ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete
- rajsharma
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
बहुत ही मस्त अपडेट है दोस्त
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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- jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
thanks mitro
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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- jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
अब मे पहली बार उसकी चूत चाटने वाला था, सो लग गया अपना हुनर दिखाने.. थोड़ी ही देर में वो अपना दर्द भूलके, उड़ चली ऊडन खटोले पे बैठ के आसमानों में, जब उतरी तो उसकी चूत आँसुओं से तर थी.
मैने उसे पुछा गन्ना चूसना चाहोगी, तो वो तैयार हो गयी और में खड़ा हो गया, वो पंजों के बल बैठ कर मेरे लौडे को चूसने लगी, नौसीखिया थी, पर चलेगा....
थोड़ी देर लॉडा चुसवाने के बाद, जब मेरा जंग बहादुर जंग लड़ने के लिए पूरी तरह अकड़ कर खड़ा हो हो गया, तो मैने उसे लिटाया, और सेट करके, धीरे-2, आहिस्ता-2, दो-तीन बार में पूरा डालके चोदने लगा..
इस बार मैने उसे ज़्यादा दर्द नही होने दिया, और एक मझे हुए खिलाड़ी की तरह चोदने लगा, जब वो एक बार और झड गयी तो फिर मैने उसे घोड़ी बना दिया, और पीछे से उसकी टांगे चौड़वाकर पेल दिया उसकी नयी फटी चूत में..
आहह… क्या मज़ा आ रहा था, लौंडिया मस्ती में अपनी गान्ड को मेरे लंड पे पटक रही थी, मेरे लंड के साइड वाला प्लेट फारम धप्प से उसके चुतड़ों पर टकराता.. लगता जैसे मृदंग पर थाप पड़ी हो कही..
20 मिनट में ही हम हाफने लगे.. पूरा दम लगा दिया हम दोनो ने तब जाके कहीं बादल बरसे.. और जब बरसे तो क्या खूब बरसे… आहह.. बेसूध पड़ गये..
जाने कब तक एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे… जाने कब नींद में चले गये… होश ही नही रहा..जब आँख खुली तो 5 बज रहे थे, मैने उसे जगाया..
मे- दीदी..दीदी.. उठो, सुबह हो गयी…
वो हड़बड़ा कर उठी, अपनी हालत देखी, हड़बड़ाहट में जैसे ही पलंग से नीचे उतरी तो खड़ी ना रह सकी, और फिर से पलंग पर गिर पड़ी..
मे- दीदी आराम से, अभी ताज़ा ताज़ा औरत बनी हो.. थोड़ा दर्द रहेगा..
वो फिर जल्दी जल्दी कपड़े पहन कर निकल गई मेरे कमरे से.. क्योकि डर था कोई देख ना ले, गाँव में वैसे भी सभी जल्दी उठते है.. शौच वग़ैरह के लिए,
उस जमाने में गाँव में घरों में तो शौचालय होते नही थे तो खेतों में ही जाना पड़ता था.
उस दिन कुछ खास नही किया, गर्मियो के दिन थे, तेज धूप की वजह से कहीं आने-जाने का मन नही, हम दोनो दोस्त घर में ही पड़े रहे, कभी भाभी से मस्ती मज़ाक चलता रहा, तो कभी मौका पाके रेखा की खबर खबर लेली, उसको थोड़ा दर्द सा था सुबह-2 तो एक पेन किल्लर देदि..
शाम को मे और धनंजय, मंदिर की तरफ नहर के किनारे निकल गये, जहाँ थोड़ा गर्मी के दिनो में ठंडा सा रहता था नहर की वजह से.
मंदिर पे आके भगवान के सामने माथा टेका, और थोड़ी देर ठंडी हवा में मंदिर के चिकने फर्श पर लेट के बातें करते रहे..
कुछ देर बाद नहर के किनरे-2 टहलते हुए पानी के बहाव के बिपरीत दिशा में चल पड़े.. और मंदिर से कोई 1 किमी दूर निकल आए, तब तक नहर का दूसरा पुल (ब्रिड्ज) भी आ गया.
सूरज ढल रहा था, उस ब्रिड्ज से एक रास्ता नहर के उस पार बसे दूसरे गाँव को जाता था, हम अपनी धुन में चलते-2 उस ब्रिड्ज के नज़दीक तक पहुच गये.
हुआ यौं कि जब हम मंदिर में लेटे थे, तब वो जो लड़के मैने ठोके थे उस दिन, वोही लड़के नहर के दूसरी साइड बैठे थे, उन्होने मुझे देख लिया पर मेरी नज़र उन पर नही पड़ी.
लेकिन जैसे ही हम नहर पर टहलने निकले, वो वहाँ से रफ्फु चक्कर हो गये, और अपने गाँव जाके, अपने घरवालों और दोस्तों को ले आए.
हम उस ब्रिड्ज पर थोड़ी देर बैठने के मूड में थे, लेकिन जैसे ही हम ब्रिड्ज के पास पहुँचे, उसी ब्रिड्ज से आते हुए, 8-10 लोग लाठियाँ डंडे हाथों में लिए हमारी ओर आते दिखे..
जैसे ही हमने उन्हें देखा, मैने झट से उनमें से एक लड़के को पहचान लिया, और धनंजय से बोला…
मे- धन्नु लगता है हम फँस गये… ये लोग हमें ही ठोकने आरहे हैं.
धनंजय - डरते हुए… क्या बात करता है यार..
मे- में सही कह रहा हूँ, ये साले वोही हैं जो उस दिन ठुक के गये थे..
धनंजय - अब क्या करें…?
मे- कुछ नही गान्ड कुटवा लेते हैं और क्या..
धनंजय - मज़ाक नही यार, जल्दी बोल अब क्या करें..
तब तक वो लोग हमारे और नज़दीक आ गये थे..
मे- धीमी आवाज़ में फुसफुसाते हुए… देख हमे सिर्फ़ इनके वार को बचाना है, उससे पहले एक-एक लाठी अपने हाथ में आ जानी चाहिए..
डरना मत हम वेल ट्रेंड हैं इन मामलों में सिर्फ़ विवेक से काम लेना बस.. अब देख एक ड्रामा करते हैं, तू सिर्फ़ साथ देते जा..
और तभी मैने धनंजय का कॉलर पकड़ लिया, वो तुरंत मेरी चाल समझ गया..
मे- उसका कॉलर पकड़ के…! साले फँसा दिया ना मुझे, आख़िर अपने इलाक़े का ही साथ दिया ना तूने, मुझे यहाँ लाने की तेरी चाल थी ना ये..?
धनंजय - मेरे कॉलर पकड़ते हुए..क्या बकवास कर रहा बेह्न्चोद.. उल्टा तेरी वजह से मे भी मुसीबत में फँस गया..ना तू उस दिन उन लड़कों को मारता और ना ये सब नौबत आती..
वो सब आश्चर्य चकित रह गये, और हमें आपस में ही भिडते हुए देखने लगे..
मैने उसे पुछा गन्ना चूसना चाहोगी, तो वो तैयार हो गयी और में खड़ा हो गया, वो पंजों के बल बैठ कर मेरे लौडे को चूसने लगी, नौसीखिया थी, पर चलेगा....
थोड़ी देर लॉडा चुसवाने के बाद, जब मेरा जंग बहादुर जंग लड़ने के लिए पूरी तरह अकड़ कर खड़ा हो हो गया, तो मैने उसे लिटाया, और सेट करके, धीरे-2, आहिस्ता-2, दो-तीन बार में पूरा डालके चोदने लगा..
इस बार मैने उसे ज़्यादा दर्द नही होने दिया, और एक मझे हुए खिलाड़ी की तरह चोदने लगा, जब वो एक बार और झड गयी तो फिर मैने उसे घोड़ी बना दिया, और पीछे से उसकी टांगे चौड़वाकर पेल दिया उसकी नयी फटी चूत में..
आहह… क्या मज़ा आ रहा था, लौंडिया मस्ती में अपनी गान्ड को मेरे लंड पे पटक रही थी, मेरे लंड के साइड वाला प्लेट फारम धप्प से उसके चुतड़ों पर टकराता.. लगता जैसे मृदंग पर थाप पड़ी हो कही..
20 मिनट में ही हम हाफने लगे.. पूरा दम लगा दिया हम दोनो ने तब जाके कहीं बादल बरसे.. और जब बरसे तो क्या खूब बरसे… आहह.. बेसूध पड़ गये..
जाने कब तक एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे… जाने कब नींद में चले गये… होश ही नही रहा..जब आँख खुली तो 5 बज रहे थे, मैने उसे जगाया..
मे- दीदी..दीदी.. उठो, सुबह हो गयी…
वो हड़बड़ा कर उठी, अपनी हालत देखी, हड़बड़ाहट में जैसे ही पलंग से नीचे उतरी तो खड़ी ना रह सकी, और फिर से पलंग पर गिर पड़ी..
मे- दीदी आराम से, अभी ताज़ा ताज़ा औरत बनी हो.. थोड़ा दर्द रहेगा..
वो फिर जल्दी जल्दी कपड़े पहन कर निकल गई मेरे कमरे से.. क्योकि डर था कोई देख ना ले, गाँव में वैसे भी सभी जल्दी उठते है.. शौच वग़ैरह के लिए,
उस जमाने में गाँव में घरों में तो शौचालय होते नही थे तो खेतों में ही जाना पड़ता था.
उस दिन कुछ खास नही किया, गर्मियो के दिन थे, तेज धूप की वजह से कहीं आने-जाने का मन नही, हम दोनो दोस्त घर में ही पड़े रहे, कभी भाभी से मस्ती मज़ाक चलता रहा, तो कभी मौका पाके रेखा की खबर खबर लेली, उसको थोड़ा दर्द सा था सुबह-2 तो एक पेन किल्लर देदि..
शाम को मे और धनंजय, मंदिर की तरफ नहर के किनारे निकल गये, जहाँ थोड़ा गर्मी के दिनो में ठंडा सा रहता था नहर की वजह से.
मंदिर पे आके भगवान के सामने माथा टेका, और थोड़ी देर ठंडी हवा में मंदिर के चिकने फर्श पर लेट के बातें करते रहे..
कुछ देर बाद नहर के किनरे-2 टहलते हुए पानी के बहाव के बिपरीत दिशा में चल पड़े.. और मंदिर से कोई 1 किमी दूर निकल आए, तब तक नहर का दूसरा पुल (ब्रिड्ज) भी आ गया.
सूरज ढल रहा था, उस ब्रिड्ज से एक रास्ता नहर के उस पार बसे दूसरे गाँव को जाता था, हम अपनी धुन में चलते-2 उस ब्रिड्ज के नज़दीक तक पहुच गये.
हुआ यौं कि जब हम मंदिर में लेटे थे, तब वो जो लड़के मैने ठोके थे उस दिन, वोही लड़के नहर के दूसरी साइड बैठे थे, उन्होने मुझे देख लिया पर मेरी नज़र उन पर नही पड़ी.
लेकिन जैसे ही हम नहर पर टहलने निकले, वो वहाँ से रफ्फु चक्कर हो गये, और अपने गाँव जाके, अपने घरवालों और दोस्तों को ले आए.
हम उस ब्रिड्ज पर थोड़ी देर बैठने के मूड में थे, लेकिन जैसे ही हम ब्रिड्ज के पास पहुँचे, उसी ब्रिड्ज से आते हुए, 8-10 लोग लाठियाँ डंडे हाथों में लिए हमारी ओर आते दिखे..
जैसे ही हमने उन्हें देखा, मैने झट से उनमें से एक लड़के को पहचान लिया, और धनंजय से बोला…
मे- धन्नु लगता है हम फँस गये… ये लोग हमें ही ठोकने आरहे हैं.
धनंजय - डरते हुए… क्या बात करता है यार..
मे- में सही कह रहा हूँ, ये साले वोही हैं जो उस दिन ठुक के गये थे..
धनंजय - अब क्या करें…?
मे- कुछ नही गान्ड कुटवा लेते हैं और क्या..
धनंजय - मज़ाक नही यार, जल्दी बोल अब क्या करें..
तब तक वो लोग हमारे और नज़दीक आ गये थे..
मे- धीमी आवाज़ में फुसफुसाते हुए… देख हमे सिर्फ़ इनके वार को बचाना है, उससे पहले एक-एक लाठी अपने हाथ में आ जानी चाहिए..
डरना मत हम वेल ट्रेंड हैं इन मामलों में सिर्फ़ विवेक से काम लेना बस.. अब देख एक ड्रामा करते हैं, तू सिर्फ़ साथ देते जा..
और तभी मैने धनंजय का कॉलर पकड़ लिया, वो तुरंत मेरी चाल समझ गया..
मे- उसका कॉलर पकड़ के…! साले फँसा दिया ना मुझे, आख़िर अपने इलाक़े का ही साथ दिया ना तूने, मुझे यहाँ लाने की तेरी चाल थी ना ये..?
धनंजय - मेरे कॉलर पकड़ते हुए..क्या बकवास कर रहा बेह्न्चोद.. उल्टा तेरी वजह से मे भी मुसीबत में फँस गया..ना तू उस दिन उन लड़कों को मारता और ना ये सब नौबत आती..
वो सब आश्चर्य चकित रह गये, और हमें आपस में ही भिडते हुए देखने लगे..
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
मे- साले में सब तेरी चाल समझ गया हूँ, हरम्खोर, चूतिए.. और एक हल्के हाथ का मुक्का उसके मुँह पे जड़ दिया..!
धनंजय ने भी गाली देते हुए मेरे पेट में एक मुक्का जड़ दिया.. इसी तरह लड़ते-2 हम उन लोगों के बीच तक पहुँच गये. वो लोग अब अपनी-2 लाठियाँ ज़मीन पर टिकाए खड़े-2 ये तमाशा देखने लगे, सोच रहे होंगे.. कि ये साले तो आपस में ही लड़ने लगे, हमें कुछ करने की ज़रूरत ही नही पड़ी.
लड़ते-2 मैने धनंजय को इशारा किया, कि पास वाले पहलवान जैसे आदमी की लाठी लेले..
मैने जैसे ही एक मुक्का मारा धनंजय ने पीछे उलटने का नाटक किया, और फिर उस आदमी की लाठी पे हाथ रख के बोला. देना पहलवान अपनी लाठी, साले का सर फोड़ देता हूँ.
उसने अपनी लाठी बड़े प्यार से पकड़ा दी, मैने फिर इशारे से मेरे उपर वार करने को कहा, तो उसने लाठी मेरे उपर चलाई,
मैने घूम के लाठी का वार बचा दिया और पास खड़े दूसरे आदमी के हाथ से लाठी लेली, उसने भी कोई विरोध नही किया.
जैसे ही लाठी मेरे हाथ लगी, पूरा 360 डिग्री घूम कर एक भरपूर लाठी का वार उस पहलवान जैसे आदमी के कंधे पर पड़ा..
कड़क… उसका कंधा, उतर गया, और वो आदमी वही बैठ गया…तबतक धनंजय ने भी अपनी लाठी पूरी ताक़त से घुमाई और तड़क… दूसरे वाले की पीठ गयी काम से, और वो भी मुँह के बल ज़मीन चाटने लगा.
वाकी लोग भोंचक्के रह गये, हमले इतनी फुर्ती से हुए, कि वो कुछ समझ ही नही पाए.. और जब तक उनकी समझ में आया, तबतक हम दो-तीन को और धूल चटा चुके थे..
हम भी गाँव के रहने वाले थे, लाठियों की लड़ाइयाँ हमने भी देखी और लड़ी थी, उपर से हम स्पेशल ट्रेंड…फिर क्या था किसी के हाथ तोड़े, किसी के पाव, किसी की पीठ पे वार तो किसी की टाँग, दो-चार तो नहर में ही जा पड़े..
5 मिनट में नज़ारा देखने लायक था, सभी पड़े-2 कराह रहे थे, फिर हमने उन चार लड़कों में जो उस दिन ज़्यादा हेकड़ी पेल रहा था, उसको उठाया और पुछा बता तू किसका लड़का है और कोन्से गाँव का है.
उसने अपने गाँव का नाम बताया और बोला मे प्रधान जी का लड़का हूँ.
मे- धन्नु लटका ले साले को.. और ले चल अपने गाँव, अब इसका फ़ैसला चौपाल पे ही होगा..
और उन सबको बोला… जाओ तुम लोग और भेजना इसके बाप को मुखिया जी की चौपाल पर अगर अपना लड़का चाहिए तो, वरना ये कल जैल में होगा.
वो लोग गिरते पड़ते सर पे पैर रखके अपने गाँव की तरफ भाग लिए, और हम दोनो ने उस लड़के को लटकाया मरे हुए सुअर की तरह और लाके पटका चौपाल पे.
शाम का वक़्त था, गाँव में लोग ज़्यादातर फ्री टाइम में चौपालों पर जमा होते ही हैं गप्पें मारने और इधर-उधर की खबरें देने-लेने को.
जब हमने उस प्रधान के लड़के को वहाँ लाके पटका, तो कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया, पड़ोसी तो था ही, वो भी ग्राम प्रधान का लड़का, देखते-2 लग गया हुजूम, लगे तरह के सवाल करने, क्या हुआ ? कैसे हुआ? यहाँ क्यों लाए.. वागरह-2..
हमने धनंजय के पिता जी समेत सब लोगों को सारी घटना का विवरण दिया, तो पहले तो सब खुश हुए, फिर आश्चर्य पूर्वक कहा, ये कैसे संभव है कि तुम दोनो ने 10 लठेतो को धूल चटा दी..?
धनंजय बोला- ये सब इसकी करामात है..! तो उसका एक गाँव का दोस्त बोला कि ऐसा हो ही नही सकता.. सच बता कैसे किया तुम दोनो ने ये सब..?
मे- अरे भाई आप लोगों को अभी तक पता नही है कि नहर के पास एक जिन्न रहता है, जो कमजोर का हमेशा साथ देता है, उसी ने किया है ये सब..
दोस्त- क्या बात करते हो भाई..? हमने तो किसी ने आजतक ना उसे देखा और ना सुना फिर आज कैसे…?
मे- और मज़े लेते हुए.. क्या तुम लोगों पर ऐसी कभी मुशिबत आई..?
दोस्त – नही… पर्रर..!
तबतक धनंजय को हसी आ गई, और वाकी लोग भी समझ गये कि मे उससे चूतिया बना रहा हूँ.. तो सब ठहाका मार मार के हँसने लगे और वो लड़का झेंप कर खिसियानी हँसी हसने लगा.. हहहे…तुम लोग झूठ बोल रहे हो..
धनंजय ने भी गाली देते हुए मेरे पेट में एक मुक्का जड़ दिया.. इसी तरह लड़ते-2 हम उन लोगों के बीच तक पहुँच गये. वो लोग अब अपनी-2 लाठियाँ ज़मीन पर टिकाए खड़े-2 ये तमाशा देखने लगे, सोच रहे होंगे.. कि ये साले तो आपस में ही लड़ने लगे, हमें कुछ करने की ज़रूरत ही नही पड़ी.
लड़ते-2 मैने धनंजय को इशारा किया, कि पास वाले पहलवान जैसे आदमी की लाठी लेले..
मैने जैसे ही एक मुक्का मारा धनंजय ने पीछे उलटने का नाटक किया, और फिर उस आदमी की लाठी पे हाथ रख के बोला. देना पहलवान अपनी लाठी, साले का सर फोड़ देता हूँ.
उसने अपनी लाठी बड़े प्यार से पकड़ा दी, मैने फिर इशारे से मेरे उपर वार करने को कहा, तो उसने लाठी मेरे उपर चलाई,
मैने घूम के लाठी का वार बचा दिया और पास खड़े दूसरे आदमी के हाथ से लाठी लेली, उसने भी कोई विरोध नही किया.
जैसे ही लाठी मेरे हाथ लगी, पूरा 360 डिग्री घूम कर एक भरपूर लाठी का वार उस पहलवान जैसे आदमी के कंधे पर पड़ा..
कड़क… उसका कंधा, उतर गया, और वो आदमी वही बैठ गया…तबतक धनंजय ने भी अपनी लाठी पूरी ताक़त से घुमाई और तड़क… दूसरे वाले की पीठ गयी काम से, और वो भी मुँह के बल ज़मीन चाटने लगा.
वाकी लोग भोंचक्के रह गये, हमले इतनी फुर्ती से हुए, कि वो कुछ समझ ही नही पाए.. और जब तक उनकी समझ में आया, तबतक हम दो-तीन को और धूल चटा चुके थे..
हम भी गाँव के रहने वाले थे, लाठियों की लड़ाइयाँ हमने भी देखी और लड़ी थी, उपर से हम स्पेशल ट्रेंड…फिर क्या था किसी के हाथ तोड़े, किसी के पाव, किसी की पीठ पे वार तो किसी की टाँग, दो-चार तो नहर में ही जा पड़े..
5 मिनट में नज़ारा देखने लायक था, सभी पड़े-2 कराह रहे थे, फिर हमने उन चार लड़कों में जो उस दिन ज़्यादा हेकड़ी पेल रहा था, उसको उठाया और पुछा बता तू किसका लड़का है और कोन्से गाँव का है.
उसने अपने गाँव का नाम बताया और बोला मे प्रधान जी का लड़का हूँ.
मे- धन्नु लटका ले साले को.. और ले चल अपने गाँव, अब इसका फ़ैसला चौपाल पे ही होगा..
और उन सबको बोला… जाओ तुम लोग और भेजना इसके बाप को मुखिया जी की चौपाल पर अगर अपना लड़का चाहिए तो, वरना ये कल जैल में होगा.
वो लोग गिरते पड़ते सर पे पैर रखके अपने गाँव की तरफ भाग लिए, और हम दोनो ने उस लड़के को लटकाया मरे हुए सुअर की तरह और लाके पटका चौपाल पे.
शाम का वक़्त था, गाँव में लोग ज़्यादातर फ्री टाइम में चौपालों पर जमा होते ही हैं गप्पें मारने और इधर-उधर की खबरें देने-लेने को.
जब हमने उस प्रधान के लड़के को वहाँ लाके पटका, तो कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया, पड़ोसी तो था ही, वो भी ग्राम प्रधान का लड़का, देखते-2 लग गया हुजूम, लगे तरह के सवाल करने, क्या हुआ ? कैसे हुआ? यहाँ क्यों लाए.. वागरह-2..
हमने धनंजय के पिता जी समेत सब लोगों को सारी घटना का विवरण दिया, तो पहले तो सब खुश हुए, फिर आश्चर्य पूर्वक कहा, ये कैसे संभव है कि तुम दोनो ने 10 लठेतो को धूल चटा दी..?
धनंजय बोला- ये सब इसकी करामात है..! तो उसका एक गाँव का दोस्त बोला कि ऐसा हो ही नही सकता.. सच बता कैसे किया तुम दोनो ने ये सब..?
मे- अरे भाई आप लोगों को अभी तक पता नही है कि नहर के पास एक जिन्न रहता है, जो कमजोर का हमेशा साथ देता है, उसी ने किया है ये सब..
दोस्त- क्या बात करते हो भाई..? हमने तो किसी ने आजतक ना उसे देखा और ना सुना फिर आज कैसे…?
मे- और मज़े लेते हुए.. क्या तुम लोगों पर ऐसी कभी मुशिबत आई..?
दोस्त – नही… पर्रर..!
तबतक धनंजय को हसी आ गई, और वाकी लोग भी समझ गये कि मे उससे चूतिया बना रहा हूँ.. तो सब ठहाका मार मार के हँसने लगे और वो लड़का झेंप कर खिसियानी हँसी हसने लगा.. हहहे…तुम लोग झूठ बोल रहे हो..
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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- Rohit Kapoor
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
बहुत शानदार अपडेट भाई मजा आ गया
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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