुत सुन्दर है.” ये कहकर सुरेखा ने अपना चेहरा आगे किया और अपनी नाक लगा कर सूंघा. “और बहुत सुगन्धित भी. स्वाद कैसा होगा?”
फिर कुछ देर यूँ ही उसे सहलाते हुए बोली, "ये जानने का तो केवल एक ही उपाय है.”
ये कहकर उसने सजल का लंड अपने मुंह में भर लिया. और फिर उसने चूसना शुरू किया. सजल तो मानो स्वर्ग में पहुँच गया. उसने कई बार इस प्रकार के सपने देखे थे, पर आज वो पूरे हो रहे थे.

सुरेखा पूरी तन्मयता से सजल के बढ़ते हुए लंड को चूस रही थी. वो उसको चाटती , फिर कुछ देर चूसती और फिर चाट लेती. साथ ही साथ उसने एक हाथ से सजल के अंडकोष भी सहलाने का काम किया हुआ था. सजल के पाँव काँप रहे थे. उसके लंड ने झटके लेने शुरू किये तो सुरेखा समझ गई कि अब सजल का पानी छूटने वाला है. पर उसने रुकने का नाम नहीं लिया. और फिर वही हुआ -- सजल ने उसके मुंह में ही अपना पानी छोड़ दिया. आज उसने पहली बार अपने हाथ के अलावा किसी दूसरे माध्यम से अपना पानी निकाला था. और वो भी अपनी ही माँ के मुंह में.

सुरेखा ने सजल के लंड का पानी पीकर उसके लंड को चाटकर साफ किया. और सोफे पर पीछे टिक कर बैठ गई. उसकी आँखों में एक संतुष्टि की चमक थी. उधर सजल भी खड़ा न रह सका और वहीँ सुरेखा के पास ही बैठ गया.
“थैंक यू, मॉम.”
“माई प्लेज़र.”

दोनों माँ बेटे बैठकर उनके सम्बन्ध के नए समीकरण के बारे में चिंतन करते हुए अपने ड्रिंक्स की चुस्कियाँ ले रहे थे.

सुरेखा: “तुम्हें नहीं लगता कि जो मैंने अभी किया उसका आभार तुम्हे भी प्रकट करना चाहिए.”
सजल: “मैं अपनी बियर पी लूँ उसके बाद. पर एक बात बताऊँ. ये मेरा सालों का सपना था, जो आज आपने पूरा किया है. मैं इसे कभी भी भूलूंगा नहीं.”
सुरेखा: “ऐसे प्रकरण भूलने के लिए नहीं होते. मैं भी तुम्हारा पहला स्वाद जीवन भर नहीं भूलूंगी.”

सजल की बियर जैसे ही ख़त्म हुई उसने सुरेखा के पांवों के बीच में अपना स्थान ग्रहण कर लिया.

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शीला का घर:
अगले दिन सुबह

सुबह समर्थ की नींद देर से खुली थी. देखा तो शीला उठ चुकी थी. बाथरूम से नित्य कर्म के बाद वो बाहर निकले तो देखा कि शीला किचन में भी नहीं है. तभी उन्होंने निखिल को नितिन के कमरे में जाते हुए देखा. वो भी सधे क़दमों से पीछे हो लिए. घर में कमरे बंद करने की आदत किसी को थी नहीं, तो वो बाहर जाकर अंदर का दृश्य देखने लगे.

शीला इस समय नितिन के ऊपर नंगी ही उछलकूद कर रही थी. नितिन भी नंगा ही था. नितिन ने निखिल को अंदर आते देख लिया था पर उसने चुप्पी साधी हुई थी और अपने कमर उछाल कर अपनी नानी की चूत में अपने लंड को पेल रहा था. निखिल ने भी अपना अंडरवियर उतारा और अपने लंड को थोड़ा हाथ से मसला. नितिन ने उसे आंख से संकेत किया तो उसने साथ पड़ी टेबल पर से वेसलीन उठाई और अपने लौड़े पर अधिक मात्रा में लगा ली. उसने फिर नितिन की ओर देखा. नितिन ने शीला की कमर को पकड़कर उसे अपने ऊपर झुका लिया और नीचे से लम्बे धक्के मरने लगा. इसके कारण शीला को अपने पीठ पीछे होती गतिविधि पर ध्यान नहीं गया.

निखिल ने अपने लौड़े को शीला की गांड के छेद पर रखा और एक करारा धक्का मारा, “गुड मॉर्निंग, नानी.” उसका लंड शीला की मुलायम गांड को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया. शीला के साथ ये इतना अकस्मात हुआ था कि उसे सोचने समझने का समय ही नहीं मिला. और जब होश आया तो बहुत देर हो चुकी थी. अब उसकी चूत और गांड दोनों में ही मोटे लम्बे लौड़े पिले हुए थे. पर शीला जैसी चुड़क्कड़ बहुत जल्दी ही संभल गई.

“ऐसे भी कोई गुड मॉर्निंग करता है? पर अच्छा लगा तेरा ये ढंग गुड मॉर्निंग का. अब दोनों अच्छे से चोदो मुझे, कल रात तुम्हारा कुछ हुआ नहीं तो लग जाओ काम पर.”

नितिन और निखिल ने अपनी लय से नानी की लेनी शुरू कर दी. नितिन ने नाना की ओर देखा जो इस पुरे वृत्तांत को देख रहे थे. नितिन ने नानी की ओर संकेत करके अपने मुंह से चूसने का इशारा किया. देखकर समर्थ ने भी अपना पजामा उतारा और अपने लंड को सहलाते हुए शीला के सामने खड़े हो गए.

“सुना है आज तुम सबको गुड मॉर्निंग कर रही हो.”
“अब अपने सुना है तो सही ही होगा. आइये, आपकी भी सेवा कर दूँ.” ये कहकर शीला ने समर्थ के लंड में लेकर उस पर धावा बोल दिया.

कुछ ही देर में तीनों ने अपने पानी को निर्धारित छेदों में छोड़ दिया, और फिर अलग हो गए. शीला बिस्तर पर लेट कर अपने छेदों से रस निकाल कर चेहरे पर मल रही थी.

“दिन प्रारम्भ करने का इससे अच्छा तरीका कोई हो नहीं सकता.” शीला ने कहा. “चलो अब नाश्ते की तैयारी भी करनी है.”
“नानी आप खाना बनाने के लिए किसी को क्यों नहीं रख लेतीं?”
“और अपनी स्वंत्रता खो दूँ? झाड़ू पोंछे बर्तन वाली ही बहुत हैं ताक झांक के लिए.” ये कहकर शीला बाथरूम में घुसी और सफाई करने के बाद किचन में चली गई.

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सुप्रिया का घर:
अगले दिन सुबह

संजना जब सुबह उठी तो उसे एक सुखद अनुभूति का आभास हुआ. उसकी चूत में कुछ मीठा मीठा सा स्पंदन हो रहा था. उसने अपना हाथ नीचे किया तो वो किसी के बालों में उलझ गया.

“गुड मॉर्निंग, प्रेटी गर्ल.”
“मौसी! सुबह सुबह! वहां गन्दा होगा!”
“गन्दा तो हमेशा ही रहता है मेरी लाड़ो, इसीलिए तो साफ कर रही हूँ.” ये कहकर सुप्रिया ने संजना के पांव फैलाये और अपने नाश्ते के पहले के बुर के मधु का रसास्वादन करने में जुट गई.

संजना ने भी इसमें मौसी का साथ दिया और उनका सिर जोर से अपनी बुर पर दबा लिया. अब इतनी सुबह तो वैसे भी दबाव रहता है, तो संजना की बुर से एक तीव्र धारा छूटकर सुप्रिया के मुंह में समा गई. संजना जो इस खेल की नयी खिलाडी थी, उसे ये पता नहीं चला कि ये उसका पानी था या मूत्र. पर उसने सुप्रिया मौसी को देखा जो अब अपना चेहरा उठाकर उसे प्यार भरी दृष्टि से देख रही थीं तो उसने यही समझा कि वो अवश्य ही झड़ी है. पर सुप्रिया के अगले व्यक्तव्य ने उसके होश उड़ा दिए.

“तेरा हर रस बहुत मीठा है. मुझे अगर सुबह ये मिल जाता है तो जैसे एक अलग ही शक्ति आ जाती है.”
“मौसी, ये क्या था? मेरी सूसू तो नहीं पी ली आपने?”
“नहीं तो सुबह सवेरे तेरी चूत पीने का फायदा ही क्या होता?”
“आप… सूसू भी पीती हो?”
“सबकी नहीं. बस तेरी मम्मी की पीती थी और एक और स्त्री है उसकी जब तब अभी भी पी लेती हूँ. और कभी भी किसी की भी नहीं.”

संजना ये सुनकर सन्न रह गई. सुप्रिया उठकर बाथरूम में चली गई और संजना भी उठी और कपड़े पहनने लगी. वो रात रुकने के लिए कुछ भी नहीं लायी थी, अपना टूथ ब्रश भी नहीं. जब सुप्रिया बाहर निकली तो उसने घर जाने की अनुमति मांगी और अपनी कार से घर की ओर चल पड़ी.

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सुरेखा का घर:
पिछली रात

सजल अब अपने आत्मविश्वास को वापिस पा चुका था. अब उसे विश्वास था कि सुरेखा उससे खिन्न नहीं है.
सुरेखा के पांवों के बीच बैठकर सजल ने उसके दोनों पांव फैला दिए. नाइटी को ऊपर करते हुए उसने सामने खुली हुई बहुमूल्य निधि की ओर देख रहा था. पिछली बार के व्यवधान को याद करते हुए उसने अपने हाथ को हल्की ओस की बूंदों से भीगी चूत की पंखुड़ियों को छुआ. सुरेखा सिहर उठी. अपनी उँगलियों से उन्हें सहलाते हुए सजल अपने घुटनों के बल बैठ गया. फिर उसने अपनी ऊँगली हटाई और अपनी जीभ से उस सतह को चाटने लगा. सुरेखा आनंद से विभूत हो गई. उसने सजल के सिर को जोर से पकड़ कर अपनी चूत में दबा दिया. पर इस बार सजल चौकन्ना था. उसने अपने हाथ से सुरेखा के हाथ को हटा दिया.

“मम्मी, दम घुटता है.”
“ओह! सॉरी बेटा।”

अब सजल को इसके आगे क्या करना है इसका कोई प्रत्यक्ष अनुभव तो था नहीं. वही था जो उसने ब्लू फिल्मों में देखा था. और उनकी ही सीख को मानते हुए उसने सुरेखा की चूत को ऊपर से नीचे तक पूरी तन्मयता से चाटना शुरू किया. अपने मन में उन फिल्मों को रिवाइंड करते हुए उसने अपनी एक ऊँगली अंदर डाली और आगे पीछे करने लगा. सुरेखा की चूत पानी बहाने लगी और ऊँगली की यात्रा सरल हो गई. कुछ ही पलों में सजल की दो उँगलियाँ सुरेखा की थाह नाप रही थीं. और इस सबके साथ सजल ने अपनी जीभ का अभियान चालू ही रखा था. सुरेखा की सिसकियों और कराहों से सजल को ये तो समझ आ ही चुका था कि वो सही राह पर है. उसने अपने परिश्रम को और तेज कर दिया.

और अचानक सुरेखा का बांध टूट गया और उसकी चूत ने एक लम्बी धार में अपना पानी छोड़ दिया. सजल का चेहरा पूरा भीग गया. पर उसने हटने का प्रयास भी नहीं किया, बल्कि अपने काम में एकजुट होकर लगा रहा. पूरा झड़ जाने के बाद सुरेखा सोफे पर ही लम्बी साँसें लेते हुए ढेर हो गई. उसने प्यार से सजल के सिर पर हाथ फेर दिया. सजल उठा और सोफे पर ही उसके साथ बैठ गया.

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मुंबई का एक बंगला:
पिछली रात

(कहानी का ये हिस्सा भविष्य के एक प्रकरण से सम्बंधित है, हालाँकि ये मुख्य कथा का अंश नहीं है.)

देश के महानगर मुंबई के एक आलीशान बंगले के एक कमरे में तीन लोग थे. सोफे पर एक अधेड़ उम्र का आदमी नंगा बैठा हुआ था. उसका सिर झुका हुआ था. उसके सामने लगे बिस्तर पर एक अध्यधिक सुन्दर नंगी स्त्री एक १९-२० वर्ष के लड़के के लंड पर उछल रही थी. साथ ही साथ वो उस आदमी को उलाहना भी दे रही थी.
“देख गांडू, इसे कहते हैं चुदाई, इसे कहते हैं लौड़ा.”
लड़का भी कुछ पीछे नहीं था, हालाँकि उसे हिंदी काम ही आती थी.
“हे, डैड! नो हार्ड फीलिंग्स मैन. आपने इससे शादी करके बहुत अच्छा किया मैन। क्या मस्त आईटम है मेरा नया मॉम। सो बैड कि आपका अब खड़ा नहीं होता. ये चूत बिलकुल सोना है मैन एकदम सोना. यू नो व्हाट आई मीन.”

“उसे छोड़, तू मेरा ध्यान रख, मादरचोद. अंदर डाल और अच्छे से. आह, हाँ ऐसे ही. और जोर से.”

अचानक उस लड़के ने उस स्त्री की कमर पकड़ कर एक कुलाटी मारी और उसे नीचे करते हुए उसके ऊपर चढ़ गया. अब उसने द्रुत गति से चुदाई शुरू कर दी. वो स्त्री इस तेज चुदाई से और भी अधिक उत्तेजित हो गई.
लड़का उसके मम्मों को जानवर की तरह नोच रहा था. उनपर लाल निशान पड़ चुके थे, पर न उस स्त्री को, न ही लड़के को अपने कर्मकांड में कुछ कमी करने की आवश्यकता लगी.

इस भयंकर जंगली चुदाई के अंत में लड़के ने अपना वीर्य उस स्त्री की कोख में भर दिया. और उसे चूमते हुए उससे लिप्त रहा. कुछ देर तक दोनों यूँ ही चूमा चाटी में लगे रहे. इस बीच लड़के ने अपना लंड बाहर नहीं निकाला बल्कि अंदर ही चलाता रहा. अंत में वो अलग हुआ और वैसे ही नंगा अपने पिता के समक्ष खड़ा हो गया.
“थैंक्स, डैड. दिस वास अनादर ग्रेट फक. हे मॉम थैंक यू टू।” कहकर उसने अपने कपडे समेटे और कमरे से नंगा ही अपने कमरे में चला गया जहाँ कोई उसकी प्रतीक्षा कर रहा था.

“इधर आओ और अपना काम करो.” स्त्री ने उस आदमी को आदेश दिया.
वो उठा और अपना मुंह उस स्त्री की चूत में लगाकर चाटने लगा. कुछ ही क्षणों में उसने उसे पूरा साफ कर दिया. फिर उठकर वापिस सोफे पर बैठ गया. इस समय उसका लंड खड़ा हो चुका था.

“तुम खुश हो?” स्त्री ने उस आदमी के पास आकर पूछा. ये कहकर उसने उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया. उस आदमी का लंड अब अपनी पत्नी को दूसरों से चुदते हुए देखने से ही खड़ा होता था. शादी के समय ऐसा नहीं था, पर २ सालों बाद अब उसका लंड केवल इसी परिस्थिति के खड़ा होता था. उस स्त्री को लंड चूसने का पुरुस्कार जल्दी ही मिल गया जब उस आदमी ने अपना वीर्य उसके मुंह में छोड़ दिया.

“हरजीत का फोन आया था. उसे @#$ शहर में एक शो के लिए पूछताझ आयी है. कोई अति विशिष्ट क्लब है वहां का. चुने हुए लोग ही होंगे वहाँ। सुना है उस क्लब के लड़कों के लंड कम से कम दस इंच के हैं. प्राइवेट शो है, और ये शादी शुदा औरतों का क्लब है. बात बाहर जाने का खतरा नहीं है. उन्होंने माँ बेटा और मेरे गैंग बैंग के लिए अनुरोध किया है. पैसा अच्छा दे रहे हैं. तुम कहो तो स्वीकार कर लें.”

उस आदमी ने कुछ देर सोचा फिर बोला, “ठीक है बहुत दिनों से तुम्हें इतने बड़े लौंड़ों से चुदते नहीं देखा है. अगर बात बाहर नहीं निकले तो स्वीकार कर सकती हो.”
“हाँ मुझे भी ऐसे गैंग बैंग किये हुए बहुत दिन हो गए हैं. और तुम्हें भी इतने लौंड़ों का पानी पिए हुए भी एक लम्बा समय हो चूका है. वैसे वहां और औरतों की भी चुदाई होगी, तुम्हें उनकी चूतें भी साफ करने का अवसर मिलेगा.”
“कब जाना होगा.”
“अगले महीने. अब आओ अपनी बीवी को चोदो, ये सोचकर तुम्हारा लंड फिर खड़ा हो गया है.”

ये कहते हुए वो बॉलीवुड अभिनेत्री जाकर बिस्तर पर लेट गई. उसका अभिनेता पति जो अपनी पत्नी से लगभग २० साल बड़ा था, उसके ऊपर चढ़ गया और उसे चोदने में व्यस्त हो गया.

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सुरेखा का घर:
पिछली रात

थोड़ी देर दोनों माँ बेटे शांत ही बैठे रहे. सजल कुछ सोच रहा था.

सजल: “मैं ये नहीं सोच पा रहा कि संजना को पापा के बारे में बताएँगे कैसे?”
सुरेखा: “इसी कारण मैं चाहती हूँ कि तुम ये करो. सोचकर देखो. कल ही बताने की जल्दी मत करो. पर थोड़ी पृष्ठभूमि बना लो, फिर बताना.”
सजल: “ये भी सही है. पर पापा ऐसा कर सकते हैं विश्वास नहीं होता.”
सुरेखा: “मुझे नहीं लगता कि ये अधिक पुरानी बात है. और दूसरे क्या तुम ये विश्वास कर सकते थे कि हम दोनों यहाँ इस स्थिति में होंगे?”
सजल ने कुछ उत्तर नहीं दिया. उसे समझ आ गया था कि माँ क्या कहना चाह रही थी. उसने उठकर अपने लिए एक बियर लाई और सुरेखा का भी एक और पेग बना दिया. धीरे पीने के कारण वो नशे में नहीं थे बल्कि एक हल्की सी खुमारी थी.

सजल: “अब आगे क्या करना है, क्या चुदाई करें?”
सजल का आत्मविश्वास अब लौट चुका था.
“मैं भी यही सोच रही थी.” ये कहकर सुरेखा ने अपनी ड्रिंक ख़त्म की और गाउन उतारते हुए बिस्तर की और बढ़ गई. सजल को कुछ समय लगा अपनी बियर पीने में, फिर वो भी बिस्तर पर पहुँच गया. सुरेखा ने रिमोट उठाया और USB की फिल्म चालू कर दी. इस बार सजल ने कुछ नहीं कहा, बस जाकर सुरेखा के बगल में बैठ गया.

“कब से देख रहे हो ऐसी फ़िल्में?”
“अभी एक दो ही देखी है.”
“हम्म्म”
तभी वहां परस्पर मौखिक सहवास का दृश्य आ जाता है. सुरेखा सजल की और देखकर, “ये करते हैं थोड़ा”

ये कहकर वो सजल को लिटा देती है और अपनी चूत को सजल के मुंह पर रखते हुए सजल का लंड अपने मुंह में ले लेती है. दोनों इस स्थिति में कोई ४-५ मिनट रहते है. जब सुरेखा को लगता है कि उसकी चूत और सजल का लंड पर्याप्त मात्रा में गीले हो चुके हैं तो उसने अपना शरीर ऊपर से हटा लिया, और लेटते हुए अपने पैर चौड़े कर लिए. सजल ने उनके बीच में अब अपना स्थान और अपने लंड को चूत पर रखते एक प्यार भरा धक्का दिया. लंड गप्प की ध्वनि के साथ सुरेखा की चूत में प्रवेश कर गया.

“अब धक्के मार, डरना नहीं और न ही रुकना जब तक तेरा हो न जाये.”

हालाँकि सजल का किसी चूत में ये पहला प्रवेश था, पर जैसे खाना मुंह में ही जाता है, उसी प्रकार सजल ने भी एक स्वाभाविक और प्राकृतिक लय में अपने लंड को अंदर से बाहर चलाना शुरू कर दिया. सुरेखा भी ये देख रही थी कि सजल की अपनी बुद्धि और क्षमता कितनी है. वो उसे पूरा सहयोग और प्रोत्साहन तो दे रही थी पर किसी भी प्रकार का सञ्चालन या निर्देशन नहीं कर रही थी. उसे ये भी भांपना था कि सजल को आगे कितनी और किस प्रकार की ट्रेनिंग आवश्यक होगी.

अब जैसा कि किसी के भी साथ पहली बार होता ही, सजल को अपने आपको रोकने में असमर्थता हुई. और वो अचानक ही सुरेखा की चूत में ही झड़ गया. इस हादसे से वो बहुत ही व्याकुल हो गया. उसका चेहरा झुक गया और उसे लगा कि वो अपनी माँ को संतुष्ट करने में असफल रहा था. सुरेखा ने उसकी इस भावना को ताड़ लिया और वो सजल को अपनी बाँहों में लेकर चूमने लगी.

सुरेखा: "अगर तुम्हें लग रहा है की जल्दी झड़ने के कारण तुम फेल हो गए और मैं संतुष्ट नहीं हुई, तो तुम्हारी ये सोच गलत है. पहली बात तो ये, कि शुरू शुरू में कई बार ये होना संभव होता है. वो इसीलिए कि तुम्हें अपने शरीर की लय और क्षमता का अंदाजा नहीं है. ये सब ताल बनने में समय लगता है. अपने झड़ने को कैसे रोकना और खींचना संभव है ये भी तुम्हें नहीं पता. जानते हो मैंने तुम्हे इस बार कुछ भी क्यों नहीं कहा?”

सजल ने नकारात्मक भाव में सिर हिलाया.
“इसीलिए, कि ये तुम्हारी पहली चुदाई थी, जो तुम्हें अपने ही तरीके से करनी थी. अब मान लो मेरे स्थान पर तुम्हारी नई पत्नी होती तो क्या तुम्हें तब भी ऐसा ही लगता?”

“नहीं, पर मॉम मूवी में तो वो….”
“बेटा, वो फिल्म है, उसमें दस बार में एक सीन होता है. उनके और अपने बीच में अंतर समझो. अब तुम चिंता करना छोड़ो. मैं तुम्हे सिखाऊंगी और संभव हुआ तो एक और शिक्षिका भी है मेरी पहचान की, जो तुम्हें इस कला में महारथी बना देगी. अब हंसो.”

सजल हंसने लगा और उसके मन से एक बोझ उतर गया.
“चलो अब तुम्हारी पहली चुदाई के लिए चियर्स करते हैं.”

सुरेखा ने अपनी नयी ड्रिंक बनाई और सजल ने एक और बियर ली. कुछ देर सामान्य बातें करने के बाद दोनों एक दूसरे की बाँहों में ही सो गए.


क्रमशः
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Re: कैसे कैसे परिवार

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