मैंने अब थोड़ा नीचे सरकना शुरु किया और उसके जिस्म को काटने लगा. वो तो पागलों की तरह आहें भर रही थी. जैसे ही मैंने उसकी चूत पर चूमा वो तो जोर-जोर से सीई… ईईई… सीईईईई… की आवाजें करने लगी. मैं उसकी चूत उंगलियों से खोल कर अंदर तक चाटने लगा. उसे इतना मजा आ रहा था कि उसने अपनी पूरी टाँगें खोल कर मेरे सर पर हाथ रखा और मेरा मुँह अपनी चूत पर जोर से दबा दिया. मैं भी उसकी चूत को खा जाने पर तुला हुआ था. वो बुरी तरह आहें भर रही थी और पिछाड़ी उठा-उठा कर चूत चटवा रही थी.
थोड़ी देर बाद रेणुका बोली "जान अब कण्ट्रोल नहीं हो रहा, अब वापस अपना लंड मेरी फुद्दी डाल कर मुझे चोदो और मेरी प्यास बुझा दो"
मेरी बीवी के मुह से ऐसे शब्द सुनकर मैं और उत्तेजित हो गया और मैंने उसके चूतड़ों के नीचे तकिया रखा और उसकी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रख ली और कमर पकड़ कर एक जोर का शॉट लगा कर लंड उसकी चूत में पेल दिया. मेरा लंड भी दीदी और दिव्या की चुदाई कर कर के मोटा हो गया था तो रेणुका को भी ज्यादा मजा आ रहा था. मैंने उसको चोदने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई, बिल्कुल आराम-आराम से लौड़े को अंदर बाहर कर रहा था. वो भी अब तो कमर उठा कर झटके मारने लगी. मेरे साथ ही ताल में ताल मिला रही थी, दोनों एक-दूसरे को ऐसे कस कर पकड़ के चोद रहे थे जैसे फिर कभी मौका ही नहीं मिलेगा. इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि मैं शब्दो में भी बयान नहीं कर सकता। हम दोनों में जैसे कोई होड़ लगी हो कि कौन ज्यादा झटके लगाएगा.
काफी देर तक यही सिलसिला चलता रहा और अब वो घड़ी आ गई थी जब एक-दूसरे का रस भी आपस में मिल कर एक हो जाने को तैयार थे. उसने मेरे कूल्हों को पकड़ लिया था और मैं जैसे ही झटका लगाता, वो मेरे कूल्हे पकड़ कर अपनी ओर खींच रही थी. उसकी इस हरकत ने तो मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया. इसी तरह हम दोनों ने काफी देर चुदाई की और फिर और रेणुका तेज़-तेज़ झटके लगाने लगी. मैं समझ गया कि उसका निकलने वाला है, मैंने भी उसके कूल्हों को पकड़ के ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा. रेणुका एक तेज़ आवाज के साथ झड गयी और मैं भी साथ ही रेणुका की चूत में ही झड गया. मैं उसके ऊपर ही लेट गया. हम दोनों की साँसें इतनी तेज़ तेज़ चल रही थीं जैसे कि कोई एक्सप्रेस ट्रेन.
कुछ देर तक माहौल बिल्कुल शांत रहा, जैसे वहाँ कोई हो ही ना. वो मदहोशी का आलम ही कुछ और था, मैं उसके ऊपर बेसुध सा पड़ा था और वो भी मुझे बाँहों में कसे हुए ऐसे लेटी थी जैसे उसके अंदर भी प्राण ना हों. तभी दीदी कमरे में आई और बोली चलो भाई मैंने कुछ नाश्ता बनाया है. चलकर खा लो. फिर हम दोनों उठे और रेणुका कपडे पहनने लगी.
मैंने उसे मना किया और बोला "जब दीदी सिर्फ ब्रा पेंटी में है तो तुम क्यों पूरे कपडे पहन रही हो. सिर्फ अंडर वियर ही पहनो."
फिर रेणुका ने भी एक पिंक कलर की ब्रा और पेंटी पहन ली और मैं भी सिर्फ अंडर वियर पहन कर बाहर आ गया और फिर हम नाश्ता करने लगे. नाश्ता करने के बाद रेणुका ने अपने बैग खोले और हमको अपनी शौपिंग दिखाने लगी. मैंने देखा की रेणुका ने काफी सारा पैसा शौपिंग में खर्च किया है तो मैंने उससे पुछा "ये शौपिंग के पैसे क्या तुमको राजेश ने दिए है. मुझे बताओ मैं उसको वापस कर दूंगा."
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Re: नए पड़ोसी
तो रेणुका बोली "उसकी कोई जरूरत नहीं है. दरअसल बैंकाक में राजेश के ६ क्लाइंट्स ने मुझे चोदा तो ये शौपिंग मैंने उनसे पैसे लेकर की है."
"क्या? वो क्या इसीलिए तुमको बैंकाक ले गया था." मैंने गुस्से से पुछा.
"अरे नहीं. वो क्या है की जब वो दिव्या के साथ जाता है तो उसके वहां के क्लाइंट दिव्या को चोदते है पर इस बार दिव्या तो थी नहीं तो उसने मुझसे कहा की तुम ही चुदवा लो तो मैंने हाँ तो कर दी पर साफ़ कह दिया की मेरी चूत कोई मुफ्त का चन्दन नहीं है इसीलिए हर चुदाई के मैंने पैसे ले लिए." रेणुका बोली.
"अरे पर तुम कोई रंडी हो क्या." मैंने कहा.
"अरे अब रहने भी दो. दकियानूसी बातें मत किया करो. उसने पैसे लेकर बिलकुल ठीक किया. तुम्हारा मन हुआ तो तुमने उसे राजेश से चुदवा दिया और वो अपने मन से राजेश के क्लाइंट्स से नहीं चुदवा सकती." दीदी ने भी रेणुका का साथ दिया तो मैं चुप हो गया और बात सही भी थी. वैसे भी मुझे इस बात की काफी ख़ुशी थी की रेणुका अब खुल कर चुदे चुद्वायेगी. शाम को राजेश दिव्या के साथ फिर से घर पर आ गया और डिनर के बाद दिव्या को मेरे यहाँ छोड़ कर दीदी को अपने घर ले गया. दिव्या तो अगले दिन सुबह अपने घर चली गयी लेकिन दीदी वापस मेरे घर तभी आई जब उनका वापस जाने का दिन था. मैंने ट्रेन में बिठा कर दीदी से कहा "ये गलत बात है की आप इतने दिन के लिए राजेश के घर चली गयी."
दीदी बोली "अब राजेश ने मुझे छोड़ा ही नही तो मैं क्या करू. देख इतने दिन तो वो अपने ऑफिस भी नही गया बस या तो सोता था या मुझे चोदता था पर तू चिंता मत कर. तेरे जीजा जी अगले महीने एक साल के लिए अमरीका जाने वाले है. मैंने उनके मम्मी पापा की देख भाल का बहाना बना कर पहले ही उनके साथ जाने से मना कर दिया है पर मैं इस एक साल में ज्यादातर तेरे पास आ कर ही रहूंगी और हम सब मिल कर मस्ती करेंगे. समझा."
दीदी को छोड़ कर मैं बैंक चला गया और शाम को जब वापस आया तो मैंने देखा की दिव्या टीवी देख रही थी. उसने नियम के हिसाब से सिर्फ ब्रा पेंटी ही पहना था. मैंने उससे पुछा "अरे अकेले क्यों बैठी हो. रेणुका कहाँ है?"
दिव्या ने कहा "राजेश अभी अभी उसको बेड रूम में ले गए है."
"क्या? वो क्या इसीलिए तुमको बैंकाक ले गया था." मैंने गुस्से से पुछा.
"अरे नहीं. वो क्या है की जब वो दिव्या के साथ जाता है तो उसके वहां के क्लाइंट दिव्या को चोदते है पर इस बार दिव्या तो थी नहीं तो उसने मुझसे कहा की तुम ही चुदवा लो तो मैंने हाँ तो कर दी पर साफ़ कह दिया की मेरी चूत कोई मुफ्त का चन्दन नहीं है इसीलिए हर चुदाई के मैंने पैसे ले लिए." रेणुका बोली.
"अरे पर तुम कोई रंडी हो क्या." मैंने कहा.
"अरे अब रहने भी दो. दकियानूसी बातें मत किया करो. उसने पैसे लेकर बिलकुल ठीक किया. तुम्हारा मन हुआ तो तुमने उसे राजेश से चुदवा दिया और वो अपने मन से राजेश के क्लाइंट्स से नहीं चुदवा सकती." दीदी ने भी रेणुका का साथ दिया तो मैं चुप हो गया और बात सही भी थी. वैसे भी मुझे इस बात की काफी ख़ुशी थी की रेणुका अब खुल कर चुदे चुद्वायेगी. शाम को राजेश दिव्या के साथ फिर से घर पर आ गया और डिनर के बाद दिव्या को मेरे यहाँ छोड़ कर दीदी को अपने घर ले गया. दिव्या तो अगले दिन सुबह अपने घर चली गयी लेकिन दीदी वापस मेरे घर तभी आई जब उनका वापस जाने का दिन था. मैंने ट्रेन में बिठा कर दीदी से कहा "ये गलत बात है की आप इतने दिन के लिए राजेश के घर चली गयी."
दीदी बोली "अब राजेश ने मुझे छोड़ा ही नही तो मैं क्या करू. देख इतने दिन तो वो अपने ऑफिस भी नही गया बस या तो सोता था या मुझे चोदता था पर तू चिंता मत कर. तेरे जीजा जी अगले महीने एक साल के लिए अमरीका जाने वाले है. मैंने उनके मम्मी पापा की देख भाल का बहाना बना कर पहले ही उनके साथ जाने से मना कर दिया है पर मैं इस एक साल में ज्यादातर तेरे पास आ कर ही रहूंगी और हम सब मिल कर मस्ती करेंगे. समझा."
दीदी को छोड़ कर मैं बैंक चला गया और शाम को जब वापस आया तो मैंने देखा की दिव्या टीवी देख रही थी. उसने नियम के हिसाब से सिर्फ ब्रा पेंटी ही पहना था. मैंने उससे पुछा "अरे अकेले क्यों बैठी हो. रेणुका कहाँ है?"
दिव्या ने कहा "राजेश अभी अभी उसको बेड रूम में ले गए है."
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Re: नए पड़ोसी
मैंने बेडरूम में जाकर देखा तो राजेश और रेणुका पूरे नंगे एक दुसरे से लिपट कर चूमा चाटी कर रहे थे. मैंने भी फ़ौरन अपने कपडे उतारे और बाहर आकर दिव्या को अपनी गोद में उठाया और अन्दर ले जाकर रेणुका के साथ बेड पर लिटा दिया और उसकी पेंटी उतार दी.
रेणुका ने अपनी जांघें राजेश के सामने ऐसे फ़ैलाईं हुई थी जैसे रंडी अपनी चूत को ग्राहक के आगे फैलाती है. राजेश उसकी रसीली चूत को चूसने लगा तो वो अजीब सी सिसकारियाँ लेने लगी. मैं भी राजेश की देखा देखि दिव्या की चूत चूसने लगा. अब एक ही बिस्तर पर एक दुसरे की बीवियों को लिटा कर उनकी चूत का रसपान करने लगे.
दोनों औरतें गरम हो गयी थी और दोनों की चूतों ने पानी छोड़ना चालू कर दिया और हम करीब 20 मिनट तक चूसते ही रहे. इस चुसाई से दोनों झड गयी फिर दोनों ने हमारे लंड चूसना चालू किया तो हमारे लंड और तन कर खड़े हो गए.
हमने दोनों को वापस लिटा दिया और हम उनके ऊपर आकर उनके होंठ चूसने लगे फिर धीरे-धीरे उनकी चूचियों को चूसने लगे. अब रेणुका और दिव्या बहुत तड़प रही थीं तो राजेश ने मेरी बीवी की चूत पर लंड रखा और धक्का मारा तो रेणुका के मुह से सिसकारी निकल गयी. मैंने उसकी चूत की तरफ देखा की राजेश के लौड़े का सुपारा ही चूत में अन्दर गया था तो फिर राजेश ने एक और धक्का मारकर पूरा लंड मेरी बीवी की चूत के अन्दर कर दिया तो मस्ती में रेणुका की आँखे बंद हो गयी.
इधर मैं अपना लंड दिव्या की चूत में डालने लगा और धीरे-धीरे पूरा लौड़ा उसके अन्दर डाल दिया. फिर हमने धक्के लगाने चालू किए और हम एक-दूसरे की बीवियों को बहुत जोरों से चोदने लगे.
रेणुका किसी बाजारू औरत की तरह जोर जोर से चिल्लाने लगी "ऊ..आअहह और ज़ोर से करो.. निकाल दो.. मेरी चूत का रस.. पी लो इसको जानेमन.... दे दो मुझे अपना पूरा लंड.. और लूट लो मेरी जवानी…’
दिव्या उतना शोर नहीं कर रही थी. थोड़ी देर में दोनों एक साथ झड गयी और हमसे लिपट गईं लेकिन हमने उन्हें चोदना नहीं छोड़ा. हम बदस्तूर चुदाई में लगे रहे और कुछ देर बाद हम दोनों उनकी चूत अपने वीर्य से भर दी. फिर उन्हीं के ऊपर ढेर हो गए और ज़ोर-ज़ोर से साँसें लेने लगे.
रेणुका ने अपनी जांघें राजेश के सामने ऐसे फ़ैलाईं हुई थी जैसे रंडी अपनी चूत को ग्राहक के आगे फैलाती है. राजेश उसकी रसीली चूत को चूसने लगा तो वो अजीब सी सिसकारियाँ लेने लगी. मैं भी राजेश की देखा देखि दिव्या की चूत चूसने लगा. अब एक ही बिस्तर पर एक दुसरे की बीवियों को लिटा कर उनकी चूत का रसपान करने लगे.
दोनों औरतें गरम हो गयी थी और दोनों की चूतों ने पानी छोड़ना चालू कर दिया और हम करीब 20 मिनट तक चूसते ही रहे. इस चुसाई से दोनों झड गयी फिर दोनों ने हमारे लंड चूसना चालू किया तो हमारे लंड और तन कर खड़े हो गए.
हमने दोनों को वापस लिटा दिया और हम उनके ऊपर आकर उनके होंठ चूसने लगे फिर धीरे-धीरे उनकी चूचियों को चूसने लगे. अब रेणुका और दिव्या बहुत तड़प रही थीं तो राजेश ने मेरी बीवी की चूत पर लंड रखा और धक्का मारा तो रेणुका के मुह से सिसकारी निकल गयी. मैंने उसकी चूत की तरफ देखा की राजेश के लौड़े का सुपारा ही चूत में अन्दर गया था तो फिर राजेश ने एक और धक्का मारकर पूरा लंड मेरी बीवी की चूत के अन्दर कर दिया तो मस्ती में रेणुका की आँखे बंद हो गयी.
इधर मैं अपना लंड दिव्या की चूत में डालने लगा और धीरे-धीरे पूरा लौड़ा उसके अन्दर डाल दिया. फिर हमने धक्के लगाने चालू किए और हम एक-दूसरे की बीवियों को बहुत जोरों से चोदने लगे.
रेणुका किसी बाजारू औरत की तरह जोर जोर से चिल्लाने लगी "ऊ..आअहह और ज़ोर से करो.. निकाल दो.. मेरी चूत का रस.. पी लो इसको जानेमन.... दे दो मुझे अपना पूरा लंड.. और लूट लो मेरी जवानी…’
दिव्या उतना शोर नहीं कर रही थी. थोड़ी देर में दोनों एक साथ झड गयी और हमसे लिपट गईं लेकिन हमने उन्हें चोदना नहीं छोड़ा. हम बदस्तूर चुदाई में लगे रहे और कुछ देर बाद हम दोनों उनकी चूत अपने वीर्य से भर दी. फिर उन्हीं के ऊपर ढेर हो गए और ज़ोर-ज़ोर से साँसें लेने लगे.
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Re: नए पड़ोसी
फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों ने एक-दूसरे की आँखों में देखा तो राजेश ने मुझसे कहा "यार मनीष पता है.. मेरी बीवी को गाण्ड मरवाने का बहुत शौक है जब तक एक बार उसकी गांड न मारी जाये उसको नींद नहीं आती."
तो मैंने कहा "ये सब आपके साथ रहने का नतीजा है. पहले मेरी बीवी गांड में लंड तो क्या ऊँगली भी नहीं लेती थी पर जब से आपके साथ घूम कर आई है तो किसी छिनाल की तरह गाण्ड में लौड़ा डलवा लेती है"
तो इसी बात पर एक राउंड पीछे भी हो जाए. राजेश बोला और हमने अपनी बीवियों को पलट कर कुतिया बना दिया और उनकी गाण्ड चाटने लगे. वो दोनों गरम फिर से हो गईं. फिर हम शुरू हो गए.. राजेश ने मेरी बीवी रेणुका की गाण्ड पर लंड टिका कर एक जोरदार धक्का मारा तो रेणुका चिल्ला पड़ी और बोली- ओए.. धीरे-धीरे डाल. फिर राजेश ने पूरा लंड रेणुका की गाण्ड में डाल दिया और चोदने लगा.
इधर मैंने भी दिव्या की गाण्ड मारना चालू कर दी और दोनों फिर से चुदाई करने लगे. हम चारों पसीना-पसीना हो रहे थे और इन दोनों छिनालों के मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकल रही थीं.
मेरी बीवी चिल्ला रही थी "अरे मेरे प्यारे राजेश काश.. मैं अपनी सुहागरात तुम दोनों से एक साथ चुदवा कर मनाती.. तो मेरे लिए वो यादगार बन जाती"
तो राजेश ने कहा "अरे मेरी रानी.. अब तो मैं यहीं हूँ और रोज तेरी सुहागरात तेरे ही बिस्तर पर तुझे चोद कर मनाया करूँगा"
मैंने भी उसकी बीवी से कहा "जब राजेश मेरे घर में सोएगा तो मैं तुम्हारे घर में तुझे रात भर चोदूँगा"
ऐसे ही हम दोनों चरम सीमा पर पहुँचने लगे और हमने एक साथ अपना रस उन दोनों की गांड में डाल कर उनकी पीठ से लिपट गए और वहीं बिस्तर पर लेट गए.
थोड़ी देर हम ऐसे ही लेते रहे तब राजेश मुझसे बोला " यार मनीष मैं सोच रहा हूँ की जब रश्मि यहाँ रहने आएगी तो मैं उसको लेकर १०-१५ दिनों के लिए गोवा हो आऊं."
मैं
तो मैंने कहा "ये सब आपके साथ रहने का नतीजा है. पहले मेरी बीवी गांड में लंड तो क्या ऊँगली भी नहीं लेती थी पर जब से आपके साथ घूम कर आई है तो किसी छिनाल की तरह गाण्ड में लौड़ा डलवा लेती है"
तो इसी बात पर एक राउंड पीछे भी हो जाए. राजेश बोला और हमने अपनी बीवियों को पलट कर कुतिया बना दिया और उनकी गाण्ड चाटने लगे. वो दोनों गरम फिर से हो गईं. फिर हम शुरू हो गए.. राजेश ने मेरी बीवी रेणुका की गाण्ड पर लंड टिका कर एक जोरदार धक्का मारा तो रेणुका चिल्ला पड़ी और बोली- ओए.. धीरे-धीरे डाल. फिर राजेश ने पूरा लंड रेणुका की गाण्ड में डाल दिया और चोदने लगा.
इधर मैंने भी दिव्या की गाण्ड मारना चालू कर दी और दोनों फिर से चुदाई करने लगे. हम चारों पसीना-पसीना हो रहे थे और इन दोनों छिनालों के मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकल रही थीं.
मेरी बीवी चिल्ला रही थी "अरे मेरे प्यारे राजेश काश.. मैं अपनी सुहागरात तुम दोनों से एक साथ चुदवा कर मनाती.. तो मेरे लिए वो यादगार बन जाती"
तो राजेश ने कहा "अरे मेरी रानी.. अब तो मैं यहीं हूँ और रोज तेरी सुहागरात तेरे ही बिस्तर पर तुझे चोद कर मनाया करूँगा"
मैंने भी उसकी बीवी से कहा "जब राजेश मेरे घर में सोएगा तो मैं तुम्हारे घर में तुझे रात भर चोदूँगा"
ऐसे ही हम दोनों चरम सीमा पर पहुँचने लगे और हमने एक साथ अपना रस उन दोनों की गांड में डाल कर उनकी पीठ से लिपट गए और वहीं बिस्तर पर लेट गए.
थोड़ी देर हम ऐसे ही लेते रहे तब राजेश मुझसे बोला " यार मनीष मैं सोच रहा हूँ की जब रश्मि यहाँ रहने आएगी तो मैं उसको लेकर १०-१५ दिनों के लिए गोवा हो आऊं."
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Re: नए पड़ोसी
मैंने कहा "इसमें पूछने की क्या बात है. जैसे मेरी बीवी तुम्हारी भी बीवी है वैसे ही मेरी बहन तुम्हारी भी बहन है."
राजेश बोला "देखो दिव्या को तो तुम गोवा घुमा लाये थे तो मैं रेणुका को भी साथ ले जाना चाहता हूँ"
"यार तुम वहां दो दो चूतों के साथ मजे करोगे और मैं यहाँ सिर्फ दिव्या के साथ रह जाऊँगा." मैंने कहा.
"देखो अब तुमसे क्या छुपाना. मेरा भी बहुत मन है की मैं भी अपनी बहन रूही को चोदु लेकिन कभी मौका नहीं मिला. वो भी अगले महीने यहाँ आयेगी. तब मैं रश्मि और रेणुका को लेकर चला जाऊँगा और दिव्या और तुम मिलकर कुछ भी करना लेकिन तुम रूही को चोद लेना फिर जब मैं वापस आऊंगा तो मेरा काम भी हो जायेगा. क्यों क्या ख्याल है" राजेश बोला.
मैंने रूही की फोटोज देखे थे. वो एक गदराया हुआ जबरदस्त माल थी. मैं फ़ौरन इसके लिए तैयार हो गया.
इधर हमारा ये प्लान फिक्स हुआ और साथ ही राजेश और दिव्या मेरे ही घर में शिफ्ट हो गए मतलब सुबह जब उन्हें काम पर जाना होता तो वो कपडे बदलने अपने घर जाते थे वरना उनका खाना पीना नहाना धोना सब हमारे घर में ही होता था. रात को हम सब एक ही बेड पर सोते थे. राजेश मेरे सामने ही रोज रात को रेणुका को चोदता था और मैं उसके सामने दिव्या को. फिर उसके बाद मैं रेणुका को चोदता और मेरे बाद वो दिव्या को. दोनों औरते भी काफी खुश थी क्योंकि अब उनको रोज दो दो लंड मिल रहे थे. हम दोनों रेणुका और दिव्या के दो पति बन गए थे और वो हमारी दो बिविया.
राजेश बोला "देखो दिव्या को तो तुम गोवा घुमा लाये थे तो मैं रेणुका को भी साथ ले जाना चाहता हूँ"
"यार तुम वहां दो दो चूतों के साथ मजे करोगे और मैं यहाँ सिर्फ दिव्या के साथ रह जाऊँगा." मैंने कहा.
"देखो अब तुमसे क्या छुपाना. मेरा भी बहुत मन है की मैं भी अपनी बहन रूही को चोदु लेकिन कभी मौका नहीं मिला. वो भी अगले महीने यहाँ आयेगी. तब मैं रश्मि और रेणुका को लेकर चला जाऊँगा और दिव्या और तुम मिलकर कुछ भी करना लेकिन तुम रूही को चोद लेना फिर जब मैं वापस आऊंगा तो मेरा काम भी हो जायेगा. क्यों क्या ख्याल है" राजेश बोला.
मैंने रूही की फोटोज देखे थे. वो एक गदराया हुआ जबरदस्त माल थी. मैं फ़ौरन इसके लिए तैयार हो गया.
इधर हमारा ये प्लान फिक्स हुआ और साथ ही राजेश और दिव्या मेरे ही घर में शिफ्ट हो गए मतलब सुबह जब उन्हें काम पर जाना होता तो वो कपडे बदलने अपने घर जाते थे वरना उनका खाना पीना नहाना धोना सब हमारे घर में ही होता था. रात को हम सब एक ही बेड पर सोते थे. राजेश मेरे सामने ही रोज रात को रेणुका को चोदता था और मैं उसके सामने दिव्या को. फिर उसके बाद मैं रेणुका को चोदता और मेरे बाद वो दिव्या को. दोनों औरते भी काफी खुश थी क्योंकि अब उनको रोज दो दो लंड मिल रहे थे. हम दोनों रेणुका और दिव्या के दो पति बन गए थे और वो हमारी दो बिविया.