फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complete)

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rocky123
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Re: फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (RESTARTED)

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आराधना और सिमरन कॉलेज जाने के लिए घर से बाहर आ जाती है. सिमरन की न्यू कार होंडा आराधना के घर के बाहर ही खड़ी थी जो हाल मे ही सिमरन के फादर ने उसे बर्तडे गिफ्ट दी थी. सिमरन डोर खोलती है और अंदर बैठती है, फिर सीट बेल्ट लगाती है और कार स्टार्ट करती है. दूसरी साइड से आराधना भी डोर ओपन करके बैठ जाती है. सिमरन कार का एसी ऑन करती है और ड्रॉयर से सिगरेट का बॉक्स निकाल कर एक सिगेरेट अपने लिए निकालती है. और एक सिगेरेट आराधना को भी ऑफर करती है.

आराधना -" तू जानती है ना कि मे स्मोकिंग नही करती". आराधना ने गुस्से मे रिप्लाइ किया.

सिमरन- " ओके, ओके लेकिन गुस्सा क्यू हो रही है. तू नही करती बट आइ लाइक स्मोकिंग. लेकिन बता ना कि तेरा मूड क्यू ऑफ है".

आराधना -" तू ऐसे कपड़े पहन कर घर क्यू आती है".

सिमरन -" तो क्या बुर्क़ा पहन कर आउ?"

आराधना- " तुझे पता है कि ना की मेरे घर मे जवान भाई है और मेरे डॅडी भी है. तुझे ऐसे कपड़े पहन कर नही आना चाहिए."

सिमरन - " मुझे तो लगता है कि तेरे डॅडी को मेरे कपड़े पसंद आए, भाई को भी बुला कर दिखा दे उसका भी रेयेक्सन देख लेते है".

आराधना- " मेरे डॅडी को ऐसे कपड़ो मे कभी लड़किया पसंद नही आती."

सिमरन-" मेरी जान ये जितने भी शरीफ डॅडी होते है ना, मौका मिलते ही चौका मार देते है. हा हा हा हा". आराधना को सिमरन की इस बात पेर गुस्सा आ जाता है और कार का गेट खोलने की कोशिश करने लगती है. तभी सिमरन सारे डोर लॉक कर देती है.

सिमरन- " सॉरी स्वीटी, चल अब कॉलेज चलते है. गुस्सा थूक दे". सिगेरेट फेंकने के बाद सिमरन गाड़ी कॉलेज की तरफ बढ़ा देती है.

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प्रीति अब तक सोकर उठ चुकी है और उठते ही उसे बेड टी चाहिए. स्मृति उसके लिए बेड टी लेकर उसके रूम मे जाती है, उसके सिल्की बालो मे हाथ फिरते हुए जगाती है. प्रीति उठ कर पीठ के बल बैठ जाती है. उसके बाद स्मृति नीचे चली जाती है. चाइ की एक दो चुस्की लेने के बाद, उसकी नींद थोड़ी सी खुलती है और उसे महसूस होता है कि फर्स्ट फ्लोर की गॅलरी पे कुच्छ धम्म धम्म जैसा साउंड हो रहा है. वो आँखो को थोड़ा और खोलती है तो देखती है कि कुशल फर्स्ट फ्लोर गॅलरी मे एक्सर्साइज़ कर रहा है. उसने बस एक शॉर्ट पहना हुआ है और कुच्छ नही. चेस्ट पूरी पसीने मे लथ पथ थी. वो जैसे कूद रहा था, उसका वो पार्ट भी ऐसे ही कूद रहा था. प्रीति की निगाहे जैसे ही वहाँ पड़ती है उसके हाथ से चाइ का कप छूट ही जाता बस बच गया पता नही कैसे. स्ट्रॉंग बाइसेप्स, मस्क्युलर बॉडी और शॉर्ट मे एक्सर्साइज़ करते हुए उसे देख कर प्रीति की तो नींद ही उड़ गयी. उसे कल का इन्सिडेंट याद आ गया जब कुशल ने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया था.

गुस्सा भी आ रहा था और दिल मे एक हलचल भी हो रही थी. वो चाइ का कप हाथ मे लिए बाहर जाती है.

प्रीति - " गुड मॉर्निंग ब्रो".

कुशल - " हे भगवान, मेरी बहन की तबीयत तो ठीक है जो इतने प्यार से गुड मॉर्निंग बोल रही है"

प्रीति - "चल अपना गुड मॉर्निंग वापिस लेती हू. वैसे कल तू सही कह रहा था कि तेरे पास कपड़ो की कमी है". प्रीति कुशल की चेस्ट की तरफ देखती हुई बोलती है.

कुशल - " जो ढका होना चाहिए वो ढका हुआ है, फिर तुझे क्यू लगता है कि मेरे पे कपड़ो की कमी है".

प्रीति -" क्या ढका होना चाहिए".

कुशल-" बताउ या दिखाऊ".

प्रीति के चेहरे का रंग लाल पड़ गया अपनी भाई की ये बात सुनकर. और उठ कर वो अपने रूम मे चली जाती है. अपने रूम मे जाते ही वॉर्डरोब से रेड ब्रा और रेड पैंटी निकालती है. टवल उठाती है और बातरूम मे घुस जाती है. बाथरूम मे घुसने के बाद वो जैसे ही टी-शर्ट उतारती है, अपने बूब्स पे नज़र पड़ते ही वो शर्मा जाती है. टिट्स बिल्कुल टाइट हो चुके थे, वो खुद भी नही समझ पा रही थी कि आख़िर क्या हो रहा आज कल. बॉडी क्यू ऐसा फील करती है, सर दर्द क्यू हो जाता है, होंठ क्यू सुख जाते है, ऐसा क्यू लगता है कि कुच्छ कमी, और वो क्या कमी है. बहुत सारे सवाल उसके माइंड मे चल रहे थे. लेकिन वो फिर भी मुस्कुरा रही थी कि जो भी अहसास है अच्छा अहसास है. उसके बाद उसकी नज़रे अपनी गीली पैंटी पे जाती है, पैंटी के अंदर हाथ डालती है और देखती है कि एक लिक्विड बाहर आया हुआ है. ये लिक्विड क्या है, क्यू आ रहा है.

कहीं ये कुशल की बातो से तो नही...., नही नही ऐसा कैसे हो सकता है आख़िर वो मेरा भाई है. प्रीति ने मन मे सोचा. उसने अपनी पैंटी उतारी और अब वो बिल्कुल नगन सिचुयेशन मे थी. बाथरूम मिरर मे उसने अपने आप को देखा और देखती ही रह गयी. गुलाब की पंखुड़ियो जैसे लिप्स, गोरे गोरे चीक्स, सिल्की हेर, मजबूत अमरूद जैसे बूब्स, और बस क्या बताऊ. उसे बस अपनी बॉडी मे एक चीज़ अजीब लगी जो कि उसकी पुसी पे आए हुए बड़े बड़े बाल. उनको देख कर वो शर्मा गयी, उसने सोचा कि क्यू ना आज क्लीन कर लू इन्हे. उसने अपना एलेक्ट्रिक शेवर सर्च करना शुरू किया लेकिन नही मिला. टवल लपेट कर वो बाथरूम के बाहर आई, और अपने रूम मे ढूँढा लेकिन नही मिला. अच्छे तरीके से सर्च करने के बाद भी नही मिला तो सोचा कि कहीं आराधना दीदी ने तो नही ले लिया है. लेकिन उनके पास तो अपना है, कहीं बाहर टाय्लेट मे तो नही है. हाँ शायद वहाँ हो सकता है, ये सोच कर वो बाहर जाने का फ़ैसला करती है लेकिन सोचती है कि बाहर कुशल है क्या टवल मे जाना सही होगा. फिर उसके मन मे आता है कि क्यूँ जब वो शॉर्ट मे एक्सर्साइज़ कर सकता है तो क्या मे टवल मे बाहर नही जा सकती. और आख़िर कार वो बाहर आ ही जाती है, कुशल के पाँव तले से ज़मीन खिसक जाती है. वो टवल भी कोई फुल साइज़ नही था, उसके बूब्स पे बेहद टाइट था और थाइस तक कवर कर रहा था.
कुशल-" लगता है तेरे पास भी कपड़ो की कमी हो गयी है." कुशल उसे उसी तरीके से छेड़ता हुआ बोलता है जिस तरीके से प्रीति ने उसे छेड़ा था.

प्रीति -" जो ढका होना चाहिए वो ढका हुआ है तो तुझे क्यू लगा कि कपड़ो की कमी है मेरे पास". प्रीति ने भी साइड पोज़ मे अपने बूब्स को थोड़ा बाहर निकालते हुए ये बात कही और अपनी बात का बदला ले लिया. और कुशल के मूँह से कोई शब्द नही निकले. फिर वो फर्स्ट फ्लोर टाय्लेट मे जाकर अपना एलेक्ट्रिक रेज़र सर्च करने लगती है. कुशल उसे देख रहा था कि वो कुच्छ ढूंड रही है. वो अपने रूम मे जाता है और बाहर आता है.

कुशल -" क्या इसे ढूंड रही है?". उसके हाथ मे एलेक्ट्रिक शेवर था, जिसे देख कर प्रीति का चेहरा लाल पड़ जाता है और वो भाग कर कुशल के हाथो से वो छीन लेती है.

प्रीति - " तो बदमाश आज कल तू मेरे रूम मे चोरी भी करने लगा है". प्रीति ने स्माइल करते हुए कहा.

कुशल -" मेने सोचा कि पैसे क्यू वेस्ट करने, इसीलिए तेरा ही यूज़ कर लिया".

प्रीति - " लेकिन अभी तो तेरी शेविंग ठीक से आई भी नही".

कुशल - " तो मेने इसे फेस शेविंग के लिए उसे नही किया". और फेस पे शैतानी मुस्कान थी.

प्रीति - " तो क्या गंजा होने के लिए चुराया था तूने ये".

कुशल-" गंजा तो किया है लेकिन सर को नही किसी और को" और ये कहते हुए उसकी निगाहे नीचे जाती है अपने शॉर्ट की तरफ. प्रीति का मूँह खुला का खुला रह जाता है उसकी इस बात पर और वो शरमा कर अपने रूम मे भाग जाती है. बाथरूम मे पहुँच कर वो अपना गेट बंद कर लेती है. कुशल पीछे पीछे पहुँच जाता है. और चुप चाप जाकर उसके बेड पे बैठ जाता है, वहीं साइड मे उसकी पिंक ब्रा पड़ी थी जिस पे 32 सी लिखा हुआ था.

कुशल - "प्रीति ये 32सी क्या होता है"?

प्रीति - " नलायक तू यहाँ भी आ गया, भाग यहाँ से.

कुशल - " बता पहले कि ये 32सी क्या होता है".

प्रीति - " तेरा सर होता है भाग यहाँ से, और नहाने दे मुझे".

कुशल -" मेरे सर का ऐसा तो ऐसा साइज़ नही होता".

प्रीति -" तो कैसा साइज़ होता है". प्रीति ने अब अपना एलेक्ट्रिक रेज़र स्टार्ट कर लिया था जिसकी आवाज़ बाहर कुशल भी सुन रहा था.

कुशल - " बताऊ कैसा साइज़ होता है".

प्रीति - " हाँ बता". उसने अपनी पुसी को क्लीन करना शुरू कर दिया था.

कुशल -" पक्का बताऊ".

प्रीति -" हाँ बता ना".

कुशल -" कभी नापा नही किया लेकिन 8 इंच से कम नही होगा". ये बात सुनते ही प्रीति के तो जैसे होश ही उड़ गये, उसके पाँव मे जैसे जान ही नही रही. फिर भी उसने अपने आप को संभालते हुए बोला

प्रीति -" ये क्या साइज़ बता रहा है, क्या अपनी हाइट बता रहा है". लेकिन प्रीति पर कुशल की बात का गहरा असर हुआ था और चूत की क्लीनिंग मे उसे साफ अहसास हो रहा था कि वो बुरी तरीके से पानी छोड़ रही है.

कुशल-" ये हाइट नही लेंथ होती है, कहे तो विड्त और बताऊ?"

प्रीति -" मुझे नही पता करनी, तू जा यहाँ से".

कुशल -" सच मे जाउ"?

प्रीति -" मुझे पता है बताए बिना तू नही जाएगा तो बता दे और भाग यहाँ से".

कुशल- " विड्त होगी करीब 3 इंच". ये सुनते ही प्रीति के मूँह से सर्प्राइज़ वाला आन्ह्ह्ह निकला जिसे कुशल ने भी सुना. प्रीति बच्ची नही थी और वो समझ रही थी कि वो किस की बात कर रहा है, वो अपने माइंड मे सोच कर ही डर गयी थी कहीं मेरा भाई मज़ाक तो नही कर रहा है. अगर ये साइज़ सच है तो इसकी वाइफ तो गयी. फट जाएगी बेचारी की.

कुशल -" अब तो बता दे कि ये 32सी क्या है".

प्रीति -" अपनी किसी गर्ल फ्रेंड से पुच्छ ले".

कुशल-" मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नही है". प्रीति मन मे सोच रही थी कि अगर कोई बनेगी भी तो तेरा देख के भाग जाएगी.

प्रीति -" तो मम्मी से पुच्छ ले जाकर वो बता देगी". प्रीति ने इतराते हुए कहा.

कुशल -" मम्मी से 32सी क्यू पुछुन्गा, उनसे तो 36डी पुछ्ना पड़ेगा". ये बात सुनकर प्रीति की हँसी छूट गयी. मन मे वो सोच रही थी कि ये तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला मम्मी का भी साइज़ पता है. इतने मे नीचे से आवाज़ आती है " कुशल, ओ कुशल". ये स्मृति बुला रही थी कुशल को नीचे, वो हड़बड़ा जाता है और नीचे भाग जाता है.

अब लंच टाइम है, स्मृति के मन मे बस ट्रिपल ऐक्स_लाइयन ही घूम रहा है. उसने फ़ैसला किया था कि अब उससे कभी चॅट नही करेगी लेकिन वो उसके मन से नही निकल पा रहा था. डर डर के उसने फ़ेसबुक लॉगिन किया, पता चला के लाइयन ने उसे मेसेज भेजा हुआ है - तुमसे एक बात पुच्छनी थी, हो सके तो रिप्लाइ करना. स्मृति ने सोचा कि वो रिप्लाइ नही करेगी.
उसने फ़ेसबुक से लोग आउट कर दिया और टीवी ऑन कर दिया. वो चॅनेल पे चॅनेल चेंज किए जा रही थी लेकिन उसका ध्यान कहीं और था. "ये क्या हो रहा है मुझे, मेरा मन क्यू नही लग रहा". उसने आप से सवाल किया. उसे कुच्छ समझ नही आ रहा था, रह रह कर उसका ध्यान फ़ेसबुक पर ही जा रहा था. " ये बदतमीज़ लड़का मुझसे क्या पुछ्ना चाहता है". उसके मन मे ये सवाल चल रहा था. वो अपने

मन मे सोच रही थी अगर अबकी बार इसने कोई बदतमीज़ी करी तो मुझसे बुरी भली सुन लेगा. उसने सोचा क्यू ना जाना जाए क़ि आख़िर ये जान ना क्या चाहता है. बड़ी हिम्मत करके उसने फ़ेसबुक लॉगिन किया और उसे रिप्लाइ किया.

स्मृति - मुझे तुम जैसे बदतमीज़ लड़को मे कोई इंटेरेस्ट नही है, इससे पहले कि मे तुम्हे ब्लॉक कर दू अपनी औकात मे आ जाओ. एक इंसान के नाते पुछ लेती हू कि क्या पुच्छना चाहते हो, अगर ग़लत बात हुई तो मे तुझे ब्लॉक कर दूँगी. और मेसेज कर के शांत बैठ जाती है, इस टाइम ट्रिपल ऐक्स_लाइयन ऑनलाइन शो हो रहा था लेकिन उसका कुच्छ रिप्लाइ नही आया. एक मिनिट, दो मिनिट, 5 मिनिट आंड फाइनली 10 मिनिट लेकिन उसका कोई रिप्लाइ नही आता है. स्मृति उसकी इस हरकत से पागल हो जाती है और फिर से टाइप करती है.

स्मृति - क्यू दम नही रहा पुच्छने का कुच्छ भी.

ये लिखने के बाद स्मृति की स्क्रीन पर लिखा आ जाता है कि ट्रिपल ऐक्स_लाइयन ईज़ टाइपिंग, ये देख कर स्मृति के चेहरे पे एक अलग टाइप की खुशी आ जाती है.

लाइयन - अब क्या पुच्छू, सोचा था मुझे एक अच्छी दोस्त मिल गयी है लेकिन ये दोस्त तो मुझे अपनी औकात मे रहने की बात करती है. मे सच मे ही बहुत खराब लड़का हू, प्लीज़ कर दो मुझे ब्लॉक.

स्मृति - सच मे तुम एक खराब लड़के हो, नही तो उस दिन वैसी बात नही लिखते.

लाइयन - कैसी बात?

स्मृति - तुम्हे सब पता है कि मे कौन सी बात की कर रही हू.

लाइयन - स्मृति जी, मे एक जवान लड़का हू. पता नही कितनी लड़कियो और लड़को से चॅट होती है, हर टाइप की बात होती है इसमे बुरा मान ने वाली कौन सी बात है.

स्मृति - मे उन सब जैसी नही हू जो तुमसे गंदी गंदी बाते करते है. मे एक शरीफ लेडी हू जिसके हज़्बेंड उसे बहुत प्यार करते है और जिसके 3 बच्चे भी है.

लाइयन- हज़्बेंड और प्यार? ये किस चीज़ का नाम है? हा हा हा

स्मृति - यू डॉग, तुम्हे रीलेशन का मीनिंग पता ही नही है. अगर तुम मेरे सामने होते तो एक थप्पड़ पड़ता अभी तुम्हे.

लाइयन - थप्पड़ तो हम खा लेंगे लेकिन बताइए ना कि मेने ग़लत क्या कहा.

स्मृति - हाउ डरे यू पॉइंट आउट माइ हज़्बेंड'स लव.

लाइयन- स्मृति जी, नाराज़ मत होना लेकिन कौन हज़्बेंड प्यार करता है अपनी वाइफ से. वो सब तो बस चूत से प्यार करते है. जिसकी जितनी अच्छी चूत उसको उतना ही प्यार मिलता है. 10 दिन उन्हे चूत मत दो तो पता चल जाएगा की वो कितना प्यार करते है. मेरी डर्टी लॅंग्वेज को माइंड मत करना लेकिन मे क्या करू जब बचपन से ही मेने ये लॅंग्वेज सीखी है.

स्मृति - यू बस्टर्ड, जब तू मरेगा ना तो देखियो कि तेरी लाश को भी कोई नही कंधा देने आएगा.

लाइयन - मेरी लाश को कोई कंधा देने नही आएगा क्यूंकी मेने सच बोला, या मेने चूत को चूत बोल दिया.

स्मृति - तुम चाहते तो उसके लिए कुच्छ और भी शब्द यूज़ कर सकते थे लेकिन तुम हो ही गंदे.

लाइयन - स्मृति जी मेने बताया ना कि बचपन से ही यही सीखा है. हो सके तो आप कुच्छ अच्छा सिखा दो.

स्मृति - अगर कभी तुम्हारी मा के वहाँ प्राब्लम हो जाए और डॉक्टर पुछे कि क्या परेशानी है तो क्या कहोगे.

लाइयन - आप यकीन तो नही करेंगी लेकिन मे तो डॉक्टर से सीधा बोलूँगा कि मेरी मा की चूत मे परेशानी है. जितनी देर मे शरीफो वाली लॅंग्वेज मे डॉक्टर को सम्झाउन्गा उतनी देर मे तो मा का घाघरा फट जाएगा.

उसकी ये बात सुनकर सिमरन अपनी हँसी नही रोक पाती और बहुत ज़ोर ज़ोर से हँसने लगती है. फिर उसे अहसास होता है कि वो कुच्छ ज़्यादा ही एग्ज़ाइटेड हो गयी है, फिर से नॉर्मल होते हुए स्क्रीन की तरफ देखती है.

स्मृति - मुझे लगता है कि तुम एक शरीफ और अच्छे लड़के बन सकते हो.

लाइयन - मुझे किस के लिए शरीफ बन ना है. वैसे मेडम क्या मे जान सकता हू क़ि आप मुझे बदमाश क्यू कह रही है.

स्मृति - वो ही गंदे शब्दो का यूज़ करना. ये अच्छे लड़को की पहचान नही है.

लाइयन - तो आपसे पुछ्ता हू कि अगर आपकी चूत मे कुच्छ परेशानी हो तो आप डॉक्टर को कैसे बताओगि.

स्मृति - मे इशारे से बता दूँगी कि मुझे वहाँ परेशानी है.

लाइयन - अगर डॉक्टर अँधा हुआ तो?

फिर से इस बात पर स्मृति को बहुत तेज हँसी आ जाती है. फिर से कंट्रोल करते हुए वो टाइपिंग करना शुरू करती है.

स्मृति - तो धीरे से उसके कान मे कह दूँगी कि मेरी पुसी मे परेशानी है.

लाइयन - वाह स्मृति जी वाह, चलो कुच्छ तो सीख ही लिया हम ने आपसे. लगता है आपके साथ रह कर तो मे बिल्कुल ही शरीफ हो जाउन्गा.

स्मृति - मे खुद भी चाहती हू कि तुम अच्छे लड़के बनो.

लाइयन - उससे क्या होगा?

स्मृति - सब लोग शरीफ लड़को को अच्छा बताते है.

लाइयन - पता नही आपसे चॅट करते हुए तो डर लगता है. मुझे रोड पे लड़किया धमका दे या मुझे गाली दे दे तो मुझे डर नही लगता लेकिन पता नही आपसे क्यू डर लगने लगा है.
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rocky123
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Re: फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (RESTARTED)

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स्मृति - हमारी पर्सनॅलिटी ही ऐसी है.

स्मृति ने इतराते हुए टाइप किया.

लाइयन - हाँ ये तो बात है.

स्मृति - और बताओ

लाइयन - पुछो जी, हम बता देंगे

स्मृति - क्या करते हो?

लाइयन - लड़कियो से चाटिंग, घूमना फिरना और एंजाय

स्मृति - काफ़ी खुश दिल लगते हो

लाइयन - लाइफ एक है, ये आप के उपर है कि शराफ़त का बोझ ढोते रहो या एंजाय करो

स्मृति - लड़कियो से चाटिंग करके तुम्हे क्या मिलता है?

लाइयन - हर कली को भंवरे की तलाश होती है और मे वो ही भँवरा हू.

स्मृति - ये कैसी फिलोसॉफिकल बाते करते हो. कलियाँ क्यू आएँगी इस भंवरे के पास, शादी तो हो ही जानी है उनकी.

लाइयन - स्मृति जी, आपकी नज़र मे तो हू ही बदनाम लेकिन फिर भी बता देता हू कि इस नाचीज़ के पास शादी शुदा कलियाँ ही ज़्यादा आती हैं अपना रस चुसवाने के लिए.

स्मृति - तो इस इंडिया मे अकेले मर्द हो तुम. हा हा हा हा हा

लाइयन - अकेला तो नही हाँ लेकिन मर्दो मे से एक हू.

स्मृति - हर मर्द यही कहता है.

लाइयन - सच बोलू तो आपसे कहना नही चाहता था लेकिन आपने मजबूर कर दिया कहने के लिए. आपको तो मे प्रॅक्टिकली बताता कि मर्द क्या होता है.

स्मृति - हा हा हा हा हा. ख्वाब बहुत देखते हो तुम. मुझे क्या ज़रूरत है जान ने कि तुम कितने बड़े मर्द हो, मेरे हज़्बेंड सबसे बड़े मर्द है इस दुनिया के.

लाइयन - हज़्बेंड चाहे कितना भी बड़ा मर्द क्यू ना हो, सेक्स ऐसी चीज़ है जो एक्सपेरिमेंट्स से ज़्यादा सॅटिस्फाइ करती है. रेग्युलर सेक्स से हज़्बेंड भी बोर हो जाता है और वाइफ भी, जिन हज़्बेंड को मौका नही मिल पाता वो हमेशा अपनी बीवी के ही पीछे लगे रहते है. ये एक ऐसी फॅंटसी है जिसे समझदार लोग जल्दी समझ लेते है और बेवकूफ़ लोग इसी सच के साथ जीते और मर जाते है. इंडिया मे ऐसी कितनी लॅडीस है जिन्हे आज तक सेक्स पोज़िशन्स तक के बारे मे नही पता, उनको बस इतना पता है कि हज़्बेंड आएगा, उपर लेटेगा और काम कर देगा.

स्मृति - गुरु जी बस. आप बस चुप ही रहो, और अपनी समझ अपने पास ही रखो.

तभी पंकज की एंट्री होती है रूम मे, स्मृति के तो जैसे होश ही उड़ जाते है और स्मार्ट्फोन उसके हाथ से छूट के गिर जाता है और बॅटरी बाहर. सिमरन अपने आप को बड़ी मुश्किल से संभालती है. पंकज अभी अंदर आकर गेट बंद करता है.

स्मृति - " क्या गेट नॉक करके नही आ सकते हो, डरा दिया मुझे". पंकज पीछे मूड कर देखता है जैसे स्मृति किसी और से कह रही है.

पंकज- " क्या आप हम से कुच्छ कह रहीं है?".

स्मृति - " नही पड़ोसियो से कह रही हू". और पंकज धीरे धीरे उसके पास आने लगता है, स्मृति उठ कर बेड के कोने मे खड़ी हो जाती है.

पंकज -" इतना ना तरसाओ मेरी जान, बस तुम ही तुम दिखाई दे रही हो चारो तरफ".

स्मृति - " ठीक है तो प्यार से बाते करते है".

पंकज -" प्यार से कभी बाते होती है, प्यार से सिर्फ़ प्यार होता है और वही करने मे आया हू". स्मृति के दिमाग़ मे लाइयन की बात घूमने लगती है कि हज़्बेंड्स को वाइफ से बस एक ही काम होता है, नही तो पास भी नही आते है.

स्मृति - " मेरा प्यार करने का कोई मूड नही है". और बेड के दूसरे कोने से उतर कर जल्दी से भाग जाती है. पंकज मन मार कर रह जाता है. अपने लंड पर हाथ लगाते हुए उपर देखता है और कहता है कि " बीमारी दे दी इसके रूप मे, अब कम से कम दवाई का तो इंतज़ाम करा". और हंसते हंसते रूम के बाहर चला जाता है.

इधर सिमरन और आराधना का कॉलेज ख़तम होने का टाइम हो जाता है. सिमरन कॅंटीन मे पहुँचती है आराधना से मिलने के लिए. आराधना के हाथ मे कॅरोट जूस का ग्लास था.

सिमरन - " तो मेरी जान अकेले अकेले जूस पी रही है. "

आराधना -" सॉरी डियर, तुझे फोन करने ही वाली थी कि इतने मे तू आ ही गयी". आराधना उसे जूस ऑफर करती है लेकिन सिमरन ये कह कर मना कर देती है उसका कुच्छ खाने का मन है पीने का नही.

सिमरन -" भैया 2 समोसे देना". कॅंटीन वाले भैया से 2 समोसे मांगती है.

आराधना -" प्लीज़ मेरे लिए मत लेना"

सिमरन -" क्यू समोसे मे ऐसी क्या बुराई है".

आराधना - " यार कितना फॅट होता है और आयिली भी, वेस्ट भी 24 से 26 होने आ जा रही है".

सिमरन -" मेरी जान मुझे समझ नही आता कि इतनी फिगर कोन्सियस क्यू है, जब तू किसी की लाइन आक्सेप्ट नही करती."

आराधना - " यार हर लड़की को फिगर कोन्सियस होना चाहिए, मे भी हू. इसमे बुरा क्या है".

सिमरन-" कपड़ो मे अपनी बॉडी का हर पार्ट तू ढक कर रखती है, ऐसी फिगर का क्या फ़ायदा जिसे कोई देख ही ना सके".

आराधना -" तू दिखाती फिर अपनी बॉडी, मे तो बस अपने हज़्बेंड को दिखाउन्गि". आराधना ने इतराते हुए कहा.

सिमरन -" अगर मे शॉर्ट कपड़े पहनती हू तो मना करती और वैसे कहती है कि तू दिखाती फिर अपनी बॉडी".

आराधना -" मेने तुझे कम कपड़े पहन ने से मना नही किया, तू नंगी घूम चाहे. बस मेरे घर अच्छे कपड़े पहन कर आया कर."

सिमरन - " अच्छे यानी कैसे कपड़े".

आराधना -" सूट सलवार पहन लिया कर या सारी. दोनो ही कपड़ो मे लड़किया अच्छी लगती है". ये बात सुनकर एक शैतानी मुस्कान थी सिमरन के चेहरे पर.
आराधना -" ऐसे क्यू हंस रही है".

सिमरन-" मेरी जान तेरी ये तमन्ना मे ज़रूर पूरा करूँगी". और फिर वो दोनो घर के लिए रवाना हो जाते है. थोड़े ही देर मे सिमरन आराधना को उसके घर ड्रॉप कर देती है. आराधना आते ही उपर जाती है और थक कर सो जाती है.

शाम के 6 बजे है, स्मृति बाहर लोकल मार्केट मे वेजिटेबल्स लेने गयी और तीनो बच्चे अपने रूम मे सो रहे है. पंकज ग्राउंड फ्लोर पर ईव्निंग एक्सर्साइज़ कर रहा है. उसने एक बॉक्सर शॉर्ट पहना हुआ है और स्लीवेलेस्स टी- शर्ट.

" ट्रिंग, ट्रिंग". डोर बेल बजती है और पंकज शॉक्ड हो जाता है. "मुसीबत अभी तो बाहर गयी थी आ गयी क्या". वो मन मे सोचता हुआ डोर की तरफ बढ़ता है. वो स्मृति के बारे मे सोच रहा था कि वो मार्केट से जल्दी आ गयी है.

डोर खुला और जैसे पंकज को होश ही नही रहा. बाहर सिमरन खड़ी थी, एक स्लीवेलेस्स सूट मे, वाइट कलर का स्लीवेलेस्स सूट आंड ग्रीन कलर की टाइट पयज़ामी. उसके उपर दुपट्टा ग्रीन और वाइट मिक्स कलर का था. हाइ हील सॅंडल्ज़, खुले हुए बाल और वो भी गीले ही थे जैसे अभी ही फ्रेश होकर आई हो वो. डार्क लिपस्टिक लगाई हुई थी उसने. सूट इतना टाइट था कि ऐसा लग रहा था कि बूब्स या आस पर से भी कभी भी फट सकता है और उसकी बॉडी आज़ाद हो सकती है. सेक्सी शब्द काफ़ी नही था उसकी बॉडी के लिए, वो उससे कहीं बढ़ कर लग रही थी. उसके हाथ मे एक ब्रॅंडेड पोलिबॅग था.

सिमरन " मे आइ कम इन". सिमरन ने पंकज की आँखो मे देखते हुए बोला. पंकज की हालत बेहद खराब थी, सिमरन का ये रूप उसका होश उड़ चुका था.

पंकज -" या सू.. सू.. श्योर". सिमरन स्टाइल मे चलते हुए घर मे एंट्री लेती है. वो आज जान बुझ कर जान लेवा अंदाज़ मे चल रही थी, चलते चलते अचानक अपना चेहरा पीछे की ओर घुमाती है और पंकज को अपनी आस की ओर घूरता पाती है. उसकी हँसी छूट जाती है.

सिमरन-" अंकल आराधना कहाँ है".

पंकज -" कभी हम से भी बात कर लिया करो". पंकज उसकी नज़रो मे घूरता हुआ बोलता है. सिमरन हॉल मे रखे सोफे पर बैठ जाती है और स्टाइल मे एक टाँग के उपर दूसरी टाँग रखते हुए बोलती है.

सिमरन -" यू नो अंकल, मेन'स की ये प्राब्लम है कि वो ज़्यादा टाइम बात नही कर पाते. ज़्यादा से ज़्यादा 5 मिनिट और ख़तम." उसकी डबल मीनिंग बात को पंकज अच्छे से समझ रहा था.

पंकज -" एक बार मौका तो दो बात करने का, तभी बताएँगे कि हम कितनी देर बात कर पाएँगे" ये बात बोलते हुए पंकज अपना हाथ लंड पर ले आता है और उसे उपर से सहलाने लगता है.

सिमरन - " अंकल क्यू ना आप आराधना से बाते करे. वो भी समझदारी से समझेगी आपकी बात". सिमरन ने आँख मारते हुए कहा. पंकज ने ये सुनते ही अपना हाथ अपने लंड से हटा लिया.

पंकज-" आराधना मे वो बात कहाँ जो तुम मे है. आराधना तो अभी बच्ची है, लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि तुम मेरी पूरी बात हजम कर पाओगि". पंकज सिमरन की पयज़ामी पे देखते हुए बोलता है.

सिमरन -" हा हा हा हा हा हा हा".

पंकज -" हंस क्यूँ रही हो"

सिमरन - " नही आपने कहा ना कि आराधना बच्ची है, आपको बता दू कि किसी भी मर्द की पूरी बात सुन ने के लिए वो पूरी तरह तैयार है". सिमरन का मतलब था कि वो किसी भी मर्द का पूरा लेने के लिए जवान हो चुकी है.

पंकज -" वो अभी तुम्हारे जितनी परिपक्व नही हुई है". पंकज सिमरन के बूब्स की तरफ देखते हुए बोलता है.

सिमरन -" अगर आप कहेंगे तो मे दिखा दूँगी कि वो कितनी परिपक्व हो चुकी है लेकिन आपको सपोर्ट करना पड़ेगा. बोलो तैयार हो?"

पंकज -" हाँ हाँ क्यू नही, बोलो क्या करना है".

सिमरन -" तो सुनिए, मे उपर जाउन्गि आराधना के रूम मे. वो उपर से जो भी आपसे पुछेगि बस आपको हाँ हाँ मे जवाब देना है".

पंकज -" मे तैयार हू लेकिन तुम्हारा ये रूप देख कर मुझसे बात किए बिना रहा नही जा रहा.

सिमरन ये सुन कर सोफे से खड़ी होती है. एक झटके से अपना दुपट्टा हटाती है, टाइट सूट मे उसके बूब्स की लाइन और भी क्लियर दिखाई देने लगती है. वो पंकज की तरफ कदम बढ़ाना शुरू करती है, उसकी हाइ हील की ठक ठक पंकज के दिल पे बिजलिया गिरा रही थी. वो आगे बढ़ती जाती है और ठीक पंकज के सामने आकर खड़ी हो जाती है. दोनो अभी एक दूसरे के सामने खड़े है, तभी सिमरन अपने घुटनो के बल बैठ जाती और अपनी बड़ी बड़ी आँखो से पंकज की निगाहो मे देखती है. उसके तुरंत बाद अपने दोनो हाथ पंकज जी बॉक्सर रखती है और उसे नीचे खींच देती है.
पंकज की तो जैसे लॉटरी लग गयी. बॉक्सर उतरते ही सिमरन पंकज के मोटे और तगड़े लंड को अपने डार्क लिपस्टिक वाले लिप्स से चूसने लगती है. वाउ क्या नज़ारा था, सिमरन जैसी सेक्सी गॉडेस पंकज का लंड चूस रही है. सिमरन उसे थोड़ा और मूँह के अंदर ले जाती है और फिर बाहर निकाल कर पंकज की आँखो मे देखती हुई बोलती है कि " यू लाइक दट?". पंकज आज सातवे आसमान पर था, स्मृति ने कभी उसका लंड नही चूसा था. ये उसके लिए पहला अनुभव था. सिमरन अपने दोनो हाथों की फिंगर से पंकज के लंड को पकड़ कर चूस रही थी. उसकी सेक्सी नेल पैंट वाली फिंगर्स के बीच पंकज का काला और भयानक लंड, ये देख कर पंकज बेहद ज़्यादा एग्ज़ाइटेड होता जा रहा था. लंड चूस्ते टाइम सिमरन की आँखे पंकज की तरफ ही थी, पंकज क्या कोई भी इंडियन मर्द यही चाहता है कि जब उसे प्यार मिले तो खुल कर मिले उसमे शरम नाम की कोई चीज़ ना हो. आज पंकज के साथ यही हो रहा था.

सिमरन ने लंड चूसने की स्पीड बढ़ा दी थी और अब उसने पूरे लंड को मूँह मे लेना शुरू कर दिया था. वो उसके गले मे भी अटक रहा था लेकिन वो खुद भी चाहती थी कि पंकज को पूरा प्लेषर दे. सिमरन की लिप स्टिक भी अब हट कर लंड पर लगने लगी थी, लेकिन सिमरन हिम्मत हारने वाली नही थी. इतने मोटे लंड के बार बार गले मे टकराने से उसकी आँखो मे पानी भी आ गया था.

और ठीक उसके कुच्छ मिनिट बाद हॉल पंकज की आआअहह से गूँज गया और सिमरन का मूँह उसके वीर्य से भर गया. सिमरन अभी हार नही मान रही थी और उसने लंड को जब तक नही छोड़ा जब तक कि उसके लंड से आख़िरी बूँद ना निकल गयी हो. और फाइनली सिमरन खड़ी हो जाती है, पंकज के चेहरे पर सॅटिस्फॅक्षन के भाव थे.

पंकज -" आज तुमने मुझे वो गिफ्ट दिया है जो आज तक मुझे अपनी आधी लाइफ मे नही मिला. आइ आम सो हॅपी". और सिमरन के लिप्स को किस करने के लिए आगे बढ़ता है. लेकिन सिमरन उसके छूट कर पीछे भाग जाती है. अपना दुपट्टा उठाती है और उपर वाले फ्लोर की तरफ भागने लगती है.

पंकज -" स्वीटी अभी काम पूरा नही हुआ.".

सिमरन -" मे जितना आपके लिए कर सकती थी मेने कर दिया इसके आगे कुच्छ नही". और उसे चुटकी बजा कर उंगली दिखाती है. और फिर वो उपर भाग जाती है. आराधना अपने रूम मे जाग चुकी थी. जैसे ही आराधना सिमरन को देखती है उसके होश उड़ जाते है.

आराधना -" तू और यहाँ, और ये कैसे कपड़े पहन रखे है तूने".

सिमरन-" क्यू ये भी अच्छे नही है क्या. तूने ही तो कहा था कि पूरे कपड़े पहन कर मेरे घर आया कर सो पूरे कपड़े पहन कर ही आई हू".

आराधना -" चल छोड़ इन बातो को, और सुना क्या हो रहा है".

सिमरन -" कुच्छ नही मे उपर आ रही थी तो तेरे डॅडी ने ये पोलिबॅग दिया और कहा कि ये मे आराधना के लिए लाया हू". सिमरन ने उसे वो पोलिबॅग दिया जिसे वो अपने घर से लाई थी.

आराधना -" ओह माइ गॉड, डॅडी मेरे लिए गिफ्ट लाए है, दिखा तो ज़रा". वो छीन लेती है पोलिबॅग सिमरन के हाथ से. उस बॅग को खोल कर देखती है, उसमे एक ब्लू कलर की ट्रॅन्स्परेंट साड़ी, एक स्लीवेलेस्स ब्लाउस, एक ब्लॅक ब्रा आंड एक ब्लॅक पैंटी थी. आराधना शॉक्ड मे थी कि क्या उसके डॅडी ही लाए है ये उसके लिए. वो भाग कर रेलिंग पे जाती है और आवाज़ लगा कर डॅडी से पूछती है कि डॅडी क्या जो आराधना ने मुझे दिया वो आप ही लाए है. पंकज के साथ ये डील पहले ही सिमरन कर चुकी थी. तो पंकज भी हाँ हाँ जवाब दे देता है. और आराधना भाग कर वापिस अपने रूम मे आ जाती है. वो आज बहुत हॅपी थी. ब्रा उठाती है और उसमे साइज़ देखती है 36सी.

आराधना -" लेकिन डॅडी को कैसे पता चला कि मेरा साइज़ क्या है".

सिमरन- " यार इस साइज़ मे बड़ी बात क्या है, तीन तीन बच्चे पैदा कर दिए उन्होने स्मृति आंटी के साथ खेलते खेलते. आइडिया तो रहता ही है फादर्स को."

आराधना -" तो तेरे फादर को भी पता है कि तेरा साइज़ क्या है"

सिमरन -" मेरी जान तू सवाल बहुत करती है. हाँ मेरे फादर को भी मेरा साइज़ पता है, यहाँ तक कि मेरी पैंटी का भी." सिमरन उसके गालो पे चिकोटी काट के बोलती है.

सिमरन -" चल अब देर मत कर, अंकल ने बोला है कि आराधना से बोलो कि वो इन कपड़ो को पहन कर मुझे दिखाए".

आराधना -" सच मे डॅडी ने ऐसे बोला है".

सिमरन -" तुझे यकीन नही है तो पुच्छ ले". इस बार आराधना पुच्छने नही जाती है, और भाग कर बाथरूम मे उन कपड़ो को लेकर घुस जाती है. करीबन 10 मिनिट तक वो अंदर ही कपड़े पहनती रहती है. फिर उसकी आवाज़ आती है.

आराधना-" यार सिमरन, कपड़े तो अच्छे है लेकिन साड़ी कुच्छ ज़्यादा ही ट्रॅन्स्परेंट है, ब्लाउस कुच्छ ज़्यादा ही टाइट है".

सिमरन -" मेरी जान तूने कभी साड़ी और ब्लाउस नही पहना है ना तो तुझे ऐसा लग रहा है. ब्लाउस पहन कर एक बार अंगड़ाई लेगी ना तो सब अड्जस्ट हो जाएग."

आराधना -" तू सच कह रही है ना".

सिमरन -" अब जल्दी बाहर आ जा, मे झूठ नही बोल रही हू". 10 मिनिट के बाद आराधना बाहर आ जाती है और खुद सिमरन उसे देख कर शॉक्ड रह जाती है. ब्लू कलर की ट्रॅन्स्परेंट साड़ी, स्लीवेलेस्स ब्लाउस वो भी इतना टाइट, पेटिकोट भी फिटिंग का था. ब्लाउस के अंदर से बूब्स जैसे बाहर आने को तैयार थे, इतना टाइट था वो. पेटिकोट की लेंग्थ कम थी तो एक दम लो वेस्ट आ रहा था, जिससे कि आराधना की नाभि क्लियर विज़िबल थी. सिमरन को खुद भी आशा नही थी कि वो इतनी सेक्सी लगेगी.

सिमरन -" ओये मे मर जावां. क्या कयामत लग रही है. अंकल ने सही कपड़े चुने अपनी जवान और सेक्सी बेटी के लिए".

आराधना -" तू फिर शुरू हो गयी, चल अब नीचे चल डॅडी के पास".

सिमरन -" मेरी जान रुक तो सही, अभी थोड़ा मेक अप तो कर दू तेरा." सिमरन उसके बाल खोल देती है, उसके लिप्स पर सेक्सी लिपस्टिक लगाती है, गोरे हाथों मे चूड़ीयाँ देती है पहन ने के लिए. और उसके बाद दोनो नीचे आने लगते है.

आराधना -" यार मुझे ब्लाउस बहुत टाइट लग रहा है". नीचे उतरते हुए आराधना सिमरन के कानो मे कहती है.

सिमरन -" एक अंगड़ाई लेगी सब सही हो जाएगा". और दोनो नीचे आ जाते है. " देखो डॅडी मे कैसी लग रही हू". आराधना अपने डॅडी से पूछती है, पंकज ये देख कर सोफे से आश्चर्यचकित होकर खड़ा हो जाता है.

सिमरन -" अंकल देख लीजिए अपनी बच्ची...... को". सिमरन पीछे खड़े होकर एक आँख मारते हुए पंकज से कहती है. बच्ची शब्द पे आज सिमरन ने कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर दिया क्यूंकी उसे भी पता था कि आज आराधना बेहद गदराई हुई बॉडी वाली लड़की लग रही है. पंकज का मूँह खुला का खुला रह गया. आराधना उसके सामने एक चुटकी बजाती है

आराधना -" डॅडी, डॅडी...

पंकज -" ये... ये... यस बेटा". पंकज होश मे वापिस आता है.

आराधना -" बताइए तो मे कैसी लग रही हू?". इससे पहले कि पंकज कुच्छ जवाब देता, आराधना को ब्लाउस मे कुच्छ प्राब्लम लगती है और वो इशारे मे सिमरन से पूछती है कि क्या करू. सिमरन उसे इशारे मे बताती है कि एक छोटी सी अंगड़ाई ले.

वो अपनी गोरी गोरी बाँहे उपर करके एक अंगड़ाई लेती है, उसकी बिना बालो वाली गोरी गोरी अंडरआर्म्स पंकज के सामने थी. उसके अंगड़ाई लेते ही कटक कटक की दो आवाज़े आती है और ब्लाउस के बटन बाहर.

सोचो दोस्तो ये क्या हो गया.....आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
KONG
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Re: फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (RESTARTED)

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Re: फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (RESTARTED)

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सिचुयेशन ऐसी है कि आराधना के ठीक सामने उसके डॅडी यानी पंकज खड़ा है और आराधना के ठीक पीछे सिमरन खड़ी है. ब्लाउस के बटन टूटने से आराधना के बूब्स बस ब्लॅक ब्रा मे रह जाते है. एक जवान लड़की जो अपने गले से नीचे भी कभी किसी को नही देखने देती, एक जवान लड़की जो पूरी कोशिश करती है कि फुल स्लीव कपड़े पहने, एक जवान लड़की जिसने अपने हुस्न को सब की नज़रो से बचा कर रखा हुआ था, आज वो ओपन हो गया वो भी अपने डॅडी के सामने. साड़ी का पल्लू अभी भी उपर था लेकिन ब्लाउस खुल चुका था, ब्लॅक ब्रा मे उसके वाइट हार्ड बूब्स बेहद ही ज़्यादा खूबसूरत दिख रहे थे. उसके बटन टूटने से हॉल मे एकदम सन्नाटा हो जाता है जैसे पिन ड्रॉप साइलेन्स. बड़ी मुश्किल से और शरमाते हुए आराधना अपने दोनो हाथ अपने बूब्स पे रख कर उन्हे कवर करती है पंकज का मूँह खुला का खुला रह गया. उसको ज़रा सा भी आइडिया नही था कि मासूम सी कपड़ो मे धकि रहने वाली काली एक सेक्स बॉम्ब बन चुकी है.

आराधना को कुच्छ समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे, वो शरम के मारे ज़मीन मे गढ़े जा रही थी. दूसरी तरफ उसने राहत की साँस भी ली क्यूंकी ब्लाउस कुच्छ ज़्यादा ही टाइट था. उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसे आज आज़ादी मिल गयी हो.

जैसे ही सब होश मे आते है, आराधना घूम जाती है और उसकी पीठ अब पंकज की तरफ है आंड फेस सिमरन की तरफ. पंकज को अब उसके ब्लाउस की बस स्ट्रिप नज़र आ रही है और उसकी नंगी पीठ. उसका पेटिकोट उसके हिप्स से बस थोड़ा ही उपर बँधा हुआ था तो उसके ब्लाउस और पेटिकोट मे बीच की खाली नंगी जगह का पंकज दीदार बखूबी कर रहा था. जैसे ही आराधना घूमती है, वो इशारे मे सिमरन से पूछती है कि वो क्या करे. सिमरन उसे इशारा करती है कि सिचुयेशन सही नही है और तू उपर भाग जा. आराधना शरमा के उपर जाने लगती है, वो ज़्यादा तेज नही चल सकती है क्यूंकी उसे ये डर है कि कहीं पेटिकोट मे भी कुच्छ ना हो जाए. पंकज की निगाहे बस उसके मटकते हुए चुतडो पर ही जमी हुई है, जाते जाते आराधना पीछे मुड़कर देखती है और पंकज को अपने चुतडो को घूरते हुए पाती है. लेकिन पंकज मस्त है और उसे अहसास नही है कि उसकी जवान बेटी उसको देख रही है. थोड़ी ही देर मे उपर अपने रूम मे पहुँच जाती है. सिमरन इस सन्नाटे को तोड़ती है.

सिमरन -" उन्ह, उन्ह" वो जैसे गले मे खराश हो ऐसा रिएक्ट करती है. इससे पंकज का ध्यान वापिस सिमरन की ओर आता है.

पंकज -" काफ़ी अच्छी लग रही थी". पंकज ने ऐसा रिएक्ट किया जैसे सब नॉर्मल है

सिमरन-" इसे अच्छी नही, डॅम सेक्सी कहते है अंकल. अब भी आप कहोगे कि वो बच्ची है. उसकी बॉडी मे अब कुच्छ ऐसा नही जो बच्चो की मे होता है."

पंकज -" वो तो तुम सही कह रही हो लेकिन अभी भी मेरा ध्यान तुम्हारी ही तरफ है". ये कहते हुए पंकज सिमरन की तरफ बढ़ने लगता है, सिमरन उसे अंगूठा दिखाते हुए घर से बाहर भाग जाती है. पंकज का हैडेक बहुत बढ़ चुका है, उसे कुच्छ समझ नही आ रहा है.
आराधना उपर अपने रूम मे पहुँचती है और अंदर आते ही अपना गेट लॉक करती है. वो अपने साड़ी के पल्लू को अपने कंधे से हटा कर नीचे गिराती है, अपने हॉट आंड सेक्सी बूब्स का क्लीवेज़ देख कर वो खुद सन्न है. मिरर मे अपने आप को देखते हुए वो शरमा रही है. मिरर मे देखते देखते हुए अपना ब्लाउस उतारती है, अभी नीचे सारी और पेटिकोट ही था लेकिन उपर बस ब्रा. वो धीरे धीरे साड़ी को खोलना शुरू करती है. इसके बाद वो पेटिकोट की निट खोलने के लिए अपने हाथ नीचे ले जाती है, अपनी नाभि पर अपने हाथ लगने से ही वो मदहोश सी हो रही है. पेटिकोट की नाट खोलने के बाद भी उसे नीचे उतारने मे बहुत मेहनत लगी वो भी हिप्स पर से, पेटिकोट ऐसे उतर रहा था जैसे कोई फिटिंग की जीन्स हो. अब आराधना बस पैंटी और ब्रा मे है. आज पहली बार ऐसा हुआ है कि बाथरूम से बाहर आराधना ब्रा और पैंटी मे है. वो घूम घूम कर अपने आप को मिरर मे देख रही है, साइड पोज़ मे अपने बाहर निकले स्लॉपी हिप्स को देखती है. उसके चेहरे से मुस्कान जाने का नाम नही ले रही है.

लेकिन सिमरन अपने मकसद मे कामयाब हो चुकी थी वो बस पंकज को असली आराधना दिखाना चाहती थी बल्कि वो आराधना नही जो कपड़ो मे धकि रहती है. पंकज पागलो की तरह खोया हुआ है, सिमरन उसकी अंतर आत्मा को भड़का चुकी थी, वो अभी भी बॉक्सर शॉर्ट मे ही था उसके उपर टी-शर्ट पहन लेता है. सोफे पे बैठ कर वो सोचने लगता है कि कैसे सिमरन उसकी तरफ बढ़ी थी और उसकी सकिंग करनी स्टार्ट कर दी थी. ये सोचते ही उसके अंग अंग मे एनर्जी आ गयी, लंड सूपर हार्ड हो गया और उसके शॉर्ट मे से बाहर निकलने को तैयार हो रहा था. आदमी की भूख जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे वैसे बढ़ती जाती है. वो भी इस सोच मे पड़ गया था कि ये क्या हो रहा है लाइफ मे, स्मृति उसको कुच्छ करने नही देती है और वो है कि चूत के बिना नही रहा जा रहा है. थोड़ा स्ट्रेस को मिटाने के लिए सोफे पे पड़ा सिगरेट बॉक्स उठाता है और एक सिगेरेट सुलगा लेता है. स्मोकिंग करते करते और धुँआ हवा मे उड़ाते उड़ाते उसे फिर से सिमरन का ख्याल आता है. " क्यू ना आराधना से सिमरन का मोबाइल नंबर लिया जाए" पंकज के माइंड मे ये ख्याल आता है. और उसके कदम उपर की तरफ बढ़ने लगते है.

उपर पहुँच कर वो आराधना के रूम का डोर नॉक करता है. आराधना रूम के अंदर ये सोचती है कि शायद प्रीति आई होगी और टवल लपेट कर गेट खोलती है. सामने उसके डॅडी खड़े थे, शॉर्ट और टी-शर्ट पहने हुए. स्मोकिंग करने के अंदाज़ से ही लग रहा था कि वो काफ़ी टेन्स है, लेकिन फिर भी वो एक सेक्सी पर्सनॅलिटी का मालिक था दोनो की नज़रे मिलती है, पंकज पहले बार अपनी जवान बेटी के नंगे शोल्डर्स, और नंगी टांगे देखता है क्यूंकी टवल बस उसको थाइस तक कवर कर रहा था. बिना कुच्छ बोले आराधना घूमती है और धीरे धीरे रूम के अंदर जाने लगती है, जैसे पंकज को अपने पीछे इन्वाइट कर रही हो. उसके सिल्की हेर उसके हिप्स तक आ रहे थे, उन्ही को देखता देखता पंकज उसके रूम मे एंटर हो जाता है. चलते चलते आराधना पीछे देखती है और पंकज की तरफ एक स्माइल देती है. थोड़ा आगे बढ़ कर आराधना बेड के कोने पे बैठ जाती है, उसके बहुत ही करीब पंकज बेत जाता है.
आराधना( नज़रे झुकाए हुए और शरमाते हुए). - " तो कैसी लगी आज मे आपको". उसकी आवाज़ मे कंपन थी.

पंकज -" मुझे सच मे पता नही था कि मेरी बेटी इतनी बड़ी हो चुकी है." पंकज ने एक झटके मे बोल दिया.

आराधना- "धात". शरमाते हुए एक हाथ अपने डॅड के पाँव पे मारती है. आराधना फिर से बोलती है.

आराधना -" लेकिन अचानक ये सर्प्राइज़ कैसे दिया और इसमे सिमरन को क्यू शामिल किया."

पंकज -" ऐसे ही बेटी, आज तक मेने अपने बच्ची को कभी कोई गिफ्ट नही दिया तो सोचा अब की बार दे दू.". ये बात पंकज ने बहुत रोमॅंटिक अंदाज़ मे सिगेरेट का कश लेते हुई कही, और सारा स्मोक ठीक आराधना के चेहरे पर गया. स्मोकिंग से इतनी नफ़रत करने वाली आराधना आज इस स्मोक से भी नही घबराई बल्कि पंकज के इस मर्दाना स्टाइल से वो थोड़ी और इंप्रेस सी लगी. स्ट्रेट हेअर, डार्क लिपस्टिक और बॉडी पे बस टवल, आराधना आज कुच्छ अलग ही बिजली गिरा रही थी.

आराधना -" मुझे आपका गिफ्ट बड़ा पसंद आया लेकिन आपको मेरे बारे मे इतना कैसे पता चला." आराधना ने शरमाते हुए कहा.

पंकज -" तुम्हारे बारे मे क्या पता चला".

आराधना -"यही कि कैसे कपड़े मुझे फिट आएँगे".

पंकज -"मे समझ नही पा रहा कि क्या बोलना चाहती हो".

आराधना -" आपको मेरा साइज़ कैसे पता चला". आराधना ने क्लियर शब्दो मे पंकज की आँखो मे आँखे डालते हुए कहा.

पंकज - " साइज़ कौन सा साइज़". पंकज ने अंजान बनते हुए कहा.

आराधना -" डॅडी यू आर सो नॉटी, आपको सब पता है मे कौन से साइज़ की बात कर रही हू".

पंकज -" नही मुझे सच मे नही पता". पंकज ने भी अंजान बनते हुए कहा.

आराधना -" आप बताते है या नही". आराधना ने उसे फिंगर दिखाते हुए कहा.

पंकज -" मे बताऊ क्या जब मुझे पता ही नही कि तुम कौन से साइज़ की बात कर रही हो". तभी आराधना गुस्से मे खड़ी होती है और बेड से थोड़ा डिस्टेन्स बनाती है, टवल पे दोनो हाथ लगाती है और एक झटके से...... उसे खोल देती है.

आराधना -" ये साइज़ कैसे पता चले?"आराधना का इशारा अपनी ब्रा से बाहर आते हुए बूब्स की तरफ था. पंकज का मूँह खुला का खुला रह गया, आराधना ने उसे अपना टवल ओपन करके अपनी बॉडी ब्रा और पैंटी मे दिखा दी. पंकज को तो जैसे काटो तो खून नही. बाहर निकले हुए बूब्स, सपाट पेट, गहरी नाभि, चिकनी टांगे- जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम है. आराधना ये सब दिखाने के बाद टवल को वापिस लपेट लेती है. पंकज वापिस होश मे आते हुए -

पंकज - "तुम्हारा साइज़ तो कोई भी देख कर ही पता कर ले". पंकज ने फिर से रोमॅंटिक अंदाज़ मे सिगेरेट के कश लगाते हुए कहा.

आराधना -" लेकिन पापा मे तो हमेशा पूरे कपड़े पहन के रहती हू फिर कैसे आपने मेरा..." आराधना ने नज़रे झुका कर शरमाते हुए पुछा. पंकज रूम के चारी तरफ नज़रे फेलाता है जैसे वो कुच्छ ढूंड रहा हो. तभी उसे एक छोटा खरबूजा दिखाई देता है वॉर्डरोब के साइड मे, स्मृति ने आराधना को खाने के लिए दिया था. पंकज उसे उठाता है और उसे बेड पर रखता है, और एक बारीक सी चादर उठा कर उसके उपर डाल देता है.

पंकज-" देखो इस खरबूजे को क्या ये ढक गया". आराधना इस बात का मतलब समझते ही शरम से लाल हो जाती है और धात कह कर बाथरूम मे भाग जाती है.

पंकज -" आराधना इतनी जल्दी क्या है, फ्रेश बाद मे हो जाना".

आराधना-" आज आप बहुत नॉटी मूड मे है, हम बाद मे बात करेंगे". आराधना ने बाथरूम के अंदर से ही कहा.
पंकज -" अरे, यू आर सो स्वीट गर्ल. लगता है मेरे खरबूजे वाले मज़ाक से तुम बुरा मान गयी हो".

आराधना -" बुरा नही बल्कि आपने मुझे अच्छे तरीके से सच्चाई बता दी है, मुझे ही ग़लत लगता था कि पूरे कपड़े पहन ने से ......" आराधना बीच मे ही चुप हो जाती है

पंकज -" पूरे कपड़े पहन से क्या"

आराधना -" कुच्छ नही, आप जाओ यहाँ से". आराधना ने शरमाते हुए कहा

पंकज -"डोंट अफ्रेड ऑफ मी माइ डियर. आइ आम युवर डॅड आंड युवर बेस्ट फ्रेंड. बताओ मुझे कि पूरे कपड़े पहन से क्या?"

आराधना -" आपको पता तो है कि मे क्या कहना चाह रही हू".

पंकज -" मुझे नही पता सच मे"

आराधना -" मुझे लगता था कि पूरे कपड़े पहनने से मेरी बॉडी का कोई आइडिया नही लगा सकता लेकिन मे ग़लत थी. आपको तो मेरे बारे मे सब कुच्छ और सही सही पता है".

पंकज -" हा हा हा हा. चलो देर आए दुरुस्त आए. अब तो तुम्हे यंग लड़कियो की तरह कपड़े पहनने चाहिए आँटी की तरह नही".

आराधना -" तो यानी जैसे कपड़े आपने लाकर दिए वैसे पहन ने चाहिए मुझे". आराधना ने मज़ा लेते हुए कहा

पंकज -" एग्ज़ॅक्ट्ली, इसमे बुराई क्या है. सिमरन को देखो वो भी तो यंग लड़की है".

आराधना -" ताकि अबकी बार कहीं बाहर बटन टूट जाए".

पंकज -" स्वीटी ग़लती मेरे गिफ्ट किए हुए ब्लाउस की नही बल्कि ...." पंकज बीच मे ही चुप हो जाता है

आराधना -" बल्कि क्या". वो बहुत धीमी आवाज़ मे बाथरूम के अंदर से ही पूछती है

पंकज -" ग़लती ब्लाउस की नही बल्कि तुम्हारे फुल जवान बूब्स की है, जो उसमे समा ही नही पाए पूरी कोशिश के बावजूद". ये बात बोलते ही दोनो तरफ पिन ड्रॉप साइलेन्स था. काफ़ी देर तक कोई नही बोला. आराधना का शरम के मारे बुरा हाल था, वो बोले तो क्या बोले. पंकज ही उस साइलेन्स को तोड़ता है.

पंकज -" अरे बेटा मे तो भूल ही गया, मुझे सिमरन का मोबाइल नंबर चाहिए था".

आराधना -" क्यूँ आपको उससे क्या काम है".

पंकज -" नही वो ऐसे ही, तुम्हारी फ्रेंड है ना कभी कोई ज़रूरत हो तो बात कर लूँगा". आराधना उसे नंबर बता देती है.

पंकज -" ओके, अब मे नीचे जा रहा हू"

आराधना -"ओक"

पंकज -" चला जाउ"

आराधना -" हाँ जाइए ना".

पंकज -" पक्का चला जाउ". तभी फिर से बाथरूम का गेट खुलता है और टवल लपेटे आराधना फिर से बाहर निकलती है. पंकज का हाथ पकड़ कर वो उसे अपने बेड रूम के बाहर ले जाती है, और उसे बाहर छोड़ते ही गेट बंद कर लेती है. गेट बंद करने के टाइम उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी.

स्मृति बाजार से सामान लेकर घर लौट आती है और आते ही किचन मे पहुँच जाती है. उसने पिंक सूट आंड सलवार पहना हुआ था, बाहर की गर्मी से उसकी बॉडी पसीने मे भीग गयी थी जिससे उसकी पिंक ब्रा विज़िबल थी. घर मे एंट्री होते ही पंकज और उसकी निगाहे मिल जाती है लेकिन पंकज उसे इग्नोर कर देता है क्यूंकी उसका काम सिमरन कर चुकी थी, और वैसे भी उसका ध्यान आराधना के टवल खोलने वाले सीन पर था स्मृति के किचन मे चली जाती है.
थोड़ी देर बाद कुशल जाग जाता है और नीचे आकर सोफे पे अपने डॅड के साथ बैठ जाता है.

कुशल -" मोम चाइ मिलेगी". वो वहॉं से चिल्लाता हुआ बोलता है.

स्मृति -" नही मिलेगी". उसके इस जवाब से पंकज को हँसी आ जाती और इससे कुशल को गुस्सा आ जाता है और वो किचन की ओर चल देता है. किचन मे घुसते ही वो पॉट उठाता है और गॅस पे रख देता है.

कुशल -" मे खुद बना लूँगा चाइ". वो गुस्से मे अपनी मम्मी से बोलता है. और लाइटर ढूँडने लगता है, लाइटर मिलने पर वो गॅस को जलाने की कोशिश करता है लेकिन गॅस नही जलती. ये देख कर स्मृति को हँसी आ रही है. कुशल और ज़्यादा जी जान से लाइटर को क्लिक करने लगता है. अब कुशल का चेहरा स्मृति की ओर था और तभी गॅस जल जाती है. "आआओउुुुउउ" कुशल चिल्ला कर पड़ता है क्यूंकी उसकी एक फिंगर गॅस मे जल जाती है. ये देखार स्मृति भाग कर कुशल की तरफ जाती है और उसका हाथ पकड़ कर देखती है, वो खींच कर उसके हाथ वॉश बेसिन मे पानी नीचे ले आती है.

स्मृति एक मा है जिसे अपने बेटे के हाथ जलने पर दूख हो रहा है. वो वॉश बेसिन मे उसकी फिंगर्स पे पानी डालते डालते उसे डाँट लगाती है.

स्मृति -" कभी तेरे पापा ने भी चाइ बनाई है जो तू बना लेगा. इतने स्किल्ड होते तुम लोग तो बात ही क्या थी". और वॉश बेसिन से हाथ हटाने के बाद कुशल अपना हाथ खुद देखता है, उसकी फिंगर्स पे बर्निंग साइन्स थे.

कुशल -" ओह, फक्क". ऑटोमॅटिकली इसके मूँह से अपनी जले हुए निशान देख कर निकल जाता है. स्मृति ये बात सुन कर शॉक हो जाती है.

स्मृति -" क्या कहा तूने अभी?". स्मृति ने उसे गुस्से मे आँखे दिखाते हुए पुछा

कुशल -" ओह..ह लक्क, माइ बॅड लक आक्च्युयली". कुशल ने बात पलटने की कोशिश की.

स्मृति -" मुझे पागल समझता है तू, तो अब स्कूल मे ये गंदी चीज़े सीखने लगा है" स्मृति ने उसके कान पकड़ते हुए कहा

कुशल-" मोम वो खुद ब खुद निकल गया मूँह से. पता नही कैसे". कुशल ने भोला बनते हुए कहा

स्मृति -" ज़्यादा इंग्लीश सिख गया है तू लगता है". स्मृति अबकी बार थोड़ा लाइट हो गयी थी और थोड़ा सा मुस्कुराते हुए कहा

कुशल -" ठीक है मोम, मे हिन्दी ही सीख लेता हू". कुशल ने नॉटी स्टाइल मे कहा. स्मृति नॉर्मल हो चुकी थी लेकिन जब उसे समझ आया कि कुशल क्या कहना चाहता है तो वो फिर से कुशल के पीछे भागी और कुशल भाग कर अपने डॅडी के पास आ जाता है.

स्मृति -" आपको आइडिया भी है कि ये कितना बिगड़ गया है". स्मृति ने पंकज की तरफ देखते हुए कहा

पंकज -"कितना?"

स्मृति -" गंदी गंदी बाते निकालता है मूँह से"

पंकज -" क्या कह दिया मेरे भोले बेटे ने". पंकज कुशल के सर मे हाथ घुमाता हुआ बोलता है

स्मृति -" हा हा हा हा, भोला और ये. आपका बेटा है ना".

पंकज -" किसी और का भी हो तो लेकिन है तो भोला है ही बेचारा". पंकज ने नॉटी स्टाइल मे कहा. स्मृति गुस्से मे पाँव पटकती हुई किचन मे भाग जाती है. थोड़ी देर बाद स्मृति चाइ लाती है दोनो के लिए, उसे पीकर कुशल उपर चला जाता है. किसी बहाने से पंकज घर से बाहर निकलता है और सिमरन को फोन मिलाता है. सिमरन कॉल पिक करती है.

सिमरन - हेलो

पंकज - हाई सिमरन, हाउ आर यू?
सिमरन - आइ आम ओके, हू ईज़ दिस?

पंकज - क्या मेरी आवाज़ भी भूल गयी हो. आइ आम पंकज, आराधना'स फादर.

सिमरन - ओककक अंकल. सॉरी आइ आम इन वॉशरूम, तो आवाज़ क्लियर नही थी.

पंकज - क्या कर रही हो वॉशरूम मे.

सिमरन - टीवी देख रही हू. सिमरन ने मजाकिया अंदाज़ मे कहा.

पंकज - यू आर आ नॉटी गर्ल.

सिमरन - आप क्वेस्चन ही ऐसे पुच्छ रहे है. वॉशरूम मे गर्ल्स क्या करती है, नही पता तो आराधना से पुछ लो वो बता देगी. बाइ दा वे, आइ वाज़ पेयिंग आंड नाउ आइ आम गोयिंग आउट.

पंकज - ओके ओके. और सूनाओ क्या चल रहा है.

सिमरन - कुच्छ खास नही आप बताइए कि क्या चल रहा है.

पंकज - बस याद आ रही थी तुम्हारी. आज तुमने जो ब्रेकफास्ट मुझे कराया वो मे कैसे भूल सकता हू.

सिमरन - हा हा हा हा. वैसे आदमी मस्त है आप.

पंकज - लड़की तुम भी कमाल हो. चलो कभी प्लान बनाओ ना लंच या डिन्नर का.

सिमरन - अंकल ब्रेकफास्ट का ही जमाना है आज कल. लंच ऑर डिन्नर नो गारंटी.

पंकज - ऐसा ना बोलो यार. ब्रेकफास्ट अधूरा है अगर लंच या डिन्नर ना हो तो.

सिमरन - हा हा हा हा. अंकल मुझे बस ब्रेकफास्ट करना ही आता है. इसके अलावा मुझे कुच्छ नही आता.

पंकज - कौन मा के पेट से सीख कर आता है. जहाँ एक बार लंच किया तुमने वहाँ एक्सपर्ट बन जाओगी.

सिमरन - वेरी फन्नी. हे हे हे हे

पंकज - वैसे जान ना चाहता हू कि क्या आज तक तुमने लंच किया है कि नही. या आज तक बिना लंच के ही गुज़ारा चल रहा है.

सिमरन - अंकल मेरी ओपन नेस से हो सकता है कि सबको लगे कि मे लंच कर चुकी हू लेकिन सच मे आज तक बस ब्रेकफास्ट से ही गुज़ारा चल रहा है. ब्रेकफास्ट भी खुद ही करना पड़ता है.

सिमरन का इशारा मास्टरबेशन की तरफ था.

पंकज - सो सॅड. क्या कोई ऐसा मिला नही जो तुम्हे लंच करा सके.

सिमरन - अंकल मिला तो है लेकिन कभी लंच करने के लिए सूटेबल प्लेस नही मिला. और वैसे भी मेरी फ्रेंड आराधना बिल्कुल कॉपरेट नही करती.

पंकज - हा हा हा हा. अपनी मा पे गयी एक दम, एक दम स्ट्रिक्ट.

सिमरन - तो स्मृति आंटी को तो आप सही से ब्रेकफास्ट और डिन्नर कराते होंगे. हे हे हे हे

पंकज - याद नही लास्ट टाइम कब कराया था. आज कल पता नही स्मृति को ब्रेकफास्ट से क्या परहेज हो गया है.

सिमरन - कहीं लंच कहीं और तो नही चल रहा है आंटी का. हा हा हा हा

पंकज - हर किसी की अपनी लाइफ है. लंच करना तो मे भी कहीं और चाहता हू लेकिन बात नही बन पा रही.

सिमरन - सब्र का फल मीठा होता है अंकल. तो थोड़ा सब्र रखिए.

पंकज - तो ठीक है बेटा. हम इंतेज़ार करेंगे.

सिमरन - ओके अंकल. अब मे इजाज़त चाहती हू. बाइ, टेक केर आंड सेक्सी ड्रीम्स. ओह्ह्ह आइ मीन स्वीट ड्रीम्स.

पंकज - ओके स्वीटी, गुड नाइट आंड स्वीट ड्रीम्स.
कॉल डिसकनेक्ट हो जाता है. और पंकज दोबारा घर मे आ जाता है. किचन मे जाकर रेफ्रिजरेटर से एक बियर निकालता है और हॉल मे आकर पीने लगता है. उसके माइंड से सिमरन निकल ही नही थी, रह रह कर उसके हाथ अपने लंड पर पहुँच रहे थे.

आज सॅटर्डे नाइट है. कुशल अपने रूम मे है और बोर हो रहा है, वो नीचे आता है और अपने डॅड को बियर पीते हुए देखता है. उसने आज तक कभी स्मोकिंग या ड्रिंकिंग नही की है लेकिन उस के दिल मे हमेशा क्वेस्चन्स रहते थे कि लोग अक्सर ये सब क्यू करते है. आज उसके दिल मे ये क्वेस्चन के जवाब जान ने की इच्छा थी. वो किचन मे जाता है जहाँ स्मृति खाना बनाने की तैयारी कर रही थी.

कुशल -" मोम आज बहुत गर्मी है". कुशल बात स्टार्ट करता है

स्मृति -" हाँ है तो, वो माथे से पसीने हटाते हुए बोलती है".

कुशल -" मोम मेरा फ्रेंड मोहित बोलता है गर्मी मे बियर बहुत हेल्पफुल रहती है". ये बात सुन कर स्मृति काम रोक कर उसकी तरफ देखती है.

स्मृति -" तो मोहित ही है जो तुझे वो सब बोलना सिखाता है".

कुशल -" वो बोलना? क्या बोलना मोम?"

स्मृति - " ज़्यादा स्मार्ट मत बन, वो जो तू अभी फक बोल रहा था". स्मृति ने उसे डाँट लगाते हुए कहा

कुशल -" तो बोला तो आपने भी मोम अभी".

स्मृति -" चल ज़्यादा बाते मत बना और भाग यहाँ से".

कुशल -" मोम एक बियर दो ना फ्रीज से". स्मृति उसकी तरफ देखती है, वो पसीने मे नहाई हुई थी, उसके चेहरे पर भी पसीने की बूंदे थी. दुपट्टा उसने कमर से बाँधा हुआ था, काम करने के लिए.

स्मृति -" तुझे नही मिलेगी".

कुशल -" आप नही दोगि तो कौन देगा मुझे मोम". स्मृति इस बात का डबल मीनिंग सोच कर हँसने लगती है.

कुशल -" हंस क्यूँ रही है आप मोम"

स्मृति -" मेने कहा ना कि तुझे बियर नही मिलेगी".

कुशल -" मोम आप भी तो पीती हो, फिर मुझे क्यूँ मना कर रही हो".

स्मृति - "आइ आम ऐन अडल्ट. मे पी सकती हू".

कुशल -" तो क्या मे अडल्ट नही?".

स्मृति-" नो"

कुशल -" तो आप कहाँ से अडल्ट है".

स्मृति - " मे एक मॅरीड लेडी हू, मेरे तीन बच्चे है. क्या इतना काफ़ी नही है अडल्ट होने के लिए".

कुशल-" मोम क्यू पागल बना रही हो. आप मोम है तो इससे अडल्ट होने का क्या लिंक है. आपकी शादी हो गयी तो आप मोम है, अगर मेरी हो गयी होती तो मेरे भी बच्चे हो गये होते". इस बात को सुन कर स्मृति की फिर से हँसी छूट जाती है.

स्मृति " अच्छा तो तू इतना बड़ा हो गया है कि तुझे बच्चे कैसे होते है ये पता चल गया है".

कुशल -" मोम वाकई मे मेरा बड़ा हो गया है".

स्मृति - " क्या? क्या कहाँ तूने अभी". स्मृति काम छोड़ कर उससे पूछती है.

कुशल -" मोम मेने कहा क़ी वाकई मे मे बड़ा हो गया हू". कुशल ने बात पलट दी.

स्मृति -" मुझे पागल समझता है". स्मृति उसके कान पकड़ते हुए बोलती है.

कुशल -" मोम आपने क्या सुना वैसे".

स्मृति -" ज़्यादा स्मार्ट मत बन".

कुशल -" तो दे दो ना अब". कुशल उसकी आँखो मे देखते हुए बोलता है. उसकी इस बात से स्मृति घबरा जाती है, और उसका कान छोड़ कर दूसरी तरफ घूम कर पूछती है

स्मृति -" क्या?". ये बात वो बहुत लो वाय्स मे पूछती है
कुशल -"बच्चा. ओह सॉरी आइ मीन बियर. आपने भी दिमाग़ को हिला दिया है".

स्मृति -" बस एक मिलेगी. बोल अगर ओके है तो".

कुशल -" मोम यू अरे ग्रेट". और भाग कर वो अपनी मोम को हग कर लेता है और उनके गाल पर एक किस कर देता है.

स्मृति - " और कुच्छ खा भी लियो इसके साथ, नही तो नुकसान करेगी." स्मृति उसे फ्रीज से निकाल कर एक बियर दे देती है और वो उसे लेकर उपर जाने लगता है.

स्टेर्स पे ही उसकी मुलाकात प्रीति से हो जाती है जो कि नीचे जा रही थी. उसकी हाथ मे बियर की बॉटल देख कर प्रीति उससे पूछती है

प्रीति -" ते क्या पीने की प्लॅनिंग कर रहा है."

कुशल -" तेरा दूध, आइ मीन तेरा खून. तू भी पीएगी". ये बात बोलते बोलते कुशल लगभग सारी सीढ़ियाँ क्रॉस कर चुका है और प्रीति नीचे वाली सीढ़ियों पे रह जाती है. प्रीति उसकी ये बात सुनकर उसके पीछे भागती है. " मेरा खून पिएगा". ये कहते हुए वो उसके पीछे भागती है. कुशल भाग कर अपने रूम मे घुस जाता है और डोर के साइड मे खड़ा हो जाता है. प्रीति जैसे ही गुस्से मे भाग कर आती है, कुशल उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लेता है. " धड़क्क्क" की आवाज़ के साथ दोनो के सीने आपस मे टकरा जाते है और कुशल प्रीति को कस कर पकड़ लेता है. कुशल एक मजबूत शरीर वाला लड़का था और प्रीति एक चुलबुली लड़की.

इस टाइम दोनो के सीने आपस मे मिले हुए थे और कुशल ने प्रीति को कमर पर से कर पकड़ रखा था. सीना दबने से प्रीति के बूब्स और उपर की तरफ आ गये थे. वैसे भी प्रीति भाग कर आई थी जिस वजह से उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी प्रीति अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी.

प्रीति - "छोड़ मुझे, मेरा खून पिएगा". प्रीति उसकी आँखो मे देखती हुई और उसकी चेस्ट मे आराम से मुक्का मारते हुए बोलती है

कुशल -" पिला दे, कम नही होगा कसम से". प्रीति उसकी बात सुनकर शरम से लाल हो जाती है और अपना विरोध कम करते हुए साइड मे देखती है. अब भी वो दोनो उसी पोज़िशन मे है

प्रीति -" क्या पीने की बात कर रहा है". प्रीति लो वाय्स मे साइड मे देखे हुए बोलती है

कुशल -" खून के सिवाय ऐसा तो कुच्छ दिखाई नही देता जो पीने के लायक है". कुशल ये बात उसके बूब्स की तरफ देखता हुआ बोलता है

प्रीति ( शरमाते हुए)-" क्यू क्या कमी है बाकी चीज़ो मे". प्रीति उसकी आँखो मे देखती हुई बोलती है. तभी प्रीति उससे एक झटके के साथ अलग हो जाती है. उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी, वो थोड़ी घबराई हुई भी थी. उसके बूब्स उसकी सांसो के साथ उपर नीचे हो रहे थे.

प्रीति ( दूसरी तरफ मूँह फिराते हुए) - " ये क्या कर रहा है". उसके चेहरे पे एक मुस्कान थी. दर असल प्रीति के इतने करीब आ जाने से कुशल का लंड विकराल रूप मे आने लगा था और फाइनली उसके बूब्स को देख कर उसका लंड प्रीति के पेट पर वाइब्रेशन करने लगा था.

कुशल -" क्या हुआ प्रीति?" कुशल ने भोला बनते हुए कहा

प्रीति -"तो तू मुझे इस नज़र से देखता है". प्रीति ने दूसरी तरफ मूँह रखते हुए ही कहा.

कुशल -" क्या बात कर रही है, किस नज़र से देखता हू मे तुझे".

प्रीति -" ज़्यादा बन मत, ये मेरे पेट पे क्या चुभ रहा था? पता नही है तुझे?".

कुशल -" चुभ तो कुच्छ मेरे सीने भी रहा था. लेकिन क्या मेने कहा कि तू मुझे किस नज़र से देखती है. लेकिन वैसे क्या चुभ गया तेरे पेट मे."

प्रीति घूमती है ये देखने के लिए की आख़िर उसके पेट मे क्या चुभ रहा था. जैसे ही वो घूमती है, एक और झटका. कुशल का लंड उसके शॉर्ट मे टेंट की तरह तना हुआ था, ऐसा लग रहा था जैसे कि उसने कोई नकली रोड लगा ली हो शॉर्ट मे. " ओह माइ गॉड". प्रीति के मूँह से खुद ब खुद निकल जाता है.

प्रीति की तो जैसे साँसे ही रुक जाती है. वो दूसरी तरफ मूँह करके तेज तेज साँसे लेने लगती है. कुशल दूर खड़ा हुआ ही उससे पूछता है.

कुशल -" क्या हुआ प्रीति, क्यूँ इतना डर रही है".

प्रीति ( निगाहे नीचे किए हुए) - " तुझे क्या हुआ है, नॉर्मल तो है तू".

कुशल -" ये कैसी बहकी बहकी बाते कर रही है. ऐसा क्या देख लिया तूने".

प्रीति -" इसे क्या हुआ है?". वो दूसरी तरफ देखते हुए उसके लंड की ओर इशारा करती है.

कुशल -" ओह ये, ये तो शायद मुझे पेशाब आ रहा है". कुशल ने हंसते हुए कहा.

प्रीति -" तो जा कर के आना, खड़ा क्यो है". प्रीति का चेहरा बिल्कुल लाल हो चुका था, थोड़ा थोड़ा पसीना भी आ रहा था.

कुशल -" ओह मेरी प्यारी बहना, इससे डर गयी. ऐसे डरेगी तो हम तेरी शादी कैसे करेंगे". ये कहते हुए कुशल उसके ठीक पीछे आकर खड़ा हो जाता है और पीछे से प्रीति को हग कर लेता है. प्रीति एक दम सकपका जाती है लेकिन ऐसे शो करती है जैसे वो नॉर्मल है. कुशल का लंड अब ठीक उसकी गान्ड के उपर था.

प्रीति -" मुझे नही करनी शादी वादी. ये को बेकार के काम है". उसकी गान्ड पर धीरे धीरे कुशल के लंड का दवाब बढ़ता जा रहा था.

कुशल -" तो ज़िंदगी भर कली ही बनी रहेगी, फूल नही बन ना है तुझे?". कुशल अपने फेस को प्रीति के कान के पास ले जाकर ये बात बोलता है. प्रीति की आँखे बंद हो चुकी थी और दिल की धड़कने बढ़ चुकी थी.

प्रीति -" वो... वो भाई.... मुझे कुच्छ चुभ रहा है".

कुशल -" तुझे कुच्छ ग़लतफहमी है, कुच्छ नही ऐसा चुभने वाला". ये बात सुनकर प्रीति धीरे धीरे हाथ पीछे ले जाती है. और उसके होश उड़ जाते है जैसे ही उसका हाथ कुशल के लंड पर पहुँचता है. आगे से टच करने से उसे पूरा अहसास नही होता तो वो अपने हाथ को पीछे तक ले जाती है.

कुशल -" कैसा लगा?". कुशल का ये क्वेस्चन प्रीति को अंदर तक झकझोड़ देता है.

प्रीति -" क्या?"
कुशल -" वही, जहाँ तेरा हाथ है". और प्रीति उसकी ये बात सुनकर अपना हाथ हटा लेती है.

प्रीति -" मेरा हाथ... मेरा हाथ तो कहीं भी नही है". प्रीति ने बनते हुए कहा. लंड के टच से वो अंदर तक पिघलती जा रही थी. एक कुँवारी और जवान लड़की के लिए इतना काफ़ी होता है. वो पूरी कोशिश कर रही थी कि कुशल को ये दिखाए कि वो नॉर्मल है लेकिन उसकी हालत खराब होती जा रही थी. कुशल अपने एक हाथ से प्रीति को हग करके रखता है और दूसरे हाथ से अपने शॉर्ट और अंडरवेर को नीचे कर देता है. अब उसका लंड एक दम नंगा था लेकिन प्रीति उसे नही देख सकती थी. वो अब नंगा ही प्रीति की गान्ड पर चुभ रहा था. कुशल अब अपने एक हाथ से प्रीति का एक हाथ पकड़ता है और फिर उसे ले जाकर अपने लंड पर रख देता है. प्रीति का हाथ जैसे ही नंगे लंड को टच करता है, वो पागल जैसी हो जाती है और एक झटके से कुशल से अलग हो जाती है.

प्रीति की हालत शब्दो मे बयान नही की जा सकती. एक जवान लड़की ने आज उसे टच कर ही लिया जिसकी उसे सबसे ज़्यादा ख्वाहिश होती है. उसका सीना उपर नीचे हो रहा है, उसकी पीठ अभी भी कुशल की तरफ है लेकिन उन दोनो के बीच मे कुच्छ डिस्टेन्स है. उसके दिल मे लखो सवाल थे कि मेरा सगा भाई ऐसा क्यू पेश आ रहा है और दूसरी तरफ उसके दिल मे एग्ज़ाइट्मेंट था.

दोनो आपस मे कुच्छ बाते नही कर रहे है और दोनो की ही हालत बेहद खराब है. प्रीति को भी अहसास होने लगा है कि उसकी पैंटी मे कुच्छ लिक्विड आ रहा है. कुशल की निगाहे अब भी प्रीति की मोटी मोटी गान्ड पर है जिसे देख कर उसका लंड और भी हार्ड होता जा रहा है. प्रीति वहीं खड़े खड़े उसे तीर्छि निगाहो से देखती है, कुशल उसकी तरफ एक कदम बढ़ाता. प्रीति ये देख कर आँखे बंद कर लेती है, उसका दिल धड़क रहा है कि अब क्या होने जा रहा है. कुशल ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो जाता है, प्रीति अपने शोल्डर्स के करीब उसकी सांसो को फील कर रही है. कुशल अपने हाथ को बढ़ा कर प्रीति की टी-शर्ट मे डाल देता है और उसके नंगे पेट को टच करता है. धीरे धीरे उसका हाथ उसकी नाभि पेर पहुँच जाता है.


" आआआहह............. प्रीति के मूँह से एक जबरदस्त सिसरी निकल जाती है.
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rocky123
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Re: फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (RESTARTED)

Post by rocky123 »

इस सिसकारी ने कुशल को सारे जवाब दे दिए कि प्रीति कि क्या हालत है. उसका पेट ऐसे काँप रहा है जैसे उसको एलेक्ट्रिक करेंट लगा हो, नाभि ऐसे हिल रही है जैसे पेट मे मछ्ली कूद रही हो.

कुशल अपने होंठ प्रीति की गर्दन पर फिराना शुरू करता है.

प्रीति - " आअहह....... कुशल.... क्याअ कर रहा है." प्रीति की आँखे बंद हो चुकी है और जैसे जैसे कुशल अपने होंठ उसकी गर्दन के आस पास घुमा रहा है, वैसे वैसे उसकी गर्दन भी घूम रही है. कुशल पीछे से प्रीति से बुरी तरह से चिपक चुका है, उसका विशाल लंड प्रीति की जीन्स को फाड़ कर अंदर घुस जाने के लिए तैयार हो रहा था. कुशल का एक हाथ अभी भी प्रीति के पेट पर ही घूम रहा है. कितना सॉफ्ट था उसका बदन, ये बस कुशल ही समझ पा रहा था. कुशल का हाथ उपर की तरफ बढ़ रहा था, बूब्स के, उसके अनटच बूब्स की तरफ. तभी एक झटके के साथ प्रीति उसके हाथ पर अपना हाथ मारती है और उसे उपर बढ़ने ने रोकने लगती है. प्रीति की साँसे बेकाबू हो रही थी, ये एक ऐसी फीलिंग थी जिस से वो अंजान थी. एक कुँवारी लड़की का बदन एक मोम की तरह होता है, थोड़ा गर्मी के करीब आते ही पिघलने लगता है और आज तो वो आग मे ही बैठी थी.

कुशल -" मेरा हाथ क्यू रोका प्रीति?". कुशल अभी भी उसकी गर्दन पे ही किस कर रहा था, और कभी उसके शोल्डर्स पे भी किस कर रहा था

प्रीति( तेज सांसो के साथ)-" जीसस्स....जिस जगह तू बढ़ रहा है वो तेरे लिए नही है...... आआहहुउऊउउ.....". प्रीति का इशारा अपने बूब्स की तरफ था, उसका चेहरा लाल पड़ चुका था.

कुशल ( अभी भी उसके शोल्डर और गर्दन पे किस करते हुए)-" तो क्या मुझे नीचे की तरफ बढ़ना चाहिए, तेरी चूत.....". प्रीति उसे बीच मे ही रोकते हुए बोलती है.

प्रीति -"ओह्ह्ह्ह, ये कैसी बात कर... रहा है. यू अरे ए डर्टी बोययय्यी...". प्रीति अब भी सिसक रही थी. कुशल का हाथ अब नीचे की तरफ बढ़ने लगा था. प्रीति के बूब्स उपर नीचे ऐसे हो रहे थे जैसे कोई बार बार बेलून मे हवा भर रहा हो और निकाल रहा हो. कुशल का हाथ अब उसकी नाभि से होता हुआ फिर से उसकी जीन्स तक पहुँचता है. जीन्स काफ़ी टाइट थी, जिसमे हाथ नही जा पा रहा था, कुशल पूरी कोशिश कर रहा था कि हाथ अंदर चला जाए लेकिन नही जा रहा था. तभी, वो हुआ जो कुशल ने सोचा भी नही था. प्रीति अपनी साँस अंदर खींचती है जिस से उसका पेट अंदर की तरफ हो जाता है, जीन्स थोड़ा लूज होती है और कुशल का हाथ सीधा अंदर उसकी पैंटी तक.

" कुशालल्ल्ल्ल..... प्लीज़..... प्लीज़ रुक जा". प्रीति आँख बंद किए उससे रिक्वेस्ट करते हुए बोलती है. कुशल अपना हाथ बढ़ाता जा रहा था, अब उसका हाथ सीधा उसकी पैंटी मे और सीधा उसकी वर्जिन, कुँवारी छोटी सी चूत पे पहुँच जाता है. कुशल इस बात को देख कर हैरान नही था कि उसकी पुसी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. वो इस गीलेपन मे ही अपनी एक उंगली अंदर घुसा देता है.

"आआअहह......" प्रीति के मूँह से एक और सिसकारी निकलती है.

" मुझे....मुझे पैन्न्न्न्न हो रहा है, फिंगर बाहर निकाल". प्रीति ने कहा

" मेरी जान एक फिंगर से ये हाल है, तो जब मेरा विशाल लंड....." कुशल बोलता है लेकिन प्रीति उसे चुप करा देती है.

" ओह, कुशल ऐसा नही होगा, तू इतना डर्टी कैसे हो गयाआआ". प्रीति आँखे अभी बंद थी लेकिन अब कुशल ने अपनी एक फिंगर को धीरे धीरे उसकी पुसी मे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था. प्रीति की हालत और भी खराब होते जा रही थी, अब प्रीति अपने सीधे हाथ को हरकत मे लाते हुए पीछे ले जाने लगती है वो भी स्लो मोशन मे. धीरे धीरे उसका हाथ फिर से कुशल के लंड पर पहुँचता है. प्रीति अपने हाथ से उसे आगे से टच करती है, प्रीति का फेस सामने की तरफ है जिस वजह से वो देख नही सकती थी उसके लंड को इसीलिए उसने पहले पीछे हाथ ले जाकर उसके लंड को आगे से छुआ. उस पर प्रीति के गोरे और सॉफ्ट हाथ लगते ही उसका लंड बेहद गुस्से मे आ गया और जैसे ही उसमे जोश आया उसे फील करके प्रीति फिर से घबरा गयी.

" इसे किययाया हो रहा है". प्रीति का इशारा कुशल के लंड की तरफ था

" तुझ जैसी सेक्सी लड़की का आज भोग लगाने की तैयारी कर रहा है ये शेर". कुशल ने ये बात कहते हुए कुच्छ ज़्यादा ही अंदर तक अपनी फिंगर घुसा दी प्रीति की पुसी मे.

" कुशल व्हाट आर यू डूयिंग, आइ आम युवर सिस्टर यार". प्रीति ने थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा लेकिन कुशल बहुत हॅपी था क्यूंकी प्रीति ने उसे ग्रीन सिग्नल दिया कि फिंगर चलाता रह लेकिन आराम से
प्रीति फिर से उसके शेर को चेक करने लगती है, अपनी मुट्ठी मे उसे भरना चाहा लेकिन नाकाम. उसकी लंबाई चेक करने के लिए हाथ और पीछे ले जाती लेकिन हाथ और पीछे और पीछे जाता गया और फाइनली प्रीति की फिंगर्स कुशल के पेट को टच करती है जहाँ पे उसके लंड का एंड था.

" ओह्ह्ह, कुशल क्या ख़ाता है तुउुउउ..., ऐसा साइज़......... तेरी वाइफ तो गयी काम से ". प्रीति ने कुशल से कहा

" डार्लिंग, आज कुँवारी हो तो बड़ा लग रहा है. एक महीने बाद देखना, ऐसे खा जाया करोगी और पता भी नही चलेगा". कुशल ने रिप्लाइ किया

" यू आर आ वेरी डर्टी बॉय कुशल, मुझे कुच्छ खाने का शोक नहियीईई है......". प्रीति ने थोड़ा सा स्माइल करते हुए कहा.

अब कुशल अपना हाथ प्रीति की चूत से हटा लेता है और उसे बाहर निकालने की कोशिश करने लगता है. प्रीति इस सिचुयेशन को देख कर अपनी आँखे खोलती है और पीछे मूँह करके आँखो ही आँखो मे इशारे से पूछती कि क्या हुआ. कुशल बिना कुछ जवाब दिए अपने दोनो हाथ आज़ाद करता है, और प्रीति के दोनो शोल्डर्स पकड़ कर अपनी ओर घुमाता है. अब वो दोनो आमने सामने है, सामने आते ही प्रीति अपनी आँखे खोलती है और तभी " आाआईयईईईईईईई" जैसे ही प्रीति की निगाह कुशल के लंड पे पड़ती है और मूँह से चीख निकल जाती है. तुरंत कुशल अपना एक हाथ प्रीति के मूँह पे रखता है और कहता है कि क्या हुआ.

" ये, ये कितना खौफनाक है". प्रीति ने अपनी निगाहे दूसरी तरफ करते हुए कहा

" माइ डियर सिस्टर इसीलिए इसे लंड कहते है, ये डिफरेंट साइज़स मे अवेलबल होता है. यू आर सो लकी कि तुम्हे फुल ऑप्षन मिला है". कुशल ने प्रीति का चेहरा फिर से अपनी तरफ करते हुए कहा.

" छ्हि, कैसी गंदी गंदी बाते करते हो तुम कुशल. कहाँ सीखी तुमने ये बाते, और भला मे इसे क्यू आक्सेप्ट करू". प्रीति मे फिर से बनावटी गुस्से मे कहा
" लड़को वाला लंड और लड़को वाली बाते एक लड़के के पास ही होगी ना, और तू इसे इसीलिए आक्सेप्ट करेगी क्यूंकी तेरी सेक्सी बॉडी इसे डिज़र्व करती है. सच बोल रहा हू कि लकी है तू, नही तो एक से एक सेक्सी लड़की आज भी 5 या 6 इंच से गुज़ारा चला रही है". कुशल ने फिर से उसे रिप्लाइ किया. अब प्रीति का चेहरा कुशल के दोनो हाथो मे है, कुशल की निगाहे उसके गुलाबी होंठो पर है. दोनो की नज़रे मिलती है और जैसे इशारो मे कुशल पूछता है कि तेरे होंठो का रस पीना चाहता हू. जवाब देने की बजाय प्रीति अपनी दोनो आँखे बंद कर लेती है और बिना कुच्छ कहे ही कुशल को रिप्लाइ मिल जाता है. कुशल अपने चेहरे को आगे बढ़ाता है और अपने दोनो लिप्स प्रीति के लिप्स पर रख देता है. दोनो के लिप्स आपस मे मिलते ही जैसे बिजली कडकने लगी हो, मिनिट के पता नही कौन से हिस्से मे प्रीति की सारी लिपस्टिक कुशल हटा चुका था. प्रीति ने भी अपने होठ हिलाने शुरू शुरू कर दिए थे, वो भी कुशल का साथ दे रही थी. इसी दौरान कुशल अपने दोनो हाथ नीचे ले जाकर उसकी टी-शर्ट को नीचे से पकड़ता है और उसे उपर उठाने लगता है लेकिन अपने दोनो हाथो से प्रीति उसे रोकती है. कुशल काफ़ी कोशिश करता है लेकिन प्रीति नही मानती. तभी प्रीति लिप्स को अलग करती है, और कुशल से कहती है.

प्रीति -" कुशल, इस से आगे मे नही जा सकती. वैसे भी हम दोनो आज बहुत आगे बढ़ चुके है." प्रीति कुशल से थोड़ा दूर होते हुए बोलती है.

कुशल प्रीति की ओर बढ़ता है और फिर से उसके चेहरे को पकड़ कर अपने होंठ उसके होंठ से लगा देता है. इस बात प्रीति ने थोड़ी कोशिश की अलग होने की लेकिन नाकाम रही. कुशल अपना एक हाथ प्रीति के राइट बूब पर टी-शर्ट के उपर से ही रख देता है. "ओह, लिट्ल सिस यू गॉट वेरी सेक्सी बूब्स". कुशल अपने मन मे सोचता है. प्रीति उसका हाथ हटाना चाहती थी लेकिन कुशल नही माना और धीरे धीरे उसके बूब्स को प्रेस करता रहा. थोड़ी देर बाद प्रीति का विरोध भी कम हो गया. अभी तक वो दोनो एक दूसरे के होठों का रस चूसने मे बिज़ी थे. इसके बाद कुशल अपना हाथ उपर की बजाय टी-शर्ट के अंदर घुसा देता है. प्रीति के होंठ कुशल के होंठो से जुड़े हुए है तो वो खुल कर विरोध भी नही कर पाई. टी-शर्ट के अंदर हाथ ले जाकर कुशल उसकी टाइट ब्रा के अंदर अपना हाथ घुसा देता है और अपना पंजा ठीक उसके राइट सेक्सी बूब्स पर टिका देता है.

ये पहला चान्स था जब प्रीति के बूब्स को किसी बॉय ने टच किया था. वो पागल हो चुकी थी, उसकी साँसे और तेज हो गयी थी. कुशल के लिप्स को अब वो बहुत जान लगा कर चूस रही थी. कुशल ने फिर से एक बार ट्राइ किया कि वो उसकी ट- शर्ट उतार सके, वो अपने दोनो हाथो से उसकी टी-शर्ट पकड़ता है और उपर की ओर उठा देता है.

इस बात कुशल का प्लान कामयाब हुआ. प्रीति आँख बंद किए हुए लीप लॉक को हटाती है और अपने दोनो हाथ उपर कर देती है जिस से कुशल टी-शर्ट को उतार सके. और एक झटके मे प्रीति बस ब्लॅक ब्रा मे रह जाती है. टी- शर्ट हटते ही प्रीति भाग कर कुशल के सीने से चिपक जाती है अपने आप को छुपाने के लिए.

उसके पेट मे अब कुशल का लंड चुभ रहा था लेकिन वो विरोध नही कर रही थी. अब प्रीति कुशल के सीने मे समाई हुई थी, कुशल ने इस मौके का फ़ायदा उठा कर, एक झटके के साथ प्रीति की ब्रा का हुक भी खोल दिया. और उसे उतारने की कोशिश करने लगा. प्रीति एक बार को सीने से अलग होती है और दोनो हाथ सामने की तरफ कर देती है.

क्या नज़ारा था. आज तक कुशल ने बस सोचा था कि प्रीति के बूब्स कैसे है लेकिन आज वो उसके सामने थे, एक दम वाइट आंड एक दम सुडोल. इससे बेस्ट बूब्स शायद ही किसी फिल्मी हेरोयिन के हो. कुशल इस मौके को नही खोना चाहता था और एक झटके मे उसने अपना मूँह प्रीति के बूब्स पर रख दिया.

" आअहह, लव...... मी........ कुशल, लव मी मोर......." उसकी जीभ का अहसास अपने बूब्स पे पड़ते ही जैसे प्रीति पिघल गयी. उसकी आँखे बंद हो गयी और वो अपने दोनो हाथ कुशल के सर मे फिरा रही थी. एक बूब को कुशल चूस रहा था आंड दूसरे हाथ से प्रीति की जीन्स का बटन खोल रहा था.

" आइ लव........ यू कुशल.................... आअहह, ओह". प्रीति की हालत बेहद खराब कर दी थी कुशल ने. वो अब तक उसकी जीन्स का बटन खोल चुका था आंड उसकी ज़िप भी. वो अपने एक हाथ से कोशिश करने लगा कि उसकी जीन उतार पाए लेकिन वो उसके चुतडो पर बहुत टाइट फँसी हुई थी. प्रीति इसी सिचुयेशन मे दोनो हाथ कुशल के सर से हटाती है और अपनी जीन्स पर ले जाकर उसे नीचे करने लगती है. कुशल इसी सिचुयेशन मे उसे पीछे सरकाता हुआ बेड पे ले जाकर गिरा देता है और खुद सीधा खड़ा होकर अपनी टी-शर्ट उतरता है आंड उसके बाद इन्नर वेर भी. अब कुशल बिल्कुल नंगा है लेकिन बेड पे पड़ी हुई प्रीति की आँखे बंद है और वो उसे देख नही सकती.

प्रीति अपने पाँव के सहारे से अपनी जीन्स को अलग कर देती है. प्रीति के शरीर पर अब बस एक ब्लॅक ट्रॅन्स्परेंट पैंटी है. कुशल आगे बढ़कर दोनो हाथो से उसकी पैंटी को पकड़ता है और एक झटके के साथ उसे उसकी बॉडी से अलग कर देता है. प्रीति शरम मे मारे अपनी दोनो टांगे जोड़ लेती है.

कुशल घुटनो के बल फ्लोर पर बैठा है, प्रीति की दोनो टांगे पकड़ता है और धीरे से उन्हे फेला देता है.

कुशल की तो जैसे लॉटरी लग गयी हो. एक छोटी सी कुँवारी चूत उसके सामने थी, वो टाइम ना वेस्ट करते हुए अपना मूँह सीधा उसकी चूत पर लगा देता है. और अपनी जीभ को अंदर घुसाने की कोशिश करने लगता है.

प्रीति के लिए एक्सपीरियेन्स बिल्कुल नया था. वो आज सातवे आसमान पर थी, इतना शारीरिक सूख मिलने के बाद कोई लड़की अपने आप को नही रोक पाती. पूरा रूम प्रीति की सिसकारियो से गूँज रहा था, लेकिन कुशल भी पूरी मेहनत के साथ लगा हुआ था. उसकी चूत से जैसे पानी की नादिया बह रही हो ऐसा महॉल था.

" ऊऊहह, आअहह......, किस मी मोर........., आआहह. कुशल डू इट प्लीज़........., फक मी टुडे.........,, प्रीति पता नही क्या क्या बोले जा रही थी.

" आअहह, आअहह..... ओह, और अंदरररर.......... प्रीति का इशारा कुशल की जीभ की तरफ था जो प्रीति की छोटी सी चूत के अंदर घुसने की कोशिशी कर रही थी.

आआआआअहह ब्रो........ आइ..........म ......कुम्मींगगगग................और ठीक इसके दो मिनिट बाद प्रीति अपना पूरा पानी कुशल के मूँह मे छोड़ देती है. उसकी चूत का मूँह बार बार खुल रहा था और बंद हो रहा था. आज प्रीति बहुत मस्त हो गयी थी. कुशल अब भी उसकी चूत को चाटे जा रहा था. प्रीति अपने दोनो हाथो से इशारा करती है कि उसका काम हो गया है.
" कुशल...... मेरा हो गया है......, प्लीज़ अब रुक जा". प्रीति ने लेटे लेटे कहा. कुशल एक विजयी मुस्कान के साथ खड़ा हो जाता है. प्रीति बेड शीट से अपने को ढकने की कोशिश करती है.

कुशल -" मेरी जान, आज पता चला कि जवानी की आग कैसी होती है". कुशल प्रीति की तरफ देखते हुए बोला

प्रीति -" दिख रही है कि जवानी की आग कैसी होती है". प्रीति कुशल के विशाल लंड की ओर देखते हुए बोली.

कुशल -" तो अब इसे भी शांत कर दो ना".

प्रीति -" क्या करना होगा मुझे?"

कुशल -" सकिंग"

प्रीति-" क्याआ? कुशल मे अभी इतनी बड़ी भी नही हू कि सकिंग कर पाउ. इसे देख ये कितना बड़ा है, मुझे नही लगता कि इसे सक कर पाउन्गि. तेरा मास्टरबेशन करने की कोशिश कर सकती हू". प्रीति ने कुशल को समझाते हुए कहा

कुशल -" मेरी लिट्ल सिस्टर, तुम चुदने के लिए रेडी हो चुकी हो. अगर इसे मूँह मे नही ले पओगि तो चूत मे कैसे लोगि."

प्रीति -" कुशल मुझे ये गंदी लॅंग्वेज बिल्कुल पसंद नही". प्रीति उसे फिंगर दिखाती हुई बोलती है

कुशल -" सिस, अभी तुम्हारी चूत का पानी निकाला है तभी मेरी लॅंग्वेज गंदी लग रही है. थोड़ी देर बाद देखना मुझपे फिर से प्यार आने लगेगा." ये बात सुनकर प्रीति के चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है. अब धीरे धीरे कुशल अपने खड़े हुए लंड के साथ प्रीति की तरफ बढ़ता है. प्रीति करीब आते ही उसके लंड को दोनो हाथो मे पकड़ लेती है.

कुशल -" यार मेने तेरे लिए इतनी मेहनत की तो क्या तू नही कर सकती." ये बात सुनते ही प्रीति अपनी बेड शीट हटा देती है और स्टाइल मे खड़े होकर कुशल के लंड के सामने बैठ जाती है और अपने होठ उस पर रख देती है.

" ओह, सेक्शययययी.... कुशल प्रीति के इस अंदाज़ पे फिदा हो गया. प्रीति अपना मूँह खोल कर उसका सुपाडा अपने मूँह मे लेना चाहती थी लेकिन परेशानी हो रही थी. वो कुशल की आँखो मे देखती है और कुशल जैसे उसे आँखो से ही रिक्वेस्ट करता है कि प्लीज़ कर दे ना आज सकिंग.

प्रीति स्टाइल मे अपने बालो को पीछे करती है और अपना मूँह पूरा खोल कर कुशल के लंड को अपने मूँह मे ले लेती है. उसके मूँह मे बस अभी उसका सुपाडा ही गया था.

कुशल के एग्ज़ाइट्मेंट का कोई ठिकाना नही था. वो अपना मूँह आसमान मे किए हुए मस्त था. प्रीति उसके लंड को धीरे धीरे और अंदर ले रही थी और अपने हाथो से उसकी बॉल्स को खिला रही थी. जब भी कुशल नीचे देखता, उसे 19 साल की जवान प्रीति वो भी नंगी अवस्था मे अपना लंड चूस्ते हुए दिखाई देती.

" उ र्र्र्र्र्ररर ग्रेअतत्त,,,,,,, प्रीतीईईईईईई, ऊऊहह. ऐसे हीईीई" कुशल बॅड बड़ाये जा रहा था.

प्रीति अपनी स्पीड बढ़ा चुकी थी, उसके मूँह मे अभी भी बस आधा ही लंड था. उसके सॉफ्ट लिप्स, कुशल के हार्ड लंड को पूरी जान से चूस रहे थे.

" प्रीतीिई, ईईइ लव यू.............. ओह, आइ........एम............" और एक तेज पिचकारी प्रीति के गले से टकरा गयी. प्रीति ने कोशिश की लंड को निकालने की लेकिन जैसे वो उसके मूँह मे फँसा हुआ था.

जैसे ही वो प्रीति की मूँह से बाहर आया, प्रीति सीधा बाथरूम मे भाग गयी और खांसने लगी.

कुशल बहुत रिलॅक्स था. उसने आज जन्नत की सेर कर ली थी. उसे यकीन नही हो रहा था कि प्रीति जैसी सेक्सी गर्ल उसके साथ न्यूड कंडीशन मे है. प्रीति बाथरूम के अंदर अपने आप को रिलॅक्स कर रही थी. और थोड़ी देर बाद वो कुशल का टवल लपेट कर बाहर आती है. दोनो की नज़रे मिलती है, प्रीति एक अच्छी सी स्माइल देती है उसे.

वो कुशल के ड्रेसिंग टेबल के सामने आकर अपने हेर कोंब करने लगती है. कुशल उसकी बॅक पर मज़ाक मे एक चपत लगाता है. प्रीति उसे नॉटी स्माइल के साथ देखती है. कुशल अब वॉशरूम के अंदर जाता है और गेट बंद कर लेता है.

वो बहुत हॅपी है कि आज रात उसका सपना पूरा होने जा रहा है. ये सोच कर ही उसके लंड मे फिर से एनर्जी आती जा रही है. वो फ्रेश होकर बाहर निकलता है लेकिन ये क्या. प्रीति रूम मे नही है और नही उसके कपड़े. कुशल पागलो की तरह उसे देखता है लेकिन वो दिखाई नही देती.

कुशल कपड़े पहन कर बाहर आता है और प्रीति के रूम के बाहर आकर देखता है कि रूम अंदर से लॉक है. कुशल उसके डोर को नॉक करता है.

प्रीति - (स्माइल करते हुए) " कौन है"

कुशल -" ओपन दा डोर प्रीति".

प्रीति -" आज सारे डोर ओपन कर दिए लेकिन अब ये डोर ओपन नही होगा". वो रूम के अंदर से ही हंस हंस कर बोल रही थी.

कुशल -" लेकिन अभी तो, अभी तो....."

प्रीति -" अभी तो क्या?"

कुशल -" अभी तो बहुत कुच्छ बाकी है"
KONG
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