दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली
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Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली
मैं लगातार यूँ ही उसकी चूचियों को रगड़ते हुए उसके नुकीले टिप्पों को मसले जा रहा था और जिससे उसकी आवाजों में मादकता के साथ-साथ कम्पन भी बढ़ने लगा था।
उसी अवस्था में उसने अपना हाथ पीछे की ओर ले जाकर मेरे तने हुए लौड़े पर रख दिया और उस सहलाते हुए अपने सर को थोड़ा बाएं मोड़ कर मेरे माथे पर चुम्बन जड़ दिया।
उसकी इस क्रिया के जवाब में मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर लगा दिया और एक बार पुनः एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे।
इतना आनन्द आ रहा था दोस्तो.. जिसकी कल्पना करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
उसके मुख से लगातार ‘उम्म्म फच उम्म्म्म्’ के नशीले स्वर निकल रहे थे और माया अपने हाथों से मेरे लौड़े को सहलाते हुए अपनी गांड के छेद पर दबा कर रगड़ रही थी..
जिससे ऐसी अनुभूति हो रही थी कि मानो मेरे लौड़े से कह रही हो- जान आज तेरा यही घर है.. कर ले जी भर के अपनी इच्छा पूरी.. मैं तैयार हूँ.. तेरी इस दर्द भरी ठुकाई के लिए।
फिर मैंने उसके बदन की सुलगती आग को महसूस करते हुए उसके मम्मों को सहलाते हुए अपने हाथों को उसके आगे किए और रसीले मम्मों को ऊपर-नीचे सहलाते हुए उसके बदन से खेलने लगा।
साथ ही मैं उसके कानों के बीच में चुम्बन करते हुए कान के निचले हिस्से को भी दांतों से रगड़ने लगा.. जिससे माया के बदन में सिहरन दौड़ने लगी।
वो अपना काबू खो कर मेरे लौड़े को सख्ती के साथ भींचने लगी.. जिससे मेरा भी जोश बढ़ गया और मैं उसकी गर्दन में अपने होंठों को गड़ा कर चूसने लगा।
मेरे इस वार को माया बर्दास्त न कर सकी और अपनी चूत की सब्र का बांध तोड़ते हुए, ‘अह्ह्ह आआह्ह्ह शह्ह्ह..’ की आवाज़ के साथ अपनी गांड को मेरे लौड़े पर दबाते हुए अपनी पीठ को मेरे सीने से चिपका कर अपनी गर्दन दाएं-बाएं करने लगी।
दोस्तों इस अद्भुत आनन्द की घड़ी में मैंने महसूस किया जैसे मैं बिना पंख के ही आसमान में सबसे तेज़ उड़ रहा हूँ।
मुझे भी होश न रहा और मैं बिना लोअर उतारे ही उसकी गांड मैं लण्ड रगड़ते हुए झड़ गया।
जब मुझे मेरे ही वीर्य की गर्म बूंदों का अहसास मेरी जाँघों पर हुआ.. तो मुझे होश आया और तब मुझे अहसास हुआ कि कोई इतना भी बहक सकता है।
और ऐसा हो भी क्यों न.. जब माया जैसी काम की देवी साथ हो।
मैं भी झड़ने के बाद कुछ देर बाद तक उसके कंधे पर सर रख कर उसके अपने होंठों से सटे गाल पर चुम्बन करते हुए उसके चूचों को प्यार से मसले जा रहा था और मेरे मुख से ‘उम्म्म्म चप्प-चप्प’ के साथ बस यही शब्द निकल रहे थे, ‘जानू आई लव यू.. आई लव यू सो मच..’
जिससे माया के बदन की आग फिर से दहकने लगी और वो भी अपने होंठों को मेरे होंठों में देकर कहते हुए बोलने लगी, ‘आई लव यू टू.. आई लव यू टू.. जान मेरा सब कुछ तुम्हारा ही तो है.. ले लो अपनी जानू की जिंदगी का रस.. आज तो मज़ा आ गया.. ऐसी घड़ी आज के पहले मेरे जीवन में कभी न आई..’
ये कहते हुए उसने अपना हाथ फिर से पीछे ले जाकर मेरे लौड़े पर रख दिया। वो हाथ रखते ही बोली- अरे ये क्या आज तुम भी भावनाओं के सागर में बह गए क्या..?
तो मैंने बोला- अरे तुम हो ही मज़ेदार और सेक्सी.. जो किसी का भी लौड़ा बस देखकर ही बहा दो..
तो माया किलकारी मारकर हँसते हुए बोली- जानू आई लव यू.. बस मैं तुम्हारी इसी अदा पर ही तो फ़िदा हूँ.. तुम साथ में जीने का कोई भी मौका नहीं गंवाते हो।
यह कहते हुए वो मेरी ओर घूमी और अपने होंठों को मेरे होंठों से गड़ा कर मेरी पीठ पर अपने हाथों को चींटी की तरह धीरे-धीरे चलाते हुए मेरी टी-शर्ट के निचले सिरे पर पहुँच गई।
वो पीछे से अपने हाथों को मेरे शर्ट के अन्दर डालते हुए उसे ऊपर धीरे-धीरे उठाने लगी।
मैं अपनी आँखों को बंद किए हुए उसे चूमने-चाटने में इतना मदहोश था कि मुझे तब होश आया जब उसने मेरी टी-शर्ट को निकालने में थोड़ी ताकत का प्रयोग किया।
ये सोचकर आज मैं बहुत हैरान था कि क्या ऐसा भी होता है कि इंसान इतना खो जाता है कि उसे होश ही नहीं रहता है कि उसके साथ क्या हो रहा है।
फिर टी-शर्ट निकालने में मैंने उसका सहयोग करते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा लिया।
पर आज माया अपनी जवानी के नशे में मुझे खा जाने के मूड में थी।
अब आप लोग सोच रहे होंगे ऐसा क्या किया माया ने.. तो बता दूँ उस वक़्त वो मेरे होंठों को तो चूस नहीं सकती थी.. पर मेरी नंगी छाती जो कि अब उसके हवाले थी.. उसे वो प्यार से अपनी जुबान से चाटते हुए चूमने लगी थी।
और मेरी टी-शर्ट के उतरते ही माया ने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और मेरे बदन की गर्माहट अपने शरीर में महसूस कराने लगी।
अब वो दाईं ओर अपना मुँह करके बंद आँखों से अपने सर को मेरे कंधे पर टिका कर.. राहत भरी सांस भरने लगी.. जैसे मेरे बदन की गर्माहट उसकी दुखती रगों को सेक रही हो।
मैंने भी उसकी पीठ को धीरे-धीरे प्यार से सहलाना शुरू किया और बोला- थक गई हो तो आराम कर लो।
मेरे इतना बोलते ही माया ने अपनी आँखें खोल दीं और प्यार भरी निगाहों से देखते हुए बोली- जान आई लव यू सो मच.. मुझे तुम्हारी बाँहों में बहुत सुख मिलता है.. मेरा बस चले तो मैं इन्हीं बाँहों में अपना सारा जीवन बिता दूँ।
फिर माया ने बारी-बारी से मेरे माथे को चूमा.. दोनों आँखों को चुम्मी ली.. फिर मेरे गालों के दोनों ओर चूम कर अपने होंठों से पुनः मेरे होंठों का करीब एक मिनट तक रसपान करती रही।
वो यूँ ही चूमते हुए धीरे-धीरे नीचे को बढ़ने लगी।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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फिर वो मेरी गर्दन को अपने जीभ की नोक से सहलाने लगी.. जिससे मुझे असीम आनन्द प्राप्त हो रहा था।
फिर वो धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ते हुए मेरी छाती को चूमने लगी और निप्पलों को जुबान से छेड़ने लगी.. जिससे बदन में अजीब सा करेंट दौड़ गया और वो मेरे बदन के कम्पन को महसूस करते हुए पूछने लगी- राहुल कैसा लग रहा है?
तो मैंने कहा- बहुत ही हॉट फीलिंग आ रही है.. मज़ा आ गया।
फिर वो धीरे-धीरे मेरे निप्पलों को जुबान की नोक से छेड़ते हुए अपने हाथों को मेरे लोअर तक ले गई और चाटते हुए नीचे को बैठने लगी।
फिर जैसे ही उसने मेरी नाभि के पास चुम्बन लिया तो मेरे बदन में एक अज़ीब सी सिहरन हुई।
तो उसने मुस्कान भरे चेहरे से मेरी ओर देखा.. और शरारती अंदाज़ में आँख मारते हुए बोली- क्यों मज़ा आया न?
तो मैंने बोला- यार सच में.. इतना तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था।
फिर देखते ही देखते उसने मेरा लोअर मेरे पैरों से आज़ाद कर दिया और मेरी जांघों को रगड़ने लगी।
तो मैंने उसका सर पकड़ लिया और बोला- मेरी जान.. क्या इरादा है..?
तो बोली- इरादा तो नेक है.. बस अंजाम देना है।
फिर जैसे ही उसकी नज़र मेरी चड्डी के अन्दर खड़े लौड़े पर पड़ी तो उसकी आँखों की चमक दुगनी हो गई। उसने आव न देखा ताव.. मेरे लौड़े को चड्डी के ऊपर से ही अपने मुँह में भरकर दाँतों को गड़ाने लगी और वो साथ ही साथ मेरी जांघों को हाथों से सहला रही थी।
उसकी इस प्रतिक्रिया पर मेरे मुँह से दर्द भरी मादक ‘आह्ह्ह ह्ह्ह्ह’ निकालने लगी।
मैंने उसके सर को मजबूती से पकड़ कर अपने लौड़े पर दाब दिया..
जो आनन्द मुझे मिल रहा था उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है क्योंकि शब्दों में बयान किया तो उस आनन्द की तौहीन होगी।
फिर उसने मेरी चड्डी को अपने दाँतों से पकड़ कर नीचे सरकाया जैसे ही मेरा लण्ड गिरफ्त से बाहर आया तो उसने आते ही माया के माथे पर सर पटक दिया।
मानो कह रहा हो- तुस्सी ग्रेट हो तोहफा कबूल करो।
फिर उसने चड्डी को मेरे जिस्म से अलग कर दिया।
अब मैं उसके सामने पूर्ण निर्वस्त्र खड़ा था और वो उसी गाउन में नीचे झुकी बैठी थी.. जिससे उसके अनार साफ झलक रहे थे।
फिर उसने मेरे लौड़े को मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह उसे चूसने लगी.. जिससे मेरा आनन्द दुगना हो गया और मेरे मुँह से मादक भरी- श्ह्ह्ह ह्ह्ह आआआअह्ह्ह श्ह्ह्ह ह्हह्ह !!
सीत्कार निकालने लगी और मैंने आनन्द भरे सागर में गोते लगाते हुए उसके सर को अपने हाथों से कस लिया।
इसके पहले वो कुछ समझ पाती.. मैंने उसके सर को दबा कर अपने लौड़े को जड़ तक उसके मुँह में घुसेड़ कर उसके मुँह को जबरदस्त अपनी कमर को उचका-उचका चोदने लगा।
मेरे इस प्रकार चोदने से माया की हालत ख़राब हो गई। उसके मुँह के भावों से उसकी पीड़ा स्पष्ट झलक रही थी.. उसके होंठों के सिरों से उसकी लार तार-तार होकर बहने लगी।
इतना आनन्दमयी पल था.. जिसको बता पाना कठिन है.. उसकी आँखों की पुतलियों में लाल डोरे गहराते चले जा रहे थे और उसके मुख से बहुत ही उत्तेजित कर देने वाली दर्द भरी सीत्कार ‘आआआह्ह्ह ह्ह्ह आआआउउउ उउउम्म्म्म्म गुगुउउउ’ की आवाजें बड़े वेग के साथ रुंधे हुए (रोते हुए) स्वर में निकली जा रही थीं।
मैं बिना उसकी इस दशा की परवाह किए.. बस उसे चोदे जा रहा था.. और जब कभी उसके दांत मेरे लौड़े पर रगड़ जाते.. तो मैं उसके गाल पर तमाचा जड़ देता.. जैसा कि मैंने फिल्मों में देखा था।
जब मुझे यह अहसास हुआ कि अब मैं खुद को और देर नहीं रोक पाऊँगा.. तो मैंने उसके सर को पकड़ा और तेज़ स्वर में ‘आह्ह आआअह्ह्ह्ह आआह जानू.. बस ऐसे ही करती रहो.. थोड़ा और सहो.. मेरा होने वाला है बस..’ और देखते ही देखते मेरे वीर्य निकालने के साथ-साथ मेरी पकड़ ढीली हो गई।
और फिर माया ने तुरंत ही मेरे लौड़े से मुँह हटा लिया और खांसने लगी और सीधा वाशरूम चली गई।
मेरे इस तरह करने से उसे बहुत पीड़ा हुई थी और उसका मुँह भी दर्द से भर गया था, जिसे उसने बाद में बयान किया।
और सच कहूँ तो मुझे भी बाद में अच्छा नहीं लगा.. पर अब तो सब कुछ हो ही चुका था.. इसलिए पछताने से क्या फायदा..
पर कुछ भी हो ये तरीका था बड़े कमाल का.. आज के पहले मुझे लौड़ा चुसाई में इतना आनन्द नहीं मिला था।
फिर मैंने पास रखी बोतल उठाई और पानी के कुछ ही घूट गटके थे कि माया आई और दर्द भरी आवाज़ में बोली- राहुल आज तूने तो मेरे मुँह का ऐसा हाल कर दिया कि बोलने में भी दुखता है.. आआआह.. पता नहीं तुम्हें क्या हो गया था.. इसके पहले तुमने कभी ऐसा नहीं किया.. तुम्हें मेरी हालत देखकर भी तरस नहीं आया.. बल्कि चांटों को जड़कर मेरे गाल लाल करके.. दर्द को और बढ़ा दिया।
तो मैंने उससे माफ़ी मांगी और बोला- माया मुझे माफ़ कर दे.. मैं इतना ज्यादा कामभाव में चला गया था कि मुझे खुद का भी होश न था.. पर अब ऐसा दुबारा नहीं होगा।
मेरी आवाज़ की दर्द भरी कशिश को महसूस करके माया मेरे सीने से लग गई और बोली- अरे ये क्या.. माफ़ी मांग कर मुझे न शर्मिंदा करो.. होता है.. कभी-कभी ज्यादा जोश में इंसान बहक जाता है.. कोई बात नहीं मेरे सोना.. मेरे राजाबाबू.. आई लव यू.. आई लव यू..
यह कहते हुए वो मेरे होंठों को चूसने लगी और अभी मेरे लौड़े में भी पीड़ा हो रही थी जो कि मेरे जंग में लड़ने की और घायल होने की दास्तान दर्द के रूप में बयान कर रही थी।
एक अज़ीब सा मीठा दर्द महसूस हो रहा था.. ऐसा लग रहा था कि अब जैसे इसमें जान ही न बची हो।
फिर मैंने माया को जब ये बताया कि तुम्हारे दाँतों की चुभन से मेरा सामान बहुत दुःख रहा है.. ऐसा लग रहा है.. जैसे कि इसमें जान ही न बची हो.. अब मैं कैसे तुम्हारी गांड मार कर अपनी इच्छा पूरी कर पाउँगा और कल के बाद पता नहीं ये अवसर कब मिले.. मुझे लगता नहीं कि अब मैं कुछ और कर सकता हूँ.. ये तो बहुत ही दुःख रहा है।
तो माया ने मेरे लौड़े को हाथ से छुआ जो कि सिकुड़ा हुआ.. किसी सहमे से कछुए की तरह लग रहा था।
माया मुस्कुराई और मुझे छेड़ते हुए बोली- और बनो सुपर हीरो.. अब बन गए न जीरो.. देखा जोश में होश खोने का परिणाम..
और मुझे छेड़ते हुए मेरी मौज लेने लगी.. पर मेरी तो दर्द के मारे लंका लगी हुई थी.. तो मैंने झुंझला कर उससे बोला- अब उड़ा लो मेरा मज़ाक.. तुम भी याद रखना.. मुझे इतना दर्द हो रहा है और साथ-साथ अपनी इच्छा न पूरी हो पाने का कष्ट भी है.. और तुम हो कि मज़ाक उड़ा रही हो.. वैसे भी कल वो लोग आ जायेंगे.. तो पता नहीं कब ऐसा मौका मिले… तुमने तो इतनी तेज़ी से दाँतों को गड़ाया.. जिससे मेरी तो जान निकल रही है।
मैं बोल कर दर्द से बेहाल चेहरा लिए वहीं बिस्तर पर आँख बंद करके लेट गया।
मेरे दर्द को माया सीरियसली लेते हुए मेरे पास आई और मेरे माथे को चूमते हुए मेरे मुरझाए हुए लौड़े पर हाथ फेरते हुए बोली- तुम इतनी जल्दी क्यों परेशान हो जाते हो?
तो मैंने बोला- तुम्हें खुराफात सूझ रही है और मेरी जान निकाल रही है।
वो मुस्कुराते हुए प्यार से बोली- राहुल तेरी ये जान है न.. इसमें जान डालने के लिए.. तुम अब परेशान मत हो.. अभी देखना मैं कैसे इसे मतवाला बनाकर एक बार फिर से झूमने पर मज़बूर कर दूंगी।
और मैं कुछ बोल पाता कि उसके पहले ही उसने अपने होंठों से मेरे होंठ सिल दिए।
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हम कुछ देर यूँ ही एक-दूसरे को चूमते रहे..
फिर माया के दिमाग में पता नहीं क्या सूझा वो उठ कर गई और फ्रिज से बर्फ के टुकड़े ले आई।
यार सच कहूँ तो मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि ये सब क्या करने वाली है।
फिर उसने मेरे लंड को पकड़ कर उसकी अच्छे से सिकाई की..
यार दर्द तो चला गया पर बर्फ का अधिक प्रयोग हो जाने से वो सुन्न सा पड़ गया था।
मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे मतवाले हाथी को किसी ने मार दिया हो और अन्दर ही अन्दर बहुत डर सा गया था कि अब क्या होगा.. अगर इसमें तनाव आना ख़त्म हो गया.. तो क्या होगा?
मेरे चेहरे के चिंता के भावों को पढ़कर माया बोली- अरे राहुल क्या हुआ.. तुम इतना उलझन में क्यों लग रहे हो?
तो मैंने बोला- मेरा दर्द तो ठीक हो गया.. पर मुझे अब ये डर है कि इसमें जान भी बची है कि नहीं?
तो माया मुस्कुरा दी और हँसते हुए बोली- तुमने कभी सुना है.. ‘अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना..’ अब तुमने मेरे मुँह में जबरदस्ती सब कुछ किया.. तो तुम भुगत रहे हो.. पर अब जो मैं तुम्हारे दर्द को दूर करने के लिए कर रही हूँ.. उससे शायद मैं खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जा रही हूँ।
मैं उसकी बातों को सुनकर आश्चर्य में पड़ गया कि आखिर माया के कहने का मतलब क्या है.. सब कुछ मेरी समझ के बाहर था।
तो मैंने उससे बोला- साफ़-साफ़ बोलो.. कहना क्या चाहती हो?
बोली- अरे जान.. तुम्हें नहीं मालूम.. अगर बर्फ से सिकाई अच्छे से की जाए.. जब तक की लण्ड की गर्मी न शांत हो जाए और उसके बाद जो सेक्स करने का समय होता है.. वो बढ़ जाता है और अब तुम परेशान न हो.. परेशान तो मुझे होना चाहिए कि पता नहीं आज मेरा क्या होने वाला है.. और अब मुझे पता है कि इसमें कैसे तनाव आएगा.. पर मेरी एक शर्त है।
तो मैं बोला- क्या?
तो बोली- पहले बोलो कि मान जाओगे..
मैंने भी बोला- ठीक है.. मान जाऊँगा।
तो माया बोली- एक तो आज तक पीछे छेद में मैंने किसी के साथ सेक्स नहीं किया है.. तो तुम फिर से मेरे मुँह की तरह वहाँ जबरदस्ती कुछ नहीं करोगे और पहले मेरी चूत की खुजली मिटाओगे.. तुम्हें नहीं मालूम ये साली छिनाल.. बहुत देर से कुलबुला रही है..
तो मेरे दिमाग में भी एक हरकत सूझी कि बस एक बार किसी तरह माया मेरा ‘सामान’ खड़ा कर दे.. तो इसको भी बर्फ का मज़ा चखाता हूँ।
मैंने उससे बोला- ठीक है.. मुझे मंजूर है..
तो वो बर्फ ट्रे लेकर जाने लगी और बोली- अभी आई।
तो मैंने बोला- अरे ये ट्रे मुझे दे दो.. तब तक मैं इससे अपनी सिकाई करता हूँ।
वो मुझे ट्रे देकर चली गई।
अब आखिर उसे कैसे पता चलता कि उसके साथ अब क्या होने वाला है।
फिर कुछ ही देर में वो मक्खन का डिब्बा लेकर आ गई और बोली- जानू.. अब तैयार हो जाओ.. देखो मैं कैसे अपने राजाबाबू को अपने इशारे पर ठुमके लगवाती हूँ।
तो मैंने हल्की सी मुस्कान देकर अपनी सहमति जता दी।
अब बारी उसकी थी तो उसने अपने गाउन की डोरी खोली और उसे अपने बदन से लटका रहने दिया और फिर वो एक हलकी पट्टीनुमा चड्डी को दिखाते हुए ही मेरे पास आ गई और मेरे सीने से चिपक कर गर्मी देने लगी और मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे बदन पर हाथों को फेरने लगी..
जिससे मेरे बदन में प्रेम की लहर दौड़ने लगी।
उसकी इस क्रिया में मैंने सहयोग देते हुए और कस कर अपनी बाँहों में कस लिया.. फिर उसके होंठों को चूसना प्रारम्भ कर दिया।
देखते ही देखते हम लोग आनन्द के सागर में डुबकी लगाने लगे और फिर माया ने अचानक से अपना हाथ मेरे लौड़े पर रखकर देखा.. जो कि अभी भी वैसा ही था।
तो वो अपने होंठों को मेरे होंठों से हटा कर बोली- लगता है इसको स्पेशल ट्रीटमेंट देना होगा।
मैं बोला- कुछ भी कर यार.. पर जल्दी कर।
तो माया उठी और मुझे पलंग के कोने पर बैठने को बोला.. तो मैं जल्दी से उठा और बैठ गया।
मेरे इस उतावलेपन को देखकर माया हँसते हुए बोली- अरे राहुल.. अब होश में रहना.. नहीं तो यूँ ही रात निकल जाएगी.. फिर बाद में कुछ भी न कहना।
मैं बोला- यार वो एक बार हो गया… अब ऐसे कभी नहीं करूँगा.. पर दर्द तो जरूर दूँगा.. जब तुझे दर्द में सिसियाते हुए देखता हूँ और तेरी दर्द भरी चीखें मेरे कानों में जाती हैं.. तो मेरा जोश और बढ़ जाता है.. पर अब दर्द देने वाली जगह पर ही दर्द दूँगा।
तो वो हँसते हुए बोली- बड़ा मर्द बनने का शौक है तुझे.. चल देखती हूँ कि तू कितना दर्द देता है.. मुझे भी तेरे दर्द देने वाली जगह पर दर्द देने में एक अजीब से प्यार की अनुभूति होती है.. जो कि मुझे तेरा दीवाना बनाए हुए है।
यह कहते हुए उसने मक्खन निकाला और मेरे लौड़े पर मलने लगी।
फिर ऊपरी सतह पर लगाने के बाद उसने थोड़ा मक्खन और निकाला और मेरे लौड़े की खाल को खींच कर सुपाड़े पर हल्के-हल्के नर्म उँगलियों का स्पर्श देते हुए मलने लगी।
मैंने ध्यान से देखा तो सुपाड़े का रंग गुलाबी न होकर कुछ कुछ बैंगनी सा हो गया था.. तो मैं चिंता में पड़ कर सोचने लगा कि ये गुलाबी से बैंगनी कैसे हो गया?
तो मेरे दिमाग में आया या तो यह चोट के कारण है.. या फिर बर्फ की ठंडक का कमाल है?
खैर.. अब सब कुछ मैंने माया पर छोड़ दिया था।
फिर उसने सहलाते हुए मेरे लौड़े को फिर से अपने मुख में ढेर सारा थूक भर कर ले लिया और अपने होंठों से मेरे लौड़े पर पकड़ मजबूत बना दी.. जिससे मुझे मेरे सामान पर गर्मी का अहसास होने लगा।
फिर कुछ देर यूँ ही रखने के बाद माया बिना होंठों को खोले अन्दर ही अन्दर मेरे लौड़े के सुपाड़े को चूसने लगी.. जैसे कोई हाजमोला की गोली चूस रही हो।
उसकी इस चुसाई से मेरे लौड़े में जगी नई तरंगें मुझे महसूस होने लगीं और समय के गुजरने के साथ साथ मेरा लौड़े ने फिर से माया के मुँह की गर्मी पाकर हिलोरे मारने शुरू कर दिए..
जिसे माया ने भी महसूस किया और मुझसे हँसते हुए बोली- अब होश मत खोना.. बस थोड़ा समय और दो.. देखो कैसे अभी इसे लोहे सा सख्त करती हूँ।
वो फिर से मेरे लौड़े को मुँह में भरकर चूसने लगी और चूसते हुए उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपनी दोनों चूचियों पर रख दिए।
मैंने उसके इस इशारे को समझ कर धीरे-धीरे उसके चूचे मसलने लगा और कुछ ही देर में मैंने महसूस किया कि मेरे लौड़े का हाल पहले ही जैसा और सख्त हो चुका था।
तो मैंने माया के मुँह से अपने लौड़े को निकला जो कि उसके थूक और मक्खन से सना होने के कारण काफी चमकदार और सुन्दर महसूस हो रहा था.. जैसे उस पर पॉलिश की गई हो।
अब सुपाड़ा भी अपने रंग में वापसी कर चुका था.. जो कि शायद बर्फ की ठंडक के कारण नीला सा हो गया था।
फिर धीरे से मैंने माया के माथे को चूमा और उसे ‘थैंक्स’ बोला.. तो बोली- अरे इसमें थैंक्स की क्या बात है.. ये तो सब चलता है.. और किसी का भी ‘आइटम’ इतनी जल्दी खराब नहीं होता.. तभी भगवान ने इसमें हड्डियां नहीं दीं..
ये कह कर वो हँसने लगी।
तो मैंने माया के कन्धों को पकड़ा और उसे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके दोनों हाथों को सर के ऊपर ले जाकर उसे चूमते हुए.. उसके मम्मों को भींचने लगा।
जबकि माया अभी तक इससे अनजान होते हुए बंद आँखों से मेरे होंठों का रस चूस रही थी.. उसे क्या पता की आज मैं उसे कौन सा दर्द देने वाला हूँ और फिर मैंने उसके हाथों पर थोड़ा पकड़ मजबूत की.. तो बोली- अरे हाथों को इतना न कसो.. दर्द होता है।
तो मैंने बोला- जानेमन.. अभी तो बहुत बोल रही थीं कि दर्द में मज़ा आता है.. अब क्या हुआ.. अब तू देखती जा.. तेरे साथ क्या होने वाला है।
तो मारे आश्चर्य के उसकी दोनों आँखें बाहर निकल आईं और बहुत सहमे हुए तरीके से बोली- अब कैसा दर्द देने वाले हो.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।
तो मैंने बोला- समझ जाओगी.. बस आँखें बंद करो और ऐसे ही लेटी रहो..
अब क्योंकि मैं उसके ऊपर था.. तो मैंने उसके ऊपर अपने शरीर का भार डाल दिया और डोरी को पहले आहिस्ते से पलंग की रैक को खींचने वाले छल्ले में बाँध दिया जिसमें कि पहले से ही लॉक लगा हुआ था।
जिसका माया को बिल्कुल भी अहसास न था कि क्या हो रहा.. बल्कि वो भूखी शेरनी की तरह वासना की आग से तड़पती हुई मेरी गर्दन और छाती को चूसने और चाटने में लगी हुई थी।
फिर मैंने धीरे से अपने पैरों को सिकोड़ लिया और उसकी छाती पर ही बैठ गया ताकि वो कुछ भी न कर सके।
वो जब तक कुछ समझ पाती.. मैंने उसके हाथों में रस्सी का फन्दा सा बनाकर मज़बूती से कस दिया और उसके ऊपर से हटकर उसके होंठों को चूसने लगा.. जिससे माया जो बोलना चाह रही थी.. वो बोल ही न सकी।
मैं इसी तरह निरंतर उसके होंठों को चूसते हुए उसके मम्मों को रगड़े जा रहा था जिसमें माया का अंग-अंग उमंग में भरकर नाचने लगा था।
तो मैंने सोचा.. अब मौका सही है.. अब ये कुछ मना नहीं करेगी।
मैंने उसके होंठों को आज़ाद करके जैसे ही उठा और बर्फ की ट्रे हाथों में पकड़ी.. वो तुरंत ही चीखकर बोली- अरे राहुल.. अब क्या करने वाले हो.. मुझे बहुत डर लग रहा है.. प्लीज़ पहले रस्सी खोलो.. आज हो क्या गया है तुम्हें..?
पर उसे क्या पता कि आज मैं उसे दर्द ही दर्द देने वाला हूँ।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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- jay
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फिर मैंने माया के बगल में लेटते हुए उसके दूसरे ओर ट्रे रख दी। माया मुझे लगातार हाथ खोलने को बोले जा रही थी..
पर मैं उसकी बातों को अनसुना करते हुए उसके होंठों को चूसते हुए एक बर्फ के टुकड़े को लेकर उसकी गर्दन से लेकर उसकी नाभि तक धीरे-धीरे चला कर उसके बदन की गर्मी को ठंडा करने लगा।
माया को भी अजीब सा लग रहा था.. उसने नहीं सोचा था कि ऐसा भी कुछ होगा।
उसे एक आनन्द के साथ-साथ सर्दी का भी एहसास होने लगा था।
जब मैंने उसकी चूचियों पर बर्फ रखी तो क्या बताऊँ यार.. उसके चूचे इतने गर्म और सख्त हो चुके थे कि उसकी गर्माहट पाकर बर्फ तीव्रता के साथ घुल गई और माया का तनबदन तड़पने लगा ‘अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह..’ से सिसियाते हुए माया बोली- राहुल बस कर.. अब और न तड़पा.. दे दे मुझे अपना प्यार..
मैं बोला- आज तुझे सब दूँगा.. पर थोड़ा तड़पाने के बाद..
फिर मैंने उसकी कुछ भी बिना सुने उसके मम्मों को बर्फ से सेंकने लगा।
कभी एक उसका एक दूद्धू मुँह में रहता और दूसरे को बर्फ से सेंकता.. तो कभी दूसरे को मुँह में भरता और पहले वाले को बर्फ से सेंकता..
और उधर माया की मादक आवाजें मुझे पागल सा बनाने के लिए काफी थीं।
वो अब कमर उठाकर ‘आआआ… अह्हह्हह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उउउ..म्म्म्म्म.. राहुल बस कर.. तूने तो पूरे बदन में आज चीटियाँ दौड़ा दीं..
अब मान भी जा..
पर मैंने उसकी एक न सुनी और बर्फ के टुकड़े को जैसे ही उसकी गर्दन से लगाता या कमर पर लगाता.. तो वो एक जोर की ‘आआआअह्ह्ह्ह्ह’ के साथ चिहुंक उठती।
फिर मैंने माया की चड्डी एक ही झटके में हाथों से पकड़ कर उतार दी और जैसे ही मैंने फिर से बर्फ का टुकड़ा दोबारा से उठाया.. तो वो आँखें बाहर निकालते हुए बोली- राहुल.. अब बहुत हो गया.. मारेगा क्या मुझे?
तो मैं बोला- तुम बस मज़े लो.. बाक़ी का मैं लूँगा.. और अब मना करने के लिए मुँह खोला तो तुम्हारा मुँह भी बंद कर दूँगा।
अब माया चुप हो गई फिर मैंने उसकी जाँघों पर.. धीरे-धीरे बर्फ रगड़ते हुए उसकी चूत के दाने पर मुँह लगा कर उसे चूसना चालू किया..
जिससे माया के मुँह से दर्द के साथ मीठी.. और कानों को मधुर लगने वाली सीत्कार ‘श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्..’ निकलने लगी और मैं उसके चेहरे की ओर देखने लगा।
जब कुछ देर उसने मेरी जुबान का एहसास अपनी चूत पर नहीं पाया तो उसने आँखें खोलीं और मेरी ओर देखते हुए लज़्ज़ा भरे स्वर में बोली- अब क्या हुआ.. रुक क्यों गए.. करो न.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
तो मैंने कटीली मुस्कान दी और आँख मारते हुए बोला- तुम बस मज़ा लो..
अब फिर बर्फ के टुकड़े को उसकी चूत के भीतर सरका दिया जो कि कुछ घुल सा गया था.. बर्फ का टुकड़ा लगभग आधा इंच का रहा होगा.. जिसे माया की लपलपाती चूत आराम से निगल गई।
पर माया की चूत में बर्फ ने ऐसी खलबली मचाई कि वो जोर-जोर से ‘आअह्हह्ह.. उम्म्म्म्म स्स्स्स्स्श्ह्ह्हह्ह’ के साथ अपनी कमर बिस्तर पर पटकने लगी।
सबसे ताज्जुब वाली बात तो यह थी कि उसकी चूत में इतनी गर्मी थी कि जल्द बर्फ का दम घुट गया और रिस कर बाहर बह गई.. पर इतनी देर में बर्फ ने माया की चूत में जलन को बढ़ा दिया था।
मैं अभी देख ही रहा था कि माया बोली- चल अब और न सता.. डाल दे अन्दर.. और मिटा दे चूत की गर्मी..
तो मैं बोला- पहले इसकी गर्मी बर्फ से शांत करता हूँ.. फिर मैं कुछ करूँगा।
तो वो बोली- राहुल इसकी गर्मी तो इससे और बढ़ती ही जा रही है.. अगर कोई शांत कर सकता है तो वो तेरा छोटा राजाबाबू है।
तो मैंने बोला- चलो ये भी देखते हैं..
मैंने फिर से दूसरा टुकड़ा उठाया जो कि करीब दो इंच लम्बा और ट्रे के गोल खांचे के हिसाब से मोटा था.. वो समूचा टुकड़ा मैंने माया की चूत में घुसेड़ दिया और उसके चूत के दाने को रगड़ते हुए उसे चूसने लगा।
यार सच बता रहा हूँ जरा भी देर न लगी.. देखते ही देखते माया की चूत उसे भी डकार गई।
अबकी बार उसकी चूत में से बर्फ और चूत दोनों का मिला हुआ पानी झड़ने लगा.. जिसे मैंने उसकी चड्डी से साफ़ किया।
अब माया बोली- राहुल अब अन्दर डाल दे.. मुझे बर्दाश्त नहीं होता।
तो मैंने भी सोचा वैसे भी समय बर्बाद करने से क्या फायदा.. चल अब काम पर लग ही जाते हैं।
वैसे भी अभी गाण्ड भी मारनी है गाण्ड मारने का ख़याल आते ही मेरा ध्यान उसके छेद पर गया जो कि काफी कसा हुआ था।
मैं सोच में पड़ गया कि मेरा लौड़ा आखिर इतने छोटे और कैसे छेद को कैसे भेदेगा।
इतने में ही मेरे दिमाग में एक और खुराफात ने जन्म लिया और वो यह था कि माया की गाण्ड का छेद बर्फ से बढ़ाया जाए.. क्योंकि उसमें किसी भी तरह का कोई रिस्क भी नहीं था.. अन्दर रह भी गई तो घुल कर निकल जाएगी.. पर माया तैयार होगी भी या नहीं इसी उलझन में था।
इतने में माया खुद ही बोल पड़ी- अब क्या हुआ जान.. क्या सोचने लगे?
तो मैंने उससे बोला- मुझे तो पीछे करना था.. पर तुमने पहले आगे की शर्त रखी है.. पर मैं ये सोच रहा हूँ.. अगर आगे करते हुए तुम्हारी गाण्ड में अगर बर्फ ही डालता रहूँ तो उसका छेद आसानी से फ़ैल सकता है।
तो वो बोली- यार तेरे दिमाग में इतने वाइल्ड और रफ आईडिया आते कहाँ से हैं?
तो मैं हँसते हुए बोला- चलो बन जाओ घोड़ी.. अब मैं तेरी सवारी भी करूँगा और तेरी गाण्ड भी चौड़ी करूँगा।
तो वो बोली- पहले हाथ तो खोल दे.. अब मेरे हाथों में भी दर्द सा हो रहा है।
तो मैंने उसके हाथों की रस्सी खोली और रस्सी खुलते ही उसने मेरे सीने से चिपक कर मेरे होंठों को चूसा और मेरा लण्ड सहलाती हुई मेरी गर्दन पर अपनी गर्म साँसों का एहसास कराते हुए मेरे लौड़े तक पहुँच गई।
फिर से उसे मुँह में लेकर कुछ देर चूसा और फिर बिस्तर से उतार कर बिस्तर का कोना पकड़ कर घोड़ी की तरह झुक गई।
मैंने भी मक्खन ले कर अच्छे से उसकी गाण्ड के छेद में भर दिया और अपनी ऊँगली उसकी गाण्ड में घुसेड़ कर अच्छे से मक्खन अन्दर तक लगा दिया.. जिससे आराम से ऊँगली अन्दर-बाहर होने लगी।
फिर मैंने एक बर्फ का टुकड़ा लिया और उसकी गाण्ड में घुसड़ने के लिए छेद पर दबाने लगा.. पर इससे माया को तकलीफ होने लगी..
अब मेरा आईडिया मुझे फेल होता नज़र आ रहा था.. तो मैंने सोचा क्यों न कुछ और किया जाए।
तो फिर मैंने अपने लण्ड को पीछे से ही माया की चूत में डाल दिया और उसे धीरे-धीरे पीछे से लण्ड को गहराई तक पेलते हुए चोदने लगा.. जिससे मेरा लण्ड उसकी बच्चेदानी से टकरा जाता और माया के मुँह से ‘आआआह स्स्स्स्स्स्स्श’ की सीत्कार फूट पड़ती।
मैं लौड़ा पेलना के साथ ही साथ उसके चूचों को ऐसे दाब रहा था.. जैसे कोई हॉर्न बजा रहा हूँ।
जब मैंने देखा कि माया पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी तो मैंने फिर से ऊँगली उसके गाण्ड के छेद में डाल दी.. जो कि आराम से अन्दर-बाहर हो रही थी।
इसी तरह दो ऊँगलियाँ एक साथ डालीं.. वो भी जब आराम से आने जाने लगीं.. तो मैंने फिर से उसकी गाण्ड में बर्फ का टुकड़ा डाला..
पर इस बार उसकी गाण्ड अपने आप ही खुल बंद हो रही थी और बर्फ का ठंडा स्पर्श पाते ही माया का रोम-रोम रोमांचित हो उठा।
उसकी सीत्कार ‘आआआह्ह्ह स्स्स्स्स्स्श्ह्ह्ह्ह्ह ष्ह्ह उउउउउउउम’ उसके अन्दर हो रहे आनन्द मंथन को साफ़ ब्यान कर रही थी।
उसकी गाण्ड की गर्मी पाकर बर्फ जब घुलने सी लगी तो उसकी ठंडी बूँदें उसकी चूत तक जा रही थीं.. जिससे माया को अद्भुत आनन्द मिल रहा था।
वो मस्तानी चुदक्कड़ सी सिसिया रही थी, ‘बस ऐसे ही.. अह्ह्ह्हह्ह उउउउउउम.. और तेज़ करो राहुल.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.. आआआआअह।
वो अपनी चूत से गर्म रस-धार छोड़ने लगी.. जिससे मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था।
एक तो बाहर बर्फ का ठंडा पानी जो कि लौड़े पर गिर रहा था और अन्दर माया के जलते हुए बदन का जलता हुआ गर्म काम-रस..
मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था।
जैसे रेस का घोड़ा अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए पूरी ताकत लगा देता है.. वैसे ही मैं पूरी ताकत और रफ़्तार के साथ उसकी चूत में अपना लौड़ा पेलने लगा।
जिससे माया लौड़े की हर ठोकर पर ‘आआअह… अह्ह्ह् उउम्म्म ष्ह्ह स्स्स्श्ह्ह्ह’ के साथ जवाब देते-देते चोटें झेलने लगी।
उसकी आवाज़ों ने मुझे इतना मदहोश कर दिया था कि मैंने फिर से अपने होश को खो दिया और जो बर्फ का टुकड़ा उसकी गाण्ड के छेद पर टिका रखा था, उसे किसी बटन की तरह उसकी गाण्ड में पूरी ताकत से अंगूठे से दबा दिया.. जिससे एक ही बार में उसकी गाण्ड में बर्फ का टुकड़ा चला गया।
अब माया गहरी पीड़ा भरी आवाज़ के साथ चिल्लाने लगी- आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह म्मा.. माँ मार.. डाला..
उसकी तो जैसे जान ही निकल गई हो.. पर अब क्या हो सकता था उसे तो निकाला भी नहीं जा सकता था और उसकी आँखों के सामने अंधेरा सा छा गया जो कि मुझे बाद में पता चला।
खैर.. अब तो मेरा काम हो ही चुका था.. और माया उसी तरह अपनी टाँगें फैलाए बिस्तर पर सर रखकर झुकी-झुकी ही दर्द पर काबू पाते हुए ‘आआअह आआआह उउउम्म्म्म्म’ कराहने लगी।
उसके अनुभव के अनुसार उसे उस वक़्त चूत चुदाई का आनन्द और गाण्ड में बर्फ का दर्द दोनों का मिला-जुला अहसास हो रहा था।
खैर मैंने उसी तरह माया की ठुकाई करते हुए उसकी चूत में ही अपना वीर्य उगल दिया..
जिससे माया को अपनी चूत में तो राहत सी मिल गई किन्तु उसकी गाण्ड में अब खुजली बढ़ चुकी थी।
उसकी गाण्ड की गर्मी का साफ़ पता चल रहा था क्योंकि बर्फ का टुकड़ा लगभग एक मिनट में ही पिघल कर आधा रह गया था।
तो मैंने भी वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए सोचा.. अभी लोहा गर्म है बेटा.. मार ले हथौड़ा.. नहीं तो चूक जाएगा।
तो मैंने तुरंत ही झुककर उसकी पीठ सहलाते हुए उसे चुम्बन भी करना चालू कर दिया और बर्फ के पिघलने से माया का दर्द भी कम सा हो गया था।
उसके शरीर में रोमांच की तरंगें फिर से उमड़ने लगी थीं..
तो मैंने फिर से उसे यूँ ही प्यार देते हुए जहाँ तक ऊँगलियां जा सकती थीं.. से बचे हुए बर्फ के टुकड़े को और अन्दर करने लगा।
फिर मैं अपनी दोनों ऊँगलियां अन्दर-बाहर करते हुए आश्चर्य में था कि पहले जो आराम से नहीं हो रहा था.. पर वो अब आराम से हो रहा था।
तो मैंने फिर से एक बर्फ का टुकड़ा लिया और उसकी गाण्ड में दबा दिया जो कि अन्दर नहीं जा पा रहा था और माया फिर से ‘आआअह’ कराह उठी।
तो मैंने बर्फ के टुकड़े को मक्खन में सान कर फिर से उसकी गाण्ड में झटके से दबा दिया.. तो इस बार फिर से बर्फ का टुकड़ा गाण्ड में आराम से चला गया और ख़ास बात यह थी कि अबकी बार माया को भी दर्द न हुआ।
जैसा कि उसने बाद में बताया था कि पहली बार जब अन्दर घुसा था तो उसे ऐसा लगा जैसे उसे चक्कर सा आ रहा है..
उसकी आँखें भी बंद हो चुकी थीं और काफी देर तक उसकी आँखों में अधेरा छाया रहा था.. जैसे किसी ने उसकी जान ही ले ली हो।
उसे सुनाई तो दे रहा था.. पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
खैर मैंने यूँ ही बर्फ के टुकड़े डाल डाल कर माया की गाण्ड को अच्छे से फैला दिया था।
जब बर्फ का टुकड़ा आराम से अन्दर-बाहर होने लगा.. तो मैंने भी देर न करते हुए माया को चूमा और उसे उठा कर.. फिर से उसके होंठों का रसपान किया और उसके मम्मों को रगड़-रगड़ कर मसलते हुए उसकी चुदाई की आग को हवा देने लगा।
मेरा लौड़ा भी पूरे शबाव में आकर लहराते हुए उसके पेट पर उम्मीदवारी की दस्तक देने लगा.. जिसे माया ने बड़े प्यार से पकड़ा और उसे चूमते हुए बोली- बहुत जालिम हो गए हो.. अब अपनी गुड़िया को दर्द दिए बिना भी नहीं मानते।
वो कुछ इस तरह से बोल रही थी कि उसके शब्द थे तो मेरे लिए.. पर वो मेरे लौड़े के लिए लग रहे थे।
तो मैंने भी अपने लौड़े को लहराते हुए उससे बोला- जान बस आखिरी इच्छा और पूरी कर दे.. फिर जब तू कहेगी तेरी हर तमन्ना खुशी से पूरी कर दूँगा।
तो वो उसे मुँह में भरकर कुछ देर चूसने के बाद बोली- ले अब मार ले बाजी.. लेकिन प्यार से..
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Re: दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली
तो मैंने झट से उसे घुमाया और सर नीचे बिस्तर पर छुआने को बोला.. उसने ठीक वैसा ही किया, जिससे उसकी गाण्ड ऊपर को उठ कर मेरे सामने ऐसे आई जैसे माया बोल रही हो- गॉड तुस्सी ग्रेट हो तोहफा कबूल करो..
मैंने भी फिर से मक्खन लिया और अच्छे से अपने लौड़े पर मल लिया.. फिर थोड़ा और लिया और उसकी गाण्ड के छेद के चारों ओर मलते हुए उँगलियों से गहराई में भरने लगा।
फिर मैंने अच्छे से ऊँगलियाँ अन्दर-बाहर कीं.. जब दो ऊँगलियाँ आराम से आने-जाने लगीं.. तो मैंने माया से बोला- अब तुम्हारे सब्र के इम्तिहान की घड़ी आ चुकी है.. अपनी कुंवारी गाण्ड के उद्घाटन के लिए तैयार हो जाओ और मेरे लिए दर्द सहन करना।
तो माया ने दबी आवाज़ में मुँह भींचते हुए ‘हम्म’ बोला और सहमी हुई आँखें बंद किए हुए सर को बिस्तर पर टिका लिया।
फिर मैंने धीरे से अपने लौड़े को पकड़ कर उसके छेद पर दबाव बनाया लेकिन लण्ड अन्दर करने में नाकाम रहा।
तो मैंने माया से मदद मांगी।
उसने सर टिकाए हुए अपने दोनों हाथों को पीछे लाकर अपनी गाण्ड के छेद को फैला लिया।
मैंने फिर से प्रयास किया.. इस बार कुछ सफलता मिली ही थी कि माया टोपे के हल्का सा अन्दर जाते ही आगे को उचक गई.. जिससे फिर से मेरा लौड़ा बाहर आ गया।
तो मैंने माया से तीखे शब्दों में बोला- क्या यार.. ऐसे थोड़ी न करते हैं..
तो माया सहमी हुई बोली- यार डर लग रहा है.. मैं कैसे झेलूँगी?
मैंने उसके चूतड़ों पर हाथों से चटाका लगाते हुए बोला- जैसे आगे झेलती है..
और उसकी कमर को सख्ती से पकड़ कर फिर से लौड़ा टिकाया।
तो वो फिर से उचकने लगी इसी तरह जब तीन-चार बार हो गया तो मैंने फिर से बर्फ का एक टुकड़ा लिया और उसकी गाण्ड के छेद में जबरदस्त तरीके से चिड़चिड़ाहट के साथ दाब दिया.. जिससे माया को बहुत दर्द हुआ और वो पैर सिकोड़ कर लेट सी गई.. पर बर्फ का टुकड़ा तो अन्दर अब फंस चुका था।
तो मैंने उससे बोला- अब देख.. जो दर्द होना था.. वो हो चुका.. अब बर्दास्त करके चुपचाप उसी तरह से हो जाओ.. वर्ना फिर से यही करूँगा।
वो बोली- ठीक है.. पर आराम से करना..
वो फिर उसी तरह से गाण्ड उठाकर लेट गई.. फिर मैंने उसी बर्फ के टुकड़े के सहारे अपने लौड़े को धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में दबाव देते हुए डालने लगा और कमाल की बात यह थी कि उसकी गाण्ड भी आराम से पूरा लौड़ा खा गई और अब मेरे सामान की गर्मी और माया की गाण्ड की गर्मी पाकर बर्फ अपना दम तोड़ चुकी थी।
उसकी गाण्ड का कसाव मेरे लौड़े पर साफ़ पता चल रहा था।
फिर मैंने उसकी कमर को मजबूती से पकड़ कर अपने लण्ड को बाहर की ओर खींचा.. तो माया के मुख से दर्द भरी घुटी सी ‘अह्ह…ह्ह’ निकल गई।
पर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे तरबूज़ के अन्दर चाकू डाल कर निकाला जाता है।
फिर मैं फिर से धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा जिसमे मुझे भी उसकी गाण्ड के कसाव के कारण अपने लौड़े पर रगड़ महसूस हो रही थी।
माया का तो पूछो ही नहीं.. उसका दर्द से बुरा हाल हो गया था.. पर मेरे कारण वो अपने असहनीय दर्द को बर्दास्त किए हुए आँखों से आँसू बहाते हुए लेटी रही।
फिर मैंने अपने लण्ड को टोपे से कुछ भाग अन्दर रखते हुए बाकी का बाहर निकाला और उसमें थोड़ा सा मक्खन लगाया और फिर से अन्दर डाला।
इस तरह यह प्रक्रिया 5 से 6 बार दोहराई तो मैंने महसूस किया कि अब चिकनाई के कारण लौड़ा आराम से अन्दर-बाहर आ-जा रहा था।
फिर मैंने माया की ओर देखा.. तो अब उसे भी राहत मिल चुकी थी। जो कि उसके चेहरे से समझ आ रही थी।
मैंने इसी तरह चुदाई करते हुए अपने लौड़े को बाहर निकाला और इस बार जब पूरा निकाल कर अन्दर डाला.. तो लौड़ा ‘सट’ की आवाज करता हुआ आराम से अन्दर चला गया.. जैसे कि उसका अब यही अड्डा हो।
इस बार माया को भी तकलीफ न हुई।
मैं माया से कुछ बोलता कि इसके पहले ही माया बोली- क्यों अब हो गई न इच्छा पूरी?
तो मैंने बोला- अभी काम आधा हुआ है।
वो बोली- चलो फिर पूरा कर लो.. तो मैंने फिर से उसकी गाण्ड से लौड़ा निकाला और तेज़ी के साथ लौड़े को फिर से अन्दर पेल दिया जो कि उसकी जड़ तक एक ही बार में पहुँच गया।
जिससे माया के मुख से दर्द भरी सीत्कार, ‘अह्ह्ह ह्ह.. आआआह मार डाला स्स्स्स्श्ह्ह्ह्ह’ फूट पड़ी और आँखों के सामने अँधेरा सा छा गया।
और मैं उस पर रहम खाते हुए कुछ देर यूँ ही रुका रहा और आगे को झुक कर मैंने उसकी पीठ को चूमते हुए उसकी चूत में ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा।
इसके कुछ देर बाद ही माया सामान्य होते हुए चूत में उँगलियों का मज़ा लेते सीत्कार करने लगी।
अब मैंने भी इसी तरह उसकी चूत में ऊँगली देते हुए उसकी गाण्ड में लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा फिर कुछ ही समय बाद चूत की खुजली मिटाने के चक्कर में माया खुद ही कमर चलाते हुए तेज़ी से आगे-पीछे होने लगी और उसके स्वर अब दर्द से आनन्द में परिवर्तित हो चुके थे।
मैंने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए अपनी भी गति बढ़ा दी और अब मेरा पूरा ‘सामान’ बिना किसी रुकावट के.. उसको दर्द दिए बिना ही आराम से अन्दर-बाहर होने लगा।
जिससे मुझे भी एक असीम आनन्द की प्राप्ति होने लगी थी.. जिसको शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है।
देखते ही देखते माया की चूत रस से मेरी ऊँगलियां ऐसे भीगने लगीं जैसे किसी ने अन्दर पानी की टोंटी चालू कर दी हो।
पूरे कमरे उसकी सीत्कारें गूंज रही थी- आआआअह्ह्ह उउम्म्म्म स्सस्स्स्स्श ज्ज्ज्जाअण आआअह आआइ जान बहुत मज़ा आ रहा है.. मुझे नहीं मालूम था कि इतना मज़ा भी आएगा.. शुरू में तो तूने फाड़ ही दी थी.. पर अब अच्छा लग रहा है.. तुम बस अन्दर-बाहर करते रहो.. लूट लो इसके कुंवारेपन का मज़ा..
तो मैं भी बेधड़क हो उसकी गाण्ड में बिना रुके ऐसे लण्ड ठूँसने लगा.. जैसे ओखली में मूसल चल रहा हो।
उसकी चीखने की आवाजें, ‘उउउउम्म्म्म आआआअह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हह अह्ह्हह आह आआह’ मेरे कानों में पड़ कर मेरा जोश बढ़ाने लगीं।
जिससे मेरी रफ़्तार और तेज़ हो गई और मैं अपनी मंजिल के करीब पहुँच गया। अति-उत्तेजना मैंने अपने लौड़े को ऐसे ठेल दिया जैसे कोई दलदल में खूटा गाड़ दिया हो।
इस कठोर चोट के बाद मैंने अपना सारा रस उसकी गाण्ड के अंतिम पड़ाव में छोड़ने लगा और तब तक ऐसे ही लगा रहा.. जब तक उसकी पूरी नली खाली न हो गई।
फिर मैंने उसकी गाण्ड को मुट्ठी में भरकर कसके भींचा और रगड़ा.. जिससे काफी मज़ा आ रहा था। और आए भी क्यों न.. माया की गाण्ड किसी स्पंज के गद्दे से काम न थी।
फिर इस क्रीड़ा के बाद मैं आगे को झुका और उसकी पीठ का चुम्बन लेते हुए.. उसकी बराबरी में जाकर लेट गया।
अब उसका सर नीचे था और गाण्ड ऊपर को उठी थी.. तो मैं उसके गालों पर चुम्बन करते हुए उसकी चूचियों को छेड़ने लगा.. पर वो वैसे ही रही।
मैंने पूछा- क्या हुआ.. सीधी हो जाओ.. अब तो हो चुका जो होना था।
तो माया अपना सर मेरी ओर घुमाते हुए बोली- राहुल तूने कचूमर निकाल दिया।
उस समय तो जोश में मैंने भी रफ़्तार बढ़ा दी थी.. पर अब जरा भी हिला नहीं जा रहा है।
तो मैंने उसे सहारा देते हुए आहिस्ते से लिटाया और मेरे लिटाते ही माया की गाण्ड मेरे लावे के साथ-साथ खून भी उलट रही थी जो कि उसके अंदरुनी भाग के छिल जाने से हो रहा था।
मैंने माया के चेहरे की ओर देखा जो कि इस बात से अनजान थी। उसकी आँखें बंद और चेहरे पर ओस की बूंदों के समान पसीने की बूँदें चमक रही थीं और मुँह से दर्द भरी आवाज लगातार ‘आआआअह अह्ह्हह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह’ निकाले जा रही थी।
मैं उसकी इस हालत तरस खाते हुए वाशरूम गया और सोख्ता पैड और गुनगुना पानी लाकर उसकी गाण्ड और चूत की सफाई की.. जिससे माया ने मेरे प्यार के आगोश में आकर मुझे अपने दोनों हाथ खोल कर अपनी बाँहों में लेने का इशारा किया।
तो मैं भी अपने आपको उसके हवाले करते हुए उसकी बाँहों में चला गया।
उसने मुझे बहुत ही आत्मीयता के साथ प्यार किया और बोली- तुम मेरा इतना ख़याल रखते हो.. मुझे बहुत अच्छा लगता है.. आज से मेरा सब कुछ तुम्हारा राहुल.. आई लव यू.. आई लव यू.. सो मच.. मुझे बस इसी तरह प्यार देते रहना।
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