एक बार फिर नेवी के गोताखोर आस पास के समंदर छान्ते फिर रहे थे.......लेकिन अगले दिन तक उस पनडुब्बी का कोई सुराग ना मिल सका.
डॉक्टर डावर बेचैनी से इमरान की प्रतीक्षा मे थे.....क्योंकि वो उन्हें घर तक पहुचाने के बाद फिर गायब हो गया था. आख़िर कार वो शाम तक पहुच ही गया. डॉक्टर डावर बिल्कुल बच्चों की तरह खिल उठे. तपाक से उसे अपने से लिपटा लिया. इमरान निराशा भरे ढंग से सर हिला कर बोला...."कुच्छ ना हुआ डॉक्टर.....अब उन मे से किसी का भी सुराग मिलने की संभावना नहीं है."
"उन्हें नर्क मे झोंको....ये बताओ कि वो सात रंग के उपग्रह तुम ने कहाँ और किस तरह देखे थे.....? अफ़सोस कि मैं ना देख सका.........मैं तो रास्ते मे ही............"
"जी हां वो उपग्रहह....वास्तव मे वो उस समय मेरी रेडी मेड बुद्धि के चक्कर लगा रहे थे.....असल मे मैं उस समय आपको बाहर भेजना चाहता था."
"ओह......"
"लेकिन मैं आप से अधिक दूर नहीं था. मैं जानता था कि वो अब आप ही को ले जाना चाहते हैं. क्योंकि इस से पहले भी एक बार उन्होने आपको ले जाने की कोशिश की थी.....याद है आपको उस रात जब हम पहली बार मिले थे.....हान्ं.....तो वो चारो आप को उठा कर साहिल पर ले गये थे.....वहाँ आपको गोताखोरी का ड्रेस पहनाया गया. फिर आपको ले कर पानी मे उतर गये. उनके बाद ही मैं भी उतर गया.
उनकी ड्रेस से फूटने वाली रौशनी मुझे राह दिखाती रही. और मेरे पास जो ड्रेस था उसे मैने कयि दिन तक समझने की कोशिश की थी.......और उसके प्रयोग को अच्छी तरह समझ चुका था. इसलिए मैने उस से रौशनी नहीं निकलने दी. मैं खुद अंधेरे मे था और उनका पिछा करता रहा.......और उनके बाद ही मैं भी उस पनडुब्बी मे घुस गया. ये भी संयोग ही था कि उसके जिस भाग मे हम सब प्रवेश किए थे वो अंधेरे मे था. वरना घुसते ही उन लोगों से दो दो हाथ करना पड़ता. एनीवे.....उसके बाद भी मुझे कोई कठिनाई नहीं हुई. क्योंकि पनडुब्बी मे उन पाचों के अलावा और कोई नहीं था.
आप से उनकी जो बातें हुई थीं वो मैने एक एक शब्द सुना था.जब मैने ये देखा कि आप रिवॉल्वार निकाल लेने के बाद भी उसे यूज़ नहीं कर सके तब मुझे चिंता हुई. उसी 15 मिनट मे मुझे कुच्छ करना था.....जो आपको आखरी फ़ैसले केलिए मिले थे.
उसी समय मुझे वो पिस्टल याद आया जो पानी मे लाल लहरें छोड़ती थी. लेकिन वो पिस्टल भी पानी के बिना बेकार था. मैं पनडुब्बी के दूसरे भाग मे चला गया. ये तो कामन सेन्स की बात थी कि उस पाडुब्बी मे पीने के पानी का स्टॉक कहीं ना कहीं ज़रूर होगा. बस मुझे पानी के टॅंक के पास रब्बर का पाइप भी मिल गया. उसके बाद आपने उस पिस्टल का एक नया इस्तेमाल भी देखा."
"आहाआ.....मैं आज भी उस बात पर चकित हूँ...." डॉक्टर डावर उसके कंधे को सहलाते हुए बोले....."कम से कम मैं तो इतनी जल्दी मे कभी वैसी संभावना तक नहीं पहुच पाता. मैं सच मुच तुम्हारी रेडी मेड खोपड़ी की दाद देता हूँ....इमरान तुम सच मुच ग्रेट हो....मैने तुम्हारे बारे मे जितना सुना था......तुम उस से कहीं अधिक साबित हुए. मगर मुझे ये बताओ.....कि उनका संबंध किस देश से था.....?"
"मेरे फरिश्ते भी नहीं बता सकेंगे. उनका एक आदमी जेम्ज़ फ्लेगर मेरे क़ब्ज़े मे था. लेकिन वो भी नहीं बता सका कि वो किस देश के जासूस थे. अब उसे विधिवत पोलीस के हवाले कर दिया गया है. कुच्छ भी हो डॉक्टर...........लेकिन ये मान'ना पड़ेगा कि वो लोग विकास के दौड़ मे बहुतों से आगे लगते हैं. मगर उन्हें 'विकास चोर' कहना अधिक उचित होगा."
"क्या मतलब?"
"विभिन्न देशों के साइंटिस्ट्स की मेहनत से लाभ उठाना ही उनकी नीति है. पता नही दुनिया के कितने डॉक्टर डावर के साथ उनके शार्ली लगे हुए होंगे. छोड़िए.......मुझे उस देश का नाम मालूम है लेकिन आप उसे दुनिया के नक्शे पर नहीं ढूंड सकते...."
"क्यों.....क्या नाम है?"
"ज़िरोलॅंड...."
"अब तुम मुझे मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हो...."
"मत यकीन कीजिए....." इमरान ने लापरवाही से कहा...."वैसे शार्ली ने उन तीनों आदमियों को बाँधने से पहले कुच्छ कहा था.....जिसमे निश्चित रूप से ज़िरोलॅंड का नाम आया था. हो सकता है कि उसने यही कहा हो कि अब तुम सब ज़िरोलॅंड पर कुर्बान हो जाओ...."
"मगर ये है कहाँ?"
"जहाँ भी हो.....एक ना एक दिन दुनिया पर तबाही ज़रूर लाएगा......अर्रे हाँ....आपने अपनी वो ख़तरनाक खोज को सच मुच नष्ट कर दिया?"
"हां....ये सच है....मगर इमरान मैं चाहता हूँ कि तुम उसे कभी अपने मुँह पर नहीं लाओ........अब उसके बारे मे केवल दो ही आदमी जानते हैं.....मैं और तुम."
"ओह्हो....तो क्या आप उसे अब भी सरकार की जानकारी मे नहीं लाए?"
"नहीं.....फौज तो मैने ये कह कर मंगाई थी कि कुछ विदेशी मेरे रिसर्च सेंटर और बंग्लो से कुच्छ चुराना चाहते हैं. क्या चुराना चाहते हैं.....इसको मैने क्लियर नहीं किया. इसके अलावा मेरी और भी पचासो स्कीम्स गवर्नमेंट की जानकारी मे हैं. वो पदार्थ मैने पानी से प्राप्त किया था और अब पानी का ही हिस्सा बन गया."
"अच्छा अब मैं चला...." इमरान ने कहा. "लेकिन मैं वो सुनहरा स्पंज लिए जा रहा हूँ. इस भाग दौड़ के बदले मे वही मेरी मज़दूरी है.....टाटा."
"अर्रे....रूको.....सुनो तो सही...." लेकिन इमरान जा चुका था.
(समाप्त)
प्यासा समुन्दर --कॉम्प्लीट हिन्दी नॉवल
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Re: प्यासा समुन्दर --कॉम्प्लीट हिन्दी नॉवल
mazedar novel hai
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