दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली
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Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली
मैंने उसकी ये बात सुन कर उसे ‘आई लव यू’ बोला और पहले उसे हर्ट करने के लिए माफ़ी भी मांगी..
पर उसने जवाब में बोला- नहीं यार.. होता है कोई बात नहीं.. मुझे बुरा नहीं लगा।
फिर मैंने भी देर न करते हुए उसकी गांड के छेद पर उसके थूक से सनी ऊँगली को चलाने लगा.. जिससे उसे भी अच्छा लग रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने फिर से उसे ऊँगलियां चुसवाईं और अबकी बार मैंने एक ऊँगली गांड के अन्दर डालने लगा।
उसकी गांड बहुत ही तंग और संकरी थी.. जिससे वो थोड़ा ‘आआआह’ के साथ ऊपर को उचक गई और मेरे दांतों से भी उसके गुलाबी टिप्पे रगड़ गए।
वो दर्द से भर उठी ‘अह्ह्हह्ह आउच’ के साथ बोली- अन्दर क्यों डाल रहे थे.. लगती है न..
तो मैंने बोला- थोड़ा साथ दो.. मज़ा आ जाएगा।
फिर से उसके चूचों को अपने मुँह की गिरफ्त में लेकर चूसने लगा और अपनी ऊँगली को उसकी गांड की दरार में फंसा कर अन्दर की ओर दाब देने लगा।
इस बार माया ने भी साथ देते हुए अपने छेद को थोड़ा सा खोल दिया, जिससे मेरी ऊँगली आराम से उसकी गांड में आने-जाने लगी.. पर सच यार उसके चेहरे के भावों से लग रहा था कि उसे असहनीय दर्द हो रहा है।
पर मैंने भी ठान रखा था.. होगा तो देखा जाएगा।
फिर उसे प्यार से चूमने-चाटने लगा और देखते ही देखते उसकी गांड ने मेरी ऊँगली को एडजस्ट कर लिया।
जिससे अब मेरी ऊँगली आराम से अन्दर-बाहर होने लगी और माया भी मज़े से सिसियाने ‘श्ह्ह्ह्ह’ लगी थी।
मैंने फिर से उसके मुँह में ऊँगलियों को गीला करने के लिए डाला और उसने भी बिना देर किए ऐसा ही किया।
फिर मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में डाली तो वो बिना विरोध के आराम से चली गई तो मैंने उसका छेद फ़ैलाने के लिए फिर से ऊँगली बाहर निकाली और अबकी बार दो ऊँगलियां उसकी गांड में डालने लगा तो माया फिर से दर्द भरी “आआअह आउच” और कराह के साथ बोली- राहुल.. दो नहीं, एक से कर.. मुझे दर्द हो रहा है।
तो मैंने बोला- अभी थोड़ी देर पहले तो एक से भी हो रहा था.. पर तुम परेशान मत हो.. मैं आराम से करूँगा।
मैं फिर से धीरे-धीरे उसकी गांड की गहराई में अपनी दो उँगलियों से बोरिंग करने लगा और उसके निप्पलों को चूसने-चाटने लगा, जिससे माया की चूत से कामरस की धार बहने लगी।
देखते ही देखते उसकी दर्द भरी ‘आआआआह’ मादक सिसकियों में परिवर्तित हो गई।
‘श्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह ऊऊम’
वो अपनी कमर ऊपर-नीचे करने लगी और अपने मम्मों खुद सहलाने लगी।
अब वो कंपकंपाती हुई आवाज़ में मुझसे लण्ड चूत में डालने के लिए बोलने लगी, पर मैंने उससे कहा- मेरा एक कहना मानोगी।
वो बोली- एक नहीं.. सब मानूंगी.. पर पहले इस चूत की आग शांत तो कर दे बस।
मैंने बोला- पक्का..
तो वो बोली- अब क्या लिख के दूँ.. प्रोमिस.. मैं नहीं पलटूंगी.. पर जल्दी कर.. अब मुझसे और नहीं रहा जाता।
तो मैंने भी बिना देर किए हुए उसके ऊपर आ गया और उसकी टांगों को फैलाकर उसकी चूत पर अपना लौड़ा सैट करके थोड़ा सा अन्दर दबा दिया ताकि निकले न और फिर अपनी कोहनी को उसके कंधों के अगल-बगल रख कर उसके होंठों को चूसते हुए उसे चोदने लगा।
अब माया को बहुत अच्छा लग रहा था.. वो भी अपनी कमर को जवाब में हिलाते हुए चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी।
जब मैं उसकी चूत में थोड़ा तेज-तेज से लौड़े को अन्दर करता.. तो उसके मुँह से मादक ‘गूं-गू’ की आवाज़ आने लगती.. क्योंकि उसके होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे।
अब माया अपने दोनों मम्मों को खुद ही अपने हाथों से रगड़ने लगी.. जिससे उसका जोश बढ़ गया और वो जोर-जोर से कमर हिलाते-हिलाते शांत हो गई।
उसकी चूत इतना अधिक पनिया गई थी कि मेरा लौड़ा फिसल कर बाहर निकल गया।
मैंने फिर से अपने लौड़े को अन्दर डाला और अब हाथों से उसके मम्मों को भींचते हुए उसकी चुदाई चालू कर दी.. जिससे वो एक बार फिर से जोश में आ गई।
अब कुछ देर की शंटिंग के बाद मेरा भी होने वाला था तो मैंने उसे तेज रफ़्तार से चोदना चालू कर दिया।
मेरी हर ठोकर पर उसके मुँह से मादक आवाज़ आने लगी।
‘अह्ह्ह अह्ह्ह्ह उम्म्म्म ऊऊओह’ मैं बस कुछ ही देर में उसकी चूत में स्खलित होने लगा..
मेरे गर्म लावे की गर्मी से चूत ने भी फिर से कामरस की बौछार कर दी, मैं उसके ऊपर झुक कर उसके गले को चूमने लगा और निढाल होकर उसके ऊपर ही लेट गया।
थोड़ी देर बाद जब फिर से घड़ी पर निगाह गई तो देखा पांच बज चुके थे।
माया को मैंने जैसे ही समय बताया तो वो होश में आकर हड़बड़ा कर उठते हुए बोली- यार तुम्हारे साथ तो पता ही न चला.. कल तुम कब आए और इतनी देर मैंने तुम्हारे साथ एक ही बिस्तर पर गुजार दिए… पता नहीं दूध वाला आया होगा और घंटी बजा कर चला भी गया होगा..
इस तरह की बातों को बोल कर वो परेशान होने लगी.. तो मैंने बोला- मैं हूँ न.. परेशान मत हो.. हम आज रात बाहर ही डिनर करेंगे और दूध वगैरह साथ लेते आएंगे।
मैंने उसके मम्मे दबाते हुए बोला- वैसे भी मुझे ये दूध बहुत पसंद है।
तो वो भी चुटकी लेते हुए बोली- ये बस दबाए, रगड़े और चूसे जा सकते हैं इनसे मैं अपने जानू को चाय नहीं दे सकती।
तो मैंने ताली बजाई और बोला- ये बात.. समझदार हो काफी।
फिर मैंने उसे याद दिलाया- अभी कुछ देर पहले कुछ बोला था तुमने.. याद है या भूल गईं?
तो बोली- बता न.. कहना क्या चाहते हो?
तब मैंने कहा- अभी कुछ देर पहले मैंने बोला था कि मेरा एक कहना मानोगी.. तो तुम बोली थीं कि एक नहीं सब मानूंगी.. पर पहले इस चूत की आग शांत कर दे।
तो माया बोली- अरे यार तुम बोलो तो सही.. क्या कहना चाहते थे?
तो मैंने उससे उसकी गांड मारने की इच्छा बता दी।
वो बोली- राहुल मुझे बहुत दर्द होगा.. सुना है, पहली बार के बाद चलने में भी तकलीफ होती है.. पर तुझे इसी से खुशी मिलेगी तो मैं तैयार हूँ.. मैं तुझे अब खोना नहीं चाहती.. तू जो चाहे वो कर..
उसके इस समर्पण भाव को देखकर मैं पिघल गया और उसे अपनी बाँहों में चिपका लिया। उसके बदन की गर्मी बहुत अच्छी लग रही थी।
थोड़ी देर ऐसे ही खड़े रहने के कुछ ही देर बाद माया बोली- अब ऐसे ही खड़े रखना चाहते हो.. या मुझे तैयार होने के लिए जाने दोगे.. नहीं तो हम बाहर कैसे जायेंगे?
तब तक माया के फ़ोन पर बेल बजी जो कि विनोद की थी। माया ने झट से फ़ोन रिसीव किया और स्पीकर ऑन करके बात करते हुए नाइटी पहनने लगी।
उधर से विनोद बोला- क्या माँ.. इतनी बार तुम्हारा फ़ोन लगाया तुमने एक बार भी नहीं देखा.. मैं बहुत परेशान हो गया था और राहुल का फ़ोन ऑफ जा रहा था.. वो है कहाँ? आंटी का भी फोन आया था.. उसके बारे में जानने के लिए.. मैं उन्हें क्या बताता.. वैसे वो है कहाँ?
माया बहुत घबरा गई.. उसकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले.. पर उसने बहुत ही समझदारी के साथ काम लिया और बोला- अरे फोन तो साइलेंट पर लगा हुआ था अभी बस केवल लाइट जल रही थी.. तो मैंने उठाया.. तब पता चला कि तुम्हारा फोन आया है और राहुल का फोन बैटरी खत्म होने की वजह से ऑफ हो गया था और अभी वो सब्जी लेने गया है रात के लिए… ख़त्म हो गई थी.. आता है तो उसे बोल दूँगी कि घर पर बात कर ले और यह बता कल कितने बजे तक आ रहा है?
तो उसने बोला- यही कोई 11 बज जाएँगे..
बस फिर इधर-उधर की बात के साथ फोन काट दिया।
फिर मुझसे बोली- जा पहले तू भी अपनी माँ से बात कर ले..
तो मैंने बोला- फोन तो ऑफ है अभी आप ने बोला है.. कहीं माँ ने फिर विनोद से बात की.. तो गड़बड़ हो सकती है।
तो मैं अब घर होकर आता हूँ और मैं भी कपड़े पहनने लगा और जाते-जाते उससे पूछा- हाँ.. तो आज गांड मारने दोगी न?
तो बोली- बस रात तक वेट करो और घर होकर जल्दी से आओ.. मैं तुम्हारा इन्तजार करुँगी।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली
फिर मैं वहाँ से अपने घर की ओर चल दिया और करीब 10 मिनट में घर पहुँचा.. दरवाज़ा बंद होने के कारण घंटी बजाई..
तो मेरी माँ ने दरवाज़ा खोला और मुझे देखते ही बड़बड़ाने लगीं- तुम्हारा कोई फ़र्ज़ नहीं बनता कि एक बार घर पर बात कर लूँ और अपना फोन भी ऑफ किए थे?
तो मैंने उनको समझाया- माँ ऐसा नहीं है… मैं और आंटी घर का सामान लेने बाजार गए थे.. तो विनोद से पता चला था.. पर सामान ज्यादा होने की वजह से मैंने सोचा.. बाद में मैं खुद ही आप से मिल आऊँगा और मेरे गेम खेलने की आदत आप जानती ही हो.. तो फोन रात में ही ऑफ हो गया था और चार्जर घर पर ही है.. इसी वजह से.. आप से बात नहीं कर पाया। खैर.. आप बोलो.. कोई काम हो मैं कर देता हूँ.. फिर मुझे वहाँ भी जल्दी निकलना है.. सब्जी भी लेकर जानी है… उनके यहाँ ख़त्म हो गई है.. वरना उनको खाना पकाने में देरी हो जाएगी..
इतना सब बहाना बनाने के बाद माँ कुछ शान्त हुईं.. और बोलीं- अरे कोई काम नहीं था.. मैंने बस तेरे हाल लेने के लिए फोन किया था। तेरा सुबह से ही फोन ऑफ जा रहा था और माया जी का मेरे पास नम्बर भी नहीं था और विनोद से भी तेरे कोई हाल-चाल नहीं मिले थे.. तो मुझे चिंता हो रही थी कि क्या बात हो गई.. बस और कुछ नहीं था.. खैर कोई बात नहीं.. तुम जल्दी जाओ.. नहीं तो बहन जी को खाना बनाने में रात ज्यादा हो जाएगी और हाँ.. अपना चार्जर भी लेते जाना.. वैसे कल तुम्हारा दोस्त कितने बजे तक आ जाएगा?
तो मैंने उन्हें बताया कल सुबह 11 बजे तक..
फिर वो कुछ नहीं बोलीं।
मैंने कपड़े बदले और कुछ पार्टीवियर कपड़े लैपटॉप के बैग में रखे.. साथ ही चार्जर भी डाला और माँ से बोला- अच्छा माँ.. मैं अब चलता हूँ।
तो उन्होंने बोला- कल समय से आ जाना और अगर देर हो.. तो फ़ोन कर देना।
फिर मैं ‘ओके’ बोल कर अपने घर से माया के घर की ओर चल दिया।
अब बस मेरे दिमाग में माया के चिकने गोल नितम्ब नाच रहे थे कि कैसे आज मैं उसकी गांड बजाऊँगा और यूँ ही ख्यालों में खोया हुए कब मैं उनके घर पहुँचा.. पता ही न चला।
फिर मैंने घंटी बजाई तो थोड़ी देर बाद माया ने दरवाज़ा खोला और मुझे देखते हुए बड़े आश्चर्य से बोली- अरे राहुल अभी तो बस गया था और इतनी जल्दी आ भी गया।
तो मैंने तुरंत बैग सोफे पर पटका और उसे बाँहों में भर कर प्यार करते हुए उसके चूचे दबा कर कहा- यार तेरी गांड ने मुझे इतना दीवाना बना रखा है कि मेरा मन कहीं लग ही न रहा था।
तो उसने मेरे गालों पर चुटकी ली और इंग्लिश में शैतानी भरे लहजे से बोली-यू आर स्वीट एंड सॉर.. तू बड़ा हरामखोर है..
तो मैंने भी उसके भोंपू कस कर दबा कर जवाब दिया- सीखा तो तुझी से ही है।” फिर वो एक शरारत भरी मुस्कान के साथ बोली- देख अभी मैं तेरे लिए चाय लाती हूँ और तब तक तू फ्रेश हो जा.. जब तक तू चाय पियेगा.. मैं तैयार होकर आ जाऊँगी.. फिर हम किसी अच्छे से होटल में डिनर करने चलेंगे।
तो मैंने भी उससे मुस्कुरा कर बोला- आज तुम मुझे बिना कहे ही चाय पिला रही हो… क्या बात है जो इतना ख्याल है मेरा..
तो माया बोली- अरे कुछ नहीं.. जब तू मेरा इतना ख़याल रखता है.. तो मेरा भी फर्ज बनता है।
इतना कह कर वो रसोई में चली गई और मैं वाशरूम चला गया।
मैंने चेहरा वगैरह साफ किया और अपना बैग खोल कर कपड़े निकाले।
तब तक माया चाय ले आई और मेरे कपड़े देख कर बोली- ओहो… क्या बात है राहुल किसी और को भी नीचे गिराने का इरादा है।
तो मैंने बोला- ऐसा नहीं.. वो तो मैं इसलिए लाया था क्योंकि पहली बार किसी के साथ मैं डिनर पर जा रहा हूँ.. तो इस पल को और अच्छा करने के लिए मैंने ऐसा किया है।
तो बोली- वैसे जो पहने हो.. वो भी ठीक हैं.. पर जब लाए हो.. तो बदल लो… अब तो मुझे भी तेरी तरह सजना पड़ेगा.. ताकि मैं तेरे इस पल को और हसीन कर दूँ। अब तुम चाय की चुस्कियों का आनन्द लो और मैं चली तैयार होने..
तो मैंने झट से एक हाथ से चाय का मग पकड़ा और दूसरे हाथ से उनके चूचे मसके..
तो बोली- अरे छोड़ो.. अभी रात भी अपनी ही है.. नहीं तो जाने में देर हो जाएगी। मैंने बोला- चुस्कियों का मज़ा जो तेरे मम्मे देते हैं वो चाय में कहाँ..
और एक बार उसके मस्त मम्मों को फिर से दबा दिया।
तो माया बोली- अच्छा.. अब जाने भी दो.. रात को जी भर के चुस्कियां ले ले कर पी लेना.. पर अभी तुम सिर्फ चाय पियो।
इतना कहकर वो चली गई और मैंने भी चाय ख़त्म की। मैं अपने कपड़े पहनने लगा और तैयार हो गया और वहीं सोफे पर बैठ कर माया का इन्तजार करने लगा घड़ी देखी.. तो आठ बज चुके थे पर माया अभी तक नहीं आई।
मैंने मन में सोचा पता नहीं ये कितना देर लगाएगी तो मैंने आवाज़ लगाई- आंटी और कितनी देर लगाओगी?
तो वो बोली- बस थोड़ा और वेट करो..
देखते ही देखते साढ़े आठ बज गए.. मैंने फिर जोर से आवाज़ दी- आंटी जल्दी करो..
तो वो बोली- बस हो गया अभी आई..
करीब पांच मिनट बाद आंटी आ गई और मुझसे बोली- तुमको इतनी बार बोला मुझे आंटी-वांटी नहीं.. माया बोला करो.. पर तुम्हें समझ नहीं आता क्या?
पर उनकी इस बात का मेरे ऊपर कोई असर नहीं पड़ा कि वो क्या कह रही है क्योंकि मैं उसे देखता ही रह गया था।
आज वो किसी मॉडल से कम नहीं दिख रही थी.. क्या बला की खूबसूरत लग रही थी जैसे priyanka chopra..
उसने अपने बालों को पोनी-टेल की तरह बांध रखा था और नेट वाला अनारकली सूट पहना हुआ था..
आँखों में काजल और मस्कारा वगैरह लगा कर मेकअप कर रखा था..
आज वो वाकयी बहुत सुन्दर सी किसी परी की तरह दिख रही थी।
उसके होंठों पर जो सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक थी.. वो भी शाइन मार रही थी।
मैं तो उसके रूप-सौंदर्य में इतना खो गया था कि मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था और सिर्फ वही दिखाई भी दे रही थी।
यार क्या गजब का माल लग रही थी.. देख कर लग ही नहीं रहा था कि ये रूचि की माँ है या उसकी बड़ी बहन है.. मैंने उसे अपनी बाँहों में लेकर चूम लिया उसके गर्दन और उसके कपड़ों से काफी अच्छी सुगंध आ रही थी.. जो की किसी इम्पोर्टेड सेंट की लग रही थी।
मैंने उससे पूछा- कौन सी कंपनी का कमाल है.. जो इतना मादक महक दे रही है?
तो उसने बताया- अभी पिछली बार मेरे पति लाए थे।
‘अरे मैंने कंपनी पूछी है…’
तो बोली- ‘ह्यूगो बॉस’ का है।
तो मैंने भी मुस्कुरा कर बोला- फिर तो फिट है बॉस.. वैसे आज इतना सज-धज के चलोगी तो पक्का दो-चार की जान तो ले ही लोगी।
तो बोली- मुझे तो बस अपने इस आशिक से मतलब है और मैंने तुम्हारी ख़ुशी के लिए ये सब किया है ताकि तुम्हारी पहली डेट को हसीन बना सकूँ।
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Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली
मैंने कहा- पर इतना सब करके हम चलेंगे कैसे.. बाइक से तो जमेगा भी नहीं।
तो उसने मुझे कार की चाभी दी और बोली- मुझे तो चलानी आती नहीं.. अगर तुम्हें आती हो तो चलो.. नहीं तो फिर हम बाइक से ही चलते हैं।
तो मैंने उनसे चाभी ली और बोला- यार मैं बहुत अच्छे से चला लेता हूँ..
तो वो कुछ मुस्कुरा कर बोली- हम्म्म बिस्तर पर तो अच्छा चलाते हो.. अब रोड पर भी देख लूँगी।
मैंने उसको एक आँख मारी और फिर मैं और वो चल दिए।
माया ने अपार्टमेंट के गार्ड को चाभी दी और बोला- जाओ कार बाहर ले आओ..
वो काफी समझदार थी.. क्योंकि उसे तो चलानी आती नहीं थी और वो जाती तो कैसे लाती और मेरे साथ अगर बैठ कर निकलती तो उसे और लोग भी नोटिस करते।
मैंने उसके दिमाग की दाद तो तब दी..
जब गार्ड गाड़ी लेकर आया तो उसने झट से ही ड्राइविंग सीट के अपोजिट साइड वाला गेट खोला और मुझसे बोली- अभी मुझे देखना है कि तुम कार चलाना सीखे या अपने दोस्त की ही तरह हो.. क्योंकि विनोद केवल काम चलाऊ ही चला पाता है.. आज तक मैंने कभी भी उसे कार चलाते नहीं देखा था।
मैं भी उसकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिलाते हुए बोला- आंटी ये बात है.. तो आप बैठिए और आज मैं ही पूरी ड्राइविंग करूँगा और उसे एक आँख मार कर गाड़ी में बैठने लगा।
तो गार्ड बोला- मैडम आप रिस्क क्यों ले रही हैं.. आप ही ले जाइए न..
तो आंटी बोली- अरे बच्चे को मौका नहीं मिलेगा तो सीखेगा कैसे?
फिर मैंने गाड़ी स्टार्ट की और चल दिया.. कुछ दूर पहुँचते ही उनसे गुस्से में बोला- मैं अभी बच्चा हूँ।
तो बोली- तो क्या कहती उससे कि मेरा पति है.. और तुमने भी मुझे आंटी बुलाया था.. समझो बात बराबर।
तो मैंने बोला- अरे कोई दूसरा न सुने.. इसलिए मैं आंटी-आंटी कह रहा था.. ऐसे तो माया ही बुलाता हूँ..
‘अरे तो मैंने भी इसी लिए बोला था.. ताकि किसी को शक न हो।’
तो मैंने बोला- आप नाम भी ले सकती थी।
‘अरे बाबा.. सॉरी.. मुझे माफ़ कर दे.. गलती हो गई और रोड पर ध्यान दे।’
फिर वो मुझसे बोली- वैसे हम डिनर पर कहाँ चल रहे हैं?
तो मैंने बोला- जहाँ आप सही समझो।
उसने बोला- अब तेरी पहली डेट को कुछ स्पेशल तरीके से बनानी है.. तो कुछ स्पेशल करते हैं। एक काम करो लैंडमार्क चलते हैं।
तो मैंने बोला- इतना मेरा बजट नहीं है.. किसी सस्ते और अच्छे होटल में चलते हैं।
तो वो मेरे गालों पर प्यार भरी चुटकी लेकर बोली- यार तू कितना भोला है.. मैं इसी कारण तुझ पर मरने लगी हूँ.. पर अभी मैं जैसा बोलती हूँ.. वैसा ही करो, नहीं तो मुझे बुरा लगेगा।
तो मैंने बोला- पर मेरी एक शर्त है।
बोली- कैसी?
मैंने बोला- जो भी बिल होगा उसे मैं ही दूँगा.. अभी मेरे पास 2500 रूपए के आस-पास हैं तो मैं आपको 2000 रूपए दे रहा हूँ और आगे जितना भी होगा उसे आपको मैं जब बाद में दूँगा तो आप ले लोगी।
उन्होंने बोला- यार ये क्या.. मैं तुमसे प्यार करती हूँ.. ऐसा नहीं कर सकती.. मेरा सब कुछ तुम्हारा ही है।
मैंने भी बोला- वो सब ठीक है.. पर मेरी इच्छा है कि मैं भी अपनी गर्ल-फ्रेण्ड को पहली डेट पर अपने पैसों पर ले जाऊँ।
मेरे मुँह से गर्ल-फ्रेण्ड शब्द अपने लिए सुन कर उसकी आँखों में खुशी के आंसू आ गए.. जिसे मैंने भांप लिया और बोला- देखो अब रोने न लगना.. नहीं तो चेहरा अच्छा न लगेगा और मेकअप भी ख़राब हो जाएगा।
मेरी इस प्रतिक्रिया पर उसने मेरे गालों पर एक चुम्मी जड़ दी और मेरा हाथ जो कि गेयर पर था उसके ऊपर अपना हाथ रख कर मुझसे प्यार भरी बातें करने लगी।
बातों ही बातों में कब उसने अपना हाथ उठा कर मेरी जांघ पर रख कर सहलाना चालू कर दिया.. मुझे पता ही न चला।
ये सब कुछ मेरे साथ इतने रोमांटिक तरीके से मेरे साथ पहली बार हो रहा था।
मुझे तब होश आया जब उनके हाथ ने मेरी जींस के ऊपर से ही मेरे लौड़े पर दाब देना चालू किया।
यार क्या एहसास था.. बस यही लग रहा था कि ये समय यहीं रूक जाए..
खैर.. हम तब तक लैंडमार्क के पास पहुँच गए तो मैंने उन्हें ठीक से बैठने के लिए बोला और होटल के एंट्री-गेट पर उन्हें उतार कर गाड़ी पार्किंग में लगाने चला गया।
वहाँ मुझे मेरे पापा के दोस्त अपनी फैमिली के साथ मिले तो मैं तो उनको देख कर डर ही गया था.. पर ‘थैंक गॉड’ कि वो वहाँ से जा रहे थे।
किसी की बर्थ-डे पार्टी में आए थे.. उन्होंने मुझसे बात की, तो मैंने बोला- अरे मैं यहाँ बाजार में आया था बाहर पार्किंग फुल थी तो मेरे दोस्त ने बोला अन्दर ही पार्क कर दो.. उसकी ये नई कार है।
इसलिए तो वो बोले- ठीक किया.. अच्छा मैं चलता हूँ।
वो इतना कह कर जब चले गए.. तब जाकर जान में जान आई।
खैर.. मैं आप लोगों को बता दूँ कि इस होटल के बगल में कानपुर की एक बड़ा बाजार है.. जहाँ हर तरह के फैशन एशेशरीज मिलती हैं और शाम को भीड़ के कारण गाड़ी पार्किंग की समस्या यहाँ आम बात है और गलत जगह गाड़ी पार्क करने पर पुलिस उठा ले जाती है।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
फिर जब मैं एंट्री-गेट पर पहुँचा तो माया बोली- क्यों क्या हुआ.. बड़ा समय लगा दिया तुमने?
तो मैंने उसे पूरा वाकिया बता दिया.. जो उधर हुआ था।
तो माया बोली- चलो बढ़िया हुआ.. यहीं मिल गए.. अब हम चलते हैं।
फिर हम लोग अन्दर गए और लिफ्ट से फ़ूड कोर्ट वाली फ्लोर पर पहुँच गए। वहाँ पर हम लोगों ने एक कपल सीट ली.. वैसे तो वीकेंड पर सीट मिलना कठिन रहता है.. पर उस दिन कोई ख़ास भीड़ नहीं थी।
फिर वेटर आया और मेनू देकर चला गया तो मैंने माया से बोला- जो तुम्हें पसंद हो.. वो मंगवा लो। आज तुम्हारे मन का ही खाऊँगा।
तो माया ने वेटर को बुलाया और उसे आर्डर दिया और स्टार्टर में पनीर टिक्का मंगवाया।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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- jay
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Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली
आज ये मेरी जिंदगी का पहला दिन था.. जब मैं किसी को इस तरह डिनर पर ले गया था.. वो भी इतनी हसीन लड़की को.. क्योंकि वो औरत लग ही नहीं रही थी।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था..
हम लोग एक-दूसरे के हाथों को सहलाते हुए एक-दूसरे से बात कर रहे थे कि तभी वेटर पनीर टिक्का और कोल्ड ड्रिंक देकर चला गया..
जिसे हम लोगों ने खाया और एक-दूसरे को अपने हाथों से भी खिलाया।
तब तक हमारा खाना भी आ चुका था, फिर हम लोगों ने खाना खाया और मैं फिनिश करके वाशरूम चला गया।
इसी बीच माया ने मुझे सरप्राइज़ देने के लिए और मेरे इस दिन को यादगार बनाने के लिए वेटर को बुलाया और उसे शैम्पेन और कुछ स्नैक्स का आर्डर दिया और साथ ही यह भी बोला कि जैसे ही मैं अन्दर आऊँ.. वैसे ही ‘ये शाम मस्तानी.. मदहोश किए जाए..’ वाला गाना बजा देना।
इधर अब मुझे क्या पता कि माया ने मेरे लिए क्या कर रखा है.. तो मैं जैसे ही अन्दर पहुँचा तो गाना चालू हो गया और रेस्टोरेंट की रोशनी बिल्कुल मद्धिम हो गई.. जो कि काफी रोमांटिक माहौल सा बना रही थी।
मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना ही न रहा और मैंने जाते ही माया को ‘आई लव यू वेरी मच’ बोलकर चूम लिया।
जिससे वहाँ मौजूद सभी लोग क्लैपिंग करने लगे… उनको ये लग रहा था कि हम अपनी एनिवर्सरी सेलिब्रेट करने आए हैं.. और लगता भी क्यों नहीं.. आज माया कमसिन जो लग रही थी।
उसने अपना फिगर काफी व्यवस्थित कर रखा था और साथ ही पार्लर वगैरह हर महीने जाती थी जिसकी वजह से उसे देखकर उसकी उम्र का पता लगाना काफी कठिन था।
वो बहुत ही आकर्षक शरीर की महिला थी.. फिर मैंने और उसने ‘चीयर्स’ के साथ शैम्पेन का एक-एक पैग पिया.. इसके पहले न ही कभी मैंने वाइन पी थी और न ही उसने..
खैर.. एक गिलास से कोई फर्क तो न पड़ा.. पर एक अजीब सा करेंट दोनों के शरीर में दौड़ गया।
खाना अदि खाने के बाद माया ने बिल पे किया जो कि करीब 4200 के आस-पास था और 100 रूपए माया ने वेटर को टिप भी दी।
फिर हम दोनों लिफ्ट से नीचे आए और मैं उसे वहीं एंट्री-गेट पर छोड़ कर कार लेने चला गया.. पर जब कार लेकर वापस आया तो माया वहाँ नहीं थी।
मेरे दिमाग में तरह-तरह के सवाल आ रहे थे क्योंकि माया का सर शैम्पेन की वजह से भारी होने लगा था।
मैं बहुत ही घबरा गया कि अब मैं क्या जवाब दूँगा अगर कहीं कुछ हो गया सोचते-सोचते मेरे शरीर में पसीने की बूँदें घबराहट के कारण बहने लगीं।
मैंने चारों ओर नज़र दौड़ाई.. पर मुझे माया नजर नहीं आई।
मैंने उसका फ़ोन मिलाया जो कि नहीं उठा.. तीन-चार बार मिलाने के बाद भी जब फोन नहीं उठा.. तो मैं बहुत परेशान हो गया और सोचने लगा कि अब क्या करूँ.. कहाँ देखूँ..?
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था.. मैं सोच में पड़ गया.. कहीं माया को नशा तो नहीं चढ़ गया.. कहीं उसका कोई फायदा न उठा ले.. तमाम तरह के विचार मन को सताने लगे।
फिर मैंने गाड़ी की चाभी गेटमेन को गाड़ी पार्क करने के लिए दी.. और अन्दर चला गया।
वहाँ एक रिसेप्शनिस्ट बैठी हुई थी तो मैंने उससे घबराते हुए पूछा- अभी क्या कोई लेडी अन्दर आई है?
तो वो मेरी घबराहट को देखकर हँसते हुए बोली- अरे सर आप थोड़ा रिलैक्स हो जाइए.. लगता है मैडम से आप कुछ ज्यादा ही प्यार करते हैं।
यह कहते हुए उसने अपनी सीट पर रखे पानी के गिलास को मुझे दिया।
पानी पीकर मैं भी थोड़ा नार्मल हुआ और उससे पूछा- वैसे वो है कहाँ?
तो वो बोली- मेम ने लगता है पहली बार पी थी.. जिसकी वजह से उनको उलटी और चक्कर आ रहे थे.. तो वो वाशरूम में हैं…
तो मैं भी उसकी हालत को समझते हुए वाशरूम जाने लगा ताकि उसकी कुछ मदद कर सकूँ.. पर मैं जैसे ही उधर की ओर बढ़ा तो उस लड़की ने बोला- सर वो कॉमन वाशरूम नहीं है आप लेडीज़ वाशरूम में नहीं जा सकते।
तो मैंने चिंता जताते हुए उससे पूछा- जब उसकी ऐसी हालत है तो उसे मदद की जरूरत होगी।
बोली- आपको फ़िक्र करने की कोई जरुरत नहीं है.. मैडम के साथ लेडीज सर्वेंट भी उनकी हेल्प के लिए गई है। तब जाकर मुझे कुछ राहत की सांस मिली.. तब तक माया वहाँ आ चुकी थी।
उसको देखते ही रिसेप्सनिस्ट लड़की ने बोला- मेम आप बहुत लकी हो जो आपको इतना चाहने वाला कोई मिला।
अब उसे क्या पता कि दाल में कितना नमक है..
खैर.. वो माया को बोली- आपके अचानक अन्दर आ जाने पर सर बहुत परेशान से हो गए थे.. उनकी हालत तो देखने वाली थी.. लगता है आपको कुछ ज्यादा ही प्यार करते हैं।
तो माया मुस्कुरा कर मेरे पास आई और मेरे हाथ पकड़ कर बोली- तुम इतनी जल्दी क्यों परेशान हो जाते हो? तो मैंने बोला- तुम बिना बताए अचानक यहाँ आ गईं और मुझे नहीं दिखीं.. तो मेरा परेशान होना तो लाजिमी है।
उसने मुझसे ‘सॉरी’ बोलते हुए कहा- यार मेरी कंडीशन ही ऐसी हो गई थी कि मैं क्या करती?
मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ?
फिर मैंने बोला- चलो कोई बात नहीं.. अब तुम ठीक हो न?
तो उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया.. फिर हम दोनों बाहर आए और गेटमैन से गाड़ी मंगवाई और घर की ओर चल दिए।
रास्ते में मैंने उससे पूछा- माया जब तुम शैम्पेन बर्दास्त नहीं कर सकती थीं तो पीने की क्या जरुरत थी?
तो वो बोली- मैं तो बस तुम्हें वो सब देने के लिए ऐसा कर रही थी.. जो आजकल की लड़कियाँ करती हैं।
मैंने भी उसके इस प्यार का जवाब माया ‘आई लव यू.. वेरी मच’ बोलकर दिया।
जिस पर माया के चेहरे की ख़ुशी दुगनी हो गई और आँखों में एक अजीब सी चमक साफ़ दिखने लगी।
शायद वो अपने तन-मन से मुझे बहुत चाहने लगी थी.. उसने भी अपना एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और बोली- राहुल सच में.. तुम भी मुझसे प्यार तो करते हो न..
मैंने भी ‘हाँ’ में जवाब दिया.. तो बोली- राहुल मैं तुम्हें वो सारी खुशियाँ दूँगी जिसके तुम हकदार हो.. तुम जैसा चाहोगे मैं वैसा ही करुँगी.. पर मेरे लिए अपने दिल में हमेशा यूँ ही जगह बनाए रखना.. वरना मेरा क्या होगा।
यह कहते हुए वो अपने हाथों को मेरी जाँघों में फिराने लगी।
जिससे मेरा जोश बढ़ने लगा.. मुझे उसका इस तरह से छूना बहुत ही आनन्ददायक लग रहा था।
मैं भी उसके स्पर्श का मज़ा लेते हुए उससे रोमांटिक बातें करने लगा और घर जाने के लिए मैंने लम्बा वाला रास्ता पकड़ लिया ताकि इस रोमांटिक समय को और ज्यादा देर तक एन्जॉय किया जा सके।
मेरे लम्बे रास्ते की ओर गाड़ी घुमाते ही माया मुस्कुराकर मुझसे बोली- क्या बात है.. तुमने लम्बा रास्ता क्यों पकड़ लिया?
तो मैंने उसे बताया- तुम्हारे साथ इस पल को और लम्बा बनाना चाहता था.. बस इसीलिए।
फिर माया मेरी ओर थोड़ा खिसक आई और मेरे लौड़े को जींस के ऊपर से ही रगड़ने मसलने लगी। उसकी इस हरकत से मेरे कल्लू नवाब को एक पल बीतते ही होश आ गया और वो अन्दर ही अन्दर अकड़ने लगा.. मानो जिद कर रहा हो कि बस अब मुझे आज़ाद कर दो।
माया ने जब मेरे लण्ड का कड़कपन अपनी हथेलियों में महसूस किया.. तो उसने मेरी जींस की ज़िप खोल दी और अन्दर हाथ घुसेड़ कर लण्ड को मुट्ठी में भरते हुए निकालने लगी.. पर इतनी आसानी से वो कहाँ निकलने वाला था।
इस वक़्त वो अपने पूरे होश ओ हवाश में खड़ा हो चुका था। वो उस वक़्त इतना सख्त हो चुका था कि मेरी वी-शेप की चड्डी में नहीं मुड़ पा रहा था।
माया ने कई बार उसे दबा कर एक बगल से निकालने का प्रयास किया.. पर जब वो न निकाल पाई तो कहने लगी- राहुल क्या बात है.. आज यह मेरा छोटा राहुल लगता है मुझसे नाराज हो गया है.. देखो कितनी देर से मैं इसे देखने के लिए तड़प रही हूँ.. पर यह है कि निकल ही नहीं रहा है।
तो मैंने भी मज़ाक में बोल दिया- अरे ये तुम्हारा राहुल है न.. वो इसे निकाल देगा.. पर तुम्हें इसे मनाना खुद ही पड़ेगा।
तो वो मुस्कुराते हुए बोली- अरे फिर देर कैसी.. एक बार निकाल दो.. फिर देखो.. इसे मैं कैसे प्यार से मनाती हूँ।
तो मैंने भी गाड़ी एक बगल में ली और जींस का बटन खोल कर नीचे सरका दी और अपनी चड्डी को साइड से पकड़ कर अपने सरियानुमा लौड़े को हवा में लहरा दिया।
वो एकदम ऐसा अकड़ा हुआ किसी झंडे की तरह खड़ा था जिसे माया देखकर अपनी मुस्कान न रोक सकी।
वो मेरे लौड़े को हाथ में लेकर उसे प्यार से सहलाने लगी और बोली- अरे वाह.. तू तो हर समय तैयार रहता है.. मुझसे नाराज हो गया था क्या?
जो मेरे निकालने पर नहीं निकल रहा था।
मैं फिर से गाड़ी चलाने लगा.. पर अब रफ़्तार धीमी थी.. ताकि कोई दिक्कत न हो।
उधर माया लगातार मेरे लौड़े को प्यार किए जा रही थी जो कि मेरे अन्दर की कामुकता को बढ़ने के लिए काफी था।
मैंने बोला- ये आज ऐसे नहीं मानेगा..
वो- फिर कैसे?
मैंने बोला- अरे इसे प्यार करो.. चूमो-चाटो.. तब शायद कोई बात बन जाए।
मैंने भी माया का दायां चूचा दबा दिया.. जिसके लिए वो तैयार न थी।
मेरे इस हमले से उसके मुँह से एक दर्द भरी ‘आह्ह्ह्ह्ह्’ निकल गई और उसने भी जवाब में मेरे लौड़े को कस कर दबा दिया.. जिससे मेरे भी मुख से एक ‘आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ निकल गई।
फिर उसने अपने होंठों से मेरे गाल पर चुम्बन किया और मेरे लौड़े के टोपे पर अपने होंठों को टिका कर उसे चूसने लगी।
उसकी इतनी मादक चुसाई से मेरे शरीर में कम्पन होने लगा.. मुझसे अब गाड़ी चलाना मुश्किल हो रहा था.. तो मैंने वहीं एक तरफ गाड़ी खड़ी कर दी और एसी ऑन रखा.. हेड-लाइट बंद कर दी.. ताकि कोई समझ न सके कि क्या हो रहा है और रात के समय वैसे भी भीड़ कम ही रहती है और जो होती भी है वो सिर्फ गाड़ी वालों की होती है.. तो कोई डरने वाली बात भी न थी।
फिर मैंने सीट थोड़ा पीछे को मोड़ दिया ताकि माया और मैं आराम से मज़े ले सकें।
फिर माया ने अपनी जुबान और होंठों से मेरे टोपे को थूक से नहलाते हुए दूसरे हाथ से मुठियाने लगी।
मुझे इतना आनन्द आ रहा था कि मैं बता ही नहीं सकता.. ऐसा लग रहा था, जैसे मैं किसी जन्नत में सैर कर रहा हूँ।
फिर उसने धीरे-धीरे मेरे टोपे पर अपनी जुबान चलाई.. जैसे कोई बिल्ली दूध पी रही हो..
उसकी यह हरकत इतनी कामुक थी कि मैंने भी उसके भौंपुओं को हाथ में थाम कर बजाने लगा।
उसकी भी चूत पनिया गई थी और वो मुझसे बोली- प्लीज़ राहुल मुझे यहीं चोद दो.. अब और नहीं रहा जाता मुझसे.. प्लीज़ बुझा दो मेरी आग..
पर इस तरह खुले में मैंने चुदाई करने से मना कर दिया।
खैर वो मेरे समझाने पर मान भी गई थी।
फिर वो मेरे लौड़े को मुठियाते हुए इतने प्यार से चाट रही थी कि मुझे लगा कि अब मैं और ज्यादा देर टिकने वाला नहीं हूँ।
तो मैंने उससे बोला- जान.. बस अब और दूरी नहीं बची है.. मंजिल आने में.. थोड़ा तेज़ चलो।
तो वो मेरे इशारे को समझ गई और मेरे लौड़े को जहाँ तक उससे हो सका उतना मुँह के अन्दर तक ले जाकर अन्दर-बाहर करने लगी और अपने कोमल होंठों से मेरे लौड़े पर अपनी पकड़ मजबूत करने लगी.. जैसे मानो आज सारा रस चूस लेगी।
उसकी इस क्रिया से मेरे मुख से ‘सीइइइ.. आआह्ह’ की मादक सिसकारियाँ फूटने लगीं।
इतना आनन्द आ रहा था कि मानो मेरा लौड़ा उसके मुख में नहीं बल्कि उसकी चूत में हो.. मैंने भी उसके सर को हाथों से सहलाना चालू कर दिया।
वो इतनी रफ़्तार से मुँह ऊपर-नीचे कर रही थी कि उसके मुँह से सिर्फ ‘गूंग्गगुगुगुं’ की ध्वनि आ रही थी जो कि मेरी उत्तेजना को बढ़ाने के लिए काफी था।
फिर मैंने उसके सर को कस कर हाथों से पकड़ लिया और अपनी कमर को उठा-उठा कर उसके मुँह में लौड़ा ठूँसने लगा..
जिससे माया की आँखें बाहर की ओर आने लगीं और देखते ही देखते मैंने अपना सारा माल उसके गले के नीचे उतार दिया।
माल निकल जाने के बाद मुझे कुछ होश आया तो मैंने अपनी पकड़ ढीली की..
तो माया ने झट से मुँह हटाया और बोली- यार ऐसे भला कोई करता है.. मुझे तो ऐसा लग रहा था कि थोड़ी देर और ऐसे ही चला तो मेरी जान ही निकल दोगे तुम..
मैंने उसके गालों को चूमा और कहा- अपनी जान को भला मैं कैसे मार सकता हूँ माया डार्लिंग.. थैंक्स।
बोली- अच्छा मेरी हालत खराब करके ‘थैंक्स’?
तो मैंने बोला- इसके लिए नहीं.. वो तो उसके लिए बोला जो तुमने आज मेरे लिए किया..
तो माया बोली- जानू ये तो कुछ भी नहीं है.. आज तो मैं तुम्हारे लिए वो करने वाली हूँ जो आज तक मैंने कभी न किसी के साथ किया और न ही इस बारे में कभी सोचा था.. पर राहुल मैं अब वो तुम्हारे लिए करुँगी।
तो मैंने उसे बाँहों में भर लिया और उसकी गर्दन में चुम्बन करते हुए उसे ‘आई लव यू आई.. लव यू’ बोलने लगा।
जिससे माया का दर्द भरा चेहरा फिर से खिलखिलाने लगा और फिर उसने अपनी पर्स से रुमाल निकाल कर मेरे लौड़े अच्छे से पोंछ कर साफ़ किया।
फिर मुझे आँख मारते हुए कहने लगी- जानू अब जल्दी से घर चलो.. मुझे भी अब कुछ चाहिए.. तुम्हारा तो हो गया.. पर मेरे अन्दर की चीटियाँ अभी भी जिन्दा रेंग रही हैं।
तो मैंने उसके बोबे मसल कर कहा- अरे आज रात तेरी सारी चींटियों को रौंद-रौंद कर ख़त्म कर दूँगा.. बस तू घर चल.. फिर देख।
फिर मैंने उतर कर अपनी जींस वगैरह सही से बंद की और घर की ओर चल दिए।
करीब दस मिनट में हम अपार्टमेंट पहुँच गए.. वहाँ मैंने गार्ड को गाड़ी पार्क करने के लिए चाभी दी और माया से बोला- आप चलो.. मैं चाभी लेकर आता हूँ।
गार्ड ने कुछ ही देर में गाड़ी पार्क की और चाभी दे कर मुझसे बोला- साहब जी देर बहुत लगा दी आने में?
तो मैंने बोला- हाँ.. वो आंटी के किसी रिश्तेदार के यहाँ पार्टी थी तो इसीलिए।
अब ये तो कह नहीं सकता था कि हॉस्पिटल गया था किसी मरीज़ को देखने क्योंकि हम लोगों के कपड़े साफ़ बता रहे थे कि हम किसी पार्टी या मूवी देखने गए थे।
खैर.. मैंने उससे चाभी ली और कमरे की तरफ चल दिया।
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- jay
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Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली
अन्दर जाते ही पहले मेन गेट को लॉक किया और माया को आवाज़ दी- माया कहाँ हो तुम?
तो बोली- मैं रसोई में हूँ।
तो मैंने बोला- अब वहाँ क्या कर रही हो?
बोली- अरे तेरे साथ-साथ मुझे भी अब चाय का चस्का लग गया है और सर भी भारी-भारी सा लग रहा है.. तो मैंने सोचा चाय पी ली जाए।
मैंने भी बोला- चलो अब इस घर में भी मेरी आदतों को ध्यान में रखने वाला कोई हो गया है।
मैं मन ही मन खुश हो गया.. फिर मैंने सोफे पर रखे बैग से अपना लोअर निकाला और सारे कपड़े उतार कर सिर्फ टी-शर्ट और लोअर में आ गया।
अब मेरे बदन पर मात्र तीन ही कपड़े थे लोअर.. हाफ टी-शर्ट और वी-शेप की चड्डी..
फिर मैंने उससे पूछा- कार की चाभी कहाँ रखनी है?
तो बोली- अरे टीवी के नीचे वाली रैक में डाल दो।
मैंने चाभी रखी और टीवी ऑन करके टीवी देखने बैठ गया।
तभी मेरी माँ का फोन आ गया.. मैंने रिसीव किया तो बोलीं- खाना वगैरह खा लिया?
तो मैंने बोला- हाँ माँ.. बस अभी ही खाया है.. वैसे इतनी रात को क्यों फोन किया?
तो बोलीं- बस ऐसे ही तेरे हाल लेने के लिए।
मैंने बोला- माँ इतनी फिक्र मत किया करो.. मैं यहाँ बिल्कुल अपने घर की तरह से ही रह रहा हूँ।
इतने में माया आ गई और चाय देते हुए बोली- अरे विनोद से बात हो रही है क्या?
तो मैं बोला- नहीं मेरी माँ से..
माया ने बोला- अरे मुझे भी बात करवाओ..
तो मैंने उनको फोन दिया और अब बस माया की ही आवाज़ सुन रहा था।
वो बोल रही थी- अरे भाभी जी, आप बिल्कुल चिंता न करें.. इसे भी घर ही समझें.. पर एक बात बताइए.. क्या ये चाय बहुत पीता है?
फिर शांत हो गई..
अब माँ ने जो भी बोला हो..
फिर माया बोली- अरे कोई नहीं जी.. इसी बहाने मैं भी पी लेती हूँ।
वो झूट ही बोल गई.. मुझे भी चाय पीने का शौक है.. इसलिए पूछा।
फिर कहने लगी- वैसे भी कल से इसे मिस करूँगी.. मेरे बच्चे इतना चाय नहीं पीते.. तो मुझे कोई कंपनी देने वाला नहीं मिलेगा।
उधर से माँ ने कुछ कहा होगा।
‘अच्छा भाभी जी अब हम रखते हैं।’
फिर माया ने फोन जैसे ही कट किया.. तो मैंने उसे बाँहों में भर कर चुम्बन करते हुए बोलने लगा- झूठी.. माँ से झूठ क्यों बोली.. मुझे भी चाय पसंद है?
तो बोली- अरे तो उनसे क्या कहती.. अपने राजाबाबू से सीखी हूँ..
यह कहते हुए उसने आँख मार कर लिपलॉक करके मेरे होंठों को जी भर कर चूसने लगी और मैं भी उसके चूचों को कपड़ों के ऊपर से मसलने लगा.. जिससे उसकी ‘आह्ह्ह्हह्ह’ निकलने लगी और साँसे भी गति पकड़ने लगीं।
वो मुझसे बोली- जान श्ह्ह्ह्ह इतनी तेज़ से न भींचा करो.. दु:खता है..
फिर वो मुझसे अलग हुई तो मैंने लपक कर उसके हाथों को पकड़ा.. तो बोली- रुको.. पहले कपड़े बदल लूँ और विनोद से भी बात कर लूँ.. फिर हम अपनी लीला में मन को रमायेंगे।
तो मैंने भी उसके बालों के क्लचर को खोल दिया और उसके सर को पकड़ कर गर्दन पर चुम्बन करने लगा।
जिससे माया आंटी का पारा चढ़ने लगा और वो ‘श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. बस.. बस्स्स्स्स.. आआह.. रुको भी..यार एक तो पहले ही आग लगी हुई है.. तुम और हवा दे रहे हो.. कपड़े चेंज कर लेने दो.. नहीं तो अगर ख़राब हुए तो रूचि को बहुत जवाब देने पड़ेंगे..’
तो मैंने बोला- ये उसके कपड़े हैं?
बोली- नहीं.. पर मुझे इस तरह की ड्रेस वही दिलाती है.. प्लीज़ अब जाने दो.. बस 5 मिनट और मैं यूँ गई और आई.. तब तक तुम विनोद से हाल-चाल लो ताकि ज्यादा वक्त खराब न हो.. मैं बस अभी आई..
यह कहते हुए मेरे गालों पर चुम्मा लेते हुए चली गई।
मैं मन ही मन बहुत खुश था कि आज मेरी एक अनचाही इच्छा भी पूरी होने वाली है।
तभी फिर मैंने ख्यालों से बाहर आते हुए विनोद को कॉल लगाई तो उधर से रूचि ने फोन उठाया और मेरे बोलने के पहले ही.. वो फ़ोन उठाते ही बोलने लगी- मम्मा आई मिस यू सो मच.. लव यू अभी मैं आपकी ही याद करके फोन मिलाने जा रही थी..
फिर जब वो शांत हुई तो कुछ देर मैं भी नहीं बोला.. तो वो हैलो.. हैलो.. करने लगी।
तो मैंने ‘उम्म्महह उम्म्ह्ह्ह्ह्ह’ करके हल्का सा खांसा.. तो वो समझ गई कि उसने क्या किया..
तो बोली- अरे सॉरी.. मैंने सोचा माँ हैं।
‘हम्म..’
‘और आप भी कुछ नहीं बोले..’
तो मैंने बोला- अरे तुमने तो मौका ही नहीं दिया.. वर्ना मैं भी कुछ बोल देता।
तो बोली- अरे सॉरी मैं तो भूल ही गई थी कि आप भी हो..
मैंने भी उसे छेड़ते हुए हिम्मत करके बोल ही दिया- आज कुछ सुनकर मन बहुत खुश हो गया..
तो बोली- ऐसा मैंने क्या बोल दिया?
मैंने पूछा- चल छोड़.. ये बताओ विनोद कहाँ है?
तो बोली- अरे भाई तो कोच और प्लेटफॉर्म पता करने गए हैं.. पर आप बताओ न मैंने ऐसा क्या बोल दिया.. जिससे आप को ख़ुशी हुई?
तो मैंने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए बोल ही दिया- तुम्हारे मुँह से ‘आई लव यू’ सुनकर..
तो वो बोली- मैंने अपनी माँ के लिए बोला था।
मैंने बोला- होगा माँ के लिए ही सही.. पर तुम्हारे ये शब्द मेरे दिल में घर कर गए.. आई लव यू रूचि..
तो बोली- अरे ये कैसे हो सकता है.. आप मेरे भाई जैसे हो..
और वो या मैं कुछ बोलता कि इधर माया आ गई और उधर विनोद…
फिर मैंने विनोद से ट्रेन की डिटेल पूछी और ‘हैप्पी जर्नी’ बोल कर माया को फोन दे दिया।
फिर माया विनोद से बात करने लगी और इधर मेरे दिल में उसकी बेटी की प्यारी सी फीलिंग ने हलचल सी मचा रखी थी.. चड्डी के अन्दर ही मेरा लौड़ा उसकी जवानी को महसूस करके फड़फड़ाने लगा था.. जिसे माया बहुत गौर से देख कर मुस्कुरा रही थी.. पर उसे क्या मालूम कि ये किसकी जवानी का करेंट है।
फिर माया ने बोला- अच्छा जब ट्रेन में बैठ जाना.. तो फोन करना ओके..
माया ने फोन काट दिया और मेरे पास आकर मेरे सामान को पकड़ते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी।
जैसे उसे मेरे होंठों में शहद का रस मिल रहा हो.. फिर मैं भी उसके होंठों को उसी तरह चूसते हुए अपनी बाँहों में दबोच लिया।
यार कहो चाहे कुछ भी माया में भी एक अजीब सी कशिश थी।
उसका बदन मखमल सा मुलायम और इतना मादक था कि कोई भी बिना पिए ही बहक जाए.. इस समय उसने क्रीम कलर का बहुत ही हल्का और मुलायम सा गाउन पहन रखा था।
उसकी पीठ पर सहलाते समय ऐसा लग रहा था जैसे कि उसने कुछ पहना ही न हो।
उसको मैं अपनी बाँहों में कस कर जकड़ कर जोर-जोर से उसके होंठों का रस चूसने लगा।
उसकी कठोर चूचियाँ मेरे सीने से रगड़ कर साफ़ बयान कर रही थी कि आज वो भी परिंदों की तरह आज़ाद हैं.. इसी मसली-मसला के बीच एक बार फिर से फ़ोन की घंटी बजी।
माया ने विनोद की काल देख कर तुरंत ही फोन रिसीव किया।
शायद वो लोग ट्रेन में बैठ चुके थे। यही बताने के लिए फोन किया था.. पर उसके फ़ोन पर बात करते समय मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसकी जुल्फों को एक तरफ करके.. उसकी गर्दन पर चाटते हुए चूमे जा रहा था.. जिससे माया की आवाज़ में कंपकंपी और आँखें बंद होने लगी थीं।
तभी माया अचानक बोली- अरे क्या हो गया..?
तो मैं भी रुक गया कि पता नहीं क्या हो गया.. उधर विनोद क्या बोल रहा था मुझे नहीं मालूम.. पर तभी माया बोली- मना करती हूँ.. ज्यादा उलटी-सीधी चीज़ न खाया करो.. लेकिन तुम लोग मानते कहाँ हो.. खैर जब रूचि आ जाए.. तो बात कराना..
ये कह कर उसने फोन काट दिया और मेरे पूछने पर माया ने बताया- रूचि को उलटी आने लगी है.. उन लोगों ने चाउमिन खाई थी.. जो कि शायद उसे सूट नहीं की..
मैंने पूछा- अब कैसी है?
तो बोली- अभी वो ट्रेन के वाशरूम में है.. आएगी तो फोन करेगी।
फिर मैंने उसे बोला- अरे कोई बात नहीं.. कभी-कभी हो जाता है.. कोई बड़ी बात नहीं.. इसी बहाने उसका पेट भी साफ़ हो गया।
ये कहते हुए मैंने उसके गले में हाथ डाला और कमरे की ओर चल दिया।
माया मेरी पीठ सहलाते हुए बोली- क्या बात है.. आज बड़े मूड में लग रहे हो?
तो मैंने उसकी गांड दबाते हुए बोला- अरे आज मेरी ये इच्छा जो पूरी होने जा रही है..
तो माया बोली- अरे तेरी इस ख़ुशी के आगे ये तो कुछ भी नहीं है.. मैं तो अब तुम्हें इतना चाहने लगी हूँ कि मैं तेरे लिए कुछ भी कर सकती हूँ.. राहुल आई लव यू सो मच..
फिर मैंने उसके पीछे खड़े होकर उसकी गर्दन आगे की ओर झुकाई और उसकी रेशमी जुल्फों को उसके कंधों के एक तरफ करके आगे की ओर कर दिया और फिर उसके पीछे से ही खड़े होकर गर्दन पर चुम्बन करते हुए अपने हाथों को उसके बाजुओं के अगल-बगल से ले जाकर.. उसके मम्मों को सहलाते हुए रगड़ने लगा।
मेरी इस हरकत से माया के अन्दर अजीब से नशे की लहर दौड़ गई और वो अपनी आँखें बंद करके अपने होंठों को दातों से चबाते हुए मदहोशी में सिसियाते हुए लड़खड़ाती आवाज़ में बोलने लगी- श्ह्ह्ह ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म.. जानू आई लव यू..
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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