चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

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Rohit Kapoor
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Re: चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

Post by Rohit Kapoor »


बेला और पूनम दोनों झाड़ियों से जा चुकी थी मनोज कुछ देर वहीं खड़ा खड़ा पूनम के बारे में सोचता रहा,,,,, अब तो पूनम के लिए मनोज का प्यार और ज्यादा बढ़ गया था अब वह पूनम को किसी भी हाल में हासिल करना चाहता था। कुछ देर बाद वह भी वहां से चला गया।
अब तो पूनम के बगैर मनोज का हाल जल बिन मछली की तरह हो गया था। रात को अपने बिस्तर पर लेटा लेटा पूनम के बारे में ही सोच रहा था झाड़ियों के अंदर का नजारा उसकी आंखों के सामने बार बार किसी फिल्म की तरह चल रहा था,, उसकी सोच से भी काफी अद्भुत और उन्मादक नजारा था। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि, किसी लड़की की गांड इतनी ज्यादा खूबसूरत हो सकती है। उसने जब पूनम की मदमस्त गोरी गांड को देखा था तो उसकी तो सांसे ही अटक गई थी उत्तेजना से उसका पोर पोर दर्द करने लगा था उस मीठे दर्द के एहसास से अभी भी उसके बदन मैं कंपन हो रहा था। काफी लड़कियों और औरतों के साथ खुलकर मस्ती करने के साथ साथ उसने उनके बदन के हर एक अंग को बड़ी नजदीकी से निहारा था,,,, लेकिन जो मजा जो उन्माद जिस प्रकार की उत्तेजना उसने पूनम के मदमस्त नितंब को देखकर अनुभव किया था उसका वर्णन करना शायद शब्दों के बस में भी नहीं है। गांड ना हो करके ऐसा लग रहा था कि पूनम का चांद हो और चांदनी रात अपनी सारी कलाएं बिखेर रहा है। लड़कियों की सामान्य सी हरकत में भी उत्तेजना का बुलबुला फूट पड़े ऐसा उसने सिर्फ पूनम के विषय में ही देखा था वरना उसने तो ना जाने कितनी लड़कियों को कपड़े उतारते और पहनते देखा था लेकिन जो आनंद जो अद्भुत उन्माद,,,, उसे पूनम के द्वारा अपनी सलवार उतार कर जांगो तक सरकाने में महसूस हुआ ऐसी उत्तेजना उसने कभी भी महसूस नहीं किया था वह तो ना जाने कैसे संभल गया वरना उसका लंड तो उधर ही अपना लावा बाहर झटकने वाला था। झाड़ियों के बीच रचे गए उस अद्भुत नजारे को याद कर कर के वह बिस्तर पर तड़पकर करवटें बदल रहा था। पजामें के अंदर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। जिसे वह पूनम को याद करके पजामे के ऊपर से ही मसल रहा था,,, पूनम की गोलाकार नितंब को याद कर करके उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच गई और वह पजामे को सरका कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसने हीलाना शुरू कर दिया,,,, आंखों को बंद करके कल्पना की दुनिया में पूनम के साथ रंगरेलियां मनाने लगा बार-बार वाह देसी कल्पना कर रहा था कि वह पूनम की भरावदार नितंब को अपनी दोनों हथेलियों में भर कर मसल रहा है उसकी छोटी-छोटी चूचियों को अपने मुंह में भरकर पी रहा है,,,, कल्पना की दुनिया में वह खुद को राजकुमार और पूनम को रानी समझ रहा था जो कि पूनम खुद उसके लंड के साथ मस्ती कर रही हो,,,,, मनोज की उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी सांसो का उतार चढ़ाव उसके बदन में कामोत्तेजना की लहर भर दे रहा था। तभी उसकी कल्पना की दुनिया में रंग भरना शुरू हो गया उत्तेजना के आवेग में बहकर पूनम खुद उसके लंड को पकड़ कर अपनी रसीली और कोरी बुर के छेद पर रखने लगी,,, मनोज के मोटे लंड पर अपनी रसीली बुर को रखते ही पूनम अपनी बड़ी-बड़ी गांड का दबाव लंड पर बढ़ाने लगी और जैसे जैसे लंड पर उसकी गांड का दबाव बढ़ रहा था वैसे वैसे मनोज का लंड पूनम की रसीली और कोरी बुर के अंदर उतरता चला जा रहा था,,, थोड़ी ही देर में मनोज की कल्पना का घोड़ा दौड़ने लगा,,, दोनो की सांसे तीव्र गति से चलने लगी पलंग चरमराने लगा,,,
पुनम मनोज के लंड पर जोर जोर से कूद रही थी और मनोज भी नीचे से धक्के लगा रहा था,,,,,, दोनों आपस में एक दूसरे से मस्ती का रस निचोड़ने में जूझ रहे थे,,,, थोड़ी ही देर बाद दोनों के अंगों से गर्म लावा बाहर निकलने लगा और दोनों एक दूसरे के बदन से चिपक कर हांफने लगे,,,,,
मनोज कल्पना की दुनिया से बाहर आया तो देखा कि उसकी चादर उसके अलावा से गीली हो चुकी है उसका हाथ भी गीला हो चुका था।

कुछ दिन ओर. ऐसे ही पूनम का इंतजार करते-करते बीत गया। मनोज पूनम को बस आते जाते देखकर अपने दिल को तसल्ली दे रहा था। जिस तरह से मनोज पूनम के आगे पीछे घूम कर पापड़ बेल रहा था,,, उसे लगने लगा था कि पूनम हाथ में नहीं आने वाली है। धीरे धीरे इस सिलसिले को महीने जैसा गुजर गया,,, पूनम को इस बात की पूरी तरह से खबर हो चुकी थी कि मनोज उसका पूरी तरह से दीवाना हो चुका है इसलिए तो उसके आगे पीछे घूमता रहता है। लेकिन पूनम कोई ऐसा बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन आखिरकार वह भी थी तो एक लड़की ही और जिस उम्र के दौर से गुजर रही थी,,, ऐसे में लड़कियों के अरमानों को पर लग जाते हैं उन्हें भी अच्छा लगता है कि कोई खूबसूरत हैंडसम लड़का उनके आगे पीछे घूमे,,,, उनसे प्यार करें उनको दीवानों की तरह चाहे,,,,,, और ठीक है ऐसा ही पूनम के साथ हो रहा था मनोज उसे दीवानों की तरह चाहने लगा था उसके आगे पीछे दिन रात लगा रहता था,,,,। और मनोज की यही बात ना चाहते हुए भी पूनम को अब अच्छी लगने लगी थी। महीनों गुजर गए थे मनोज की आदत बिल्कुल नहीं बदली थी वह रोज इसी तरह दीवानों के जैसे उसी मोड़ पर उसका इंतजार करता,,,, क्लास के अंदर उसे देखता रहता और नोटबुक के बहाने बात करने की कोशिश करता पूनम भी नोट बुक को देने का वादा करके अभी तक उसे नोटबुक नहीं दी थी। धीरे धीरे पूनम को भी अभी इस खेल में मजा आने लगा था वह समझ गई थी कि मनोज अंदर ही अंदर तड़प रहा है उससे बात करने के लिए,,,
अब तो आलम यह था कि पूनम भी मन ही मन में मनोज को पसंद करने लगी थी पूनम भी आते जाते अब,, मनोज को ढूंढती रहती थी। और किसी दिन जब मनोज नजर नहीं आता था तो वह बेचैन हो जाती थी,,,, उसे देखकर आता उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट आने लगी थी लेकिन इस बात की खबर मनोज और उसकी सहेलियों को बिल्कुल भी नहीं हो पाई थी क्योंकि वह बड़े नजाकत से मुस्कुरा देती थी। और कभी भी कोई शक ना करें इसलिए मनोज के सामने आते ही बहुत चिड़चिड़ा सा मुंह बना लेती थी। आखिरकार उसे जमाने का भी डरता खास करके उसके घर वालों का क्योंकि इस बात के लिए कभी भी इजाजत नहीं देते थे।
मनोज देना को हमेशा उसी से बात कराने के लिए कहता रहता लेकिन बेला के भी बस की बात नहीं थी यह बेला भी अब अच्छी तरह से समझ चुकी थी लेकिन इस बात का फायदा उठा कर उसने मनोज के साथ ना जाने कितनी बार जिस्मानी संबंध बना चुकी थीे और मजे लूट चुकी थी। बिना तो यही तो आप चाहती थी कि मनोज और पूनम के बीच किसी भी प्रकार की दोस्ती ना हो पाए क्योंकि अगर यह दोस्ती हो गई तो मनोज बेला को बिल्कुल नजर अंदाज कर देगा और जो मजा उससे मिलता आ रहा है उस पर पूर्ण विराम लग जाएगा। मनोज भी बिल्कुल थक हार चुका था वह अपनी हिम्मत खो चुका था उसे लगने लगा था कि अब बात बनने वाली नहीं है क्योंकि लड़की पटाने में उसे आज तक इतना ज्यादा समय कभी भी नहीं लग पाया था। एक दिन थक हारकर मनोज मन मे फैसला कर लिया कि आज कुछ भी हो जाए वह पूनम से बात करके रहेगा।
ठंडी का मौसम अपने पूरे बहार में था। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। स्कूल जाने का समय हो रहा था पूनम अपनी सहेलियों के साथ स्कूल के लिए निकल चुकी थी और दूसरी तरफ मनोज भी उसी मोड पर खड़ा होकर के कपकपाती ठंडी में पूनम का इंतजार कर रहा था। थोड़ी देर बाद ही दूर से अपनी सहेलियों के साथ खिलखिलाती हुई पूनम नजर आने लगे उसे देखते ही मनोज प्रसन्न हो गया उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव साफ नजर आने लगे वह मन मे हिम्मत जुटा रहा था कि आज वह पूनम से बात करके रहेगा। पूनम की भी नजर दूर खड़े इंतजार कर रहे मनोज पर पड़ी तो वह भी मन ही मन खुश हो गई। बेला भी मनोज को वहीं खड़ा देखकर पूनम से बोली।

देख ऐसी कड़कड़ाती ठंडी में भी तेरा आशिक कैसे तेरा इंतजार कर रहा है।

बकवास बंद कर सब लड़के ऐसे ही होते हैं बिल्कुल निठल्ले ना काम के न काज के।

यार पूनम एक बार उसे आई लव यू बोल कर तो देख वह तेरे लिए जान तक देने को तैयार हो जाएगा।

अरे मुझे किसी की जान वह नहीं चाहिए और ना ही मैं किसी की जान बनना चाहतेी हुं।

यार पूनम तू तो बेवजह बात का बतंगड़ बनाती रहती है तू भी अच्छी तरह से जानती है कि तेरे पीछे पड़े उसे महीनों गुजर गए हैं लेकिन वह जस का तस डटा हुआ है। वह तुझसे बेहद प्यार करता है। ( बेला की बात सुनकर मन ही मन वह बहुत प्रसन्न हो रही थी लेकिन अपनी प्रसन्नता के भाव अपने चेहरे पर नहीं आने दे रहे थे वह अपने हाव भाव से यही दिखा रही थी कि उसे गुस्सा आ रहा है। और वह ऊपरी मन से गुस्साते हुए बोली,,,।)

बस बेला बहुत हो गया मैं तुझसे कह दी हुं की यह सब मुझे नहीं पसंद तो नहीं पसंद अब इसके बारे में कुछ मत बोलना।
( बेला उसका गुस्सा देखकर शांत हो गई और कुछ नहीं बोली। पूनम को तो मजा आ रहा था वह अंदर से यही चाह रही थी की बेला और कुछ बोले लेकिन जिस तरह से वह गुस्सा दिखाई थी उसे देखने के बाद वह शांत हो गई दूसरी तरफ मनोज मन में हिम्मत जुटा रहा था कि आज वह पूनम से अपने दिल की बात कह के रहेगा,,,,, जैसे जैसे पूनम नजदीक आती जा रही थी वैसे वैसे मनोज की दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि पूनम से कैसे कहे,,,, वैसे तो वह ना जाने कितनी लड़कियों को इन तीन शब्दों के जादू से मोहित कर चुका था। लेकिन देखना यह था कि वह पूनम से ये तीन शब्द कैसे रहेगा और उन शब्दों का उस पर क्या असर होगा किसी भी दो जिहाद मेला लगा हुआ था बार बार अपने मन में हिम्मत जुटा रहा था। पूनम अपनी नजर इधर उधर घूमा कर आगे बढ़ रही थी और बीच बीच में वह अपनी कनखियों से मनोज की तरफ देख भी ले रही थी। जैसे ही पूनम मनोज के बिल्कुल करीब आई वैसे ही मनोज की तो सांसे अटक गई,,,, मनोज उससे क्या कहे या उसके समझ में बिल्कुल भी नहीं आ रहा था कि तभी जैसे ही पूनम अपने कदम बड़ा कर आगे बढ़ती इससे पहले ही हिम्मत जुटाकर मनोज बोला,,,


पूनम,,,,सुनो तो,,,,,

( इतना सुनते ही पूनम के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, वह तो खुद ही कशमकश में थी जब वह मनोज के बिल्कुल करीब से गुजर रही थी मन ही मन वह भी यही चाहती थी कि मनोज उसे पुकारे,,,,, उससे किसी ना किसी बहाने बात करें और ठीक वैसा होते देख कर पूनम के बदन में गुदगुदी सी होने लगी। वह मनोज की तरफ देखे बिना ही उसी जगह पर ठिठक कर खड़ी हो गई। और मनोज की तरफ देखे बिना ही बोली,,,,।)

क्या हुआ क्या काम है?
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Smoothdad
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Re: चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

Post by Smoothdad »

शानदार अपडेट।
जारी रखे, आगे की प्रतीक्षा में
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rajaarkey
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Re: चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

Post by rajaarkey »

Happy new year Dosto

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