Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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उसने अपने बात अधूरी छोड़ दी और पलटकर बड़ी अजीब सी भाषा में दरवाजे की तरफ कुछ कहा।

फौरन ही उस खाली स्थान से तीन लम्बे चौड़े और खूखार चेहरे वाले आदमी हाथों में में रिवाल्वर लिए अन्दर आ गए।

डॉक्टर जय ने पलटकर राज से कहा
"अब आप लोग मेरे साथ चलिए।"

"कहां?" डॉक्टर सावंत ने पत्थर के चबूतरे से नीचे उतरते हुए पूछा।

"अभी पता चल जाएगा।" जय ने जवाब दिया।

उन दोनों के पास जय का हुकम मानने के सिवा कोई चारा नहीं था। वो खामोशी से उसके इशारे पर दीवार के उस खाली स्थान में दाखिल हो गए।

दूसरी तरफ पहुंचकर राज और डॉक्टर सावंत स्तब्ध रह गए। यह कतरा नहीं था, बल्कि एक सुसज्जित और आधुनिक लेब्रॉटरी थी।

यह बहुत लम्बा चौड़ा हॉल था और यकीनन तहखाने में था। हॉल की पथरीली दीवारों में खाने बने हुए थे और दीवारों के साथ-साथ मेजों की कतारें लगी हुई थीं। मेजों पर आधुनिक वैज्ञानिक उपकरण और मशीनें सजी हुई थीं। दीवार के खानों में कई साईज और कई किस्म की शीशे की ट्यूब और मर्तबान वगैरह सजे हुए थे। हाल के आखिरी सिरे पर एक और दरवाजा नजर आ रहा था।

तीनों खूखार आदमी रिवाल्वर थामें राज और डॉक्टर सावंत को घेरे में लिए हुए थे । ज्योति अब बढ़ कर डॉक्टर जय के पहलू में जा खड़ी हुई थी।

डॉक्टर जय ने ज्योति की कमर में हाथ डालते हुए डॉक्टर सावंत ने कहा
"डॉक्टर सावंत, क्या आपको मेरी लेब्रॉटरी पसंद आई?"

"बहुत ज्यादा।” डॉक्टर सावंत ने अपने गुस्से को दबाते हुए कहा, "लेकिन मुझे आपकी इस असम्य हरकत की वजह समझ नहीं आ रही। ये आदमी....ये पिस्तौलें....।"

"मुझे अफसोस है डॉक्टर सावंत ।” डॉक्टर जय बोला, ''मैं मैं अच्छा दोस्त खो देने वाला हूं। काश....हमारी यह दूसरी मुलाकात डॉक्टर राज के बगैर हुई होती। आप चूंकि डॉक्टर राज के साथ आए हैं, इसलिए मैं आपको भी अपना दुश्मन समझने पर मजबूर हूं। यकीनन आपको डॉक्टर राज ने पिछली सभी घटनाओं के बारे में बता दिया होगा?"

"लगभग....।"

"फिर आप खुद ही समझ सकते हैं। बदकिस्मती से मैं और डॉक्टर राज जानी दुश्मन बन चुके हैं। इनकी वजह से मुझे कई जगह बना-बनाया काम छोड़कर और करोड़ों की चोट खाकर भागना पड़ा था। अब ये यहां भी पहुंच गए हैं और मेरे शांत जीवन में इनकी वजह से फिर भूचाल आ गया है। अब इसके अलावा और कोई चारा नहीं कि मैं इन्हें रास्ते से हटा दूं। अब हालात ऐसे हो चुके हैं कि इस आसमान की नीचे अब हम दोनों में से एक ही जिन्दा रह सकता है।

लेकिन मुझे अफसोस है कि मुझे डॉक्टर राज के साथ अब आपको भी खत्म करना होगा। आपका जिन्दा रहना भी मेरे लिए खतनाक साबित होगा। लेब्रॉटरी मुझे जान से त्यारी है और में बड़े जतन से पिछले तीस वर्षों से उसे गुप्त रखे हुए था और गुप्त ही रखना चाहता हूं।

डॉक्टर सावंत ने बेबसी से राज की तरफ देखा। राज की तरफ देखा। राज भी इस स्थिति में क्या कर सकता था! वो बड़े दुख से सोच रहा था कि उसकी वजह से डॉक्टर सावंत इस मुसीबत में फंस गया था। फिर भी उसने कहा
"डॉक्टर जय, डाक्टर सावंत का उसमें कोई दोष नहीं है यह निर्दोष है। मुझे अफसोस है कि हम दोनों के लिए यह दुनिया बहुत तंग हो गई है और हम मोड़ पर हम एक-दूसरे से टकरा जाते हैं। लेकिन यकीन कीजिए, हमारे बार-बार इस तरह टकराने के पीछे जरूर किस्मत का ही हाथ है और इस आंख-मिचौली को अंत भी होगा। जब हम दोनों में से एक इस दुनिया से उठा जाएगा।" राज ने गम्भीरता से कहा।

"इस बार यही होगा डॉक्टर राज ।” डॉक्टर जय ने सख्त लहजे में कहा, "चार बार आप मेरे हाथों से बचकर निकल चुके हैं, लेकिन किस्म का पांसा हमेशा एक ही करवट नहीं गिरता।"


"मेरा भी यही ख्याल है, लेकिन एक फर्क है मेरी जिन्दगी किसी के लिए खतरा नहीं है और आपके जिन्दा रहने से पूरी इन्सानियत को खतरा है। मैं आपकी जहानत का लोहा मानता हूं लेकिन अफसोस यह है कि इस बुद्धि का इस्तेमाल आपने जुर्म करने में किया, वो भी किसी घटिया डकैत की तरह दौलत के लिए। आप जिंदा रहने के काबिल नहीं हैं डॉक्टर जय वर्मा।"

डॉक्टर जय ने एक खौफनाक कहकहा लगाया और बोला
"इस बात का फैसला आज हो जाएगा डॉक्टर राज, कृपया मेरे साथ आईए। आप क्योंकि खुद जहरों के माहिर साईटिस्ट हैं, इसलिए मैं आपको अपनी लेब्रॉटरी दिखाना चाहता हूं। इन्सान की यह स्वभाविक कमजोरी होती है कि वो अपने आप को तारीफ दूसरे कलाकारों से सुनना चाहता है। डॉक्टर सावंत,
कृपया कोई गलत कदम उठाने की कोशिश मत कीजिएगा। इस जगह से बचकर निकल पाना नामुमकिन है।"

डॉक्टर सावंत सिर्फ गुर्रा कर रह गया। डॉक्टर सावंत और राज, जय और ज्योति के पीछे-पीछे रिवाल्वरों के घेरे में चलते हुए दूसरे कमरे में आ पहुंचे।

यह कमरा भी पहले कमरे की तरह लम्बा चौड़ा हॉल था और हॉल के मध्य में दो बड़े-बड़े हॉल थे। जिनमें गुलाबी रंग का कोई तरह पदार्थ था। वो तरह पदार्थ खौल रहा था। दोनों हौजों से भाप उठा रही थी और एक अजीब किस्म की गंध हॉल में भरी हुई थी। डॉक्टर जय ने हौजों की तरफ इशारा करते हुए कहा
"यह इन्सानी लाशों को ममी बनाने को मसाला है।"

कुछ देर के लिए राज उस खतरे को भूल गया तो उनके सिरों पर मंडरा रहा था, उसने उन दोनों हौजों में दिलचस्पी लेते
हुए कहा
"क्या इस मसाले में लाशें देर तक अपनी असल हालत में रह सकती हैं?"

"यकीनन । ममी बनाने का यह तीरका बहुत पुराना है। करीब पांच हजार साल पहले मिस्त्र के धार्मिक कहान इसी ढंग से लाशों को ममी बना कर सुरिक्षत रखा करते थे। इसी पुराने मन्दिर में मुझे एक हस्तलिखित किताब मिली थी, जिसमें यह मसाला बनाने को नुस्खा लिखा हुआ था।"

राज का जेहन बड़ी तेजी सक कम कर रहा था। वो चाहता था कि किसी तरह बातों में टाईम पास किया जाए और डॉक्टर जय की वक्त गुजरने का अहसास न हो। हालांकि इस जगह कोई मदद पहुंचने की उसे कोई उम्मीद नहीं थी-फिर भी इन्सानी फितरत है कि वो कभी उम्मीद को दामन नहीं छोड़ता।

वो सोच रहा था, शायद कोई चमत्कार हो ही जाए। मुमकिन है इन्तजार से उकताकर टैक्सी ड्राईवर उन्हें तलाश करता हुआ इधर आ निकले । या वो वापिस ही चला जाए और पुलिस में उनकी शिकायत करे कि वो उसके किराये के पैसे लेकर गायब हो गए हैं। मुमकिन है वो इंस्पेक्टर विकास त्यागी नजर में आ जाए और वा मामले की अहमियत को समझकर इधर आ जाए।

लेकिन यह सब बहुत दूर की और धुंधली सी उम्मीदें थीं। यह जमाना चमत्कारों को नहीं था, न ही हर वक्त ऐसे संयोग घट सकते थे जो उनकी फेवर में जाते।

इसके बावजूद राज वक्त चाहता था, इसलिए वो डॉक्टर जय को बातों में उलझाए रखना चाहता था। इसक अलावा डॉक्टर जय की लेब्रॉटरी में भी राज की दिलचस्पी थी
और उसकी जिज्ञासा डॉक्टर जय की लेब्रॉटरी और इस प्राचीन मन्दिर के सारे राज जान लेने के लिए उकसा रही थी।

राज जानना चाहता था कि अभी किस तरह तैयारी की जानी है कि वो ज्योति के जिस्म को जवान रखने के लिए क्या चीज इस्तेमाल करता था। वो समझा रहा था कि इस वक्त तो चेहनी हालत उकसी है, वही डॉक्टर सावंत की भी होनी चाहिए थी।
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आखिर राज से नहीं रहा गया तो उसके डॉक्टर जय से पूछा ही लिया। वो मुस्कराने की कोशिश करते हुए बोला
"डॉक्टर जय, मुझे मरने को दुख नहीं है, लेकिन मैं कुछ बातें जरूर जानना चाहता हूं जो मेरे लिए हैरत की वजह बनी हुई हैं। अगर मुझे मरना ही है तो इन सवालों का बोझ साथ लिए क्यों मरूं?"

डॉक्टर जय ने मुस्कराकर कहा
''मैं आपकी यह इच्छा जरूर पूरी करूंगी डॉक्टर राज ।

आफ्टर ऑल, किसी जमाने में हम दोस्त कहला चुके हैं। पूछिए, क्या पूछना चाहते हैं आप?"

"पहली बात तो मैं यह पूछना चाहता हूं कि ज्योति पर वक्त का असर क्यों नहीं दिखता? यह अब से दस साल पहले भी ऐसी ही थी, बल्कि मैं समझता हूं कि गुजरते वक्त के साथ-साथ इसके दिखने लगी है....जबकि आप बूढ़े हो गए हैं....।"

"मैंने भी इस रहस्य पर बहुत कुछ सोचा है, लेकिन मेरी समझ में सिर्फ एक ही बात आती है। डॉक्टर जय ने कहा।

"कौन सी बात?"

"उसी मिस्त्री सांप का जहर, जिसके दांत नहीं होते।"

"जिसकी जहर ज्योति सतीश पर इस्तेमाल कर ही थी।"

"हां, वही।"

"लेकिन वो जहर तो बहुत ज्यादा खतरनाक होता है।"

"यकीनन होता है लेकिन जब वो जिस्म में दाखिल होकर खून में मिल जाए। ज्योति उस जहर को सिर्फ गालों पर लगाती थी।

उसका बहुत ही कम असर रोम-छिद्रों द्वारा होता था, और चूंकि पहले में इसके जिस्म में एक इच्छाधारी नागिन की अत्मा है, इसलिए
वो जहर इसके जिस्म पर अमृत का सा असर दिखा रहा है।

"मुमकिन है, ऐसा ही हो।" डॉक्टर सावंत ने सिर हिलाते हुए कहा, "हर जहर में मारक क्षमता के साथ-साथ कोई न कोई जीवनदायक तत्व भी जरूर मौजूद होते हैं। काश....मैं उस जहर की इस खूबी पर कुछ परीक्षण कर सकता। अगर मेरा परीक्षण सफल रहता तो इन्सानी जिन्दगी में एक क्रान्ति आ सकती थी।"

थोड़ी देर खामोश रहकर डॉक्टर सावंत ने जय से कहा
"डॉक्टर जय, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम पिछली घटनाओं को भूल कर इन्सानियम की भलाई के लिए काम करें? कम से कम मैं आपके तमाम जुर्मों को नजरअन्दाज करने के लिए तैयार हूं। आप इन्सानियत के लिए अब भी काम करते हैं तो आपके तमाम पिछले गुनाह भुलाए जा सकते हैं।"

डाक्टर जय ने एक गगनभेदी कहकहा लगाया और फिर बोला
"डॉक्टर सावंत, आप मुझे उल्लू का पट्ठा समझते हैं या मेरे दिमाग पर शक करते हैं? या फिर मेरा अपमान करना चाहते हैं? मेरे दोस्त, मैं एक जहरीले सांप पर भरोसा कर सकता हूं लेकिन राज साहब पर नहीं । और जिन्हें तुम इन्सान कहते हो, मैं उन्हें दरिन्दा समझता हूं, मैं इन इन्सानों के सहारे रहता तो ये मुझे गंदी नाली में किसी कीड़े की तरह रेंगने पर मजबूर करे देते। मैंने जो कुछ हासिल किया है, अपने दिमाग और अपनी ताकल के बल पर किया है। इन्सानों से नफरत है मुझे। मुझे आप सब लोगों से नफरत है। मैंने अपनी जिन्दगी के तेरह साल एक अनाथालय में ऐड़ियां रगड़-रगड़ कर आम लोगों की इन्सानियत को खूब परखा है।"

डॉक्टर सावंत ने सिर हिलाते हुए कहा
"हो सकता है आपका वास्ता कुछ गलत इन्सानों से पड़ गया हो। लेकिन दुनिया में सब इन्सान एक जैसे ही होते हैं।"

"होते होंगे, मुझे इससे कोई मतलब नहीं है। मैं सिर्फ उन्हीं इन्सानों को जानता हूं जिनसे मेरा वास्ता पड़ा है। और मुझे उन सबने इन्सानियत से नफरत का पाठ ही पढ़ाया है।"

"लेकिन ज्योति भी तो एक औरत है न, इन्सान!" राज ने बात बनाने के लिए कहा।

"नहीं।" डॉक्टर जय ने मजबूत लहजे में कहा, "ज्योति इन्सान नहीं, एक नागिन है। यह भी इन्सानियत की उतनी ही बड़ी दुश्मन है जितना बड़ा मैं हूं। बहरहाल, वक्त बहुत कम है, और यह बहस ऐसी है कि चाहें जितनी लम्बी खींच लो, यह कभी खत्म नहीं होगी। आईए, मैं आप लोगों की जिज्ञासा शांत करने के लिए मैं आपको लेब्रॉटरी का कुछ खास हिस्सा दिखाता हूं। मैं भी नहीं चाहता कि मरे से पहले आप लोगों की कोई हसरत बाकी रह जाए। आप लोगों की मौत से पहले मैं आपको अपनी महानता का अहसास दिला देना चाहता हूं।"

डॉक्टर जय को भी गुजरते वक्त का अहसास हो चुका था

और राज कुछ समय और खींचना चाहता था, इसलिए वो जल्दी से बोला
"डॉक्टर जय, क्या आप हमें ममी तैयार करने का तरीका नहीं बताएंगे?"

"अभी लीजिए साहब.....।" डॉक्टर जय ने मुस्कराकर कहा
और तीनों पिस्तौलबाजों को उसी अज्ञात भाषा में कुछ समझाने लगा।
फौरन ही एक रिवाल्वर वाला सामने दिखाई देने वाले दरवाजे में घुसकर गायब हो गया।

दस मिनट बाद ही दो आदमी एक लाश उठाए अन्दर दाखिल हुए। यह किसी जवान औरत की लाश थी और लाश ताजा लगती थी या फिर डॉक्टर जय ने किसी तरीके से उसे सुरक्षित कर रखा था। उसके चेहरे पर मुर्दनी के भाव नहीं थे। ऐसा लगता था, जैसे वो सो रही हो। लाश बिल्कुल नंगी थी।

मरने वाले का जिस्म कोई आकर्षण नहीं रखता था, लेकिन वो भरपूर जवानी में चल बसी थी। डॉक्टर जय का इशारा पाकर उन्होंने लाश को हौज में डाल दिया, जिसमें गुलाबी रंग का कोई रसायन खोल रहा था।

लाश उस खौलते हुए रसायन की तह में बैठ गई। डॉक्टर जय घड़ी देखता रहा । एक मिनट एक मिनट बाद उसने फिर अपने आदमियों को इशारा किया।

उन्होंने हौज पर लगा हुआ एक चक्का घुमा दिया और हौज में से एक तख्ता जभरकर ऊपर आ गया, जिस पर लाश रखी हुई थी। अब उस लाश का गुलाबी रसायन की एक तह चढ़ चुकी थी। डॉक्टर सावंत ने फिर अपने आदमियों से कुछ कहा।

उन्होंने वो पूरा तख्ता उठाकर दूसरे हौज में डाल दिया। इस हौज में भी गुलाबी रसायन मौजूद था, लेकिन इसका तापमान
बहुत कम था।

करीब दस मिनट बाद उस हौज में से भी लाश की बाहर निकाल लिया गया। इस बार लाश के हर हिस्से पर कोई मोम की तरह गाढ़ा-गाढ़ा पदार्थ जम गया था। उस मोम जैसे पदार्थ के नीचे लाश के सारे नैन-नक्श छुप गए थे।
chusu
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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sahi.....................
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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दस मिनट और गुजर जाने के बाद डॉक्टर जय ने कहा-"अब यह ममी तैयार है। यह दूसरा मसाला मोम की तरह लगता है, लेकिन यह गर्मी से पिघलता नहीं है। चौबीस घंटे बाद यह सूख कर रबड़ की तरह सख्ख हो जाता है। इसका चेहरा अब किसी खास औरत का चेहरा नहीं है, बल्कि नाजुक उपकरणों द्वारा इसके नाक-नक्श इच्छानुसार बनाए जा सकते हैं। चौबीस घंटे बाद वो नाक-नक्श स्थाई हो जाएंगे, फिर उन्हें बदला नहीं जा सकेगा।"

राज ने मुस्कराकर कहा
"अलबत्ता, स्प्रिट के जरिये इस मसाले को साफ किया जा सकता है।"

"हां, डॉक्टर राज ! इसीलिए मैंने कहा था कि इस आसमान के नीचे हम दोनों में से एक ही जिन्दा रह सकेगा। आप खतरनाक हद तक जीनियस हैं।"

तभी डॉक्टर सावंत बोल उठा
"हमें कत्ल करके आप भी नहीं बच सकेंगे डॉक्टर जय।"

"मेरे इस ठिकाने की आप दोनों के अलावा किसी को जानकारी नहीं है। कोई साबित नहीं कर सकता कि मेरे आप लोगों से पुरानी दुश्मनी थी। सुबह आपकी लाशें आपके घर भेज दी जाएंगी।

"तो आप हमारी लाशों की ममी नहीं बनाएंगे? राज ने रूखे लहजे में में पूछा।

"आप बड़े हिम्मत वाले और दिलेर भी हैं डॉक्टर राज।" जय ने कहा, "अपनी मौत के बारे में आप इस तरह उत्सुकता से पूछ रहे हैं जैसे लवर से मिलना हो?"

"यह मेरे सवाल का जवाब नहीं है?"

"आपके सवाल का जवाब यह है कि मिस्टर राज कि मैं आपकी लाशों की ममी नहीं बनाऊंगा। एक अन्य किस्म के जहर से आपकी मौतें होंगी, सुबह को आप दोनों की लाशें डॉक्टर सावंत की लेब्रॉटरी में पड़ी हांगी और दो-तीन मामूली किस्म के जहरीले सांप आपके आसपास रेंग रहे होंगे। पुलिस यही समझेगी कि आप लोग सांपों के साथ कोई प्रयोग कर रहे थे, उन्हीं सांपों में से कुछ सांप खुले रह गए और उन्होंने आप दोनों को डस लिया। किसी को यह सन्देह भी नहीं होगा कि आप दोनों को कल किया गया है।" ।

राज को अन्दर ही अन्दर एक झुरझुरी सी आ गई और वो कल्पना में डॉक्टर सावंत की लेब्रॉटरी में पड़ी अपनीलाश देखने लगा।

फिर अचानक डॉक्टर सावंत की आवाज ने उसकी कल्पना को तिलिस्म तोड़ दिया। वो कह रहा था
"जिन्दगी और मोत का फैसला ऊपर, आसमानों पर होता है डॉक्टर जय। कोई भी इन्सान किसी की किस्मत का फैसला नहीं कर पाया आज तक।"

"देखेंगे।" डॉक्टर जय ने लापरवाही से कहा। उसके बाद अपनी घड़ी देखते हुए बोला, "मेरे ख्याल में अब आपकी जिज्ञासा शांत हो चुकी होगी....या अभी कुछ और पूछना बाकी है?"

"मैं सिर्फ एक और बात पूछना चाहता हूं।" डॉक्टर सावेत ने कहा।

"पूछिए।

"क्या ऐसा कोई रास्ता नहीं है जिससे आप इन्सानियत की भलाई के लिए काम कर सकें?"

डॉक्टर सावंत ने हंसकर कहा
"नहीं डॉक्टर सावंत। मैं अपने काम से संतुष्ट हूं, इसलिए मुझ पर आपका नैतिकता भरा लेक्चर कोई असर नहीं दिखा पाएगा।
उसके बाद उसने पलट कर ज्योति से कहा

"ज्योति डार्लिंग, आज मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि इस जमीन पर हमारा सबसे खतरानक दुश्मन हमारी दया पर है।" ।

ज्योति काफी देर से खामोश खड़ी थी। पहली बार उसके होठों पर मुस्कराहट उभरी और उसकी आंखें इस तरह चमकने लगीं जैसे जहरीली नागिन की गोल-गोल आंखें चमकती हैं। वो बोली
"जय, क्या इन लोगों की आसान मौत तुम्हारे इन्तकाम की आग को ठण्डा कर सकेगी ?"

"फिर तुम क्या चाहती हो डार्लिंग ? क्या ये लोग जिन्दा रहें?"

"नहीं। मैं इन लोगों को जिन्दा नहीं देखना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि इनकी मौत एकदम न हो। ये दोनों धीरे-धीरे मोत की तरह सरकते हुए सिसक-सिसक कर मरें। धीरे-धीरे इनकी नसों में मौत का जहर फैले। मौत का पंजा आहिस्ता-आहिस्ता इन लोगों को शिकंजे में ले। मैं इनको तड़पते हुए देखना चाहती हूं

डॉक्टर जय कुछ देर सोचता रहा, फिर बोला
"क्यों न हम इनका इस्तेमाल अपनी लेब्रॉटरी में करें? जिस तरह हम खरगोशों वगैरह पर अपने जहरों का परीक्षण करते हैं, इस तरह इनकी मौत का पीरियड लम्बा होता जाएगा।"

"हां।" जय ने सिर हिलाकर कहा,

"और मैं चाहती हूं कि इनके मरने के बाद इनकी लाशों की ममी बनाई जाए, ताकि हम वक्त-वक्त पर इन्हें देख कर खुश होते रहें।"

वो दोनों खामोशी से अपनी किस्मत का फैसला सुन रहे थे। राज को भी अब यकीन हो चला था कि अब इनका आखिरी वक्त आ चुका है। खौफ सर्द लहरों की तरह उसकी रीढ़ कह ही में दौड़ रहा था और उसके जिस्म में झनझनाहट सी पैदा कर रहा था।
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