मैने चिंटू से उस खोली का खाका लिया, और अपना प्लान समझाया, मे और धनंजय खोली के पीछे से जाके छिप जाएँगे, हमारे साथ मोनू होगा, वो पीछे से अशरफ को आवाज़ देगा.
अशरफ जब पीछे की ओर आएगा तो दूर से ही ये जानने की कोशिश करेगा कि वो फिर से यहाँ क्यों आया है, और पीछे से क्यों?
मोनू उसको बोलेगा, कि माल कम पड़ गया, हम चार लोग थे इसलिए, और कुछ देर पहले पोलीस जीप को खड़ा देखा, इसकी वजह से कोई देख ना ले पीछे से आना पड़ा, समझ गये मोनू भाई.
मोनू ने हां में गर्दन हिलाई..
मैने कहा यार एक बोरी जैसा कुछ होता तो काम बन जाता, मेरे बोलते ही नॅचुरली सबने इधा-उधर नज़र दौड़ाई, थोड़ी दूर पे कबाड़ सा पड़ा था, उसमें एक फटा सा गंदा सा लेकिन काफ़ी लंबा-चौड़ा प्लास्टिक का बोरा सा मिल गया, जो शायद कोई कबाड़ इकट्ठा करने वाला फटा होने की वजह से फेंक गया होगा कचरे के साथ.
मैने उसे देखा और कहा चलेगा, अपना काम चल जाएगा इससे. हम दोनो मोनू को साथ लेके खोली के पिच्छवाड़े जाके छिप गये.
प्लान के मुतविक मोनू ने उसे आवाज़ दी, ठीक सब कुछ वैसे ही हुआ, जो मैने सोचा था.
जैसे ही अशरफ माल लेके मोनू के पास आया, मे चुप-चाप उसके पीछे से निकल कर उसके मुँह पे एक हाथ से ढक्कन लगा दिया और दूसरे हाथ से उसके कान के पीछे एक केरट मारी और वो मेरे हाथों में झूल गया.
धनंजय बोरे का मुँह खोल.. जल्दी.., अशरफ के बेहोश शरीर को फटाफट उसमें डाला, मुँह बाँध किया और डाल लिया उसे अपनी पीठ पर, जैसे पल्लेदार बोरा ढोते हैं..
लाकर पटका एक बाइक की सीट पर खुद उसे पकड़ के बैठ गया, धनंजय ड्राइविंग सीट पे, बीच में बोरा. फटाफट बाइक स्टार्ट की और चल दिए अपने हॉस्टिल की तरफ.
कपिल के साथ मोनू, और मोहन की बाइक पर चिंटू बैठा था, चूँकि हमारा हॉस्टिल जस्ट ऑपोसिट साइड में था, हमने सिटी के बाहर का रास्ता चुना, जिससे सिटी की स्ट्रीट लाइट मे बोरा देख कर किसी को शक़ ना हो.
हॉस्टिल से 1किमी पहले बाइक्स रोकी और कपिल को अपने पास बुलाया,
मे- कपिल तुम दोनो बाइक लेके जाओ हॉस्टिल और हम अपने ठिकाने पे चलते हैं, मोनू-चिंटू कुछ पुच्छे तो गोल-मोल जबाब देके समझा देना.
कपिल- कोन्से ठिकाने पे, ..?
मे- वो तुम जगेश और ऋषभ के साथ आना, उन्हें पता है..
और हां मेरे ड्रॉयर में एक टूल बॉक्स है, उसमें से मेटल कटर (कैंची जैसा) है वो, एक टॉर्च और एक बोटेल पानी लेके वहीं आना फटाफट, अब जल्दी जाओ.
वो चारों जब निकल गये, उसके बाद बाइक स्टार्ट की और चल दिए जंगल की ओर, कच्चे उबड़ खाबड़ रास्ते से होते हुए, धीरे-2 हम पहुँच गये अपने गुप्त अड्डे पर.
हमारे हॉस्टिल के पीछे से ही जंगल जैसा शुरू हो जाता है, जिसे में पहले ही डिस्क्राइब कर चुका हूँ,
उसी जंगल में तकरीबन एक-डेढ़ किमी अंदर जाके कोई बहुत पुरानी इमारत जो अब एकदम जर्जर खंडहर में तब्दील हो चुकी थी, उसकी एक भी दीवार या छत सही सलामत नही बची थी,
एक दिन हम चारों रूम मेट ऐसे ही भटकते हुए, इधर निकल आए थे, उत्सुकतावस हमने उसको थोड़ा बारीकी से चारों ओर अंदर-बाहर सब जगह घूम फिर के देखा, उसके सबसे पिछले हिस्से में कोई बहुत बड़े एरिया मे शायद कोई असेंब्ली ग्राउंड रहा होगा, उसके एक साइड की दीवार से हमें एक होल जैसा दिखाई दिया, जो नीचे ज़मीन की ओर जा रहा था.
हमने जब और वहाँ से पत्थर वग़ैरह हटाए, तो हमारी आखें खुली की खुली रह गयी, ये कोई 5 फीट चौड़ा रास्ता जैसा था, जिसके आगे नीचे को जाती हुई सीडीयाँ नज़र आई.
“आथतो घुमक्कड़ जिगसा” वाली बात, सीडीयाँ उतरते गये हम चारों, तो कोई 15-20 फीट नीचे जाके हम एक हॉल नुमा कमरे में थे, तमाम धूल, मकड़ी के जालों से अटा पड़ा था वहाँ,
सीडीयों के जस्ट सामने की दीवार में एक और गेट था, जो अब सिर्फ़ पत्थर के फ्रेम में रह चुका था, किवाड़ उसके टूट-टूटकर लटक रहे थे.
जब हम उस गेट में घुसे तो ये एक सुरंग जैसी थी, जो लगभग 10 फीट चौड़ी और कोई इतनी ही उँची होती. जिग्यासा वस हम सुराग के रास्ते चलते गये… करीब 500-600 मीटर चलने के बाद सुरंग ख़तम हुई, उसके दूसरे छोर पर भी एक दरवाजा जैसा ही था जो पत्थरों द्वारा बंद किया गया था.
पत्थरों को हटाने के बाद हम जब बाहर निकले, वाउ !! ये तो कोई पुरानी नदी रही होगी, जो अब सिर्फ़ रास्ता जैसा रह गया था, और चारों ओर घने जंगल थे.
हमने यही जगह चुनी थी अपने शिकार को रखने के लिए.
अशरफ को हमने वहीं खंडहर में बाहर ही पटक दिया, और वेट करने लगे अपने दोस्तों का.
धनंजय- इसका क्या करने वाला है तू अरुण ..?
मे- आचार डालेंगे साले का और क्या करेंगे…
धनंजय- मज़ाक नही यार…! बताना क्या करने वाला है तू इसके साथ…?
मे- धन्नु..! तेरे अंदर ये बहुत ग़लत आदत है यार…!
धनंजय- क्या…,
मे- तू हर बात में यही क्यों बोलता कि अब तू क्या करेगा, तू ये कैसे करेगा..वगैरह-2.. अरे भाई ये मेरा अकेले का काम थोड़ी ना है, जो मे ही करूँगा.
धनंजय – ओह्ह.. सॉरी यार… बता ना अब हम क्या करने वाले हैं इसके साथ..?
मे- ये हमें इस रास्ते पर आगे बढ़ने मे मदद करेगा..
धनंजय- वो कैसे… ??
मे- देखता जा…!
तब तक कपिल के साथ जगेश और ऋषभ भी आ गये, टॉर्च के ज़रिए, हम अशरफ को लेके नीचे हॉल में पहुँचे.
अशरफ अभी तक बेहोश था, हमने उसे एक खंबे के सहारे बिठाया और उसके हाथ खंबे के दोनो ओर से पीछे लाकर आपस में बाँध दिए, टाँगों को आगे लंबा करके आपस में बाँध दिया.
ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete
- jay
- Super member
- Posts: 9115
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
- Contact:
Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
Read my other stories
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
- jay
- Super member
- Posts: 9115
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
- Contact:
Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
बोटेल से पानी लेके उसके मुँह पर मारा, थोड़ी देर में उसे होश आ गया, उसने हाथ पैर हिलाने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नही मिली, फिर उसने हम लोगों को ध्यान से देखा, और बोला-
कॉन हो तुम लोग ? और मुझे यहाँ क्यों लाए हो..? क्या चाहते हो मुझसे..?
मे- अरे! अरे! अशरफ मियाँ…. सांस तो लो यार !, हमें तुम अपना दोस्त ही समझो, बसरते हमारे कुछ सवाल हैं उनका सही-2 जबाब दो तो.
असरफ़- क्या जानना चाहते हो मुझसे…??
मे- ये जो तुम ड्रग का धंधा करते हो वो कहाँ से आता है ? मेरा मतलब तुम तो पैदा करते नही होगे तो तुम्हारे पास भी तो कहीं से आता ही होगा ना..
अशरफ- क्या करोगे जान कर..?
मे- हम भी सोच रहे है, यही धंधा करने का.. अच्छी-ख़ासी कमाई होती होगी इसमें क्यों..?
अशरफ- तो इसके लिए मुझे उठाने की क्या ज़रूरत थी..?
मे- हमने सोचा एकांत में बैठ कर शांति से अच्छी बातें हो जाएँगी इसलिए तुम्हें यहाँ ले आए, अब हमारे दिमाग़ मे तो यही तरीका आया सो कर लिया.
अशरफ- तो यहाँ बाँध के क्यों रखा है, दोस्तों के साथ ऐसा वार्तब किया जाता है ?
मे- अरे वो तो बस ऐसे ही, हमने सोचा पता नही तुम हमें देखते ही भड़क ना जाओ, और कुछ उल्टा पुल्टा हो गया तो, बस इसलिए…! वैसे अभी तक बताया नही तुमने कहाँ से माल आता है तुम्हारे पास..
अशरफ – मुझे तुम लोगों की बात का भरोसा नही है, और वैसे भी मे तो यहाँ का बहुत छोटा सा डीलर हूँ, तो बस ऐसे ही इधर-उधर से इंतेजाम हो जाता है.
मे- लेकिन तुमने मोनू को तो बताया था, कि तुम्हारे पास बहुत बड़ा स्टॉक है, जितना चाहिए मिलेगा..!
अशरफ- वो तो बस ऐसे ही ग्राहक बनाने की ट्रिक होती है..
मे- तो इसका मतलब तुम नही बताओगे..! हमने सोचा कि यारी दोस्ती से काम निकल आए तो अच्छा है, लेकिन अब लगता है कि सीधी उंगली से गीयी नही निकलेगा.
अशरफ- क्या करना चाहते हो..? देखो मे तुम लोगों को बताए देता हूँ, आग में हाथ मत डालो,वरना जल जाओगे. तुम लोग पढ़ने लिखने वाले बच्चे लगते हो तो अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, इन सब झमेलों में मत पडो वरना….?
मे- वरना क्या..?? वोही तो जानना चाहते हैं कि वरना है कॉन ? और रही बात पढ़ने की तो वो तुम लोग वो करने ही नही दे रहे हो, ड्रग्स की लत जो लगा दी है हम स्टूडेंट्स को.
अशरफ- म.म्म..में कुछ नही जानता, देखो म..मुझे छोड़ दो, मे वादा करता हूँ ये सब धंधे छोड़ दूँगा..अब.
मे- अरे वाह फिर तो बड़ी अच्छी बात है, हम भी तो यही चाहते हैं, तुम भी छोड़ दो और दूसरे लोगों के नाम बता दो तो उनसे भी छुड़वा देते हैं.
अशरफ- में किसी और के बारे में कुछ नही जानता..?
मे- पक्का ! नही जानते..? धन्नु, वो कटर तो देना ज़रा…! धनंजय ने कटर निकाल के दिया.,. कटर हाथ में लेकर उसको 2-3 बार कैंची की तरह उसकी आँखों के सामने चलाया और मैने उसके पैर की एक उंगली पकड़ ली और उसकी आँखों में देखते हुए कहा…!
अशरफ मियाँ, जानते हो ये क्या है ? इससे लोहे की शीट भी ऐसे कट जाती है जैसे दर्जी कपड़ा काटता है. अब एक सवाल और उसका जबाब ! ना मिलने पर एक उंगली.
अशरफ – त्त..त्तुम्म.. मज़ाक कर रहे हो.., मेरे साथ ऐसा नही कर सकते..!
मे- अब तुम हमें सहयोग नही करोगे तो फिर कुछ तो करना पड़ेगा ना ! अब जल्दी बोलो… कहाँ से मिलता है तुम्हें माल.
अशरफ के दिमाग़ मे पता नही क्या चल रहा था, शायद वो सोच रहा था ये कल के लौन्डे पड़ने लिखने वाले ऐसा कुछ नही कर सकते, खाली-पीली धमकी दे रहे होंगे.. सो चुप रहा,
मैने फिर उसे पुछा तो उसकी मुन्डी ना मे हिली…! और फिर “खचक”…एक उंगली शाहिद हो गयी उसकी…और उसके गले से एक दिल दहलाने वाली चीख उस तहख़ाने जैसे हॉल में गूज़्ने लगी.
वो फटी आँखों से ही-. मचलते हुए मुझे घूर रहा था…! मे बोला अब बोलो… या दूसरी का नंबर लूँ, और इतना बोलके मैने उसके एक हाथ की उंगली को पकड़ लिया..
अशरफ- बताता हूँ !!! प्लीज़ और कुछ मत करना मुझे.. और वो तोते की तरह शुरू हो गया,
इस शहर का मैं डीलर हकीम लुक्का है, बहुत ही ख़तरनाक है वो, यहाँ के बड़े-बड़े नेताओ से उसके अच्छे संबंध हैं, ऐसा कोई ताना नही है शहर में जहाँ उसके यहाँ से कमिशन ना जाता हो.
मे- गुड, अब ये बताओ, तुम्हारे पास वो पोलीस वाला आया था, उसका क्या नाम है, क्या ओहदा है, कोन्से थाने का है, और कॉन-कॉन हैं उसके साथ.
उसने बताया कि वो हमारे इलाक़े के थाने मे सब इनस्पेक्टर है, उस थाने का इंचार्ज और उसके साथ जो दो कॉन्स्टेबल आए थे वो भी हिस्सेदार हैं.
और कॉन-कॉन डीलर हैं इस शहर में.. मैने अगला सवाल किया, उसने वो भी बता दिया..
उसने उन डीलरों के भी नाम और पते बता दिए, बाइ लक अशरफ हमें ऐसा मोहरा मिल गया था जिसकी सीधे तौर पर हकीम लुक्का से डीलिंग होती थी और छोटे-मोटे डीलर उसके द्वारा ही डील करते थे, शहर में कॉन-कॉन थाना, कॉन्सा पोलीस वाला मिला हुआ था.
सारे डीटेल लेके उसे पानी पिलाया, और उसे वहीं बँधा छोड़ कर हम चलने लगे, तो वो मिमियाते हुए बोला..
देखो जो तुमने पुछा वो सब मैने बता दिया अब तो मुझे छोड़ दो..
मे- छोड़ देंगे प्यारे, हमें कॉन्सा तुम्हारा अचार डालना है? बस कुछ अर्जेंट काम निपटा कर मिलते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद… ओके. डॉन’ट वरी !!
अशरफ को वहीं बँधा छोड़ कर हम हॉस्टिल लौट आए, रूम में जाने से पहले, मैने धनंजय को साथ लिया और बाकी को रूम में भेज दिया, हम दोनों प्रिन्सिपल के घर पहुँचे जो कि कॅंपस में ही था.
रात के करीब 10 बज चुके थे, हमें इतनी रात गये, अपने घर देख कर वो बोले—
क्यों भाई, इतनी रात गये कैसे आना हुआ ? क्या करते फिर रहे हो तुम लोग..?
मे- अब सर ओखली में सर रख ही दिया है, तो मूसल तो झेलने ही पड़ेंगे.
प्रिंसीपल- ठहाका लगाते हुए…. ऐसा क्या हुआ.. बताओ भी..?
मैने उन्हें सारी घटना डीटेल में बताई, तो वो एकदम शॉक हो गये.. और बोले…
प्रिंसीपल- तो फिर अब अगला कदम क्या होगा तुम्हारा.. ??
मे- सर अब आगे आपका काम है, एसपी और उसके उपर के अधिकारियों की इस मामले में पोज़िशन क्या है ये पता लगाना होगा.
प्रिंसीपल- हम.म.. सही कहते हो कहीं उपर के लोग भी मिले हुए ना हों..? क्योंकि जिस तरह से पोलिटिकल लोग मिले हुए हैं, फिर तो कुछ भी हो सकता है..?
उन्होने तुरंत स्प का पर्सनल फोन लगाया.. थोड़ी देर बेल जाने के बाद एक जानना आवाज़ आई…
हेलो.. कॉन..?,
प्रिंसीपल—एसपी साब हैं, मे एनईसी का प्रिन्सिपल सिंग बोल रहा हूँ..!
थोड़ी देर शांति रही फिर लाइन पर एसपी की आवाज़ सुनाई दी..
एसपी- हेलो प्रिन्सिपल साब गुड ईव्निंग… कैसे याद किया..?
प्रिंसीपन- एसपी साब, ड्रग्स वाले मामले में आपकी राई जाननी थी..! क्योंकि हमें पता लगा है कि ये हमारे ही कॉलेज तक सीमित नही है, और कॉलेज भी इससे अफेक्टेड हैं, इनफॅक्ट पूरा शहर इस जहर की चपेट है, लेकिन आपके प्रशासन की तरफ से कोई कार्यवाही अबतक दिखी नही..!
एसपी- प्रिन्सिपल साब आइ आम रियली वेरी सॉरी, लेकिन आप तो जानते ही हैं, कि में अकेला तो कुछ नही कर सकता, करने वाले तो थानों के इंचार्ज और उनके नीचे का स्टाफ ही होता है, उनसे रिपोर्ट ली थी, लेकिन उसमें कुछ सीरीयस लगा नही, वैसे आपके कॉलेज वाले केस से इस विषय पर कमिशनर साब भी चिंता व्यक्त कर चुके हैं.
प्रिंसीपल- क्या रियली आप और कमिशनर साब इस मुद्दे को सॉल्व करना चाहते हैं ?
एसपी- क्या बात कर रहे हैं सर आप ? क्या आपको हमारी नीयत पर कोई शक है..?
प्रिंसीपल- तो फिर आप कमिशनर साब के साथ हमारा अपायंटमेंट फिक्स करिए, और ये जितना जल्दी हो उतना अच्छा है.
एसपी- ठीक है सर, में आपको जल्दी ही बताता हूँ, शायद अभी..! और लाइन कट गयी.
मे- आपको क्या लगता है सर..?
प्रिंसीपल- एसपी की बातों से तो लगता है, कि उपर के लोग असमर्थ हैं, और बात भी सही लगी उनकी कि करने वाले तो नीचे के ही अधिकारी और उनका स्टाफ है, वो तो उनकी रिपोर्ट पर ही आक्षन ले सकते हैं.
कॉन हो तुम लोग ? और मुझे यहाँ क्यों लाए हो..? क्या चाहते हो मुझसे..?
मे- अरे! अरे! अशरफ मियाँ…. सांस तो लो यार !, हमें तुम अपना दोस्त ही समझो, बसरते हमारे कुछ सवाल हैं उनका सही-2 जबाब दो तो.
असरफ़- क्या जानना चाहते हो मुझसे…??
मे- ये जो तुम ड्रग का धंधा करते हो वो कहाँ से आता है ? मेरा मतलब तुम तो पैदा करते नही होगे तो तुम्हारे पास भी तो कहीं से आता ही होगा ना..
अशरफ- क्या करोगे जान कर..?
मे- हम भी सोच रहे है, यही धंधा करने का.. अच्छी-ख़ासी कमाई होती होगी इसमें क्यों..?
अशरफ- तो इसके लिए मुझे उठाने की क्या ज़रूरत थी..?
मे- हमने सोचा एकांत में बैठ कर शांति से अच्छी बातें हो जाएँगी इसलिए तुम्हें यहाँ ले आए, अब हमारे दिमाग़ मे तो यही तरीका आया सो कर लिया.
अशरफ- तो यहाँ बाँध के क्यों रखा है, दोस्तों के साथ ऐसा वार्तब किया जाता है ?
मे- अरे वो तो बस ऐसे ही, हमने सोचा पता नही तुम हमें देखते ही भड़क ना जाओ, और कुछ उल्टा पुल्टा हो गया तो, बस इसलिए…! वैसे अभी तक बताया नही तुमने कहाँ से माल आता है तुम्हारे पास..
अशरफ – मुझे तुम लोगों की बात का भरोसा नही है, और वैसे भी मे तो यहाँ का बहुत छोटा सा डीलर हूँ, तो बस ऐसे ही इधर-उधर से इंतेजाम हो जाता है.
मे- लेकिन तुमने मोनू को तो बताया था, कि तुम्हारे पास बहुत बड़ा स्टॉक है, जितना चाहिए मिलेगा..!
अशरफ- वो तो बस ऐसे ही ग्राहक बनाने की ट्रिक होती है..
मे- तो इसका मतलब तुम नही बताओगे..! हमने सोचा कि यारी दोस्ती से काम निकल आए तो अच्छा है, लेकिन अब लगता है कि सीधी उंगली से गीयी नही निकलेगा.
अशरफ- क्या करना चाहते हो..? देखो मे तुम लोगों को बताए देता हूँ, आग में हाथ मत डालो,वरना जल जाओगे. तुम लोग पढ़ने लिखने वाले बच्चे लगते हो तो अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, इन सब झमेलों में मत पडो वरना….?
मे- वरना क्या..?? वोही तो जानना चाहते हैं कि वरना है कॉन ? और रही बात पढ़ने की तो वो तुम लोग वो करने ही नही दे रहे हो, ड्रग्स की लत जो लगा दी है हम स्टूडेंट्स को.
अशरफ- म.म्म..में कुछ नही जानता, देखो म..मुझे छोड़ दो, मे वादा करता हूँ ये सब धंधे छोड़ दूँगा..अब.
मे- अरे वाह फिर तो बड़ी अच्छी बात है, हम भी तो यही चाहते हैं, तुम भी छोड़ दो और दूसरे लोगों के नाम बता दो तो उनसे भी छुड़वा देते हैं.
अशरफ- में किसी और के बारे में कुछ नही जानता..?
मे- पक्का ! नही जानते..? धन्नु, वो कटर तो देना ज़रा…! धनंजय ने कटर निकाल के दिया.,. कटर हाथ में लेकर उसको 2-3 बार कैंची की तरह उसकी आँखों के सामने चलाया और मैने उसके पैर की एक उंगली पकड़ ली और उसकी आँखों में देखते हुए कहा…!
अशरफ मियाँ, जानते हो ये क्या है ? इससे लोहे की शीट भी ऐसे कट जाती है जैसे दर्जी कपड़ा काटता है. अब एक सवाल और उसका जबाब ! ना मिलने पर एक उंगली.
अशरफ – त्त..त्तुम्म.. मज़ाक कर रहे हो.., मेरे साथ ऐसा नही कर सकते..!
मे- अब तुम हमें सहयोग नही करोगे तो फिर कुछ तो करना पड़ेगा ना ! अब जल्दी बोलो… कहाँ से मिलता है तुम्हें माल.
अशरफ के दिमाग़ मे पता नही क्या चल रहा था, शायद वो सोच रहा था ये कल के लौन्डे पड़ने लिखने वाले ऐसा कुछ नही कर सकते, खाली-पीली धमकी दे रहे होंगे.. सो चुप रहा,
मैने फिर उसे पुछा तो उसकी मुन्डी ना मे हिली…! और फिर “खचक”…एक उंगली शाहिद हो गयी उसकी…और उसके गले से एक दिल दहलाने वाली चीख उस तहख़ाने जैसे हॉल में गूज़्ने लगी.
वो फटी आँखों से ही-. मचलते हुए मुझे घूर रहा था…! मे बोला अब बोलो… या दूसरी का नंबर लूँ, और इतना बोलके मैने उसके एक हाथ की उंगली को पकड़ लिया..
अशरफ- बताता हूँ !!! प्लीज़ और कुछ मत करना मुझे.. और वो तोते की तरह शुरू हो गया,
इस शहर का मैं डीलर हकीम लुक्का है, बहुत ही ख़तरनाक है वो, यहाँ के बड़े-बड़े नेताओ से उसके अच्छे संबंध हैं, ऐसा कोई ताना नही है शहर में जहाँ उसके यहाँ से कमिशन ना जाता हो.
मे- गुड, अब ये बताओ, तुम्हारे पास वो पोलीस वाला आया था, उसका क्या नाम है, क्या ओहदा है, कोन्से थाने का है, और कॉन-कॉन हैं उसके साथ.
उसने बताया कि वो हमारे इलाक़े के थाने मे सब इनस्पेक्टर है, उस थाने का इंचार्ज और उसके साथ जो दो कॉन्स्टेबल आए थे वो भी हिस्सेदार हैं.
और कॉन-कॉन डीलर हैं इस शहर में.. मैने अगला सवाल किया, उसने वो भी बता दिया..
उसने उन डीलरों के भी नाम और पते बता दिए, बाइ लक अशरफ हमें ऐसा मोहरा मिल गया था जिसकी सीधे तौर पर हकीम लुक्का से डीलिंग होती थी और छोटे-मोटे डीलर उसके द्वारा ही डील करते थे, शहर में कॉन-कॉन थाना, कॉन्सा पोलीस वाला मिला हुआ था.
सारे डीटेल लेके उसे पानी पिलाया, और उसे वहीं बँधा छोड़ कर हम चलने लगे, तो वो मिमियाते हुए बोला..
देखो जो तुमने पुछा वो सब मैने बता दिया अब तो मुझे छोड़ दो..
मे- छोड़ देंगे प्यारे, हमें कॉन्सा तुम्हारा अचार डालना है? बस कुछ अर्जेंट काम निपटा कर मिलते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद… ओके. डॉन’ट वरी !!
अशरफ को वहीं बँधा छोड़ कर हम हॉस्टिल लौट आए, रूम में जाने से पहले, मैने धनंजय को साथ लिया और बाकी को रूम में भेज दिया, हम दोनों प्रिन्सिपल के घर पहुँचे जो कि कॅंपस में ही था.
रात के करीब 10 बज चुके थे, हमें इतनी रात गये, अपने घर देख कर वो बोले—
क्यों भाई, इतनी रात गये कैसे आना हुआ ? क्या करते फिर रहे हो तुम लोग..?
मे- अब सर ओखली में सर रख ही दिया है, तो मूसल तो झेलने ही पड़ेंगे.
प्रिंसीपल- ठहाका लगाते हुए…. ऐसा क्या हुआ.. बताओ भी..?
मैने उन्हें सारी घटना डीटेल में बताई, तो वो एकदम शॉक हो गये.. और बोले…
प्रिंसीपल- तो फिर अब अगला कदम क्या होगा तुम्हारा.. ??
मे- सर अब आगे आपका काम है, एसपी और उसके उपर के अधिकारियों की इस मामले में पोज़िशन क्या है ये पता लगाना होगा.
प्रिंसीपल- हम.म.. सही कहते हो कहीं उपर के लोग भी मिले हुए ना हों..? क्योंकि जिस तरह से पोलिटिकल लोग मिले हुए हैं, फिर तो कुछ भी हो सकता है..?
उन्होने तुरंत स्प का पर्सनल फोन लगाया.. थोड़ी देर बेल जाने के बाद एक जानना आवाज़ आई…
हेलो.. कॉन..?,
प्रिंसीपल—एसपी साब हैं, मे एनईसी का प्रिन्सिपल सिंग बोल रहा हूँ..!
थोड़ी देर शांति रही फिर लाइन पर एसपी की आवाज़ सुनाई दी..
एसपी- हेलो प्रिन्सिपल साब गुड ईव्निंग… कैसे याद किया..?
प्रिंसीपन- एसपी साब, ड्रग्स वाले मामले में आपकी राई जाननी थी..! क्योंकि हमें पता लगा है कि ये हमारे ही कॉलेज तक सीमित नही है, और कॉलेज भी इससे अफेक्टेड हैं, इनफॅक्ट पूरा शहर इस जहर की चपेट है, लेकिन आपके प्रशासन की तरफ से कोई कार्यवाही अबतक दिखी नही..!
एसपी- प्रिन्सिपल साब आइ आम रियली वेरी सॉरी, लेकिन आप तो जानते ही हैं, कि में अकेला तो कुछ नही कर सकता, करने वाले तो थानों के इंचार्ज और उनके नीचे का स्टाफ ही होता है, उनसे रिपोर्ट ली थी, लेकिन उसमें कुछ सीरीयस लगा नही, वैसे आपके कॉलेज वाले केस से इस विषय पर कमिशनर साब भी चिंता व्यक्त कर चुके हैं.
प्रिंसीपल- क्या रियली आप और कमिशनर साब इस मुद्दे को सॉल्व करना चाहते हैं ?
एसपी- क्या बात कर रहे हैं सर आप ? क्या आपको हमारी नीयत पर कोई शक है..?
प्रिंसीपल- तो फिर आप कमिशनर साब के साथ हमारा अपायंटमेंट फिक्स करिए, और ये जितना जल्दी हो उतना अच्छा है.
एसपी- ठीक है सर, में आपको जल्दी ही बताता हूँ, शायद अभी..! और लाइन कट गयी.
मे- आपको क्या लगता है सर..?
प्रिंसीपल- एसपी की बातों से तो लगता है, कि उपर के लोग असमर्थ हैं, और बात भी सही लगी उनकी कि करने वाले तो नीचे के ही अधिकारी और उनका स्टाफ है, वो तो उनकी रिपोर्ट पर ही आक्षन ले सकते हैं.
Read my other stories
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
- xyz
- Expert Member
- Posts: 3886
- Joined: 17 Feb 2015 17:18
Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
nice update
Friends Read my all stories
(मैं और मेरा परिवार Running )........
(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
(मैं और मेरा परिवार Running )........
(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
- pongapandit
- Novice User
- Posts: 971
- Joined: 26 Jul 2017 16:08
Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
super...........
- Dolly sharma
- Pro Member
- Posts: 2746
- Joined: 03 Apr 2016 16:34
Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
superb update...................
खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete