ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete

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saini
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by saini »

Good update mitra & waiting for next update
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jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »

thanks for all
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »

अबतक उसके कमॅंडर को मेसेज मिल चुका था सो जैसे ही ये बात उसने सुनी, उसने फ़ौरन ऑर्डर दिया कि उनको सेक्यूरिटी में लेकर कॅंप तक सुरक्षित पहुँचाओ.

उसने मुझे सेलूट करने की कोशिश की तो मैने इशारे से उसे रोक दिया, हमने अपने हाथ नीचे किए और उनके पीछे-2 चल दिए.

थोड़ी दूर पर उनकी जीप खड़ी थी, उन्होने हमें उसमें बिठाया और कॅंप में सुरक्षित पहुँचाने का ड्राइवर को बोल कर वो लोग फिर से अपनी ड्यूटी पर लग गये.

पूरे रास्ते शाकीना मुझे अजीब सी नज़रों से घूरती रही, मैने उसके लवो को चूमते हुए कहा – ऐसे क्या देख रही हो जानेमन, अब हम एकदम सेफ हैं.., अब डरने की कोई वजह नही रही.

उसने मुझे अजीब सी नज़रों से घूरते हुए सवाल किया – आप पाकिस्तानी नही हो..? अब तक आपने जो बताया क्या वो सब झूठ था..?

मैने थोड़ा झिझकते हुए कहा- हां ये सच है, कि मे पाकिस्तानी नही हूँ,
लेकिन ये भी सच है, कि मे तुम सब लोगों का हितेशी हूँ, और दिल से चाहता था, कि तुम लोगों को मूषिबतों से बचाऊ.

वो मेरी बात सुनकर चुप रह गयी और गुम-सूम सी मेरी बगल में बैठी रही, फिर उसने कॅंप में पहुँचने तक कोई बात नही की.

ना जाने इस समय उसके मन में क्या चल रहा था..? सो मैने भी उसे इस वक़्त छेड़ना उचित नही समझा…

मैने एक दो बार उसको पुछ्ने की कोशिश भी की, लेकिन उसने मेरी बात का कोई जबाब नही दिया…!

कॅंप पहुँच कर में वहाँ के कमॅंडर इन चीफ से मिला जो हमारा ही इंतजार कर रहा था,

हमारी हालत ठंड की वजह से बहुत खराब थी, कपड़े गीले हो रहे थे, जिनमें से अभी भी पानी टपक रहा था…

उसने हमें फ़ौरन एक कॅंप में भिजवा दिया और हमारे लिए गरम कपड़ों का भी इंतेज़ाम करवाया.

कॅंप के अंदर पहुँच कर हमने अपने कपड़े चेंज किए और फिर एक अलाब के पास बैठ गये, जिसकी आग की गर्मी से हमें कुछ राहत मिली.

मैने शाकीना को अपनी ओर खींचने की कोशिश की, तो उसने मेरा हाथ हटा दिया और अपना मुँह दूसरी ओर करके आग सेंकने लगी.

मैने प्यार से उसके कंधे पर हाथ रख कर सहलाया और बोला – क्या हुआ शाकीना ? क्या मेरे साथ आकर तुम खुश नही हो..?

मेरी बात सुनकर उसने पलट कर मेरी ओर देखा, उसकी आँखों से दो बूँद पानी की टपक पड़ी, फिर अपने आपको संभालते हुए बोली –

मैने आपके उपर अपनों से भी कहीं ज़्यादा यकीन किया, लेकिन आपने मुझे उस यकीन के काबिल नही समझा और अपनी पहचान छुपाये रखी.

यकीन मानिए, अगर आप अपनी हक़ीक़त पहले मुझे बता देते तो मुझे आपसे कोई शिकवा- शिकायत नही होती,

बल्कि और ज़्यादा फक्र होता..की मैने एक सच्चे इंसान से मुहब्बत की है.

मे – तो अब क्या तुम्हें अपनी मुहब्बत पर एतवार नही रहा..? या तुम्हें मेरी मंशा पर शक है, अगर समझ सको तो मे अब भी मजबूर था,

क्योंकि अगर मे ऐसा करता तो ये मेरे अपने मुल्क के साथ गद्दारी होती, जो मे अपने जीते जी तो नही कर सकता था.

क्या तुम यही चाहती हो कि मे अपने मुल्क के साथ गद्दारी करूँ..? या कभी तुम्हें मेरी नीयत में खोट नज़र आया..?

वो – नही ! कभी नही, और मे भी ये कभी नही चाहूँगी की आप अपने मुल्क के साथ गद्दारी करो..,

ये कहकर वो फिर से मेरे सीने से लग कर सुबकने लगी और आगे बोली –

लेकिन अब मुझे अपनी अम्मी और बाजी की फिकर हो रही है, आपने कहा था कि आप उनको सब कुछ बता देंगे.. तो..

मैने कहा - बिल्कुल ! अभी लो और फिर मैने अपने स्पेशल नंबर से रहीम चाचा को कॉल लगाई, कुछ देर बेल जाने के बाद कॉल पिक हुई..

दूसरी ओर से उनकी आवाज़ आई – हेलो ! कॉन..?

मे – रहीम चाचा ! सलाम बलेकुम. ! मे अशफ़ाक़ बोल रहा हूँ.

वो - हां अशफ़ाक़ मियाँ बोलिए कहाँ से बोल रहे हैं आप..?

मे – चाचा मे इंडिया से बोल रहा हूँ..

वो – इंडिया से…? ओ…तो ये जो यहाँ सुबह-सुबह पूरे शहर में जो हंगामा बरप रहा है, वो तुम्हारी देन है…

मे – क्या हंगामा बरप रहा है वहाँ चाचा..?

वो – खालिद की लाश बहुत ही बुरी हालत में उसके ऑफीस में मिली है, तभी से पोलीस कातिल को पूरे शहर में शिकारी कुत्तों की तरह खोज रही है…

खबर है, कि देर रात कोई उसके सेक्यूरिटी चीफ के भेस में उसके ऑफीस गया था… और उसी ने उसको कत्ल कर दिया है…

मे – और कोई बात तो नही चल रही..?

वो – मुझे लगता है, कि असल बात दबाई जा रही है, वैसे तुम्हारा मक़सद क्या था उसे कत्ल करने का..?

मे कुछ देर चुप रहा, फिर मैने उन्हें सारी दास्तान कह सुनाई…,

फिर उनसे शाकीना के बारे में उसकी अम्मी और दूसरे परिवार के लोगों को इत्तला करने को कहा, इस हिदायत के साथ कि ये बात आम ना होने पाए…, अपने लोगों तक ही सीमित रहे…

बस आप उनको इतना समझा देना कि कंपनी के किसी ज़रूरी काम की वजह से मैने दोनो को दुबई भेज दिया है, अब वो दोनो वहाँ का काम संभालेंगे…
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jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »

रहीम चाचा से बात करने के बाद अब वो कुछ आश्वस्त दिखाई देने लगी और मेरे हाथों को चूम कर शुक्रिया कहा.

मैने उसकी थोड़ी के नीचे अपना हाथ रखकर पुछा – तुम्हें मेरे साथ आकर कोई अफ़सोस तो नही हो रहा शाकीना..?

उसने ना में अपनी गर्दन हिलाई और मेरे बदन से लिपट गयी.., मेरे सीने के बालों को सहलाते हुए बोली-

मैने तो बहुत पहले अपनी किस्मत आपके नाम लिख दी है, तो अब अफ़सोस कैसा..आप जो करेंगे मुझे मजूर होगा…

उसके ये लफ़्ज सुनकर मैने उसे अपने सीने में भींच लिया और उसके लज़्ज़त भरे लवो को चूमकर बोला-

ओह्ह..शाकीना..मेरी जान, तुम सच में कितनी मासूम हो, आँख बंद करके मुझ पर भरोसा करती रही, और मे कितना मजबूर था, कि तुम्हें अपनी हक़ीकत से रूबरू ना करा सका…

हो सके तो मुझे मुआफ़ कर देना मेरी जान…

उसने भी मेरे इर्द गिर्द अपनी बाहों का घेरा कस दिया और मेरे सीने में मुँह छिपाकर बोली –

मैने आपसे सच्ची मुहब्बत की है मेरे सरताज, आपकी सच्चाई क्या है, इससे मुझे कोई सरोकार नही…

अभी हम कुछ और आगे बोलते कि तभी किसी के आने की आहट सुन कर वो मुझसे अलग हो गयी.

बीएसएफ का एक जवान हमारे लिए ब्रेकफास्ट लेकर आया था, उससे ब्रेकफास्ट लेकर मैने उसके चीफ के बारे में पुछा तो उसने बताया कि वो अपने ऑफीस में ही हैं,

आप लोग नाश्ता करके वहीं आ जाओ, वो आपका ही इंतजार कर रहे हैं.

हम दोनो ने मिलकर नाश्ता किया, अब शरीर में गर्माहट आ चुकी थी,

शाकीना भी अब नॉर्मल दिखाई दे रही थी, ड्रग्स का असर काफ़ी हद तक कम हो गया था.

नाश्ता ख़तम करके मैने उसे वहीं थोड़ा रेस्ट लेने को बोला और मे कमॅंडेंट से मिलने उसके ऑफीस की तरफ बढ़ गया.

करीब एक घंटे बाद हम बीएसएफ की जीप में श्रीनगर एर पोर्ट की तरफ जा रहे थे.

शहर पहुँचकर मैने एटीएम से कुछ पैसे निकाले,

एक शॉपिंग सेंटर के बाहर गाड़ी रोक कर दोनो के लिए कुछ कपड़े खरीदे और वहीं ट्राइयल रूम में जा कर चेंज किए.

श्रीनगर से देल्ही की फ्लाइट ली और उड़ चले अपने देश की राजधानी को…

देल्ही पहुँचकर एरपोर्ट के पास ही एक होटेल में शाकीना को छोड़ा, कुछ मेडिसिन्स ली जो उसके ज़ख़्मों पर लगानी थी और कुछ एंटी-ड्रग्स उसको दिए.

एक बार शाकीना के कपड़े निकाल कर पूरे शरीर पर बने खरोंचों पर लेप लगाया, इस दौरान हम दोनो ही एक्शिटेड हो गये,

ड्रग का असर अभी कुछ वाकी था, जिसके असर से वो सेक्स के लिए उतावली सी दिखने लगी, और मेरे शरीर से लिपट गयी…

लेकिन मैने अपने आप पर कंट्रोल रखते हुए कहा – शाकीना मेरी जान अभी तुम आराम करो, ये समय इस काम के लिए सही नही है,

वो तड़प्ते हुए बोली – क्यों अभी समय क्यों सही नही है, अशफ़ाक़ प्लीज़ मुझे अपने आगोश में समेट लो,

मैने उसके होठों को चूमते हुए कहा – अभी तुम तक़लीफ़ में हो, पहले अपने बदन के घावों को सही कर्लो, ठीक है…

मेरी बात सुनकर वो एकदम मायूस हो गयी, उसने मुझे अपने बंधन से आज़ाद कर दिया… और उसकी आँखें छल-छला गयी..

फिर रुँधे स्वर में बोली – मे समझ सकती हूँ अशफ़ाक़, अब मे आपके काबिल नही रही, मेरे बदन को उस नामुराद ने गंदा जो कर दिया है…

उसकी बात सुनकर मे तड़प उठा, मैने उसके बदन की खरोंचों की परवाह ना करते हुए उसे अपने आगोश में कस लिया और उसकी दबदबाई हुई आँखों में झाँकते हुए कहा….

ये तुम क्या कह रही हो मेरी जान, क्या तुम ये समझ रही हो कि उस हरामी ने धोके और फरेब से तुम्हें मजबूर कर दिया तो तुम मेरे लिए नापाक हो गयी..?

भले ही मैने तुम्हें अपने साथ निकाह करने से रोका हो, लेकिन सच्चे दिल से मुहब्बत की है मैने तुम्हें…!

तुम मेरे दिल का वो हिस्सा हो शाकीना, जिसमें हर किसी को जगह नही दी जाती..

मैने तुम्हें दिल से चाहा है मेरी जान, शरीर से नही…

आइन्दा ऐसे शब्द अपने मुँह से निकाले भी ना, तो तुम मेरा मरा हुआ मुँह देखो…गी….

मेरे शब्दों को पूरा भी नही करने दिया उसने, अपने लरजते लव मेरे होठों पर रख दिए, और फिर दीवानवार वो मुझे चूमती चली गयी…
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naik
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by naik »

super nice apdate mitr
bahot hi achcha
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