हुमा- “अंदर आइए सर..” और हुमा खुश होते हुए अपनी मम्मी को मकान के कागज दिखाती है- “मम्मी देखो ये क्या है? हमारे मकान के कागज। समीर सर ने साहूकार का सारा कर्ज उतार दिया..."
रुखसार की आँखों में भी आँसू झलक आते हैं, कहा- “लगता है तुम कोई फरिश्ता बनकर आये हो हमारी जिंदगी में।
समीर- अरे... माँजी आप लोगों से मिलकर ऐसा लगा जैसे मेरा इस घर से पिछले जन्म का नाता है।
रुखसार- बेटा तुमने मुझे माँ कहा?
समीर- माँ को माँ ही कहा जाता है।
रुखसार समीर को अपने गले से लगा लेती है।
समीर- अच्छा माँजी चलता हूँ। फिर कभी आऊँगा।
रुखसार- नहीं, ऐसे नहीं जाओगे। बैठो यहां मैं खाना लगाती हैं।
समीर को बिल्कुल ऐसा लगा जैसे समीर की मम्मी अंजली बोलती है। समीर चुपचाप सोफे पर बैठ गया। रुखसार समीर को अपने हाथों से खाना खिलाती है, और कहती है- “बेटा ये तुम्हारा ही घर है... जब भी दिल करे आ जाया करो..."
समीर- जी माँजी।
हुमा समीर को बाहर तक छोड़ने आती है।
समीर- अपना मोबाइल नंबर बातायेंगी?
हुमा - जी सर 98#########
समीर- ठीक है हुमा फिर मिलते हैं। बाइ।
हुमा - ओके बाइ सर।
समीर सीधा घर पहुँचता है।
उधर काजल की चूत में भी खारिश बढ़ती जा रही थी। काजल को लण्ड की तलब जागने लगी। अब समीर तो आ नहीं सकता था। फिर ये प्यास कैसे बुझे? काजल अपने बेड पर लेटी यही सोच रही थी। काजल का एक हाथ इस वक्त सलवार के अंदर अपनी चूत को सहला रहा था, जो चुदाई की आग में पानी छोड़ रही थी।
Incest घर की मुर्गियाँ
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Re: Incest घर की मुर्गियाँ
उधर काजल की चूत में भी खारिश बढ़ती जा रही थी। काजल को लण्ड की तलब जागने लगी। अब समीर तो आ नहीं सकता था। फिर ये प्यास कैसे बुझे? काजल अपने बेड पर लेटी यही सोच रही थी। काजल का एक हाथ इस वक्त सलवार के अंदर अपनी चूत को सहला रहा था, जो चुदाई की आग में पानी छोड़ रही थी।
काजल अपनी उंगली चूत के अंदर तक घुसा रही थी। मगर काजल की प्यास अब उंगली से शांत नहीं हो सकती थी। और काजल को लण्ड मिलना इतना आसान नहीं था। काजल को बार-बार राहल के लण्ड का भी खयाल आ जाता। मगर ये सब इतना आसान नहीं था।
फिर भी काजल को नहीं लग रहा था की ये सब कभी फिर से उसके साथ हो सकता है। यही सब सोच-सोचकर काजल की उंगली चूत की गहराई में पूरी उतर चुकी थी। चूत पूरी तरह फूच-फूच कर रही थी। काजल की आवाज भी इस वक्त कुछ ऐसी निकाल रही थी।
काजल- "अहह... भईय्या आहह... लो आह्ह... उईईई... उईईई भबाई आईईई... उम्म्म्म
... आअहह.."
काजल का चूतरस निकलने को तैयार था। काजल की तड़प बढ़ती जा रही थी, और काजल अपनी उंगली की रफ़्तार थोड़ी तेज कर देती है। काजल की आँखें बंद हो चुकी थी और मुँह से सिसकारी भरी आवाजें निकल रही थी।- “आअहह... भाईया..." और एकदम से काजल का पानी छूट जाता है।
काजल बेजान सी बिस्तर पर लुढ़क जाती है। करीब आधे घंटे बाद अपने रूम से निकलकर नीचे पहुँचती है। घर में सिर्फ नेहा भाभी थी, जो किचेन में खाना बना रही थी। शाम के 7:00 बजने वाले थे। 7:0 राहुल के आने का टाइम था। काजल के माइंड में जाने क्या प्लान आया और ऊपर वाले बाथरूम
काजल ने बाथरूम की चटकनी नहीं लगाई, और दरवाजे के पास साबन का पानी फैला देती है, और फटाफट अपने सारे कपड़े उतारकर शवर खोलकर अपने जिश्म को ठंडे-ठंडे पानी से नहाने लगी। काजल की गाण्ड दरवाजे की तरफ थी, और काजल अपनी चूचियों को मल-मलकर नहा रही थी।
राहुल घर आ चुका था और राहुल फ्रेश होने के लिए ऊपर बाथरूम में पहुँचता है। तभी काजल को अहसास हुआ दरवाजे पर कोई है। और जैसे ही राहुल ने बाथरूम का दरवाजा खोलकर एक कदम अंदर रखा, और सामने का नजारा देखा तो राहुल के मुँह से निकला- “आहह... शिट्ट.." और जल्दी से राहुल वापस पलटता है। मगर राहुल का पैर साबुन के पानी पर रखा था, और धड़ाम से राहुल फर्श पर गिर जाता है।
काजल एकदम पलटकर देखती है। इस वक्त काजल की चूचियां राहुल की नजरों के सामने थी। काजल जल्दी से तौलिया लपेटकर राहुल को सहारा देती है।
राहुल- काजल चटकनी तो लगा लेती?
काजल- सारी भइया, वो जल्दी में ध्यान नहीं रहा।
काजल जैसे ही राहुल को सहारा देती है, तौलिया फिर से फर्श पर गिर जाता है। काजल एकदम नंगी थी। राहुल की नजर सीधे काजल की चूचियों पर थी।
राहुल- काजल, जाओ पहले कपड़े पहनो।।
काजल- “जी भइया.." और काजल उठकर जल्दी से टी-शर्ट पहन लेती है। और फिर राहुल को सहारा देकर बेड पर लिटा देती है- "भइया ज्यादा तो नहीं लगी?"
राहुल- नहीं, मैं ठीक हूँ। तू जा, और नेहा को भेज दे।
काजल- “जी भइया..” और काजल मुश्कुराते हुए रूम से बाहर निकाल गई, और नीचे नेहा के पास पहुँचकर कहा “भाभी आपको राहुल भइया बुला रहे हैं.."
नेहा- “अच्छा..." और नेहा ऊपर चली गई- “क्या हुआ जी?” .
राहुल- मूव लगा दो। बाथरूम में पैर स्लिप हो गया।
*****
*****
काजल अपनी उंगली चूत के अंदर तक घुसा रही थी। मगर काजल की प्यास अब उंगली से शांत नहीं हो सकती थी। और काजल को लण्ड मिलना इतना आसान नहीं था। काजल को बार-बार राहल के लण्ड का भी खयाल आ जाता। मगर ये सब इतना आसान नहीं था।
फिर भी काजल को नहीं लग रहा था की ये सब कभी फिर से उसके साथ हो सकता है। यही सब सोच-सोचकर काजल की उंगली चूत की गहराई में पूरी उतर चुकी थी। चूत पूरी तरह फूच-फूच कर रही थी। काजल की आवाज भी इस वक्त कुछ ऐसी निकाल रही थी।
काजल- "अहह... भईय्या आहह... लो आह्ह... उईईई... उईईई भबाई आईईई... उम्म्म्म
... आअहह.."
काजल का चूतरस निकलने को तैयार था। काजल की तड़प बढ़ती जा रही थी, और काजल अपनी उंगली की रफ़्तार थोड़ी तेज कर देती है। काजल की आँखें बंद हो चुकी थी और मुँह से सिसकारी भरी आवाजें निकल रही थी।- “आअहह... भाईया..." और एकदम से काजल का पानी छूट जाता है।
काजल बेजान सी बिस्तर पर लुढ़क जाती है। करीब आधे घंटे बाद अपने रूम से निकलकर नीचे पहुँचती है। घर में सिर्फ नेहा भाभी थी, जो किचेन में खाना बना रही थी। शाम के 7:00 बजने वाले थे। 7:0 राहुल के आने का टाइम था। काजल के माइंड में जाने क्या प्लान आया और ऊपर वाले बाथरूम
काजल ने बाथरूम की चटकनी नहीं लगाई, और दरवाजे के पास साबन का पानी फैला देती है, और फटाफट अपने सारे कपड़े उतारकर शवर खोलकर अपने जिश्म को ठंडे-ठंडे पानी से नहाने लगी। काजल की गाण्ड दरवाजे की तरफ थी, और काजल अपनी चूचियों को मल-मलकर नहा रही थी।
राहुल घर आ चुका था और राहुल फ्रेश होने के लिए ऊपर बाथरूम में पहुँचता है। तभी काजल को अहसास हुआ दरवाजे पर कोई है। और जैसे ही राहुल ने बाथरूम का दरवाजा खोलकर एक कदम अंदर रखा, और सामने का नजारा देखा तो राहुल के मुँह से निकला- “आहह... शिट्ट.." और जल्दी से राहुल वापस पलटता है। मगर राहुल का पैर साबुन के पानी पर रखा था, और धड़ाम से राहुल फर्श पर गिर जाता है।
काजल एकदम पलटकर देखती है। इस वक्त काजल की चूचियां राहुल की नजरों के सामने थी। काजल जल्दी से तौलिया लपेटकर राहुल को सहारा देती है।
राहुल- काजल चटकनी तो लगा लेती?
काजल- सारी भइया, वो जल्दी में ध्यान नहीं रहा।
काजल जैसे ही राहुल को सहारा देती है, तौलिया फिर से फर्श पर गिर जाता है। काजल एकदम नंगी थी। राहुल की नजर सीधे काजल की चूचियों पर थी।
राहुल- काजल, जाओ पहले कपड़े पहनो।।
काजल- “जी भइया.." और काजल उठकर जल्दी से टी-शर्ट पहन लेती है। और फिर राहुल को सहारा देकर बेड पर लिटा देती है- "भइया ज्यादा तो नहीं लगी?"
राहुल- नहीं, मैं ठीक हूँ। तू जा, और नेहा को भेज दे।
काजल- “जी भइया..” और काजल मुश्कुराते हुए रूम से बाहर निकाल गई, और नीचे नेहा के पास पहुँचकर कहा “भाभी आपको राहुल भइया बुला रहे हैं.."
नेहा- “अच्छा..." और नेहा ऊपर चली गई- “क्या हुआ जी?” .
राहुल- मूव लगा दो। बाथरूम में पैर स्लिप हो गया।
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Re: Incest घर की मुर्गियाँ
इधर टीना आज घर में अकेली थी। विजय और किरण टीना के लिए लड़का देखने अलीगढ़ गये थे। विजय ने अजय से रिश्ते का जिकर कर दिया था। अजय जो मालूम था विजय रात को देर से घर आयेगा, और घर पर टीना अकेली होगी। अजय दुकान से जल्दी निकलकर टीना के पास आया
टीना- अरे... अंकल आप।
अजय- हाँ बेटा, अब तूने तो घर आना बहुत कम कर दिया। कहीं हमसे नाराज है?
टीना- नहीं अंकल, ऐसी बात नहीं है। पापा ने बोला है अब तू बड़ी हो गई है। घर की जिम्मेदारी संभाल।
अजय- आहह... तो टीना अब बड़ी हो गई। आज तो तेरे लिए लड़का देखने गये हैं।
टीना- जी अंकल।
अजय- इस खुशी में कुछ मीठा हो जाये।
टीना- क्यों नहीं? बैठो लाती हूँ।
अजय- “वो नहीं, मुझे तो तुम्हारे होंठों की मिठास चाहिए..." और अजय आगे बढ़कर टीना के होंठों पर अपने होंठ रख देता है। टीना भी अजय का पूरा साथ दे रही थी, और टीना अपने हाथ अजय के लण्ड पर ले जाती है।
टीना- “अंकल मुझे केला नहीं खिलाओगे?"
अजय- तुम्हारे लिए ही तो लाया हूँ, जैसे मर्जी खा लो।
टीना नीचे बैठकर अजय की जिप खोलकर केला बाहर निकाल लेती है- “वाउ अंकल, आज तो आपका केला डबल लग रहा है..."
अजय- हाँ बेटा, काफी दिन से संभाल कर रखा है।
टीना लण्ड का सुपाड़ा मुँह में भर लेती है।
अजय- “अहह... टीना तू तो बड़ा गजब का चूसती है। अहह.."
टीना अपना मुँह पूरा खोलकर लण्ड को जड़ तक ले लेती है, और फिर बाहर की तरफ खींचती है। अजय का लण्ड टीना के मुख रस में सराबोर हो चुका था। अजय लण्ड को मुँह से निकाल लेता है और टीना को गोद में उठाकर बेड पर लिटाता है। फिर टीना की सलवार का नाड़ा खोलकर चूत के दर्शन करता है, और अपने लण्ड को हाथ में पकड़कर चूत के छेद पर टिका देता है। टीना की चूत काफी गीली हो चुकी थी। लण्ड हल्के से दबाव से ही चूत में घुसता चला गया। अजय को क्या मस्त मजा आ रहा था।
टीना- अंकल आप लेट जाओ मैं ऊपर आती है
अजय बेड पर लेट जाता है, और टीना अजय के खड़े लण्ड पर बैठती चली गई।
अजय- “आहह... टीना तू तो वाकई बहुत बड़ी हो गई..” और टीना अजय के लण्ड पर उठक-बैठक लगाने लगी। अजय तो टीना के धक्का से मस्त हो गया।
टीना- “आअहह... अंकल मजा आ रहा है आप्प भी नीचे से धक्के लगाओ..."
अजय भी दे दनादन शाट मारने लगा, और थोड़ी देर में दोनों शांत पड़ गये।
**
टीना- अरे... अंकल आप।
अजय- हाँ बेटा, अब तूने तो घर आना बहुत कम कर दिया। कहीं हमसे नाराज है?
टीना- नहीं अंकल, ऐसी बात नहीं है। पापा ने बोला है अब तू बड़ी हो गई है। घर की जिम्मेदारी संभाल।
अजय- आहह... तो टीना अब बड़ी हो गई। आज तो तेरे लिए लड़का देखने गये हैं।
टीना- जी अंकल।
अजय- इस खुशी में कुछ मीठा हो जाये।
टीना- क्यों नहीं? बैठो लाती हूँ।
अजय- “वो नहीं, मुझे तो तुम्हारे होंठों की मिठास चाहिए..." और अजय आगे बढ़कर टीना के होंठों पर अपने होंठ रख देता है। टीना भी अजय का पूरा साथ दे रही थी, और टीना अपने हाथ अजय के लण्ड पर ले जाती है।
टीना- “अंकल मुझे केला नहीं खिलाओगे?"
अजय- तुम्हारे लिए ही तो लाया हूँ, जैसे मर्जी खा लो।
टीना नीचे बैठकर अजय की जिप खोलकर केला बाहर निकाल लेती है- “वाउ अंकल, आज तो आपका केला डबल लग रहा है..."
अजय- हाँ बेटा, काफी दिन से संभाल कर रखा है।
टीना लण्ड का सुपाड़ा मुँह में भर लेती है।
अजय- “अहह... टीना तू तो बड़ा गजब का चूसती है। अहह.."
टीना अपना मुँह पूरा खोलकर लण्ड को जड़ तक ले लेती है, और फिर बाहर की तरफ खींचती है। अजय का लण्ड टीना के मुख रस में सराबोर हो चुका था। अजय लण्ड को मुँह से निकाल लेता है और टीना को गोद में उठाकर बेड पर लिटाता है। फिर टीना की सलवार का नाड़ा खोलकर चूत के दर्शन करता है, और अपने लण्ड को हाथ में पकड़कर चूत के छेद पर टिका देता है। टीना की चूत काफी गीली हो चुकी थी। लण्ड हल्के से दबाव से ही चूत में घुसता चला गया। अजय को क्या मस्त मजा आ रहा था।
टीना- अंकल आप लेट जाओ मैं ऊपर आती है
अजय बेड पर लेट जाता है, और टीना अजय के खड़े लण्ड पर बैठती चली गई।
अजय- “आहह... टीना तू तो वाकई बहुत बड़ी हो गई..” और टीना अजय के लण्ड पर उठक-बैठक लगाने लगी। अजय तो टीना के धक्का से मस्त हो गया।
टीना- “आअहह... अंकल मजा आ रहा है आप्प भी नीचे से धक्के लगाओ..."
अजय भी दे दनादन शाट मारने लगा, और थोड़ी देर में दोनों शांत पड़ गये।
**
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