मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम compleet

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jay
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Re: मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम

Post by jay »


3 साल बाद :


समय बीत ते देर नहीं लगती ....उस पोस्टिंग में मेरे तीन साल पूरे हो गये थे ..और मेरे और भारती के संबंध के भी..इन तीन सालों में जितना प्यार मुझे भारती से मिला ..मुझे अपनी सारी जिंदगी में नहीं मिला ... अब तो मैं अपना ज़्यादा समय उसी के यहाँ बिताता ... भारती के दो पति थे गोपाल और मैं ..गोपाल ने भी इस रिश्ते को क़बूल कर लिया था..मैने उसे पैसों से काफ़ी मदद की ..उसका बिज़्नेस चल पड़ा था और भारती ने भी अपना धंधा छोड़ दिया था ..अब वो पूरी तरेह एक ग्रहिणी थी ..अपने दोनों पतियों और एक बेटे की दुनियाँ में खोई ...


पर मैं परेशान था .... मेरे ट्रान्स्फर की तलवार हवा में लटक रही थी ... तीन साल से ज़्यादा हमारी कंपनी में कोई भी एक जगेह नहीं रहता ...भारती से बिछूड़ने के ख़याल से ही मैं तड़प उठ ता ...सोचते ही मेरी रग रग कांप उठ ती ..और सब से बड़ी बात भारती को कैसे बताऊँगा ..क्या वो इसे झेल पाएगी ... ??

पर होनी को आज तक किस ने रोका है..?? शायद हमारी मुलाक़ात इतने दिनों तक का ही थी ....शायद भगवान ने मुझे भारती को इस दल दल से निकालने का ज़रिया बनाया ..?? इस बात से मुझे काफ़ी राहत मिली....

और कुछ दिनों बाद जिस का डर था वो हो ही गया...मेरे हाथ में ट्रान्स्फर ऑर्डर था . मुझे 15 दिनों के अंदर दूसरी जगेह चार्ज लेना था ....कोशिश करता तो शायद एक साल और रह सकता था ..पर उस के बाद फिर वोही ...और शायद उस समय और तकलीफ़ होती ...मैने सोच लिया ..मन बना लिया ...भारती और मेरे संबंध शायद इतने दिनों के लिए ही थे ..हर अच्छी चीज़ कभी ना कभी ख़तम होती ही है ..किसी ने कितना सही कहा है...


उस दिन शाम को ऑफीस से पहले अपने घर गया ..हाथ मुँह धो कर फ्रेश हुआ ..चाइ पी और भारती के यहाँ पहून्च गया .

भारती बाहर ही बैठी थी ...गोपाल शायद किसी काम से बाहर गया था . मैने आते ही एक कुर्सी खींची और उस के बगल बैठ गया . मेरा चेहरा कुछ उतरा हुआ था .

" क्या बात है जानू ..?? कुछ उदास दीख रहे हो..रोज तो चहेकते हुए आते हो ..आज क्या हो गया प्रीतू ..??"

" अरे कुछ नहीं यार ..बस ऐसे थोड़ा सर में दर्द है..काम कुछ ज़्यादा था ..अभी ठीक हो जाएगा .."

"प्रीतू .." उस ने बड़े प्यार से कहा .."क्या तुम्हें मुझ पर इतना भी भरोसा नहीं ..सर दर्द का बहाना बना रहे हो..? मैं जानती हूँ तुम कुछ छुपा रहे हो ... मैने इतने दिनों से तुम्हें इतने करीब से देखा है ...प्ल्ज़्ज़ बताओ...क्या तुम्हारे घर से कुछ बूरी खबर आई है..??"

"नहीं भारती ऐसा कुछ नहीं है ... "

"तो फिर क्या है बताओ ना ..प्ल्ज़्ज़.. कुछ भी हो..अच्छी या बूरी ..बता दो मुझे ..प्ल्ज़्ज़ डरो मत जानू ..मैं अब कोई बच्ची नहीं ..मैने एक से एक मुसीबत झेली है ..प्ल्ज़्ज़ ..भगवान के लिए ..."उस की बातों से लग रहा था कि वो बहोत चींतित थी..ना जाने क्या बात है...
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम

Post by jay »


मैं एक टक उसकी ओर देखता रहा एक टक....उसकी आँखें भी मेरी ओर टक टॅकी लगाए थीं..जैसे कह रही हो "क्यूँ तडपा रहे हो ..??"

"भारती ... " मैं थोड़ी देर रूका ..फिर कहा "मेरा ट्रान्स्फर हो गया है ..मुझे यहाँ से अब जाना पड़ेगा ..""

फिर मैं एक दम से चूप हो गया ...भारती भी चूप थी ...इस खबर के झटके से..हम दोनों बस एक दूसरे की ओर देख रहे थे ....

फिर मैने देखा भारती की आँखों से आँसू टपकने लगे ...लगातार ... वो कुछ बोल ही नहीं रही थी ....जैसे इस खबर से वो सकते में आ गयी थी ..

फिर उस ने मेरे कंधे पे सर रख हिचकियाँ ले ले कर रोती और कहती जाती .." मैं जानती थी ...जानू ,,यह तो होना ही था ,,पर क्या करूँ ...मेरी जिंदगी में हमेशा ऐसा ही होता है ... एक झटके से निकलती हूँ ..दूसरा आ जाता है... जाने अब क्या होगा ..मैं किस के भरोसे रहूंगी..तुम ने मेरी जिंदगी बदल दी ..और अब मेरी जिंदगी से चले जाओगे.... चले जाओ ..चले जाओ ..सब चले जाओ...."

उसकी बातों से मैं भी अपने आप को रोक नहीं सका ..मैं भी फूट फूट के रोने लगा .... थोड़ी देर बाद मैने अपने आप को संभाला और उसके सर पर हाथ फेरता हुआ कहा ..वो अभी भी सिसक रही थी

"भारती ...भगवान को शायद यही मंजूर था ... हमें एक दूसरे से मिलाया ... लगता है कोई अधूरा सपना पूरा करना था .. अधूरा काम पूरा करना था ..शायद काम पूरा हो गया ..हमारी मोहलत ख़त्म हो गयी ... पर जिंदगी भर याद तो रहेगी ना हमें ... इन्हीं यादों को सहारा बना लेंगे ना भारती .. " मैं चूप था पर मेरा दिल फटा जा रहा था , मेरा गला रूंधा था ...

फिर भारती ने अपने आप को अलग किया अपने आँसू पोंछे और मेरी ओर देखते हुए कहा ..

"हां प्रीतू ...अधूरा काम ..मुझे इस दल दल से निकालना ...लगता है भगवान ने यह सारा खेल मेरी मुक्ति के लिए किया..तुम नहीं होते तो मैं आज भी वोही रंडी बनी रहती ..भगवान का ..तुम्हारा ..बड़ा अहेसान है मेरे उपर ... पर क्या करूँ दिल नहीं मानता ना ..तुम्हारे बिना जिंदगी पहाड़ बन जाएगी जानू ... "
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मेरा गला रूंधा हुआ था ..मुझ से कुछ बोला नहीं जा रहा था ... मेरी आँखों से भी लगातार आँसू टपक रहे थे ...पर भारती चूप थी और उस ने मेरी ओर देखते हुए अपने कदम आगे बढ़ाए ,,मेरे सर को अपनी छाती से लगा लिया ...मेरा सर सहलाते हुए कहा " मत रो प्रीतू , मत रो .. मैं मर जाऊंगी ...मत रो ... भगवान को शायद यह नहीं मालूम हम हमेशा प्यार कर सकते हैं ..दूख में भी ... मैं तुम्हें और क्या दे सकती हूँ ..आओ हम ऐसे प्यार करें एक दूसरे को के हमेशा याद रहे ..जिंदगी भर ....आओ राजा ..आज मैं तुम्हें इतना प्यार दूँगी ..हम दोनों के लिए जिंदगी भर की यादगार बन जाएगी ..."

और उस ने मुझे अपने से चिपका लिया , चूमने लगी पागलों की तरेह , और खींचते हुए बेड रूम की ओर ले चली.

मुझे खींचते हुए भारती ने पलंग पर लीटा दिया ...और एक झटके में अपने सारे कपड़े उतार दिए ..फिर मेरे बगल में आ कर मेरे भी कपड़े उतार दिए ..और साथ में कहती जाती ...

."आज आखरी बार है ..मेरे राजा ..मैं तुम्हें अपने आप में समाँ लूँगी ..जानू....तुम्हे हमेशा के लिए अंदर ले लूँगी ..तुम्हारा स्वाद ..तुम्हारा सब कूछ ...सब कुछ पी जाउन्गि ...हां मेरे राजा ..मेरे प्रीतू ..."

मेरे उपर भारती भूखिशेरनी की तरेह टूट पड़ी..मुझे चूम रही थी ,,चाट रही थे चूस रही थे ..कभी मेरे निपल्स ..कभी मेरे होंठ ..और उस ने अपनी चूत मेरे मुँह की तरफ कर दी ...और कहा "चूसो राजा ..आज तुम भी चूसो ..मेरी चूत तुम्हें अच्छी लगती है ना जानू..आज चूस लो ..पेट भर लो मेरी रस से ...इतना चूसो के मेरा सारा पानी अंदर चला जाए ..चूसो ना ..चूसो..."

और उस ने मेरे मुँह के दोनों ओर अपनी टाँगें फैलाते हुए अपनी चूत मेरे मुँह के बिल्कुल करीब कर दिया अपने मुँह में मेरा मुरझाया लॉडा ले लिया ...और चूसने लगी जैसे कोई भूखा बच्चा अपनी माँ के स्तन से दूध चूस्ता है..अपने हाथों से मेरे बॉल्स भी सहालती जाती ...और लॉडा चूस्ति जाती ..चूस्ति जाती ....पागलों की तरेह ..मैं भी उसकी चूत चाट रहा था ..उसकी जंघें चाट रहा था ...और उसकी चूत से लगातार पानी रिसता जा रहा था ..मैं पूरे का पूरा अंदर ले लेता .....मेरा भी पानी लगातार छूट रहा था और भारती उसे चाट ती जाती ..पीती जाती ....हम दोनों एक दूसरे का टेस्ट , रस , और एक एक अंग चाट चाट कर अपने अंदर समा लेना चाह रहे थे ... पागल थे ..मैं झटके देता उसकी मुँह में झाड़ गया ..उस ने पूरे का पूरा अंदर ले लिया ...

उस रात जाने कितनी बार मैं झाड़ा और हर बार उस ने मेरा पूरा वीर्य अंदर ले लिया ..फिर लौडे के बाहर का भी रस चूस जाती ..और फिर से मुँह में ले कर चूस्ति ..चूस्ति जाती .....रात भर मेरा लॉडा उसकी मुँह में था ... उसकी चूत मेरे मुँह में ..

चुसते चूस्ते थक कर उम दोनों कब सो गये पता नहीं ...

सुबेह जब नींद खूली तो देखा भारती के मुँह से मेरा लॉडा अभी भी सटा हुआ था ..होठों से छूता हुआ सिकूड गया था ..और मेरा मुँह उसकी चूत से सटा था ..दोनों अगल बगल .आमने सामने लेटे थे.

भारती की चूत के पानी का टेस्ट मेरे मुँह में इस कदर समा गया था शायद जिंदगी भर नहीं निकल पाए ..और शायद यही हाल भारती का भी होगा ..मेरे वीर्य के टेस्ट से ..

मैने उसकी चूत चाट ते हुए उसे जगाया और उस ने भी मेरे लौडे को चाट ते हुए पूरा साफ कर दिया और उठ बैठी ..उसके होठों पर मेरा वीर्य फैला था ..मैने उन्हें अच्छी तरेह चाट ते हुए साफ कर दिया ..बाहर कोई निशानी नहीं थी ..पर अंदर हम दोनों एक दूसरे में समाए थे ... भरे थे ..शायद कभी भी नहीं जानेवाले स्वाद के रूप में. भारती की याद ... भारती का अनोखा अंदाज़ ...आज भी मेरे अंदर है.....

भरे मन से मैने कपड़े पहने ...भारती वैसे ही लेटी थी ....आँखें खूली थीं और वो मुझे एक टक देखे जा रही थी ....बातें कुछ नहीं हो रही थी , पर अंदर तूफान था..


मैं चूप चाप घर वापस आ गया ....दूसरे दिन मेरी बीबी भी आ गयी ..मैने उसे पॅकिंग वग़ैरह करने के लिए बूला लिया था ....और फिर हम भारती को ..उसकी सुनेहरी यादों को ..उन यादगार घड़ियों को , पीछे छोड़ते हुए चल पड़े अपने नये मुकाम की ओर..

पर क्या कभी भारती की याद जाएगी ?? ..उसकी बातें ख़तम होंगी ??.....कभी नहीं !!...जब तक मैं जिंदा हूँ भारती मेरे अंदर है ,उसका स्वाद ..उसका रस उसकी खूशबू .....हमेशा रहेगी ...


भारती आइ लव यू ....आइ लव यू भारती.........!!!!!!!!!

समाप्त
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prkin

Re: मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम compleet

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Bhai,
Ek request hai, jo part apne jpg mein diya hai, uska Hinglish version post kar sakte ho kya.

Mobile par padne mein bahut dikkat hoti hai.

Thanks
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