सबेरे 8:00 बजे-
अमन रजिया से फोन पे बात करने के बाद फोन रख देता है। रात की जोरदार चुदाई से वो थोड़ा थका हुआ था। वो थोड़ी देर सोने का फैसला करता है, और अपनी बेड पे लेट जाता है। उसे सोये एक घंटा भी नहीं हुआ था कि डोरबेल की आवाज़ से उसकी नींद खुल जाती है। वो जाकर दरवाजा खोलता है तो सामने फ़िज़ा खड़ी थी, उसके होंठों पे शरम और हया का मिला-जुला असर नज़र आ रहा था।
फ़िज़ा अंदर आते ही अमन से चिपक जाती है।
अमन-“ क्या हुआ, तू ठीक तो है?” अमन अभी भी थोड़ा नींद में था और जल्दी जागने से चिड़ा हुआ भी।
फ़िज़ा-“नहीं अमन, मैं ठीक नहीं हूँ मैं पागल हो गई हूँ पता नहीं मुझे क्या हो गया है। बस दिल करता है कि ऐसे ही तुम्हारी बाँहों में रहूं…” और फ़िज़ा अमन के चेहरे को, नाक को, माथे को, होंठों को चूमने लगती है।
अमन उसे छेड़ते हुए-“क्यों फ़िज़ा दीदी, रात को मज़ा नहीं आया क्या?”
फ़िज़ा-“हे, ये मज़ा मुझे रोज चाहिए, और खबरदार वो मुझे दीदी कहा तो…”
अमन-“तो क्या कहूँ?” और फ़िज़ा की चुचियाँ मसल देता है।
फ़िज़ा-“अह्म्मह… फ़िज़ा बोल, सिर्फ़ फ़िज़ा…”
अमन-“ह्म्मम्म्म्म…” और दोनों एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगते हैं। दोनों की साँसें तेज थीं, पर अमन जानता था कि अभी इसे चोदा तो लण्ड कल से उठेगा भी नहीं। उसके लण्ड में अकड़न से उसे दर्द हो रहा था क्योंकी उसके लण्ड का चमड़ा निकला हुआ था। करीब 10 मिनट बाद अमन उसे अपने से अलग कर देता है। फिर पूछा-“क्यों आई थी अभी?”
फ़िज़ा-“अरे हाँ, मैं तो भूल ही गई, अम्मी ने नाश्ते के लिये बुलाया है। जल्दी चलो…”
अमन-“तू जा, मैं चेंज करके आता हूँ…”
फ़िज़ा-“जल्दी आना…” कहते हुए चली जाती है।
अमन-“साली रंडी…” वो अपनी पैंट पहन रहा था, जैसे ही वो चलने लगता है कि उसे दर्द होता है-औउच… अह्म्मह…” वो जल्दी से अपनी पैंट नीचे कर देता है, और अपनी लण्ड को हाथ में लेकर देखने लगता है। उसका खड़ा लण्ड पैंट से घिसने से और तकलीफ दे रहा था। वो दर्द के मारे झुंझला जाता है, और रजिया को फोन लगाता है।
रजिया फोन रिसीव करते हुए-क्या हुआ अमन?
अमन उसे सारे बात बताता है।
तो रजिया घबरा जाती है-“अमन, तुम फैक्टरी जाने से पहले हमारे फेमिली डाक्टर जिया-उर-रहमान से मिलते जाना…”
अमन-“ठीक है, मैं चला जाऊँगा…”
रजिया-“और हाँ तुम जीन्स मत पहनो, कुर्ता पायज़ामा पहन लो…”
अमन-“ओके…” और वो कुर्ता पायज़ामा पहन लेता है। जैसे इस पठानी कुर्ते में वो बहुत हैंडसम लग रहा था। वो खुद को मिरर में देखते हुए अपने बाल संवारता है, और फिर रेहाना की तरफ चल देता है।
रेहाना अमन को देखकर खुश होते हुए-“आओ अमन, यहाँ बैठो…”
मलिक-“अरे क्या बेटा इतनी देर कर दी, नाश्ता ठंडा हो रहा है। चलो जल्दी बैठो…”
अमन डाइनिंग टेबल पे बैठते हुए फ़िज़ा को देखता है। वो उसे ही देख रही थी। उसके चेहरे पे मुश्कान आ जाती है।
मलिक-“और सुनाओ बेटा, नींद अच्छे से आई थी ना?”
अमन रेहाना और फ़िज़ा को देखते हुए-“हाँ चाचू, मैं तो रूम में जाते हैी सो गया था…”
फ़िज़ा को झटका लग जाता है।
रेहाना उसे पानी देते हुए-“ठीक से खाओ बेटा…” और फिर रेहाना फ़िज़ा को घूरने लगती है। दोनों औरतें अमन को देख रही थीं। अगर मलिक यहाँ नहीं होता तो शायद ये दोनों नंगी होतीं और अमन का लण्ड अपनी चूत में ले रही होतीं।
अमन रेहाना के तरफ देखते हुए-“नाश्ता बहुत अच्छा बना है, चाची जान…”
रेहाना-“आज का नाश्ता फ़िज़ा ने बनाया है…”
फ़िज़ा शरमाते हुए-“क्या अम्मी, मैंने तो बस थोड़ी मदद की थी…”
अमन-“ह्म्मम्म्म्म… घर के काम सीखना अच्छी बात है…” और वो फ़िज़ा को देखते हुए आँख मार देता है। नाश्ता करने के बाद अमन जल्दी से फैक्टरी की तरफ निकल जाता है। रास्ते में उसे याद आता है कि डाक्टर से मिलना है, और वो डाक्टर के क्लीनिक चला जाता है।
डाक्टर जिया-उर-रहमान उसके फेमिली डाक्टर थे। उनकी उमर 45 साल के करीब थी। उनकी पहली बीवी की मौत हो चुकी थी, इसलिये उन्होंने दूसरी शादी की थी पर कुछ ही महीने में वो चली गई और फिर दुबारा नहीं आई। अमन ने किसी से सुना था कि वो अपने प्रेमी के साथ भाग गई। अमन यही बातें सोचता हुआ क्लीनिक पहुँच जाता है।
क्लीनिक में वो वेटिंग रूम में बैठ जाता है। उसकी नज़र सामने की दीजार पे पड़ती है। वहाँ लिखा था-“डाक्टर सानिया ख़ान एम॰बी॰बी॰एस॰ सी॰एच॰ डी॰जी॰ओ॰”
अमन रिसेप्सनिस्ट से पूछता है-ये डाक्टर सानिया कौन हैं?
रिसेप्सनिस्ट-डाक्टर जिया सर की तीसरी बीवी है।
अमन दिल में-“ये साला कमीना डाक्टर कितनी चूतों को बर्बाद करेगा?”
एक दो मरीजों के बाद अमन का नंबर आता है। जब अमन डाक्टर के केबिन में पहुँचता है, तो उसके पैर रुक जाते हैं। उसने तो सोचा था कि अंदर जिया डाक्टर होंगे पर यहाँ तो वो थे ही नहीं।
बल्की एक 25 से 26 साल की खूबसूरत लेडी डाक्टर बैठी हुई थी। ये डाक्टर सानिया थी। डाक्टर सानिया एक निहायत ही खूबसूरत औरत थी। अभी कुछ 6 महीने पहले उसके शादी जिया-उर-रहमान से हुई थी। सानिया का रंग व्हाइटिश था, आँखें बड़ी-बड़ी, होंठ गुलाबी जिससे लिपिस्टिक की भी ज़रूरत नहीं थी। चूचे ज्यादा बड़े नहीं थे, पेट एकदम पतला जैसे 16 साल की कुँवारी लड़की का होता है।
अमन उसे देखता ही रह जाता है।
सानिया-आइए।
अमन-“जी वो मैं… वो मुझे डाक्टर जिया से मिलना था…”
सानिया बहुत सुलझी हुई डाक्टर थी-“आप पहले बैठें तो सही…”
अमन-“जी…” और अमन चेयर पे बैठ जाता है।
सानिया-जी, आपका नाम क्या है?
अमन उसके हिलते होंठ ही देखता रह जाता है।
सानिया मुस्कुराते हुए-आपका नाम?
अमन-“जी… जी वो… मेरा नाम… हाँ मेरा नाम अमन ख़ान है। और मुझे पुरुष डाक्टर से मिलना है। मेरा मतलब डाक्टर जिया से मिलना है…”
सानिया हँसते हुए-“आपके डाक्टर जिया तो कुछ दिनों के लिये बाहर गये हैं। मुझे बताएं क्या प्राब्लम है? आई एम आल्सो डाक्टर…”
अमन दिल में-“क्या कर रहा है? अमन कंट्रोल बेटा, डर मत उसके पास गन नहीं चूत है…” अमन अपने को सभालते हुए-“पर वो मसला तो पुरुष डाक्टर को ही बता सकता हूँ…”
सानिया-“चिंता मत करो… डाक्टर और पेशेंट में क्या परदा? ह्म्मम्म्म्म… आप ऐसा करो यहाँ लेट जाओ और क्या प्राब्लम है, ज़रा अच्छे से बताओ। तभी मैं ठीक ट्रीटमेंट कर पाऊँगी…”
अमन सामने बेंच पे लेट जाता है।
सानिया उसके पास खड़ी हो जाती है, और परदा खींच लेती है-“ह्म्मम्म्म्म… अब बोलिये अमन, क्या प्राब्लम है?”
अमन शरमाते हुए-“जी वो… मुझे इन्फेक्सन हो गया है…”
सानिया-कहाँ?
अमन-“यहाँ…” अपने लण्ड की तरफ इशारा करते हुए।
सानिया-“ह्म्मम्म्म्म… अपना पायज़ामा नीचे उतारो…”
अमन-क्या?
सानिया-“अरे, जब तक मैं चेक नहीं करूंगी सही ट्रीटमेंट कैसे दे पाउन्गी? चलो शाबाश…”
अमन अपना पायज़ामा नीचे कर देता है।
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
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superb update