लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
Nyc update bhai
- pongapandit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
Superb storytelling Ankit
- Ankit
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- Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
वीना मेरे शरीर की कसावट और सिक्स पॅक देख कर प्रभावित हुए बिना रह ना सकी…
मे जाकर टेबल पर लेट गया…, वो मेरे बगल में खड़ी हो गयी.. और बोली – अब बताइए.. एग्ज़ॅक्ट्ली कहाँ पर होता है पेन… मेने कहा कि मेरे नबल से कोई एक इंच नीचे से शुरू होता है…
उसने मेरी जीन्स का बटन खोलने को कहा.. तो मेने वो भी खोल दिया… अब वो अपनी नरम-2 नाज़ुक पतली-पतली उंगलियों से मेरी नाभि के इर्द-गिर्द हल्के-2, दबा-2 कर देखने लगी…
फिर वो थोड़ा नीचे को जाने लगी.. और जहाँ से झान्ट के बाल शुरू होते हैं.. जो फिलहाल तो सॉफ मैदान था.. लेकिन कुछ दिन पहले ही सॉफ किया था.. तो उनके ठूंठ निकल आए थे…
वहाँ तक वो अपनी उंगलियों से दबाते हुए मेरे चेहरे के एक्सप्रेशन नोट करती जा रही थी.., उसकी उंगलियों के इशारे से मेरी जीन्स की ज़िप काफ़ी नीचे तक खुल चुकी थी…
उसके दबाते ही मे दर्द में होने का नाटक करने लगता… लेकिन जैसे-2 उसकी उंगलियाँ नीचे को बढ़ रही थी… मेरे फ्रेंची में कसाब भी बढ़ता जा रहा था…जिसे उसने भी नोट किया…
वो अपनी उंगलियों का दबाब डालते हुए नीचे की तरफ बढ़ती जा रही थी, और मुझे पुछ भी लेती कि यहाँ दर्द है.. मे कह देता की, हां यहीं.. हां यहीं…
बीच बीच में वो उस जगह को सहला भी देती, ऐसा करते -2 आख़िरकार उसकी उंगलियाँ मेरे लौडे को छु गयीं.. जो काफ़ी कुछ अपने असली रूप में आ चुका था…
जीन्स की जिप तो कभी की नीचे हो चुकी थी, सो डॉक्टर वीना मेरे फ्रेंची में बने तंबू को बड़ी चाहत भरी नज़रों से देख रही थी…
तंबू पर नज़र गढ़ाए हुए ही उसने अपने लिपीसटिक से पुते होंठों पर जीभ की नोक फिराई….
एक बार उसने एक नशीली सी स्माइल करते हुए मेरी तरफ देखा, और अपनी उंगलियों को मेरे फ्रेंची में सरका कर, ऐन लंड की जड़ में दबाब डालते हुए बोली…
क्या यहाँ भी दर्द होता है…?
मेने आअहह भरते हुए कहा.. आअहह…डॉक्टर ज़ोर से नही, प्लीज़ बहुत दर्द है….
लौडे की जड़ पर उसकी मुलायम पतली-पतली उंगलियों के स्पर्श ने उसके लिए किसी टॉनिक का काम कर दिया, और वो फुल मस्ती में खड़ा हो गया…
अंडरवेर के ऊपर से ही उसके आकर को देखकर डॉक्टर. वीना की आँखों में वासना तैरने लगी, जो धीरे-2 उसके सर पर पहुँच रही थी…
स्वतः ही उसका हाथ मेरे लंड की तरफ जाने लगा, और उसने मेरे लंड को अंडरवेर के ऊपर से ही अपनी मुट्ठी में भर लिया और बोली – क्या यहाँ भी दर्द होता है…
मेने नाटक करते हुए अपना एक हाथ झटके से उसके कूल्हे पर मारा और लगभग अपनी जगह से उठते हुए दूसरे हाथ से उसकी बाजू पकड़ कर कराहते हुए बोला…
आअहह…डॉक्टर… यहाँ ज़्यादा होता है….…..
वो मेरी आँखों में देखकर शरारत से मुस्कराते हुए बोली – नॉटी बॉय… !
और उसने अपने दूसरे हाथ को मेरे सीने पर रख कर दबाब डालकर मुझे लेटे रहने का इशारा किया.. और वो मेरे बालों भरे सीने को सहलाने लगी…
मेरा एक हाथ अभी भी पीछे से उसकी मस्त गद्देदार गान्ड पर रखा हुआ था… जो अब धीरे-2 उसे सहलाने भी लगा था…
वीना का धीरे-2 कंट्रोल छूटता जा रहा था.. वो मेरे फ्रेंची को नीचे सरकाने लगी… और आखिकार उसने मेरे लंड को नंगा कर ही लिया…
मेरे साडे 8” लंबे और मस्त सोट जैसे मोटे, और गोरे लंड की सुंदरता देख कर बुद-बुदाने लगी…
आहह… क्या मस्त है ये…
मेने कहा – क्या..?
वो – यही तुम्हारा हथियार…
मे – आपको अच्छा लगा…?
वो – हां ! बहुत…
मे – तो इसे प्यार करिए ना..डॉक्टर ! अच्छी चीज़ को ज़्यादा देर खुला छोड़ना अच्छी बात नही…वरना किसी और की नज़र में आ गया तो……
नॉटी स्माइल देते हुए, उसने अपने नीचे के होंठ को किनारे पर दाँतों से काटा, फिर वो उसके ऊपर झुकने लगी,
छन-प्रतिक्षण मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी, मे नज़र टिकाते उसके चेहरे को ही देख रहा था,
इतने सुंदर और रसीले होंठों को अपने लंड की तरफ बढ़ते हुए देखकर मेरी सारी उत्तेजना सिमट कर लंड में आ गयी…और उसने एक जोरदार झटका मारा…
तभी वीना के होंठ भी वहाँ तक पहुँच चुके थे, सो वो ठुमक कर उसके होंठों पर फिट हो गया…
मुस्काराकार उसने पहले मेरे लंड को चूमा… और फिर उसे मुट्ठी में लेकर आगे-पीछे करने लगी…
मेरे लाल सेब जैसे सुपाडे को देख कर वो बाबली हो गयी और उसने उसे अपने पतले रसीले गुलाबी होंठों में क़ैद कर लिया…
मेने उसकी गान्ड को ज़ोर से मसल दिया… वो मेरी आँखों में देखकर मुस्कराते हुए मेरा लंड चूसने लगी…
मे उठ कर बैठ गया और उसकी 34” की मस्त गोल-गोल मक्खन जैसी मुलायम चुचियों को उसके कसे हुए ब्लाउज और ब्रा से बाहर निकालकर ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा…
कुछ देर वो पूरे मन से मेरा लंड चुस्ती रही…, मेरा हाथ उसकी गान्ड को सहलाते हुए उसकी दरार में भी घूमने लगा…
जब मुझे लगने लगा.. कि इसे अब रोका ना गया.. तो कभी भी मेरा पानी निकल सकता है…, मेने अपने माल को यौंही बर्बाद कभी नही किया था…
सो मेने उसके सर को पकड़ कर अपने लंड से हटाया… वो थोड़ा नाखुशी वाले अंदाज में मेरी तरफ देखने लगी…
मेने उसके होंठ चूमते हुए कहा – बस इतना सा ट्रेलर ही काफ़ी है डॉक्टर अभी के लिए…पूरी फिल्म फिर कभी तसल्ली से देखना…
अभी इसका समय नही है… क्योंकि मुझे ऐसे जल्दबाज़ी में सेक्स करने में मज़ा नही आता..
मे जाकर टेबल पर लेट गया…, वो मेरे बगल में खड़ी हो गयी.. और बोली – अब बताइए.. एग्ज़ॅक्ट्ली कहाँ पर होता है पेन… मेने कहा कि मेरे नबल से कोई एक इंच नीचे से शुरू होता है…
उसने मेरी जीन्स का बटन खोलने को कहा.. तो मेने वो भी खोल दिया… अब वो अपनी नरम-2 नाज़ुक पतली-पतली उंगलियों से मेरी नाभि के इर्द-गिर्द हल्के-2, दबा-2 कर देखने लगी…
फिर वो थोड़ा नीचे को जाने लगी.. और जहाँ से झान्ट के बाल शुरू होते हैं.. जो फिलहाल तो सॉफ मैदान था.. लेकिन कुछ दिन पहले ही सॉफ किया था.. तो उनके ठूंठ निकल आए थे…
वहाँ तक वो अपनी उंगलियों से दबाते हुए मेरे चेहरे के एक्सप्रेशन नोट करती जा रही थी.., उसकी उंगलियों के इशारे से मेरी जीन्स की ज़िप काफ़ी नीचे तक खुल चुकी थी…
उसके दबाते ही मे दर्द में होने का नाटक करने लगता… लेकिन जैसे-2 उसकी उंगलियाँ नीचे को बढ़ रही थी… मेरे फ्रेंची में कसाब भी बढ़ता जा रहा था…जिसे उसने भी नोट किया…
वो अपनी उंगलियों का दबाब डालते हुए नीचे की तरफ बढ़ती जा रही थी, और मुझे पुछ भी लेती कि यहाँ दर्द है.. मे कह देता की, हां यहीं.. हां यहीं…
बीच बीच में वो उस जगह को सहला भी देती, ऐसा करते -2 आख़िरकार उसकी उंगलियाँ मेरे लौडे को छु गयीं.. जो काफ़ी कुछ अपने असली रूप में आ चुका था…
जीन्स की जिप तो कभी की नीचे हो चुकी थी, सो डॉक्टर वीना मेरे फ्रेंची में बने तंबू को बड़ी चाहत भरी नज़रों से देख रही थी…
तंबू पर नज़र गढ़ाए हुए ही उसने अपने लिपीसटिक से पुते होंठों पर जीभ की नोक फिराई….
एक बार उसने एक नशीली सी स्माइल करते हुए मेरी तरफ देखा, और अपनी उंगलियों को मेरे फ्रेंची में सरका कर, ऐन लंड की जड़ में दबाब डालते हुए बोली…
क्या यहाँ भी दर्द होता है…?
मेने आअहह भरते हुए कहा.. आअहह…डॉक्टर ज़ोर से नही, प्लीज़ बहुत दर्द है….
लौडे की जड़ पर उसकी मुलायम पतली-पतली उंगलियों के स्पर्श ने उसके लिए किसी टॉनिक का काम कर दिया, और वो फुल मस्ती में खड़ा हो गया…
अंडरवेर के ऊपर से ही उसके आकर को देखकर डॉक्टर. वीना की आँखों में वासना तैरने लगी, जो धीरे-2 उसके सर पर पहुँच रही थी…
स्वतः ही उसका हाथ मेरे लंड की तरफ जाने लगा, और उसने मेरे लंड को अंडरवेर के ऊपर से ही अपनी मुट्ठी में भर लिया और बोली – क्या यहाँ भी दर्द होता है…
मेने नाटक करते हुए अपना एक हाथ झटके से उसके कूल्हे पर मारा और लगभग अपनी जगह से उठते हुए दूसरे हाथ से उसकी बाजू पकड़ कर कराहते हुए बोला…
आअहह…डॉक्टर… यहाँ ज़्यादा होता है….…..
वो मेरी आँखों में देखकर शरारत से मुस्कराते हुए बोली – नॉटी बॉय… !
और उसने अपने दूसरे हाथ को मेरे सीने पर रख कर दबाब डालकर मुझे लेटे रहने का इशारा किया.. और वो मेरे बालों भरे सीने को सहलाने लगी…
मेरा एक हाथ अभी भी पीछे से उसकी मस्त गद्देदार गान्ड पर रखा हुआ था… जो अब धीरे-2 उसे सहलाने भी लगा था…
वीना का धीरे-2 कंट्रोल छूटता जा रहा था.. वो मेरे फ्रेंची को नीचे सरकाने लगी… और आखिकार उसने मेरे लंड को नंगा कर ही लिया…
मेरे साडे 8” लंबे और मस्त सोट जैसे मोटे, और गोरे लंड की सुंदरता देख कर बुद-बुदाने लगी…
आहह… क्या मस्त है ये…
मेने कहा – क्या..?
वो – यही तुम्हारा हथियार…
मे – आपको अच्छा लगा…?
वो – हां ! बहुत…
मे – तो इसे प्यार करिए ना..डॉक्टर ! अच्छी चीज़ को ज़्यादा देर खुला छोड़ना अच्छी बात नही…वरना किसी और की नज़र में आ गया तो……
नॉटी स्माइल देते हुए, उसने अपने नीचे के होंठ को किनारे पर दाँतों से काटा, फिर वो उसके ऊपर झुकने लगी,
छन-प्रतिक्षण मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी, मे नज़र टिकाते उसके चेहरे को ही देख रहा था,
इतने सुंदर और रसीले होंठों को अपने लंड की तरफ बढ़ते हुए देखकर मेरी सारी उत्तेजना सिमट कर लंड में आ गयी…और उसने एक जोरदार झटका मारा…
तभी वीना के होंठ भी वहाँ तक पहुँच चुके थे, सो वो ठुमक कर उसके होंठों पर फिट हो गया…
मुस्काराकार उसने पहले मेरे लंड को चूमा… और फिर उसे मुट्ठी में लेकर आगे-पीछे करने लगी…
मेरे लाल सेब जैसे सुपाडे को देख कर वो बाबली हो गयी और उसने उसे अपने पतले रसीले गुलाबी होंठों में क़ैद कर लिया…
मेने उसकी गान्ड को ज़ोर से मसल दिया… वो मेरी आँखों में देखकर मुस्कराते हुए मेरा लंड चूसने लगी…
मे उठ कर बैठ गया और उसकी 34” की मस्त गोल-गोल मक्खन जैसी मुलायम चुचियों को उसके कसे हुए ब्लाउज और ब्रा से बाहर निकालकर ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा…
कुछ देर वो पूरे मन से मेरा लंड चुस्ती रही…, मेरा हाथ उसकी गान्ड को सहलाते हुए उसकी दरार में भी घूमने लगा…
जब मुझे लगने लगा.. कि इसे अब रोका ना गया.. तो कभी भी मेरा पानी निकल सकता है…, मेने अपने माल को यौंही बर्बाद कभी नही किया था…
सो मेने उसके सर को पकड़ कर अपने लंड से हटाया… वो थोड़ा नाखुशी वाले अंदाज में मेरी तरफ देखने लगी…
मेने उसके होंठ चूमते हुए कहा – बस इतना सा ट्रेलर ही काफ़ी है डॉक्टर अभी के लिए…पूरी फिल्म फिर कभी तसल्ली से देखना…
अभी इसका समय नही है… क्योंकि मुझे ऐसे जल्दबाज़ी में सेक्स करने में मज़ा नही आता..
- Kamini
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
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