शैतान से समझौता

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Kamini
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Re: शैतान से समझौता

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फिर वो मान गया। नया बाजार के पास मेरा एक खोली बोले तो फिलैट है छोटा सा। बंद ही रहता था। मेरा बोलने पर जेनिफ़र उधर ,
चला गया...जब बेबी आने को था। उसने मेरे से प्रामिस भी किया था कि बेबी का आते ही वो उसे मार डालेगा...पर नहीं मार पाया होएंगा। दो दिन बाद जब मैं उधर गया तो फिलैट खुला था पर वहां कोई नहीं..वो चला गया था। मेरे को बाद में दूसरा लोगों से पता चला कि वो यहां से दूर किसी और शहर में अपना बेबी लिलियाना के साथ रहता। सबकुछ ठीक चल रहा था। मैं कई बार चुपके से उन दोनों को देखने गया पण..."

"पर क्या?" विनय ने पूछा

"टू ईयर्स पहले जब मैं वहां गया तो खोली को ताला लगा था। पता नही वो मदर-डाटर किधर गया! शायद उनको मेरा आने का पता चल गया? या कुछ और? फिर मैंने जेनिफ़र के कालेज का फिरेंड लोगों से बात करने का डिसाइड किया.."

"तुम हरमन ओबेराॅय के पास भी गए.." विनय बोला। उसने सहमति में सर हिलाया।
"पर उसका ये सबसे कोई मतलब नहीं। वो नार्मल है तुम्हेरी तरह। और वो हलकट से खुद का बिवी तो पिरेगनेंट होता नहीं हां उसका सेकेटरी बोले तो तीन बार हो चुका"
विनय ने घूर कर उसे देखा। वो खिसियाना सा हंसा।

"पर वो हमारे कालेज में था और जेनिफ़र के पीछे भी पड़ा था?" विनय बोला।
"नक्को.." मारियानो सर हिलाता हुआ बोला..."उसने मुझे उस ड्यूरेशन का अपना बहुत सा फोटू और बाकि का चीज दिखाया..वो तब अमरीका में था..जो हरमन तुमलोगों के साथ कालेज में था..वो 'कोई और' था..." वो रहस्यमयी आवाज़ में बोला।

"तो अब जेनिफ़र कहां है तुम्हें नहीं मालूम?" विनय ने पूछा
,
उसने न में सर हिला दिया। विनय उठने लगा।
"किधर को जाता मैन?" मारियानो बोला।
"उन दोनो को ढूंढना तो पड़ेगा ही!" विनय बोला
मारियानो भी हड़बड़ाता हुआ खड़ा हो गया।

"मरने का है तेरेको???" वो दहशत से बोला। "अब तो तू जानता न वो कौन है या बोले तो 'क्या' है? वो इस्पेसल करके तेरे और तेरा फियांसी के पीछू पड़ा और तू फिर से उसीच्च को ढूंढने जाता?"

"हम्म..बोले तो मैं भी साला हाफ ह्यूमन" उसके लहजे की नकल करता विनय बोला।
मारियानो सकपकाया "और बाकि का हाफ?"
"पुलिसवाला है न" विनय हल्केपन से बोला।
"जोक मारता है मैन! मसखरी करता!"

"जोक??" विनय अब गंभीर लहजे में बोला..."उस लड़की ने दो बसों का एक्सीडेंट कराया जिसमें से एक बस तो मासूम बच्चों से भरी हुई थी...मनोज वर्मा, उस बेचारे ने जिसने उसे गोद लिया था उसे बरबाद कर दिया। अगर मौके पर जेनिफ़र नहीं पहुंचती तो शायद मेरा और दिया का भी वही हाल होता..नहीं बिना सबकुछ 'ठीक' किये मैं वापस नहीं जाने वाला। वो लड़की खतरा है सबके लिये"

मारियानो बहुत देर तक चिंतित भाव से उसे देखता रहा।
"चलो.." विनय बोला
"किधर?"
"नया बाजार वाली तुम्हारी 'खोली' जहां जेनिफ़र अपनी डीलिवरी के समय थी"
"अब उधर क्या रखा है..वो तो बंद पड़ा कब से.." मारियानो बोला।
विनय ने जवाब नहीं दिया और उठ कर चल दिया। मरियानो आह ,
भरता सा उसके पीछे चलने लगा...

मारियानो ने ताला खोला और धूल उड़ाते हुए दरवाजा खुला। उसने एक बत्ती जलाई..मकड़ियों के मोटे मोटे जाले चमकने लगे। वहां सबकुछ अस्त व्यस्त और धूल से भरा था। उनके अंदर आते ही चूहे इधर उधर भागने लगे।
विनय टिपिकल पुलिसिया अंदाज में वहां की तलाशी लेने लगा।
"तेरेको जेनिफ़र इधर ड्रोअर में मिलेंगा क्या.." मारियानो खीजता हुआ बोला। विनय अपना काम करता रहा।
कुछ देर बाद उसे सफलता मिली जब वो उस दीमक लगे पलंग के नीचे चेक कर रहा था।
"वहां क्या है!!!" वो हैरानी से बोला
"चूहा होएंगा और क्या.." मारियानो बोरीयत से बोला

वो एक घिसापिटा सा कागज था जो थोड़ा फर्श से चिपक भी गया था। विनय ने सावधानी से उसे बाहर निकाला। उस पर मोटी धूल जमी थी और किनारे भी चूहों ने कुतर डाले थे। उस पर कुछ लिखा हुआ था जिसकी स्याही भी धुंधला गई थी..पर इतनी नहीं कि पढ़ी ना जा सके...

ये वही चिट्ठी थी जो उस फ्लैट को छोड़ने से पहले जेनिफ़र ने लिखी थी!

विनय के लिये लिखी थी!

जिसे अब...पूरे नौ सालों बाद वो पढ़ने जा रहा था..

"डियर विनय
जानती हूं तुम मुझे ढूंढते यहां जरूर आओगे...."

,

ज्यों ज्यों वो उस चिट्ठी को पढ़ता जा रहा था उसकी हैरानी भी बढ़ती ही जा रही थी। "हाफ डीमन्स" के बारे में मारियानो ने अब तक जो उसे बताया था वो तो...कुछ भी नहीं था!!!

वो डाईनिंग टेबल पर बैठी हुई थी। हास्पीटल से आए हुए चार दिन हो चुके थे पर अब भी उसका चेहरा मुर्झाया हुआ सा था। सबसे जादा उसे विनय की कमि खल रही थी। उसे तो यहां होना चाहीये था। कहां गायब था वो।

तभी उसकी सूप के बाउल में उपर से कुछ गिरा। वो चौंक गई। वो बाउल में देखने लगी। उसी वक्त उसके हाथों पर भी कुछ गिरा। उसने परेशानी से छत की तरफ देखा

"कहां से ये....
और उसकी सांस हलक में ही अटक गई।

वो वहीं थी! छत से चिपकी हुई! किसी छिपकली की तरह! उसकी आंखे पूरी काली थी और हाथ पैर ने पंजों की शक्ल ले ली थी। लंबे सुनहरे बाल उसके डरावने चेहरे के चारों तरफ़ झूल रहे थे...

दिया कुछ समझ पाती इससे पहले उस "चीज" ने उस पर छलांग लगा दी

वो चिल्लाती हुई उठ खड़ी हुई। उसकी कुर्सी पीछे गिर गई। दोनों हाथों से अपना चेहरा ढंक कर वो जोर जोर से चीखने लगी।
"दिया!! दिया क्या हुआ!! दिया!!"
"कुछ बोल तो सही!! दिया!!!"


दिया शांत हुई हाथों से चेहरा हटाया‌। सामने उसके मम्मी पापा चिंतित से खड़े थे।। हिम्मत करके उसने उपर देखा तो खाली छत दिखी। फिर वही भयानक सपना!
अब तो दिन में भी...तभी
"दिया!.."
दिया थोड़ा चिहुंक के पलटी..सामने विनय खड़ा था। वो वापस आ चुका था।

"विनय!!! " वो भागती हुई उससे लिपट गई।
"कहां थे तुम.." वो उसके कंधे पर सर रख के सुबक रही थी।
"सब ठीक है..ठीक है.." उसके बालों में उंगली फिराता विनय बोला..."अच्छा सुनो मुझे कुछ बात करनी है तुमसे.."

कई सालों पहले की एक रात...
सड़कें सूनसान थीं...घोर सन्नाटा पसरा हुआ था वहां। बस आवारा कुत्तों के भौंकने की आवाज़े आ रहीं थी थोड़ी थोड़ी देर में। अचानक दूर कहीं से किसी के भागने आवाज आयी। थोड़ी देर में एक लड़की का साया दिखा जो सड़क पर बेतहाशा भागी जा रही थी। वो असमान्य लंबे कद की थी और उसके बाल भागते वक्त पीछे की ओर लहरा रहे थे।ऐसा लग रहा था वो किसी से डर कर भाग रही थी।
भागते भागते वो छायाओं में कहीं गुम हो गई।

"किधर गयी? अब्बी तो यहीं थी" एक मर्दाना आवाज आयी।
कहां जाएगी...होगी यही कहीं ढूंढो" दूसरी आवाज़ आई
"स्साली! मिले तो सही सारी शानपट्टी निकाल देंगें" कोई और बोला।
"अबे घोंचूओं! बात ही करते रहोगे क्या? हाथ पैर भी हिलाओ.."
वो चार पांच लोग होंगे। अभी वो लोग बहस कर ही रहे थे कि..
"तड़... " कि आवाज़ से सबसे पास का स्ट्रीट लैंप बुझ गया।
,
सब चौंक कर उधर ही देखने लगे और सकते में आ गए!
उस बुझ चुके लैंप के नीचे 'वो' खड़ी थी जो थोड़ी देर पहले भाग रही थी..बिलकुल शांत खड़ी थी वो!
अंधेरे में उसका चेहरा या कुछ और नहीं दिख रहा था। पीछे से आती दूसरी स्ट्रीट लाईट की रोशनी में बस एक लंबी आकृति दिख रही थी।

"ये तो खुदिच्च सामने आ गी" उनमें से एक बोला.."क्या लोचा है?"

वो धीरे धीरे उनकी तरफ बढ़ने लगी। उसके हाई हील्स की आवाज़ गूंज रही थी। वो रौशनी में आई तो सबकुछ भूल कर वो पांचो फिर से लार बहाने लगे।
वो बहुत खूबसूरत बनी थी। गहरी भूरी आंखे, गोरा रंग, लंबे लहराते धूसर काले बाल और असमान्य रूप से लंबा कद...वो खूबसूरत शक्ल और "कुछ और" देखने में इतने खोये हुए थे कि अब उस शक्ल पे आ चुके खतरनाक भाव उन्हें नहीं दिखे।

"अब कहां जाएगी.." वो सब आगे बढ़ने लगे...
तभी वातावरण में बहुत सी धीमी धीमी और गुस्से से भरी गुर्राहटें भरने लगीं। सभी ने चौंक कर आस पास देखा। थोड़ा अंधेरा था..फिर भी दिख गया...वो खौफ़नाक मंज़र!
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(^%$^-1rs((7)
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