दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

Post Reply
Jaunpur

Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

Post by Jaunpur »

jab vhan per aage likhi jaye to yahan bhi post karo.
thanks
User avatar
jay
Super member
Posts: 9115
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

Post by jay »

ज़रूर मित्र
Jaunpur wrote:jab vhan per aage likhi jaye to yahan bhi post karo.
thanks
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9115
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

Post by jay »

28


अब आगे बढ़ कर मैंने उससे बोला- तुम्हें क्या लग रहा है?
तो वो मुझसे बोली- वही तो समझने की कोशिश कर रही हूँ कि मुझे क्यों सब कुछ गड़बड़ लग रहा है या फिर बात कुछ और है?
तो मैंने उसे बोला- जो तुम्हें लग रहा है पहले वो बोलो.. फिर अगर सही होगा तो मैं ‘हाँ’ या ‘न’ में जवाब दूँगा और तुम गलत हुई.. तो मैं बता दूँगा.. पर ये बात मेरे और तुम्हारे बीच ही रहेगी।
मैं उस दिन बहुत डर गया था.. घबराहट के मारे मेरे माथे से पसीना बहने लगा था। पर जैसे ही उसकी बात सुनी तो मेरी जान में जान आई और मैंने सोचा इसे अपनी बात पूरी कर लेने दो फिर तो मैं इसे हैंडल कर लूँगा।
मैं दरवाजा बंद करने लगा तो उसने कहा- ये क्यों किया तुमने?
मैंने बोला- ताकि कोई यहाँ न आए.. फिर मैं उसी बिस्तर पर जाकर बैठ गया.. और उससे बोला- मेरे पास न सही.. पर चाहो तो सामने वाले बिस्तर पर बैठ जाओ.. नहीं तो थक जाओगी.. अभी तुम्हारी तबियत भी ठीक नहीं है।
तो उसने मुँह बनाते हुए बोला- ज्यादा हमदर्दी दिखाने की कोशिश मत करो..
वो यह कहते हुए बैठ गई।
फिर मैंने चुप्पी तोड़ते हुए कहा- अच्छा अब बोलो.. तुम क्या सोच रही थी?
मैंने उसके हाथ की ओर इशारा करते हुए पूछा.. जिसमें वो माया के रस से सनी चड्डी को पकड़े हुए थी।
तो वो बोली- आप कितने गंदे हो.. मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि आप माँ के अंदरूनी कपड़ों को लेकर सोओगे और ये सब करोगे..
तो मैं समझ गया कि ये अभी नादान है.. इसे ज्यादा कुछ नहीं पता लगा।
मैंने भी थोड़ी बेशर्मी दिखाते हुए बोला- क्या.. इस सबसे तुम्हारा क्या मतलब है?
तो वो चड्डी में लगे हुए रस को छूते हुए बोली- ये..
तो मैंने पूछा- तुम्हें नहीं पता कि ये क्या है.. तो तुम मुझे गन्दा कैसे कह सकती हो?
मुझे पता चल गया था कि वो क्या कहना चाह रही थी.. पर उसके मुँह से सुनने के लिए मैंने उसे उकसाया.. तो वो बोली- बेवकूफ मत समझो मुझे.. आपको नहीं मालूम.. ये आपका स्पर्म है। मैंने अपनी सहेलियों से सुना है कि लड़कों का स्पर्म चिकना होता है.. और आपको मैं पहले दिन से नोटिस कर रही हूँ कि आप मेरी माँ को मौका पाकर छेड़ते रहते हैं और…
तो मैंने बोला- और क्या?
बोली- और.. अब तो हद ही हो गई.. आपने हम लोगों की गैरहाज़िरी का फायदा उठाते हुए मेरी माँ पर गन्दी नज़र रखते हुए.. उनके अंडरगार्मेंट्स को अपने साथ लेकर सोने लगे और न जाने मन में क्या क्या करते होंगे.. जिससे आपका स्पर्म निकल जाता होगा..
तो मैंने उससे बोला- तुम्हें पता है.. स्पर्म कैसे निकलता है?
बोली- हाँ.. गन्दा सोचने पर..
मैंने हंस कर बोला- उतनी देर से तुम भी तो मेरे बारे मैं गन्दा सोच रही हो.. तो क्या तुम्हारा भी ‘स्पर्म’ निकल रहा है?
वो तुनक कर बोली- अरे मेरे कहने का मतलब ऐसा नहीं है..
तो मैंने बोला- फिर कैसा है?
बोली- मैं अभी जाती हूँ.. और बाहर जाकर सबको बताती हूँ.. फिर वही तुम्हें समझा देंगे..
ये कह उठने सी लगी तो मैंने उसके कंधे पर हाथ रखे और उसे बैठने को कहा और बोला- पहले ठीक से हम समझ तो लें.. फिर जो मन में आए.. वो करना।
तो बोली- नहीं.. अब मुझे कुछ नहीं समझना.. मैं आपको बहुत अच्छा समझती थी.. पर आप बिलकुल भी ठीक इंसान नहीं हो..
मैंने बोला- अभी सब समझा दूँगा.. पर पहले ये बताओ.. तुम मेरी किस सोच को गन्दा बोल रही थी.. जिससे स्पर्म निकल आया।
तो वो कुछ हकलाते हुए सी बोली- मैं सब सब समझती हूँ.. अब मैं छोटी नहीं रही.. जो आप मुझे बेवकूफ बना लोगे.. आपसे सिर्फ दो ही साल छोटी हूँ।
तो मैंने बोला- तुम्हें कुछ पता होता.. तो अब तक बता चुकी होतीं.. और ये क्या है मुझे भी नहीं मालूम।
तो बोली- ज्यादा होशियारी मत दिखाओ.. जब मन में सेक्स करने के ख़याल आते हैं तो स्पर्म निकलता है और वही तुम करते थे।
मैंने बोला- ऐसा नहीं है।
तो वो बोली- इस उम्र में ये सब होना बड़ी बात नहीं है.. पर मेरी माँ को लेकर तुम्हारी नियत खराब हो गई.. ये बहुत गलत बात है.. मैं अभी भैया और माँ को बताती हूँ।
तो मैंने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे बैठाया और उसी के बगल में बैठ गया और उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाया।
तो बोली- ये आप क्या कर रहे हैं?
तो मैंने बोला- अभी कहाँ कुछ किया.. और जब तक तुम ‘हाँ’ नहीं कहती.. मैं कुछ भी नहीं करूँगा।
तो बोली- मैं समझी नहीं.. आप कहना क्या चाहते हो?
तो मैंने उसे बुद्धू बनाते हुए बोला- प्लीज़ तुम किसी को भी ये बात मत बोलना.. मगर मेरी अब एक बात सुन लो.. फिर तुम अगर चाहोगी तो मैं यहाँ दोबारा आऊँगा.. वर्ना कभी भी अपनी शक्ल तक नहीं दिखाऊँगा।
तो वो बोली- आप पहले मेरे ऊपर से अपने गंदे हाथ हटाएं.. और यहाँ से जल्दी अपनी बात खत्म करके निकल जाएं।
फिर मैं उसे उल्लू बनाते हुए बोला- जो ये तुम्हारे हाथ में चड्डी है..
वो बोली- हाँ तो?
तो मैंने बोला- यह मैं नहीं जानता था कि ये तुम्हारी है या आंटी की.. क्योंकि ये मुझे यहीं मिली थी।
तो वो हैरानी से बोली- मतलब क्या है तुम्हारा? किसी की भी चड्डी में अपना रस गिरा देते हो?

तो मैंने बोला- नहीं.. ऐसा नहीं है..
वो बोली- फिर कैसा है?
मैंने उससे बोला- मैंने जबसे तुमको देखा है.. मैं बस तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूँ और तुमसे बहुत प्यार करता हूँ.. और मुझे सच में यह नहीं मालूम कि यह किसकी थी.. मैंने तो तुम्हारी समझ कर ही अपने पास रख ली थी और आंटी को लेकर मेरा कोई गलत इरादा नहीं था। मैं तो सोते जागते बस तुम्हारे बारे में ही सोचता था.. इसीलिए मैंने सोने के लिए बिस्तर भी तुम्हारा ही पसंद किया था.. जिसमें मुझे तुम्हारे बदन की मदहोश कर महक अपना स्पर्म निकालने के लिए मजबूर कर देती थी.. और अगर तुम्हें ये गलत लगता है.. तो आज के बाद मैं तुम्हें कभी मुँह नहीं दिखाऊँगा.. पर मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ.. आगे तुम्हारी मर्ज़ी…
यह कहते हुए मैं शांत होकर उसके चेहरे के भावों को पढ़ने लगा।
उसका चेहरा साफ़ बता रहा था कि अब वो कोई हंगामा नहीं खड़ा करेगी.. तो मैंने फिर से उससे बोला- क्या तुम भी मुझे अपना सकती हो?
तो वो उलझन में आ गई… जो कि उसके चेहरे पर दिख रही थी..
मैं उठा और उससे बोला- कोई जल्दी नहीं है.. आराम से सोच कर जवाब देना.. पर हाँ.. तब तक के लिए मैं तुम्हारे घर जरूर आऊँगा.. पर बाहर ही बाहर तक.. मुझे तुम्हारे जवाब का इंतज़ार रहेगा।
मेरी बात समाप्त होते ही दरवाज़े पर विनोद आ गया और खटखटाने लगा तो रूचि ने मुझे फिर से इशारे से बाथरूम का रास्ता दिखा दिया और मैं अपनी चड्डी की जगह जल्दबाज़ी में माया की ले आया और बाथरूम अन्दर से बंद करके बाहर की आवाज़ सुनने लगा।
विनोद ने घुसते ही पूछा- राहुल किधर है.. माँ ने बोला है कि वो यहीं होगा?
तो रूचि बोली- भैया.. वो तो नहा रहे हैं मैंने भी जब बाथरूम खोलना चाहा तो वो अन्दर से लॉक था.. फिर अन्दर से उनकी आवाज़ आई कि मैं नहा रहा हूँ.. तब मैंने सोचा कि चलो तब तक कपड़ों को ही अलमारी में एक सा जमा दूँ।
भैया बोले- तू बहुत पागल है.. इस तरह से पूरे बिस्तर में कपड़े फ़ैलाने की क्या जरुरत थी? चल जल्दी से निपटा ले।
तभी मैं अन्दर से निकला और मैंने शो करने के लिए शावर से थोड़ा नहा भी लिया था।
मैंने निकलते ही पूछा- अरे रूचि तुम्हारा एग्जाम कैसा रहा?
तो बोली- अच्छा रहा..
वो मेरी ओर देखते हुए मुस्कुरा दी.. फिर मैंने विनोद से पूछा- यार नींद पूरी नहीं हुई क्या.. जो आते ही सो गए।
तो बोला- हाँ यार.. ट्रेन में सही से सो नहीं पाया।
तब तक आंटी ने आवाज़ देते हुए बोला- अरे सुनो सब.. तुम लोग आ जाओ.. नाश्ता रेडी है।
विनोद बोला- रूचि पहले तू फ्रेश होने जाएगी या मैं जाऊँ?
वो बोली- आप हो आइए.. मैं कपड़े रखकर आती हूँ।
मैं मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।
वो मेरी तरफ देखते हुए बोली- तब तक आप चलिए.. हम दोनों आते हैं।
अब मुझे यकीन हो गया था कि ये चिड़िया भले ही मेरे जाल में न फंसी हो.. पर यह बात ये किसी को भी नहीं बोलेगी..
यह सोचता हुआ बाहर आ गया।
माया ने जैसे ही मुझे देखा कि मैं अकेला ही आ रहा हूँ.. तो वो जोर से बोलते हुए बोली- वो लोग कहाँ हैं?
फिर मेरे पास आई और बोली- कुछ अन्दर गड़बड़ तो नहीं हुई न?
तो मैंने उनके गालों को चूमते हुए कहा- आप परेशान न हों.. किसी को कुछ भी शक नहीं हुआ है।
ये कहते हुए मैं डाइनिंग टेबल पर बैठ गया।
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9115
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

Post by jay »

29


अब आगे..
फिर मैं वहीं उन दोनों का इंतज़ार करने लगा और आंटी जी भी अपने कमरे में चली गईं.. शायद कपड़े बदलने गई थीं.. क्योंकि उन कपड़ों में काफी सिकुड़न पड़ चुकी थी.. जिसको किसी ने ध्यान ही नहीं दिया.. वरना रूचि तो तुरंत ही समझ जाती।
खैर.. करीब 10 मिनट बाद विनोद आया और उसके कुछ ही देर बाद रूचि भी आ गई।
हम बैठे.. इधर-उधर की बात करते-करते नाश्ता करने लगे.. लेकिन रूचि कुछ भी खा नहीं रही थी.. तो मैंने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए उससे पूछा- तुम कुछ ले नहीं रही हो?
तो वो बोली- ये बहुत ही हैवी नाश्ता है.. मुझे कुछ हल्का-फुल्का चाहिए.. क्योंकि कल मेरी तबियत कुछ ख़राब हो गई थी.. पर अब थोड़ा सही है।
यह सुन कर आंटी आईं और बोलीं- सॉरी बेटा.. मैं तो जल्दी में भूल ही गई थी.. तुम बस 1 मिनट ठहरो.. मैं अभी तुम्हारे लिए कुछ लाती हूँ।
वो रसोई में गईं और थोड़ी देर बाद रूचि के लिए थोड़ा पपीता और केला काट कर लाईं और उसे देते हुए बोलीं- लो इसे खा लो.. ये तुम्हारे लिए बहुत अच्छा रहेगा.. इससे पेट में आई हुई खराबी भी सही हो जाएगी।
तब तक मेरा और विनोद का नाश्ता हो चुका था.. तो हम उठे.. और हाथ धोकर करके सोफे पर बैठ गए।
अब मैंने आंटी से बोला- आपने नाश्ता नहीं किया?
तो वो मेरी ओर देखते हुए हँसते हुए बोलीं- अभी जब ये लोग आ रहे थे.. तभी मैंने बड़ा वाला ‘केला’ खाया है और अब इच्छा नहीं है..
यह कहते हुए वे आँख मारकर हँसते हुए चली गईं।
उनकी यह बात कोई नहीं समझ पाया और फिर कुछ ही देर बाद जब रूचि भी अपना नाश्ता करके हमारे बीच आई तो मैंने विनोद से बोला- अच्छा भाई.. अब मैं चलता हूँ.. मुझे नहीं लगता कि अब मेरी यहाँ कोई जरूरत है। अब तो तुम लोग भी आ गए हो.. वैसे तुम लोगों से बिना पूछे तुम्हारे कमरे का इस्तेमाल करने के लिए सॉरी..
तो विनोद बोला- साले पागल है क्या तू.. जो ऐसा बोल रहा है।
मैंने बोला- यार गेस्ट-रूम भी था और मुझे तुमसे पूछना चाहिए था।
तो वो बोला- अरे तो कोई बात नहीं.. वैसे भी हमें बुरा नहीं लगा.. क्यों रूचि तुम भी सहमत हो न?
तो रूचि बोली- अरे कोई बात नहीं.. हो गया.. अब जो होना था..
कहती हुई वो मुस्कुरा उठी।
तो मैंने मन में सोचा चलो भाई अब तो हो चुका जो होना था.. अब तो वो करना है.. जो बाकी है..
यही सोचते हुए मैंने रूचि की आँखों में झांकते हुए कहा- वैसे यार सच बोलूँ इतना मज़ा तो कभी खुद के बिस्तर पर नहीं आया.. जितना यहाँ के बिस्तर में आया है.. यार वास्तव में मज़ा आ गया।
तो रूचि का चेहरा शर्म से लाल हो गया और उसके चेहरे पर मुस्कान छा गई जो कि उसके अंतर्मन को दर्शाने के लिए काफी थी।
तब तक विनोद बोला- साले.. ऐसा क्या हो गया?
मैं बोला- यार यहाँ सुबह जल्दी नहीं उठना पड़ता था न.. इसलिए..
मैंने बात को घुमा दिया.. ताकि विनोद अपना ज्यादा दिमाग न लगाए.. और मैंने बात यहीं ख़त्म कर दी।
फिर मैंने बोला- मुझे मेरा जवाब चाहिए.. जितनी जल्दी हो सके दो..
यह मेरा रूचि से पूछा गया सवाल था.. जो कि कुछ देर पहले ही कमरे पर मेरी और रूचि के बहस से सम्बंधित था।
तो विनोद बोला- कैसा जवाब?
मैं बोला- अब मैं घर जा सकता हूँ..
तो वो बोला- थोड़ी देर में चले जइयो बे..
मैं बोला- नहीं यार.. घर में भी देखना पड़ेगा.. दो दिन से यहीं हूँ.. आंटी के साथ.. अब तुम लोग आ ही गए हो तो..
इतने में आंटी पीछे से आते हुए बोलीं- मुझे बहुत खलेगा राहुल.. तुमने मेरा बहुत ध्यान रखा.. हो सके तो शाम को आ जाना.. तुम्हारी याद आएगी।
तो मैंने रूचि की ओर देखते हुए बोला- आंटी अब मैं आज नहीं आऊँगा.. हो तो आप भी माँ जैसी.. पर माँ नहीं.. पर मैं आपका बहुत सम्मान करता हूँ.. तो अब दुबारा मैं कैसे आ सकता हूँ.. समझने की कोशिश कीजिए..
ये मैंने केवल रूचि को झांसे में लेने के लिए तीर छोड़ा था.. जो कि ठीक निशाने पर लगा.. क्योंकि उसका चेहरा उतर चुका था।
इतने में माया बोली- जब तुम मेरी इतनी इज्जत करते हो तो.. क्या मेरे कहने पर आ नहीं सकते।
तो मैं बिना बोले ही रूचि की आँखों में आँखे डालकर शांत होकर देखने लगा.. जिससे उसे ऐसा लगा.. जैसे मैं उससे ही पूछ रहा होऊँ कि मैं आऊँ या न आऊँ..
तब तक विनोद भी बोला- बोल न यार.. शाम को आ जा..
पर अब भी मुझे शांत देख कर रूचि ने अपनी चुप्पी तोड़ी और बोली- क्यों न आप आज भी यहीं रुक जाएँ.. हम मिलकर मस्ती करेंगे और कल फिर आपको देर तक सोने को मिलेगा।
सच बोलूँ तो यार उसकी ये बात सुन तो मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना ही न रहा।
मेरी ख़ुशी को देखकर रूचि बोली- देखना माँ.. राहुल भैया जरूर मान जायेंगे.. क्योंकि लगता है.. उनको सोने का बहुत शौक है और ये शौक वो अपने घर में पूरा नहीं कर पाते हैं।
तो विनोद बोला- हाँ यार.. चल अब जल्दी से ‘हाँ’ बोल दे.. सबकी जब यहीं इच्छा है.. तो तू आज रात यहीं रुक जा..
तो मैंने भी बोला- चलो ठीक है.. जैसी आप लोगों की इच्छा.. पर मुझे अभी घर जाना ही होगा। फिर शाम तक आ जाऊँगा।
मैं मन में सोचने लगा कि मैंने तो सोचा था कि अब आना ही कम हो जाएगा.. पर यहाँ तो खुद रूचि ही मुझे रुकने के लिए बोल रही है। ये मैं कैसे हाथ से जाने दूँ।
इतने में रूचि बोली- अब क्या सोच रहे हो.. आप जल्दी से आप अपने घर होकर आओ।
मैंने बोला- अब घर पर क्या बोलूँगा कि आज क्यों रुक रहा हूँ?
तो कोई कुछ बोलता.. उसके पहले ही रूचि बोली- अरे आप परेशान न हों.. मैं खुद ही आंटी जी को फ़ोन करूँगी।
तो मैंने बोला- वो तो ठीक है.. पर बोलोगी क्या?
तब उसने जो बोला उसे सुन कर तो मैं हैरान हो गया और मुझे ऐसा लगा कि ये तो माया से भी बड़ी चुदैल रंडी बनेगी। साली मेरे साथ नौटंकी कर रही थी। उसकी बात से केवल मैं ही हैरान नहीं था बल्कि बाकी माया और विनोद भी बहुत हैरान थे।
उसने बोला ही कुछ ऐसा था कि आप अभी अपने घर जाओ और आंटी पूछें कि हम आए या नहीं.. तो आप बोलना मैं जब निकला था.. तब तक तो वो लोग नहीं आए थे और उनका फ़ोन भी स्विच ऑफ था..। फिर आप अपने काम में लग जाना.. जैसे आप सही कह रहे हों और फिर 6 बजे के आस-पास मैं ही आपकी माँ को काल करूँगी और उनसे बोलूँगी कि आंटी अगर भैया घर पर ही हों तो आप उनसे बोल दीजिएगा कि हम आज नहीं आ पा रहे हैं। हमारी ट्रेन कैंसिल हो गई है.. तो हम कल ही घर पहुँच पायेंगे..
मैं उस अभी सुन ही रहा था कि वो और आगे बोली- और हाँ.. वैसे कल की जगह परसों ज्यादा ठीक रहेगा और आपके साथ वक़्त बिताने के लिए दो दिन भी ठीक है न..
तो मैंने भी मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ बोला।
फिर उसने अपनी बात शुरू की- हाँ.. तो अब ये बोलूँगी कि ट्रेन कैंसिल हो जाने से रिजर्वेशन परसों का मिला है.. तो आप प्लीज़ उनसे बोलिएगा कि वो दो दिन घर पर ही रहें.. क्योंकि माँ को अकेले रहने में बहुत डर लगता है और उन्हें कोई शक न हो इसलिए बाद मैं ये भी बोल दूँगी कि पता नहीं क्यों.. माँ और राहुल भैया का फ़ोन भी नहीं मिल रहा है.. इसलिए आप ही उन्हें कह देना।
फिर अपनी बात को समाप्त करते हुए बोली- क्यों कैसा लगा सबको मेरा आईडिया?
तो सब ने एक साथ बोला- बहुत ही बढ़िया..
मैंने मन में सोचा- यार इससे तो संभल कर रहना पड़ेगा.. ये तो अपनी माँ से भी ज्यादा चालाक लड़की है।
फिर हमने एक साथ बैठकर चाय पी। इस बीच रूचि बार-बार मुझे ही घूरते हुए हँसे जा रही थी.. पर कुछ बोल नहीं रही थी। जबकि मैं उससे सुनना चाहता था कि वो ऐसा क्यों कर रही है.. पर मुझे कोई मौका ही नहीं मिल रहा था।
इतने में विनोद उठा और वहीं सोफे के पास पड़े दीवान पर लेटते हुए बोला- मैं तो चला सोने.. अब मुझे कोई डिस्टर्ब न करना।
मैंने भी सोचा.. चलो अब तो बात करने का मौका मिल ही जाएगा।
मैं वक़्त की नजाकत को समझते हुए बोला- अच्छा विनोद.. तुम सो.. मैं चला अपने घर.. फिर शाम को मिलते हैं।
तो बोला- ठीक है।
आंटी भी वहीं बैठी थीं.. वो तुरंत बोलीं- शाम को क्या खाओगे?
तो मैंने उनके रसभरे चूचों की ओर घूरते हुए कहा- जो आप पिला और खिला पाओ?
तो वो मेरी निगाहों को समझते हुए बोलीं- ठीक है.. देखते हैं फिर क्या बन सकता है।
फिर मैंने बोला- अब आप सोचती रहो.. शाम तक.. मैं चला अपनी पैकिंग करने.. घर जल्दी ही पहुँचना पड़ेगा।
तो रूचि भी खुद ही बोली जैसे वो भी मुझसे बात करना चाह रही हो, खैर.. वो मुझसे बोली- हाँ भैया.. चलिए मैं भी आपकी कुछ मदद कर देती हूँ ताकि आपका ‘काम’ जल्दी हो जाए।
वो ‘काम’ तो ऐसे बोली थी.. जैसे कामशास्त्र की प्रोफेसर हो और मुझे नीचे लिटाकर ही मेरा काम-तमाम कर देगी।
लेकिन फिर भी मैंने संभलते हुए बोला- अरे मैं कर लूँगा.. तुम परेशान न हो।
तो बोली- अरे कोई बात नहीं.. आखिर मैं कब काम आऊँगी।
मैंने भी सोचा.. चलो ‘हाँ’ बोल दो.. नहीं तो ये काम-काम बोल कर मेरा काम बढ़ा देगी।
फिर मैंने भी मुस्कुराते हुए बोल दिया- ठीक है.. जैसी तेरी इच्छा..
हालांकि अभी मैं उससे दो अर्थी शब्दों में बात नहीं कर रहा था.. पर अपने नैनों के बाणों से उसके शरीर को जरूर छलनी कर रहा था। जिसे वो देख कर मुस्कुरा रही थी।
शायद वो ये समझ रही होगी कि मैं उसे प्यार करता हूँ। मुझे वो उसकी अदाओं और बातों से लगने भी लगा था कि बेटा राहुल तेरा काम बन गया.. बस थोड़ा सब्र रख.. जल्द ही तेरी इसे चोदने की भी इच्छा पूरी हो जाएगी।
फिर वो अपने भारी नितम्बों को मटकाते हुए मेरे आगे चलने लगी।
उसकी इस अदा से साफ़ लग रहा था कि वो मुझे ही अपनी अदाओं से मारने के लिए ऐसे चल रही है.. क्योंकि वो बार-बार साइड से देखने का प्रयास कर रही थी कि मेरी नज़र किधर है।
साला इधर मेरा लौड़ा इतना मचल गया था कि बस दिल तो यही कर रहा था कि अपने लौड़े को छुरी समान बना कर इसके दिल समान नितम्ब में गाड़ कर ठूंस दूँ।
पर मैं कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था.. क्योंकि मेरे मन में ये भी ख़याल आ रहे थे कि हो सकता है कि रूचि अभी कुंवारी हो.. और न भी हो..
पर यदि ये कुवांरी हुई.. तो सब गड़बड़ हो जाएगी और वैसे भी उसकी तरफ से लाइन क्लियर तो थी ही.. ये तो पक्का हो ही गया था कि आज नहीं तो कल इसको चोद कर मेरी इच्छा पूरी हो ही जाएगी।
फिर ये सब सोचते-सोचते हम दोनों कमरे में पहुँचे तो रूचि बोली- भैया आप दरवाज़ा बंद कर दीजिए।
तो मैंने प्रश्नवाचक नज़रों से उसकी ओर देखा तो बोली- अरे आप परेशान न हों.. मैं आपकी तरह नहीं हूँ।
तो मैंने भी तुरंत ही सवाल दाग दिया- क्या मेरी तरह.. मेरी तरह.. लगा रखा है।
वो बिस्तर की ओर इशारा करते हुए बोली- यही.. जो आप दरवाज़ा बंद करके मेरे बिस्तर और माँ की चड्डी से करते थे।
मैंने भी बोला- मैं कैसे समझाऊँ कि मुझे नहीं मालूम था कि वो तेरी माँ की चड्डी है।
उतो वो तुरंत ही बोली- और ये बिस्तर..
मैंने बोला- हाँ.. ये तो मालूम था।
तो वो बोली- बस यही तो मैं बोली कि आप दरवाज़ा बंद करो.. मैं आपकी तरह आपका रेप नहीं करूँगी।
साली बोल तो ऐसे रही थी.. जैसे बोल रही हो कि राहुल आओ जल्दी से.. और मेरा रेप कर दो और मेरे शरीर को मसलते हुए कोई रहम न करना।
मैंने बोला- फिर दरवाज़ा बंद करने की क्या ज़रूरत है?
तो बोली- आप भी इतना नहीं मालूम कि एसी चलने पर दरवाजे बंद होने चाहिए!
मैंने बोला- तो ऐसे बोलना चाहिए न..
तो वो हँसते हुए बोली- आप इतने भी बुद्धू नहीं नज़र आते.. जो आपको सब कुछ बताना पड़े.. कुछ अपना भी दिमाग लगाओ।
फिर मैंने दरवाज़ा अन्दर से बंद करते हुए सिटकनी भी लगा दी।
अब बंद कमरे में आगे क्या हुआ जानने के लिए अगले भाग का इंतज़ार कीजिए।
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9115
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली

Post by jay »



30

मैंने दरवाजा बंद किया और उसकी आँखों में देखते हुए सोचने लगा.. बेटा राहुल.. तवा गर्म है.. सेंक ले रोटी.. पर मुझे इसके साथ ही एक तरफ यह भी डर था कि कहीं मैंने जो सोचा है.. वो यदि कुछ गलत हुआ.. तो सब हाथ से फिसल जाएगा..
खैर.. अब सब्र से काम ले शायद तेरी इच्छा पूरी हो जाए।

मैं अभी भी उसकी आँखों को ही देखे जा रहा था और वो मेरी आँखों को देख रही थी।

तभी उसने मेरे मन में चल रही उथल-पुथल को समझते हुए कहा- राहुल उधर ही खड़ा रहेगा या बैग भी पैक करेगा.. तुझे जाना नहीं है क्या?
तो मैंने उसके मुँह से अपना नाम सुनते हुए हड़बड़ाते हुए जवाब दिया- अरे जाना तो है।
तो वो बोली- फिर सोच क्या रहे हो.. बोलो?

फिर मैंने भी उसके मन को टटोलने के लिए व्यंग्य किया- मैं इस बात से काफी हैरान हूँ.. कि जो लड़की मुझे कुछ देर पहले गन्दा और बुरा बोल रही थी.. वही मुझे रोकने का प्लान क्यों बना रही है?

इस बात को सुन कर उसने मुझे अपने पास बुलाया और अपनी बाँहों में थाम लिया.. और फिर मुझे बिस्तर पर बैठा कर मेरे बगल में बैठ गई।
उसकी बाँहों में जाते ही मेरी तो लंका लगी हुई थी.. उत्तेजना के साथ-साथ मन में एक अजीब सा डर भी बसा हुआ था कि क्या ये सही है? लेकिन कहते हैं न कि वासना के आगे कुछ समझ नहीं आता.. और न ही अच्छा-बुरा दिखाई देता है।

मैंने बोला- रूचि.. तुम तो मुझे अभी कुछ देर पहले भगा रही थीं और फिर अब अचानक से ऐसा क्या हो गया?

तो उसने मुझे हैरानी में डाल दिया.. जब वो भैया की जगह मुझसे ‘राहुल’ कहने लगी- देखो.. मैं नहीं चाहती कोई ड्रामा हो.. इसलिए जब मैं और तुम अकेले होंगे तो मैं तुम्हें सिर्फ और सिर्फ राहुल.. जान.. या चार्मिंग बॉय.. ही कह कर बुलाऊँगी.. देखो राहुल मुझे अभी तक नहीं मालूम था कि तुम मेरे बारे में क्या सोचते थे.. पर मैं जब से तुमसे मिली हूँ.. पता नहीं क्यों मेरा झुकाव तुम्हारी तरफ बढ़ता ही चला गया और न जाने कब मुझे प्यार हो गया। तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो और सच पूछो तो मैं पता नहीं.. कब से तुम्हें दिल ही दिल में चाहने लगी हूँ। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ राहुल.. आई लव यू..
ये कहते हुए उसने मेरी छाती को चूम लिया और उसके हाथों की कसावट मेरी पीठ पर बढ़ने लगी।

लेकिन उसे मैंने थोड़ा और खोलने और तड़पाने के लिए अपने से दूर किया और उसकी गिरफ्फ्त से खुद को छुड़ाया.. तो वो तुरंत ही ऐसे बोली.. जैसे किसी चिड़िया के उड़ते वक़्त पर टूट गए हो और वो नीचे गिर गई हो।

‘क्या हुआ राहुल तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या.. या फिर तुम मुझे नहीं चाहते.. सिर्फ आकर्षित हो गए थे मुझसे?’
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
Post Reply