Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

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होली का असली मजा--14

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होली का असली मजा--14

क्या रगड़ाई हुयी 'उनकी '.

मेरी जो मेरी ससुराल में 'दुरगत ' हुयी थी , वो कुछ नहीं थी इसके आगे।

कपड़ों के जो चिथड़े हुए वो तो कुछ नहीं , हाँ पैंट उतारने का काम रीतू भाभी ने किया , आखिर सबसे छोटी सलहज जो थीं।




लेकिन मिश्राइन भाभी से ले के रीतू भाभी तक ने , मेरी ससुराल और उनकी मायकेवालियों को 'उन्ही ' से एक से एक गालियां दिलवायीं।

कोई 'अंग ' नहीं बचा होगा , देह का एक एक इंच नहीं जहाँ कालिख और पेंट के दो चार कोट न चढ़े हों , रंगो की तो गिनती नहीं।

वो सिर्फ एक छोटी से चड्ढी में थे और , भाभियों की शैतानियों से खूंटा एकदम तना हुआ।

अब ये हुआ की चड्ढी कौन उतारेगा , वस्त्र हरण का आखिरी भाग।

और मिश्राइन भाभी ने फैसला सूना दिया , " ये काम सिर्फ छोटी साली का है '

छुटकी कुछ शर्मायी , कुछ घबड़ायी। लेकिन रीतू भाभी ने पकड़ कर कर दिया , और वो भी ,आखिर बहन तो मेरी ही थी।



इस शैतान ने पहले तो रंग बिरंगी चड्ढी के ऊपर अपने कोमल किशोर हाथ रगड़ रगड़ के , बिजारे अपने जीजू के खूंटे की हालत और खऱाब कर दी ,

फिर एक झटके में चड्ढी नीचे और लम्बा मोटा उनका बित्ते भर का खूंटा बाहर ,जैसे बटन दबाने से स्प्रिंग वाला चाक़ू निकल जाए।

सारी भाभियों के मुंह से सिसकारी निकल गयी।

रानू भाभी ने मेरे कान में कहा , " बिन्नो तेरी किस्मत तो बड़ी जबरदस्त है। "

मेरी मुस्कराहट ने हामी भरी।

तब तक सारी भाभियाँ अपनी सबसे छोटी ननद , छुटकी के पीछे पड़ गयीं थी।

रीतू भाभी ने उससे लंड का सुपाड़ा खुलवाया , एकदम मोटा लाल टमाटर जैसा।

" खाली मुठियाने से छोटी साली का काम पूरा नहीं होता , चल मुंह खोल के घोंट पूरा। " मिश्राइन भाभी ने हुकुम सुनाया।

और हुकुम तो हुकुम , और अंजाम देने का काम रीतू भाभी का।

"चल मुंह खोल , बोल आआआ , जैसे खूब बड़ा सा लड्डू खाना है एक बार में " रीतू भाभी बोलीं।

छुटकी कुछ हिचकिचा रही थी , लेकिन मिश्राइन भाभी बोलीं , " मुंह में नहीं लेना है , तो चूत और गांड दोनों में लेना होगा , अभी हमारे सामने "

छुटकी के गाल दो भाभियो ने दबा दिए , उसने चिड़िया की चोंच की तरह खोल दिया मुंह और रीतू भाभी ने अपने नंदोई का लंड , अपनी छोटी ननद के कुंवारे मुंह में डाल दिया और 'उनसे' बोलीं


" अरे नंदोई जी , होली के दिन कुँवारी साली मिल रही छोड़ो मत , हचक के लो। साल भर नया नया माल मिलेगा। '

मुझे विश्वास नहीं हो रहा था , सुहागरात के दिन जिस सुपाड़े को घोंटने , चूसने में मेरी हालत खराब हो गयी थी , वो छुटकी ने घोंट लिया।



रीतू भाभी लंड पकड़ के ठेल रही थीं , वो भी कस के अपनी छोटी साली का सर पकड़े थे।



छुटकी गों गों करती रही , लेकिन वो और रीतू भाभी मिल के ठेलते रहे। आधा लंड तो घुसेड़ ही दिया होगा।



५-१० मिनट चूसने के बाद ही छुटकी को भाभियों ने छोड़ा।

और उसके बाद मंझली का नंबर , उसने चूसा, मजे ले के चाटा और करीब ३/४ घोंट गयी।

तब तक किसी भाभी को याद आया की ' उन्हें ' लेके बाहर भी जाना है।

फिर उनका श्रृंगार शुरू हुआ , साडी ,चोली , ब्रा , महावर , मेंहदी , नथ , काजल , बिंदी, लिपस्टिक , कानों में झुमके , चूड़ियाँ , पाजेब।

देख के कोई कह नहीं सकता था की नयी बहु नहीं है 'वो '

और जो कुछ नयी बहु से करवाया जाता था वो सब करवाया गया।

मोहल्ले का कुँवा झंकवाया गया , घर घर जाके बुजुर्ग औरतों के पाँव छुए , एक जगह तो ढोलक भी उनसे बजवाई गई और कहीं आशीर्वाद भी मिला , ठीक नौ महीने में सोहर हो।

और साथ में जबरदंग होली भी हर घर में सलहज और साली के साथ।


शायद ही कोई साली , सलहज बची होगी जिसका जम के जोबन मरदन और योनि मसलन और ऊँगली से गहराई कि नाप जोख उन्होंने न की हो।


और साली सलहजो ने उनसे भी ज्यादा , उनके मस्त जबरदंग औजार के मजे लिए. आखिर वो होली क्या , जिसमें सलहज साली , नंदोई , जीजा के साथ मस्ती न करें।

हम सब घर लौटे तो दो बजने वाले थे। बस उसी आंगन में नहाये।

कुछ रंग छूटा , ज्यादा नहीं छूटा।

लेकिन होली का रंग अगर एक दिन में छूट जाए तो कौन सा रंग। मम्मी ने खाना बना रखा था , पूड़ी , कचौड़ी , पूआ , तरह तरह की सब्जी। दो साली और सास खिलाने वाली , पूछ के जिद के कर के , अपने हाथ से , जम के खाया इन्होने।

और खाने के बाद मैं और ये अपने कमरे में सो गए , एकदम चिपक कर।


तुरन्त नींद आ गयी ( सच कोई बदमाशी नहीं की , कितने रातों की मैं जगी थी , और इन्होने अपनी ताकत ससुराल वालियों के लिए बचा रखी थी ) . ये तो जल्दी उठगये मैं देर तक सोती रही। उठी तो शाम , नीम की फुनगियों से आँगन में उतर आयी थी।

मैं निकली तो ये बरामदे में बैठे हुए थे ,भुकुरे। मुंह उतरा। मैंने लाख पुछा , लेकिन उन्होंने नहीं बताया।

मम्मी किचेन में थी वो भी थोड़ी उदास। थोड़ी देर बाद पता चला गड़बड़ क्या हुयी।

कुछ छुटकी की गलती , कुछ इनकी गलती। लेकिन मैं इनकी गलती ज्यादा मानती थी। इनको सोचना चाहिए था की ससुराल में है कहीं ,…


हुआ ये की तिजहरिया में जब सब सो रहे थे इन्होने छुटकी पे घात लगायी , सुबह मंझली के साथ तो इन्होने मजे लिए ही थी और ऊपर झाँपर का छुटकी के साथ भी खूब लिया था। लेकिन 'गृह प्रवेश ' नहीं हुआ था।



छुटकी ने शुरू में थोड़े नखड़े बनाये , नहीं जीजा नहीं , और इन्होने थोड़ी जबरदस्ती की। खेल तमाशा शुरू हुआ। टिकोरों के मजे तो उन्होंने खूब लिए , लेकिन जब गली में घुसने का समय आया तो गड़बड़ हो गयी

वो भी तो थी बस अभी जवानी की दहलीज पे खड़ी , ९वें में पढ़ने वाली किशोरी , कच्ची कली कचनार की।


जब उन्होंने अपना औजार उस की परी पे थोड़ी देर रगड़ा , तब तक वो सिसकारी भरती रही। लेकिन अंगूठे से फैला के जब उन्होंने उस की कच्ची कली में ठेला तो वो बहुत जोर से चिल्लाई।




और उनके एक एक दो धक्के के बाद ही उसके आंसू निकलने लगे।
अभी सुपाड़ा ठीक से घुसा भी नहीं था।

फिर वो जोर जोर से चिल्लाने लगी , " प्लीज जीजू , छोड़ दीजिये , मुझे नहीं करवाना। बहोत दर्द हो रहा है। निकाल लीजिये। "

उन्होंने उसे बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं मानी और जिद करती रही , मुझे नहीं करवाना। एकदम नहीं।

और उनका भी मूड बिगड़ गया , उन्होंने निकाल लिया और चले गए।

तब से उनका मूड भुकरा था।

मम्मी ने छुटकी को भी समझाया , वो भी मान रही थी कि उससे गड़बड़ हुयी लेकिन अब क्या कर सकते थे।

मेरी पूरी सहानुभति उनके साथ थी , लेकिन मुझे ये भी लग रहा की गलती उन्ही से हुयी।

चिल्लाने देते छुटकी को , पेल देते उसकी दोनों कलाई पकड़ के। एक बार लंड ठीक से घुस जाता , तो बस लाख चूतड़ पटकती , बिना चोदे नहीं छोड़ते।

कुछ देर में खुद ही उसे मजा आने लगता। लेकिन कौन समझाए , ये भी। कोई जरा भी रोये चिल्लाये तो देख नहीं सकते।

मैं छुटकी के पास गयी।

सोचा उसे डाँटूगी। लेकिन वो खुद रुंआसी बैठी थी। मेरी गोद में सर रख कर उस की डब डब हो रही आँखों से आंसू गिरने लगे।

" दी , सारी गलती मेरी है। मैं भी बेवकूफ हूँ। जीजा जी , बिचारे इतनी मुस्किल से होली में आये , अपना घर छोड़ के। और मैं भी , थोडा सा दर्द बर्दास्त कर लेती , मुझे नहीं लग रहा था की वो निकाल ,…

कितने गुस्सा हैं। अब तो नहीं लगता जिंदगी भर मुझसे बोलेंगे। मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा। मैं उनसे माफी माँगने को तैयार हूँ , प्लीज दी एक बार जीजू से बोल दो न , मुझसे बात कर लें। अब कभी मैं ,… "

मैं बाहर निकली तो ये अब बरामदे में नहीं थे ना मेरे कमरे में।

मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। किधर गए वो ?
फिर लगा शायद बाहर घूमने निकल गए होंगे।

तब तक रीतू भाभी आ गयी।
बाद में पता चला की , असल में जो वो गायब थे , वो छत पे कमरे में मंझली के साथ थे और उन्होंने' दूसरी राउंड होली ' खेल ली थी। उनके मूड सुधारने में उस का भी बहुत हिस्सा था।

मम्मी ने बोला रीतू को बोलना , खाना खा के जायेगी।




और खाते समय भी वो चालु रहीं , और अबकी मम्मी के पीछे पड़ गयीं।

लेकिन उसके साथ ही उन्होंने जम के खाते समय अपने ननदोई और मेरे 'उनको ' गालियां सुनायी और मेरी छोटी बहनों से भी साथ में दिलवायीं।


' अरे नंदोई जी कोने में न बैठों ,

कोने में लगे ततैया ,

तोहरे अम्मा कि बुर में बहिनों की बुर में ,

बैल को सींग , भैंस को चूतर , बैलगाड़ी को पहिया। '

,…

नंदोई जी तुम्हरी अम्मा के भोंसड़े में , तोहरी बहिनी कि बुरिया में

का का जाए , अरे का का समाये ,

हमारे ननंदोई जाए , उनके सारे जाएँ , सारे के भी सारे जायं ,

घोडा जाय , गदहा जाय , ऊंट बिचारा गोता खाय।
,…

मैं बैठी मुस्करा रही थी और बीच बीच में अपनी ननदों और सास का नाम भी रीतू भाभी को बता दे रही थी।

और मम्मी के पीछे तो , … मम्मी 'इनके' बाएं बैठ गयीं , बस रीतू भाभी चालू हो गयीं।

" नंदोई जी , देखिये आपके बाएं कौन बैठा है , बस छोड़ियेगा मत आज , पुराने चावल का मजा ले के रहिएगा। "

और वो भी न , बोले ' अरे सलहज जी मेरी हिम्मत की जो सलहज का हुकुम टालूँ। '

फिर मम्मी ने परोसते हुए एक बार बोल दिया , ले लो न ,

बस फिर रीतू भाभी , मम्मी के पीछे ,

' अरे आप दे रही हैं , तो लेने से कौन मना कर सकता है , और वैसे मैं राज की बात बताऊँ , ये होली में सास से होली खेलने आये हैं , साली , सलहज तो बहाना है "

और वो कुछ मम्मी की थाली में डालने लगे तो फिर रीतू भाभी ,

" अरे नंदोई जी पूरा डालिये , हमारी और आपकी सास को आधे तिहे में मजा नहीं आता "

और मम्मी भी एकदम खुल गयी थी वो भी बोली , " हमारे दामाद को समझती क्या हो , वो पूरा ही डालता है , वो भी एक बार में। लेकिन तूने डलवाया की नहीं। " रीतू भाभी को उन्होंने भी छेड़ा।


" क्या करूँ , वो पांच दिन वाली 'आंटी ' एकदम गलत मौके पे आ गयीं हैं लेकिन आज उनकी टाटा बाई बाई , फिर कल देखियेगा , एकदम निचोड़ के रख दूंगी , एक बूँद नहीं छोड़ूंगी। " लेकिन फिर वो मम्मी को छेड़ने पे आ गयीं ," इसलिए कह रही हूँ , आज जो मलायी वलाई गड़पनी हो , आज रात छोड़ियेगा मत , मुश्किल से होली की रात ऐसा गबरू दामाद मिलता है। "



मझली को रीतू भाभी के साथ जाना ही था।

रीतू भाभी की एक नन्द थी वो उसे , मैथ्स में हेल्प करती थी। दो ही दिन बाद तो पेपर था। तो तय ये हुआ था कि आज रात और कल दिन वो उन्ही के साथ रह के पढ़ेगी , जिससे जो होली में डिस्टर्ब हुआ था वो बराबर हो जाय। कल दिन में भी होली का हंगामा होना ही था।

वो हम लोगों के जाने के पहले आ जायेगी।

छुटकी बोली की वो भी भाभी के साथ चली जायेगी , और कलसुबह ही वो और भाभी आ जाएंगी। उसकी सहेलियां तो दस बजे आनी थीं जीजू से होली खेलने।

मम्मी ने हामी भर दी।

और उन लोगो के जाने के बाद घर में सिर्फ हम तीन लोग बचे थे , मैं , ये और मम्मी।


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होली का असली मजा--15

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होली का असली मजा--15

जाने से पहले रीतू भाभी इनसे जम के गले मिलीं , चूम्मा चाटी हुयी , एकदम खुल के और इन्होने अपनी सलहज की चूंचिया और चूतड़ दबाये तो मेरी भाभी ने भी , उनका हथियार दबा के बोला , कल बताउंगी सलहज का मजा। फिर मम्मी को सुनाती बोलीं ,

" अरे ननदोई जी आज रात मौका है , अपनी पत्नी के मातृभूमि का दर्शन जरूर कर लीजियेगा। "

" हँसते हुए , अपनी सलहज को दबाते हुये वो बोले , ' एकदम '.

" उस खाई को देख लीजियेगा जहाँ से ये मेरी मेरी प्यारी ननद और आपकी सेक्सी सालियाँ निकली हैं " वो बोली
" एकदम सलहज जी , सिर्फ देख ही नहीं लूंगा , बल्कि गहराई की नाप जोख भी कर लूंगा " वो कहाँ चूकने वाले थे।

....

मम्मी बगल में खड़ी मुस्करा रही थी।

मझली को रीतू भाभी के साथ जाना था। आज दिन में तो उसकी किताब खुली तकनहीं थी और दो दिन बाद , उसके हाईस्कूल के बोर्ड के इक्जाम का पहला पेपर था वो भी मैथ का। रीतू भाभी की एक छोटी ननद थी , टीचर। तय ये हुआ था की वो आज रात उसे पूरी तरह रिवाइज करवाएंगी और अगले दिन भी वो उन्ही के साथ पढ़ेगी यहाँ घर पे तो होली का हंगामा रहेगा। हाँ , हम लोगों के जाने के पहले वो कल शाम को आ जायेगी।

छुटकी बोली , " मम्मी मैं भी जाऊं , भाभी के साथ , कल सुबह आ आउंगी , भाभी के साथ "

एकदम , मम्मी बोलीं।
वो तीनो लोग चली गयी।
बचे हम तीन।
मम्मी , मैं और ये।




….शाम से ही मम्मी उन्हें जबरदस्त लाइन मार रही थीं , ललचा लुभा रही थी. और उनके मुंह से पानी टपक रहा था।

वो मम्मी के उभारों के जबरदस्त दीवाने थे आगे के भी , पीछे के भी।
ये बात मुझे पता थी और मम्मी को भी।

मैंने उन्हें और नंदोई जी को बात करते सुना था। नंदोई जी बोले" यार तेरी सास के चूतड़ गजब के हैं। "

" सिर्फ चूतड़ ही नहीं , चूंचियां भी , एकदम भरी भरी और मस्त कड़ी। मन करता है दोनों चूची पकड़ के निहुरा के चोद दूँ " वो बोले। फिर कुछ रुक के जोड़ा ,


" और चूंचियां ऐसे ब्लाउज से बाहर टपकती रहती हैं , बस मन करता है चूस लूं , दबा दबा के सब रस पी लूँ। "


पहले तो मुझे कुछ बुरा लगा फिर मैंने सोचा की यार अगर दो जवान मर्द मम्मी के जोबन फिदा हैं इस तरह तो ये तो खुश होने की बात है। "

और आज शाम से मम्मी का जोबन सच में ब्लाउज से टपका पड रहा था।

उन्होंने सफेद रंग का ब्लाउज पहन रखा था , स्लीवलेस और वो भी साइड से बहुत गहरा कटा हुआ।




न सिर्फ उनकी मांसल काँखे साफ दिख रही थी , बल्कि उसमें छोटे छोटे काले बाल भी। चोली स्टाइलका , लो कट आलमोस्ट बैकलेस और बहुत ही टाइट। मम्मी के 38 डी डी वाले उभारो का न सिर्फ कटाव और उभार दिख रहा था , बाली वो सफेद पारभासी ब्लाउज में खुल के झलक भी रहे थे।

खाने की मेज पे जब वो झुक के उन्हें कुछ परोसतीं , तो उनके ग़द्दर दूधिया जोबन तो दिखते ही , अठ्ठनी के साइज के जामुनी रंग के बड़े बड़े खड़े निपल भी झाँक रहे थे।


और यही नहीं , साडी भी उन्होंने शिफॉन की पहन रखी थी , आलमोस्ट ट्रांसपरेंट।

कूल्हे के भी नीचे से बांधी , और वो भी बहुत टाइट। और तरबूज क दो फांक ऐसे उनके बड़े चूतड़ , जब वो चलती तो कसर मसर , कसर मसर करते दीखते ही , बीच की दरार भी साफ साफ झलक रही थी।


और अब आज रात घर में सिर्फ वो मैं और मम्मी थे।


छुटकी , मंझली और रीतू भाभी के जाने के बाद मम्मी ने बाहर का दरवाजा बंद किया , और अपने बेड रूम की ओर चल दी. उनके पीछे , ' वो ' और , सबसे पीछे मैं।

मम्मी ने बेड रूम में पहुँच के दरवाजा बंद कर लिया , और मुड़ के मुझसे कहा " हे , सुन हमीं तो हैं , आज तू मेरे पास ही सो जा। "

शादी के पहले भी मैं अक्सर मम्मी के पास ही सोती थी।

" और मम्मी , मैं? " वो भी बोले।
मम्मी ने प्यार से उन्हें बाहों में भरा , और उनके बालो पे हाथ फिराते बोलीं ,

" एकदम , क्यों नहीं एक और मेरी बेटी और एक ओर बेटा। "

मम्मी के हाथ उठाने से साइड से उनके उभारो का 'स्वेल ' एकदम साफ दिख रहा था बल्कि उनके गालों से रगड़ खा रहा था और उनकी कांख और उसके छोटे छोटे बाल भी , सीधे उनकी नाक के पास। वो महक किसी को भी पागल बना देती , वो तो पहले से ही पागल थे मम्मी के जोबन के।

उसी तरह उनसे से सटी चिपकी मम्मी ने उन्हें और छेड़ा , " लेकिन तुम क्या इतने ढेर सारे कपडे पहन के सोते हो। "

वो एक टाइट टी शर्ट और बॉक्सर शार्ट पहने थे।

" एकदम नहीं , मम्मी " मैं बोली बोली।

अब मैं भी मैदान में आ गयी और जब तक वो कुछ समझे , मैंने और मम्मी ने उनकी शर्ट खींच के निकाल दी।

अब वो सिर्फ बहुत छोटे से बॉक्सर शार्ट में थे , और अब उनकी सारी मसल्स साफ दिख रही थीं।

मम्मी उनकी शर्ट खूंटी पे टांग रही थी तो मैंने पाला बदला और अब 'उनकी ' और आ गयी।

" मम्मी क्या आप इत्ते ढेर सारे कपडे पहन के सोएंगी "


और मैंने मम्मी का आँचल पकड़ के खींचा। थोड़ी देर में उनकी साडी मेरे हाथ में थी और वो भी सिर्फ , साया ब्लाउज में। मम्मी की साडी उनके शर्ट के ऊपर मैंने टांग दी।

लेकिन मैं कैसे बचती। मम्मी ने मेरी साडी खींच दी। हम दोनों मा बेटी के साथ साथ पक्की सहेली भी थे।

कुछ ही देर में हम सब बिस्तर पे थे। मम्मी बीच में और मैं और वो दोनो साइड में।

मैंने लाइट बंद कर दी , लेकिन नाइट लाइट में अभी भी सब कुछ दिख रहा था।





वो लललचायी नजरो से मम्मी के सफेद ब्लाउज से झांकते मम्मों को देख रहे थे , लेकिन बेचारे , झिझक भी रहे थे।

पहल मैंने ही की। मैं अपने 'इनके ' लिए कुछ भी कर सकती थी।

" मम्मी , इन्हे सोने से पहले दुद्धू पीने की आदत है " और साथ ही मैंने उनका हाथ खींच के सीधे मम्मी के ब्लाउज के बटन पे रख दिया।


' ठीक तो है। लगता है समधन जी ने लगा दी है। और मुन्ना दूध नहीं पियेगा , तो कुश्ती कैसे लड़ेगा " कुछ प्यार से कुछ चिढ़ाते हुए मम्मी बोलीं और उन्हें और खींच के अपने से सटा लिया।

हिम्मत कर उन्होंने मम्मी के ब्लाउज के बटन खोल दिए और झ्हक से , गोरे गोरे दूध से भरे कटोरे बाहर आगये।

झिझकते शर्माते वो बोले , " मम्मी दूध पी लूँ। "

बस मम्मी ने जोर से उनके बाल पकड़ के उनका मुंह अपने हाथ से दबा के खोल दिया और निपल सीधे ठेल दिया और दोनों हाथों से उनका सर पकड़ के अपने जोबन से चिपका लिया , और जोर से हड़काया ,

" मम्मी भी बोलते हो और पूछते भी हो , पियो न , जितना मन हो उतना। और आगे से फिर कभी पूछा न तो बहुत पिटोगे मेरे हाथ से "

मैं क्यों पीछे रहती , मैंने उनका एक हाथ पकड़ के मम्मी के दूसरे मम्मे पे रख दिया।

पुचुर पुचुर वो मम्मी का निपल चूस रहे थे और एक हाथ से उस बूब्स को पकडे थे , और दूसरा हाथ दूसरे बूब्स को जोर जोर से दबा रहा था , मसल रहा था

कितने दिनों की उनकी साध पूरी हो रही थी।



और मम्मी भी प्यार से उनके बाल सहला रही थीं , कभी गालों पे हाथ फेर देतीं।

दस मिनट कस कस के मम्मी की रसीली चून्चियों का मजा लेने के बाद , सांस लेने को उन्होंने मुंह खोला और मम्मी ने प्यार से उनके गाल को पिंच करते हुए पुछा ,

" मजा आया "
" हाँ मम्मी बहुत , " ख़ुशी से उनका चेहरा दमक उठा।


मम्मी ने चट से हलके से उनके गाल पे मारा ,

" बदमाश , फिर दुबारा अगर तुमने पुछा न , तो बहुत पिटोगे। मम्मी से शर्माते हो। और जब मन करे तब , मेरी इस बेटी या किसी बेटी से शर्माने की जरूरत नहीं है। जब चाहो तब और उनके सामने भी , समझ गए न। "

हाँ समझदार बच्चे की तरह उन्होंने सर हिलाया। और एक बार फिर जीभ निकाल के मम्मी के बड़े निपल फ्लिक करने लगे।

मम्मी को भी बहुत मजा आ रहा था।
उनकी नाक पकड़ के शरारत से मम्मी ने पुछा ,

" अच्छा बोल मेरे ज्यादा मस्त हैं या समधन के "

एक पल के लिए उनके चेहरे पे शरमाहट आयी फिर वो मुस्करा के बोले ,

" मम्मी , आप दोनों के एक से बढ़ के एक हैं "

मम्मी भी जोर से खिलखिलायीं और उनके होंठो पे खूब कस के एक चुम्मी ले के कहा , बहुत चालाक हो तुम।

मम्मी का हाथ उनके चौड़े सीने पे टहल रहा था। अपने नाख़ून से उनके टिट्स को जोर स्क्रैच कर के पुछा ,,

" और समधन की नीचे वाली कुठरिया "

अब उनकी भी झिझक ख़तम हो गयी थी , वो मुस्करा के बोले

" मम्मी अभी आप की नीचे वाली कुठरिया का मजा कहाँ लिया है जो बताऊँ की उनकी कैसी है और आपकी कैसी। "

मम्मी कुछ जवाब देती उकसे पहले मैंने मम्मी से बोल पड़ी ,

" मम्मी , इसका मतलब आपका दामाद , "
मम्मी ने मुझे जोर से आँखे तरेर कर देखा और बोली , खुल के बोल न जो बोलना चाहती है।

" मम्मी , इसका मतलब आपके दामाद , मादर चोद हैं। "
"गलत एकदम गलत , "मम्मी ने फिर मेरी बात काटी और बोलीं ,

" ये मादर चोद नहीं पक्का मादर चोद है , पैदायशी मादरचोद क्यों है ना " उनकी पीठ सहलाते मम्मी बोलीं।

वो क्या बोलते उके मुंह तो मम्मी की चूंची चूसने मन लगा था। और मम्मी ने जोर से एक हाथ से उनका सर दबा रखा था , तो वो हटा भी नहीं सकते थे।

मम्मी ने फिर मेरी ओर देखते हुए समझाया ,

" तू भी न , मादरचोद को , मादरचोद बोलने में हिचक रही थी। मेरे दामाद को कोई हिचक नहीं , तो तुम क्यों झिझक रही थी। कल से तुम सबके सामने इसे मादरचोद बुलाओ देखना ये जवाब देगा। अरे जब मादरचोद होने में शर्म नहीं , तो मादरचोद कहलाने में क्या शर्म , क्यों बेटा। "

वो बबचारे क्या बोलते उनके मुूँह में तो मम्मी की 38डीडी साइज की चूची भरी थी।

मम्मी ने मुझे समझाना जारी रखा-

“देख मेरी समधन ने न जाने कहाूँ-कहाूँ घूम-घूम के चुदवा के पहले तो गाभन हुई होंगी, किर 9 महीने पेट में रखा होगा, किर बचपन में सबसे पहले इसकी नूनी पकड़ के सु-सु करना सखाया होगा। नूनी का चमड़ा खोल के कड़वा तेल लगाती होंगी, तभी तो इतना मस्त मोटा… किर उनका भी कुछ हक़ है कक नहीीं इसके मोटे डण्डे पे। क्यों बेटा?

बबना मम्मी की चूची पर से मुूँह हटाये सर र्हला के उन्होंने हामी भरी।

“तुम सही करते हो जो मेरी बाींकी समधन को चोदते हो, वरना कहीीं इधर उधर…” मम्मी ने अपनी चूची पर से उनका मुूँह हटाते हुए कहा।


हम तीनों मुश्कुरा रहे थे। अब मम्मी ने उनके होंठ अपने दूसरे उरोज पे रखे-

“अरे इसको भी तो चूस जरा। इसका भी मजा ले…”

जोबन का मजा लेने में तो उनका कोई मुकाबला नहीीं था और ये मुझसे अच्छा कौन जानता था।


और वो जोर-जोर से मम्मी की चूची चूसने लगे।

मम्मी का एक हाथ उनके सर पे था और दूसरा शाटि के ऊपर से ‘उसे’ दबा, सहला रहा था। उनकी जीभ कभी पूरे उरोजों को चाटती, तो कभी ननपल के चारों ओर घूमती, कभी ननपल को वो मुूँह में लेकर जोर-जोर से चूसते, चुभलाते। और रह रह के काट लेते।

मम्मी- क्यों, समधन का भोंसड़ा कभी चूसा है? कैसा है?



उन्होंने ननपल चूसते हुए लसिि सर र्हलाया पर मैं उन्हें इतनी आसानी से थोड़े ही छोड़ने वाली थी।

मैं बोली- बोलो न, मम्मी कुछ पूछ रही हैं?
सर हटा के वो बोले- “हाूँ…”


“अरे पूरा बोलो न, मम्मी से क्या शमािना…” मैं भी छेड़ रही थी।

“हाूँ चूसा है, बहुत रसीला है…” बोल के किर से वो अपने काम में जुट गए।

मम्मी मस्ती से लससकारी भर रही थी। मम्मी इतनी जल्दी उन्हें नहीीं छोड़ने वाली थीीं, उन्होंने अगला सवाल पूछा-

“और मेरी समधन ने अपना भोंसड़ा चुसवाया या मुन्ने को गाण्ड भी चटवाई…”

मम्मी की छेड़छाड़ में उन्हें भी मजा आ रहा था, वो बोले-

“गाण्ड भी चटवाई…”


“अब मान गए तुम नम्बरी पैदायशी खानदानी मादरचोद हो…”

मम्मी ख़ुशी से बोलीीं और मुझे देखकर कहा-

“मैं कह रह थी न तुमसे तेरा ‘ये’ मादरचोद ही नहीीं है, बर्ल्क नम्बरी, पक्का मादरचोद है, हरामी का जना…”


मम्मी की गाललयाीं और रसीली बातें सुनकर उनका चेहरा मस्ती से दमक रहा था और तम्बू में बम्बू एकदम तना था। साथ में मम्मी खुल के के ऊपर से अपनी उूँगललयों से उसे दबोच रही थीीं, सहला रही थीीं।


“और तेरी बुआ का जोबन भी तो बहुत गद्दर है, मजा आया था उनकी लेने में…”

मम्मी ने उनके नपल को जोर से स्क्रैच करते पूछा।

अब तो उनके चेहरे पे हवाईयाीं उड़ रही थी। वो आलमोस्ट उठ बैठे, और बोले-

“ नहीं ,... हाँ मम्मी, मतलब… लेककन आपको कैसे पता?


मम्मी ने हाथ अब शार्ट में डाल र्दया और जोर जोर से लण्ड मुठियाते मुस्करा कर बोलीं


“मम्मी बोलता है और पूछता है, कैसे पता? मुझे सब पता है। तेरी बुआ की शादी के पहले ही तूने नंबर लगा र्दया था न। मुझे तो ये भी मालूम है की उस र्दन तेरी बुआ ने क्या पहना था। बोल अब उनकी शादी के बाद होता है गुल्ली-डींडाकी नहीीं?



मैं ख़ुशी और आश्चयि से मम्मी की ओर देख रही थी। मम्मी को तो दरोगा होना चार्हए, सब राज उन्होंने कैसे कबूलवा लिए ।

उनकी बुआ और मेरी बुआ सास, थी भी बहुत सेक्सी और गाली देकर बात करने में तो सास से भी दो हाथ आगे। र्जस तरह से वो ननद भौजाई बातें करती थी, हम ननद भौजाइयों के लिए सबक था।


जब मुूँह र्दखायी हो रही थी और मैं पैर छू रह थी तो मेरी सास ने उकसाया-

“जरा लहींगा उठा के अंदर का हालचाल देख ले, तेरे ससुर की खास पसंद की चीज है है अंदर …”


मैं आपनी सास की आज्ञाकारी बहू, पैर छूते-छूते, मैंने झट सेलहंगा दोनों हाथों से पकड़ के पूरा उलट दिया , चिड़िया दिख गयी। ।

एकदम मक्खन मलायी।


और जब बुआ ने ठीक करने की कोशश की तो सासूजी ने उनके दोनों हाथ पकड़ और बोली-

“अरे ननद रानी इतनी देर बाद बुलबुल खुली है तो थोड़ी हवा पानी खा लेने दो उसे न…”


किर तो मेरी बुआ जी से पक्की दोस्ती हो गयी।





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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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होली का असली मजा--16

Post by jay »

होली का असली मजा--16

वैसे भी उम्र में ‘इनसे’ 7-8 साल ही बड़ी होंगी, 32-33 साल की। सुहागरात के पहले सबसे ज्यादा ज्ञान उन्होंने ही र्दया। और जब सुबह नौ बजे मेरी ननदें कमरे से ननकाल के ले गयी, तो वो बाहर ही मिल गयीं और सबसे पहले मुंह दिखाई भी उन्होंने की। ‘नीचे वाले मुूँह की’।

मम्मी उन्हें चढ़ा रही थी-

“अरे बुआ से तो चोदने का ररश्ता है, काहें शरमा रहे हो। अरे उनके भाई मेरी समधन को , तेरी माँ को दिन रात चोदते हैं न, तो तूने उनकी बहन चोद ली बस, तो बोलो अब भी चलती है पेलगाड़ी न…”


“हाूँ, मेरी शादी में वो आयी थी न, तो बस 2-3 बार…” हुए उन्होंने कबूला।
शरमाते हिचकते

अब मैंने थोड़ा डायरेक्शन बदला, और उनका हाथ मम्मी के गोरे चचकने पेट पे सहलाते हुए बोला-

“मैं और तुम्हारी नमकीन सालियाँ यही पे थे…”


“औरनिकलीं किधर से…” उन्होंने मुश्कुरा के मुझे छेड़ते हुए पूछा।


मेरे एक हाथ ने मम्मी के साये का नाड़ा खोल के नीचे सरका र्दया और दूसरे हाथ से उनका हाथ पकड़ के सीधे, ‘वहीँ ’ पे मम्मी की जाूँघों के बीच… जो मैंने सोचा वही हुआ। उनका चेहरा देखकर लग रहा था की, जैसे हलवाई की भट्ठी पे हाथ पड़ गया हो।


मम्मी भी धीमें-धीमें मुश्कुरा रही थीीं, उन्होंने दोनों जाींघों के बीच जोर से उनका हाथ दबा र्दया। और अब मम्मी की बारी थी, उनका शार्ट सरका के सीधे बिस्तर से नीचे फेंकने की

। मैं कैसे बचती। सास, दामाद ने मेरा ब्लाउज और साया भी दूर फ़ेंक दिया और हम तीनों एक जैसे।

मम्मी ने पैंतरा बदला, वो उठ बैठीीं और सीधे ‘उनके’ हाथ मोड़कर तेजी से तकिये के नीचे दबा दिए और बोली- “

हिलना मत…”


एकदम सख्त लहजें में वो बोलीीं और अपनी दोनों जाँघे फैला के सीधे उनके चेहरे के ऊपर बैठ गयीीं। उनकी ‘रामप्यारी’ पे छोटी-छोटी झांटो का गुच्छा था, जो गोरी गुलाबी जाँघों के बीच बहुत खूबसूरत लग रह था।



‘इन्होंने’ जो हरकत वहां की थी, बस दो तार की चासनी जैसा गाढ़ा रस रह-रह के टपक रहा था।

“बस चुपचाप लेटे रहो, अच्छे बच्चे की तरह। जरा भी मत हिलना बस जैसे बोलूं वैसे करना…”

मम्मी ने इंस्ट्रक्शन दिया ।


और उन्होंने आज्ञाकारी बच्चे की तरह से हामी में सर र्हलाया।


“मुींह खोल, चूस साले, मादरचोद…”


मम्मी ने उनके खुले मुूँह पे अपनी बुर को रगड़ते हुये बोला।

और उन्होंने खूब जोर-जोर से चूसना शुरू कर र्दया।

“हाूँ ऐसे जीभ अंदर डाल, मादरचोद…”

मम्मी ने एक बार जाँघों को थोड़ा ऊपर उठा के अपनी बुर कीफांको को फैलाते हुए कहा।

और जोर से उनके ऊपर बैठते हुए अपनी मोटी-मोटी जाींघों से उनके सर को कस के दबोच लिया । वो एक सूत भी सर नहीं हिला सकते थे।


“चाट मादरचोद चाट,देखूं मेरी समधन छिनार ने क्यादेखूं है अपने मुन्ने को। भोंसड़ी के ,अंदर डाल जीभ, रंडी के जने…”


और जिस तरह से वो सपड़-सपड़ चाट रहे थे, लग रहा था मम्मी की गालियों से उनका जोश और दूना हो रहा है।

और मम्मी भी उन्हें तंग करने पे तुली थीीं। अब उनका एक हाथ सीधे ‘उनके’ पे और अपने बड़े-बड़े नाखूनों से उसे वो जोर-जोर से चचकोटी काट रही थीीं।

डंडा उनका एकदम तन्नाया था।


“मस्त चाटता है तू, लगता है समधन ने बचपन से ही ट्रेनकिया है, एकदम पक्का चूत चटोरा। और जोर से मादरचोद, हाूँ हाूँ…”

मम्मी के चेहरे से लग रहा था कक उन्हें जबरदस्त मजा आ रहा है लेकिन उन्होंने गियर चेंज कर दिया । और खुद दोनों हाथ से उनका सर पकड़ के जोर-जोर से धक्के मार रही थीीं जैसे उनका मुूँह चोद रही हों। उनकी आूँखों में मस्ती का नशा छाया हुआ था, और उन्होंने मुझे इशारा किया


मैं खुद खड़ा लण्ड देखकर ललचा रही थी


बस, मेरी ललचायी जीभ ने नीचे पेल्हड़ से (बाल्स) यात्रा शुरू की। पहले बस जीभ की नोक लगायी और धीरे-धीरे उसे सपड़-सपड़ चाटना शुरूकिया ।


और कुछ ही देर में एक बाल मेरे मुूँह में, मैं उसे रसगुल्ले की तरह चूस रही थी।


और मेरा हाथ उनके गोल गुदाज चूतड़ों को सहला रहा था, दबा रहा था।

एक ऊूँगली सीधे गाण्ड के छेद पे, उन्हें जैसे करेंट लग गया।

मम्मी ने मुश्कुरा के तारीफ से मेरी और देखा और अपने मुंह के धक्के की रफ्तार तेज कर दी। वो जोर-जोर से उनके पेमुंह अपना भोंसड़ा रगड़ रही थी।


मेरी जीभ अब मस्त चाटते हुए उनके चर्म दंड पे टहल रही थी, और अचानक एक बाज की तरह मैंने उनके सुपाड़े को अपने होंठों में दबा लिया,लेकिन थोड़ी देर तड़पाने के बाद, मेरे होंठों ने उनका चमड़ा सरकाया, और सुपाड़ा खोल दिया मोटा, पहाड़ी आलू जैसा पगलाया।


लेकिन आज तो मैं और मम्मी मिल के उन्हें तंग करने के ही मूड में थे। मैंने मुूँह ऊपर उठा लिया और मेरीउँगलियाँ लण्ड के बेस को जोर से दबाने लगी और किर मेरी जुबान की नोक ने, उनके सुपाड़े के पी होल, पेशाब के छेद में सुरसुरी कर दी। लण्ड एकदम गनगना गया।


उनका मन कर रहा था की बस मैं एक पल के लिए सुपाड़ा चूस लूूँ, चुभला लूूँ।


मम्मी उनकी प्यास समझ रही थी। एक पल के लिए उन्होंने जाँघे थोड़ी फैलायीं , चूतड़ थोड़े ऊपर किये और बोली-


“क्यों बहुत मन कर रहा है न, दे दे बेटी। लेकिन उसके पहले चल मेरी गाण्ड चाट
ऐसे ऊपर से नहीीं, जीभ पूरी तरह गाण्ड के माल तक अंदर जानी चाहिए , पूरी लसलस , तब मिलेगी , क्यों?


और उन्होंने मुझे आँख मार दी।


किर उन्होंने अपनी गाण्ड दोनों हाथों से खूब फैलाई और गाण्ड का छेद सीधे उनके मुूँह पे,

और मम्मी ने मुझे ग्रीन सिग्नल दे दिया।


वो जोर-जोर से गाण्ड चाट रहे थे, चूस रहे थे और मम्मी के चेहरे को देखकर लग रहा था की अब जीभ गाण्ड के अंदर घुस गयी है, गोल-गोल अंदर तक घूम रही है।


“ओह मादरचोद, आह… उह्ह… समधन ने बढ़िया सिखाया है, जीभ थोड़ा और अंदर, हाँ रंडी के जने, भूँड़वे की औलाद और जीभ घुसा, हाूँ बस अब गोल-गोल, पूरा-पूरा मक्खन चाट ले तब समझूंगी नम्बरी पैदायशी खानदानी मादरचोद, अब ससुराल में मैं और मेरी बेटी तुझे इसी नाम से …”




उनके होंठ एकदम मम्मी की गाण्ड से चिपके थे जैसे फेविकोल लगा हो।


और अब मैं भी खूब मजे से गन्ना चूस रही थी, एक साथ माँ बेटी का मजा।

मम्मी लगता है झड़ने के कगार पे पहुूँच गयी थी, लेकिन वो उठ गयीं और मुझे भी हटने का इशारा ककया।


लण्ड अब उनका पागल हो रहा था मस्ती से बौराया। एकदम टनाटन था।


मुझे लगा शायद वो अब उस पे चढ़ के चोदेंगी, लेकन मम्मी तो मम्मी थी।


पहले तो उन्होंने उन्हें खूब धमकाया,हिलना मत जरा सा एक दो तमाचे भी प्यार से गाल पे मारे। मम्मी को मालूम था की उनका दामाद उनके जोबन का दीवाना है। बस अपने दोनों हाथों में अपने 38डीडी के उभारों को लेकर उन्हें दिखा के के सहलाया, मसला, और दोनों हाथों में ले उन्हें ललचाया।


अगर मम्मी का सख्त हुक्मनहीं होता ऐसे लेटे रहो तो… फिर तो…

उसके बाद मम्मी ने वो किया जो न मैं सोच सकती थी न ‘वो’।


उन्होंने अपने दोनों मस्त मम्मों के बीच लण्ड को पकड़ ललया और जकड़ के, खूब जोर-जोर से उन्हें चूची चोदन का मजा देने लगीीं।


“उह… ओह… अह्ह्ह… नहीींई… ओह्हह्हह्हह्हह… ” वो सिसकी ले रहे थे मजे से चूतड़ उचका रहे थे।

लगा जब वो कगार पे पहुूँच गए तो मम्मी ने एक पल केलिए अपनी मस्त कड़ी कड़ी गोल गोल गोरी गदरायी चूँचियाँ हटा ली और किर एक हाथ से जोर से उनके सख्त लण्ड को पकड़ा और अपने कड़ेसख्त निपल को सीधे उनके पी हाल में, पेशाब के छेद में डाल के…


मस्ती से वो और जैसे ये काफी नहीं था , मम्मी ने अपनी ऊँगली की एक टिप सीधे उनके पिछवाड़े ,... हचक कर , पूरी कलाई के जोर से , एक पोर तक पूरा अंदर पेल दिया



थोड़ी देर इसी तरह तंग करने के बाद मम्मी ने छोड़ा और अब मम्मी सीधे उनके तने, कड़े, खड़े लण्ड के ऊपर, दोनों हाथों से उनकी कमर पकड़ के जैसे कोई तगड़ा मर्द किसीनयी नवेली सुकुमार कन्या की ले रहा हो।

थोड़ी देर अपनी रसीली बुर फैला के उन्होंने सुपाड़े पे रगड़ा।


वो चूतड़ उचका-उचका के दिल की बात बात कह रहे थे।

मम्मी बिचारी कितनी देर

देर अपने दामाद को तड़पाती, उनकी कमर को पकड़ के एक जोर का धक्का मारा, उतना तगड़ा जैसे कोई कच्ची कुँवारी कली की सील तोड़ रहा हो और गप्प से सुपाड़ाअंदर ।

लेककन मम्मी को तो तड़पाने में मजा आ रहा था।

थोड़ी देर तड़पाने के बाद मम्मी ने उन्हें चोदना शुरू ककया। क्या कोईमर्द चोदेगा।

और साथ में ललचाना भी। वो अपनी दोनोंबड़ी बड़ी सख्त गोरी रसीली मांसल चूचियां बार-बार उनके मुूँह के पास ले जा के ललचाती और जब वो सर उठा के निपल चूसने की कोशिश करते थे तो वो हटा लेती थीीं।

बार-बार छेड़ने और तंग करने से ‘वो’ और जोश में आ रहे थे।

मम्मी ने उनके दोनों कन्धों को हाथ से दबा के पूछा-

"बोल, चाहिए क्या?


“हाूँ… मम्मी हाूँ दो न बहुत मस्त है जोबन आपके…” वो गिड़गिड़ाए

उनके छाती पे अपनी ग़द्दर चूचियां जोर-जोर से रगड़ते मम्मी ने छेड़ा-


"हे बोल, भूँड़वे, तेरी माूँ को गदहे चोदें, अपनी महतारी और बाप कीबहन के अलावा और किसको किसको अपने घर में चोदा?


वो थोड़ा सा मुश्कुराये और किर मुझे देखकर मेरी ओर इशारा करके कुछ हिचकिचाते हुए कबूल कर लिया


“मम्मी, इसकी बड़ी ननद को…”
मेरी तो फट के हाथ में आ गयी। बड़ी ननद को भी, मम्मी ने आज क्या-क्या पता लगाया।

मम्मी ने किर पूछा- “क्यों शादी के पहले चोदी थी, या…”


मम्मी की काट के वो जोर से मुश्कुराते बोले-

“मैंने कित्ता बोला बोला वो नहीं मानी बोली-

“शादी के बाद भैया, चाहे जितनी बार ले लो… चोदा तो शादी के बाद, लेकिन उसके पहले मेरे हथियार की की दीवानी थी वो। स्कूल से हम दोनों साथ आते थे, और आते ही कपड़े बाद में बदलते थे, वो मेरी नेकर खोल के, सीधे मुूँह में लेकर जबरदस्त चूसती थी। पूरी मलायी गटक लेती थी।

मैं भी उसकीस्कर्ट उठा के चूसता, कम से कम दो बार पानी निकालता था उसका। सब कुछ करवाती थी। लण्ड चूत पे रगड़वाती थी, गाण्ड पे रगड़वाती थी लेकिन बस अंदर नहीं घुसेड़ने देती थी , चूत के ऊपर से तो खूब रगड़ता था लंड मैं , बस अंदर नहीं घुसेड़नी देती थी। मैं भी उसकी शादी के चार दिन बाद हमारे यहाँ भाई चौथी लेकर जाता है बस, मैंने उसी के बिस्तर पे पे पटक के पेल दिया । किर तो क्या मायका क्या ससुराल, और जीजू का थ्रीसम का मन था तो कई बार तो मैंने और जीजू ने मिल के के उसकी सैंडववच बनायी…”


मैं भी सोच-सोच के मुश्कुरा रही थी। तभी तो ननदोई जी औरइतने ज्यादा खुले हैं। मेरे भाई की दोनों ने मिल के गाण्ड मारी।
और अब छुटकी का प्लान है, ननदोई जी का तो है भी खूब मोटा, अब बस मैं भी इनके और ननदोईजी के साथ सैंडववच बनूूँगी


इसी बीच मम्मी ने अगला सवाल पूछ दिया -

"और इसकी छोटी ननद?"


उन्होंने जो जवाब दिया उससे मुझे भी पड़ी और उन्हें भी।


मम्मी ने हड़काया- “छोटी, मतलब…”

वो कुछ हिचकिचाते बोले- “छुटकी से दो चार महीने छोटी होगी…”

मम्मी ने और जोर से हड़काया- “बुद्धू हो तुम। इसका मतलब वो कब की चुदने लायक हो गयी है… तुम क्या सोचते हो तेरी स्साली छुटकी चोदने लायक नहीं हुयी है अभी , ”


किर मम्मी का गुस्सा मेरी ओर-

“छोटी ननदों को फुसलाने ,, पुचकारने, पटाने का कामकिसका है? भाभी का न। तो सारी गलती तेरी है। अपने तो रोज रात, बिना नागा, उसके भाई का लण्ड गपागप घोंटती हो और चिंता है है तुम्हें छोटी ननद की, उसके भी तो खुजली मचती होगी। बेचारी बैगन, मूली, खीरे से काम चलाती होगी। तेरी जिम्मेदारी है उसकी सील तुड़वाने की…”


मैं मम्मी को उनके सामने कैसे बताती की उसकी सील तो ऐन होली के दिन मेरे भाई ने तोड़ दी। और उसके बाद उस ख़ुशी में मैंने उसे पाव भर अपनी कुप्पी से सीधे सुनहला शरबत भी पिलाया .


मम्मी किर चालू हो गयीं

“सुन भाभी का फर्ज है की अपनी ननद की कच्ची चूत में से अपने सैंया का , उसके भइया का लण्ड, अपने हाथ से पकड़ के डलवाये। ननद को पुचकारे, समझाए, थोड़ा जोर जबरदस्ती करे। अरे कच्ची कली है, नया माल है तो थोड़ा, पटाना,फुसलाना , मनाना , बहलाना … यही तो काम है भाभी का। सुन, ससुराल पहुूँच के रंगपंचमी के पहले, दामाद जी का अपनी छोटी ननद के , एक दो बार तू चुदवा देगी उसके बाद तो खुद ही उसकी चूत में चींटे काटेंगे…”


“एकदम मम्मी…” मैंने तुरंत हामी भरी।


और अब मम्मी का रुख उनकी ओर मुड़ गया-

“ये तो बेवकूफ है, लेकिन देखो इसीलिए तुम्हारे सामने बोल रही हूूँ। अगर ये जरा भी गड़बड़ करे न तो मुझे बताना। अब तुम सोचो न, तुम दोनों का फायदा है। तुम्हारी बड़ी बहन तो कुछ दिन बाद ससुराल चली ही जायेगी। और इसके भी महीने मेंपांच दिन तो छुट्टी के, तो क्या करोगे उन पांच दिन में, जवान हो, हथियार भी जबरदंग है , मस्त टनाटन है तो, वो इसकी छोटी ननद पटी रहेगी तो काम चलेगा न। उन पांच दिनों में में उसका बाजा बजाना। मैं तो कहती हूूँ
कुछ दिन उसे उसे अपने पास, सुला… सब खेल तमाशे सीख जायेगी…”


और इसी के साथ मम्मी की चूत जो खेल तमासे कर रही थी वो मैंने पढ़ा, सुना था, लेकन देखा नहीीं था। नट क्रैकर, जी बस काम सूत्र में पढ़ा था। इसमें औरत लींग को पूरी तरह अन्दर लेने के बाद, बजाय धक्के लगाने के अपनी चूत की मसल्स सकोड़ती हैं, वो भी इस तरह की सबसे पहले, चूत के सबसे बाहरी र्हस्से की मसल्स लसकोड़ेंगी। र्जससे लण्ड के बेस पे दबाव पड़ेगा और किर धीरे-धीरे, और ऊपर की ओर… दस सेकेन्ड के अन्दर वो पूरे लण्ड को नचोड़ के रख देगी। और किर दुबारा लण्ड के बेस से सुपाड़े तक, एक लहर की तरह।



मुझे मम्मी की चूत की मसल्स की स्ट्रेन्थ अच्छी तरह मालूम है। एक बार उनकी चूत में मैंने ऊूँगली की थी, पूरी । और उन्होंने जरा सा यही कया और मुझे लगा की मेरी ऊूँगली की हड्डी टूट जायेगी। कोई नारमल मर्द होता तो दो तीन लमनट में पानी फ़ेंक देता, ये तो ‘ये’ थे जो बिना रुके , पूरी रफ़्तार से , आधे घंटे तक पूरी स्पीड से चोद सकते थे।


पतानहीं ‘नट क्रैकर’ का कमाल था या जिस तरह मम्मी मेरी छोटी ननद के बारे में बातें कर रही थीीं, उससे उनको जो जोश चढ़ा था। बाजी पलट गयी।


अब वो ऊपर और मम्मी नीचे।

लेकन ये पोज थोड़ी देर रहा, किर तो उनकाफेवरिट पोज, डागी स्टाइल,


मम्मी को कुतिया बना के उन्होंने एक बार में भर अपना,बित्ते से भी लम्बा मेरी कलाई से भी मोटा लण्ड, ठूंस दिया जड़ तक। किर तो क्या कुत्ते कुतिया चुदाई चुदाई करते होंगे। हचक-हचक के।


और जब वो रुक जाते तो मम्मी, उनसे दूने जोर से, अपने मोटे-मोटे चूतड़ से पीछे की ओर धक्के मारतीीं। चोदते समय भी उनकी निगाहें मम्मी के चूतड़ों से चिपकी थीं , सहलाती ललचाती।
मैं देख-देख के झड़ गयी।


लेकन जब वो झड़े, तो एक बार किर मम्मी उनके नीचे दबी हुई ।

मम्मी और वो साथ-साथ झड़े।

और कम से कम दो अूँजुरी भर गाढ़ी, थक्केदार मलायी नकली होगी। थोड़ी देर तक वो दोनों अखाड़े थके पहलवानो की तरह पड़े रहे, किर मम्मी ने मुझे देखा, और इनसे इशारा कया की वो बगल में रखी कुसी पर बैठ जाएूँ,

और मुझसे अपनी फैली खुली के बीच भरी मलायी की ओर इशारा करते,बोलीं “अरे, तेरा ही माल है, देख क्या रही है। गपक ले…”


मुझे दुबारा कहने की जरूरत थी।

क्या मस्त क्रीम पाई थी। और मैं सपड़-सपड़ चाटने लगी। पहले मम्मी की जाींघों पे लगी, ललपटी, चुपड़ी मलायी चाटी, बुर के बाहर लगी, लिथड़ी ।

मैं भी तो मम्मी की बेटी थी। लगे हाथ मेरी जीभ, मम्मी कीक्लिट भी चाट लेती थी, जीभ की टिप खड़े उत्तेर्जत दाने को छेड़ देती थी।
और असर मम्मी पे जबरदस्त हुआ। मारे जोश के वो किर नीचे से चूतड़ उचकाने लगी, उनकी बड़ी-बड़ी चूँचियॉँ पथराने लगी, नपल किर से कड़े हो गए। मैं उनकी बुर को अंगूठे और तर्जनी से फैला के के,भीतर तक जीभ डाल के मलायी खाना शुरू करने ही वाली थी, की मम्मी ने रोक दिया ।





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SID4YOU
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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Post by SID4YOU »

😝 😘 बहुत मस्त अपडेट मस्त स्टोरी
Friends Read my running Hindi Sex Stories

कामूकता की इंतेहा (running)



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