Adultery The Innocent Wife​ (hindi version)

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rajan
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फ्लै शबैक जारी
अदिति ने कहा- “हाँ राकेश का खड़ा हो गया था और झपटा झपटी के दौरान कई बार उसने अपने लण्ड को रगड़ा था मेरी जांघों के बीच.."

जिस वक्त राकेश ने अदिति को बिस्तर पर उसके दोनों हाथों को दबाकर ब्लाक किया हआ था उसके गले और छाती को चाटते हुए उस वक्त, राकेश का पूरा जिश्म अदिति के ऊपर था, अदिति की नाइटी ऊपर कमर तक उठी हुई थे और राकेश का नीचे वाला हिस्सा अदिति के नीचे वाले हिस्से पर दबा हुआ था और उसका लण्ड पैंट के अंदर से ही अदिति के ठीक पैंटी पर चूत के ऊपर रगड़ भी रहा था। अदिति बिल्कुल उसके लण्ड को अपनी चूत पर रगड़ते हुए महसूस कर रही थी।

मगर राकेश के होंठों में खून देखकर थोड़ा चिहँक गई थी तो उस समय एक बुत की तरह पड़ी हुई थी बेड पर
और उस मौके का फायदा राकेश उठा रहा था, अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए उसको महसूस किए जा रहा था। और ऊपर अदिति के होंठ और मुँह चाट रहा था और सदमे की हालत में अदिति ने मुँह खोल भी दिए
थे। तो यह सब बताया अदिति ने विशाल को।

विशाल ने पूछा- “बिल्कुल ठीक, मुझे यह पता था की उसका लण्ड खड़ा हुआ होगा और उसने जरूर रगड़ा होगा तुम्हारी चूत के ऊपर। चलो ठीक है तो आगे बताओ क्या हुआ? कब वो कमरे से निकला और क्या तुम्हारे अंदर घुसने में कामयाब भी हुआ था..”

अदिति ने विशाल से कहा- “मैं थक गई हूँ। अब बाद में बताऊँगी.”

मगर विशाल ने कहा- “मैं अभी फ्री हूँ और पहले ही सो चुका हूं और अगर तुमने नहीं बताई तो आफिस में यह सब बातें मेरे दिमाग को चैन से नहीं काम करने देगी इसलिए अदिति को उसी वक्त सब बताना चाहिए..."

अदिति के पास और कोई चारा नहीं था बताने के अलावा। तो अदिति ने बताना चालू रखा
अदिति- “उस रात को राकेश बहुत ही उत्तेजित हो रहा था मेरे के जिश्म को महसूस करते हुए अपने नीचे और मैं किस को जवाब कर रही थी इसलिए राकेश की दोगुना मजा आने लगा था। तो राकेश ने धीरे-धीरे अपने एक हाथ को अपनी जिप पर ले गया और जिप खोलकर अपने लण्ड को बाहर किया। जिप की खुलने की आवाज को सुनकर मैं जैसे किसी सपने से जागी और झट से अपने दोनों घुटनों को ऊपर उठाते हुए राकेश की पोजीशन को बदल दिया। मैंने राकेश के जिश्म से अपने जिश्म का कांटैक्ट तोड़ दिया। मैंने अपने पैरों को मोड़ लिए राकेश के चेहरे में देखते हुए। राकेश ने नहीं सोचा थे की मैं अब भी मना करूंगी। उसने सोचा के उसने मुझको अपने रंग में रंग लिया था इतने देर में। मगर मुझ को वैसा करते देखकर राकेश थोड़ा मायूस हो गया और निराश भी, और उसके लण्ड पर भी असर पड़ा अदिति की उस बिहेवियर से जो धीरे-धीरे मुरझाने लगा। मेरी के जांघों के पास राकेश अपने घुटनों पर पड़ा हुआ था, तो उसने अपने लण्ड को हाथ में थामे हुए मुझको दिखाया। मैं उसके लण्ड को ही नर्म होते हए देख रही थी एक हल्की सी मश्कान के साथ। तब मैंने बेड पर बैठकर अपनी नाइटी को नीचे करके अपनी जांघों को ढंका और एक तकिये को अपनी पीठ से लगाकर आराम से बैठ गई बेड पर."

आतिति ने राकेश के लण्ड से नजर हटकर उसको देखा और कहा- “अब आप बाहर जाओ, बहुत कुछ कर लिया आज आपने, मगर कैसे बाहर जाओगे आप? आपको कैसे पता चलेगे, अगर कोई इस कम की तरफ देख रहा है आपके निकलते वक़्त? ओह माई गोड...”

मगर राकेश के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था उस वक्त, अपने लण्ड को हाथ में थामे हुए उसने कहा- “मैं बाहर नहीं निकलूंगा, बाहर तुमको निकलकर देखना होगा की कोई इस तरफ देख तो नहीं रहा, तब तुम खुद मुझको बाहर निकालने के लिए कहोगी जब कोई नहीं देख रहा होगा तब.."

तब अदिति बेड से उतर रही थी अपना गाउन पहनने के लिए, हाथ में उसे लिए।

राकेश ने उसको रोका यह कहकर- “रुको जानेमन... मगर एक शर्त है इससे पहले हम वैसा करें..."

अदिति ने उसके चेहरे में एक बार देखा, उसके घायल होंठ पर नजर दौड़ाते हुए जो थोड़ा सूजा हुआ दिख रहा था और कहा- “ओफफो अब क्या है?"

राकेश अपने हाथ में अपना लण्ड थामे हुए घुटनों के बल बेड पर अदिति के पास गया और कहा- "इसको चूसो बस चाँद मिनट के लिए, लेट्स से 3 मिनट। तब जाऊँगा इस कमरे से...”

अदिति ने अपने बाजू को मोड़कर अपने चेहरे के सामने किया और ना में सिर हिलाई दूसरी तरफ देखते हुए। उस वक़्त राकेश का गिरा हआ लण्ड बिल्कुल उसके चेहरे के पास था राकेश के हाथ में।

राकेश उसकी इनकार से बोला- “तो फिर ठीक है। मैं तुमको जबरदस्ती ही लेता हूँ जैसे कुछ देर पहले कर रहा था। वैसे शायद ज्यादा पसंद है तुमको ना?” और राकेश ने अदिति के दोनों हाथों को फिर से जकड़ा और बेड पर अदिति की पीठ के पीछे किया उसके हाथों को और उसके गाल और होंठों को चाटने लगा।

अदिति ने सोचा की उसकी इस जबरदस्ती को सहने से बेहतर होगा के उसके लण्ड को थोड़ा सा चूस लेती, तो अदिति ने कहा- “ओके ओके सिर्फ तीन मिनट... ठीक है?"

राकेश ने एक शैतानी मुश्कुराहट से अदिति को देखा और अपने पैंट और अंडरवेर को नीचे किया वैसे ही घुटनों के बल अदिति के बिल्कुल सामने बेड पर। अदिति को एक फ्लैशबैक की तरह वो दृश्य नजर आया की उसने कैसे लीना को इस लण्ड को चूसते हुए देखा था दिन में, राकेश को खुश करते हुए। यह सोचते हुए अदिति के मन में एक अजीब सी कशिश हुई। सेक्स की फीलिंग अचानक उसके मन में जागी और सोचने लगी की लीना को कितना मजा आया होगा। बिना शादी किए घर में ही जिश्म का सब सुख मिल जाता है उसको अपने बड़े भाई से ही।
rajan
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ऐसे सोचते हुए अदिति के जिश्म में एक उत्तेजना पैदा हुई और एक पल के लिए अदिति कन्फ्यू ज्ड हो गई खुद से, खुद के मन से, खुद की चाहत और जिश्म की फरमाइश से। उसको समझ में नहीं आ रही थी की क्या हो रहा है उससे उस पल। उसकी भावनायें बदल रही थी, ख्वाहिश में बदलाव आ रही थी, या उसको उसी पल से लीना से जलन सी हो गई थी, या राकेश को अपने करीब लाना चाहती थी वो भी, या राकेश को साबित करना चाहती थी की अदिति लीना से बेहतर है। ऐसे ऐसे खयालात आ रहे थे अदिति के मन में।

वो खुद को नहीं समझ पा रही थी और राकेश के लण्ड को अपने इतने करीब देखकर भी वो अपनी नजरों को नहीं हट पा रही थी लण्ड से। घूर रही थी उस लण्ड को जो मुरझाया हुआ था, लटका हुआ था राकेश के हाथ में। अदिति सोच रही थी क्यों उस वक़्त उसको गुस्सा नहीं आ रहा था, क्यों राकेश के लण्ड को अपने इतने करीब पाकर भी वो चुप है? क्यों उसको नफरत नहीं हो रही थी उस पल को?


अदिति ने लण्ड को हाथ से छुआ, फिर नजर उठाकर राकेश को देखा, फिर लण्ड को गौर से देखा। फिर सोचा की क्यों वो यह सब करने को राजी हो गई? क्या सिर्फ इसलिए की राकेश उसके कमरे से निकल जाए जल्दी से या कोई और बात थी? अदिति ने यह सब विशाल से कहा।

जब अदिति ने लण्ड को हाथ से छुआ तो राकेश का चेहरा खिल उठा और वो अदिति को देखने लगा और अदिति की उंगलियां धीरे-धीरे लण्ड के ऊपर फिरने लगी हल्के से। उसकी छुवन से लण्ड में हरकत होने लगी। लण्ड थोड़ा-थोड़ा उठने लगा। अदिति देखती रही। लगता था एक छोटा सा सोया हुआ हैवान धीरे-धीरे बड़ा हो रहा है। अदिति के चेहरे पर मुश्कुराहट आ गई उसको बढ़ते हुए देखकर। जितना वो लण्ड को छू और दुलार रही थी उतना ही वो बड़ा होता जा रहा था उसके हाथ में।

अदिति मुश्कुराती गई और बार-बार सिर उठाकर राकेश को देख रही थी मुश्कुराते हए। राकेश भी अदिति के चेहरे में देखता जा रहा था और वो समझ गया की अब अदिति लाइन पर आ गई है। राकेश को पहले से यकीन था की अदिति सब करने के लिए तैयार हो जाएगी, क्योंकी उसने लीना को लण्ड चूसते हुए देख लिया है। राकेश ने सोचा एक शादीशुदा जवान औरत जिसने अपने पति की जवान बहन को उसके बड़े भाई के लण्ड को चूसते हए देखा हो, उसके मन में सेक्सुअल खयालात जबरदस्त जागा होगा, और मन में कशमकश और अजीब सेक्सुअल फीलिंग्स आई होंगी। किसी ना किसी तरह से उत्तेजित हुई होगी अदिति वो सब देखकर। राकेश को यकीन था इसीलिए वो अपना चान्स मार रहा था अदिति के साथ।

राकेश ने तो सोच लिया था के अदिति भी 18 साल की है बिल्कुल लीना की तरह, तो अगर लीना यह सब करना पसंद करती है तो अदिति भी किसी तरह से लीना की हम-उम्र होते हए उसके भी मन में ऐसे चीजों के लिए चाहत तो होगी जरूर। और राकेश ने सोचा बहन और छोटे भाई की पत्नी भी मिल जाए चोदने को तो मजा ही मजा हो जाएगा उसके लिए।

फिर राकेश ने सोच लिया था की शुरू में शायद अदिति थोड़ा बहत नफरत करेगी, थोड़ी आना-कानी करेगी मगर
आखीर में वो जरूर चुदवाएगी उससे। ऐसा पूरा यकीन हो गया था राकेश को जिस वक़्त अदिति ने दरवाजा खोला था, जब लीना उसको चूस रही थी तभी। राकेश को खुद पर पूरा यकीन था इसीलिए वो आगे बढ़ा। अदिति ने अपनी उंगलियों को फेरते हुए राकेश के लण्ड को पूरा फार्म दे दिया, बिल्कुल तनकर खड़ा हो गया लण्ड और अदिति के दांत नजर आ गए उसकी मश्कराहट की चमक से।
अदिति को उस तरह मुश्कुराते देखकर।

राकेश ने फुसफुसाते हुए कहा- “ओके अब इस पर अपनी जीभ फेरो और धीरे-धीरे अपने मुँह में लो इसको। सब धीरे-धीरे करो कोई जल्दी नहीं."

अदिति ने राकेश के चेहरे में देखा, फिर वापस लण्ड को देखा, अपने होंठों को दाँतों में दबाया, फिर से राकेश के चेहरे में देखा और बिल्कुल नार्मल आवाज में पूछा- “यह विशाल से ज्यादा बड़ा इसलिए है, क्योंकी आप बड़े हो उमर में?"

राकेश को बहुत मजा आया और जवाब दिया- “विशाल का इतना बड़ा नहीं है? तुमको बड़ा पसंद है?"

अदिति मुश्कुराई और अपने कंधे को ऊपर किया जवाब में, फिर झुक कर जीभ निकाली लण्ड के ऊपरी हिस्से पर फेरने के लिए।

राकेश ने तभी कहा- “बोलो ना अदिति, क्या तुमको लगता है एक ज्यादा बड़े लण्ड से तुमको ज्यादा मजा आएगा? क्या हर बार विशाल के करने से तुमको मजा आता है? मेरा मतलब है तृप्त होती हो हर बार? आर्गेज्म आता है या वो सिर्फ खुद को प्लीज करता है?"

उस वक़्त अदिति का सभी गुस्सा गायब हो गया था और उसको लग रहा था की वो कुछ मामूली चीज कर रही है जो सही था। मगर उसको राकेश को जवाब देने में थोड़ी शर्म आ रही थी। फिर भी उसने कहा- “किसी दूसरे दिन आपको इस सवाल का जवाब दूंगी..."

तब अदिति ने अपनी जीभ को राकेश के लण्ड के ऊपर फेरा, जिससे राकेश की आअ निकली। फिर राकेश की
आवाज निकली- “सस्स्स्स ... हाँ..."

अदिति ने सिर उठाकर उसके चेहरे में देखा और धीरे से मुंह खोलकर लण्ड के ऊपरी हिस्से को मुँह के अंदर ले लिया। राकेश अपने लण्ड को पुश करने की कोशिश कर रहा था मगर अदिति ने मुंह बंद कर लिया था, उसके लण्ड को अपने मुँह में कैद करके। उस हिस्से को अदिति चूसने लगी मजे के साथ और बार-बार आँखें उठाकर राकेश के चेहरे में उसको मजा और आराम लेते हुए देख रही थी। अदिति ने दोबारा मुँह खोला लण्ड को और भी अंदर लेने के लिए, और राकेश ने कमर हिलाकर पुश करना चाहा और अंदर। और ठीक जब अदिति मुँह बंद करने जा रही थी चूसने के लिए दूसरी बार, तो अचानक अदिति ने दरवाजे के तरफ देखा।

अदिति ने तकरीबन चिलाते हुए कहा- “ओह माई गोड... दरवाजा लाक नहीं है। क्या होगा अगर अचानक लीना दरवाजा खोलकर अंदर आई तो? दरवाजा लाक होना चाहिए। इसी तरह मैंने तुम दोनों को देख लिया आज, अगर तुम लोगों ने दरवाजा लाक किया होता तो मुझे कुछ पता नहीं चलता तुम दोनों के बारे में, जाओ दरवाजा लाक करके आओ..."
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rajan
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राकेश ने धीरे से हँसते हुए कहा- “तुमको बल्की खुश होना चाहिए की हमने दरवाजा नहीं बंद किया था और तुमको लीना की ब्लोजोब देखने को मिला, और उसी की वजह से इस वक्त तुमसे मेरी यह अभी वाली मुलाकात हुई है ना हेहेहे?"

राकेश कमरे की दरवाजे के तरफ बढ़ा लाक करने के लिए, अपने लण्ड को हाथ में संभाले हुए और फिर अपने पैंट और अंडरवेर को निकाल फेंका उसने। उस वक़्त अदिति बेड पर बैठी थी और राकेश का पिछवाड़ा सहलाते हुए दरवाजे की तरफ जाते देखकर मुश्कुरा रही थी। जब राकेश दरवाजे को लाक करके वापस आने लगा अदिति के तरफ बढ़ते हुए उसने अपनी उंगली से अदिति को इशारा करते हुए अपना लण्ड दिखाया जिस पर प्री-कम की एक बूंद आ गई था। वो देखकर अदिति ने होंठ दाँत में दबाते हुए एक छोटी सी मुश्कान दी।

बेड के पास आकर राकेश ने एक पैर को उठाकर घुटने को बेड पर रखा और अदिति से उस प्री-कम को चाटने को कहा। अदिति ने सिर उठाकर राकेश के चेहरे में देखा मगर सिर को ना में हिलाया। पर राकेश ने एक हाथ

से अपने लण्ड को पकड़े रखा और दूसरे हाथ से अदिति का सिर थामकर उसको अपने लण्ड पर झुकाया और अदिति ने मुँह बंद कर लिया, तो प्री-कम उसके होंठ और गाल पर रगड़ा राकेश ने। अदिति थोड़ी नाराज हुई और तिरछी नजरों से राकेश को देखा।
राकेश का लण्ड फिर से मुरझाने लगा तब राकेश ने कहा- “ओके देखो फिर से यह मुरझाने लगा, अब इसको दोबारा खड़ा करो तुम..”

पर अब अदिति नखरे दिखाने लगी जानबूझ कर और तड़पाने लगी राकेश को। वो लण्ड को अब छू भी नहीं रही थी और राकेश नर्वस होने लागा।

राकेश ने कहा- “देखो वक़्त इंतेजार नहीं करता। अभी विशाल वापस आ जायेगा, जल्दी करो डार्लिंग..”

मगर अदिति बिस्तर पर खामोश बैठी रही। और दोनों को बाहर लाउंज में आवाजें सुनाई देने लगीं, सब टीवी स्विच आफ करके अपने-अपने कमरे में जाने लगे थे। लाउंज में से आते हुए आवाज को सुनकर साफ जाहिर हो गया दोनों को की टीवी आफ हो गई और सब जा रहे हैं।

अदिति ने फिकरमंद होते हुए कहा- “ओह माई गोड... अब लीना यहाँ आएगी मुझको गुड नाइट विश करने हर रात को वो आती है सोने से पहले, अब तुम जल्दी से छुप जाओ वो तुमको देख लेगी, जल्दी कपड़े पहनो और छुपो कहीं.”

राकेश ने कहा- “मगर दरवाजा तो लाक है अंदर से, उसको कुछ पता नहीं चलेगा। वो समझेगी की तुम सो गई हो। फिकर की कोई बात नहीं..."

अदिति जल्दी से बेड से उतरकर अपनी नाइटी के ऊपर वाला गाउन पहनते हुए कहा।

अदिति- “नहीं मैं दरवाजे को खोलने जा रही हूँ, वरना लीना सोचेगी की क्यों मैंने लाक किया है? जबकी विशाल अभी आने वाला है, और यह दरवाजा कभी भी लाक नहीं रहता रात भर विशाल के वापस आने पर भी। देखो अब तुम क्या करोगे मैं खोल रही हूँ..." और अदिति ने सच में दरवाजे को जाकर खोल दिया।

अंदर से वह लोग बाहर की आवाज को सुन पा रहे थे वो अपने कमरे के तरफ जाते हुए लीना से कुछ कह रहा था, और राकेश की डैड ने कहा- “विशाल नहीं आया है, सामने वाले दरवाजे को लाक मत करना और किचेन की लाइट ओन रहने देना, अदिति विशाल को डिनर सर्व करने जाएगी..”

राकेश के पास और कोई चारा नहीं था और झट से अपने कपड़े पहने उसने और छुपने की जगह ढूँढ़ने लगा। कपड़े पहनने के बाद उसने अदिति के चेहरे में देखते हुए धीरे से पूछा- “कहाँ छुपूं अब?”

अदिति ने फुसफुसाते हुए कहा- “पता नहीं.."
rajan
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तभी अदिति ने दरवाजे से अपने कान लगाकर सुना और जल्दी से राकेश से कहा- “लीना टायलेट गई है, मैं दरवाजा खोलकर चेक करती हूँ। अगर कोई नहीं होगा तो तुम जल्दी से निकल जाना ओके?” फिर अदिति ने दरवाजे को थोड़ा सा खोलकर लाउंज के तरफ झाँका तो देखा की दीपक अपने कमरे का दरवाजा बंद कर रहा है
और लीना टायलेट की तरफ जा रही है। ससुर का कमरा आलरेडी बंद था, लाउंज का लाइट आफ थी और किचेन में लाइट ओन थी।

अदिति मुड़कर वापस राकेश को देखती है जो उस वक़्त कमरे के एक कोने में खड़ा अदिति के बोलने का इंतेजार कर रहा था और अदिति ने उससे कहा- “ओके जल्दी, जल्दी निकलो कोई नहीं है जल्दी करो फटाफट
आउट...”

राकेश को ना चाहते हुए भी मजबूरन निकलना पड़ा। वो दरवाजे के तरफ बढ़ा जहाँ अदिति ने दरवाजे का हैंडल पकड़ी हुई आधा दरवाजा को खोलकर खड़ी हुई थी बाहर झंकते हुए। राकेश वहाँ रुका, अदिति को किस किया
और कहा- “कोई बात नहीं जानेमन, फिर कभी तुमको पा लूँगा, बेहद नमकीन हो तुम...” और राकेश कमरे से निकलते हुए अदिति के गाल और होंठ को चाट।

अदिति ने एक लंबी साँस लेते हुए राकेश के थूक को अपने गाल और होंठों से साफ किया और खुद से कहा "अफफ्फ... आज तो बच गई मैं... पता नहीं क्या होता अगर लीना आजातौ तो... ओह गोड.."

अपने बिस्तर पर वापस जाकर अदिति सब बीते हुए लम्हों को सोचने लगी। उसके दिल की धड़कन तेज हो गई और पशीने छूट पड़े। फिर यह सोचते हुए की उसने थोड़ी देर पहले क्या कया वो हँस पड़ी। खुद वो यकीन नहीं कर पा रही थी की उसने राकेश के लण्ड को अपने मुँह में लिया था कुछ देर पहले। सोचने लगी किस तरह से उसने राकेश के मोटे, लंबे लण्ड को अपने नाजुक हाथों में थामा था और तुलना करने लगी विशाल के लण्ड को सोचकर। अदिति को याद आया की राकेश ने पूछा था क्या विशाल का लण्ड उतना मोटा नहीं है जितना उसका? तो खुद से अदिति ने बात करते हए कहा- "मैं उसको कैसे बता सकती थी अपने पति के औजार के बारे में?

हाँ सच में विशाल वाला उतना बड़ा नहीं है जितना राकेश का है। मगर सोच रही हैं क्या ज्यादा बड़े लण्ड से मुझको ज्यादा मजा आएगा? मुझे कैसे पता चलेगा? मुझको तो कोई अनुभव नहीं है किसी और लण्ड का? क्यों राकेश ने मुझसे वो सवाल किया क्यों? मुझे कैसे पता चलेगा की मुझको ज्यादा बड़ा वाला ज्यादा पसंद आएगा या नहीं? लीना राकेश का मोटा लण्ड अपने अंदर लेती है तो क्या उसको मुझसे ज्यादा मजा आता होगा जो मुझको विशाल से मिलता है? इसका पता कैसे लगाऊँ मैं? क्या लीना से पूछ? मगर लीना को कैसे पता चलेगा? उसने तो विशाल का लण्ड नहीं ट्राई किया। ओह्ह... नो? मगर क्या पता की लीना ने विशाल से भी किया हो?

क्या पता की मुझसे शादी करने से पहले विशाल ने भी लीना से सब सीखा हो? और क्या पता की वो भी दोनों भाइयों से करती है? क्या ऐसा हो सकता है? नहीं बिल्कुल नहीं मुझे पता होता अगर विशाल भी लीना के साथ करता तो? लीना बस आने ही वाली है यहाँ आज तो इनडाइरेक्टली उससे सवाल पूछंगी। आज लीना को कुछ तो बताना होगा, आने दो उसे...”

और कुछ देर बाद लीना ने दरवाजे को नाक किया और इससे पहले की अदिति जवाब देती लीना अंदर घुस चुकी थी। यह उसकी आदत थी किसी भी वक्त अदिति के कमरे में आ जाती थी। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे
और प्यार था दोनों के बीच। लीना मुश्कुराते हुए अदिति के बेड तक आई और उसके पास बैठकर बोली।

लीना- “हम्म... मुझे पता था की आप नहीं सो रही हो, पर आपने मूवी क्यों नही देखा आखीर तक? क्यों चली आई? बहुत अच्छी मूवी थी भाभी। क्या हुआ आप विशाल भाई को मिस कर रही हो हाँ? बोलो बोलो..” लीना अदिति से छेड़खानी करने लगी हमेशा की तरह। दोनों हँस रहे थे।

फिर कुछ देर बाद अदिति ने लीना से पूछा- “लीना तुमने कभी किसी से प्यार किया है?"

लीना का चेहरा लाल हो गया और अपनी भाभी के चेहरे में देखते हुए कहा- “अचानक यह सवाल क्यों भाभी? क्या आपको पाता नहीं होता अगर मैं किसी को चाहती तो?” और यह कहकर लीना जोर से हँसने लगी अदिति की आँखों की गहराई में देखते हुए।
अदिति ने लीना के चेहरे पर देखते हुए यह पूछने की जुर्रत कर लिया- “ओके... तुम किसी को प्यार नहीं करती, मगर मैं तुमसे कुछ ऐसी बात पूछने जा रही हूँ जो तुमको अजीब लगेगा शायद। फिर भी क्योंकी हम अच्छे दोस्त हैं तो उम्मीद है की मुझसे शेर करोगी और कुछ छुपाओगी नहीं, और मैं वादा करती हूँ की बात सिर्फ हम दोनों के बीच ही रहेगी ओके?"


लीना थोड़ा हैरान हुई मगर प्यार से जवाब दिया- “हाँ भाभी, आपको सब ईमानदारी से सच-सच बताऊँगी आप पूछिए..."
अदिति ने एक लंबी साँस लेते हुए लीना की आँखों में देखते हुए पूछा- “क्या तुमने कभी सेक्स किया है? अभी तक कुँवारी हो या?”

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