One of the best exotic and erotic incest story i hv ever read
I m also a writer but this is way too good story
बहू नगीना और ससुर कमीना
- rocky123
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
nice update
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
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- jay
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
बहुत बढ़िया जा रहे हो दोस्त
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
Read my other stories
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
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- Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
Thanks for all the comments.
- Smoothdad
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- Joined: 14 Mar 2016 08:45
Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
राजीव लिली को लेकर कमरे में चला गया और सरला और संजीव वहीं सोफ़े पर पसर गए।
संजीव: जान जब से तुमको देखा है मरा जा रहा हूँ तुम्हारा भरा बदन देखने को। उफ़्फ़्फ़्फ क्या मस्त जोबन है । वह यह कहते हुए उसकी चूचियाँ दबा दिया और उसके गाल चूमने लगा। दोनों सोफ़े पर अधलेटे से पड़े थे। अब संजीव बोला: जान ब्लाउस खोलो ना बूब्ज़ चूसने हैं। सरला हँसकर अपने ब्लाउस खोलने लगी और बोली: मैं अपनी ज़िंदगी में इतनी जल्दी किसी से नहीं पटी हूँ जैसे आज आपने पटा लिया है।
संजीव उसके ब्लाउस को निकालने में मदद किया और और ब्रा में कसे उसके बड़े बड़े दूध देखकर मस्ती में आकर वहाँ चूचियों को ऊपर से ही चूमने लगा। जल्दी ही ब्रा भी खुली और चूचियाँ बाहर आ गयीं और संजीव के हाथ और मुँह में समा भी गयीं। सरला के मुँह से उफ़्फ़्फ़्फ निकलने लगा।
उधर राजीव और लिली कमरे में गए और राजीव लिली की चूचियाँ दबाने की कोशिश किया तो वो राजीव से बोली: अंकल आप अपने कपड़े उतार दीजिए मैं भी उतार देती हूँ। अगर आप ऊपर से दबाएँगे तो जब मैं इनको वापिस पहनूँगी तो ख़राब दिखेंगे।
राजीव मुस्कुराया और अपने कपड़े खोलने लगा। अब वो पूरा नंगा होकर बिस्तर पर लेता और लिली भी अपनी ब्रा और पैंटी में आकर उसके बग़ल में लेट गयी।
अब राजीव करवट लिया और उससे लिपट कर उसे चूमने लगा तब लिली बोली: अंकल आपसे एक बात कहनी थी बुरा मत मानिएगा।
राजीव ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाकर बोला: हाँ हाँ बोलो ।
लिली: अंकल मैं चुदवाने के पैसे लेती हूँ। मुझे संजीव अंकल और उनके बेटे दोनों चोदते हैं और बदले में मुझे महीने के एक लाख देते हैं। मैं एक तरह से बाप बेटे की रखेल हूँ। आप क्या देंगे?
राजीव उसकी जाँघ सहलाता हुए उसकी बुर को मूठ्ठी में जकड़ लिया पैंटी के ऊपर से और बोला: बोलो कितना चाहिए?
लिली: अंकल तीन हज़ार दे दीजिएगा।
राजीव अब अपना हाथ उसकी पैंटी के अंदर डाला और उसकी बुर सहलाकर बोला: बिटिया तीन नहीं पाँच हज़ार देंगे बस ख़ुश कर दो हमको।
लिली यह सुनकर ख़ुशी से उससे लिपट गयी और बोली: ठीक है अंकल आपकी हर इच्छा पूरी करूँगी।
राजीव उसके गाँड़ पर हाथ फेरकर बोला: आऽऽह क्या मस्त गोल गोल और सॉफ़्ट गाँड़ है। फिर अपनी ऊँगली उसकी गाँड़ के छेद में डालकर बोला: यहाँ लेती हो ना बिटिया, देखो ऊँगली कितने आराम से अंदर चली गयी।
लिली: जी अंकल लेती हूँ। दोनो बाप बेटा गाँड़ भी मारते हैं। पर उनका आपके जैसा मोटा नहीं है।आपका लेने में थोड़ी तकलीफ़ होगी पर सह लूँगी। वह अब उसका लौड़ा सहला रही थी।
अब राजीव ने उसकी ब्रा और पैंटी खोली और उसकी चूचियों को चूसकर उसके जाँघों के बीच आया और थूक से अपना लौड़ा गीला किया और उसकी चूत भी गीला किया और अपना लौड़ा अंदर डालने लगा। मस्त जवान चूत थी और उसके लौड़े को अपने टाइट ग्रिप में ले ली।
अब वो मस्ती से उसे चोदने लगा। वो भी नीचे से गाँड़ उछालकर उसका साथ देने लगी। अब उसकी सिसकियाँ कमरे में गूँजने लगीं थीं। क़रीब २० मिनट की घमासान चुदाई के बाद वो झड़ने लगी और राजीव ने अब उसको पलटा और अब उसकी गाँड़ मारने लगा। क़रीब और १५ मिनट के बाद वो भी झड़ गया।
अब वो दोनों लिपटकर पड़े थे।
उधर सरला और संजीव की भी ज़बरदस्त चुदाई हुई और वो भी लिपट कर एक दूसरे से चिपके पड़े थे। अब संजीव बोला: चलो अंदर चलते हैं। बाथरूम अंदर ही है।
अब दोनों नंगे अंदर कमरे में आए तो लिली बाथरूम से बाहर आ रही थी। राजीव पहले ही फ़्रेश हो चुका था। वो अभी भी नंगा लेटा था और संजीव उसके बड़े से साँप को देखा और बोला: लिली इसका तो बहुत तगड़ा है तुमको तो मज़ा आ गया होगा ?
लिली बिस्तर ओर आकर नंगी बैठी और बोली: जी चूत में तो मज़ा आया पर गाँड़ में थोड़ी सी तकलीफ़ हुई थी।
अब बारी बारी से सरला और संजीव भी फ़्रेश होकर आए और सभी बिस्तर पर बैठ गए।
राजीव: लिली कितने दिनों से चुदवा रही हो संजीव से?
संजीव: अरे ये लम्बी कहानी है फिर किसी दिन बताएँगे?
राजीव: अरे यार हमारे पास टाइम ही टाइम है बताओ ना ।
सरला: हाँ हमने जो ख़रीदना था सब ले लिया है अब कोई जल्दी नहीं है।
संजीव: एक शर्त पर आज तुम खाना भी हमारे साथ ही खाओगे। मैं घर पर बोल देता हूँ ।
लिली: नहीं अंकल आज सब मेरी मम्मी के हाथ का खाना खाएँगे। मैं उनको फ़ोन कर देती हूँ।
संजीव: वाह ये बढ़िया रहेगा और तुम दोनों इसकी हॉट मम्मी से मिल भी लोगे।
इस बात पर सब हँसने लगे। लिली ने अपनी माँ को फ़ोन करके बता दिया कि वो लोग ३ बजे तक आएँगे खाना खाने। सरला ने भी मालिनी को बता दिया कि आज उसका और राजीव का लंच बाहर है।
राजीव: हाँ बताओ अब क्या कहानी है तुम्हारी?
अब बिस्तर में राजीव अधलेटा सा था और लिली उसके पास बैठी थी और उसके नरम लौड़े को सहला रही थी। उसके बग़ल में राजीव भी अधलेटा सा सरला के बदन पर हाथ फेर रहा था और वो भी उसका लौड़ा सहला रही थी।
लिली ने कहना शुरू किया: ( आगे की कहानी लिली की ज़बानी ))। ——-
———//————-
जब से मैंने होश सम्भाल था घर में किसी बात की कोई कमी नहीं थी। पापा का अच्छा सा जॉब था और मम्मी भी हाउस्वाइफ़ थी और मेरापूरा ध्यान रखती थी आख़िर मैं इकलौती संतान जो थी। सब कुछ बढ़िया चल रहा था और मैं जवान होने लगी। मम्मी ने मुझे अच्छे बुरे की पहचान बता दी थी। स्कूल में सब मुझे बहुत प्यार करते थे मैं सुंदर जो थी। मम्मी ने बता रखा था कि अपना ध्यान रखना सो मैं बहुत सावधानी से रहती थी। अब मैं ११ थ में आ गयी थी। जवानी सब जगह से मानो फूटी जा रही थी। स्कर्ट ब्लाउस में तो मैं समाती ही नहीं थी। हर तीन महीने में ब्रा और टॉप का साइज़ बदल रहा था।
राजीव ने उसकी चूचियाँ दबाकर कहा: हाँ वो तो दिख ही रहा है इतनी बड़ी तो अभी से हो गयीं हैं बिटिया रानी।
लिली आऽऽऽह करके: पर समय एक जैसा नहीं रहता। अचानक से पापा को कैन्सर डिटेक्ट हुआ और हमारे होश उड़ गए। पापा की बीमारी का महँगा इलाज चला और हमारा सब कुछ उसमें लग गया और पापा फिर भी नहीं बचे।
एक तरफ़ पापा के जाने का ग़म और दूसरी तरफ़ घर में मुश्किल से ५/६ हज़ार रुपए ही बचे थे। मम्मी बिचारि को पापा का ग़म मनाने का भी समय नहीं मिला। अगले कुछ महीने बहुत ख़राब निकले । मम्मी के सब गहने बिक गए और फिर एक दिन मम्मी मुझे लेकर बैठी और बोली: देखो बेटी अब तुम १८ की होने वाली हो तो मैं तुमसे दो टूक बात करना चाहती हूँ। तुमने देख ही लिया है कि अब हमारे पास इस घर के अलावा कुछ नहीं बचा है। अगर हम इसे भी बेच देंगे तो रहेंगे कहाँ? सो मै इसे नहीं बेचूँगी। अब सवाल है कि अगले महीने से घर का ख़र्च कैसे चलेगा? हमारा कोई रिश्तेदार भी मदद करने वाला नहीं है।
मैं: फिर मम्मी क्या होगा हमारा? मैं अब रोने लगी।
मम्मी ने मुझे प्यार से चुप कराया और बोली: बेटी देखो मैं ज़्यादा पढ़ी लिखी नहीं हूँ और कोई काम भी नहीं जानती। इसलिए मेरे पास एक ही चारा है।
मैं: वो क्या है मम्मी?
मम्मी: बेटी मेरा जिस्म ही है मेरे पास । उसे थोड़ा सा सवारूँगी और फिर बेचूँगी।
मैं अब बड़ी हो चुकी थी और अपनी मम्मी की बात समझ गयी थी और इसे सुनकर बहुत विचलित भी हुई थी। पर आख़िर में मम्मी ने मुझे समझाया : बेटी मैं कोठे पर थोड़े ही जाऊँगी। यहीं घर में कुछ लोगों से मिलूँगी और पैसे कमा लूँगी। मैंने तुमको इस लिए बता दिया कि कल को तुमको पता चले तो तुम दुखी मत होना। इससे तुम अपनी पढ़ाई भी आगे जारी रख सकोगी और अपने सपने भी पूरे कर सकोगी।
मैं : ओह मम्मी और कोई चारा नहीं है क्या? उफ़्फ़्फ़्फ ये सुनकर इतना अजीब लग रहा है।
मम्मी: सब ठीक हो जाएगा मुझपर विश्वास रख।
मैं चुप रह गयी। उसके बाद मम्मी में जैसे बदलाव सा आ गया और वो अगले दिन पार्लर गयी और फिर कुछ कपड़े भी ख़रीद लायीं। मैंने वो कपड़े देखे तो मैं हैरान रह गयी। छोटे छोटे से कपड़े थे और नॉटी अंडर्गार्मेंट्स भी थे। सीधी सी दिखने वाली मेरी माँ ऐसे कपड़े पहनेगी सोचकर ही मैं हैरान थी।
मैं: मम्मी आप ऐसे कपड़े पहनोगी?
मम्मी: हाँ बेटी ऐसे ही पहनूँगी तभी तो सेक्सी लगूँगी। देख अब मैं ४० साल की हो चली हूँ। थोड़ा सा मेकअप नहीं करूँगी तो कौन मुझे भाव देगा? वैसे मैं तुमको बता दूँ कि आज सुबह मैंने एक शिकार फँसा लिया है?
मैं: क्या सच इतनी जल्दी?
मम्मी: वो तीन घर छोड़कर जो शर्मा जी हैं ना जिनकी पत्नी का स्वर्गवास पिछले साल हो गया था वो मुझे ज़रा ज़्यादा ही ध्यान से देख रहे थे जब मैं पार्लर से निकली थी। वो शायद बग़ल की दुकान से कपड़े ख़रीदे थे। वो मुझे और मेरे उभारों को घूर रहे थे। मुझे पता है कि ये बड़े पोस्ट से रेटायअर हुए हैं और काफ़ी तगड़ा आसामी है। इसलिए मैंने भी चारा डाला और जान बूझकर सैंडल को टेढ़ा कर के गिरने की ऐक्टिंग की। वो दौड़कर मुझे बचाए और फिर मैं उनका सहारा लेने के नाम से उनसे लिपट गयी।
मैं पूछी: मम्मी फिर क्या हुआ?
मम्मी: बस मेरे बदन के स्पर्श से ही वो भड़क गया और मुझे पूछने लगा कि चोट तो नहीं आयी? मैं बोली कि मैं ठीक हूँ। फिर वो बोला: चलो सामने कोफ़ी पीते हैं । मैं मान गयी और वो मुझे लेकर कोफ़ी शोप में गया और वहाँ बातें होने लगी। फिर जल्दी ही वी मेरे हुस्न की तारीफ़ करने लगे और फिर मेरे हाथ सहलाने लगे। मैं भी शर्माने का नाटक की और बाद में चुपचाप उनको मेरी बाँह भी सहलाने दी। अब वो उत्तेजित हो चुके थे । वो बोले : देखो तुम भी अकेली हो और मैं भी। क्यों ना हम एक दूसरे के सुख दुःख में साथ दें?
मम्मी: आप मुझसे शादी करोगे क्या?
शर्मा जी: देखो ये नहीं हो सकता क्योंकि मेरी उम्र अब ५२ साल की है और बेटा बहू भी घर पर हैं । हाँ हम एक दूसरे को प्यार कर सकते हैं।
मम्मी: साफ़ साफ़ बोलिए ना कि आप मेरे साथ सेक्स करना चाहते हैं ।
शर्मा हड़बड़ा कर: देखो वो भी और प्यार भी।
मम्मी: देखिए मुझे सेक्स करने में कोई परहेज़ नहीं है।पर आपको इसकी क़ीमत देनी होगी।
शर्मा: क़ीमत कैसी? मैं समझा नहीं।
मम्मी: देखिए मेरी आमदनी का कोई साधन नहीं है। आप मेरे साथ सेक्स कर लीजिए पर क़ीमत देनी पड़ेगी। इसी से मैं अपना घर चलाऊँगी।
शर्मा: क्या क़ीमत होगी?
मम्मी: हर मुलाक़ात की क़ीमत देंगे या महीना बाधेंग़े?
शर्मा: महीना बाँध दूँगा। देखो मैं हफ़्ते में एक या दो बार से ज़्यादा नहीं मिल सकता हूँ। वो भी सिर्फ़ दिन में ही।
मम्मी: मुझे मंज़ूर है। कितना पैसा देंगे?
शर्मा: ५००० महीना।
मम्मी हँसकर: चलो चलते हैं । आप मेरा ख़र्च नहीं उठा पाएँगे।