आजाद पंछी जम के चूस complete

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josef
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Re: आजाद पंछी जम के चूस

Post by josef »

रश्मी अब तक अपने पति विशाल के लिए टिफ़िन तैयार कर चुकी थी और बस किचन में बर्तन समेट ही रही थी कि तभी विशाल पीछे से आये और अपनी पत्नी से लिपट गए. और अपनी प्यारी पत्नी रश्मी की पीठ को चूमने लगे. यदि रात सुहानी बीती हो तो सुबह सुबह पति इस तरह से और रोमांटिक हो ही जाते है. रश्मी ने भी उनके चुम्बन का प्यार भरा जवाब दिया और अपने कोमल हाथो से अपने पीछे खड़े विशाल के चेहरे को छूने लगी.

“अब छोडो भी मुझे. आपको ऑफिस के लिए देर हो रही होगी. लीजिये आपका टिफ़िन तैयार है.”, और रश्मी ने बड़े ही प्यार से पलट कर विशाल को टिफ़िन पकडाया. पर रश्मी अब भी विशाल की बांहों में गिरफ्त थी. उसे कोई शिकायत भी नहीं थी. विशाल ने अपनी पत्नी के होंठो को एक बार रस भर कर चूमा और उसे विदा कर ऑफिस निकल गए. और रश्मी उनके चुम्बन के एहसास को अनुभव करती वहीँ खड़ी रह गयी. रश्मी के निप्पल में एक सिहरन सी छोड़ गए थे विशाल.

आखिर कल की रात बहुत हॉट थी. रश्मी ने अपनी तरफ से विशाल को खुश करने की पूरी कोशिश जो की थी. और फिर उसे भी मज़ा तो आया था. पर ये तो सिर्फ रश्मी का दिल जानता था कि कल की हॉट रात के पीछे रहस्य क्या था. कल दिन में जब रश्मी की ननंद सोनल ने रश्मी के लिंग को चूसकर ब्लो जॉब दिया था उसके बाद से ही उसके मन में एक ग्लानी थी. कल के पहले रश्मी के जिस्म को उसके पति विशाल के अलावा किसी ने नहीं छुआ था… न किसी आदमी ने और न ही किसी औरत ने. पर कल? कल रश्मी ने अपने पति के पीछे उन्हें धोखा दिया और वो भी उनकी बहन के साथ. उसके मन में ग्लानी तो होनी ही थी. पर इसके अलावा भी कुछ और बात थी. कल जब सोनल घर वापस आई और रश्मी को अपने बॉयफ्रेंड धीरेन्द्र के साथ का किस्सा सुनाया तब से न जाने क्यों रश्मी के मन में इर्ष्य ने घर कर लिया था. उसे सोचकर बहुत जलन हो रही थी कि सोनल ने रश्मी के अलावा किसी और का भी लिंग चूसा था. पहले की बात होती तो शायद रश्मी को फर्क नहीं पड़ता पर अब न जाने क्यों उसे ऐसा महसूस हो रहा था. यही कारण था कि जब विशाल ने रात को रश्मी को अपनी बांहों में लिया तो वो न सिर्फ अपने पति को धोखा देने के प्रायश्चित में उन्हें पूरे समर्पण भाव के साथ अपना तन सौंप रही थी बल्कि साथ ही वो सोनल को भी एहसास दिलाना चाहती थी कि यदि सोनल धीरेन्द्र के साथ सेक्स करके खुश है तो वो भी अपने पति के साथ खुश थी.

आखिर रश्मी जैसा चाहती थी वैसा ही हुआ भी था. सोनल सुबह सुबह ही रश्मी से रूखे स्वर में बात कर रही थी. और सुबह के दो शब्दों के कहने के बाद से वो एक भी बार रश्मी से बात करने के लिए अपने कमरे से बाहर तक नहीं आई थी. कल तक जो ननंद भाभी के बीच एक प्यार भरा रिश्ता था वो एक बार में ही जिस्म की आग में झुलसते हुए कही बिखर गया था.

भले ही रश्मी एक सीधी साधी गृहिणी थी पर उसे भी अपने रूप पर गर्व था. सोनल की चिंता छोड़ कर रश्मी ने अपने ब्लाउज को अपनी साड़ी से ढंका और अब नहाने के लिए बाथरूम आ गयी. बाथरूम में आकर रश्मी ने धीरे धीरे खुद को आईने में देख अपनी साड़ी उतारनी शुरू की. एक एक प्लेट को धीरे धीरे खिंच कर खोलती हुई रश्मी अपने रूप को देखकर इठलाने लगी. और फिर उसके बाद अपनी ब्लाउज को खोलने लगी. बिना ब्रा के उसके स्तन ब्लाउज से तुरंत बाहर निकल आये. और रश्मी ने अपने निप्पल को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया. उसे एक बार फिर बड़ा मज़ा आ रहा था. और फिर वो अपने दुसरे हाथ से अपने पेटीकोट के ऊपर सहलाने लगी और पहले हाथ से अपने स्तनों को मसलने लगी. जल्दी ही रश्मी का लंड खड़ा हो चूका था और उसकी वजह से उसका पेटीकोट उठ चूका था. आखिर उसने अन्दर पेंटी तक नहीं पहनी थी. उत्तेजना में रश्मी ने अपना पेटीकोट उतारा और फिर अपने खड़े लंड को और सहलाने लगी. कठोर निप्पल और खड़े लंड के साथ वो आईने में बड़ी सेक्सी लग रही थी. खुद के लंड को देख वो बड़ी खुश हुई. गुलाबी चमचमाता हुआ और बिलकुल साफ़ सुथरा लिंग था रश्मी का जिसके आसपास एक बाल तक नहीं था. और फिर मुस्कुराती हुई रश्मी शावर में जाकर नहाने लगी. वो चाहती तो उत्तेजना में वो खुद को और सहला सकती थी. पर इतनी खुबसूरत औरत भला खुद को खुश करे? ये तो अपमान ही होगा न? जब पूरी दुनिया में कोई भी उसके जिस्म को छूकर उसे खुश करने को बेताब होगा तो वो क्यों भला खुद मेहनत करे? हंसती मुसकुराती हुई रश्मी नहाकर बाहर निकली और उसने एक सुन्दर सी लेस वाली ब्रा पहनी. भीगे बालो में बहुत ही सेक्सी लग रही रश्मी की ब्रा ने जब उसके बूब्स को अपने अन्दर कैद किया तब जाकर उसका खुद के तन पर थोडा सा वश वापस आने लगा था. और फिर रश्मी ने धीरे से अपने कोमल पैरो पर एक हलकी सी सैटिन पेंटी को सरकाया और खुद के चिकने पैरो को अपनी उँगलियों से छूते हुए रश्मी ने वो पेंटी पहन ली. और फिर उसके बाद एक मैचिंग पेटीकोट में अपनी कमर को लहराती हुई नाडा बांधकर रश्मी अब साड़ी पहनने को तैयार थी.

वैसे तो रश्मी को अपनी ब्रा के ऊपर ब्लाउज पहनना चाहिए था पर आज उसने बिना ब्लाउज के ही साड़ी पहनने की सोची. घर में वैसे भी सिर्फ सोनल थी और वो भी बाहर जाने वाली ही होगी. और न भी जाए, तो आज रश्मी को उसके रहने न रहने से फर्क नहीं पड़ता था. और फिर रश्मी ने अपने बड़े बड़े कुलहो पर अपनी साड़ी को एक राउंड लपेटा और फिर अपनी दुबली पतली उँगलियों की सहायता से अपने साड़ी में एक एक प्लेट सलीके से बनाने लगी. भीगे लम्बे बालो में इतने करीने से प्लेट बनती हुई रश्मी को इस वक़्त कोई देख लेता तो यकीनन ही उसका खुद पर काबू नहीं रहता. यदि वहां विशाल होते तो मदहोश होकर वो इस वक़्त कभी अपनी पत्नी के स्तनों को दबाते या फिर उसके कुलहो को. और यदि वहां सोनल होती तो? क्या सोनल अपनी भाभी के स्तनों को दबाती हुई अपने घुटनों पर बैठकर अपनी भाभी की साड़ी उठाती और उनके लंड को बाहर निकाल कर अपने रसीले होंठो से चुस्ती? हाय, ये कैसा ख्याल आ रहा था रश्मी के मन में? वो अपने पति को फिर दोबारा कभी धोखा नहीं देना चाहती थी. फिर भी न जाने क्यों उसके दिल में ये विचार आकर उसके जिस्म में आग लगा रहे थे.

रश्मी आज बिना ब्लाउज के ही साड़ी पहनकर तैयार थी.

जहाँ एक ओर रश्मी अपने मन से लड़ रही थी वहीँ उसकी ननंद सोनल की मनोदशा कुछ अलग ही थी. अपने कमरे में बिस्तर में नाइटी पहनी सोनल लेटी हुई थी और उसके मन में एक गुस्सा भरा हुआ था. करवटें बदलती हुई सोनल के मन में अपनी भाभी के प्रति क्यों इतना गुस्सा था वो खुद समझ नहीं पा रही थी. यदि उसकी भाभी ने अपने पति के साथ रात को सेक्स किया तो सोनल को इस बात से क्यों फर्क पड़ रहा था? आखिर वो भी तो अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स करके खुश थी? रह रह कर उसके मन में धीरेन्द्र के साथ सेक्स की जगह उसे कल दोपहर को अपनी भाभी के साथ किये सेक्स की तसवीरें आ रही थी जब वो अपनी भाभी का गुलाबी लंड चूस रही थी. ऐसा क्यों हो रहा था उसेक साथ? धीरेन्द्र को छोड़ वो भाभी के बारे में क्यों सोच रही थी? खुद के मन को सोनल खुद ही नहीं समझ पा रही थी. उसका मन कर रहा था कि अपने कमरे से निकल कर अपनी भाभी पर चीख पड़े. ऐसे ही न जाने क्या क्या सोचती हुई सोनल न तो आज नहाई थी और न आज बाहर गयी थी धीरेंद्र से मिलने. उसे अपने कमरे के बाहर खटपट की आवाज़ सुनाई पड़ रही थी. ज़रूर उसकी रश्मि अब नहाकर आ चुकी होगी और बाहर के कमरे में कुछ कर रही होगी. पर थोड़ी देर में वो खटपट भी बंद हो गयी. क्या उसे बाहर जाकर रश्मी से कुछ कहना चाहिए? और कहे भी तो क्या कहे? यही कि रश्मी अपने पति के साथ सेक्स न करे? ऐसा कैसे कह सकती थी वो. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो करे भी तो क्या करे? पर इस तरह बिस्तर में करवट बदलते तड़पती तो नहीं रह सकती थी वो. उसे कुछ तो करना होगा.

और फिर सोनल बिना कुछ सोचे समझे अपनी घुटनों तक की नाइटी पहने हुए ही अपने कमरे से बाहर आ गयी. बाहर आकर उसने देखा कि रश्मी सोफे पर बैठी हुई अपने घुटनों को मोड़े हुए गृहशोभा मैगज़ीन पढ़ रही थी. रश्मी ने तो आज ब्लाउज भी नहीं पहना था. बस खुले पल्ले के साथ ब्रा को ढंककर साड़ी पहनी हुई उसकी भाभी को भीगे बालो में देखकर एक ओर सोनल को गुस्सा भी बहुत आ रहा था पर वहीँ दूसरी ओर… उसकी भाभी उसे बेहद आकर्षक भी लग रही थी. सोनल को न जाने क्यों उसकी भाभी को देखते ही उसकी भाभी की कमर के निचले हिस्से की ओर ध्यान जा रहा था. उसकी भाभी की धवल गोरी कमर में सॉफ्ट सी नाभि के निचे साड़ी की खुबसूरत प्लेट्स के पीछे उसकी भाभी का लंड छुपा है, यह ख्याल उसके मन में क्यों आ रहा था? सोनल को देखते ही उसकी रश्मि भाभी ने अपनी साड़ी के आँचल को कुछ इस तरह सरकाया कि वो उसके दोनों स्तनों के बीच आकर बैठ गयी. अब रश्मि का एक स्तन उसकी लेस वाली ब्रा में और उभर कर दिखाई दे रहा था. पर सोनल की ओर ज्यादा ध्यान न देते हुए रश्मी ने अपने एक पैर को दुसरे पैर पर रखा और अपनी नाभि को साड़ी से ढंकते हुए हाथ में रखी मैगज़ीन का पन्ने पलट कर देखने लगी. रश्मि सोनल को अनदेखा करने का ड्रामा कर रही थी. वो उसे सच में अनदेखा करना चाहती थी पर कर नहीं पा रही थी. इसलिए अपनी मैगज़ीन में ध्यान देने की कोशिश कर रही थी. पर वहां भी उसका दिल कहाँ लग रहा था?
अपनी भाभी की ऐसी हरकत देखकर एक बार फिर सोनल के दिल में गुस्सा बढ़ गया. और वो गुस्से में ही अपनी भाभी के बगल में आकर बैठ गयी. रश्मी की नज़र अब सोनल के गोरी चिकनी टांगो पर थी. उसे पता था कि बिना नहाई हुई सोनल के बिखरे बाल और उस नाइटी में उसकी गोरी चिकनी टाँगे सभी कुछ रश्मी को उकसा रही थी. उसके स्तन जैसे खुद ब खुद ही फूलने लगे थे. पर फिर भी किसी तरह खुद पे काबू कर वो उन सब भावनाओं को अनदेखा करती रही. अब दोबारा अपने पति को वो धोखा नहीं देगी.. वो भी उस औरत, उस सोनल के लिए जो खुद किसी और मर्द के साथ सोकर आई थी. रश्मी ने सोनल को अनदेखा किया तो सोनल का पारा और चढ़ गया और अब उससे रहा नहीं गया और वो गुस्से से अपनी भाभी पर चीख पड़ी, “क्यों भाभी रात को अपने पति के साथ बीतने के बाद भी तुम्हारे जिस्म की आग नहीं बुझी जो तुम अब भी इस तरह से अपने स्तन निकाले बेशर्मो की तरह बैठी हो?”

बहुत कडवी बात कह दी थी सोनल ने. तो रश्मि भला कैसे चुप रहती? “मेरे जिस्म की आग से तुझे क्या करना है? हाँ मैं सोयी थी अपने पति के साथ. कम से कम अपने पति के साथ ही कर रही थी न. किसी ऐरे गिरे आदमी का लंड तो नहीं चूस रही थी न मैं? और वैसे भी तुझे क्या फर्क पड़ता है कि मैं क्या करती हूँ?”, रश्मी ने भी गुस्से में मैगज़ीन को बंदकर पटकते हुए कहा.

“भाभी!”, रश्मी की बात सुनकर सोनल गुस्से से उबल उठी और अपनी भाभी की नर्म बांहों को जोर से अपने हाथ से पकड़कर अपनी ओर खींचती हुई बोली. उसकी मजबूत पकड़ से रश्मी की नाज़ुक बांहों में थोडा दर्द हुआ जो उसके चेहरे पर दिख पड़ा. दोनों इस वक़्त एक दुसरे की नजरो में देख रही थी. गुस्से में दोनों की सांसें भी बहुत तेज़ चलने लगी थी. रश्मी के स्तन भी तेज़ साँसों के साथ फूलते और संकुचाते थे. और यही हाल सोनल के स्तनों का उसकी नाइटी में हो रहा था.

“मुझे क्या फर्क पड़ता है? जानना चाहती हो मुझे क्या फर्क पड़ता है?”, सोनल ने और भी गुस्से में कहा तो रश्मी बस उसकी ओर देखते ही रह गयी. और फिर एक झटके में सोनल ने अपनी भाभी की बांह को जोरो से अपनी ओर ऐसे खिंचा कि दोनों के स्तन एक दुसरे से दब गए… और दोनों के चेहरे बेहद करीब आ गए. इतने करीब कि जब सोनल ने रश्मी के होंठो को जोरो से चूमा तो रश्मी उसे रोकने के लिए कुछ कर भी नहीं सकी. दोनों के स्तन और निप्पल तुरंत ही फूलकर एक दुसरे को दबाने लगे. सोनल अपनी भाभी के बालों में उंगलियाँ फेरती हुई अपनी भाभी को मदहोश होकर चूमने लगी… और एक हाथ से भाभी की साड़ी पर से उनके स्तनों को दबाने लगी. भले यह सब शायद २०-३० सेकंड चला होगा मगर इतना मदहोशी भरा चुम्बन था वो कि रश्मी को उसे रोकना बहुत मुश्किल हो रहा था. खुद वो बेसुध हुए जा रही थी और सोनल के हाथ उसके स्तनों को दबाते हुए उसे और उकसा रहे थे. पर फिर भी किसी तरह रश्मी ने हिम्मत करके अपने दोनों हाथो से पूरा जोर लगाकर शिल्पा के स्तनों को धक्का देकर अपने आप से दूर किया. मदहोश होते हुए भी रश्मी सोनल के इस कृत्य से बहुत गुस्से में थी. दूर होते ही उसकी सांसें इतनी तेज़ हो गयी कि उसके स्तन ऊपर निचे होने लगे. बढ़ी हुई धडकनों के साथ उसने अपनी साड़ी संभाली और आँचल से अपने स्तनों को तुरंत ढंककर गुस्से से सोनल की ओर देखने लगी. रश्मि को गुस्से में देख सोनल को थोडा होश आया तो उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसने जो अभी किया वो सही था या गलत. उसके चेहरे पर अब थोड़ी शर्म दिखने लगी थी और रश्मी के चेहरे पर गुस्से की लालिमा.

पर जब दो खुबसूरत औरतों के जिस्म एक दुसरे के लिए बेकाबू हो, तब गुस्से को प्यार में बदलने में बहुत समय नहीं लगता है. और फिर गुस्से से लाल रश्मी ने सोनल की दोनों बांहों को जोर से पकड़ा और अब वो पूरी तरह से मदहोश होती हुई सोनल के होंठो को जोरो से चूमने लगी. और फिर फिर सोनल के स्तनों को भी पूरे जोर से दबाने लगी. रश्मी के चुम्बन पाकर अब सोनल ने भी खुद पर वश खो दिया था. और वो भी अपनी भाभी के रसीले होंठो को चूसने लगी… और भाभी के नर्म स्तनों को मसलने लगी. पर अब सोनल के चुम्बन में गुस्सा नहीं प्यार और पैशन था. लेकिन रश्मि अब भी अपने दिल की बात कह देना चाहती थी. और अपने अपमान का बदला लेती हुई रश्मि ने सोनल से कहा, “तुझे लंड चूसने का बड़ा शौक है न? तो आज अपने भाभी के लंड से चुद कर भी देख ले.” रश्मी पूरी ताकत से सोनल को सोफे पर लेटाने लगी और अपनी साड़ी उठाकर उसने अपनी पेंटी उतार दी और अपना खड़ा हुआ लंड निकाल सोनल की चूत की ओर बढाने लगी. “तो तुम्हे रोक कौन रहा है भाभी?”, सोनल बोली और उसने अपने दोनों पैरो को फैला दिया और अपनी नाइटी उठाकर अपनी पेंटी को सरकाकर अपनी योनी को अपनी भाभी के लिए खोल दिया. उत्तेजना में रश्मी ने अपनी साड़ी से अपने लंड को निकाला और तुरंत ही सोनल की योनी में एक एक झटके में डाल दिया. रश्मि के लिए ये पहला अनुभव था पर सोनल की योनी के अन्दर उसके लंड के जाते ही उसे एक चरम आनंद महसूस हुआ. और वो सोनल के हाथो से अपने स्तनों को जोरो से दबवाने लगी. सोनल ने भी अपनी आँखें बंद कर ली और चीख पड़ी, “और जोर से चोदो न भाभी!” और कामोत्तेजना में बदहवास रश्मी अपने लंड को सोनल की योनी में अन्दर बाहर करने लगी. रश्मी के स्तन ऐसा करते हुए झूलने लगे और उसके लम्बे बाल सोनल के सीने पर लहराने लगे. सोनल अब खुद अपने स्तनों को दबाने लगी.


ननंद और भाभी के बीच ये पल बेहद कामुक था. दोनों कभी एक दुसरे के होंठो को जोरो से चूमती, कभी कांटती तो कभी एक दुसरे के स्तनों को दबाकर चुस्ती और फिर निप्पल को दांतों से कांटती. आखिर दोनों औरतें थी तो जानती थी कि कैसे एक दुसरे के स्तनों को मसल कर उन्हें आनंद देना है. ऐसा पल ऐसी उत्तेजना ऐसी कामुकता तो उन्होंने कभी किसी आदमी के साथ महसूस नहीं किया था. कुछ तो ख़ास था इस पल में जो इन लहराते हुए कोमल जिस्मो को इतना मादक बना रहे थे. दोनों के नर्म जिस्म.. सॉफ्ट साड़ी और नाइटी में लिपटे हुए उन्हें मदहोश किये जा रहे थे. सोनल ने पहले आदमियों के लंड तो खुद के अन्दर बहुत लिए थे पर ये तो एक औरत का लंड था, वो भी उसकी भाभी का! भाभी के नर्म मुलायम स्तन और कठोर लिंग का विरोधाभास भी सोनल को कुछ गलत नहीं लग रहा था. कितनी उतावली हो गयी थी वो. और वहीँ रश्मी जीवन में पहली बार अपने लिंग का इस तरह एक औरत की योनी में कर रही थी. उसके लिए बिलकुल नया और कामुक अनुभव था ये. सोनल के स्तनों को दबाकर और उसकी योनी में अपने लिंग को डालकर इतना आनंद मिलेगा उसे, ऐसा तो उसने कभी सोची भी नहीं थी. ये सच था कि उसके पति विशाल उसका लिंग कभी कभी चूसते थे,रोज खुद अपना लिंग रश्मी की गांड में डालते थे, उसका भी अपना मज़ा था पर ये पल तो उससे भी ज्यादा उतावला करने वाला था. और फिर लिपटते रगड़ते उन दोनों औरतों के नर्म जिस्म एक दुसरे में समाकर थोड़ी देर में शांत हो गए. दोनों औरतों के चेहरे पर एक अलग सी ख़ुशी थी. और दोनों एक दुसरे की बांहों में एक दुसरे को देखती रह गयी. रश्मी अभी भी सोनल के ऊपर लेटी हुई थी और दोनों नवयौवनाओं के स्तन दबकर दोनों को आनंद दे रहे थे.

“भाभी, अब हम दोनों क्या करेंगी? इन सबका क्या मतलब है? हमारे रिश्तो का क्या होगा अब?”, सोनल ने अपने स्तनों पर लेटी हुई रश्मी के बालों को उँगलियों से सहलाते हुए पूछा. एक ही लाइन में बहुत कठिन सवाल कर दिए थे सोनल ने. और इतनी मादकता के बाद इस तरह के सवाल का जवाब सोचने की रश्मि की ज़रा भी इच्छा नहीं थी. वो तो बस इस पल को जी लेना चाहती थी. अपने एक एक रोम में महसूस हो रहे रोमांच को बिना ग्लानी के महसूस करना चाहती थी. फिर भी ये सवाल उसके मन को भी विचलित कर रहे थे. यदि रश्मी अपनी ननंद के साथ ये रिश्ता बनाये रखती है तो उसके पति विशाल का क्या होगा? अपने पति को छोड़कर वो सोनल के साथ क्या जीवन बिता सकती है? पर वो तो गलत होगा. आखिर विशाल उससे न जाने कितना ही प्यार करते है. और फिर उन्होंने उसे एक औरत होने का सम्मान दिलाया है जो शायद ही इस समाज में रश्मि जैसी औरत को कोई दिलाता. उसे एहसास था कि एक पत्नी होने का सौभाग्य उसे मिला है जो उसके जैसी औरतों के लिए बस एक सपना होता है. नहीं, वो विशाल को नहीं छोड़ सकती चाहे उसे सोनल के साथ जैसा भी लगा हो. पर सोनल के प्रति अपने आकर्षण का क्या करेगी वो? ये विचार और सवाल आते ही रश्मि ने उन्हें इस वक़्त नज़रंदाज़ करने की कोशिश करते हुए कहा, “हम कुछ न कुछ करेंगे सोनल” और फिर उसने सोनल के होंठो को अपने होंठो से चूसते हुए उसे दिलासा दिलाने की कोशिश की.

पर रश्मी का चुम्बन सोनल को दिलासा न दिला सका. रश्मी का लिंग अब नरम हो चूका था और अब भी सोनल की योनी में ही था. अपनी भाभी की साड़ी को पकड़कर उसके मखमली कपडे पर सुन्दर फूलो के प्रिंट को निहारती हुई सोनल भी कुछ विचारो में खो गयी थी. उसके दिल में अब एक चाहत घर कर गयी थी कि अब से उसकी भाभी सिर्फ और सिर्फ उसकी हो, किसी और की नहीं. पर वो अपने भैया के साथ ऐसा कैसे कर सकती है? जिस भाई और भाभी ने उसे इतना प्यार दिया था उन्ही का घर उजाड़ कर वो कैसे रह सकती है. वैसे भी अपने भाई का जीवन यदि उसने बर्बाद कर दिया तो ये समाज उसके और रश्मी भाभी के रिश्ते को स्वीकार नहीं करेगा. और फिर रश्मी को भी समाज में इज्ज़त नहीं दिला सकेगी वो जो उसके भाई के साथ रश्मी को रहते हुए मिलती थी. उफ्फ.. ये कैसी स्थिति में फंस गयी थी ये दोनों औरतें. करे तो करे भी क्या ये दोनों अब? फिर भी जब तक इन सवालों का जवाब नहीं मिल जाता तब तक दोनों साथ में खुश तो रह ही सकती है. शायद दोनों यही सोच रही थी और दोनों एक दुसरे की ओर मुस्कुरा कर देखने लगी.
सोनल ने सोच लिया कि जब भी मौका मिलेगा वो रश्मी भाभी के साथ वक़्त बिताएगी। उसे रश्मी के साथ अलग ही मजा आया था जो लड़को के साथ चुद कर नही आया।

शाम को उस दिन जब विशाल घर आये तो ननंद भाभी में एक बार फिर से मिठास देखकर वो बड़े खुश हुए. ननंद भाभी दोनों एक दुसरे की कितनी सहायता कर रही थी और कितनी ख़ुशी से चहकते हुए बात कर रही थी. दोनों के चेहरे पर चमक देखकर विशाल की चिंता दूर हो गयी थी. पर उन्हें कुछ कहाँ पता था.

दिन बित रहे थे और समय के साथ रश्मी और सोनल एक दुसरे के बेहद करीब आते जा रहे थे. ननंद भाभी एक दुसरे के लिए न सिर्फ कपडे पसंद करती बल्कि एक दुसरे को पहनाती भी थी. और कपडे पहनाते हुए जब दोनों एक दुसरे के स्तनों और लिंग को छूती तो कई बार उनके बीच की करीबी कामुक पलो में बदल जाती. ये सब विशाल से छिपकर होता था. विशाल तो बस यही सोचते थे कि ननंद भाभी पक्की सहेलियां बन गयी है. अब तो सोनल तय करती थी कि रश्मी कौनसी ब्रा और कौनसी साड़ी पहनेगी. और विशाल इन सबसे अनभिज्ञ थे. क्योंकि अपने पति के प्रति कृतज्ञ रश्मी अपने पति की भरपूर सेवा करती और वो सब कुछ करती जो एक पत्नी से अपेक्षित था. रश्मी जानती थी कि सोनल के साथ उसका रिश्ता हमेशा हमेशा के लिए नहीं रह सकता था. आखिर एक दिन उसकी ननंद सोनल को उसके घर भी जाना होगा, और जल्दी ही वो वक़्त आ गया, जब सोनल के वापिश घर आने के लिए आरती का फ़ोन आया।
रश्मी से बेहद प्यार करने लगी थी सोनल और शायद इसलिए उसने अपनी वापिसी से पहले एक रात उसने सुहागन के जोड़े में रश्मि के साथ अपनी सुहागरात मनाई थी. रश्मी लहंगा पहनी हुई थी और सोनल ने एक भारी लाल साड़ी. सोने से लदी भाभी और ननंद के बीच की वो हॉट रात दोनों के लिए यादगार थी. और उसके बाद दोनों कितना ही गले लग कर रोई भी थी.

पर शायद उन दोनों की किस्मत ही थी कि उनको अलग होना पड़ रहा था और लेकिन ननंद भाभी ने एक दुसरे से मिलने के बहाने अपना रिश्ता बनाकर एक दुसरे की बनी रहने का वादा किया।


इधर जया काकी और मोनिका ने मिलकर आरती से कमल को माफी दिलवा दी थी, लेकिन उसे क्वाटर में ही रखा, पहले वाला कमरा नही दिया गया,
अब कमल घर मे ही खाना खाता था और कभी भी आ जा सकता था, कमल धीरे धीरे फिर से आरति के पास जाने की कोशिस में था, क्योकि सोनल के आने के बाद दोनों को मनाना कठिन था, गर पहले आरती मान जाती है तो फिर सोनल भी मान ही जाएगी।
अब तो जया काकी और मोनिका भी उसके साथ थी जो अपनी कामुक बातो से आरती में वासना की आग जला रही थी, जिसको भुझाने के लिए सबसे बढ़िया हथियार उस समय कमल ही घर पर मौजूद था, इसलिए धीरे धीरे आरति फिर से कमल की तरफ आकर्षित होने लगी, और अपनी वासना के आगे हार मानकर कमल से चुद गयी, और एक बार सिलसिला शुरू होने पर उनका रूटीन बन गया हररोज चुदाई का, उस दिन आरति के साथ इतनी चुदाई के बाद कमल थक चुका था. इसलिए अपने कमरे में आ कर कमल नंगा ही अपने बिस्तर पर लेट गया और सो गया. कुछ देर बाद आरति ने आकर उसे जगाया.
"कमल... उठ... सोने से पहले पजामा तो पहन लेता. अपना लौड़ा सारी दुनिया में नुमाइश करने का इरादा है क्या"?
"चाची... नुमाइश के लिए दुनिया है लेकिन घर तो इसका आपके अंदर है".
आरति मुस्कुराई. उसने पल्लू हटा के उनकी नाभि चूमी फिर उनकी नाभि चाटने लगा. आरति ज़ोर से उसका सर दबाने लगी और उससे अपना पेट चटवाने लगी.
"कमल, जितना प्यार तुझे मेरे पेट को करना है कर ले. सोनल रास्ते में है।"
"चाची ये तो बुरी खबर है. आपकी चूत में तो आग लग जाएगी."
"सही कहा कमल... बहुत मिस करूँगी इस छोटे शेर को".
"चाची... तो एक बार... मेरा लंड चूसो ना".
"ज़रूर चूसूंगी, कमल... लेकिन वादा कर की तू अभी मेरे उपर या अंदर अपना माल नही गिराएगा".
"तो कहाँ गिराऊंगा... चाची?"
"यह मेरे पास एक शीशी है. उसमे अपना सारा माल गिरा देना. नहा धो कर आई हूँ. फिर से नही नहाना मुझे".
"ठीक है, चाची. अब चूसो ना प्लीज़".
आरति बिस्तर पर बैठ गयी. कमल के लंड को अपने दोनो हाथों में लेकर प्यार से बोली.
"ये महाशय तो थकते ही नहीं. इतनी चुदाई की, फिर भी शांत नही हुआ. बड़ा गुस्सैल लंड है".
फिर आरति ने उसका लंड चाटना शुरू कर दिया और प्यार से उसके टटटे सहलाने लगी.
कमल को बड़ा आनंद आ रहा था. चाची उसका लंड टट्टों से टोपे तक चाटती. एक बार आरति ने उसके लंड का छेद अपनी जीभ से छेड़ा, कमल के अंदर बिजली दौड़ गयी.
"चाची, उधर ही चाटो ना".
"बदमाश... चाची से अपना छेद चटवाता है... शर्म नही आती तुझे?"
कमल मुस्कुराया और चाची के बाल सहलाने लगा.
आरति भी मुस्कुराई और उसके छेद को अपनी जीभ से चाटने लगी.
"बहुत अच्छा लग रहा है, चाची... रुकना मत".
कमल नंगा खड़ा अपना छेद चटवा रहा था. आरति उसके टटटे सहला रही थी.
josef
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Re: आजाद पंछी जम के चूस

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कमल को इतना आनंद आ रहा था. उसने आरति की चूचियाँ ब्लाउस के उपर से ही पकड़ ली और कस-कस के दबाने लगा.
"आराम से कमल... साड़ी खराब मत कर".
"चाची प्लीज़... क्या मैं आपका मुँह चोद सकता हूँ"?
"नही!"
"प्लीज़ चाची... अभी आप हररोज नही मिलोगी मुझे प्लीज़ करने दो".
"उफ्फ... ठीक है कर ले... लेकिन अगर तूने मेरे मुँह में अपना माल छोड़ा, तो याद रखना, तुझे कभी अपने जिस्म पर हाथ नही रखने दूँगी".
"ठीक है चाची".
कमल नीचे झुक कर आरति के होंठ चूमने लगा. खूब देर उनका रसपान किया.
आरति तब तक उसके टटटे सहला रही थी. फिर कमल ने अपना लंड आरती के मुँह के सामने ले आया. आरती ने भी अपना मुँह हल्का सा खोला.
कमल ने आरती का चेहरा पकड़ा और अपना लंड उनके मुँह में सरका दिया. आरति जीभ से उसका लंड गीला कर रही थी. साथ ही उसके टट्टो की मसाज कर रही थी.
कमल को बहुत आनंद आ रहा था. कुछ देर बाद कमल ने अपने कूल्हे आगे-पीछे करने शुरू किए. उनकी मुँह चुदाई शुरू हो गयी थी. कमल प्यार से उनका मुँह चोद रहा था. लेकिन ख़याल रख रहा था की अपना माल उनके मुँह में ना गिरा दे.
आरति खूब मज़े ले रही थी. एक हाथ से वो उसके टटटे सहला रही थी. तभी कमल ने उनका दूसरा हाथ अपने कूल्हे पर महसूस किया. आरती कमल के कूल्हे अपने नाखूनो से नोचने लगी. कमल को मज़ा आ रहा था. करीब 15 मिनिट ऐसे ही चला.
अचानक आरती की उंगली कमल के पिछवाड़े के छेद पर पड़ी और वो उसे अपनी उंगली से मलने लगी.
कमल को लगा वो छूटने वाला है.
"चाची मैं.... मैं... मैं छूट रहा हूँ".
आरति ने तुरंत अपने मुँह से उसका लंड निकाला और एक हाथ से हिलाने लगी. दूसरे हाथ से शीशी का ढक्कन खोला और बोली, "ले कमल.. इसमे झड़ना".
"चाची आप हिलाती रहो... मैं छूटने वाला हूँ".
चाची ने वैसा ही किया. जल्दी ही कमल छूटा.
उसका माल लंड से निकल कर शीशी को भरने लगा. कमल 20 सेकेंड छूटा जिससे पूरी शीशी भर गयी.
छूटने के बाद कमल बिस्तर पर गिर पड़ा और आराम करने लग. आरती साड़ी ठीक करने लगी.
थोड़ी देर बाद आरती उसके पास आई और शीशी को देख कर बोली.
"हाय राम! कमल तू कितना माल छोड़ता है. एक बार में. इतने माल से तो तू 10 औरतों को एक साथ पेट से कर सकता है".
"मुझे तो सिर्फ़ एक ही औरत को पेट से करना है". कमल आरति के पेट पर हाथ फिराते हुए बोला.
"हट.. बदमाश... मुझे पेट से करेगा तू?... अपनी चाची को पेट से करेगा?... अपनी नाजायज़ औलाद देगा मुझे?"
"क्यों नही चाची... आप इस दुनिया की सबसे उत्तम औरत हो... आप नही चाहोगी की आपके साथ जो बच्चा पैदा करे वो भी उत्तम हो?... आप नही चाहोगी की आपका बेटा मेरे जैसा मस्त लंड पाए?"
"बिल्कुल चाहूँगी, कमल... लेकिन एक नाजायज़ औलाद को जन्म नही देना मुझे.... ये बता... तुझे सच में मैं उत्तम लगती हूँ?"
"चाची... आप तो सर्व-गुण संपन्न हो. आप खूबसूरत हो. सेक्सी हो. अच्छा खाना बनाती हो. कौन नही चाहेगा आपसे शादी करना. और आपका ये गोरा मुलायम पेट और ये प्यारी सी नाभि.... कौन मर्द नही चाहेगा की उसका बच्चा इस पेट में पले... चाची अगर आपकी बहन होती तो मैं उससे ज़रूर शादी कर लेता".
आरती मुस्कुराई और उसे आके चूम लिया.
"चल... तेरे चाचा आते ही होंगे. कपड़े पहन ले".
आरति इतना कहके चली गयी.
थोड़ी देर बाद रवि आ गये और खाना खाने के लिए।

कमल को भी वही बुलाया गया. टेबल पे आरती और रवि बैठे थे. जया काकी खाना बना रही थी.
"मैं काकी की ज़रा मदद करती हूँ." आरती रवि से बोली.
आरती किचन में आ गयी और जया की हेल्प करने लगी। तभी किचन में कमल भी किसी बहाने से आकर आरती के पीछे खड़ा हो गया. फिर आरति की कमर पर अपना हाथ रख दिया.
आरती चौंक उठी और पीछे घूमी तो कमल ने उन्हे झट से चूम लिया.
वो कमल से अलग हुई और बोली "कमल... यहाँ नही... तेरे अंकल बगल वाले हाल में ही हैं"
"चाची आप खाना बनाइए... मुझे अब आपकी चूत तो अगले कई दिनो तक नही मिलेगी... अब ऐसे ही मज़े लेने पड़ेंगे"
आरती ने चेहरे से नाराज़गी जताई पर वो खाना बनाने लग गयी. जया काकी बाहर हाल में टेबल पर प्लेट्स लगाने चली गयी।
कमल ने अपना हाथ सरका कर उनके पेट पर ले गया और नाभि से खेलने लगा.
"एक दिन देखना इस पेट से मेरी औलदें पैदा होंगी"
फिर कमल अपना हाथ साड़ी के अंदर सरका कर आरति की चूत को रगड़ने लगा.
दूसरे हाथ से कमल चूचियाँ दबाने लगा.
"कमल... नही... तेरे चाचा को सब सुनाई दे जाएगा".
लेकिन आरति की चूत गीली होने लगी थी.
"कमल ये वक़्त और जगह नही है ये सब करने की".
"तो चूत क्यूँ गीली है तेरी... आरती".आरती उसकी तरफ गुस्से से देखने लगी.
आरती ने उसका हाथ अपनी चड्डी में से निकाल दिया और खाना लेकर डाइनिंग टेबल पर चली गई.
कमल थोड़ी देर बाद पानी लेकर डाइनिंग टेबल पर पहुंचा और आरती के बगल में बैठ गया. सब लोग खाना खाने लगे और कमल ने धीरे से आरती के पेट पर हाथ रख दिया. आरती ने उसे फिर गुस्से की नजरों से देखा. लेकिन कमल ने अपना हाथ नहीं हटाया और प्यार से उनका पेट चलाने लगा. नाभि के इर्द-गिर्द गोल गोल अपनी उंगलियों से घुमा घुमा के कमल आनंद ले रहा था. फिर कमल ने एक चम्मच गिरने के बहाने से नीचे झुका और पल्लू हटा के उनका पेट चूम लिया. आरति ने उसका चेहरा अपने पेट से हटाया और खाना खाने लग गई. कमल को मालूम था कि अगले कुछ दिनों तक आरति की खूबसूरत चुत का स्वाद उसे नसीब नहीं होगा. इसलिए उसने सोचा कि कुछ दिन उनकी चड्डी से ही काम चलाना पड़ेगा. उससे रुका नहीं गया और कमल धीरे-धीरे आरती की साड़ी उठाने लगा. उनकी गोरी सुडौल जांघें उसे ललचा रही थी. कमल ने उनकी जांघ पर अपना हाथ रख दिया. बहुत ही मुलायम त्वचा थी.आरती ने झट से उसका हाथ अपने हाथ से पकड़ लिया और आंखों से इशारा किया रुकने का. लेकिन कमल कहां मानने वाला था. जैसे ही आरती ने उसका हाथ छोड़ा कमल धीरे-धीरे फिर से आरती की चड्डी की तरफ अपना हाथ बढ़ाने लगा. उनकी चड्डी के पास पहुंचकर कमल आरती की चूत सहलाने लगा. चड्डी बहुत गीली थी. आरति की आंखें गुस्से से तमतमा रही थी. लेकिन कमल ने एक ना सुनते हुए धीरे धीरे आरति की चड्डी नीचे उतारने लगा. थोड़ी ही देर में आरती की चड्डी कमल ने उनके जिस्म से अलग कर दी और किसी बहाने से नीचे झुक कर उनकी चड्डी अपनी जेब में रख ली. आरती साड़ी के नीचे अब पूरी नंगी थी. खैर कमल का रात का इंतजाम तो हो गया. उसने सोचा आरति की चड्डी की महक लेते हुए मीठी नींद सोयगा. फिर सब खाना खाकर सोने चले गए. कमल लेटे लेटे आरती की चड्डी की महक लेते हुए अपना लंड हिला रहा था. तभी किसी ने उसके दरवाजे पर खटखटाया. कमल ने दरवाजा खोला तो सामने आरती खड़ी थी और गुस्से से उसे देख रही थी.
तभी आरती ने उसके गाल पर जोर का थप्पड़ रसीद कर दिया.
"तूने क्या मुझे अपनी रंडी समझ रखा है? जब आकर मेरी चूत मैं अपनी उंगली करेगा या सब की मौजूदगी में मेरी चड्डी उतार के मुझे नंगा करेगा? शुक्र मना कि तेरे चाचा को नहीं पता चला. पहले भी तुझे बोला था मेरे साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं करना. मैं कोई ढाई रूपए वाली रंडी नहीं हूं जो तू मेरे साथ अपनी मनमानी करें. बेशर्म मुझे पेट से करना चाहता था ना तू. आइंदा मुझे छूना भी मत नहीं तो मैं पुलिस में जाऊंगी और तेरी शिकायत करूंगी. तू मेरी चूत के जितने मजे लेना चाहता था ले चुका. अब बस मेरी चड्डी पर ही मुंह मारना. भड़वा साला मुझे अपनी रंडी समझता है".
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jay
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Re: आजाद पंछी जम के चूस

Post by jay »

Excellent update , waiting for next update

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Re: आजाद पंछी जम के चूस

Post by naik »

very nice update mitr
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