गर्म सिसकारी

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rajababu
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Re: गर्म सिसकारी

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कजरी लकड़ी के बने उस छोटे से स्नान घर में प्रवेश कर गई अंदर घुसते ही वह लकड़ी के बड़े फुट्टे के सहारे से उस स्नानगर को बंद कर दी यह लकड़ी का बड़ा फुट्टा दरवाजे का काम करता था,,,,
अभी-अभी कजरी 40 साल की हुई थी गांव में छोटी उम्र में ही शादी कर दिया जाता है वैसा ही कजरी के साथ भी हुआ था छोटी उम्र में शादी कर देने की वजह से वह जल्दी ही मां बन गई दोनों बच्चों के जन्म के बाद उसका पति चल बसा वह ज्यादा ही शराब और बीड़ी पिया करता था,, जिसकी वजह से वह टीबी का मरीज हो गया था और टीबी का मरीज होने के बाद 6 महीने के अंदर ही वह दम तोड़ दिया तब से कजरी अकेले ही अपना जीवन यापन कर रहे थे अपने बच्चों के लालन पोषण में वह कोई भी कमी रहने देना चाह रही थी इसलिए वो दिन रात अपने खेतों में मेहनत करके अपने पालतू पशुओं के सहारे अपने बच्चों को संभाल रही थी,,,,
कजरी अभी भी पूरी तरह से जवान औरत थी उसके बदन का हर एक अंग अपनी मादकता की अलग ही कहानी कहता था उसके अंगों का कटाव ऐसा लगता था कि जैसे भगवान ने खुद अपने हाथों से बनाया हो,,, एक खूबसूरत औरत को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाने के लिए बदन में जहां जहां पर उभार की जरूरत होती है भगवान ने कजरी पर खुले हाथों से लुटाया था,,,, तीखे नैन नक्श गोरा बदन लेकिन धूप में काम कर कर के तीन अंगों पर वस्त्र नहीं होता था वहां का रंग थोड़ा दब चुका था,,,, बड़ी बड़ी काली आंखों को देखकर ही उसके मां-बाप ने उसका नाम कजरी रखा था,,,, मांसल भरावदार बदन पूरी तरह से गांव के हर एक मर्द को आकर्षित करता रहता था और सारे मर्द कजरी की तरफ आकर्षित भी थे जहां से चली जाती थी वहां लोग देखकर गरम आहे भरा करते थे,,,, उच्च मात्रा में घेराव दार ऊभारदार नितंबों को देखकर मर्दों का लंड खड़ा हो जाता था और तो और कजरी के रंगीन खयालों में गांव का हर मर्द लगभग अपने हाथ से ही अपना लंड हिला कर अपने आप को शांत करने की कोशिश करता था,,,, कुल मिलाकर गरीब होने के बावजूद भी खूबसूरती की धनी थी कचरी पूरे गांव की आकर्षण का केंद्र बिंदु थी कजरी,,, और अपनी ऐसी खूबसूरती के कारण गांव की औरतें उससे ईर्ष्या भी करती थी,,,। कुछ भी हो इन सब के बावजूद भी कजरी अपने आप को संभाल कर रखी थी अभी तक उसने अपने दामन पर एक भी दाग लगने नहीं दिया था पति की मृत्यु के बाद से अब तक वह संपूर्ण रूप से शादीशुदा होने के बावजूद भी कुंवारी थी क्योंकि बरसों बीत गए थे ना तो उसने किसी लंड के दर्शन किए थे और ना ही अपनी बुर के अंदर किसी भी लंड को प्रवेश करने की इजाजत दी थी,,, उसके लिए सावन भादो सब एक बराबर था,,,,,
अपने उस छोटे से लकड़ी के सहारे से बने सारा घर में प्रवेश करते ही खत्री अपने बदन पर से एक-एक करके अपने सारे वस्त्र उतारने लगी अपनी साड़ी को उतारकर वह एक किनारे रख कर अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अपने ब्लाउज की डोरी को खोलने लगी,,, जैसे ही ब्लाउज की डोरी खींची हुई अपने आप ही उसकी बड़ी-बड़ी गोलाकार सूचियों सेकसी हुए ब्लाउज का घेराव ढीला होने लगा और देखते ही देखते खत्री ने अपने हाथों के सहारे से अपनी बाहों में से उस ब्लाउज को निकाल कर उसे भी एक किनारे कर दी ब्रा कैसी होती है यह कजरी को मालूम ही नहीं था कजरी को तो क्या पूरे गांव की औरतों ने अब तक शायद ब्रा पहनी ही नहीं थी। कजरी भी केवल ब्लाउज पहना करती थी इसलिए बदन पर से ब्लाउज के उतरते ही उसकी बड़ी-बड़ी गोल मोसंबी जैसी चूचियां अपना मुंह उठाए खड़ी हो गई,,,, उत्तेजना आत्मा की स्थिति में ना होने के बावजूद भी कजरी की सूचियों की निप्पल एकदम काजू की तरह गोल और सख्त थी,,, जिसे मुंह में भर कर चूसने का अपना अलग ही मजा था हालांकि यह सुख अभी तक कजरे ने अपने पति के सिवा दूसरे किसी भी मर्द को नहीं दी थी और इस सुख से उसका पति भी वंचित रहा था क्योंकि औरतों के साथ संभोग कला में वह एकदम नादान था,,,,,


ब्लाउज के उतरते ही कचरी अपने पेटीकोट की डोरी को अपने नरम नरम उंगलियों के सहारे खोलने लगी और देखते ही देखते पेटिकोट की डोरी के खुलते ही उसका पेटीकोट उसकी कमर से टूटते हुए तारे की तरह टूट कर नीचे गिर गया और उस छोटे से स्नानागार में कजरी की खूबसूरती पूरी तरह से नंगी हो गई लेकिन उसे देखने वाला कोई नहीं था,,,, सर से लेकर पांव तक वह स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी बाल खुले हुए थे एकदम घने काले,,, मोटी मोटी सुडोल जांगे एकदम दूधिया के रंग की जिसकी चिकनाहट देखकर शायद किसी का भी पानी निकल जाए और सबसे बेहतरीन जलवा तो कजरी की मदमस्त गांड का था जिस किसी की भी नजर कजरी की गांड पर पड़ जाए तो उसके मुंह से उफफ,,,,, निकल जाए,,,, कजरी की गरमा गरम मद मस्त जवानी किसी के भी वजूद को पिघलाने के लिए काफी थी,,,,,
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rajababu
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Re: गर्म सिसकारी

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कजरी की सुडोल चिकनी टांगों के बीच कि वह पतली सी दरार जिसके इर्द-गिर्द हल्के हल्के रेशमी बालों का झुरमुट सा बना हुआ था ऐसा लग रहा था कि मानो किसी पहाड़ी के बीच से झरना बह रहा हो,,,, झरने में डूबने के लिए दुनिया का हर मर्द तैयार बैठा हो,,,, कजरी की मदमस्त जवानी में दुनिया भर का नशा भरा हुआ था लेकिन उसके नशे का रसपान करने वाला शायद इस दुनिया में अभी तक पैदा नहीं हुआ था,,,, या यूं कह लो कि किसी की मजाल नहीं थी की कजरी के बदन को हाथ भी लगा सके वह हमेशा इन सब मामलों में तुरंत गुस्सा हो जाती थी और अपनी घास काटने वाली कटार उठा लिया करती थी जिससे किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि कजरी के पास जा सके,,,,

इस समय कजरी पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी नहाने के लिए दो बाल्टी में ठंडा पानी भरा हुआ था लेकिन नहाने से पहले उसे बहुत जोरों की पेशाब लग गई और वह उसी तरह से नीचे बैठकर पेशाब करना शुरू कर दी,,, कुश्ती लाजवाब नमकीन दूर से मधुर रस के समाज उसके पेशाब की धार बड़ी तेजी के साथ निकल रही थी और उसकी बुर से मधुर संगीत के रूप में बांसुरी रूपी धुन निकल रही थी जो कि अगर कोई उस धन को सुन लेता तो उसे इस बात का एहसास हो जाता कि कोई खूबसूरत औरत उसके आसपास ही पेशाब कर रही है और यह सोच कर ही उसका लंड खड़ा हो जाता,,,, बड़ी बड़ी गांड पर अपने दोनों हाथ रख कर कजरी पेशाब करने का आनंद लूट रही थी क्योंकि जैसे-जैसे पेशाब उसकी बुर से बाहर निकल रही थी वैसे वैसे उसका प्रेशर कम होता जा रहा था और उसे अपने बदन में आरामदायक महसूस हो रहा था,,, और देखते ही देखते वह मूत्र त्याग करके एक लोटे में पानी लेकर उसे अपनी बुर पर डालकर उसे साफ करने लगी साफ सफाई में कजरी बहुत ध्यान रखती थी खास करके अपने गुप्त अंगो का,,,
धीरे-धीरे करके कजरी बाल्टी से पानी लेकर उस ठंडे पानी को अपनी गर्म बदन पर डालने लगी,,, उसे राहत महसूस हो रही थी,,, कुछ ही देर में वह खड़े होकर अपने बदन पर पानी डालने लगी वह नहा चुकी थी कि तभी उसे अपने लकड़ी का दरवाजा हटता हुआ नजर आया,,,, अपने नंगे बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगे कि तभी लकड़ी का दरवाजा एकदम से हट गया और जैसे कजरी की सांस ही अटक गई लेकिन सामने शालू को खड़ी देखकर उसकी जान में जान आई और वह बोली।

धत् मैं तो डर ही गई मैं समझी की ,,,,( अपनी बड़ी बड़ी चूचियों पर हाथ रखते हुए वह इतना बोल कर रुक गई,,)

क्या समझी यही कि रघु आ गया,,,( शालू दरवाजे पर खड़े होकर अपनी मां से नजरें घुमाते हुए बोली,,)

हां,,,( कजरी शरमाते हुए बोली,,,)

क्या मां तुम भी अगर रघु आ गया होता तो छुपाने जैसा कुछ भी नहीं था सब कुछ तो दिख रहा है तुम्हारा,,,, और यह तुम्हारी (अपनी नजरों को अपनी मां की बुर की तरफ करते हुए) बुर भी दिख रही है इसे देखकर तो तुम्हारा बेटा पागल हो गया होता,,,,

धत ईतनी बड़ी हो गई है लेकिन बात करने का तमीज नहीं है,,,,

इसमें तमीज वाली कौन सी बात है मां ((अपने साथ लाई हुई पानी की बाल्टी को उसी स्नानागार में रखकर वापस जाते हुए) तुम्हारा बेटा बड़ा हो गया है और इस उम्र में लड़कियां अक्सर औरतों के इन अंगों को घूरते ही रहते है,,,

चल चल तू जल्दी से खाना बना मेरा बेटा ऐसा बिल्कुल भी नहीं है वह तो बहुत सीधा साधा है,,,,

अरे वाह बहुत नाज है तुम्हें अपने बेटे पर,,,,

नाज क्यों ना हो,,,, पूरे गांव में कोई लड़का है जो मेरे बेटे की बराबरी कर सकें खूबसूरत भी है बिल्कुल मेरी तरह,,,

हां,,,हांंं,,, तभी घूमता रहता है तुम्हारा बेटा आवारा लड़कों के साथ,,,,

चल अब ज्यादा बहस मत करो पर जल्दी से खाना बना आज बहुत देर हो गई है,,,

तुम चिंता मत करो मां,,, अभी झट से खाना बना देती हुं( इतना कहकर शालू रसोई घर में चली गई और खाना बनाने की तैयारी करने लगी और कजरी गीले कपड़े धोने लगी और वह भी उसी तरह से एकदम नंगी ही,,, लेकिन तभी उसे अभी कुछ देर पहले जिस तरह से शालू एकाएक आ गई थी वह याद आ गया परवाह नहीं चाहती थी कि इसी तरह से कभी रघु आ जाए और उसे नंगे बदन को देख ले इसलिए वो झट से कपड़े धोने से पहले अपने सूखे हुए कपड़े पहन कर वापस कपड़े धोने लगी,,, भले ही मां बेटी में इस तरह की बहस हो जाया करती थी लेकिन दोनों में बड़ा प्यार था मां बेटी का रिश्ता होने के बावजूद भी दोनों एकदम सहेली की तरह रहती थी इसीलिए तो कजरी का परिवार एकदम खुशहाल जिंदगी जी रहा था,,,,

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Re: गर्म सिसकारी

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कजरी नहा धोकर तैयार होती उससे पहले ही शालू ने खाना बना कर तैयार कर दी,,,, कजरी नहाकर धुले हुए कपड़ों को वहीं पास में रस्सी पर टांग कर रसोई घर में आ गई,,, आते ही छोटे से आईने में अपने खूबसूरत चेहरे को निहारने लगी,,, आईना इतना छोटा था कि उसमें केवल उसका चेहरा ही नजर आ रहा था और वह भी एकदम चांद सा खिला हुआ था अपनी खूबसूरत चेहरे को देखकर उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई,, अपनी मां को इस तरह से मुस्कुराते हुए देखकर शालू बोली,,

क्या बात है मां आज इतना मुस्कुरा क्यों रहीं हो,,,

क्यों अब मुस्कुराने पर भी पाबंदी है क्या,,,? ( कपड़े के नाम पर कजरी मात्र अपने पेटिकोट को ऊपर चढ़ा कर उसकी डोरी को अपनी बड़ी बड़ी चूचियों पर बांध रखी थी वह भी इसलिए कि कहीं अचानक उसका लड़का आ जाए तो उसके नंगे बदन को देख ना ले,,, कजरी अपनी पेटिकोट के नीचे की छोर को पकड़कर उसे हल्का सा ऊपर की तरफ उठाए हुए थी और खुद थोड़ा सा झुकी हुई थी जिससे वह अपने गीले बालों को साफ कर रही थी,,, लेकिन पीछे बैठी हुई शालू अपनी मां की इस हरकत की वजह से मुस्कुरा रही थी क्योंकि कजरी के इस तरह से थोड़ा सा झुकने और अपने पेटिकोट को थोड़ा सा ऊपर उठाने की वजह से उसकी मदमस्त गोरी गोरी पर बेहद गदराई हुई गांड नजर आ रही थी और वह भी पूरी नहीं बस गदराई गांड के नीचे वाला हिस्सा जिससे उसके बीच की दरार बेहद मादक लग रही थी,,, उसे मुस्कुराता हुआ देखकर कजरी बोली,,,,

अब तू इतना क्यों मुस्कुरा रही है,,,

नहीं बस ऐसे ही ऐसी कोई बात नहीं है,,,( शालू इतना कहते हुए भी अपनी नजरों को अभी मां की मदमस्त गांड पर गड़ाए हुए थी,,, जिससे कजरी उसकी नजरों का पीछा करते हुए समझ गई की वह क्या देख रही है,,,, अपनी बेटी की इस हरकत पर वह भी मुस्कुरा दी लेकिन वह अपने पेटिकोट को अपने हाथों से छोड़ी नहीं वह पहले की तरह ही अपने बालों को साफ करती रही,,, और बालों को साफ करते हुए वह बोली,,,।)

ऐसा लग रहा है कि जैसे पहली बार देख रही है,,,

नहीं मैं देखी तो बहुत बार हूं लेकिन आज कुछ ज्यादा खूबसूरत लग रही हो,,,,

मैं लग रही हूं या,,,,,( इतना कहकर वह वापस बालों को अपने पेटीकोट से साफ करने लगी अपनी मां का कहने का मतलब शालू समझ गई थी इसलिए वह बोली।)

तुम भी खूबसूरत लग रही हो मां और तुम्हारी ये,,, गांड भी,,( गांड शब्द शालू ने बेहद धीरे से और शरमाते हुए बोली थी,, अपनी बेटी की इस तरह की बात सुनकर कजरी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि शालू का इस तरह की बातों का मतलब उसकी तारीफ करना ही था इस उमर में भी एक लड़की के द्वारा अपने खूबसूरत नितंबों की तारीफ सुनकर वह मन ही मन गर्व महसूस कर रही थी,,, कजरी अपने बालों को साफ कर ली थी और कंगी लेकर अपने बालों को सवारते हुए बोली,,,)

तू पागल हो गई है शालू अब इस उमर में यह इतनी खूबसूरत थोड़ी रह गई है अब तो तेरे दिन हैं जरा आईने में अपना चेहरा देख कितनी खूबसूरत लगती है एकदम चांद का टुकड़ा और जैसा तेरा खूबसूरत चेहरा है वैसी तेरी( जोर से शालू की गांड पर चपत लगाते हुए) गांड है मुझसे भी बहुत खूबसूरत,,,

आहहहहह,,,, मां,,,,,( गांड पर जोर से चपत लगने की वजह से उसके मुंह से आह निकल गई ) ,,,,लेकिन मां तुम्हारे जैसी खूबसूरत और गदराई हुई नहीं है,,,,।

हो जाएगी मेरी रानी बेटी समय के साथ वो और भी खूबसूरत हो जाएगी,,,,
( अपनी मां का कहने का मतलब समझ कर शालू एकदम से शरमा गई और अपनी नजरें झुका कर बोली।)

क्या मां तुम भी,,,,( ऐसा क्या करवा अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर ली लेकिन कजरी अपना हाथ आगे बढ़ा कर दोनों हाथों से सालों के चेहरे को पकड़कर अपनी तरफ बड़े प्यार से करते हुए बोली,,,)

अब तू शादी लायक हो गई है,,, कोई अच्छा सा लड़का मिल जाए तो मैं तेरे हाथ पीले कर दूं,,, तू मुझे तेरी चिंता सताए जाती है कोई अच्छा सा रिश्ता मिल जाए तो समझ लो गंगा नहा ली,,,

क्या मां जब देखो मेरी शादी की बात करती रहती हो मैं तुमको छोड़कर नहीं जाने वाली,,,( ऐसा कहते हो शालू अपनी मां के गले में बाहें डाल कर उसके गले से लग गई,,,)

जाना तो पड़ेगा बेटी लड़की का असली घर उसका ससुराल होता है,,,,( इतना कहते हुए कजरी का दिल भर आया क्योंकि वह जानती थी वह चाहे या ना चाहे शादी करके उसे इस घर से विदा करना जरूरी भी था शादी लायक हो चुकी थी लेकिन अभी तक कोई अच्छा सा लड़का नहीं मिला था इसलिए वह उसके हाथ पीले नहीं कर पाई थी,,, अच्छी तरह से जानती थी कि जवान लड़की का इस तरह से घर में रहना उचित नहीं था क्योंकि बहुत बार ऐसा होता है कि लड़कियां अपनी जवानी को संभाल नहीं पाती और शादी से पहले बदनाम हो जाती है जिससे उनकी शादी में बहुत दिक्कत है आती है इसलिए कजरी ऐसा कुछ भी नहीं चाहती थी कि उसके साथ कुछ ऐसा हो वैसी के जल्द से जल्द अपनी बेटी सालु का ब्याह कर देना चाहती थी,,, वह साली को अपने गले से अलग करते हुए बोली,,, अपना काम कर मुझे कपड़े बदलने दे,,,, शालू वापस जाकर उसी जगह पर बैठकर खाना परोस ने लगी और कजरी अपने पेटिकोट की डोरी को ढीली करके पेटीकोट को नीचे छोड़ दी देखते ही देखते शालू की आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी हो गई,,, अपनी मां की खूबसूरत नंगे बदन को देख कर शालू के मुंह से आह निकल गई शालू को भी अपनी मां के खूबसूरत बदन पर गर्व होता था क्योंकि उसके साथ की उम्र की औरतें बुड्ढी हो चली थी लेकिन कजरी अभी भी पूरी तरह से जवान थी या यूं कहने की इस उम्र में अब उसकी दूसरी बार जवानी शुरू हुई थी। कजरी की मदमस्त गोल-गोल नंगी गांड देखकर शालू को इस बात का एहसास होता था कि भले ही वो इतनी जवान लड़की है लेकिन फिर भी वह अपनी मां की मदमस्त जवानी और उसके खूबसूरत बदन के हिसाब से पूरी तरह से फीकी ही है,,,। अपनी मां की खूबसूरत गदर आई बदन को देख कर सालों खुद शर्म से पानी-पानी हो जाती थी क्योंकि उसे भी अपनी मां की तरह गदराया बदन बड़ी मदमस्त गदराई हुई गांड और गोल-गोल चुची की चाह रहती थी,,, लेकिन इस बात को वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि अपनी मां की तरह गदराई बदन की मालकिन बनने के लिए उसे शादी करना जरूरी था या तो पुरुष संसर्ग,,,,,
दुनिया के रीति रिवाज के मुताबिक वह शादी तो करने को तैयार थे लेकिन किसी गैर पुरुष के साथ संबंध बनाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं किया था क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से उसकी परिवार की इज्जत खराब हो,,, खाना परोसते हुए शालू अपनी मां की मदमस्त नंगी जवानी को देखते जा रही थी और खाना परोसे जा रहे थी,,,, तीन थालियां लगाते हुए देखकर कजरी अपनी दूसरी पेटीकोट की डोरी बांधते हुए जो कि पहली वाली बालों को साफ करने की वजह से गीली हो चुकी पेटीकोट को निकालकर कर वहीं नीचे जमीन पर रख दी थी,,, वह अपनी पेटीकोट की डोरी बांधते हुए शालू से बोली,,,)

तू खाना खा ले शालू रघु आ जाएगा तब मैं खाना खा लूंगी,,,

क्या मैं तुम भी उसका इंतजार कर रही हो जानती हो ना वह कब आएगा उसका कोई ठिकाना नहीं है अपने आवारा दोस्तों के साथ घूम रहा होगा कहीं,,,

तू खा ले शालू मैं उसके साथ ही खाऊंगी तू तो जानती ही हैं बिना उसको खिलाए मैं कभी नहीं खाती,,,,

हां जानती हूं जैसा तुम कहो,,,,,( इतना कहकर शालू दो थाली को बगल में रख दी और अपने लिए खाना परोसने लगी और कजरी कपड़े पहन कर घर से बाहर निकल गई अपने खेतों की तरफ,,,,

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Re: गर्म सिसकारी

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