Adultery The Innocent Wife​ (hindi version)

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rajan
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कड़ी_77 अदिति की लीना से पूछताछ

लीना का यह सुनकर चेहरा लाल हो गया, सिर को नीचे झुका लिया उसने। सिर उठाकर अपने भाभी के चेहरे में देखा फिर एक तरफ देखने के बाद एक गहरी साँस लिया जवाब देने से पहले।

लीना की अदिति से इतनी गहरी दोस्ती थी के हालांकी लाल पीली हो रही थी। लेकिन उसको बिल्कुल झिझक नहीं हुई उसको जवाब देने में। अपने चेहरे की टेन्शन को तोड़ते हुए बचकानी आवाज में लीना ने कहा “ओफफो... भाभी क्यों और कैसे आज यह सवाल आया आपके मन में? क्या मेरे जिश्म से पता चल रहा है की मैं कुँवारी नहीं हूँ क्या?”

अदिति ने मुश्कुराते हुए उससे कहा- “बहाना मत बनाओ, मुझे जवाब चाहिए अभी इसी वक़्त..."

लीना- “ओके बाबा, बताती हैं। मगर आप पहले प्रामिस करो की बात हमारे बीच सीक्रेट रहेगी तब बताऊँगी सब कुछ "
अदिति ने प्रामिस किया के किसी को नही बताएगी।

लीना ने कहा- “नहीं भाभी, मैं कुँवारी नहीं हूँ.” ।

अदिति को तो पहले से पता था मगर चकित होने का नाटक किया उसने और पूछा- “हे भगवान्... कुँवारी नहीं हो तुम? तो तुम मेरी दोस्त हो ना तो बताओ मुझे कौन है वो जिसके साथ सेक्सुअल रिलेशन्षिप रखती हो?"

अब लीना को झूठ तो बोलना था, क्योंकी राकेश का नाम तो नहीं ले सकती थी ना अपनी भाभी के सामने, लीना ने एक पाज लिया फिर फुसफुसाते हुए कहा- “मेरा एक बायफ्रेंड है भाभी, जब सिलाई के लिए जाती हूँ ना, तो हम छुप-छुपकर मिलते हैं..”

अदिति- “तुझ जैसी खूबसूरत लड़की की एक बायफ्रेंड होना सही है बिल्कुल। मगर तुम उसको घर क्यों नहीं लाती हो? हम तुम्हारा शादी करवा सकते हैं उसके साथ...”

लीना को फिर झूठ बोलना पड़ा- “नहीं भाभी एक प्राब्लम है, वो शादीशुदा है फिर भी हम एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं, तो हमको ऐसे ही छुप-छुपकर मिलना पड़ेगा और ऐसे ही अपना रिश्ता बरकरार रखना पड़ेगा अब...”

अदिति हैरान रह गई जिस तरह से लीना अपने बड़े भाई को बचा रही थी झूठ बोलते हुए। फिर अदिति ने यह भी सोचा के कहीं सच में कोई और तो नहीं है, जिससे लीना मिलती रहती है सिलाई के लिए जाते वक्त। पर अदिति ने डिसाइड किया की उससे और ज्यादा सवाल नहीं करना बेहतर होगा, और अदिति ने यह उम्मीद रखा की खुद-बा-खुद लीना अपने आप और कुछ बताएगी वक्त आने पर।

मगर उस रात को इस बारे में ज्यादा बात नहीं हुई। क्योंकी लीना ने कहा- “मुझको नींद आ रही है...” और अदिति को गुडबाइ किस करके अपने कमरे में चली गई सोने।

दिन गुजरते गये और अदिति ने कई बार लीना को राकेश के साथ देखा। राकेश जानबूझ कर अदिति को दिखा कर लीना को अपने कमरे में ले जाता था चोदने के लिये, और फिर अदिति को अकेली पाते ही हर बार राकेश उसको लपेटता था, रगड़ता था, चूचियां मसलता था और तंग किया करता था उसे।

अदिति अपने आपको उससे अच्छी तरह से बचाती रहती थी, नये-नये पैंतरे बनाती थी नेहा उससे दूर भागने की। फिर भी जब भी कोई मौका हाथ आता था तो राकेश अदिति को छोड़ता नहीं था। मगर चूमने चाटने के अलावा कुछ नहीं कर पाया था। हर वक्त अदिति उसके चंगुल से भाग निकलती थी।

वैसे एक रात को 11:30 बजे राकेश ने अदिति का कमरा खोला क्योंकी विशाल उस रात को लेट आने वाला था। अदिति अपनी पतली सी नाइटी में हमेशा की तरह बिना ब्रा के सो रही थी। वो चिहँक कर बेड से उत्तरी जब उसने राकेश के हाथ को अपने जिश्म पर फेरता हआ महसूस किया। और राकेश से बाहर जाने के लिए कहा।

राकेश ने शैतानी मुश्कुराहट से कहा- “चलो मेरे साथ, मैं तुमको कुछ दिखलाना चाहता हूँ..”

अदिति बोली- “नहीं मैं आपके साथ कहीं नहीं आने वाली, आप जाओ यहां से प्लीज.."

राकेश उसके करीब गया जहाँ वो अपने सजने वाले आईने के पास पीठ किए खड़ी थी और कहा- “ओके अगर तुम लीना को एक बहुत अच्छी लड़की समझती हो और यह सोचती हो की सिर्फ मैं उसके साथ जिस्मानी तालुकात रखता हूँ तो चलकर देखो की किसके साथ और वो यह सब करती है?"

अदिति ने यह सुनकर जानना चाहा तो राकेश के पीछे नंगे पैर चलने लगी। दोनों अंधेरे कारिडोर में चलते जा रहे थे।

राकेश ने पीछे मुड़कर फुसफुसाते हुए अदिति से कहा- "बिल्कुल शोर मत करना, अगर कुछ कहना हो तो बिल्कुल धीरे से फुसफुसाते हुए कहना.."

अदिति की दिल की धड़कन तेज हो गई और साँसें जैसे थम गई। फिर भी राकेश के पीछे बढ़ती गई। यह सोचते हये की लीना के कमरे की तरफ जा रही थी। मगर वो हैरान हई राकेश को अपने पिता के बेडरूम के पास रुकते हुए देखकर। अदिति ने राकेश को किचेन से आती हुई लाइट में देखा, किचेन के लाइटें ओन थी क्योंकी विशाल वापस नहीं आए थे। राकेश ने फिर मुड़कर अदिति को देखते हुए अपने होंठों पर एक उंगली रखकर खामोश रहने के लिए इशारा किया। राकेश की एक सीक्रेट जगह थी जहाँ से अपने पिता के कमरे के अंदर झाँक सकता था। वहाँ रुक कर राकेश ने अंदर झाँका और फिर अदिति को झाँकने को कहा।
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अदिति दो कदम आगे बढ़ी और उसके चेहरे में देखते हुए फुसफुसाते हुए कहा- “क्या बात है? पहले मुझे बताओ फिर देवूगी...”

राकेश ने कहा- “अपनी लीना को आक्सन में देखो तो जानेमन...”

अदिति नेचकित होते हुए कहा- “क्या? तुम मजाक कर रहे हो ना? चाहते हो की मैं वहाँ आऊँ ताकी तुम मेरे ज्यादा करीब हो सको, है ना?"

राकेश मुश्कुराया फिर कहा- “ओके। देखो मैं एक मीटर की दूरी पर खड़ा रहता हूँ। तुम इस छेद से अंदर झाँक कर तो देखो क्या नजारा है?"

अदिति आगे बढ़ी और उस दीवार पर किये गये छेद से एक आँख बंद करके दूसरी आँख लगाकर अंदर अपने ससुर के कमरे में देखने लगी। अदिति को बहुत बड़ा झटका लगा यह देखकर की उसका ससुर लीना को चोद रहा था। लीना की दोनों टाँगें फैली हुई थी, और उसके पिता का मोटा लण्ड उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था, लीना की दोनों बाहें अपने पिता के कंधे पर जोर से जकड़े हए थी, और लीना सिसकारियां छोड़ रही थी अपने पिता के मुँह को चूमते हुए।

अदिति को चक्कर सा आने लगा, अपनी हथेली को दीवार से लगाए खड़ी थी और अचानक पीठ के बल जैसे गिरने जा रही थी तो जल्दी से राकेश ने उसको पीछे से थामा। अदिति जैसे ही राकेश की बाहों में गई तो एक कांपती आवाज में अदिति ने कहा- “मुझे चक्कर आ रहा है, पैर काप रहे हैं, नहीं चल पाऊँगी। मुझे अपने कमरे में वापस ले चलो प्लीज.."

राकेश को लगा की उसको जैकपाट मिल गया और खुशी से अदिति को अपनी बाहों में उठाया और बच्चे की तरह उसको अपनी गोद में उठाकर अदिति के बेडरूम की तरफ चलने लगा। अदिति ने अपनी बाहों को राकेश के गले में डाल दिया था, सपोर्ट के लिए और राकेश अदिति के गले पर उसकी खुशबू को सूंघ रहा था, और उसके बालों से भी खुशबू आ रही थी जो खुले हुए लटके लहरा रहे थे चलते वक्त।
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कड़ी_78 राकेश अदिति के बेडरूम में
जल्द ही अदिति बिस्तर के ऊपर थी। राकेश ने उसे एक बच्चे की तरह उठाकर बेड पर लेटाया, तकिये को उसके सिरहाने लगाकर।

अदिति एक लंबी साँस लेने के बाद फुसफुसाते हुए बोली- “यकीन नहीं आ रहा मुझे, कब से यह सब चल रहा है इस घर में भला?"

राकेश उसके बगल में बेड पर बैठा और उसका सिर सहलाते हुए जैसे उसको दिलाशा देते हुए कहा- “इतना फिकर करने की कोई बात नहीं मेरी जान, यह सब जिंदगी का एक हिस्सा है, जो होना था सो हआ है। अब हमको आगे बढ़ना चाहिए। सब कुछ बिल्कुल नेचुरल है जो भी हुआ है.."

अदिति ने राकेश के चेहरे में देखते हुए जवाब दिया- “आप इस सबको नेचुरल कहते हो? एक बाप अपनी बेटी को चोद रहा है और यह नेचुरल लगता है आपको? मुझे घिन आती है..."

राकेश ने मुश्कुराते हुए कहा- “बस एक बार आदत हो जाए तो देखना तुमको भी सब बिल्कुल नार्मल लगेगा, जैसे मुझे। मेरा यकीन करो यह नेचुरल है, नेचर का नियम है सब। औरत मर्द के लिए बनी है, मर्द औरत के लिए, फीमेल और मेल, तो क्यों फरक होना चाहिए की बेटी है, बहन है, माँ है या कोई भी? एक फीमेल और एक मेल साथ मिलते हैं प्यास बुझाने के लिए, जिश्म की आग को ठंड करना के लिए। बस यही तो बात है?"

अदिति- “बकवास। मुझको फुसलना बंद करो। मुझे पता है आप क्या चाहते हो मुझसे। इसीलिए ऐसा कह रहे हो आप, वरना आपको अच्छी तरह से पता है की मैं क्या कहना चाह रही हूँ..”

राकेश ने अपने दाँतों को दिखाया और अपने एक हाथ को अदिति के घुटनों से सहलाते हुए अदिति की जांघों के ऊपर हाथ ले गया उसकी पतली नाइटी के नीचे, तो अदिति ने अपने हाथों को उसके हाथ पर रखा उसको आगे बढ़ने से रोकते हुए। राकेश को लगा की सब गड़बड़ हो रहा है, उसने ऐसा कुछ नहीं चाहा था। उसने तो सोचा था की लीना को अपने बाप से चुदते हुए देखकर अदिति गरम हो जाएगी और खुद को राकेश के हवाले कर देगी। मगर यहाँ तो अदिति बहुत सीरियस हो गई थी और बहुत परेशान लग रही थी। राकेश ने किसी और तरीके से हालात को बदलने की कोशिश की।

राकेश ने टापिक बदलते हए कहा- "विशाल आज ज्यादा देर से आने वाला है क्या? इस टाइम को तो आ जाता है ना?"

अदिति ने जवाब में कहा- “वो आज अपने एक-दोस्त की सालगिरह की पार्टी में गया है और रात के दो बजे तक वापस आएगा कह गया है...” और यह बताने के बाद अदिति को खयाल आया की उससे गलती हो गई

राकेश को सब सच-सच बताकर की विशाल कितनी रात को वापस आने वाला था।

वो इतनी खोई हुई थी अपने ससुर को लीना के साथ देखकर की उसको पता ही नहीं चला की वो राकेश को क्या जवाब दे रही थी। मगर देर हो चुकी थी और राकेश को अब सच का पता चल चुका था की विशाल रात को दो बजे आएगा। उस सच को जानकर बेशक राकेश बहुत खुश हुआ, और वो अदिति की छाती को देख रहा था। उसकी चूचियां ऊपर-नीचे हो रहे थी, उसकी तेज दिल की धड़कनों के साथ।

अदिति ने राकेश की नजरों को अपने छाती पर देखते हुए आहे भरते हुए एक गहरी साँस लिया और उसके चेहरा का रंग बिल्कुल लाल हो गया। बेड पर बैठे हुए ही राकेश ने झुक कर अदिति के गाल पर किस करना चाहा मगर क्योंकी अदिति ने अपना चेहरा एक तरफ कर लिया जब देखा की वो उसको किस करने आ रहा है, तो राकेश के होंठ अदिति के कान के नीचे रगड़ाये और आखीर में उसने अदिति के गले के पी

अदिति ने तब तक करवट बदली और राकेश की तरफ अपनी पीठ कर लिया। क्योंकी वो नहीं चाहती थी की उसकी क्लीवेज राकेश के सामने वैसे एक्सपोज रहे। मगर अदिति शायद भूल गई थी की वो उस वक़्त अपनी नाइटी में है और उसकी पीठ क्लीवेज से बहुत ज्यादा एक्सपोज़्ड है, बहुत ज्यादा नंगी है पीछे। राकेश उसकी पीठ को निहारने लगा। उसकी नर्म, मुलायम सफेद और गुलाबी रंग की मिलावट से आकर्षित करते हुए पीठ तकरीबन उसकी कमर तक दिख रही थी, जिसको देखकर राकेश का लण्ड हिचकोले खाने लगा उसकी पैंट के अंदर। उसके जवान जिश्म की रंगत, उसके नर्म गोश्त से भरी हए कांख के साइड के हिस्से, उसकी नाइटी के स्ट्रैप्स उसकी पीठ को और भी ज्यादा सेक्सी दिखा रही थी। उसके जांघे जिस पर उस वक़्त नाइटी और उसकी पैंटी की डिजाइन भी नजर आ रही थी।

राकेश यह सब निहारते हुए, सहन नहीं कर पाया और उसने अपने होठों को हल्के से अदिति की पीठ पर फेरना शुरू किया। वो उसकी कमर से लेकर ऊपर की तरफ बढ़ते हुए अपने होंठ बढ़ा रहा था। अदिति के रोंगटे खड़े हो गये राकेश के होठों को अपनी पीठ पर उस तरह से फेरते हुए महसूस करके।

अदिति ने झट से गर्दन मोड़कर राकेश के चेहरे में देखते हुए गंभीररता से कहा- “प्लीज आप जाओ अब मुझे नींद आ रही है, और बहुत बेचैनी हो रही है मुझे। मुझे आराम करना है जाओ आप.'

राकेश ने अपनी हथेली को उसके पीठ पर सहलाते हुए कहा- “मैं ऐसे हसीन मौके को कैसे हाथ से जाने दे सकता हूँ जानेमन? मैं कितने दिनों से तुमको पाना चाहता हूँ, और आज एक बेहतरीन मौका है अरमान पूरा करने का,
तो हम दोनों को इस मौके का भरपूर फायदा उठना चाहिए। तुमको बेचैनी हो रही है कहा ना? बस अपने आपको मेरे हवाले कर दो और देखो कैसे पल भर में तुम्हारी बेचैनी को उड़ा देता हूँ और देखना कितनी हसीन रात गुजरेगी उसके बाद। मैं गारंटी देता हूँ की बहुत एंजाय करोगी..”

अदिति ने गुस्से में तकरीबन चिल्लाते हुए जैसे गुर्राय...- “आप निकलते हो या मैं चिल्लाऊँ? मैं अभी चिल्लाकर सबको इस कमरे में एकट्ठा करती हूँ, तमाशा बनना चाहते हो आप? निकलो वरना मैं सबको चिल्लाकर बुलाती हूँ अभी के अभी..”

राकेश की समझ में आ गया की अब उससे बहस करना बेकार है और गुस्से में कमरे से निकलने के लिए बेड से खड़ा हुआ और दाँत पीसते हुए कहा- “सती सावित्री बनने की कोशिश मत करो, आज नहीं तो कल तेरी चूत का रस जरूर पियूँगा कुतिया कहीं की..”

अदिति को कुतिया नाम सुनकर बहुत गुस्सा आया और अपने बिस्तर से एक शेरनी की तरह राकेश पर झपटी। तब तक राकेश दरवाजे तक पहुँच रहा था, अदिति ने राकेश के बाजू को पकड़ा और गुस्से में उसको बहुत जोर से दाँत काटा, अपने सभी दाँतों को बहुत ही जोर से अदिति गड़ाती गई राकेश के बाजू के ऊपर कंधे के पास। राकेश के मुँह से आss निकली मगर अदिति नहीं रुक रही थी वो दाँत गड़ाती जा रही थी गुस्से में। वैसा करने से अदिति को झुकना पड़ा था जिससे उसकी दोनों चूचियां लटकी दिखाई दे रही थीं उसकी नाइटी के अंदर, कंधे से एक स्ट्रैप सरक चुकी थी तो एक चूची जैसे नाइटी के बाहर निकलने वाली हो।

राकेश उस दर्द को नहीं महसूस कर रहा था जो अदिति के दाँतों से उसके शरीर पर हो रहा था, बल्की वो उस वक़्त अदिति की चूचियों को निहारे जा रहा था, 18 साल की जवान चूचियां, सख़्त भी और मुलायम भी। अब क्योंकी अदिति ने राकेश का हाथ अपने दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था, तो राकेश ने अपने दूसरा हाथ से सीधे
अदिति की चूचियों को मसललना शुरू किया। उस पल अदिति गुस्से से लाल थी और खयाल भी नहीं कर पाई की राकेश उसके साथ क्या कर रहा है।

यह सब बस कुछ पल में हुवाआ, बस चंद सेकेंड में। और जब अदिति ने अपनी जीभ पर खून के कतरे महसूस किए तो वो अचानक रुक गई दाँत काटना, और राकेश के बाजू को देखने लगी जहाँ उसने दाँत काटा था।

अदिति को यकीन नहीं आ रहा था कझ उसने राकेश के शरीर पर अपने दाँतों से छेद कर दिया। उस जगह पर अदिति के सारे दाँतों के निशान थे और 4 छेद थे, जिसमें से खून बूंद-बूंद करके निकल रहा था।

अदिति डर गई वो देखकर, सिर उठाकर राकेश के चेहरे में देखा और सहम सी गई, उसके रोंगटे खड़े हो गये। उसने जिंदगी में पहले किसी को ऐसे नहीं काटा था। यह जिंदगी में पहली बार थी। अदिति का चेहरा फीका पड़
गया और फिर तब उसने खयाल किया की राकेश का एक हाथ उसकी चूचियां मसल रहा था। तब जल्दी से अदिति ने अपने दोनों हाथों को राकेश के हाथों पर रखा, अपने छाती के ऊपर।

अदिति ने हॉफते हुए कहा- “मैं कोई कुतिया नहीं हूँ, फिर कभी मुझे ऐसा मत कहना, मैं लीना नहीं हूँ.."

राकेश ने अपने घायल बाजू को अदिति के कंधों पर करते हुए उसको अपने छाती पर चिपकाया और अदिति की चूचियां राकेश की छाती पर कुचल रही थीं उस दौरान। क्योंकी तब राकेश खुद अपने बाजू से निकले खून को चूस रहा था खून के बहाव रोकने के लिए।

राकेश ने अदिति के मुंह को एक हाथ से दबाकर खोला और अपनी जीभ पर लगे खन को अदिति की जीभ पर लगाया और उसको वैसे ही किस किया। अदिति किस नहीं कर रही थी, मगर जिस तरह से राकेश ने उसको जकड़ा और दूसरे हाथ से उसके मुँह को खोला, मजबूरन उसको किस करनी पड़ी। और हाँ अदिति को खून की नमकीन लज्जत महसूस हुई अपनी जीभ पर। अदिति हॉफती जा रही थी और उसने देखा की उसकी नाइटी और कंधे पर खून लगा हुवा था राकेश के घायल बाजू से, किस और प्रतिरोध करते वक़्त। राकेश तब तक अदिति को बिस्तर की तरफ खींच रहा था। अदिति खुद खिंची जा रही थी उस पल को, जैसे राकेश ने उसपर कोई जादू टोना किया हो। राकेश को घायल करने के खयाल ने अदिति को कमजोर कर दिया।

अदिति ने एक नर्म पतली सी आवाज में कहा- “दुख रहा है? ज्यादा दर्द हो रहा है क्या? ठहरो मैं रूई और आंटिसेपटिक लाती हूँ, इंतेजार करो..."

अदिति तेजी से एक दराज तक गई और रूई और आंटिसेपटिक की एक शीशी लेकर आई। राकेश बेड पर बैठा हुआ था। और तब तक अदिति का गुस्सा ठंड हो गया था, वो फिर से नार्मल हो गई थी बिल्कुल। उस वक्त वो कितना खयाल रख रही थी राकेश का। उसके पास बैठी वो, रूई को आंटिसेपटिक से भिगोया और दाँत काटे हए हिसे पर धीरे-धीरे लगाया। राकेश को जलन महसूस हुई तो धीरे से चिल्लाया, तो जल्दी से अदिति उसपर फूंक मारने लगी।

राकेश उसको देख रहा था की किस तरह से केयरिंग थी वो उस वक्त। जब अदिति वो सब कर रही तो राकेश ने अपने दूसरे हाथ को अदिति के कंधे के ऊपर करके उसको अपने सीने से लगा लिया था, उसके सीने पर अपना सिर रखे हुए अदिति उसके घायल हाथ पर दवा लगा रही थी। उसकी चूचियां आधा राकेश की छाती पर दबी हुई थी और आधा राकेश के रिब्स पर। मतलब अदिति जिस दौरान राकेश के घायल हाथ का खयाल कर रही थी उस पल वो राकेश की बाहों में थी।

जब अदिति ने दवा लगा दिया तो रूई को उसी जगह दबाए रखा और खुद को राकेश की बाहों में ही रहने दिया नीचे जमीन पर ताकते हुए। तब राकेश ने उसके बाल को एक हल्के से फूंक से उड़ाया जो अदिति के चेहरे पर
थे। अदिति ने तब अपने होंठों को दाँतों में दबाया, फिर राकेश ने अपनी जीभ को अदिति के कान के नीचे फेरा और अदिति सिमट गई, काँप गई। उस पल लग रहा था जैसे अदिति एक जंगली जाअंवर थी जिसको राकेश ने अभी-अभी काबू में किया था। और अब राकेश उस जानवर का मास्टर बन गया था, लगता था जो उससे कहा जाएगा वही करेगी अब वो।
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rajan
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राकेश अदिति के कमरे में उसके बगल में ही रहा कुछ देर तक अदिति वहीं रही बिना हिले-डुले, और उसने राकेश का हाथ महसूस किया जो खुद के कंधों पर था पर अब पेट पर फेरते हुए धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ रहा था। इतना कुछ गुजरने के बाद अदिति के पास ना तो हिम्मत थी ना जोर की उसको कुछ कर सके इस बार। अदिति खुद को अपराधी महसूस कर रही थी की उसने राकेश के बाजू पर इतना बड़ा जख्म दे दिया। अपनी जंदगी में अदिति कभी भी इतना जंगली नहीं हुई थी किसी के भी साथ। वो खुद से बहुत हैरान थी और अपने आपको कोस रही थी, अफसोस कर रही थी, के उसने ऐसी हैवानी हरकत के लिए, राकेश का खून बहाकर। जब राकेश का हाथ अदिति की चूचियों तक पहुँचा, तो उसने अपने चेहरे पर लाली के साथ राकेश के चेहरे में देखा।

अदिति ने धीमी आवाज में कहा- “अब विशाल का आने का वक्त हो गया है...” उसकी दिल की धड़कन तेज हो रही थी और वो गहरी सांसें ले रही थी।

राकेश ने बिना जवाब दिए अपने हाथ को चलाता रहा और ऊपर तक, हालांकी अदिति ने अपने मुट्ठी में उसका हाथ पकड़ा हुआ था। जब राकेश ने अपने हाथ में अदिति की नरम चूची को महसूस किया, तो वो बहुत उत्तेजित हो गया और अदिति को किस करना चाहा उसकी चेहरे को, अपने मुँह के पास लाते हुए।

मगर अदिति ने अपना चेहरा एक तरफ करते हुए फिर से कहा- “अफफ्फ... विशाल आने वाला है अब कहा ना?"

राकेश का मुँह तब तक उसकी चूचियों तक आ गया था और उसने अपने होंठों को उसकी मुलायम चूचियों पर हल्के से दबाया ही था की अदिति काँपते हुए, उठ खड़ी हुई। उसकी दिल की धड़कन, और उसकी तेज सांसें
सुनाई दे रही थीं राकेश को। राकेश भी खड़ा हो गया अदिति के साथ और उसका जिश्म अदिति के जिश्म से चिपका हुआ था उस वक़्त। तो राकेश ने अदिति को बाहों में कसके जकड़ा और किस करने जा रहा था।

अदिति ने बड़बड़ाते हए धीमी आवाज में कहा- “नहीं, यह बिल्कल ठीक नहीं है..."

अदिति उस वक्त छोटी-छोटी सांसें जल्दी-जल्दी ले रही थी वो कहते हुए, तो उस वजह से उसकी चूचियां ऊपर नीचे हिल रही थीं जिसने राकेश को बहुत खुश किया क्योंकी उसकी नजरें उस वक्त वहीं पर टिकी थीं। मगर उस वक़्त राकेश अदिति के ठीक सामने नहीं बल्की बगल में खड़ा था, तो या तो अदिति को वो पीछे से पकड़ सकता था, या तो उसको अपनी तरफ मोड़ता। तो उसने सोचा की अदिति को पीछे से पकड़े ताकी वो अपने
खडा हये लण्ड को अदिति के गाण्ड पर दबाकर रगड सके। राकेश ने जल्दी से अपनी बाहों को पीछे से अदिति के पेट पर दबाते हुए उसकी पीठ को अपने छाती पर किया और अपने लण्ड को अदिति की गाण्ड पर दबाया
और रगड़ना शुरू किया धीरे-धीरे।

अदिति कुछ नहीं कर पाई और उसकी बाहों में जैसे कैद हो गई थी, और उसके लण्ड को अपने चूतड़ों के बीच ओ-बीच रगड़ते हुए महसूस किया। अब इतनी खूबसूरत जवान औरत को एक महीन नाइटी में बिना ब्रा के अपनी बाहों में लेकर उसके जिश्म को महसूस करते हए क्या राकेश ऐसे मौके को जाने दे सकता था भला? और ऊपर से जबकी अब अदिति बिल्कुल प्रतिरोध नहीं कर रही थी। जैसे अब ऊँट पहाड़ के नीचे आई हुई थी।

राकेश ने झुके हुए खड़े पोजीशन में ही अपने लण्ड को दबाते हुए धक्के देता गया उसकी गाण्ड के बीच-ओ-बीच, जैसे चोद रहा हो, उसकी नर्म गाण्ड को महसूस करते हुए। उधर अदिति भी थोड़ा सा झुक कर उसको जैसे पोजीशन दे दी अपनी रगड़ को जारी रखने के लिए। तब राकेश ने पीछे से अपने हाथ को अदिति के आगे लाते हुए उसकी नाइटी को उठाया, उसकी मुलायम जांघों को अपने हाथ में महसूस करते हुए। अदिति का जिश्म थरथराया और उसने मुड़कर राकेश को बिना एक्सप्रेशन के देखा। राकेश ने भी अदिति के चेहरे में देखते हुए उसकी दोनों जांघों को अपने हाथ में महसूस करते हए, अपने हाथों को ऊपर करता गया उसकी पैंटी तक हाथ फेरते हुए। इस दौरान दोनों एक दूसरे के चेहरे में देख रहे थे।

अदिति गहरी साँस लेती जा रही थी और उसकी क्लीवेज पहले से ज्यादा ऊपर-नीचे होती दिख रही थी। अदिति बिना हिले राकेश की आँखों में देखे जा रही थी और उसने राकेश का हाथ अपने पैंटी पर महसूस किया वैसे ही
झुके हुए पोजीशन में।

अदिति काँप उठी और एक सिसकी के साथ गहरी सांस लेकर धीमी आवाज में कहा- “नहीं, ये नहीं। विशाल आते ही होंगे अभी..."

अदिति उस घर में नई नवेली दुल्हन थी उस वक़्त, और विशाल के अलावा किसी मर्द ने उसको कभी नहीं छुवा था। राकेश पहला गैरमर्द था जो उसको उस तरह से उसके जिश्म के उन हिस्सों पर खद उसके बेडरूम में, अपने ससर के घर में उसको उस तरह से छ रहा था। सोचने की बात है की उस वक्त अदिति को कैसा महसूस हो रहा होगा। वो सेक्स एंजाय करती थी। हाँ मगर अपने पति के साथ, कभी किसी और के साथ यह सब नहीं किया था उसने। अदिति उस वक्त अपने जेठ से अपने जिश्म के उन हिस्सों को छूते हुए महसूस कर रही थी
और बिल्कुल खामोश थी। मगर उसके पशीने छूट रहे थे और कुछ धीमी आवाज में भुनभुना रही थी।

राकेश के होंठ तब तक उसके गाल पर फिरते हये महसूस किया अदिति ने, और नीचे राकेश अपने लण्ड को उसी तरह रगड़ता जा रहा था ऊपर अदिति के गर्दन के पीछे, और उसके कान के पीछे जीभ फेरते हए।

अदिति उसके लण्ड को पैंट के अंदर से अपनी गाण्ड के बीच में महसूस कर रही थी। मगर कुछ भी नहीं कर पा रही थी, वो राकेश की मजबूत बाहों में कैद थी। अदिति को पता था की उसका जेठ उसको चोदना चाहता है। उसको यह भी पता था की कुछ देर में क्या होने वाला है। मगर वो जैसे कन्फ्यू ज्ड थी की क्या करने दे राकेश
को और क्या करने से मना करे?

राकेश ने अदिति को किस करना चाहा। मगर तब अदिति का चेहरा दीवार की तरफ था। जिस पर राकेश ने उसको दबाया हुआ था। उसकी दोनों कलाई उस दीवार पर सपोर्ट की तरह लगी हुई थी और वो झुकी हुई थी राकेश के लण्ड को अपनी गाण्ड पर महस
राकेश के हाथ ने तब तक अपना काम कुछ इस तरह से कर दिया था नीचे की अदिति की पैंटी ठीक चूत पर एक तरफ खिसकी हुई थी, और राकेश की उंगलियां उसकी चूत की पंखुड़ियों को सहला रही थी। राकेश की उंगलियों को अपनी चूत पर महसूस करके अदिति को शर्म आई, क्योंकी वो गीली हो चुकी थी तब तक। उसको लज्जा महसूस हो रही थी यह सोचकर की अब राकेश को पता चल जाएगा की वो गीली हो चुकी है उसके छूने से। अदिति गहरी साँसें ले रही थी, जिससे उसकी चूचियां ऊपर-नीचे आती-जाती दिखाई दिए राकेश को अदिति के कंधों के ऊपर से।

अदिति ने राकेश की उंगलियों को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश में अपने हाथ को उसके हाथ पर रखा, तो राकेश ने गुर्राती हुई आवाज में कहा- “ओफफो अब क्या डार्लिंग... मेरी उंगलियों को वहाँ सहलाने दो, देखना तुमको भी कितना अच्छा महसूस होगा.”

मगर सिसकते हुए अदिति ने फिर कहा- “हम्म... मगर विशाल अभी आता होगा, आपको वापस जाना चाहिए अब, जाओ प्लीज अभी के लिए."

राकेश ने थोड़ा जबरदस्ती से अपने मजबूत हाथ से अदिति के हाथ को एक तरफ करते हुए, अपनी बीच वाली उंगली को अदिति की चूत पर रखा और गोल-गोल घुमाते हुए उस उंगली को हल्के से अंदर डाला।

अदिति ने एक सिसकती आवाज में अपी गर्दन को ऊपर किया, छत को देखते हुए और राकेश की उंगली को अपने भीगी चूत पर महसूस किया। काँपते हुए, थरथराते हुए, सिसकते हुए अदिति ने खुद से इनकार करना रोक दिया और राकेश की उंगलियों को जिस वक्त अपनी चूत की अंदर जाते हुए महसूस किया तो अदिति अपने पंजों के नोक पर खड़ी हो गई अपने जिश्म को ऐंठते हुए काँपती टाँगों के साथ।

राकेश के लार टपक पड़ी और फिर उसने अदिति का मुँह अपने मुँह में लेना चाहा, अपने उंगली को उसकी चूत के अंदर-बाहर करते हुए, और लण्ड को जोर-जोर से दबाते हुए उसकी गाण्ड पर रगड़ते हुए अदिति की गर्दन को एक हाथ से अपनी तरफ खींचा तो अदिति ने खुद अपना मुंह खोल दिया, अपने जेठ की जीभ को अपने मुँह में लेने के लिए। यह देखकर राकेश को बहत खुशी हई और खुशी से उसने अपनी जीभ अपने छोटे भाई की पत्नी के मुँह में डाला, जिसको अदिति ने अपने मुँह में लिया और चूसने लगी, उसके रस को अपने मुँह में लेते हुए। फिर राकेश धीरे-धीरे अदिति की पैंटी को नीचे करने लगा और अदिति ने कोई भी प्रतिरोध नहीं दिखाई।
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