मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम compleet

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jay
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Re: मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम

Post by jay »

amitraj39621 wrote:Nice update...
show8814 wrote:आपकी कहानी का दाद कैसे दूँ, समझ नहीं आता, लिखते रहिये, जनता जनार्दन खुश -आप खुश, सारी दुनिया का आशीर्वाद आपको लगेगी|
thanks for your coments plz keep reading
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम

Post by jay »


थोड़ी देर चुसाइ के बाद दोनों काफ़ी गरम हो गये थे ..उसकी चूत गीली हो गयी थी और मेरा लॉडा टॅन था ..मैने उसकी नाइटी खोल दी और अपने कपड़े भी उतार लिए ..अब हम दोनों के बीच कुछ नहीं था ..सिर्फ़ हमारी सिसकियाँ ...कराह और बेइंतहा भूख और तड़प थी एक दूसरे के लिए ..हम चूम रहे थे , चूस रहे थे ..चाट रहे थे एक दूसरे को ..दोनों एक दूसरे की बाहों में जकड़े थे ......बूरी तरेह जैसे कभी अलग नहीं होंगे .....उसकी चूचियाँ मेरे सीने से चीपकि थीं और मेरा लॉडा उसकी चूत से ..लगातार मेरा लॉडा उसकी चूत खटखटा रहा था ...उसकी चूत से पानी रीस्ता जा रहा था ...चादर गीली हो गयी थी ..उसकी जांघों से होती हुई उसकी चूतडो की दरार भी गीली हो रही थी ..स्वेता तड़प रही थी ..मैने एक चूची अपने मुँह में डाल रखी थी ..उसे चूस रहा था ..उसकी घूंड़ी पर जीभ गोल गोल चला रहा था ..घूंड़ी कड़क हो गयी थी ..एक दम टाइट थी .."आआआआआआः ...ऊवू हां ..हां ...प्रीत जल्दी करो ना प्लज़्ज़्ज़ ...जहाँ भी घूसना है लॉडा घूसा दो ना ..मैं मर जाऊंगी ..प्लज़्ज़्ज़्ज़ जल्दी करो ..आआआआआः ...उईईई..." स्वेता बराबर सिसकारियाँ ले रही थी ..कराह रही थी ...

"हां ..मैं भी तड़प रहा हूँ ..मेरा लॉडा देख लो ना कितना टाइट है .."

उस ने अपना हाथ बढ़ाया और मेरे लंड को थाम लिया ..अपनी मुट्ठी में ले कर अपनी चूत पर घीसने लगी ...."आआआआआह ..ऊऊऊऊऊऊऊओ स्वेता .." मैं सीहर उठा ...उसकी चूत के पानी से मेरा लॉडा भी गीला हो गया ... उसकी चूत मानो एक पहाड़ी झरने की तरेह पानी छोड़ रही थी ...

मुझ से रहा नहीं गया ..मैने उसे पेट के बाल लीटा दिया ..उसकी गांद उपर की ...उसके चूतडो को हाथ से फैलाया ..उसकी गान्ड का होल दिख रहा था ....आआआआः गोल और गुलाबी ... मैने उसकी चूतड़ फैलाए रखा और अपनी जीभ उसकी गान्ड के होल में फिराने लगा ....एक अजीब सी मस्ती छा गयी .. सॉफ्ट और गूदाज ..आह एक अजीब सी महक थी वहाँ ... नशीला ... मैं पागल हो उठा स्वेता तड़प उठी ..उसकी गान्ड उछल पड़ी ... "बस अब डाल दो ना प्रीत ..कितना तडपाओगे ...मेरी जान लोगे क्या ..प्ल्ज़ डाल दो प्लज़्ज़्ज़ .."

मैं अपने हाथ उसकी कमर के गिर्द ले गया ..अपने लंड को उसके फूले फूले चूतडो के बीच रखा और उसकी कमर उठाई और हल्के से अपनी कमर को पुश करते हुए लॉडा पेल दिया ... लॉडा पहले से गीला था उसकी चूत के पानी से और उसके चूतड़ भी गीले थे ....उसके चूतडो के बीच से होते हुए उसकी गांद के होल में फतच से घूस गया ..पर गांद फिर भी टाइट थी ..पूरा लॉडा अंदर नहीं गया "आआआआह ... दूख़्ता है प्रीत ...क्रीम लगा लो ना ...प्ल्ज़्ज़.."

मैं उठा और वहीं बगल में ड्रेसिंग टेबल से क्रीम की बॉटल से हाथ में क्रीम लिया और उसके गांद के होल में उंगली डालते हुए अच्छी तरेह क्रीम लगा दी ...क्रीम लगाते वक़्त भी स्वेता कराह उठी ..'"आआआः ..मज़ा आ रहा है ..अच्छा लग रहा है ... बस घूसा दो लॉडा ..."

मैने फिर से पोज़िशन ली उसकी कमर उपर की और अपनी कमर को पुश करते हुए उसकी गुलाबी गान्ड के होल में लॉडा पेल दिया ..इस बार पूरे का पूरा लॉडा अंदर था ..पर टाइट था ..अया एक अजीब ही फीलिंग थी ..उसकी चूतडो की दीवार से होता हुआ लॉडा उसकी गान्ड के होल में जाता ..."अयाया ऊवू " मैं चीख पड़ा ... मेरे धक्के की ज़ोर बढ़ती गयी ... चूतड़ उछाल उछाल कर धक्के लगा रहा था ..मेरी जांघे उसके चूतडो से टकराती ..भारी भारी चूतड़ ....स्पंजी चूतड़ ...कुश्‍ीोनी चूतड़ ..और गान्ड के अंदर भी गूदा ही गूदा ....आह आआआः " मैं एक अलग ही मस्ती में था ...स्वेता को भी अब मज़ा आने लगा था ... लॉडा पेल रहा था गान्ड को और पानी छोड़ रही थी चूत ...क्या नज़ारा था ..लगातार पानी निकल रहा था उसकी चूत से . ठप ठप ठप की आवाज़ , उसकी सिसकियाँ और मेरी कराह से बेड रूम गूँज रहा था ...

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jay
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Re: मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम

Post by jay »

बीच बीच में उसकी चूचियाँ भी सहलाता जाता ..धक्के भी लगाता जाता ... " और नहीं ...आआआः और नहीं प्रीत ..उईईईईईईईईईईईई ..." मेरा लॉडा काफ़ी मोटा है इसलिए गान्ड के साथ साथ थोड़ी थोड़ी उसकी चूत से भी मेरे बॉल्स टकराते थे ...और स्वेता की मस्ती बढ़ती जाती ...और फिर "आआआआआआआआआआआआह .ऊऊऊऊऊऊः उईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई हाआआआअ ..."करते हुए स्वेता के चूतड़ उछल पड़े ...मेरा लॉडा अंदर ही था गान्ड के होल में ...और स्वेता झाड़ रही थी ..झटके पे झटका खा रही थी ...मैने भी दो चार और धक्कों के बाद उसकी गान्ड में ही पिचकारी छोड़ दी ....पूरे का पूरा लॉडा खाली हो गया


स्वेता बेसूध हो कर पेट के बल लेटी थी और मैं उसकी पीठ पर ..मेरी जंघें उसकी मोटी मोटी पर मस्त चूतडो के उपर थी ... दोनो की टाँगें फैली थीं .. अब दोनों रिलॅक्स्ड थे .. आँखें बंद किए मस्ती के हिचकोले खा रहे थे लेटे लेटे ...दोनों के पसीने निकल रहे थे और एक हो रहे थे ..सब कुछ मिल रहा था हमारा ... सब कुछ..

हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे ..वो अपने पेट के बल लेटी थी और मैं उसकी पीठ पर ...मेरी जंघें उसकी भारी भारी मांसल और गुदाज चूतडो से चीपकि थीं ... मेरा मुरझाया लॉडा उसकी चूतड़ की दरार में फँसा था और मैं धीरे धीरे उसे वहाँ रगड़ रहा था ...दोनों की टाँगें फैली थीं ...और मैं अपने पैरों से उसके टख़नों को हल्के हल्के रगड़ रहा था ..हम लोग बस मज़े ले रहे थे ..कभी हाथ अंदर उसके सीने के नीचे ले जाता उसकी चूचियों को हल्के हल्के मसल देता ...स्वेता आँखें बंद किए मज़े ले रही थी ... मुस्कुराए जा रही थी ..कभी मैं उसके चेहरे को अपनी तरफ घूमा लेता और चूम लेता ..कभी गालों को कभी होंठों को ..कभी पीठ ..बस मस्ती का आलम था ..स्वेता भी अपने हाथ पीछे कर मेरे चिपचिपे लंड को अपने हाथ से बड़े प्यार से सहलाती जाती ... कोई कुछ नहीं बोल रहा था ..बस ऐसी ही पड़े पड़े एक दूसरे से खेल रहे थे..

स्वेता ने पड़े पड़े ही धीरे से कहा "जानू ....गान्ड तो तुम ने ले ली मेरी ...पर मेरी तो गान्ड ही फॅट गयी .."

"अरे क्या हुआ रानी ...ज़्यादा दर्द हुआ क्या ..??"

" अरे इतना मोटा लॉडा ..मूसल से भी मोटा ..बाप रे बाप ..." उस ने यह कहते मेरे लंड को जोरों से दबा दिया ...मैं 'आआआआः कर उठा .." उस समय तो बस मस्ती में मैने गान्ड मरवा ली ..पर राजा अब थोड़ा थोड़ा दूख रहा है ..."

" ओओऊओह सॉरी सॉरी मेरी रानी ..लाओ मैं सहला देता हूँ ..वहाँ मालिश कर देता हूँ ..अभी ठीक हो जाएगा .." और मैं उसकी पीठ से उतर कर उसके बगल बैठ गया ..उसकी अब तक चिपचिपी चूतड़ को हाथ से फैलाया और वहाँ एक कपड़े से दरार को साफ किया ... हाथ में क्रीम ले कर उसकी गांद के होल पर बाहर ही बाहर मल दिया ..और उंगलियों से धीरे धीरे वहाँ मसल्ने लगा ..मुझ भी बड़ा अच्छा लगा उसकी मांसल गान्ड मसल्ने में ...स्वेता ने भी अपनी टाँगें और फैला दीं और वैसे ही पड़ी रही "हााआ...न , हााआ..न , बस ऐसे ही मालिश करो ..तुम बड़े अच्छे हो प्रीत ...पहले तो गान्ड का हलवा बनाते हो फिर मालिश भी कर देते हो ....हाआँ ..हाआँ करते रहो मेरी जान ..बड़ा अच्छा लग रहा है ... अब उसने अपने हाथ भी फैला दिए थे ...अपने आप को मेरे हवाले कर दिया था उसने ..मैं भी मज़े ले ले कर उसकी गान्ड और चूतड़ की मालिश कर रहा था ...कभी हथेली से ..कभी उंगलियाँ उसकी गान्ड की छेद में थोडा अंदर डाल देता और क्रीम वहाँ लगाता ...उंगलियाँ हल्के हल्के अंदर बाहर करता ...अया अया उसकी गूदाज गान्ड में उंगली करने का मज़ा ...मैं भी मस्ती के आलम में था ... फिर मैने अपने पैर उसके दोनों ओर कर उसकी चूतड़ हाथ से फैला कर जीभ दरार में डाला और चाटने लगा ..उसकी गान्ड की दरार और होल बिल्कुल गुलाबी थे ..एक दम चिकने ...जीभ जैसे वहाँ फिसल रही थी ..लॅप //लॅप ..सतसट ..अयाया अयाया क्या मस्ती थी ..स्वेता भी धीरे धीरे कराह रही थी ..ऊऊऊऊऊऊओ .अयाया ..हाआँ ...हान्न्न बस ऐसे ही प्रीत ..प्रीत मेरे अच्छे प्रीत ..उसकी आँखें बंद थीं ..और मुस्कुराना जारी था ..बड़ा मज़ा आ रहा था ...मैं उसकी चूतड़ से जीभ हटा कर कभी नीचे भी ले जाता और गीली चूत भी चाट लेता .... स्वेता एक दम सीहर उठती ..उसकी जंघें कांप उठती ...चूत से लगातार पानी छूट रहा था ... चूतड़ थरथरा रहे थे उसके ..

"रानी दर्द कम हुआ ..?? " मैने पूछा

" हां मेरे प्रीत राजा ..वहाँ तो दर्द ख़तम हो गया पर चूत फड़फदा रही है ..छट पटा रही है .. क्या करूँ तुम बस मुझे बहाल कर देते हो ... मन करता है तुम्हारा लॉडा बस अंदर ही लिए रहूं ...कभी ना निकालू ...." और मैं भी उसे चाते जा रहा था कभी गांद कभी चूत और वो भी कभी हाथ पीछे ले लेती और मेरे लंड को सहला देती ..लॉडा भी टॅन था .. पानी टपक रहा था ..स्वेता के हाथ गीले हो जाते ..वो अपनी गीली उंगलियाँ चाट लेती ...

" स्वेता ...."

"हां जानू ..बोलो ना .."

"रानी जैसे मैं भी सब से हट के हूँ ..तुम भी रानी सब से हट के हो .."

"वो कैसे मेरे राजा..?? " उस ने पूछा
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Re: मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम

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मैने चाटना बंद किया और कहा " देखो ना तुम अपने आप को कितने प्यार से मेरे हवाले कर देती हो , मैं तुम्हारे शरीर से खेलता रहता हूँ ..चाट ता हूँ ..चूस्ता हूँ , तुम बस आँखें बंद किए मस्ती लेटी हो ... दूसरी औरतें तो बस सीधा चुदने को तैय्यार रहती हैं .. "

"हां प्रीत ..मुझे भी बड़ा अच्छा लगता है तुम्हारा प्यार करना ..मेरे शरीर से खेलना ..जैसे तुम अपने टच से अपना पूरा प्यार जाहिर कर रहे हो ... यह भी तो एक तरेह की भाषा ही है ना राजा प्यार की भाषा ..."

मैंने देखा हमारी सोच कितनी मिलती हैं , और मैं और मस्ती में आ गया , उसे चूमने लगा , उसकी पीठ ..उसकी चूतड़ , उसके गाल ..उसके होंठ ...रस पी रहा था उसका ....मेरे लंड और उसकी चूत से लगातार रस टपक रहे थे ....मेरे हाथों में उसकी चूत का रस और उसके हाथ में मेरे लंड का रस ...दोनों रस अंदर ले लेते ..फिर चूमते चाट ते ...चूमते चाट ते , कभी उसकी जीभ चूस्ता ..उसके मुँह का रस अंदर ले लेता ...हम लोग बस बेहोश थे एक दूसरे में ...

अब मैं उसकी कमर पकड़ कर उठाया , उसे उसके घुटने पर लिटाया ... वो समझ गयी मैं क्या चाहता हूँ ..उस ने अपनी कमर नीचे करते हुए गांद उठा ली ..चूत बाहर आ गयी ..चमकीली चूत ..गीली चूत ..गुलाबी चूत ... मैने अपने तंन लंड को उसकी चूत पर टीकाया , उसकी कमर जकड़ी और लॉडा उसकी चूत में पेल दिया ....एक बार में ही पूरे का पूरा लॉडा अंदर था ..फतच ... "वाााआआः ,,,,आआआः ....हााआआ .." देखो ना गीली चूत में कितने आराम से लॉडा गया ..स्वेता ने कहा ...

"हां रानी .." मैने लंड को अंदर लगाए ही रखा थोड़ी देर ..और कमर हिलाते हुए उसे अंदर ही अंदर घूमाता रहा ..उसकी चूत के अंदर ...स्वेता सीहर उठी ..कांप उठी ,,,मस्ती मे ,,फिर मैने लॉडा बाहर किया और लगातार उसे चोदने लगा ..फका फक ..सटा सॅट ..कमर जाकड़ते हुए धक्के पे धक्का ..हर धक्के में उसकी चूतड़ नीचे हो जाती ... डॉगी स्टाइल में एक साथ चूत और चूतड़ दोनों का मज़ा मिल जाता है ..और जांघों का उसकी चूतड़ से जो टकराना होता है मज़ा और भी बढ़ जाता है और स्वेता की चूत में भी लंड की पूरी घीसाई हो रही थी ..पूरे का पूरा चूत अंदर और बाहर लंड की घीसाई ले रहा था .."हां राजा ..मेरे चूड़क्कड़ राजा ..चोदना कोई तुम से सीखे ......वाह क्या चोद रहे हो ....ऊऊऊऊऊऊऊऊऊ ..आआआः "

"हां रानी तुम भी तो कितनी मस्त चूदवा रही हो ...पूरी चूत , गांद , चूतड़ सब कुछ तुम ने मेरे हवाले कर दिया ...आआआआआः ..रानी ..मेरी रानी .... मैं चोदे जा रहा था ..चोदे जा रहा था
ठप ठप ..फतच फतच ... ऊवू अयाया की भाषा चल रही थी ..

फिर थोड़ी देर बाद उसकी जंघें , चूतड़ और चूत काँपने लगे ..मेरे लंड को अपनी चूत से जकड़ने लगी ...."ओओओओओओओह उईईईईईईईईईईई माआं मैं मर गाइिईईईई ,,मैं गाइिईईईई गाइिईईई रे मैं तो गाइिईईईईईईईईईईई " और उसकी चूतड़ उछल रही थी मेरी जांघों पर ..मेरे लंड पर .. और चूत से बारिश हो रही थी उसके रस की ..मैने उसे सीधा लीटा दिया ..टाँगें फैलाई और उसकी चूत में फिर से लॉडा डाला और दो चार जोरदार धक्के लगाए , उसे अपनी बाहों से जाकड़ लिया ..लॉडा चूत में ही था और मेरी भी पिचकारी छूट गयी ..उसकी चूत के अंदर ...वो मेरे कम की गर्म गर्म धार से मचल उठी ,,मस्त हो गयी ..उस ने आँखें बंद कर ली थीं और पूरा मज़ा ले रही थी ,,मैं उस के सीने से चीपक कर उसकी भारी भारी चूचियों पे सर रख लेट गया .. लंबी लंबी साँसें ले रहा था ..मैं भी वो भी ......दोनों एक दूसरे की बाहों में ऐसे पड़े थे जैसे काफ़ी गहरी नींद में बेसूध हों ..जमाने से बाख़बर.... सारी चींताओं से मुक्त ..एक ऐसी दुनियाँ में जहाँ सिर्फ़ मैं था स्वेता थी ..तीसरा कोई नहीं .... सब कुछ शांत था ....

उस रात मैने स्वेता को जी भर चोदा ... उसकी फूली फूली चूत को चोद चोद कर पोला कर दिया ...वो बहाल हो कर पड़ी थी ,टाँगें फैलाए ..फिर हम दोनों सो गये ..मैं सुबेह अंधेरा खुलने के पहले ही उठ गया और अपने घर चला गया ..जिस से कि मुझे कोई देख ना पाए ...


अब स्वेता को भी शायद मेरे लंड का चस्का लग गया था ... खूब मस्ती में चूदवाती ..कभी गांद मरवाती ..बड़े मज़े के दिन कट रहे थे हमारे .. चुदाई चुदाई और बस चुदाई ..यही था मेरा रुटीन ऑफीस से आने का बाद ..कभी मेरे यहाँ तो कभी स्वेता के यहाँ ...पर स्वेता जब भी मेरे पास होती ..चाहे हम चाइ पीते यह सिर्फ़ बातें करते ..उसके हाथ मेरे लंड पर हमेशा रहते ..हमेशा उस से वो खेलती रहती ...
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