जिस प्रकार सुहाना मोबाइल ओपन करने का पासवर्ड बताने में झिझक रही थी मेरी उत्सुकता उसके दूसरे मेसेज पढ़ने के लिए बढ़ने लगी। हालांकि किसी दूसरे के मोबाइल के मेसेज बिना उसकी इजाजत के पढ़ना और देखना अच्छी बात तो नहीं है पर मेरे लिए अब अपने आप को रोक पाना कहाँ संभव था।
मैंने उसका मोबाइल फिर से ओपन किया और मेसेज बॉक्स देखा। बहुत से मेसेज थे। ज्यादातर तो उसके प्रोजेक्ट से सम्बंधित थे पर एक फोल्डर का नाम (टॉम) मुझे अजीब सा लगा। साला यह टॉम नामक गुलफाम कौन हो सकता है?
मैंने उस फोल्डर को खोला तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। उसमें तो सुहाना की अलग-अलग अंदाज़ में बहुत सी फोटो थी। हैरानी वाली बात थी साथ में किसी लंगूर की भी बहुत सी फोटो सुहाना के साथ थी।
और आगे तो और भी कमाल था। सुहाना और उस लंगूर के बहुत से अन्तरंग फोटो थे। हे भगवान्! एक फोटो में तो सुहाना ने अपनी जीन पैंट को थोड़ा नीचे करके गुलाबी पैंटी को अपनी अँगुलियों से थोड़ा हटाते हुए भी दिख रही थी जिसमें उसकी बुर नज़र आ रही थी। आह … मेरे कानों में सांय-सांय होने लगी। जैसे गला सूखने सा लगा और साँसें तेज होने लगी।
याल्ला … उसके चुकंदर जैसी बुर का चीरा साफ़ दिख रहा था। ट्रिम किये हुए रेशम से हल्के-हल्के बाल आह … जैसे जन्नत मेरी आँखों के सामने हो। और भी बहुत से फोटो थे।
मैंने उन सारे फोटो और मैसेज को अपने मोबाइल में कॉपी कर लिया। लैला तो बताती है यह सोनचिड़ी बड़ी पढ़ाकू है पर यह चिड़िया तो कॉलेज में बड़े गुल ही नहीं साथ में चुग्गा भी खिला रही है। अब तो थोड़ा सा चुग्गा हमें भी मिल ही जाएगा। अब तो इस कबूतरी का मेरे शिकंजे से बचा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
मेरी आँखों इसी ख्याल से चमकने लगी।
मेरे कंजूस पाठको और पाठिकाओ, आज तो आप सभी को भी एक बार आमीन नहीं तो कम से कम लिंगदेव की जय तो बोलनी ही पड़ेगी।
आप लोग अब मेरी हालत का अंदाज़ा बखूबी लगा सकते हैं। सारी रात करवटें बदलते ही बीती और सुहाना की रेशम जैसी बुर ही आँखों के सामने घूमती रही।
आज सन्डे तो नहीं था पर छुट्टी का दिन था सुबह कोई 7 बजे मेरी आँख खुली। मैं फ्रेश होकर सानिया का इंतज़ार करने लगा। कोई 8 बजे सानिया का फोन आया। उसने बताया कि आज सुबह उसपर छिपकली गिर गई है।
लग गए लौड़े!
सारे प्रोग्राम की मा … बहन कर दी साली ने। अब तो वह अगले 3 दिन नहीं आने वाली।
मेरा मन तो कर रहा था उसे कह दूं कोई बात नहीं तुम रसोई का ना सही दूसरे काम तो कर ही सकती हो पर साली यह मधुर भी कितनी दकियानूसी सोच रखती है. उसने जरूर समझाया होगा कि माहवारी में दिनों में काम पर नहीं आना और बेचारी सानू जान उसके फरमान को कैसे टाल सकती है।
आज कितने प्रोग्राम बनाए थे। बाथरूम में पहले उसकी बुर और कांख के बालों की सफाई करनी थी। हे भगवान्! उसकी चुकंदर सी गंजी चूत को चाटने और चूमने में कितना मज़ा आता। और फिर रसोई में दोनों नंगे होकर नाश्ता बनाते और फिर उसे कोई गरमा गर्म ब्लू फिल्म भी दिखाता और उसकी कुंवारी गांड का उद्घाटन करने में कितना मज़ा आता … पर सब गुड़ गोबर हो गया।
अब मैं थके मन से और बोझिल कदमों से रसोई में चाय बनाने के लिए जाने ही वाला था कि फिर से फोन की घंटी बजने लगी। मैंने स्क्रीन पर देखा लैला का फोन था।
“ओह … हाय … गुड मोर्निंग!”
“गुड मोर्निंग प्रेम जी … आपने तो हमें याद ही नहीं किया?”
“ओह … हाँ बोलिए मैडम?”
“आज छुट्टी का दिन है … आप भी हमारे यहाँ आ जाइए साथ में नाश्ता करते हैं।”
मुझे लगा आज लैला जान का फिर से चुदवाने का मन हो रहा है। हे भगवान्! आज अगर मौक़ा मिल जाए तो कसम से आज उसकी गांड तो जरूर मारूंगा।
“और हाँ वो … सुहाना बोल रही थी उसके प्रोजेक्ट को फाइनल भी करना था तो आप उसकी भी हेल्प कर देना!”
लग गए लौड़े! साला ये भगवान् भी पता नहीं लौड़े लिए मेरे ही पीछे क्यों पड़ा रहता है। सुहाना के होते लैला के साथ तो कुछ भी नहीं किया जा सकता।
और फिर तो जैसे मेरे दिमाग की बत्ती ही जल उठी। हे लिंग देव! तेरी लीला अपरम्पार है … तेरी जय हो।
“क्या हुआ.. प्रेमजी क्या सोचने लगे … आपने तो जवाब ही नहीं दिया?”
“ओह.. हाँ … स.. सॉरी … वो.. ठीक है।” पता नहीं खूबसूरत लौंडिया हो या औरत उनकी आवाज सुनते ही जबान हिचकोले खाने लगाती है।
“वो … आप एक काम करें सुहाना को यहीं भेज दें मेरे पास लैपटॉप में उसके प्रोजेक्ट से सम्बंधित डाटा हैं तो मैं आज उसका प्रोजेक्ट जरूर फाइनल कर ही दूंगा।”
“ठीक है मैं थोड़ी देर में सुहाना को आपने यहाँ भेज देती हूँ और साथ में आपके लिए नाश्ता भी भेज रही हूँ। और हाँ … आज का लंच आप हमारे साथ ही करेंगे।”
हे लिंगदेव! आज तो तेरी सच में ही जय हो। अब तो मेरे होंठों पर मुस्कान और आँखों में नई चमक थी। मैं बेसब्री से सुहाना का इंतज़ार करने लगा।
Adultery लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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कोई 9 बजे का समय था। कॉल बेल बजी तो मैं झट से दरवाजे पर गया। सामने सुहाना खड़ी थी। उसकी एक हाथ में लैपटॉप बैग और दूसरे हाथ में टिफिन था।
उसने लम्बी सलेटी रंग का धारियों वाला पायजामा और गुलाबी रंग का छोटा कुर्ता पहन रखा था। नाईके की टोपी पहने बालों की चोटी में रबड़ बैंड डाल रखा था।
एक बार तो मुझे लगा जैसे मेरी सिमरन ही सामने खड़ी हुयी है। हे भगवान् जिस प्रकार उसकी जाँघों का संधि स्थल आगे से फूला और कसा हुआ लग रहा था उसकी बुर के पपोटों का अंदाज़ा लगाना कतई मुश्किल नहीं था।
मुझे लगता है उसने काली या गुलाबी रंग की वैसी ही पैंटी पहनी होगी। और उसकी छोटी सी कुर्ती में झांकते हए दो नन्हे परिंदे ऐसे लग रहे थे जैसे थोड़ा सा ढीला छोड़ते ही उड़ जायेंगे। मुझे लगता है उसने कुर्ती के नीचे ब्रा नहीं पहनी है केवल समीज पहनी है। हे भगवान्! इन 2 महीनों में तो इसके उरोज कितने बड़े और रसीले हो चले हैं। मैं तो बस आँखों से ही जैसे उनका सारा अमृत पी जाना चाहता था।
“अरे सुहाना … आओ.. आओ डिअर … अन्दर आ जाओ!”
“थैंक यू सर!”
मैं दरवाजा बंद करके सुहाना को लिए अन्दर आ गया और उसे हॉल में पड़े सोफे पर बैठने को कहा। सुहाना ने हाथ में पकड़ा बैग और नाश्ते का टिफिन सोफे के पास रखे टेबल पर रख दिया।
“मॉम ने आपके लिए नाश्ता भेजा है।”
“ओह … इतनी तकलीफ की क्या जरूरत थी डिअर … थैंक यू.”
“थैंक यू सर.” सुहाना तो बस मुस्कुराती ही रही।
शायद वो मुंह में रखी च्युइंगम चबा रही थी। एक मीठी सी महक मेरे स्नायु तंत्र को जैसे शीतल सी करती चली गई। सुहाना सोफे पर बैठ गई और हाल में इधर उधर देखने लगी।
“चलो ठीक है … आज का नाश्ता तो हम दोनों साथ ही करते हैं।”
“सर.. आप कर लो मैं घर से करके आई हूँ.”
“कोई बात नहीं नाश्ता बाद में करते हैं … पहले तुम्हें चाय पिलाता हूँ.”
“इट्स ओके सर … मैं चाय नाश्ता करके आई हूँ.”
“ऐसा कैसे हो सकता है … मेरे साथ चाय तो पीनी ही पड़ेगी.” मैंने हंसते हुए कहा।
और फिर मैं रसोई से दो कप चाय बना कर ले आया। मेरा मकसद उसे सहज (नॉर्मल) बनाने का था।
मुझे लगता था उस दिन मोबाइल का लोक ओपन करने के पासवर्ड वाली बात उसे जरूर याद होगी। और मैं तो इस संबंध में कोई जल्दबाजी करने के मूड में कतई नहीं था अलबत्ता पूरी योजना बनाकर ही इस प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहता था।
पर अभी थोड़ी देर तो सुहाना के प्रोजेक्ट की बात करनी जरूरी थी।
“लो भई.. सुहाना डिअर … पहले चाय पीओ और फिर मुझे अपने प्रोजेक्ट के बारे में ब्रीफ करो। सबसे पहले तो जो सैंपल और डाटा तुमने कलेक्ट किए हैं उनका एनालिसिस करना होगा और फिर उसके बेस पर समरी बनानी पड़ेगी।”
सुहाना ने भी बैग में रखा अपना लैपटॉप और फाइल्स निकाल लिए। सुहाना ने लगभग काम पूरा कर ही रखा था उसे फाइनल करने में ज्यादा समय नहीं लगने वाला था। बस उसमें कुछ प्रोजेक्ट और प्रोडक्ट से सम्बंधित फोटो, चार्ट और ग्राफ आदि डालने बाकी थे।
मैं स्टडी रूम से अपना लैपटॉप ले आया और उसमें से कुछ फोटो और डाटा सुहाना के लैपटॉप में ट्रान्सफर कर दिए। उसे समझा दिया कि अब आगे और क्या करना है। उसे यह भी बता दिया कि कल मैं उसका प्रोजेक्ट से सम्बंधित प्रपत्र (सर्टिफिकेट) भी तैयार कर दूंगा उसके बाद इस प्रोजेक्ट को कॉलेज में सबमिट किया जा सकता है।
दोस्तों! सुहाना का कॉलेज का प्रोजेक्ट तो लगभग पूरा हो गया था पर अभी मेरा और सुहाना का असली प्रोजेक्ट पर काम करना बाकी था।
“सुहाना तुम एक काम करो?”
“क्या?”
“इस फोल्डर में हमारी कंपनी के पिछले 2-3 साल के ऑडिटेड एकाउंट्स,सेल्स और प्रोडक्शन प्रोसेस से सम्बंधित डाटा हैं। ये तुम्हारे प्रोजेक्ट में हेल्प करेंगे तुम उनको अपने लैपटॉप में कॉपी कर लो तब तक मैं वाशरूम होकर आता हूँ।“
“ओके सर.”
उसके बाद मैं बेडरूम में बने बाथरूम में आ गया। मैंने जिस फोल्डर से फाइल्स और डाटा कॉपी करने के लिए सुहाना को बोला था उसका रीनेम (बदलकर) टॉम कर दिया था और उसमें सुहाना और उस लंगूर के कुछ फोटो और वीडियोज भी सेव कर दिए थे।
अब तो मेरी सुहाना नामक बुलबुल उन्हें देखकर इस्सस … ही कर उठेगी।
मैंने रूम के दरवाजे को बंद कर दिया और फिर उसके कीहोल से सुहाना को देखने लगा। सुहाना पेन ड्राइव की मदद से डाटा ट्रान्सफर करने लगी।
उसके बाद जैसे ही उसने आगे की फाइल खोली उसके चेहरे पर हवाइयां सी उड़ने लगी। उसने घबराकर इधर-उधर देखा और फिर अपना सिर पकड़ कर अपनी मुंडी नीचे करके बैठ गई।
थोड़ी देर बाद मैं किसी अनचाहे मेहमान की तरह हॉल में आ गया।
“अरे बेबी … क्या हुआ?”
“वो … वो …” सुहाना की तो जैसे घिग्गी ही बंध गई थी।
“सर … इसमें मेरे फोटो …” कहते हुए उसका गला रुंध सा गया। उसकी तो आवाज ही नहीं निकल पा रही थी।
“कौन से फोटो … कहीं तुम टॉम फोल्डर की बात तो नहीं कर रही?” मैं उसके पास आ गया और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा।
“वो.. हाँ … वो.. ये फोटो आपके लैपटॉप में …”
“यार मुझे उस दिन तुम्हारे मोबाइल में यह फोटो बहुत खूबसूरत लगे तो मैंने सोचा क्यों ना इन्हें स्क्रीनसेवर पर ही लगा लूं? सच में तुम्हारे फोटो बहुत ही खूबसूरत हैं।”
“सर … आई एम् सॉरी … प्लीज आप ये सब डिलीट कर दें.” सुहाना तो लगा अब रो पड़ेगी।
“अच्छा ये टॉम कौन है?”
“वो.. वो … मेरा एक फ्रेंड है.”
“उसका पूरा नाम?”
“टॉम … ता … तापस मुखर्जी.”
”क्या इन सब के बारे में तुम्हारे मम्मी पापा को पता है?”
“नहीं सर … मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गई आई एम् सॉरी.” उसने मुंडी झुकाए हुए ही उत्तर दिया।
“ज़रा सोचो! अगर तुम्हारे मम्मी-पापा को इन सब बातों का पता चल जाए तो?”
“नहीं सर … प्लीज … मैं आपके पैर पकड़ लेती हूँ मुझे माफ़ कर दो मैं दुबारा ऐसी गलती नहीं करूंगी.”
सुहाना तो अब सुबकने लगी थी उसकी आँखों से झर-झर आंसू निकलने लगे थे।
“देखो तुम इतनी होनहार स्टूडेंट हो … और अभी से इन चक्करों में पड़ गई हो तो तुम्हारी स्टडी और करियर का क्या होगा? तुम्हारे मा-बाप क्या सोचेंगे?”
“सर … मेरे से गलती हो गई … मुझे माफ़ कर दें.”
“हम्म … ठीक है मैं तुम्हें माफ़ तो कर सकता हूँ पर …”
“पर क्या?”
“तुम्हें मेरी एक बात माननी पड़ेगी?”
“क … क्या?”
“पर … नहीं तुमसे नहीं हो सकेगा रहने दो.”
“नहीं सर … आप जो बोलोगे मैं करने को तैयार हूँ.”
“आर यू श्योर?”
“हम्म” उसने हाँ में अपने मुंडी हिलाई।
“तो मुझे भी एक बार वह पैंटी वाला सीन दिखाना होगा.”
“नहीं सर … मैं ऐसा नहीं कर सकती … प्लीज …”
“तुम्हारी मर्जी … तुम्हारे मम्मी-पापा तो खुश हो जायेंगे तुम्हारी इन हरकतों को देख और सुनकर!”
“ओह … नो …” सुहाना जोर-जोर से रोने लगी थी।
उसने लम्बी सलेटी रंग का धारियों वाला पायजामा और गुलाबी रंग का छोटा कुर्ता पहन रखा था। नाईके की टोपी पहने बालों की चोटी में रबड़ बैंड डाल रखा था।
एक बार तो मुझे लगा जैसे मेरी सिमरन ही सामने खड़ी हुयी है। हे भगवान् जिस प्रकार उसकी जाँघों का संधि स्थल आगे से फूला और कसा हुआ लग रहा था उसकी बुर के पपोटों का अंदाज़ा लगाना कतई मुश्किल नहीं था।
मुझे लगता है उसने काली या गुलाबी रंग की वैसी ही पैंटी पहनी होगी। और उसकी छोटी सी कुर्ती में झांकते हए दो नन्हे परिंदे ऐसे लग रहे थे जैसे थोड़ा सा ढीला छोड़ते ही उड़ जायेंगे। मुझे लगता है उसने कुर्ती के नीचे ब्रा नहीं पहनी है केवल समीज पहनी है। हे भगवान्! इन 2 महीनों में तो इसके उरोज कितने बड़े और रसीले हो चले हैं। मैं तो बस आँखों से ही जैसे उनका सारा अमृत पी जाना चाहता था।
“अरे सुहाना … आओ.. आओ डिअर … अन्दर आ जाओ!”
“थैंक यू सर!”
मैं दरवाजा बंद करके सुहाना को लिए अन्दर आ गया और उसे हॉल में पड़े सोफे पर बैठने को कहा। सुहाना ने हाथ में पकड़ा बैग और नाश्ते का टिफिन सोफे के पास रखे टेबल पर रख दिया।
“मॉम ने आपके लिए नाश्ता भेजा है।”
“ओह … इतनी तकलीफ की क्या जरूरत थी डिअर … थैंक यू.”
“थैंक यू सर.” सुहाना तो बस मुस्कुराती ही रही।
शायद वो मुंह में रखी च्युइंगम चबा रही थी। एक मीठी सी महक मेरे स्नायु तंत्र को जैसे शीतल सी करती चली गई। सुहाना सोफे पर बैठ गई और हाल में इधर उधर देखने लगी।
“चलो ठीक है … आज का नाश्ता तो हम दोनों साथ ही करते हैं।”
“सर.. आप कर लो मैं घर से करके आई हूँ.”
“कोई बात नहीं नाश्ता बाद में करते हैं … पहले तुम्हें चाय पिलाता हूँ.”
“इट्स ओके सर … मैं चाय नाश्ता करके आई हूँ.”
“ऐसा कैसे हो सकता है … मेरे साथ चाय तो पीनी ही पड़ेगी.” मैंने हंसते हुए कहा।
और फिर मैं रसोई से दो कप चाय बना कर ले आया। मेरा मकसद उसे सहज (नॉर्मल) बनाने का था।
मुझे लगता था उस दिन मोबाइल का लोक ओपन करने के पासवर्ड वाली बात उसे जरूर याद होगी। और मैं तो इस संबंध में कोई जल्दबाजी करने के मूड में कतई नहीं था अलबत्ता पूरी योजना बनाकर ही इस प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहता था।
पर अभी थोड़ी देर तो सुहाना के प्रोजेक्ट की बात करनी जरूरी थी।
“लो भई.. सुहाना डिअर … पहले चाय पीओ और फिर मुझे अपने प्रोजेक्ट के बारे में ब्रीफ करो। सबसे पहले तो जो सैंपल और डाटा तुमने कलेक्ट किए हैं उनका एनालिसिस करना होगा और फिर उसके बेस पर समरी बनानी पड़ेगी।”
सुहाना ने भी बैग में रखा अपना लैपटॉप और फाइल्स निकाल लिए। सुहाना ने लगभग काम पूरा कर ही रखा था उसे फाइनल करने में ज्यादा समय नहीं लगने वाला था। बस उसमें कुछ प्रोजेक्ट और प्रोडक्ट से सम्बंधित फोटो, चार्ट और ग्राफ आदि डालने बाकी थे।
मैं स्टडी रूम से अपना लैपटॉप ले आया और उसमें से कुछ फोटो और डाटा सुहाना के लैपटॉप में ट्रान्सफर कर दिए। उसे समझा दिया कि अब आगे और क्या करना है। उसे यह भी बता दिया कि कल मैं उसका प्रोजेक्ट से सम्बंधित प्रपत्र (सर्टिफिकेट) भी तैयार कर दूंगा उसके बाद इस प्रोजेक्ट को कॉलेज में सबमिट किया जा सकता है।
दोस्तों! सुहाना का कॉलेज का प्रोजेक्ट तो लगभग पूरा हो गया था पर अभी मेरा और सुहाना का असली प्रोजेक्ट पर काम करना बाकी था।
“सुहाना तुम एक काम करो?”
“क्या?”
“इस फोल्डर में हमारी कंपनी के पिछले 2-3 साल के ऑडिटेड एकाउंट्स,सेल्स और प्रोडक्शन प्रोसेस से सम्बंधित डाटा हैं। ये तुम्हारे प्रोजेक्ट में हेल्प करेंगे तुम उनको अपने लैपटॉप में कॉपी कर लो तब तक मैं वाशरूम होकर आता हूँ।“
“ओके सर.”
उसके बाद मैं बेडरूम में बने बाथरूम में आ गया। मैंने जिस फोल्डर से फाइल्स और डाटा कॉपी करने के लिए सुहाना को बोला था उसका रीनेम (बदलकर) टॉम कर दिया था और उसमें सुहाना और उस लंगूर के कुछ फोटो और वीडियोज भी सेव कर दिए थे।
अब तो मेरी सुहाना नामक बुलबुल उन्हें देखकर इस्सस … ही कर उठेगी।
मैंने रूम के दरवाजे को बंद कर दिया और फिर उसके कीहोल से सुहाना को देखने लगा। सुहाना पेन ड्राइव की मदद से डाटा ट्रान्सफर करने लगी।
उसके बाद जैसे ही उसने आगे की फाइल खोली उसके चेहरे पर हवाइयां सी उड़ने लगी। उसने घबराकर इधर-उधर देखा और फिर अपना सिर पकड़ कर अपनी मुंडी नीचे करके बैठ गई।
थोड़ी देर बाद मैं किसी अनचाहे मेहमान की तरह हॉल में आ गया।
“अरे बेबी … क्या हुआ?”
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“कौन से फोटो … कहीं तुम टॉम फोल्डर की बात तो नहीं कर रही?” मैं उसके पास आ गया और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा।
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सुहाना तो अब सुबकने लगी थी उसकी आँखों से झर-झर आंसू निकलने लगे थे।
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“पर … नहीं तुमसे नहीं हो सकेगा रहने दो.”
“नहीं सर … आप जो बोलोगे मैं करने को तैयार हूँ.”
“आर यू श्योर?”
“हम्म” उसने हाँ में अपने मुंडी हिलाई।
“तो मुझे भी एक बार वह पैंटी वाला सीन दिखाना होगा.”
“नहीं सर … मैं ऐसा नहीं कर सकती … प्लीज …”
“तुम्हारी मर्जी … तुम्हारे मम्मी-पापा तो खुश हो जायेंगे तुम्हारी इन हरकतों को देख और सुनकर!”
“ओह … नो …” सुहाना जोर-जोर से रोने लगी थी।
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Re: Adultery लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
“देखो बेबी … जब तुम उस टॉमी मेरा मतलब तापस मुखर्जी को सब कुछ दिखा सकती हो और उसका देख सकती हो एक बार मुझे दिखाने में भला क्या क्या हर्ज़ है? एक बार सोच लो?”
“ओह …” कबूतरी ने इधर-उधर देखते हुए कहा- वो … वो … मैं यहाँ नहीं दिखा सकती.”
“कोई बात नहीं चलो बेड रूम में चलते हैं।”
“वो आप मम्मी को तो नहीं बताएँगे ना?”
“अगर तुम मेरा कहना मान लोगी तो बिल्कुल नहीं.”
“और वो फोटो?”
“प्रॉमिस … मैं वो सब डिलीट कर दूंगा तुम्हारे सामने ही!”
सुहाना ने मेरी ओर असमंजस और अविश्वास भरी नज़रों से देखा और फिर से अपनी गर्दन झुका ली।
मुझे लगा उसने फाइनली मेरे प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
“तो रूम में चलें बेबी?”
कहते हुए मैं खड़ा हो गया और उसको बाजू से पकड़ कर रूम में ले आया। सुहाना ने अब कोई ज्यादा ना नुकर नहीं की।
कमरे में आने के बाद मैंने लाइट जला दी।
“प्लीज … ये लाइट बंद कर दो?”
“क्यों?”
“मुझे शर्म आती है।”
“चलो कोई बात नहीं, मैं लाइट बंद कर देता हूँ। कहते हुए मैंने ट्यूब लाइट बंद कर दी।
कमरे में ज्यादा रोशनी तो नहीं थी पर जितनी भी थी पर्याप्त थी।
“सर … मुझे बहुत डर लग रहा है.” कहते हुए सुहाना ने फिर से मेरी ओर कातर नजरों से देखा।
शायद वह सोच रही थी कि क्या पता आख़िरी समय में मैं अपना इरादा बदल लूं! पर अब जाल में फंसी इस चिड़िया को कैसे छोड़ा जा सकता था।
“बेबी अब ज्यादा नखरे मत करो … जल्दी करो … हमें तुम्हारा प्रोजेक्ट भी आज ही फाइनल करना है ना? और फिर मैं 2-3 दिन बाद बंगलुरु जाने वाला हूँ बाद में तुम्हें बहुत परेशानी होगी.”
सुहाना ने पहले तो अपनी कुर्ती को थोड़ा ऊपर उठाया और फिर दोनों हाथों के अंगूठे कमर में बंधे पायजामे में फंसा कर नीचे करने लगी।
गोल गहरी नाभि ने नीचे उभरा हुआ सा पेडू और उसके नीचे गुलाबी रंग की पतली सी पैंटी (कच्छी)। उसके पपोटे और चीरा तो उस हरे रंग की किनारियों वाली गुलाबी कच्छी में साफ़ नज़र आने लगे थे। कोमल, रेशम सी मुलायम, गुलाबी स्निग्ध जांघें।
“आइलाआआ … वाह … अप्रतीम … बहुत खूबसूरत …” मेरे मुंह से अचानक निकला।
सुहाना मेरी आवाज से थोड़ा चौंकी और उसने फिर से अपने पायजामे को ऊपर करना शुरू कर दिया।
“अरे बेबी … इतनी क्या जल्दी है? थोड़ा तसल्ली से देखने तो दो?”
“वो … आपने देख तो लिया.”
“अभी कहाँ देखी है ज़रा अपनी अँगुलियों से ये गुलाबी पर्दा तो थोड़ा सा हटाओ?” मैं खड़ा होकर उसके पास आ गया।
सुहाना तो अब किसी शिकंजे में फंसी चिड़िया की तरह फड़फड़ाने ही लगी थी। अब उसने अपनी अँगुलियों से उस गुलाबी कच्छी का किनारा पकड़कर एक तरफ कर दिया।
हे भगवान् … गुलाबी रंग के पपोटे और उनके बीच का रक्तिम चीरा तो मात्र 3 इंच का रहा होगा। दोनों फांकें आपस में चिपकी हुयी थी और बीच में गुलाबी रंग की कलिकाएँ तो ऐसे लग रही थी जैसे अभी बाहर आ जायेंगी।
गोरी चिट्टी बेदाग़ रोमविहीन गंजी बुर … मैं तो धड़कते दिल से अपने होंठों पर जीभ ही फिराता रह गया।
एक बार तो मुझे धोखा सा होने लगा कि शायद अभी इसकी बुर पर रेशमी बाल आये ही नहीं होंगे। हाँ मुझे याद आया उस फोटो में तो इसके छोटे छोटे बाल ट्रिम किए हुए दिखाई दे रहे थे मुझे लगता है इसने 1-2 दिन पहले ही वैक्सिंग करके अपनी मुनिया के बाल साफ़ किए होंगे।
अब मैं नीचे बैठ गया और उसके नितम्बों को पकड़कर उसे थोड़ा अपनी ओर खींचा और उसकी बुर पर एक चुम्बन ले लिया। कमसिन बुर की मादक खुशबू मेरे नथुनों में भर गई।
“ओह … नो … सर क्या कर रहे हो … प्लीज … छोड़ो मुझे … मुझे घर जाने दो.” उसने मेरे सिर को हटाने की कोशिश की।
“बस … थोड़ी देर ओर देख लेने दो … मैं बस एक बार इस पर किस कर लूं फिर तुम्हें कुछ नहीं कहूंगा.”
सुहाना ने अविश्वास भरी नज़रों से मेरी ओर देखा।
“मेरा विश्वास करो बेबी!”
“ओह …” एक लम्बी साँस लेते हुए सुहाना ने फिर से अपनी आँखें बंद कर ली।
अब मैंने धीरे से उसकी कच्छी को नीचे कर दिया। हे भगवान्! रेशम सी कोमल और गुलाबी फांकों वाली बुर की खूबसूरती को शब्दों में तो बयान किया ही नहीं जा सकता।
अब मैंने अपने होंठ उसके चीरे पर लगा दिए। पहले तो उसे सूंघा और फिर उसपर अपनी जीभ फिराने लगा।
“ओह …” कबूतरी ने इधर-उधर देखते हुए कहा- वो … वो … मैं यहाँ नहीं दिखा सकती.”
“कोई बात नहीं चलो बेड रूम में चलते हैं।”
“वो आप मम्मी को तो नहीं बताएँगे ना?”
“अगर तुम मेरा कहना मान लोगी तो बिल्कुल नहीं.”
“और वो फोटो?”
“प्रॉमिस … मैं वो सब डिलीट कर दूंगा तुम्हारे सामने ही!”
सुहाना ने मेरी ओर असमंजस और अविश्वास भरी नज़रों से देखा और फिर से अपनी गर्दन झुका ली।
मुझे लगा उसने फाइनली मेरे प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
“तो रूम में चलें बेबी?”
कहते हुए मैं खड़ा हो गया और उसको बाजू से पकड़ कर रूम में ले आया। सुहाना ने अब कोई ज्यादा ना नुकर नहीं की।
कमरे में आने के बाद मैंने लाइट जला दी।
“प्लीज … ये लाइट बंद कर दो?”
“क्यों?”
“मुझे शर्म आती है।”
“चलो कोई बात नहीं, मैं लाइट बंद कर देता हूँ। कहते हुए मैंने ट्यूब लाइट बंद कर दी।
कमरे में ज्यादा रोशनी तो नहीं थी पर जितनी भी थी पर्याप्त थी।
“सर … मुझे बहुत डर लग रहा है.” कहते हुए सुहाना ने फिर से मेरी ओर कातर नजरों से देखा।
शायद वह सोच रही थी कि क्या पता आख़िरी समय में मैं अपना इरादा बदल लूं! पर अब जाल में फंसी इस चिड़िया को कैसे छोड़ा जा सकता था।
“बेबी अब ज्यादा नखरे मत करो … जल्दी करो … हमें तुम्हारा प्रोजेक्ट भी आज ही फाइनल करना है ना? और फिर मैं 2-3 दिन बाद बंगलुरु जाने वाला हूँ बाद में तुम्हें बहुत परेशानी होगी.”
सुहाना ने पहले तो अपनी कुर्ती को थोड़ा ऊपर उठाया और फिर दोनों हाथों के अंगूठे कमर में बंधे पायजामे में फंसा कर नीचे करने लगी।
गोल गहरी नाभि ने नीचे उभरा हुआ सा पेडू और उसके नीचे गुलाबी रंग की पतली सी पैंटी (कच्छी)। उसके पपोटे और चीरा तो उस हरे रंग की किनारियों वाली गुलाबी कच्छी में साफ़ नज़र आने लगे थे। कोमल, रेशम सी मुलायम, गुलाबी स्निग्ध जांघें।
“आइलाआआ … वाह … अप्रतीम … बहुत खूबसूरत …” मेरे मुंह से अचानक निकला।
सुहाना मेरी आवाज से थोड़ा चौंकी और उसने फिर से अपने पायजामे को ऊपर करना शुरू कर दिया।
“अरे बेबी … इतनी क्या जल्दी है? थोड़ा तसल्ली से देखने तो दो?”
“वो … आपने देख तो लिया.”
“अभी कहाँ देखी है ज़रा अपनी अँगुलियों से ये गुलाबी पर्दा तो थोड़ा सा हटाओ?” मैं खड़ा होकर उसके पास आ गया।
सुहाना तो अब किसी शिकंजे में फंसी चिड़िया की तरह फड़फड़ाने ही लगी थी। अब उसने अपनी अँगुलियों से उस गुलाबी कच्छी का किनारा पकड़कर एक तरफ कर दिया।
हे भगवान् … गुलाबी रंग के पपोटे और उनके बीच का रक्तिम चीरा तो मात्र 3 इंच का रहा होगा। दोनों फांकें आपस में चिपकी हुयी थी और बीच में गुलाबी रंग की कलिकाएँ तो ऐसे लग रही थी जैसे अभी बाहर आ जायेंगी।
गोरी चिट्टी बेदाग़ रोमविहीन गंजी बुर … मैं तो धड़कते दिल से अपने होंठों पर जीभ ही फिराता रह गया।
एक बार तो मुझे धोखा सा होने लगा कि शायद अभी इसकी बुर पर रेशमी बाल आये ही नहीं होंगे। हाँ मुझे याद आया उस फोटो में तो इसके छोटे छोटे बाल ट्रिम किए हुए दिखाई दे रहे थे मुझे लगता है इसने 1-2 दिन पहले ही वैक्सिंग करके अपनी मुनिया के बाल साफ़ किए होंगे।
अब मैं नीचे बैठ गया और उसके नितम्बों को पकड़कर उसे थोड़ा अपनी ओर खींचा और उसकी बुर पर एक चुम्बन ले लिया। कमसिन बुर की मादक खुशबू मेरे नथुनों में भर गई।
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अब मैंने अपने होंठ उसके चीरे पर लगा दिए। पहले तो उसे सूंघा और फिर उसपर अपनी जीभ फिराने लगा।
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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सुहाना ने मेरे सिर के बालों को अपने हाथों में जोर से भींच लिया। अब मैंने अपनी जीभ को नुकीला किया और फिर से उसके चीरे के ऊपर फिराने लगा। कभी-कभी मेरी जीभ उसके दाने से भी टकरा रही थी।
हे भगवान्! उसकी मदनमणि तो अभी से फूलकर किशमिश के दाने जैसी हो चली थी। मैंने 2-3 बार अपनी जीभ को ऊपर नीचे फिराया तो मुझे लगा कुछ नमकीन और खट्टा-मीठा सा रस मेरी जीभ पर महसूस होने लगा है।
“आआईईई … बस सर … अब मुझे छोड़ दो … प्लीज … आह …” सुहाना ने मेरे सर के बालों को कस कर अपनी मुट्ठी में भर लिया था और आँखें बंद किए मिमियाती जा रही थी।
मैंने उसकी बुर को चूमना और चाटना चालू रखा और फिर चुपके से अपने कुरते की जेब से पड़ा मोबाइल निकाल लिया और फिर उसके कैमरे को चालू कर के विडियो ऑन कर दिया।
मैंने उसके चीरे और फांकों पर अपनी जीभ की पकड़ बनाए रखी और फिर उसकी पूरी बुर को अपने मुंह में भर लिया।
सुहाना तो ‘आईई … आह … ’ करती ही रह गई।
“सर … मुझे पता नहीं क्या हो रहा है … मुझे चक्कर से आने लगे हैं … सर … प्लीज मुझे घर जाने दो … आह … ईईईई.” सुहाना बड़बड़ाने सी लगी थी।
उसका शरीर थोड़ा अकड़ने सा लगा और उसने 2-3 झटके से खाए और फिर तो मेरा मुंह जैसे किसी मीठे और ताजा शहद से भर गया।
मैं तो इस रस की अंतिम बूँद तक पी जाना चाहता था. पर इससे पहले कि मैं कुछ और करता सुहाना ने मेरा सिर पीछे धकेल दिया।
और वो जोर-जोर की साँसें लेने लगी। उसे इस हॉट ओरल सेक्स का पूरा मजा मिला था.
अब उस ध्यान मेरे मोबाइल पर गया।
“ओह … सर … ये क्या कर रहे हो … ओह … नो.. सर ऐसा मत करो … प्लीज!” सुहाना नीचे बैठ गई और उसने अपनी जांघें भींच ली और शर्म के मारे अपने हाथ अपनी आँखों पर रख लिए।
सुहाना की आँखों में आंसू आने लगे थे। एक बार तो मुझे भी लगा कि मैं इस बेचारी इस कमसिन कबूतरी पर ज्यादती ही कर रहा हूँ पर अब मेरे लंड को यह सब कैसे बर्दाश्त हो सकता था।
“अरे बस एक झलक तुम्हारे इस हुस्न की इसमें कैद हुई है। तुम भी देखना … तुम्हें भी बहुत अच्छी लगेगी।“
“सर … आपने मेरे साथ चीटिंग की है.”
“ओके … चलो मैं मोबाइल कैमरा बंद कर देता हूँ … चलो अब खुश?” कहते हुए मैंने उसे बाजू पकड़कर उठाया तो सुहाना ने उठते समय अपनी पैंटी और पायजामे को भी ऊपर कर लिया था।
अब मैंने उसे बेड पर अपने पास बैठा लिया- अच्छा सुहाना एक बात और बताओ?
“क … क्या?”
“वो टॉम के साथ कभी तुमने फिजिकल रिलेशन भी बनाए या नहीं?”
सुहाना कुछ नहीं बोली वह तो बस अपना सर नीचा किए बैठी रही।
मुझे थोड़ा संदेह तो पहले से ही था पर जिस प्रकार सुहाना अपना सिर नीचे किये कुछ नहीं बोल रही थी इसका मतलब बात केवल चूमा-चाटी तक ही सीमित नहीं रही होगी।
“मैंने उस फोल्डर में तुम्हारे और भी फोटो देखे थे.”
“वो … उसने मेरी जानकारी के बिना ये फोटो ले लिए थे।”
“पर वह इन फोटोज और वीडियोज के साथ तुम्हें ब्लैकमेल भी कर सकता है?”
सुहाना किमकर्त्तव्यविमूढ़ बनी मेरी ओर देखती रही।
“चलो कोई बात नहीं जवानी में अक्सर ऐसी भूल हो जाती है। तुम चिंता मत करो … मैं तुम्हारी इस परेशानी को भी दूर कर सकता हूँ.”
“कैसे?” अब तो सुहाना की आँखों में एक नई चमक सी आ गई थी।
“मैं उस छोकरे के फादर को जानता हूँ.”
“आप कैसे जानते हैं?”
“तुम यह सब छोड़ो!”
“ओह … सर … प्लीज बताओ ना?”
“अरे बेबी उसका फादर हमारी कंपनी का बहुत बड़ा डीलर है. और एक दो बार वह उस लौंडे को भी अपने साथ लाया था। मैं बहाने से उसे ऑफिस में बुला लूंगा और उसका मोबाइल अपने पास रख लूंगा और फिर सारे फोटो और विडियो डिलीट कर दूंगा।”
“आप सच बोल रहे हैं?”
“हंड्रेड परसेंट!”
“ओह … थैंक यू वैरी मच सर!” सुहाना के चहरे पर अब सुकून सा नज़र आने लगा था।
“पर बेबी तुम्हें मेरा भी एक फेवर करना होगा?”
“ओह … अब और क्या करना होगा?” उसने डरते हुए पूछा।
“बस एक बार मुझे भी उन अन्तरंग पलों का आनंद ले लेने दो.”
“नहीं सर … मैं ऐसा कदापि नहीं कर सकती. प्लीज … अब मुझे जाने दो.” सुहाना फिर से रोने लगी।
“सुहाना मैं बस एक बार उसमें डालकर बाहर निकाल लूंगा. मेरा विश्वास रखो.”
“वो … वो … सर … नहीं! मुझे बहुत डर लग रहा है.”
“देखो बेबी … उस टॉम के साथ भी तो तुमने किया ही है … बस मैं भी एकबार अन्दर डाल कर बाहर निकाल लूंगा. प्रोमिस.”
सुहाना ने फिर मेरी ओर कातर नज़रों से देखा- आप सच बोल रहे हो ना?”
“हाँ बेबी … मेरा विश्वास रखो … बस एक बार!”
“मुझे बहुत डर लग रहा है.”
“अरे बेबी इसमें डरने की क्या बात है? तुम्हारा तो अनुभव भी है तो इसमें डरने की क्या बात है?” मैंने उसे समझाया और उसके गालों पर आये आंसू पौंछ दिए।
“पर वो बिना कंडोम के?”
“अरे बेबी … मैं तुम्हारी परेशानी समझ सकता हूँ … मैं कंडोम लगाकर ही करूंगा … तुम चिंता मत करो.”
अब मैंने बेड की ड्रावर में रखा निरोध निकाल लिया और अपना कुर्ता और पायजामा निकाल कर अपने लंड पर कंडोम चढ़ा लिया।
“बेबी तुम भी अपने कपड़े उतारो ना प्लीज!”
“ओह … पर वो मैं कपड़े नहीं निकल सकती.” उसने अपनी नज़रें झुकाए हुए ही उत्तर दिया।
“पर कपड़े उतारे बिना यह सब कैसे होगा?”
“मैं अपना पायजामा नीचे कर देती हूँ. आप पैंटी को थोड़ा हटा कर कर लेना.”
ओह … मेरी सुहाना जानेजाना तो बड़ी अनुभवी लगती है। लगता है उस साले टॉम के बच्चे ने इसके साथ जल्दबाजी में ऐसे ही किया होगा।
चलो कोई बात नहीं सारे कपड़े ना निकाले तो भी कोई बात नहीं बस एक बार उसकी कमसिन बुर का किला फतह हो जाए. बाद में तो यह अपने आप सारे कपड़े निकाल कर कहेगी और जोर से चोदे मेरे आर्यपुत्र!
हे भगवान्! उसकी मदनमणि तो अभी से फूलकर किशमिश के दाने जैसी हो चली थी। मैंने 2-3 बार अपनी जीभ को ऊपर नीचे फिराया तो मुझे लगा कुछ नमकीन और खट्टा-मीठा सा रस मेरी जीभ पर महसूस होने लगा है।
“आआईईई … बस सर … अब मुझे छोड़ दो … प्लीज … आह …” सुहाना ने मेरे सर के बालों को कस कर अपनी मुट्ठी में भर लिया था और आँखें बंद किए मिमियाती जा रही थी।
मैंने उसकी बुर को चूमना और चाटना चालू रखा और फिर चुपके से अपने कुरते की जेब से पड़ा मोबाइल निकाल लिया और फिर उसके कैमरे को चालू कर के विडियो ऑन कर दिया।
मैंने उसके चीरे और फांकों पर अपनी जीभ की पकड़ बनाए रखी और फिर उसकी पूरी बुर को अपने मुंह में भर लिया।
सुहाना तो ‘आईई … आह … ’ करती ही रह गई।
“सर … मुझे पता नहीं क्या हो रहा है … मुझे चक्कर से आने लगे हैं … सर … प्लीज मुझे घर जाने दो … आह … ईईईई.” सुहाना बड़बड़ाने सी लगी थी।
उसका शरीर थोड़ा अकड़ने सा लगा और उसने 2-3 झटके से खाए और फिर तो मेरा मुंह जैसे किसी मीठे और ताजा शहद से भर गया।
मैं तो इस रस की अंतिम बूँद तक पी जाना चाहता था. पर इससे पहले कि मैं कुछ और करता सुहाना ने मेरा सिर पीछे धकेल दिया।
और वो जोर-जोर की साँसें लेने लगी। उसे इस हॉट ओरल सेक्स का पूरा मजा मिला था.
अब उस ध्यान मेरे मोबाइल पर गया।
“ओह … सर … ये क्या कर रहे हो … ओह … नो.. सर ऐसा मत करो … प्लीज!” सुहाना नीचे बैठ गई और उसने अपनी जांघें भींच ली और शर्म के मारे अपने हाथ अपनी आँखों पर रख लिए।
सुहाना की आँखों में आंसू आने लगे थे। एक बार तो मुझे भी लगा कि मैं इस बेचारी इस कमसिन कबूतरी पर ज्यादती ही कर रहा हूँ पर अब मेरे लंड को यह सब कैसे बर्दाश्त हो सकता था।
“अरे बस एक झलक तुम्हारे इस हुस्न की इसमें कैद हुई है। तुम भी देखना … तुम्हें भी बहुत अच्छी लगेगी।“
“सर … आपने मेरे साथ चीटिंग की है.”
“ओके … चलो मैं मोबाइल कैमरा बंद कर देता हूँ … चलो अब खुश?” कहते हुए मैंने उसे बाजू पकड़कर उठाया तो सुहाना ने उठते समय अपनी पैंटी और पायजामे को भी ऊपर कर लिया था।
अब मैंने उसे बेड पर अपने पास बैठा लिया- अच्छा सुहाना एक बात और बताओ?
“क … क्या?”
“वो टॉम के साथ कभी तुमने फिजिकल रिलेशन भी बनाए या नहीं?”
सुहाना कुछ नहीं बोली वह तो बस अपना सर नीचा किए बैठी रही।
मुझे थोड़ा संदेह तो पहले से ही था पर जिस प्रकार सुहाना अपना सिर नीचे किये कुछ नहीं बोल रही थी इसका मतलब बात केवल चूमा-चाटी तक ही सीमित नहीं रही होगी।
“मैंने उस फोल्डर में तुम्हारे और भी फोटो देखे थे.”
“वो … उसने मेरी जानकारी के बिना ये फोटो ले लिए थे।”
“पर वह इन फोटोज और वीडियोज के साथ तुम्हें ब्लैकमेल भी कर सकता है?”
सुहाना किमकर्त्तव्यविमूढ़ बनी मेरी ओर देखती रही।
“चलो कोई बात नहीं जवानी में अक्सर ऐसी भूल हो जाती है। तुम चिंता मत करो … मैं तुम्हारी इस परेशानी को भी दूर कर सकता हूँ.”
“कैसे?” अब तो सुहाना की आँखों में एक नई चमक सी आ गई थी।
“मैं उस छोकरे के फादर को जानता हूँ.”
“आप कैसे जानते हैं?”
“तुम यह सब छोड़ो!”
“ओह … सर … प्लीज बताओ ना?”
“अरे बेबी उसका फादर हमारी कंपनी का बहुत बड़ा डीलर है. और एक दो बार वह उस लौंडे को भी अपने साथ लाया था। मैं बहाने से उसे ऑफिस में बुला लूंगा और उसका मोबाइल अपने पास रख लूंगा और फिर सारे फोटो और विडियो डिलीट कर दूंगा।”
“आप सच बोल रहे हैं?”
“हंड्रेड परसेंट!”
“ओह … थैंक यू वैरी मच सर!” सुहाना के चहरे पर अब सुकून सा नज़र आने लगा था।
“पर बेबी तुम्हें मेरा भी एक फेवर करना होगा?”
“ओह … अब और क्या करना होगा?” उसने डरते हुए पूछा।
“बस एक बार मुझे भी उन अन्तरंग पलों का आनंद ले लेने दो.”
“नहीं सर … मैं ऐसा कदापि नहीं कर सकती. प्लीज … अब मुझे जाने दो.” सुहाना फिर से रोने लगी।
“सुहाना मैं बस एक बार उसमें डालकर बाहर निकाल लूंगा. मेरा विश्वास रखो.”
“वो … वो … सर … नहीं! मुझे बहुत डर लग रहा है.”
“देखो बेबी … उस टॉम के साथ भी तो तुमने किया ही है … बस मैं भी एकबार अन्दर डाल कर बाहर निकाल लूंगा. प्रोमिस.”
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अब मैंने बेड की ड्रावर में रखा निरोध निकाल लिया और अपना कुर्ता और पायजामा निकाल कर अपने लंड पर कंडोम चढ़ा लिया।
“बेबी तुम भी अपने कपड़े उतारो ना प्लीज!”
“ओह … पर वो मैं कपड़े नहीं निकल सकती.” उसने अपनी नज़रें झुकाए हुए ही उत्तर दिया।
“पर कपड़े उतारे बिना यह सब कैसे होगा?”
“मैं अपना पायजामा नीचे कर देती हूँ. आप पैंटी को थोड़ा हटा कर कर लेना.”
ओह … मेरी सुहाना जानेजाना तो बड़ी अनुभवी लगती है। लगता है उस साले टॉम के बच्चे ने इसके साथ जल्दबाजी में ऐसे ही किया होगा।
चलो कोई बात नहीं सारे कपड़े ना निकाले तो भी कोई बात नहीं बस एक बार उसकी कमसिन बुर का किला फतह हो जाए. बाद में तो यह अपने आप सारे कपड़े निकाल कर कहेगी और जोर से चोदे मेरे आर्यपुत्र!
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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