डॉली अपनी मम्मी का लहंगा लेकर
नंगी ही अपने अपने रूम में आती है ..
शीशे के सामने खड़ी होते हुए ..
डॉली पहले अपने नंगे जिस्म पर ब्रा और पेंटी पहनती है ..
पिंक कलर की ब्रा पेंटी पहनकर डॉली
अपने आप को शीशे में देखती है ..
क्या लग रही थी डॉली..बिल्कुल हॉलीवुड की हेरोयिन जैसी सेक्सी वेरी हॉट .. ...
काफ़ी देर तक डॉली अपने आप को शीशे में पलट पलट कर देखती है..
डॉली अच्छी तो लग रही थी फिर भी डॉली को अपनी ब्रा पेंटी का पिंक कलर कुछ जम नही रहा था ..
और डॉली अपने जिस्म से पिंक कलर की ब्रा पेंटी निकाल देती है..
और अबकी बार रेड कलर की ब्रा पेंटी का सेट पहन कर देखती... है..
वूओव रेड कलर की ब्रा डॉली के जिस्म पर क्या गजब लग रही थी ..
जेसे स्वर्ग की कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो ..
डॉली भी अपने आपको इस रूप में देखकर अपने हुस्न पर नाज़ करने लगती है ...
ब्रा पेंटी पहनकर डॉली अपनी मम्मी का दुल्हन वाला लहंगा पहने लगती है...
लहंगा पहनकर डॉली अपने हाथो में चूड़िया कंगन
कानो में झुमके सिर पर झूमर पैरों में पायल ..
सारे सोलह श्रृंगार करते हुए
डॉली दुल्हन के रूप में तैयार हो चुकी थी ..
.....
डॉली बिल्कुल सज धज के राज का इंतज़ार
करने लगी थी...
अब डॉली का राज के बिना वक़्त काटना मुश्किल होने लगा था ...
डॉली बार बार कभी घड़ी के तरफ देखती कभी दरवाज़े की तरफ ...
डॉली के अंदर से ये गाना निकलता है ...
वक़्त काटे नही कट ता है,
तेरे बिना मेरे साजन
काश यह हो के तू आ जाए,
बीत ना जाए यह सावन
देखूं राहें तेरी सारा दिन,
आ भी जा मेरे दिल के करार.
यू ना कर तू मुझे बेकरार.....
वक़्त काटे नही कट ता है..
तेरे बिना मेरे साजन
काश ये हो के तू आ जाये
बीत ना जाए यह सावन
...
तभी दरवाज़े पर डॉली को राज के आने की आहट होती है..
जेसे ही डॉली की नज़र राज को देखती है..
राज ने अपने हाथो में दो बड़े बड़े ले रखे थे ....
राज को देखकर डॉली को इतनी खुशी मिलती है जेसे राज से बिछड़े एक ज़माना हो गया था....
राज भी डॉली को दुल्हन के रूप में देखकर पलके झपकाना भूल चुका था ... डॉली इतनी खूबसूरत भी लग सकती है राज को अपनी आँखो पर विश्वास नही हो रहा था ...
राज .... वववूऊओववववव ये स्वर्ग की अप्सरा मेरे घर में कहाँ से आ गई क्या तुम वाक़ई मेरी डॉली दीदी हो...
डॉली.... नही राज में तुम्हारी दीदी बिल्कुल नही हूँ..आज के बाद तुम मुझे सिर्फ़ डॉली कहकर बुलाओगे ...
राज अपनी दीदी की बातो को सुनकर शॉक्ड सा खड़ा रह जाता है ...
Incest परिवार मे प्यार बेशुमार
- Dolly sharma
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Re: Incest परिवार मे प्यार बेशुमार
खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete
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Re: Incest परिवार मे प्यार बेशुमार
खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete
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Re: Incest परिवार मे प्यार बेशुमार
राज अपनी दीदी की बातो को सुनकर शॉक्ड सा खड़ा रह जाता है ...
राज ... ठीक है दीदी
डॉली...फिर से दीदी
राज ...ऊओह सॉरी डॉली
डॉली...हमम्म्म ये हुई ना बात
डॉली...इन बेग में क्या लिए हो राज
राज ... अपनी दुल्हन का रूम सजाने के लिए फूल लेकर आया हूँ ...
डॉली... ऊओह राज सच ..
अब मुझे और सबर नही होता..
चलो जल्दी से हम दोनो शादी कर लेते है ...
राज ... तुम्हे पता है डॉली शादी कैसे होती है ...
डॉली... हमम्म अग्नि के साथ फेरे लेते है गले में वरमाला डालते है फिर
मंगल सूत्र पहनते है माँग में सिंदूर भरते है.. ये रसम निभाकर ही शादी के बंधन में बाँधते है ...
राज ... अर्रे वाह डॉली तुम्हे तो सब पता है..हमे भी शादी करने के लिए पहले ये सारी रस्मे अदा करनी होंगी ..उसके बाद ही हम दोनो शादी के पवित्र बंधन में बंधेंगे ...
डॉली...ह्म्म्म्म
राज ... जब तक में ये सब तैयारी करता हूँ
तुम ऐसा करो फूलो से अपनी सुहाग्सेज सज़ा दो ....
डॉली राज की बात सुनकर राज के रूम में फूलो वाला बेग ले जाती है ...
राज भी दूसरे बेग से शेरवानी निकाल कर तैयार होने लगता है ..
कुछ देर बाद राज दूल्हा बना बाहर आता है.और डॉली भी बेड सज़ा कर बाहर आ चुकी थी ...
दोनो शादी की रस्मे निभाना शुरू करते है ...
राज एक वरमाला डॉली को पकड़ाता है..
और दूसरी वरमाला डॉली के गले में डाल
डॉली को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लेता है ...
डॉली भी राज के गले में वरमाला डालकर राज को अपना पति स्वीकार करती है ...
उसके बाद राज एक कुंड में अग्नि जलाता है ...
डॉली भी आगे बढ़कर रसम निभाने में राज का साथ देती है और अपनी चुन्नी की राज के कपड़ो से बाँध लेती है ..
राज अग्नि जलाकर डॉली के साथ अग्नि के
सात फेरे लेने शुरू करता है ...
डॉली और राज साथ फेरे भी पूरे कर लेते है .. जेसे ही डॉली के साथ फेरे पूरे हुए डॉली खुद को राज की जीवन संगनी समझने लगती है...
सात फेरे पूरे होते ही राज डॉली की माँग में सिंदूर भर देता है
और अपनी जेब से मंगल सूत्र निकाल कर डॉली के गले में पहना देता है ...
राज .. डॉली आज से तुम मेरी धरम पत्नी बन चुकी हो ..
डॉली की शादी का सपना पूरा हो चुका था ...जिससे डॉली एक दम भावुक सी हो जाती है..
जेसे शादी के बाद दुल्हन अपने बाबुल से विदा होते हुए होती है ...
डॉली को भावुक होता देख राज डॉली को
अपनी बाँहो में भर लेता है ...
काफ़ी देर दोनो एक दूजे से यू ही लिपटे हुए
रहते है ...
उसके बाद राज अपनी दुल्हन को अपनी गोद में उठा लेता है...
डॉली भी राज के गले में बाँहे डाल
लेती है ..
राज अपनी दुल्हन को लेकर अपने रूम में
आ चुका था..जेसे डॉली ने पहले ही फूलो से सज़ा कर सुहाग सेज बना दिया था ...राज डॉली को बॅड पर बिठा कर रूम से बाहर चला जाता है ....
डॉली दुल्हन बनी सुहाग्सेज पर घूँघट ओढ़े बैठी थी ..
इस वक़्त डॉली को लग रहा था अपने मिलन की घड़ी आ चुकी है.. अब दो जिस्म एक होने वाले है..डॉली का मन तो राज से कब का मिल चुका था...अब चाँद घड़ी में टन से टन का मिलन होने वाला था.
राज अपने हाथो में केसर बादाम वाला
दूध का ग्लास लेकर आया था ...
राज के करीब आने से डॉली अब जाने को घबराई सी शरमाई सी होने लगी थी..
अपने घूँघट को और भी बड़ा करते हुए अपने आप में सिमटी जा रही .....
राज दूध का ग्लास टेबल पर रखकर ..
फूलो से सजे बॅड पर बैठी अपनी दुल्हन के पास बैठते हुए अपने हाथो से राज डॉली का घूँघट हटाता है ...
राज ... ठीक है दीदी
डॉली...फिर से दीदी
राज ...ऊओह सॉरी डॉली
डॉली...हमम्म्म ये हुई ना बात
डॉली...इन बेग में क्या लिए हो राज
राज ... अपनी दुल्हन का रूम सजाने के लिए फूल लेकर आया हूँ ...
डॉली... ऊओह राज सच ..
अब मुझे और सबर नही होता..
चलो जल्दी से हम दोनो शादी कर लेते है ...
राज ... तुम्हे पता है डॉली शादी कैसे होती है ...
डॉली... हमम्म अग्नि के साथ फेरे लेते है गले में वरमाला डालते है फिर
मंगल सूत्र पहनते है माँग में सिंदूर भरते है.. ये रसम निभाकर ही शादी के बंधन में बाँधते है ...
राज ... अर्रे वाह डॉली तुम्हे तो सब पता है..हमे भी शादी करने के लिए पहले ये सारी रस्मे अदा करनी होंगी ..उसके बाद ही हम दोनो शादी के पवित्र बंधन में बंधेंगे ...
डॉली...ह्म्म्म्म
राज ... जब तक में ये सब तैयारी करता हूँ
तुम ऐसा करो फूलो से अपनी सुहाग्सेज सज़ा दो ....
डॉली राज की बात सुनकर राज के रूम में फूलो वाला बेग ले जाती है ...
राज भी दूसरे बेग से शेरवानी निकाल कर तैयार होने लगता है ..
कुछ देर बाद राज दूल्हा बना बाहर आता है.और डॉली भी बेड सज़ा कर बाहर आ चुकी थी ...
दोनो शादी की रस्मे निभाना शुरू करते है ...
राज एक वरमाला डॉली को पकड़ाता है..
और दूसरी वरमाला डॉली के गले में डाल
डॉली को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लेता है ...
डॉली भी राज के गले में वरमाला डालकर राज को अपना पति स्वीकार करती है ...
उसके बाद राज एक कुंड में अग्नि जलाता है ...
डॉली भी आगे बढ़कर रसम निभाने में राज का साथ देती है और अपनी चुन्नी की राज के कपड़ो से बाँध लेती है ..
राज अग्नि जलाकर डॉली के साथ अग्नि के
सात फेरे लेने शुरू करता है ...
डॉली और राज साथ फेरे भी पूरे कर लेते है .. जेसे ही डॉली के साथ फेरे पूरे हुए डॉली खुद को राज की जीवन संगनी समझने लगती है...
सात फेरे पूरे होते ही राज डॉली की माँग में सिंदूर भर देता है
और अपनी जेब से मंगल सूत्र निकाल कर डॉली के गले में पहना देता है ...
राज .. डॉली आज से तुम मेरी धरम पत्नी बन चुकी हो ..
डॉली की शादी का सपना पूरा हो चुका था ...जिससे डॉली एक दम भावुक सी हो जाती है..
जेसे शादी के बाद दुल्हन अपने बाबुल से विदा होते हुए होती है ...
डॉली को भावुक होता देख राज डॉली को
अपनी बाँहो में भर लेता है ...
काफ़ी देर दोनो एक दूजे से यू ही लिपटे हुए
रहते है ...
उसके बाद राज अपनी दुल्हन को अपनी गोद में उठा लेता है...
डॉली भी राज के गले में बाँहे डाल
लेती है ..
राज अपनी दुल्हन को लेकर अपने रूम में
आ चुका था..जेसे डॉली ने पहले ही फूलो से सज़ा कर सुहाग सेज बना दिया था ...राज डॉली को बॅड पर बिठा कर रूम से बाहर चला जाता है ....
डॉली दुल्हन बनी सुहाग्सेज पर घूँघट ओढ़े बैठी थी ..
इस वक़्त डॉली को लग रहा था अपने मिलन की घड़ी आ चुकी है.. अब दो जिस्म एक होने वाले है..डॉली का मन तो राज से कब का मिल चुका था...अब चाँद घड़ी में टन से टन का मिलन होने वाला था.
राज अपने हाथो में केसर बादाम वाला
दूध का ग्लास लेकर आया था ...
राज के करीब आने से डॉली अब जाने को घबराई सी शरमाई सी होने लगी थी..
अपने घूँघट को और भी बड़ा करते हुए अपने आप में सिमटी जा रही .....
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Re: Incest परिवार मे प्यार बेशुमार
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- Joined: 12 Apr 2019 11:26
Re: Incest परिवार मे प्यार बेशुमार
Upadate De bhai
Kb se story chal ri h
Puri kr de isko bhai
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