तभी माँ मुझे बोली,,,,,,1-2 दिन रुक नही सकता था क्या ,,,इतनी आग लगी हुई थी तेरे
जिस्म मे,,,,,
मैं समझ गया भुआ ने माँ को सब कुछ बता दिया है,,,,,लेकिन माँ गुस्सा क्यूँ नही हो रही
मेरे पर,,,,,और 1-2 दिन रुकने को क्यूँ बोला मा ने मुझे,,,,,1-2 दिन मे क्या होने वाला है
माँ और भुआ उपर की तरफ जाने लगे,,,,भुआ के हाथ मे गर्म पानी का बर्तन था जबकि माँ
के हाथ मे कुछ कपड़े और मेडिसिन थी,,,,,
मैं भी उन लोगो के साथ चलके उपर की तरफ जाने लगा,,,,मुझे कुछ ज़्यादा ही जल्दी थी
सोनिया के पास जाने की ,,,,जैसे ही मैं रूम के दरवाजे तक पहुँचा और दरवाजा खोलकर
अंदर गया तो सोनिया हल्की आवाज़ मे बोली,,,,,
कहाँ गया था भाई,,,,,मुझे अकेला छोड़कर,,,,,
इस से पहले मैं कुछ बोलता भुआ और माँ अंदर आ गयी,,,,सोनिया ने जब भुआ और माँ को देखा
तो डर गयी और शरमा कर चद्दर से अपने फेस को कवर कर लिया,,,,
तभी माँ और भुआ चलके सोनिया के बेड के पास चले गये,,,,,,तभी भुआ बोली,,,तो तुम दोनो
ने अपनी मनमानी कर ही ली,,,,थोड़ा टाइम इंतजार नही कर सकते थे क्या,,,इतनी भी क्या
जल्दी थी,,,,भुआ ने अपने हाथ मे पकड़ा हुआ गर्म पानी का बर्तन टेबल पर रख दिया और
अपने हाथ से चद्दर को सोनिया के फेस से हटा दिया,,,,
सोनिया ने डर और शरम से अपनी आँखें बंद ही रखी,,,,,वो माँ और भुआ का सामना करने को
तैयार नही थी,,,,
तभी भुआ ने सोनिया के गाल पर हल्के से थप्पड़ लगाया ,,,,बोल इतनी क्या जल्दी थी,,थोड़ा
इंतजार नही कर सकती थी तुम सोनिया,,,,,
तभी मैं एक दम से बोल पड़ा,,,,मत मारो इसको भुआ,,,इसकी कोई ग़लती नही,,,सारी ग़लती
मेरी थी,,,,,ये बेचारी तो,,,,,
मैं अभी बोल ही रहा था कि माँ और भुआ हँसने लगी,,,,,देखो तो कितनी फ़िक्र है सोनिया की
,,,,सारा इल्ज़ाम अपने सर लेने को तैयार हो गया है सन्नी,,,,
तभी माँ बोली,,,,,,चल दिखा मुझे कितना बुरा हाल किया है तेरा सन्नी ने,,,,माँ ने इतना
बोला और आगे बढ़के सोनिया के जिस्म से चद्दर उथ कर उसकी चूत को देखने लगी,,,,सोनिया इस
सब के लिए तैयार नही थी लेकिन माँ ने उसकी टाँगों को एक ही बार मे नंगा कर दिया था और
जैसे ही माँ और भुआ की नज़र पड़ी सोनिया की चूत पर तो दोनो हैरान रह गयी,,,
मैं भी एक दम हैरान हो गया सोनिया की चूत की ऐसी हालत देखकर,,,उसकी चूत के वो
छोटे छोटे लिप्स जो रात को एक दूसरे से चिपके हुए थे वो अब काफ़ी दूर दूर हो गये थे
और काफ़ी सूज भी गये थे,,,,उसकी चूत एक दम लाल रंग की हो गयी थी और सूजन दूर
से ही नज़र आ रही थी,,,,मैं उसकी हालत देखकर परेशान हो गया,,,,मुझे तरस आने लगा
था बेचारी सोनिया पर,,,,,,रात को चुदाई करते टाइम मैने कोई ज़्यादा ध्यान नही दिया था
उसकी चूत पर और ना ही उसने मुझे ज़्यादा ज़ाहिर होने दिया था उसकी चूत के दर्द के बारे
मे,,,,,,
हयी मैं मर गयी,,,,,क्या हाल कर दिया मेरी फूल जैसी बच्ची का,,,,थोड़ा तरस नही खा
सकता था इस फूल जैसी कोमल लड़की पर,,,देख ज़रा क्या हाल किया तूने इसका सन्नी,,कोई
ऐसा हाल करता है क्या अपनी बहन का,,,,थोड़ा तो तरस खाना था इस्पे,,,,या फिर मस्ती
मे भूल गया था ये तेरी छोटी और नाज़ुक बहन सोनिया है,,,,
माँ मैं वो मैं,,,,,,मुझे कोई बात नही सूझ रही थी,,,
तभी सोनिया बोली,,,,,,माँ सन्नी की ग़लती नही है,,,,मैने ही इसको ,,,,,
सोनिया अभी बोलने लगी तो माँ फिर से बीच मे बोल पड़ी,,,,,हां हां जानती हूँ ना तेरी
ग़लती है और ना तेरे भाई की,,,,चल तू बाहर निकल सन्नी और हम लोगो को अपना काम करने
दे,,,,,
मैं कुछ नही बोला और रूम से बाहर जाने लगा तभी सोनिया बोली,,,,,माँ इसको बाहर मत
भेजो,,,यहीं रहने दो ना,,,,
माँ ने मुझे दूसरे बेड पर बैठने को बोला और मैं बेड पर उन लोगो को तरफ पीठ करके
बैठ गया ,,,,फिर मुझे सोनिया की दर्द से भरी आह अह्ह्ह्ह की आवाज़ आती रही और साथ साथ
भुआ और माँ की आवाज़ जो इस सब क लिए मुझे कोस रही थी,,,,,
कुछ टाइम बाद माँ और भुआ का काम हो गया और वो दोनो वहाँ से जाने लगी,,,,,वैसे जो हो
गया सो हो गया लेकिन अगर तुम दोनो 1-2 दिन रुक जाते तो अच्छा होता,,,चल अब जल्दी तैयार होके
नीचे आजा नाश्ता लगा देती हूँ फिर कलाज चले जाना,,,,,,सोनिया तो अब 1-2 दिन आराम ही
करेगी,,,,,,और तू 1-2 दिन करीब भी मत जाना इसके,,वरना ,,,माँ और भुआ हँसती हुई वहाँ से
चली गयी,,,,
मुझे समझ नही आ रहा था ये 1-2 दिन का क्या मसला है,,,,,
तभी मैं जाके सोनिया के पास बैठ गया और उसके सर पर हाथ फिराते हुए बोला,,,,बहुत
दर्द हो रहा है क्या,,,,
वो कुछ नही बोली बस शर्माके सर को हाँ मे हिला दिया,,,,,,
अगर इतना ही दर्द हो रहा था तो रात मुझे रोका क्यूँ नही तूने,,,क्यूँ करने दिया वो सब और
क्यूँ मुझे तेरे को हर्ट करने दिया,,,,,,,,
नही नही सन्नी,,,,रात दर्द नही हुआ तेरी कसम,,,,रात तो मुझे कुछ पता ही नही चला
,,,,इतना मज़ा जो आ रहा था ,,,दर्द तो सुबह शुरू हुआ जब आँख खुली,,,,
सच मे रात मज़ा आया तुझे,,,,,इतना मज़ा आया कि दर्द का भी पता नही लगा,,,,
हां सन्नी,,,बहुत मज़ा आया,,,लेकिन कविता ठीक कहती थी,,,तू जान निकाल देता है,,पहले
पहले तो कुछ पता नही चला कि तू जान कैसे निकालता है लेकिन अब कविता की एक एक बात
सच साबित हो रही है,,,,
क्या अभी बहुत दर्द हो रहा है,,,,
फिर उसने कुछ नही बोला और सर को हां मे हिला दिया,,,,और बता दिया कि उसको बहुत दर्द हो
रहा है,,,,मैं उसके करीब लेट गये और उसके फोरहेड पर किस करते हुए सर पर हाथ
फिरने लगा और उसको कुछ दिलासा देने लगा,,,,,लेकिन मैं कुछ भी कर लूँ अब उसका दर्द
कम नही कर सकता था,,,,,
चल अब उठ और तैयार हो सन्नी,,,तूने कॉलेज भी जाना है,,,,
लेकिन तेरा ख्याल कॉन रखेगा अगर मैं कॉलेज चला गया तो,,,,,
तू मेरी फिकर मत कर मेरा ख्याल रखने के लिए माँ और भुआ है,,तू बस कॉलेज जा और
अपनी स्टडी पर ध्यान लगा,,,,
फिर उसने मुझे फ्रेश होके कॉलेज जाने को बोला तो मैं तैयार होके नाश्ता करके कॉलेज
चला गया,,,,
कॉलेज आने का दिल तो नही था फिर भी सोनिया के कहने पर मैं कॉलेज आ गया था,,,लेकिन अभी
भी मुझे सोनिया की वो फूली हुई चूत और दर्द से कराहती हुई उसकी आह आह की आवाज़ सुनाई दे
रही थी जब माँ और भुआ उसका दर्द ठीक करने की कोशिश कर रही थी,,,,सच मे बहुत बुरा हाल
कर दिया था मैने उस मासूम का,,,,,
लेकिन उसने मुझे रोका क्यूँ नही क्यूँ करीब आने दिया क्यूँ खुद को हर्ट करने दिए जबकि वो तो मेरे
करीब आने से डरती थी,,,मेरे करीब आके वो घर वालो को दुखी नही करना चाहती थी,,और भला
माँ और भुआ 1-2 दिन रुकने की बात क्यूँ बोल रही थी,,,,,यही सब सोच रहा था कि कविता मेरे पास
आ गयी,,,
कहीं वो सब सपना तो नही complete
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही
कहाँ खोया हुआ है सन्नी,,,,,तबीयत तो ठीक है तेरी,,,,,उसने पास आके मेरे फोरहेड पर हाथ
लगाया और तबीयत चेक करने लगी,,,,
मैं बिल्कुल ठीक हूँ कविता,,,,बस थोड़ा परेशान हूँ,,,,
क्या परेशानी है,,,,मुझे बता मैं दूर करती हूँ तेरी परेशानी,,,,,,
तुझे नही बताउन्गा तो किसको बताउन्गा,,,,,,लेकिन तू परेशानी दूर नही कर सकती,,,,,
अच्छा ,,ऐसी क्या परेशानी है,,,पता तो चले,,,,
वो सोनिया ,,,,मैं अभी बोलने ही लगा था कि कविता परेशान हो गयी,,,
क्या हुआ सोनिया को,,ठीक तो है वो,,,,,,
हाँ वो ठीक है कविता,,,,,बस वो ,,मैं,,,,
क्या बता है,,, सीधी तरह बोलता क्यूँ नही,,,,
तभी मैं बोलने लगा,,,,,,तुझे पता है ना कल रात बारिश हो रही थी,,,,
हां पता है,,,तो बारिश और सोनिया का क्या लेना देना,,,,क्या बारिश मे भीग कर बीमार हो गयी है
वो,,,,
नही नही ऐसी बात नही,,,,,,वो बारिश मे भीगने छत पर गयी थी और मैं भी बारिश मे मस्ती
करने छत पर चला गया कल रात को,,,,लेकिन मुझे नही पता था सोनिया वहाँ पर है,,,और जब
मुझे पता चला और मैने उसको देखा तो ,,,,,,
ओह्ह्ह्ह मययययी गूओड़दड़ ,,,,,कैसी है वो,,,,,तूने ज़्यादा हर्ट तो नही किया उसको,,,तुझे पता था ना कि
उसकी पहली बार है,,,,बोल ,,,ज़्यादा दर्द तो नही दिया उसको,,,,
रात तो पता नही चला लेकिन अब उसकी हालत बहुत खराब है,,,माँ और भुआ ने कुछ मेडिसिन लगाई
है सुबह उसको,,,,,
तो माँ और भुआ को भी पता चल गया,,,,लेकिन इस बात की मुझे फ़िक्र नही है,,,मुझे तो सोनिया की
फ़िक्र है,,पता नही क्या हाल किया होगा तूने उसका,,,,,वो बहुत मासूम है सन्नी तू जानता है ना,,
मैं कुछ नही बोला बस हां मे सर हिला दिया,,,,,
तभी कविता उठी ,,,,ओके मैं घर जा रही हूँ सोनिया के पास,,,,,इतना बोलकर वो उठी और जाने लगी
तभी उसका फोन बजने लगा,,,,
वो चलते चलते बात कर रही थी ,,,मुझे कुछ पता तो नही चल रहा था लेकिन वो जी डॅड जी डॅड
बोल रही थी,,,,,,लेकिन ये तो अपने बाप से कभी बात नही करती तो फिर किसको डॅड बोल रही थी,
खैर मैं कॉलेज से छुट्टी होने के बाद घर की तरफ चल पड़ा,,,मुझे बड़ी जल्दी थी सोनिया के
पास जाने की,,,,,हालाकी मैं उसके दर्द का कुछ नही कर सकता था लेकिन फिर भी मुझे उसके पास
रहना था,,,,,
मैं घर पहुँचा और सीधा गया सोनिया के रूम मे ,,,,,वहाँ सोनिया लेटी हुई थी जबकि कविता और
माँ उसके पास बैठी हुई थी,,,,,माँ ने मुझे रूम मे अंदर नही आने दिया और मुझे दूसरे रूम
मे जाके बैठने को बोला,,,,,
मैं रूम से बाहर जाने लगा तो सोनिया की तरफ देखने लगा,,,,वो खुश थी मुझे देखकर और साथ
ही कविता भी,,,,,,
मैं आके साथ वाले रूम मे बैठ गया,,,,,,शाम को कविता चली गयी,,,,लेकिन माँ सोनिया के रूम मे
ही रही,,,,उन्होने मुझे रूम के अंदर नही जाने दिया,,,,,अगले 2 दिन तक मैं सोनिया के रूम मे नही
जा सका क्यूकी माँ और भुआ मे से कोई ना कोई हर टाइम होता था उसके रूम मे,,,
2 दिन बाद मैं जब कॉलेज से वापिस आया और सोनिया के रूम मे गया तो देखा सोनिया रूम मे नही थी
मैं साथ वाले रूम मे गया वहाँ भी कोई नही था,,,,माँ और भुआ भी नज़र नही आ रही थी,,,मैं
फिर से नीचे गया तो देखा मामा और डॅड माँ के रूम से निकल कर बाहर आ रहे थे,,उनके हाथ मे
कुछ समान पकड़ा हुआ था,,,,
तभी मैने डॅड से पूछा,,,,,डॅड भुआ और माँ कहाँ है,,,,
डॅड ने जवाब नही दिया और मुझे कुछ समान पकड़ा कर बाहर कार मे रखने को बोला,,,,मैं कार मे
समान रखके वापिस घर के अंदर जाने लगा तो डॅड बोले,,,,,,अंदर जाने की ज़रूरत नही है,,,जल्दी
से कार मे बैठो,,,,,
मैं कुछ समझा नही और ना ही कोई सवाल किया डॅड से और कार मे बैठ गया,,,,,डॅड के साथ आगे वाली
सीट पर मामा भी बैठ गया और डॅड ने ड्राइव करनी शुरू की ,,डॅड ने मुझे कुछ नही बताया था कि
हम लोग कहाँ जा रहे थे,,,,मैने भी कोई सवाल नही किया था डॅड से,,,,डॅड कोई 5-6 अवर ड्राइव
करते रहे ,,,,हम लोग अपने दूसरे शहर मे आ गये थे,,,,,तभी डॅड ने कार एक घर के सामने रोक
दी,,,,,मैने देखा कि भुआ की कार भी उसी घर के सामने खड़ी हुई थी,,,,
तभी डॅड ने कार घर के अंदर की और मुझे साथ चलने को बोला,,,मैं भी कार से उतर गया और डॅड
के साथ चलने लगा,,,,लेकिन मुझे समझ नही आ रहा था कि ये हम लोग कहाँ आ गये है और ये
घर किसका है,,,,,
तभी हम लोग घर के अंदर चले गये,,,,घर मे नया नया पैंट हुआ था,,,,घर का समान भी ज़्यादातर
नया ही लग रहा था,,,,मैं सारे घर को सवालिया नज़रो से देख रहा था तभी डॅड बोले,,,
ये हम लोगो का नया घर है सन्नी,,,,,अब से हम लोगो को यहीं रहना है,,,,,,और आज से मैं तेरा
बाप हूँ और गीता तेरी माँ है,,,,,,और ये सुरेंदर तेरा चाचा और सरिता तेरी चाची है,,लेकिन
ये सब रिश्ता हम लोगो का घर के बाहर है,,,,,घर के अंदर तू जिसको जो चाहे बुला सकता है
लेकिन दुनिया की नज़रो मे मैं तेरा बाप और गीता तेरी माँ है,,,,
मैं कुछ नही समझा लेकिन डॅड की बात सुनता गया,,,,,
मुझे पता है तू सोनिया को बहुत प्यार करता है सन्नी और वो भी तुझे बहुत प्यार करती है,,,मुझे
गीता सरिता और कविता ने सब कुछ बता दिया था,,,और सबसे बड़ी बात तेरे और सोनिया के रिश्ते से
कविता को कोई परेशानी नही थी,,,,बस परेशानी मुझे ही थी सन्नी,,,,,जांटा हूँ तू अपनी बहन
को प्यार करके दुनिया के सामने जाके इज़हार भी कर सकता है और दुनिया के सामने अपनी ही बहन को
अपनी दुल्हन बना कर रख सकता है ,,तू बड़ा हिम्मत वाला है सन्नी,,,,मुझे कविता ने सब बता
दिया ,,,वो माल वाली बात भी कि कैसे तूने अपने प्यार का इज़हार किया सोनिया के लिए वो भी इतने
लोगो के सामने,,,,,लेकिन मुझमे इतनी हिम्मत नही है सन्नी,,,,मैं इतना हिम्मतवाला नही हूँ कि
दुनिया का सामना कर सकूँ,,,,इसलिए मैने ये नया घर ले लिया है वो भी दूसरे शहर मे,,,ताकि हम
लोग नये शहर मे नया रिश्ता शुरू कर सके,,,,नयी ज़िंदगी की शुरुआत कर सके,,,
जो कुछ भी हम लोगो के बीच हो चुका है उसको मैं भूल जाना चाहता हूँ,,,,उन यादों को वहीं
पुराने शहर मे पुराने घर मे दफ़न करके आया हूँ मैं,,,,,और यहाँ नये रिश्ते से नयी शुरुआत
करना चाहता हूँ जैसे विशाल इस सबसे दूर चला गया है ताकि वो सब कुछ भूल कर नयी शुरुआत
कर सके,,,,,वैसे ही शोभा के कहने पर मैने जल्दी से उसकी शादी करदी ताकि वो भी अपने पति के
साथ नयी शुरुआत कर सके ,,,वैसे ही मैं चाहता हूँ कि मैं और गीता,,,,सुरेंदर और सरिता
वैसे ही तुम सोनिया और कविता भी नयी शुरुआत करो अपने रिश्ते की,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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- naik
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- Joined: 05 Dec 2017 04:33
Re: कहीं वो सब सपना तो नही
nice apdate mitr
lakim aisa lag raha h kahani end hone wali h shayad 1 2 apdate k baad story complete ho kyon bhai sahi bol raha hu
lakim aisa lag raha h kahani end hone wali h shayad 1 2 apdate k baad story complete ho kyon bhai sahi bol raha hu
- Viraj raj
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- Joined: 28 Jun 2017 08:56
Re: कहीं वो सब सपना तो नही
V lovely & ultimate update....... Mitra
मैं वो बुरी चीज हूं जो अक्सर अच्छे लोगों के साथ होती है।
** Viraj Raj **
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