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supremo009 wrote:Really its one of the hottest story.
थॅंक्स सुप्रीमो ब्रदर आप को यहाँ देख कर रियली दिल गार्डन गार्डन हो गया
मैने आपके कलेक्शन पढ़े हैं अगर आप यहाँ भी अपना जलवा दिखाएँगे तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी
कोमल जी , जौनपुर भाई , और सुप्रीमो ये तिगड़ी तो हंगामा कर देगी .
supremo009 wrote:Really its one of the hottest story.
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कोमल जी , जौनपुर भाई , और सुप्रीमो ये तिगड़ी तो हंगामा कर देगी .
Thanks Bro....Koshish karunga ki ye forum Hangama macha hi de!!!
supremo009 wrote:Really its one of the hottest story.
थॅंक्स सुप्रीमो ब्रदर आप को यहाँ देख कर रियली दिल गार्डन गार्डन हो गया
मैने आपके कलेक्शन पढ़े हैं अगर आप यहाँ भी अपना जलवा दिखाएँगे तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी
कोमल जी , जौनपुर भाई , और सुप्रीमो ये तिगड़ी तो हंगामा कर देगी .
Thanks Bro....Koshish karunga ki ye forum Hangama macha hi de!!!
मैंने भी उन्हें चूमना चालू किया और चूमते-चूमते मैं उनके कान के पास आया और फुसफुसा कर बोला- चाहता तो मैं भी तुम्हारे रस को पीना चाहता हूँ।
तो वो ख़ुशी से खिलखिलाकर हंस दी और बोली- मुझे पता था.. तू यही बोलेगा..
बस फिर हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मुख-मैथुन का आनन्द लेने लगे। कुछ ही समय में मेरे लण्ड पर तनाव आने लगा और माया की फ़ुद्दी ने काम-रस की तीव्र धार छोड़ दी।
पर उसने मेरे लौड़े पर अपनी पकड़ बनाए रखी.. फिर मैंने भी वैसा ही किया।
अबकी बार तो मैंने चाटने के साथ-साथ उंगली भी करना चालू कर दी थी। उधर माया मेरे लौड़े को मज़े से लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी और इधर मैं उसके चूत के दाने को जुबान से कुरेद रहा था। इसके साथ ही मैं अपनी उंगली को उसकी चूत में डाल कर उसकी चूत को मसल रहा था.. जिसे माया बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।
इसके पहले कि वो दोबारा छूटती.. वो ‘उह्ह्ह्ह.. ह्ह्ह्ह्ह.. शीईईईई..’ के साथ ऊपर से हटी और अपनी चूत को पैन्टी से पोंछते हुए बोली- तूने तो आज मौसम ख़राब कर दिया.. सब कीचड़ ही कीचड़ करके छोड़ा है।
यह कहते हुए उसने मेरे लौड़े को मुँह में भर लिया.. इतना अन्दर.. जितना अन्दर तक वो एक बार में ले सकती थी।
अब वो बार-बार लौड़े को बाहर निकालते हुए और लौड़े की चमक को चूमते हुए लौड़े से मुखातिब होकर बोली- चल बाबू.. अब तैयार हो जा.. तेरी मुन्नी तुझे जोरों से याद कर रही है।
कहते हुए उठी और अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर के दोनों ओर रखा और लण्ड को एक ही बार में अपनी चूत में ले लिया.. जिसके मिलन के समय ‘पुच्च’ की आवाज़ आई।
उसकी चूत में इतना गीलापन था कि लौड़ा भी आराम से बिना किसी रगड़ के अन्दर-बाहर आ-जा रहा था।
अब अवस्था ऐसी थी कि वो मेरे पैर के घुटने पकड़ कर उछल-कूद कर रही थी.. जैसे कि वो किसी रेस के घोड़े की सवारी कर रही हो।
मेरे हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे। कुछ समय बाद माया इतने जोश में आ गई.. कि मैं तो डर ही गया था.. कि कहीं ये तेज़ स्वर से चिल्लाने न लगे।
वो तो उसे अपने पर काबू करना आता था.. नहीं तो अब तक तो बबाल हो जाता।
अब माया इतनी तेज़ गति से उछाल मार रही थी कि मेरा अंग-अंग भी बिस्तर के साथ हिल रहा था ‘अह्ह्ह ह्ह्ह्ह.. आआ.. आआअह.. हाआआ.. र..राहुल.. और तेज़ से.. जोर लगा… मेरा बस होने वाला है..’
कहते हुए माया ने मेरे हाथों को पकड़ा और अपने चूचों पर रख दिए।
जिसे मैंने मसलने के साथ साथ अच्छे से दबाते हुए नीचे से धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी थी।
धक्कों की आवाज़ से जो ‘अह्ह्ह.. ह्ह्ह्ह ह्ह्ह हाआआ आआ.. उउउ.. उउम्म्म..’ के स्वर निकल रहे थे.. वो भी अब टूट-टूटकर आने लगे थे। जिससे यह अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि माया कभी भी पानी छोड़ सकती है।
ठीक वैसा ही हुआ.. माया के कमर की गति एक लम्बे ‘आआआ.. आआआ.. आह्ह्ह ह्ह उउम्म्म्म..’ के साथ ठंडी पड़ गई।
फिर मैंने भी बिना वक़्त गंवाए उन्हें थोड़ा ऊपर उठाया और उनको घोड़ी की अवस्था में लेकर उनके पीछे से जाकर उनकी चूत में लौड़ा ठोकने लगा।
कुछ ही देर में उनकी चूत में और उनके अंतर्मन में फिर से चुदास की तरंगें दौड़ने लगीं.. जिसे मैंने भाँपते हुए अपने लौड़े को उनकी चूत से निकाला और बीच वाली उंगली से उनकी चूत का रस लेकर उनकी गाण्ड को चिकना करने लगा।
जिससे वो भी मचलते हुए बोली- राहुल तूने मेरी चूत तो बेहाल कर ही दी.. अब क्यों गाण्ड को दुखाने की सोच रहे हो?
तो मैंने बोला- क्या सारे मज़े तुम्हीं लेना जानती हो.. मुझे भी तो मौका मिलना चाहिए न..
वो बोली- मैंने मना कब किया.. चल अब जल्दी से अपने मन की कर ले..
फिर मैंने उनकी गाण्ड चौड़ाई और ‘घप्प’ के साथ पूरा लौड़ा आराम से घुसेड़ दिया.. जिससे उनके मुख से दर्द भरी ‘आह्ह्ह..’ निकल गई।
मैंने उनके दर्द की परवाह किए बगैर उनकी गाण्ड को ठोकना चालू रखा।
कभी-कभी इतना तेज़ शॉट मार देता था.. कि मेरा लौड़ा उनकी गाण्ड की जड़ तक पहुँच जाता और उनके मुख से ‘आअह्ह.. ऊऊह्ह ह्हह..’ के स्वर स्वतः ही निकल जाते।
जिससे मेरा जोश दुगना हो जाता।
तभी मेरे दिमाग में आया.. क्यों न अपनी उंगली भी इनकी चूत में डाल कर मज़े को दोगुना किया जाए।
तो मैंने वैसा ही किया और दोनों सागर रूपी तरंगों की तरह लहराते हुए मज़े से एक-दूसरे को मज़ा देते हुए पसीने-पसीने हो गए।
फिर एक लंबी ‘आहह्ह्ह्ह..’ के साथ मैं उनकी गाण्ड में ही झड़ गया और साथ मेरी उंगली ने भी उनके चूत का रस बहा दिया।
अब हम इतना थक चुके थे कि उठने का बिलकुल भी मन न था। थकान के कारण या.. ये कहो अच्छे और सुखद सम्भोग के कारण.. आँखें खुलने का नाम ही न ले रही थीं।
फिर मैं उनके बगल में लेट गया और माया भी उसी अवस्था में मेरी टांगों पर टाँगें चढ़ाकर और सीने पर सर रखकर सो गई।
उसके बालों की खुश्बू से मदहोश होते हुए मुझे भी कब नींद आ गई.. पता ही न चला।
अब आगे के भाग के लिए.. ज्यादा नहीं बस थोड़ा सा इंतज़ार करें..