गर्म सिसकारी

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rajababu
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गर्म सिसकारी

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गर्म सिसकारी

गांव के बूढ़े बच्चे औरतें सभी लोग गांव के चौपाल पर इकट्ठा हुए थे क्योंकि आज फैसला आना था और मसला था लाला के 10 बीघा जमीन की जो की गांव वालों के जानवर के चरने के काम में आती थी,,, और गांव वालों के पशुपालन की उम्मीद भी यही दस बीघा खुली हुई हरियाली से भरी हुई जमीन थी जिस पर उनके जानवर चरते थे लेकिन लाला नहीं चाहता था कि अब गांव वालों के पशु उसकी जमीन पर चढ़े इसलिए वह गांव वालों को सख्त हिदायत दे रखा था कि अगर किसी भी गांव वालों का जानवर उसकी जमीन पर दिखाई दिया तो वह उसके जानवर को भी उठा ले जाएगा और उससे दंड भी लेगा,,
लाला के इस बात से पूरे गांव वाले परेशान थे लाला के सामने बोलने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी क्योंकि लाला बेहद हैरानी किस्म का इंसान था और उसके पास गुंडों का गुट था,,, जिससे जब चाहे तब वह किसी को भी मरवा पिटवा सकता था,,, इसलिए तो गांव वाले उससे कुछ बोल नहीं पाए,,लेकिन उनकी आखिरी उम्मीद थी गांव के मुखिया प्रताप सिंह पर जो कि गांव वालों के लिए एकदम भगवान की तरह थे क्योंकि आज तक उन्होंने ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया जिसमें गांव वालों का नुकसान हुआ जितना भी फैसला उन्होंने लिया सब गांव वालों के हक में हुआ और दूसरे गांव वाले खुश भी हैं और इसीलिए तो प्रताप सिंह की इज्जत गांव में बहुत ही ज्यादा थी,,
और आज दस बीघा खुली जमीन का भी फैसला प्रताप सिंह को ही करना था इसलिए तो गांव के सभी लोग चौपाल पर इकट्ठा हुए थे,,,
गांव के लोग आपस में ही कानाफूसी कर रहे थे क्योंकि उन्हें मालूम था कि अगर 10 बीघा जमीन का फैसला उनके हक में आ गया तो उनका पशुपालन अच्छे से चलता रहेगा वरना उन्हें पशुपालन बंद कर देना पड़ेगा क्योंकि दूसरी खुली जमीन इतनी नहीं थी और जो थी,,, वह ठीक बिल्कुल भी नहीं थी,,,
गांव वालों के बीच में दूसरों की ही तरह लेकिन कुछ ज्यादा ही चिंतित नजर आ रही थी कजरी,,, क्योंकि कजरी का जीवन यापन दूसरे गांव वालों की तरह ही पशुपालन और थोड़े से खेत में हो रहा था ,,, और बाकी गांव वालों की तुलना में बजरी के पास खेती की मात्रा और पशुओं की गिनती ज्यादा थी जिससे वह अपने घर का गुजारा चला ले रही थी,, अगर आज फैसला गांव वालों के हक में आ गया तो,, कजरी का घर पहुंच अच्छे से चल जाएगा ऐसा उसे उम्मीद थी लेकिन अगर फैसला उसके हाथ में नहीं आया तो उसे भी मजबूरन अपने जानवर को बैच देना पड़ेगा,,, इसीलिए उसके माथे पर चिंता की लकीर कुछ ज्यादा ही गहरी होती जा रही थी जैसे जैसे समय गुजर रहा था वैसे वैसे गांव वालों के साथ साथ कजरी के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, तभी उसके बगल में लगभग हांफते हुए ललिया आकर खड़ी हो गई और अपने गीले हाथ को अपनी साड़ी से पोंछते हुए कजरी से बोली,,,

क्या हुआ कजरी प्रताप सिंह जी आ गए क्या,,,?

नहीं रे उन्हीं का तो इंतजार है और रघु नहीं आया,,,,(इधर उधर देखते हुए कजरी बोली,,)

नहीं मैं कितना जोर जोर से दरवाजे को पीट-पीटकर थक गई लेकिन तुम्हारे लड़के की नींद खुले तब ना हो तो एकदम कुंभकरण की तरह सो रहा है,,,

क्या करूं इस लड़की का इतना बड़ा हो गया है लेकिन फिर भी अभी एकदम बच्चे की तरह ही रहता है बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता उसे की कौन जी रहा है कौन मर रहा है घर में कैसे भोजन का प्रबंध हो रहा है यह सब बिल्कुल भी मतलब का नहीं है उसके बस उसे खाने को चाहिए और आवारा दोस्तों की तरह गांव में घूमने को,,,

क्या करोगी कजरी आजकल पूरे गांव में इस उम्र के छोकरो का यही हाल है,,,,
(कजरी और ललिया दोनों एक दूसरे की पड़ोसन थी दोनों में काफी अच्छी बनती थी,, दोनों आपस में बात कर ही रही थी कि तभी प्रताप सिंह की बग्गी आती हुई नजर आई और सब लोग आंखों में आशा की उम्मीद लिए उसी तरफ देखने लगे,,,,)
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rajababu
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Re: गर्म सिसकारी

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गांव वालों की नजरें जिस की राह देख रही थी उसकी बग्गी सामने से आती हुई नजर आ रही थी सबकी आंखों में चमक आ गई,,,, तभी चौपाल के बीचो बीच घोड़ा गाड़ी आकर खड़ी हुई घोड़ा बांध चाबुक मारकर घोड़े को वही खड़े रहने का इशारा किया और घोड़ा भी समझदार था वह चौपाल के बीचो-बीच खड़ा हो गया,,, तभी उसमें से अपनी मूछों पर ताव देते हुए प्रताप सिंह नीचे उतरे और साथ में उनके नौकर उनके आजू बाजू सर झुकाए खड़े हो गए,,,,
गांव वाले पहले से ही प्रताप सिंह जी के लिए अच्छी कुर्सी का प्रबंध करके वही रख दिए थे जिस पर प्रताप सिंह विराजमान हो गए,,,, उनको देखते ही गांव वालों में आपस में कानाफूसी शुरू हो गई,,, तभी प्रताप सिंह कुर्सी पर बैठे बैठे हाथ ऊपर करके सभी को खामोश रहने का इशारा किया,,, इतनी देर में वहां पर लाला भी आ गया जिसकी जमीन का फैसला होने वाला था,,,

देखिए मैं जानता हूं कि आप गांव वालों के लिए लाला जी की यह 10 बीघा खुली जमीन जो की हरियाली से भरी हुई है कितनी मायने रखती है,,,( बातें करते हुए प्रताप सिंह कभी लाला की तरफ तो कभी गांव वालों की तरफ देख ले रहे थे,,) और काफी सोच-विचार कर मैंने यह फैसला लिया है कि,,,,( इतना कहकर प्रताप सिंह खामोश हो गए और इधर-उधर देखने लगे उनके इस रवैया को देखकर गांव वालों की घिग्घी बंध गई,,, गांव वालों के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि गांव के मुखिया प्रताप सिंह जी किस तरह का फैसला लेंगे,,, तभी प्रताप सिंह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले।)
वैसे तो कानूनी तौर पर कहा जाए तो जो कुछ भी लालाजी ने किया वह बिल्कुल सही है लेकिन इंसानियत के नाते यह बिल्कुल गलत है और कानून और इंसानियत की बात जब भी होती है इंसानियत को मैं पहले पक्ष में रखता हूं इसलिए मैं यह फैसला किया हूं कि। लालाजी की 10 बीघा हरियाली से भरी हुई जमीन वह संपूर्ण रूप से लाला की है उस पर किसी भी व्यक्ति या गांव वालों का बिल्कुल भी हक नहीं है लेकिन मेरे समझाने पर लाला जी इस बात के लिए राजी हो चुके हैं कि आप गांव वाले लोग अपने पशुओं को इस जमीन पर चराने के लिए खुला छोड़ सकते हैं ,,,,,( इतना सुनते ही गांव वाले खुशी से चिल्लाने लगे उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था खासकर के कजरी जो की खुशी के मारे ललिया की गले लग गई प्रताप सिंह गांव वालों को फिर से शांत कराने के लिए अपना हाथ ऊपर किए और गांव वाले फिर खामोश हो गए,,,,) लेकिन किसी भी प्रकार का किसी भी तरह से लाला की जमीन पर कोई भी कुछ भी बना नहीं सकता या किसी भी प्रकार का दावा नहीं कर सकता यह मेरा हुक्म और फैसला दोनों है,,,
( एक बार फिर से गांव वाले खुश होते हुए शोर मचाने लगे उन्हें शांत कराने के लिए इस बार प्रताप सिंह खुद कुर्सी पर से उठ खड़े हुए और सभी गांव वाले अपनी खुशी जताने के लिए उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेने लगे,,,,)

मालिक आपका यह फैसला हम गांव वालों के लिए जीवनदान है आपका यह फैसला हम लोगों के लिए आशीर्वाद की तरह है इसी तरह से आप हम गांव वालों का उद्धार करते रहिए,,,,( इतना कहकर एक बुजुर्ग जब प्रताप सिंह के पैर छूने लगा तो प्रताप सिंह उसका हाथ पकड़ कर उसे खड़ा कर दिया और उसे गले से लगाते हुए बोले ,,,,,


यह क्या कर रहे हैं आप मेरा तो यह फर्ज बनता है कि आपका वालों की खुशी का ख्याल रखो मैं जो भी कुछ किया हूं वह सब आप लोगों की भलाई के लिए किया हूं,,,

प्रताप सिंह जी की जय,,,,,, प्रताप सिंह जी की जय,,,,

गांव वाले नारा लगाने लगे और प्रताप सिंह के चेहरे पर खुशी के भाव झलक उठे वह जाने के लिए तैयार हो गए थे और जैसे ही बग्गी में बैठने के लिए पावा के बढ़ाएं कि तभी लाला आकर बोल पड़ा,,,,

प्रताप सिंह जी मुझे पूरा विश्वास है कि आप जो भी फैसला लेते हैं वह हमेशा सच ही फैसला होता है गांव वालों की भलाई के लिए,,,,

देखो लालाजी भगवान ने आपको बहुत कुछ दिया है अगर थोड़ा बहुत लोगों की मदद करने में छोड़ भी देंगे तो इसमें आपका कुछ कम नहीं होगा बल्कि भगवान आपको और भी देगा अब मैं चलता हूं अपना ख्याल रखना ,,,,,

इतना कहने के साथ ही प्रताप सिंह फिर से घोड़ा गाड़ी में सवार हो गए और घोड़ा वान घोड़ा गाड़ी आगे बढ़ा दिया। लाला वहीं खड़ा घोड़ा गाड़ी को आगे बढ़ते हुए धूल उड़ाते हुए देखता रहा लाला को यह फैसला मंजूर नहीं था लेकिन एक समधी होने के नाते उसे यह फैसला मानना ही पड़ा आखिरकार अपनी बेटी जो प्रताप सिंह के घर पर बिहा कर दिया है,,,,,

कजरी बहुत खुश थी,,,,वह ललिया से बातें करते हुए अपने घर की तरफ आ गई,,,, घर पर पहुंचते ही देखी की घर का दरवाजा खुला हुआ है और अंदर कमरे में रघु नहीं था,,,, खाली बिस्तर को देखकर वह मन ही मन में बोली,,,
देखा जब काम पड़ता है तो यह कभी भी हाजिर नहीं रहता चौपाल पर आज फैसला होने वाला था तो यह आराम से सो रहा था और जब फैसला हो गया तो यह अपने बिस्तर से गायब है जरूर रामू ही इसे जगा कर ले गया होगा,,,( रामू उसकी पड़ोसन ललिया का लड़का था जो कि रघु के ही उम्र का था दोनों में काफी बनती थी दोनों जहां जाते थे एक साथ जाते थे उठते बैठते खेलते दिखाते हमेशा साथ में ही रहते थे ,,, और कजरी का सोचना बिल्कुल सही था रघु अपने बिस्तर पर सो रहा था तो रामू भी उसे जगा कर बाहर ले गया था,,,,, कजरी हाथ में झाड़ू लेते हुए फिर से अपने मन में बड़बड़ाती हुई बोली,,,)
और यह शालू भी गायब है इसे बोल कर गई थी कि मेरे आने से पहले घर की सफाई कर देना लेकिन यह महारानी है कि इनको समझ में नहीं आता जब तक 10 बार ना बोला जाए,,,( शालू कजरी की ही लड़की थी जो कि रघु से बड़ी थी और वह तालाब पर कपड़े धोने गई थी,,,, कजरी घर में अकेली थी और वह अकेले ही घर की सफाई करना शुरू कर दी,,,)
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Re: गर्म सिसकारी

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रघु और रामू दोनों भागे चले जा रहे थे,,,, दोनों एक दूसरे को पीछे करने की होड़ में लगे हुए थे कभी रामू आगे हो जाता तो कभी रघु,,,, वह लोग जल्द से जल्द ऊंची टेकरी पर पहुंचना चाहते थे जिसके पीछे हरा-भरा मैदान ही मैदान था यह उसी 10 बीघा जमीन का हिस्सा था जिसका फैसला आज प्रताप सिंह ने गांव वालों के हक में करके गए थे,,,, थोड़ी देर में दोनों टेकरी के पास हाफते हुए पहुंच गए,,,,,

देखा रामू मैं तुझसे पहले पहुंच गया ,,,,,

तू नहीं मैं पहुंचा हूं पहले,,,,,( रामू रघु से बोला,,, दोनों इसी तरह से मैं पहुंचा में पहुंचा में लगे हुए थे तभी रघु शांत होता हुआ बोला,,,)

अच्छा चल तू पहुंचा,,,, जल्दी कर ऐसा ना हो कि नजारा देखने से पहले ही उस पर पर्दा पड़ जाए,,,
( इतना कहने के साथ ही दोनों थोड़ी सी ऊंची टेकरी पर चढ़ने लगे जिस पर ऊंची ऊंची घास ऊगी हुई थी चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी,,,, धीरे-धीरे करके दोनों ऊंची टेकरी पर चढ़ गए,,,, और वहां से छुपकर सामने खुले मैदान का नजारा देखने लगे जहां पर बड़े-बड़े पेड़ उगे हुए थे और बड़ी-बड़ी घास भी उगी हुई थी,,, दोनों इधर-उधर जहां तक नजर जा रही थी वहां तक नजर दौड़ा कर देखने लगे लेकिन वहां कोई भी नजर नहीं आ रहा था तो दोनों निराश हो गए रघु निराश होता हुआ बोला,,,।)

यार लगता है आज हम दोनों को इधर आने में देर हो गई देख कोई भी नहीं है,,,

हां यार आज सच में देर हो गई और यह सब तेरी वजह से हुआ है देर तक सोता रहता है मुझे ही तुझे जगा कर लाना पड़ता है,,,( रामू रघु से नाराज होता हुआ बोला,,,)

लेकिन यार ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ और ज्यादा देर भी नहीं हुई है,,,,( रघु बड़े-बड़े घास की ओट में छुपकर मैदान की तरफ इधर उधर देखता हुआ बोला,,,)

लेकिन आज तो हो गया ना अब चल यहां कुछ नहीं दिखने वाला,,,( रामू की निराशा भरी बातें सुनकर रघु भी उदास हो गया उसे भी लगने लगा कि आज कुछ दीखने वाला नहीं है और वह भी टेकरी से नीचे उतरने ही वाला था कि तभी कुछ लड़कियों के हंसने की आवाज आई तो वह चौकन्ना हो गया और फिर से उसी मैदान की तरफ देखने लगा कि तभी उसे चार पांच लड़कियों का झुंड वहां पर आता हुआ नजर आया,,,)

जल्दी,,,,,,-जल्दी रामू इधर आ जल्दी हमें देर नहीं हुई है शायद इन लड़कियों को ही देर हो गई है जल्दी आ देख,,,
( रघु एकदम चमकते हुए बोला तो रामू के चेहरे पर भी प्रसन्नता भरे भाव नजर आने लगे और वह भी झट से टेकरी के ऊपर चढ़ गया और घास की ओट में छिप कर सामने मैदान की तरफ देखने लगा जहां से चार पांच लड़कियां पेड़ की तरफ से आ रही थी,,,, रघु और रामू दोनों सामने मैदान की तरफ देखने लगे जैसे जैसे वह लड़कियां करीब आती जा रही थी वैसे वैसे दोनों के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी देखते ही देखते वह चार पांच लड़कियों का झूठ इतना करीब आ गया कि उन दोनों को एकदम साफ साफ नजर आने लगा कि वह लड़कियां कौन है कि तभी दो लड़कियों को पहचानते हुए रघु बोल पड़ा,,,)

अरे देख रहा हूं देख जल्दी तेरी बहन भी है रानी और चंदा,,,, कसम से रामू आज तो मजा आ जाएगा,,,( रानी और चंदा दोनों रामू की बड़ी बहने थी शादी की उम्र हो गई थी लेकिन पैसे की तंगी की वजह से अभी तक दोनों का रिश्ता नहीं हो पाया था दोनों में जवानी कूट-कूट कर भरी हुई थी,,,, या यूं कह लो उन लड़कियों के झुंड में सबसे खूबसूरत लड़कियां और रामू की दोनों बहने ही थी,,, रघु की हालत तो अभी से खराब होती जा रही थी उसके पेजआमए में उसके लंड गदर मचाना शुरू कर दिया था,,, रघु की बातें सुनकर रामू कुछ बोला नहीं क्योंकि उसे भी अपनी दोनों बहनों को कपड़े उतारते हुए देखने में आनंद आता था और वह कई बार अपनी बहन को नंगी भी देख चुका था आज उसके हाथ फिर एक बार मौका लगा था कि वह अपनी बहन की नंगी गांड के दर्शन कर सकें,,,, देखते ही देखते वह लड़कियां उन दोनों के लिए नहीं करीब आ गई कि उन दोनों को वहां से वह लड़कियां एकदम साफ नजर आ रही थी वह लड़कियां सभी थोड़ी थोड़ी दूरी पर लंबी-लंबी घांसो के बीच खड़ी हो गई,,,, और वालों की किस्मत इतनी अच्छी थी कि उन सभी लड़कियों की पीठ उन्हें दोनों की तरफ थी,,,, जहां से उन लोगों को उन सभी लड़कियों की मदमस्त गांड के दर्शन करने को अच्छी तरह से मिल रहा था,,,,)

रामू अब आएगा असली मजा आज तो मेरा दिन बन गया तेरी दोनों बहने अपनी सलवार उतार कर अपनी बड़ी बड़ी नंगी गांड दिखाएंगी कसम से मेरा लंड हीचकोले खा रहा है,,,,( शुभम पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए बोला और उसकी यह हरकत रामू देख रहा था लेकिन बोल कुछ नहीं रहा था अपनी बहनों के बारे में रघु के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर उसे भी मजा आ रहा था,, जो हालत रघु की थी वही हालत रामू की भी हो रही थी रामू के मन में भी अपनी बहनों की नंगी गांड देखने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,,, रखो अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर यह तसल्ली भी कर ले रहा था कि कहीं कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था,,,, देखते ही देखते बाकी की लड़कियां अपनी सलवार उतार कर वही बड़ी-बड़ी घास के बीच बैठ गई लेकिन रानी और चंदा दोनों अभी भी खड़ी होकर इधर-उधर देख रही थी तभी उनकी सहेलियां बोली,,,।)

अब देख क्या रही है यहां कोई आने वाला नहीं है बैठ जा जल्दी से,,,,
( उन लड़कियों की बात रामू और रघु दोनों को एकदम साफ सुनाई दे रहा था इसलिए वह उन लड़कियों की बात सुनकर रघु बोला,,,)

हाय,,,, रामू तेरी बहने शर्माती बहुत है,,,, कपड़े उतारने में और वह भी लड़कियों के सामने कसम से अगर मेरे सामने तेरी बहन ने इस तरह से शर्मा कर कपड़े उतारे तो मेरी तो किस्मत ही बदल जाए,,,,

तू बहुत हारामी है रघु मेरे सामने मेरी बहनों के बारे में ऐसी बातें करता है,,,

तुझे बुरा लगा है तो बोल दे मैं तेरे सामने कभी ऐसी बातें नहीं करूंगा लेकिन सच कहूं तो तेरी बहने इतनी ज्यादा खूबसूरत है कि मैं तो तड़पता हूं तेरी बहनों को नंगी देखने के लिए,,,, अभी तु देखना तेरी बहने कैसे अपनी सलवार उतार कर अपनी नंगी नंगी गांड के दर्शन कराएंगी,,,,सहहहहह,,,,, मजा आ जाएगा,,,,
( रघु की गंदी बातें सुनकर रामू को ज्यादा नाराजगी नहीं दर्शा रहा था बस यूं ही ऊपरी मन से यह सब कह रहा था बाकी अंदर से तो उसे रघु कि इस तरह की गंदी बातें और वह भी उसकी बहन के बारे में सुनकर तो उसकी उत्तेजना बढ़ जा रही थी,,, तभी तो वह अपने पजामे में हाथ डालकर अभी से अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया था,,,,। अपनी सहेलियों की बात सुनकर भी रानी और चंदा इधर-उधर देखकर पूरी तसल्ली के साथ अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी,,, जैसे-जैसे रानी और चंदा अपने सलवार की डोरी को खोलते जा रही थी वैसे वैसे रघु और रामू दोनों की हालत खराब होती जा रही थी,,,, रामू तो अपने पजामें को घुटनों तक सरका कर अपने लंड को हिलाना भी शुरू कर दिया था जब रघु ने उसकी तरफ नजर दौड़ाया तो उसकी हालत को देखकर हंसने लगा और बोला ,,,,)


साले मुझसे ज्यादा हरामी तो तू है कि अपनी बहन को नंगी होता हुआ देखकर खुद इतना मस्त हुआ जा रहा है कि अपना लंड हिला रहा है,,,। हिला हिला कोई बात नहीं लंड को तो सिर्फ बुर से मतलब होती है और वह किसकी है इससे कोई मायने नहीं रखता,,,
( रघु की बात सुनकर रामू बोला कुछ नहीं क्योंकि वह भी जानता था कि रघु जो कुछ भी कह रहा था वह बिल्कुल सच था वह बस सामने के नजारे को देखता हुआ मजा ले रहा था देखते ही देखते उन दोनों की आंखों के सामने दोनों ने अपने सरवार की डोरी खोल कर खड़ी हो गई अब रघु से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने उसकी हालत खराब कर देने वाली दोनों लड़कियां खड़ी थी जो कि उसके ही दोस्त की बहन थी अक्सर उन दोनों बहनों को देख कर रघु आहे भरता था,,,, हालांकि अभी तक उसे ऐसा मौका कभी नहीं मिल पाया था कि वह उन दोनों बहनों को नंगी देख सके लेकिन आज किस्मत से उसके हाथ ऐसा मौका मिला था और वह इस मौके को जाने नहीं देना चाहता था वह अच्छी तरह से जानता था कपड़ों के ऊपर से जब वह दोनों बहने इतनी खूबसूरत लगती है तो बिना कपड़ों के तो वह लोग कयामत लगती होंगी इसलिए उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और वह भी अपने पजामे को घुटनों तक नीचे खींच कर कर दिया,,,,
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Re: गर्म सिसकारी

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पजामे के नीचे आते ही रघु का मोटा लंड जो कि एकदम मुसल की तरह था वह एकदम हवा में लहराने लगा,,,, और रघु अपने लहराते हुए लंड को अपने हाथ में लेकर उसे ऊपर नीचे करके अपने हाथ से हिलाते हुए रामू से बोला,,,,।

देख रामु तेरी दोनों बहनों को देखकर कैसा मचल रहा है मेरा लंड,,,,( रघु की बातें सुनकर रामू की नजर जैसे ही रघु के मोटे तगड़े लंड पर पड़ी आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया क्योंकि आज पहली बार हुआ रघु के लंड को देख रहा था भले ही उन दोनों की याद आती थी इस तरह से टेकरी पर आकर लड़कियों को शौच करते हुए देखने की लेकिन रामू तो अपने लंड को हिला कर पानी निकाल लेता था लेकिन रघु ने इस तरह की हरकत है रामू के सामने कभी नहीं किया था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने उसके दोस्त की दोनों बहने थी जो कि अपनी सलवार की डोरी खोले खड़ी थी या गरमा गरम नजारा उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और वह भी रामू की तरह अपना पहचाना उतार कर अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था,,,, रघु के मोटे तगड़े लंड को देखकर रामू आश्चर्य से बोला,,,।

बाप रे रघु तेरा तो कितना मोटा और लंबा है,,,,

रामू बेटा यह मर्दाना ताकत से भरे हुए मर्द का लंड है,,,, मेरे लंड को देख कैसी तेरी हालत खराब हो गई तो सोच जब तेरी दोनों बहने मेरे लंड को देखेगी तो उनकी तो बुर गीली हो जाएगी,,,, कसम से रामू बहुत मजा आएगा तेरी बहन की बुर में लंड डालने में,,,

देख रघु ये अच्छी बात नहीं है मेरी बहनों के बारे में इस तरह की बातें मत कर,,,( रामू नाराजगी दर्शाते हुए बोला लेकिन यह सिर्फ ऊपरी मन से था अंदर से तो रघु की यह बातें उसे एकदम मस्त कर दे रही थी,,,,)

मैं तो करुंगा दोस्त क्या करूं मजबूर हूं तेरी दोनों बहने इतनी मस्त है कि उन्हें देखते ही लंड खड़ा हो जाता है अगर तेरी बहन तैयार हो तो मैं अभी यहीं पर दोनों की बुर में लंड डालकर उन दोनों की चुदाई कर दु और तू भी अपनी आंख से यह देख ले कि एक मर्द कैसे चुदाई करता है,,,


देख रहा हूं इस तरह की बातें मत कर मैं मम्मी को सब कुछ बता दूंगा,,,,

बता दे मेरे राजा फिर मैं अभी तेरी मम्मी को यह बता दूंगा कि तुम्हारी लड़कियां जब मैं दान करने जाती है तो तुम्हारा लड़का खुद अपनी बहनों को देखकर अपना लंड हीलाकर पानी निकाल देता है,,,
( रघु की यह बात सुनकर रामू बोला कुछ नहीं बस उसे देखता रहा,,, तभी रघु उन दोनों की तरफ देखा तो उसकी हालत खराब होने लगी बहुत दोनों अपनी सलवार को घुटनों तक कर दी थी और अब धीरे-धीरे अपने नाजुक उंगलियों के सहारे अपनी पैंटी को को पकड़कर उसे नीचे उतार रही थी,,, रघु की हालत खराब हुए जा रही थी रानी और चंदा की स्थिति को देखकर रघु जोर-जोर से अपने लंड को मुठियाना शुरू कर दिया,,,,,)
ससससहहहह,,,,, हाय मेरी चंदा और रानी क्या बात है तुमने दोनों की,,,,( ऐसा कहते हुए जोर-जोर से लंड को हिलाने लगा,,,, यही हालत रामू की भी थी लेकिन रघु की गंदी बातें जो कि उसकी बहन के बारे में थी उस गंदी बातों को सुनकर और अपनी आंख के सामने अपनी बहनों को इस तरह से सलवार उतार कर अपनी पेंटी उतारते हुए देखकर रामू से उन दोनों की जवानी बर्दाश्त नहीं हुई और उसके लंड ने पानी फेंक दिया,,, रामू की हालत देखकर रघु मुस्कुरा दिया और बोला,,,,,

बस अभी से तेरा शुररररर,,,, हो गया ऐसे कैसे तू अपनी बहनों की जवानी को शांत कर पाएगा देख मैं अपने लंड से तेरी दोनों बहनों की गर्म जवानी को ठंडा कर सकता हूं,,,,
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Re: गर्म सिसकारी

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( रामू अपनी बहनों के बारे में इतनी गंदी बातें रघु के मुंह से सुनकर बोल कुछ नहीं रहा था बस उन गंदी बातों का मजा ले रहा था और रघु के मोटे तगड़े लंड को देखकर एकदम आश्चर्य में था,,,, रघु रामू की दोनों बहनों को देखकर एकदम मस्त हुआ जा रहा था धीरे-धीरे दोनों बहने एक साथ अपनी पैंटी को नीचे की तरफ सरका रही थी जैसे-जैसे उन दोनों की पैंटी नीचे होती जा रही थी वैसे वैसे रघु की आंखों के सामने उन दोनों बहने की नंगी गोरी गांड उजागर होते जा रही थी और उन दोनों की नंगी गांड देखकर रघु जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था आखिरकार वह अपनी पेंटी को अपनी जांघो तक लाकर झट से नीचे बैठ गई और एक बेहतरीन खूबसूरत नयनरम्य दृश्य पर बड़ी बड़ी घांसो का पर्दा पड़ गया,,,, लेकिन रघु के लिए इतना काफी था कुछ सेकंड के लिए ही सही आज अपने मन की मुराद पूरी करने को तो उसे मिल गई थी आज वह चंदा और रानी दोनों की मदमस्त गांड के दर्शन जो कर लिया था वह जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा,,,, था,,, रामू भी अपनी दोनों बहनों की नंगी गांड को देखकर मस्त हो गया था लेकिन अब कुछ करने लायक नहीं था क्योंकि उसका पानी निकल गया था वह धीरे से अपनी पजामे को ऊपर चढ़ा दिया था,,,
बाकी की लड़कियों पर उन दोनों का ध्यान बिल्कुल भी नहीं था ऐसा नहीं था कि वह लड़कियां खूबसूरत नहीं थी लेकिन चंदा और रानी कुछ ज्यादा ही खूबसूरत थी उन दोनों का कसा हुआ बदन बदन का हर एक कटाव किसी भी मर्द का पानी निकाल देने में सक्षम था,,,, चंदा और रानी भी बड़ी-बड़ी घास की ओट में बैठकर सोच करने लगी थी जहां से कुछ नजर नहीं आ रहा था बस उन सब की पीठ ही नजर आ रही थी,,,,
रघु जोर-जोर से अपने लंड को जा रहा था अभी तक उसके लंड ने पानी नहीं फेंका था जो कि रामू के लिए यह एकदम आश्चर्य वाली बात थी,,,

कमाल है रघु इतनी देर से हिला रहा है लेकिन तेरा अभी तक पानी नहीं निकला है,,,,

यही तो मेरी खासियत है रामू अगर मैं किसी औरत की चुदाई करूं तो कम से कम एक घंटा तक उसकी जमकर चुदाई कर सकता है इतने में तो औरतों का दो तीन बार पानी निकल जाता है और मेरा सिर्फ एक बार,,,,

( रघु की बात सुनकर रामू पूरी तरह से आश्चर्य में था क्योंकि वह दो-तीन मिनट से ज्यादा नहीं ठहर पाता था और यह तो एक घंटा टीकने की बात कर रहा था,,,)

तो अभी तेरा पानी कब निकलेगा,,,,

तेरी दोनों बहनों की गांड के दर्शन जब तक दोबारा नहीं हो जाता तब तक देखना इसका पानी नहीं निकलेगा,,,
( बार-बार रघु रामू की बहनों के बारे में गंदी बातें कर रहा था लेकिन राह में बिल्कुल भी एतराज नहीं कर रहा था बस दिखावटी नाराजगी दर्शाने का नाटक भर कर रहा था,,, वापी देखना चाहता था कि जो रघु कह रहा है क्या वास्तव में वह सच है या ऐसे ही बंडल मार रहा है,,,, कुछ देर तक वह सभी लड़कियां वही बड़ी-बड़ी घास में बैठकर बातें करती रही और थोड़ी देर बाद जब वह सभी लड़कियां निपट लिए तो धीरे-धीरे करके एक एक लड़की खड़ी होने लगी और तभी दोनों बहने एक साथ खड़ी हुई और एक बार फिर से रघु और रामू दोनों को उन दोनों की मदमस्त गोरी गोरी गांड के दर्शन हो गए,,,, जब तक चंदा और रानी दोनों अपनी सलवार पहनकर अपनी मदमस्त गांड को पर्दे में करती तब तक रघु जोर-जोर से हिलाता हुआ जैसे ही चंदा और रानी दोनों अपनी सलवार की डोरी को बांधने लगी तब जाकर रघु के लंड से पानी का फव्वारा निकल पड़ा,,,,,
रघु के द्वारा किए गए दावे को पूरा होता हुआ अपनी आंखों से देख कर रामू पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गया उसे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन उसने सब कुछ अपनी आंखों से देखा था। ,,,, रघु पानी निकलने के बाद वही निढाल होकर घास पर ढेर हो गया था,,,, और लंबी लंबी सांसे लेते हुए हाफ रहा था,,,,

चंदा और रानी के साथ साथ बाकी की भी लड़कियां वहां से जा चुकी थी और यह दोनों ही वहां से वापस लौट आए,,,।

कजरी आज बहुत खुश नजर आ रही थी मन ही मन में गाना गुनगुनाते हुए वह झाड़ू से सारे घर की सफाई कर चुके थे अब तक चालू घर पर वापस नहीं लौटी थी इसलिए वह मन ही मन उसे बुदबुदाते हुए भला बुरा भी कह रही थी,,,, क्योंकि अभी तक सूरज सर पर चढ़ाया था लेकिन अभी छोड़ा नहीं चला था आज उसे काफी देर हो चुकी थी क्योंकि आज जमीन का फैसला जो आना था और प्रताप सिंह जी ने जिस तरह का फैसला गांव वालों के हाथ में लिया था उसे सुनकर कजरी बहुत खुश थी,,, लेकिन वह चूल्हा देख कर नाराज हो गई क्योंकि अब तक वह रसोई घर का सारा काम कर चुकी होती थी लेकिन आज चौपाल पर जाने की वजह से उसे देर हो चुकी थी और वह अपनी बड़ी लड़की सालों से नाराज थी कि वह घर पर नहीं थी तो आज खाना भी नहीं बना कर रखे थे वैसे तो रसोई का सारा काम वह खुद ही करती थी लेकिन फिर भी कभी-कभी उसकी बेटी शालू उसका हाथ बटा लिया करती थी लेकिन आज वह कपड़े धोने के लिए नदी पर चली गई थी जिसकी वजह से आज रसोई का काम हो नहीं पाया था अभी उसे नहाना भी बाकी था इसलिए वह जल्दी जल्दी अपने कपड़े समेट कर घर के पीछे बने लकड़ी के सहायता से स्नानघर में घुस गई,,, इसे स्नानघर तो कहना उचित बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी यह नहाने के ही काम में आता था इसलिए इसे स्नानघर कहना ही उचित होगा जिसमें सिर्फ कजरी और उसकी बड़ी बेटी शालू ही नहाया करती थी,,,,
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