मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचरcomplete

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Kamini
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Re: मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

Post by Kamini »

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pongapandit
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Re: मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

Post by pongapandit »

थॅंक्स मित्रो
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pongapandit
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Re: मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

Post by pongapandit »

भाई और मैंने लास्ट तब सेक्स किया था जिस दिन मोम से झगड़ा हुआ था और हमने डिसाइड किया था की हम ये बंद कर देंगे। अगले दिन मार्निंग में, हमने सोचा आज पूरा दिन आराम करेंगे, 10:00 बजे मोम और मैं मस्ती कर रही थीं, मोम ने मेरे कपड़े वाटर स्प्रे से गीले कर दिए तो मैं भी एक स्प्रे पानी से भर के मोम के पीछे भागी।

फिर मोम बेशर्म होकर नंगी हो गई और कहा- “अब जितना गीला करना है कर…” और मुझसे बचते हुए मुझे पकड़ लिया और मेरी क्लिट को मरोड़ दिया।

मैं मोम से बचने के लिए अपने रूम की तरफ भागी। मोम ने मेरी कमर पकड़ ली और खुद के साथ मुझे भी गिरा दिया। मैं मोम को रोक रही थी की वो मेरे बदन को कवर करने वाले लास्ट कपड़े यानी टी-शर्ट को ना उतारें। मैंने मोम को धक्का दिया, मैं नंगी अपने रूम में भागी और मोम भी नंगी मेरे पीछे-पीछे आई।

मैं रुक गई और मोम को गुदगुदी करने लगी, तो मोम मुझसे बचने के लिए एक्सर्साइज रूम का दरवाजा पकड़कर मुझसे बचने लगीं। मैं पूरी ताकत से दरवाजा खोल रही थी और मोम हँसती हुई दरवाजा बंद करने की कोशिश की। तभी मुख्य दरवाजा पे बेल बाजी।

डोरबेल बजी थी, यानी भाई तो नहीं था, कोई कोरियर वाला या ऐसा ही कोई आया होगा, क्योंकी हमारे गेस्ट आल्वेज काल करके ही आते हैं। मैंने मोम को जाने को कहा। मोम जब निकली तो मैंने एक गाण्ड पे जमा दी, मोम ने शाक से मुझे देखा फिर कहा की हमारा खेल खत्म नहीं हुआ और वो वापस आकर इसका बदला लेंगी, मैंने उनको बाइ बाइ का इशारा किया। फिर मोम जल्दी से नीचे गई और मैं अपने रूम में। मोम के कुछ पहन लेने तक डोरबेल बजती रही।

15 मिनट बाद मोम ने; शायद, मुझे चैलेंज करने के लिए; बुलाया तो मैं नंगी ही नीचे गई। तब मैंने देखा की अब्दुल आया हुआ था और मोम उससे बात कर रही थी, जिन्होंने येल्लो कलर की सम्मर ड्रेस पहन ली थी।

अब्दुल ने मुझे देखकर हैरान हुआ, नंगी देखकर नहीं, और कहा- “अरे तू यहां कैसे?”

मैंने बस कंधे उचका के उसको आँख मार दी।

फिर अब्दुल ने मोम से आगे कहा- “अच्छा तो तुम तैयार हो लो चलने के लिए। भाई ने बोला, दो होंगी तो ठीक ही रहेगा पर मैं बोल देगा की दूसरी थी नहीं…”

मैंने उसकी बात का मतलब समझने के लिए मोम की तरफ देखकर पूछा- “कहां पे चलना है?”

अब्दुल- “फार्महाउस पे…”

मैं- “अरे यार, कल ही तो इतने सारे लोगों को हम पे छोड़ दिया थे और… …”

मोम ने मेरी बात काटते हुए कहा- “बात क्या है? कोई अकरम की खास पार्टी है आई है क्या?” मोम ने ऐसे कहा जैसे वो समझ गई हों।

और अब्दुल भी मोम की बात पे हाँ में सिर हिलता हुआ सोफे पे बैठ गया।

मोम- “अरे वो फालतू का टाइम पास है, भाई को बड़ा फायदा होगा इसीलिए तुमको (मेरी तरफ हाथ करके) बुलाने को बोला…”

अब्दुल- “एक मोटा सा आदमी ही है, वैसे भी उससे कुछ होगा भी नहीं, खाली बोलता ही रहेगा बस और वो बहुत ही पकाऊ बातें करता है इसलिए उसको सुनना भी पड़ेगा अलग, और उसके लिए (मुझे स्माइल करते हुए देख) तू तो भाग जाएगी मुझे पता है…”

मैं- “अच्छा?”

अब्दुल- “और नहीं तो क्या? तू चिढ़ती नहीं है क्या तोंद वालों को देखकर…” उसने ऐसे कहा जैसे मुझे जानता हो, मेरा मतलब वो सही कह रहा था।

मोम के बेडरूम में हम चले गये, मैं बेड पर लेट गई, पूरे कपड़े पहने हुये अब्दुल मेरे टिट्स को देखते हुए पास में बैठ गया। मोम ने सम्मर ड्रेस उतार दी जिसके नीचे उन्होंने कुछ नहीं पहना था, नंगी मोम अब्दुल से बातें कर रही थी और साथ ही अपनी चुदाई के लिए तैयार हो रही थी। मोम बट-प्लग को अपनी गाण्ड में डालकर कपबोर्ड से कुछ ढूँढ़ने लगी।

असल में अब्दुल उन टाइप के लोगों में था जो नंगी फ़रतों को देखकर फुदकते नहीं थे। वो हम दोनों को कई बार चुदते देख चुका था, मुझे तो एक-दो बार अकरम के फायदे के लिए पिंप की तरह ले भी जा चुका था, और साथ ही वो हेल्पफुल भी था। उसके इसी नेचर की वजह से मैं उसका आदर करती थी।

मैंने ऐसे ही बातें करने के लिए अब्दुल से पूछा- “अकरम ने अभी कितनी लड़कियों को काम पे लगा रखा है? क्या कभी उनको हमारे जैसे इश्तेमाल नहीं करता?

अब्दुल बोला- “ऐसा नःीं है, इंतेजाम करने में तो दस लौंडियों को खड़ा कर सकते हैं, तुम लोग क्या है कि, हाई क्लास टाइप की हो ना? अँगरेजी भी बोल लेती हो, 3 हैं जो थोड़ी बहुत तुम लोगों के जैसी हैं, बाकी…” फिर थोड़ा रुक के बोला- “हाँ… एक लड़की थी पहले, मेहर, जिसको तेरे बरोबार मान सकते हैं, लेकिन अब उससे धंधा नहीं करा सकते। तुमको याद है ना वो शेख लोग? जब तुम नई-नई थी और वो तुम दोनों को पहली बार एक साथ में भेजा था, (मैंने हाँ में सिर हिलाया) हाँ तो वो ले गये थे उसको महीने भर के लिए, वो तो उसको खरीदना भी चाहते थे…”

मेरे होश उड़ गये ये सुनकर- “क्या?”

अब्दुल बोला- “अकरम का बड़ा भाई होता ना उस टाइम, तो बेच ही देता, लेकिन भाई का दिल आ गया था उस पे, इसलिए बात घुमा फिरा के टाल दिया, और जाकर ले आया वापिस…”

मैंने पूछा- “अब वो लड़की किधर है?”

अब्दुल बोला- “वो अब भाई के घर ही रहती है…”

मैं- “क्या शादी कर ली अकरम ने फिर उससे?”

अब्दुल हाथ घुमाकर बोला- “नहीं रे, भाई कभी फिर से शादी नहीं करेगा, वो तो रखैल है, भाई ने अपने यहां सब टिप टाप सामान रख रखा है, ताकी उसको कोई परेशानी ना हो। ये राखी भी वहां पे रह चुकी है, कितने टाइम रही थी?” उसने मोम से पूछा।

मोम- “याद नहीं सही से…” मोम ने जवाब दिया, वो बाथरूम में टायलेट सीट पे बैठी हुई थी- “लेकिन ये याद है की तूने खूब मजे किए थे…”

मैंने अब्दुल को कहा- “तुम में तो बड़ी हिम्मत है, अपने बास की पर्सनल सेक्स स्लेव को चोद दिया…”

मोम ने कहा- “अब्दुल ऐसा नहीं है, वही अकरम की गैर-मौजूदगी का फायदा उठती है और मजे से रहती है…”

अब्दुल हँस पड़ा- “हाँ… अजीब बात है, भाई को कभी पता ही नहीं चला इस बात का…”
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pongapandit
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Re: मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

Post by pongapandit »

मोम स्माइल करती बोली- “वो तो पहले दिन ही चला गया था, और तू साला उसके पीछे-पीछे उसकी रखेल की मारने में लग गया…”

अब्दुल- “मैंने कहां उस मेहर को पकड़ा था, मैं तो सिर्फ तुमको एक बार चोदना चाहता था, फिर उसने ही हम दोनों को देख लिया…” मैंने अब्दुल की पैंट में हरकत होते देखी। अब्दुल ने अपनी हसीन याद ताजा करते हुए बताया की उसने कैसे मोम और उस मेहर की 4-5 बार बजाई थी।

मोम ने चुगली करने वाली टोन में बताया- “मेहर मोम से छुपकर अब्दुल के अलावा एक और बंदे से चुदती थी…”

अब्दुल ने कहा की उसको पता है क्योंकी उसने उस लड़के की धुनाई भी कर दी थी।

मोम ने पूछा- “क्या वो अब भी अकरम के पीछे-पीछे गुलछर्रे उड़ाती है? क्योंकी उसको देखकर मुझे नहीं लगता की वो अकरम से संतुष्ट होती थी…”

अकरम- “तुम सही बोल रही हो। हाँ अब ऐसा वो नहीं करती, नहीं अब नहीं। अब तो कैमरे-वैमरे लगा दिए हैं हर जगह, और दूसरी बात भी है कि वो अब पहले जैसी नहीं है, वो खुद को अकरम की बीवी मानती है, टाइम भी कितना हो गया है उसको भाई के साथ रहते, अकरम भाई भी अब तो अपने बड़े भाई सलमान को भी नहीं छूने देता है…”

मैंने अब्दुल से पूछा- “तुझे कैसे पता?”

अब्दुल सुनते टाइम अपने लण्ड को थोड़ा मसल दिया जैसे उसको खुजली हो रही हो- “मेहर ने ही मुझे बताया…”

मोम ने उसको छेड़ते हुए पूछा- “ओहो उसने बताया, कब? तेरी गोदी में भैठकर?”

अब्दुल शर्मा गया।

फिर मोम ने बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया, थोड़ी देर बाद मोम वापस बाथरूम से अपनी गाण्ड तौलिया से पोंछती हुई आई और कपबोर्ड खोलकर ड्रेसेस देखने लगी। अब्दुल की आँखें हसरत से मोम की गाण्ड को देख रही थीं, लेकिन वो खुद पे पूरा कंट्रोल किए हुए बैठ रहा।

मैंने नोटिस किया की अब्दुल, मोम को जो अकरम की एक्स-गर्लफ्रेंड या रखैल जो भी थी उस टाइम भी वो उनको पसंद करता था। मोम ने बताया था की वो अब्दुल से चुदा चुकी है, अब्दुल जो हमेशा वेल बिहेव्ड और नंगी रंडियों के सामने एकदम शांत रहता था, उसने भी एक बार मुझे और मोम को एक साथ चोदा था।

ये सोचते ही मेरा हाथ अपने आप मेरे पास बैठे अब्दुल के लण्ड पे चला गया। अब्दुल ने मुझे देखा, पर कहा कुछ नहीं। मैंने अब्दुल के कान में धीरे से कहा- “तू राखी को चोदना चाहता है, है ना?”

मोम ने मेरी फुसफुसाहट को सुनकर हमें देखा, अब्दुल ने केयरलेसली ना में सिर हिला दिया।

मैंने कहा- “शर्मा क्यों रहा है?”

अब्दुल थोड़ा सख्त हो गया था जैसे उसको ऐसा काम करना पसंद नहीं है, और इधर हम दोनों इतनी देर से उसके सामने नंगी बैठी थीं, जैसे की ये नार्मल बात है। हाँ ये नार्मल हो गया था हमारे अकरम के क्लब में इतने सारे लोगों के सामने चुदने और उसके बाद नंगी रहने से। मुझे ये ख्याल आते ही मेरे दिमाग ने मुझसे कहा- “मुझे लास्ट टाइम शर्म कब आई थी?”

मैंने बेशर्मी से अब्दुल का लण्ड बाहर निकाल लिया, जो कब से अपनी अंडरवेर को गीला कर रहा था।

फिर अकरम का काल अब्दुल को आया, अकरम ने कहा की फार्महाउस 1-2 बजे पहुँच जाना, उनको टाइम लगेगा। काल कट होने के बाद अब्दुल बोला- “वो मोटा ही टाइम खराब कर रहा होगा, अभी तो 11:00 भी नहीं बजे हैं…”

मोम कपबोर्ड बंद करके मुड़ी और मुझे अब्दुल के लण्ड को चेक करते हुए देखने लगी।

मैं- “फिर तो राखी, तुम बैठ जाओ, बहुत टाइम पड़ा है…”

मेरा हाथ अब भी अब्दुल के लण्ड को पकड़े था, मैंने अपनी चुदक्कड़ लाइफ में हर टाइप के; आफ्रिकन को छोड़कर; लण्ड देखे और लिए थे, लेकिन आज तक अब्दुल से लंबा लण्ड नहीं देखा था।

मोम- “तू क्या कर रही है?”

मैं- “मैंने कुछ नहीं किया, ये तो तुझे देखकर चिल्ला रहा था कि ‘मुझे बाहर निकालो, मुझे बाहर निकालो’ और मैंने निकाल लिया, ये है कितना लंबा?” फिर अब्दुल से कहा- “पता है कितने इस तरह के लण्ड खुद के ना होने पे रोते हैं?”

अब्दुल बोला- “पागल है, मैंने कई चूत मारी है, उनमें भी कई तो मेरा पूरा ले नहीं पाती, दर्द से चिल्ला पड़ती हैं, किसी-किसी की चूत छोटी होती है, इधर मेरी खुद अपनी औरत को पूरा नहीं डाल पाता, उसकी भी चूत छोटी है…”

मुझे खयाल आया की वो भी किसी ऐसे पे मरती होगी जिसका लण्ड वो ले सके। मुझे याद आया की अब्दुल ने अपना लण्ड पूरा मेरी चूत में डाला था, डाक्टर शोभा ने भी कहा था की मेरी चूत भी मोम के जैसी है। हम उसके लण्ड को हाथ में लिए बातें कर रही थी, हम उसको सहलाती रही और खेलती रही, चूमती रही। उसका लण्ड एकदम हार्ड करके नापा भी, वो 8½” इंच से थोड़ा सा लंबा था।

हम दोनों आराम से ब्लो-जाब देती हुई अब्दुल से बातें करती रही। अब्दुल अकरम के बेरहम क्लब और उससे मिले होर वाली जिंदगी से एक अच्छी पाजिटिव वाली चीज थी, इसीलिए हम अपने घर में उसको स्पेशल गेस्ट का दर्जा दे रही थी।

35-40 साल की उम्र का नार्मल चेहरा और फिगर वाला अब्दुल, जिसका बालों वाला बदन मजबूत था, उसके बड़ी घनी झांटों की खेती बरसों से नहीं हुई थी, अच्छा था की लंबा लण्ड था उसका जिसको चूसते टाइम बालों से प्राब्लम नहीं हो रही थी।

अब्दुल कुछ सोचते हुए बोला- “एक बात मुझे समझ में नहीं आई, मोनिका, तुम राखी के घर पे ही रहती हो? मेरा मतलब खाली तुझे ही लेने आना होता है तो तू हुमेशा यही पे मुझे बुलाती है…”

मैंने और मोम ने एक दूसरे को देखा, क्या अब्दुल को पता नहीं था की हम माँ बेटी हैं?

शायद अकरम ने हमारे राज को अपने किसी भी आदमी को नहीं बताया था। मैंने कहा- “हाँ… मैं मोस्टली यहीं रहती हूँ…”

अब्दुल- “वो क्यों?”

मोम- “जैसे मेहर अकरम की रखेल है, वैसे ही ये मोनिका मेरी रखेल है…”

मैंने अपने हाथ में अब्दुल के लण्ड को हिलते महसूस किया जैसे ये सुनकर उसको मजा आ गया हो। मैंने अब्दुल को सेक्सी आवाज में कहा- “ये सच है, मैं राखी की गर्लफ्रेंड हूँ…”

अब्दुल- “ओ तेरी, क्या बात कर रही हो?”

हमने अब्दुल को स्पेशल डेमो देना शुरू किया, और इसमें ज्यादा देर भी नहीं लगी। जल्द ही उसका लंबा सा लण्ड मोम की गाण्ड में था जिसको वो कब से निहार रहा था। मेरी चूत मोम चाटती और साथ में मोन करती जा रही थी।

अब्दुल ने अपना लण्ड मोम की गाण्ड से निकाल लिया तब मोम की गाण्ड खुली थी और मुझे बड़े सेक्सी तरीके से वो छेद चाटने का आर्डर दिया। मैं बड़े चाव से अपनी मिस्ट्रेस की खुली गाण्ड को चूमने लगी, साथ ही उस लण्ड को भी जिसने बट-प्लग के बाद उसको और खोल दिया था।

मैंने अपनी गाण्ड ऊँची करके उसके लण्ड के सामने रख दी- “आह्ह… नहीं गाण्ड में नहीं, चूत में अइस्स्स… ओह्ह… फक्क योर काक फील्स सो गुड इनसाइड मी, कम ओन अब्दुल फक माइ पुस्सी, हार्डर। फक मी हार्डर अब्दुल…” फिर मैं मोनिंग करती हुई मोम की क्लिट पे जीभ फेरती रही, पर मुँह एक जगह टिक नहीं पा रहा था क्योंकी पीछे से अब्दुल जोर-जोर से धक्के मारता मेरी चूत फाड़ने में लगा हुआ था।
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