वीर- डैड मैं क्या कहता हूँ। कल ही मैं अलीजा और जूलिया से शादी कर लेता हूँ और हम सबको जल्द से जल्द धरती-लोक पहुँचना है। एक बड़ा खतरा जिन्न-लोक पर आने वाला है।
डैड- ठीक है पत्र। चलो मैं शादी की तैयारी करता हूँ।
फिर सब शादी की तैयारी करते हैं। सब भागम भाग में लगे हुए थे। आकाश भी पहली बार ऐसा कछ देख रहा था और उसे यह सब देखकर बड़ा मजा आ रहा था। ड्रैगन जो ठहरा। अगले दिन वीर अलीजा और जूलिया के साथ शादी करता है। सब वापिस जाने की तैयारी करते हैं।
वीर अपनी जिन्न-लोक की लाई हुई सेना को वहीं छोड़ देता है सबकी रक्षा के लिए। कुल 13 प्लैनेट थे इसे साथ मिलाकर। सब प्लैनेट में अपने सैनिक छोड़ देता है। साथ में लाए हुए भंडिया और वैम्पायर्स को भी। जो पहले
राजा थे उन्हें ही सब संभालने को कहता है।
वीर- अच्छा पिताजी अब हमें जाने की आज्ञा दें।
जूलिया के डैड- महाराज आपको भेजने का दिल तो नहीं करता, पर आपके और भी बहुत कर्तव्य हैं जिन्हें आपको पूरा करना है। बस हमें आकर मिलते रहना।
वीर- ठीक है पिताजी।
फिर सब एक दूसरे से मिलते हैं। सब वहां से कुछ ना कुछ शापिंग करते हैं, और धरती-लोक रवाना होते हैं।
सब जिन्न-लोक चले जाते हैं।
गुरुजी- आओ बच्चों, वीर समय बहुत नजदीक है किसी भी वक्त हमला हो सकता है। सूत्रों से पता चला है की तांत्रिक हमले के लिए पाताल लोक से निकल चुका है। दो दिन में यहां होगा।
वीर- कोई बात नहीं गुरुजी हम सब तैयार हैं। उसे जिन्न-लोक में पैर भी नहीं रखने दूंगा।
फिर सब ऐसे ही कुछ देर वहां रहते हैं। वहीं अज्जू के मोम डैड को भी जिन्न बना दिया जाता है।
वीर-अंकलजी आज आपको नई जिंदगी मिली है। इसका गलत इश्तेमाल मत करना। मैं आपको पी.एम. बने देखना चाहता हूँ। लोगों की दिल खोलकर सेवा करो। उन्हें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। जिस दिन मुझे लगा आप गलत रास्ते पे हो, वो दिन आपका आखिरी दिन होगा।
होम मिनिस्टर- नहीं महाराज ऐसा कुछ नहीं होगा। आज जो जीवन मुझे मिला, वो सिर्फ आपकी वजह से। लोगों
की सेवा करने में अपनी जी जान लगा दूँगा।
फिर सब वहां से वापिस धरती-लोक आ जाते हैं। रात हो गई थी। संजू और प्रीत मिलकर वीर का रूम सजा देते हैं। अलीजा और जूलिया को साथ लेकर दोनों तैयार करती हैं, और बेड पर बिठा देती हैं। किंग साइज बेड तैयार किया गया था।
संजू- जी सुनिए... जाइए आपकी परियां आपका इंतजार कर रही हैं।
वीर भी फ्रेश होकर रूम में चला जाता है। दोनों लड़कियां गूंघट ओढ़े बैठी थी। रूम में बड़ी अच्छी खुश्बू आ रही थी। वीर चलकर बेड के पास जाता है। बारी-बारी दोनों के चूँघट उठाता है। क्या बताऊँ दोनों जान निकाल रही थी। जूलिया लँहगे में धांसू लग रही थी।
दोनों दो ग्लास दूध का वीर को देती हैं। वीर दोनों ग्लास को एक कर देता है, और उसमें से आधा पी जाता है।
और कहता है- “बाकी तुम दोनों के लिए...” दोनों बाकी का दूध पी लेती हैं।
वीर- आज मैं तुम्हें वो तोहफा दूंगा। जिससे तुम बहुत खुश होगी, और सारी जिंदगी मुझे ऐसे ही प्यार करती रहोगी।
वीर हाथ से एक रोशनी निकलता है, जो दोनों में समा जाती है।
वीर- “यह एक ऐसी ताकत दी है तुम्हें, जिससे तुम दोनों कभी भी बूढी नहीं होगी, और तुम दोनों एक दूसरे में समा सकती हो। एक रूप ले सकती हो..."
दोनों बहुत खुश होती हैं।
वीर आगे बढ़कर जूलिया के करीब होता है। जूलिया का दिल तेजी से धड़कने लगता है। उसकी बाड़ी में हल्की हल्की कंपकंपी छूट जाती है। तीनों सारी रात अपने प्यार में लगे रहते हैं।
उधर तांत्रिक जिन्न-लोक की तरफ बढ़ रहा था- “हाहाहाहा... वीर आ रहा हूँ मैं। कोई नहीं बचेगा मुझसे। अब मेरे पास विशाल सेना है..."
इधर अगले दिन सवेरे सब डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। नाश्ता कर रहे थे।
वीर- मोम मिनिस्टर साहब आप आज से हमारे साथ ही रहेंगे। अपना जो भी जरूरी सामान है ले आओ। कपड़े वहीं रहने देना। यहां आपको आपके रूम में सब मिल जाएगा।
होम मिनिस्टर- जी महराज, जैसा आपको ठीक लगे।
वीर- अंकल, महाराज मैं जिन्न-लोक या मार्गन में हूँ, यहां नहीं। यहां मुझे आप वीर या बेटा ही बुला सकते हैं।
अज्जू- भाई हम दोनों को ट्रेनिंग की जरूरत है।
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Re: Fantasy अनदेखे जीवन का सफ़र
खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete
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Re: Fantasy अनदेखे जीवन का सफ़र
वीर- हाँ क्यों नहीं। बिस्वा, इन्हें हार्ड से हार्ड ट्रेनिंग करवाओ।
अज्जू- क्या भाई। फिर तो हम ऐसे ही ठीक थे।
वीर- पगले, अगर अब दुख झेलेगा तो आगे जाकर तुझे ही आसानी होगी। दो दिन में तुझे सब सीखना होगा। हम लोगों के पास दो दिन ही बचे हैं।
रूही- ठीक है वीर जी। हम तैयार हैं।
वीर- “ठीक है जाओ..."
आशीष और बिस्वा वीर के कहे उनसार चारों जिन्न-लोक चले जाते हैं।
तभी वीर के पास रिया और लारा आती हैं
वीर- कैसी हो मेरी गुड़िया?
दोनों- हम ठीक हैं। हमें चाकलेट चाहिए।
वीर- अच्छा आपकी चाकलेट चाहिए। जाओ एक काम करो संजू से ले लो जाकर।
दोनों वहां से चल देती हैं।
वीर वहां से निकलकर अपने रूम में आ जाता है। वीर रूम में आकर तांत्रिक के बारे में सोचने लगता है की उसे कैसे मारा जाए? ऐसा नहीं था की वीर उससे कम ताकतवर था। लेकिन तांत्रिक को बल से नहीं दिमाग से मारा जा सकता था। और वीर उसी के बारे में सोच रहा था।
बस एक आखिरी जंग फिर यह दुनियां खुशहाल जिंदगी जिएगी। वीर सोचता-सोचता सो जाता है। शाम को उसकी आँख नन्ही ड्रैगन्स की उछल कूद से खुलती है। जो वीर के ऊपर मस्ती कर रही थी।
वीर- अरे मेरा बच्चा, आज मेरे पास कैसे?
बेबी ड्रैगन- “आप तो मुझसे खेलते ही नहीं। फिर मैंने सोचा चलो आज मैं ही आपसे थोड़ी मस्ती कर लूं..."
वीर को ड्रैगन्स बेबी पर बहुत प्यार आता है और वो उसे गले लगा लेता है, और कहता है- “बस मेरे बच्चे 3 दिन इंतेजार करो। फिर मैं हमेश तुमसे खेलूंगा..”
ड्रैगन्स बेबी- “क्या इस बार मैं जंग में हिस्सा ले सकती हँ..."
वीर- नहीं बेटा अभी तुम छोटे हो। तुम रिया और लारा के साथ रहो। उनकी मदद के लिए।
ड्रैगन्स बेबी- ठीक है।
फिर हम रूम से बाहर आ गये। ऐसे ही दो दिन निकल गये। तीसरा दिन- आज फैसले का दिन था। मैं भी जिन्न-लोक पहुँच गया था। मैं जहाँ पे सारी सेना इकट्ठी थी, वहाँ पे चला गया।
मैं- मेरे साथियों, तुम लोग तैयार हो ना? आज हमारी आखिरी लड़ाई होगी। आज की लड़ाई फैसला करेगी की दुनियां में अच्छाई की ताकत का राज होगा या बुराई की। तो आज हम सबको डट के मुकाबला करना होगा। क्या आप लोग मेरे साथ हो?
सभी- हाँ हम सब आपके साथ हैं। \
फिर हम सब लोग जिन्न-लोक की सीमा की ओर चल पड़े। हम लोग जल्दी ही पहुँच गये। कुछ देर बाद काला धुंआ उड़ता हुआ हमारे सामने आ खड़ा हुआ कुछ दूरी पे। कुछ देर बाद अंधेरे में से तांत्रिक निकलकर बाहर आ गया।
तांत्रिक- “हाहाहाहा... आज मैं अपना राज्य कायम कर रहा हूँ। तुम सबकी बलि देकर हाहाहाहा... अपने शैतान पिता को खुश करूँगा हाहाहाहा.."
वीर- ख्वाब देखना छोड़ दे तांत्रिक, नहीं तो पछतायेगा। यहीं मिट्टी में मिल जाएगा।
तांत्रिक- “यह तो वक्त ही बताएगा। चलो शुरू करते है तुम्हारी बलि हाहाहाहा.."
वीर- यह घमंड बहुतों के ले डूबा। आज से तेरी भी गिनती उन्हीं में से होगी।
ऐसा नहीं था की तांत्रिक वीर से ज्यादा ताकतवर था। पर तांत्रिक कोई कम नहीं था। उसके पास आत्माएं थीं, जिन्हें उसने आजाद करवाया था। यह आत्माएं काफी पुरानी और ताकतवर थी।
फिर युद्ध की शुरुवात का बिगुल बजा।
तांत्रिक की तरफ से काला धुंआ उड़कर हमारी ओर आने लगा। वीर ने सेना को आगे बढ़ने का आदेश दिया। सैनिक कुछ आगे गये। धुंए में घुसते ही उनके टुकड़े होने लगे। वीर ने सेना को रोक लिया। फिर ड्रैगन को आदेश दिया।
वीर- आकाश अपने पंखों से हवा चलाओ, और उसे दूर करो।
अज्जू- क्या भाई। फिर तो हम ऐसे ही ठीक थे।
वीर- पगले, अगर अब दुख झेलेगा तो आगे जाकर तुझे ही आसानी होगी। दो दिन में तुझे सब सीखना होगा। हम लोगों के पास दो दिन ही बचे हैं।
रूही- ठीक है वीर जी। हम तैयार हैं।
वीर- “ठीक है जाओ..."
आशीष और बिस्वा वीर के कहे उनसार चारों जिन्न-लोक चले जाते हैं।
तभी वीर के पास रिया और लारा आती हैं
वीर- कैसी हो मेरी गुड़िया?
दोनों- हम ठीक हैं। हमें चाकलेट चाहिए।
वीर- अच्छा आपकी चाकलेट चाहिए। जाओ एक काम करो संजू से ले लो जाकर।
दोनों वहां से चल देती हैं।
वीर वहां से निकलकर अपने रूम में आ जाता है। वीर रूम में आकर तांत्रिक के बारे में सोचने लगता है की उसे कैसे मारा जाए? ऐसा नहीं था की वीर उससे कम ताकतवर था। लेकिन तांत्रिक को बल से नहीं दिमाग से मारा जा सकता था। और वीर उसी के बारे में सोच रहा था।
बस एक आखिरी जंग फिर यह दुनियां खुशहाल जिंदगी जिएगी। वीर सोचता-सोचता सो जाता है। शाम को उसकी आँख नन्ही ड्रैगन्स की उछल कूद से खुलती है। जो वीर के ऊपर मस्ती कर रही थी।
वीर- अरे मेरा बच्चा, आज मेरे पास कैसे?
बेबी ड्रैगन- “आप तो मुझसे खेलते ही नहीं। फिर मैंने सोचा चलो आज मैं ही आपसे थोड़ी मस्ती कर लूं..."
वीर को ड्रैगन्स बेबी पर बहुत प्यार आता है और वो उसे गले लगा लेता है, और कहता है- “बस मेरे बच्चे 3 दिन इंतेजार करो। फिर मैं हमेश तुमसे खेलूंगा..”
ड्रैगन्स बेबी- “क्या इस बार मैं जंग में हिस्सा ले सकती हँ..."
वीर- नहीं बेटा अभी तुम छोटे हो। तुम रिया और लारा के साथ रहो। उनकी मदद के लिए।
ड्रैगन्स बेबी- ठीक है।
फिर हम रूम से बाहर आ गये। ऐसे ही दो दिन निकल गये। तीसरा दिन- आज फैसले का दिन था। मैं भी जिन्न-लोक पहुँच गया था। मैं जहाँ पे सारी सेना इकट्ठी थी, वहाँ पे चला गया।
मैं- मेरे साथियों, तुम लोग तैयार हो ना? आज हमारी आखिरी लड़ाई होगी। आज की लड़ाई फैसला करेगी की दुनियां में अच्छाई की ताकत का राज होगा या बुराई की। तो आज हम सबको डट के मुकाबला करना होगा। क्या आप लोग मेरे साथ हो?
सभी- हाँ हम सब आपके साथ हैं। \
फिर हम सब लोग जिन्न-लोक की सीमा की ओर चल पड़े। हम लोग जल्दी ही पहुँच गये। कुछ देर बाद काला धुंआ उड़ता हुआ हमारे सामने आ खड़ा हुआ कुछ दूरी पे। कुछ देर बाद अंधेरे में से तांत्रिक निकलकर बाहर आ गया।
तांत्रिक- “हाहाहाहा... आज मैं अपना राज्य कायम कर रहा हूँ। तुम सबकी बलि देकर हाहाहाहा... अपने शैतान पिता को खुश करूँगा हाहाहाहा.."
वीर- ख्वाब देखना छोड़ दे तांत्रिक, नहीं तो पछतायेगा। यहीं मिट्टी में मिल जाएगा।
तांत्रिक- “यह तो वक्त ही बताएगा। चलो शुरू करते है तुम्हारी बलि हाहाहाहा.."
वीर- यह घमंड बहुतों के ले डूबा। आज से तेरी भी गिनती उन्हीं में से होगी।
ऐसा नहीं था की तांत्रिक वीर से ज्यादा ताकतवर था। पर तांत्रिक कोई कम नहीं था। उसके पास आत्माएं थीं, जिन्हें उसने आजाद करवाया था। यह आत्माएं काफी पुरानी और ताकतवर थी।
फिर युद्ध की शुरुवात का बिगुल बजा।
तांत्रिक की तरफ से काला धुंआ उड़कर हमारी ओर आने लगा। वीर ने सेना को आगे बढ़ने का आदेश दिया। सैनिक कुछ आगे गये। धुंए में घुसते ही उनके टुकड़े होने लगे। वीर ने सेना को रोक लिया। फिर ड्रैगन को आदेश दिया।
वीर- आकाश अपने पंखों से हवा चलाओ, और उसे दूर करो।
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Re: Fantasy अनदेखे जीवन का सफ़र
आकाश ने ऊपर उठकर हवा में अपना रूप बड़ा लिया। और अपने पँखों को पूरी ताकत लगाकर आगे को धक्का दिया। जिससे काफी तेज हवा चलने लगी। धुआ छंटने लगा।
वीर को उसमें आत्माएं दिख गईं। फिर वीर ने अपनी आँखें बंद करके अपना परिवार, दोस्तों और सेना की ओर हाथ करके शील्ड किया। वीर के हाथों से रोशनी निकलकर उन सबपे पड़ने लगी। कुछ ही देर में सब चमकने लगी।
अब सभी हमला करो, और ध्यान से, धुएं में आत्माएं है।
फिर सभी कूद जाते हैं लड़ाई में। जब सब चमकती हुई आत्माओं से भिड़ गये तो आत्मायें जलने लगी। हर तरफ चीखें ही चीखें थी।
अपनी हार होते देखकर तांत्रिक ने सभी को वापिस बुला लिया, और सारी आत्मायें उसके अंदर जाने लगी। जिससे वो एक विशाल दानव में बदल गया। फिर उसने एक पैर उठाकर जमीन पे मारा तो पूरी धरती हिल गई,
और सारी सेना और बाकी सब दूर जा गिरे। सिर्फ वीर को छोड़कर।
***** *****
वीर को उसमें आत्माएं दिख गईं। फिर वीर ने अपनी आँखें बंद करके अपना परिवार, दोस्तों और सेना की ओर हाथ करके शील्ड किया। वीर के हाथों से रोशनी निकलकर उन सबपे पड़ने लगी। कुछ ही देर में सब चमकने लगी।
अब सभी हमला करो, और ध्यान से, धुएं में आत्माएं है।
फिर सभी कूद जाते हैं लड़ाई में। जब सब चमकती हुई आत्माओं से भिड़ गये तो आत्मायें जलने लगी। हर तरफ चीखें ही चीखें थी।
अपनी हार होते देखकर तांत्रिक ने सभी को वापिस बुला लिया, और सारी आत्मायें उसके अंदर जाने लगी। जिससे वो एक विशाल दानव में बदल गया। फिर उसने एक पैर उठाकर जमीन पे मारा तो पूरी धरती हिल गई,
और सारी सेना और बाकी सब दूर जा गिरे। सिर्फ वीर को छोड़कर।
***** *****
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Re: Fantasy अनदेखे जीवन का सफ़र
कड़ी_96
फिर वीर ने भी आँखें बंद की, और कुछ देर बाद वो भी अपने महाजिन्न और ड्रैगन के मिले जुले रूप में आ गया। वीर ने एक दहाड़ मारी।
तांत्रिक थोड़ा पीछे हो गया।
फिर शुरू हुआ संग्राम। दोनों ने दो-दो हाथ कर किए। फिर कभी कोई किसी को मारता, कभी कोई किसी को। कुछ देर ऐसे ही चलता रहा। पर वीर अपनी शक्ति की वजह से जल्दी थक गया।
अब तांत्रिक उसके ऊपर भारी पड़ने लगा। फिर वीर ने ड्रैगन बेबी को याद किया। जल्दी ही ड्रैगन बेबी वीर के पास थी।
वीर- “बेटा यहाँ रुको कुछ देर के लिए। मैं अभी आया.."
फिर वीर ने एक लंबी सांस ली, और फिर से तांत्रिक से भिड़ गया। उसने तांत्रिक को एक पंच मारा। तांत्रिक दूर जा गिरा। पर वो फिर से उठ खड़ा हुआ। वीर ने उसपे रोशनी से बार किया, पर उसपे कोई असर नहीं हुआ।
फिर वीर ने ड्रैगन बेबी को पास बुलाया, और उसके सिर पे हाथ रखा। कुछ पलों में ड्रैगन बेबी एक रोशनी के गोले में बदल गया। फिर वीर ने कुछ मंत्र पढ़कर उस गोले को तांत्रिक के ऊपर छोड़ दिया। जैसे-जैसे वो गोला तांत्रिक की ओर बढ़ रहा था, वैसे-वैसे वो आकर में छोटा होता जा रहा था। और कुछ ही देर में तांत्रिक के मुँह में पहुँच गया।
तांत्रिक- “हाहाहाहा... इस बच्चों वाली हरकत से हराएगा मुझे... हाहाहाहा.."
वीर- “कुछ देर रुक जा तुझे सब पता चल जाएगा.."
तभी तांत्रिक की चीख गूंज गई। और वीर के चेहरे पे स्माइल आ गई। कुछ देर बाद तांत्रिक के अंदर से रोशनी निकलने लगी, और उसका आकर छोटा होने लगा। देखते ही देखते तांत्रिक ब्लास्ट हो गया। अब उसका कोई निशान नहीं बचा। उसके साथ आत्माएं भी नष्ट हो गईं।
कुछ देर बाद ड्रैगन बेबी वापिस वीर के पास आ गया।
वीर- शाब्बाश मेरे बच्चे, बहुत अच्छा काम किया। आज से तुम भी इंसानी रूप ले सकती हो।
फिर वीर सबको शाबाशी देता है। जिन्न-लोक में जश्न का माहौल बन चुका था। सब खुशी के मारे नाच रहे थे।
* * * * * * * * * *
फिर वीर ने भी आँखें बंद की, और कुछ देर बाद वो भी अपने महाजिन्न और ड्रैगन के मिले जुले रूप में आ गया। वीर ने एक दहाड़ मारी।
तांत्रिक थोड़ा पीछे हो गया।
फिर शुरू हुआ संग्राम। दोनों ने दो-दो हाथ कर किए। फिर कभी कोई किसी को मारता, कभी कोई किसी को। कुछ देर ऐसे ही चलता रहा। पर वीर अपनी शक्ति की वजह से जल्दी थक गया।
अब तांत्रिक उसके ऊपर भारी पड़ने लगा। फिर वीर ने ड्रैगन बेबी को याद किया। जल्दी ही ड्रैगन बेबी वीर के पास थी।
वीर- “बेटा यहाँ रुको कुछ देर के लिए। मैं अभी आया.."
फिर वीर ने एक लंबी सांस ली, और फिर से तांत्रिक से भिड़ गया। उसने तांत्रिक को एक पंच मारा। तांत्रिक दूर जा गिरा। पर वो फिर से उठ खड़ा हुआ। वीर ने उसपे रोशनी से बार किया, पर उसपे कोई असर नहीं हुआ।
फिर वीर ने ड्रैगन बेबी को पास बुलाया, और उसके सिर पे हाथ रखा। कुछ पलों में ड्रैगन बेबी एक रोशनी के गोले में बदल गया। फिर वीर ने कुछ मंत्र पढ़कर उस गोले को तांत्रिक के ऊपर छोड़ दिया। जैसे-जैसे वो गोला तांत्रिक की ओर बढ़ रहा था, वैसे-वैसे वो आकर में छोटा होता जा रहा था। और कुछ ही देर में तांत्रिक के मुँह में पहुँच गया।
तांत्रिक- “हाहाहाहा... इस बच्चों वाली हरकत से हराएगा मुझे... हाहाहाहा.."
वीर- “कुछ देर रुक जा तुझे सब पता चल जाएगा.."
तभी तांत्रिक की चीख गूंज गई। और वीर के चेहरे पे स्माइल आ गई। कुछ देर बाद तांत्रिक के अंदर से रोशनी निकलने लगी, और उसका आकर छोटा होने लगा। देखते ही देखते तांत्रिक ब्लास्ट हो गया। अब उसका कोई निशान नहीं बचा। उसके साथ आत्माएं भी नष्ट हो गईं।
कुछ देर बाद ड्रैगन बेबी वापिस वीर के पास आ गया।
वीर- शाब्बाश मेरे बच्चे, बहुत अच्छा काम किया। आज से तुम भी इंसानी रूप ले सकती हो।
फिर वीर सबको शाबाशी देता है। जिन्न-लोक में जश्न का माहौल बन चुका था। सब खुशी के मारे नाच रहे थे।
* * * * * * * * * *
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Re: Fantasy अनदेखे जीवन का सफ़र
कड़ी_97
तांत्रिक को मारने के बाद सब खुशी मना रहे थे।
गुरुजी- महाराज जीत की बधाई हो। आज यह दुनियां और बाकी दुनियां दुष्टों से मुक्त हो गई है।
वीर- आपको भी। हाँ गुरुजी अब सब ठीक होगा। अगर कोई आएगा भी तो अच्छाई के आगे टिक नहीं पाएगा।
मोम- हाँ बेटू अगर कोई आएगा भी तो उसे सब मिलकर खतम करेंगे।
फिर सब मिलकर जश्न मनाते हैं। जो सैनिक मारे गये थे, उन्हें श्रद्धांजली दी जाती है। वीर जिन्न-लोक और परी-लोक का सुरक्षा चक्र और मजबूत कर देता है। और एक ऐसा ही शील्ड धरती पर भी बना देता है।
वीर- अच्छा गुरुजी हम चलते हैं।
गुरुजी- सदा खुश रहो।
फिर सब गुरुजी और दोनों बड़े ड्रैगन्स से मिलकर धरती पर आ जाते हैं। जहां पर उसकी पत्नी, दादाजी, चाची,
चाचा और बाकी बच्चे इंतेजार कर रहे थे। सबको जीत की खबर मिल चुकी थी।
दादाजी- आ गया मेरा शेर। आज मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
जस्सी- क्यों दादाजी पहले नहीं हवा था क्या?
दादाजी- चुपकर बदमाश... पहले भी था, पर अब और हो गया।
वीर दादाजी को गले लगा लेता है, और कहता है- “दादाजी, ये सब आपके और बड़ों के आशीर्वाद से ही कर पाया
वीर- "अब सब सुनो... कल बिस्वा आशीष जस्सी मोहित की शादी है। सब रिश्तेदारों को गाड़ियां भेज दो जो आज शाम तक आ जाएं। बिस्वा, परी के मोम डैड को भी बुलवा लो..."
फिर सब शादी की तैयारी में लग जाते हैं। शाम तक सब रिश्तेदार आ जाते हैं। निशु की परिवार, नीलम की परिवार, जस्सी और मोहित की परिवार। इधर नेहा और परी की भी परिवार आ जाती है। सब इस शादी से खुश हैं। किसी को कोई आपत्ती नहीं है।
रातों-रात पूरे बंगले को सजा दिया जाता है। बंगले के आगे बने पार्क को सजाया जाता है। सब खाने पीने का लफ्ट उठा रहे थे, और उनके रहने का इंतजाम 5-स्टार होटेल में किया गया था। अगले दिन सवेरे चारों की शादी हो जाती है। सब बहुत खुश होते हैं। वीर चारों जोड़ों को हनीमून पे भेज देता है।
वीर- लीना, तुम्हें एक काम दे रहा हूँ, तुम सभी बहनों को। सिर्फ लारा को छोड़कर, वो मेरे पास ही रहेगी। अब तुम लोगों के पास बहुत पावर्स हैं। मैं चाहता हूँ की तुम अपने देश में रहकर वहां की गंदगी साफ करो।
लीना- क्या यह जरूरी है? आप हमें खुद से दूर कर रहे हैं।
वीर- नहीं लीना, ऐसी कोई बात नहीं है। हम सब भी दो महीने बाद वहीं शिफ्ट हो रहे हैं। यह जरूरी है। अगर हमारे पास कुछ पावर्स हैं तो उसका इश्तेमाल करना चाहिए, जिससे लोगों की भलाई हो। जब वहां सब खतम हो गया, तो हम सब मार्गन प्लैनेट चलेंगे रहने। हमारा सफर बहुत पड़ा है अभी।
मोम- हाँ वीर ठीक कहता है। बड़े दुश्मन तो खतम हो गये हैं। अब बस जो छोटे मोटे बचे हैं, उन्हें खतम करना है या सही रास्ते पर लाना है।
लीना- ठीक है मोम। हम तैयार हैं। पर आप वादा करो की हर महीने मिलने आओगे।
वीर- “वादा रहा। एक सेकेंड में तुम्हारे पास पहुँच जाएंगे। अब सफर करना हमारे लिए चुटकियों का काम है..." ऐसे ही सभी लीना और उसकी बहनों से मिलते हैं। पाँचो यू.एस.ए. के लिए निकल जाते हैं। पीछे रह गये वीर और दोस्त परिवार।
वीर ने यह बात अंदर रूम के करी थी। ताकी बाहर आए रिश्तेदारों को पता ना चल जाए। बाहर आकर वीर सभी रिश्तेदारों से मिलता है, और शादी में आने की खुशी में सब रिश्तेदारों को सोने के सिक्के देता है।
सब रिश्तेदार एक-एक करके चले जाते हैं। बस खास-खास रह जाते हैं।
रूम में। वीर- मोम, मैं कुछ दिनों के लिए मोरगोन प्लैनेट जाना चाहता हूँ। वहां की मेरी प्रजा को भी देखना है, और बाकी के प्लैनेट को भी। ऐसा करते हैं हम सब चलते हैं।
मोम- ठीक है बेट, कल चलेंगे। आज सभी रिश्तेदारों से मिल लें।
वीर रूही और अज्जू की परिवार को भी साथ चलने को बोलता है अवनी को भी। ऐसे है आज का दिन निकल जाता है। अगले दिन वीर अपनी सारी की सारी परिवार प्रिया, नैना, अवनी मोम डैड, लारा, रिया, चाचा चाची उनकी बड़ी बेटी। दादाजी, मोम डैड, दोनों ड्रैगन्स सब अफा में बैठकर निकलते हैं, मोरगोन प्लैनेट की ओर।
वहां पहँचकर वीर सबसे मिलता है। संजू प्रीत को वो एक प्लैनेट की महारानी घोषित करता है। एक प्लैनेट मोम डैड को, और एक चाचा चाची को देता है। \
ऐसे ही इनकी जिंदगी आगे बढ़ती रहती है, और हमारा अनदेखा सफर भी खतम हो जाता है। जिन्न-लोक, परी लोक, धरती-लोक और मोरगोन प्लैनेट सब खुशी-खुशी रह रहे हैं।
बाइ दोस्तों, मैं उम्मीद करती हूँ की आपको यह कहानी बहुत पसंद आई होगी।
**** समाप्त *****
तांत्रिक को मारने के बाद सब खुशी मना रहे थे।
गुरुजी- महाराज जीत की बधाई हो। आज यह दुनियां और बाकी दुनियां दुष्टों से मुक्त हो गई है।
वीर- आपको भी। हाँ गुरुजी अब सब ठीक होगा। अगर कोई आएगा भी तो अच्छाई के आगे टिक नहीं पाएगा।
मोम- हाँ बेटू अगर कोई आएगा भी तो उसे सब मिलकर खतम करेंगे।
फिर सब मिलकर जश्न मनाते हैं। जो सैनिक मारे गये थे, उन्हें श्रद्धांजली दी जाती है। वीर जिन्न-लोक और परी-लोक का सुरक्षा चक्र और मजबूत कर देता है। और एक ऐसा ही शील्ड धरती पर भी बना देता है।
वीर- अच्छा गुरुजी हम चलते हैं।
गुरुजी- सदा खुश रहो।
फिर सब गुरुजी और दोनों बड़े ड्रैगन्स से मिलकर धरती पर आ जाते हैं। जहां पर उसकी पत्नी, दादाजी, चाची,
चाचा और बाकी बच्चे इंतेजार कर रहे थे। सबको जीत की खबर मिल चुकी थी।
दादाजी- आ गया मेरा शेर। आज मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
जस्सी- क्यों दादाजी पहले नहीं हवा था क्या?
दादाजी- चुपकर बदमाश... पहले भी था, पर अब और हो गया।
वीर दादाजी को गले लगा लेता है, और कहता है- “दादाजी, ये सब आपके और बड़ों के आशीर्वाद से ही कर पाया
वीर- "अब सब सुनो... कल बिस्वा आशीष जस्सी मोहित की शादी है। सब रिश्तेदारों को गाड़ियां भेज दो जो आज शाम तक आ जाएं। बिस्वा, परी के मोम डैड को भी बुलवा लो..."
फिर सब शादी की तैयारी में लग जाते हैं। शाम तक सब रिश्तेदार आ जाते हैं। निशु की परिवार, नीलम की परिवार, जस्सी और मोहित की परिवार। इधर नेहा और परी की भी परिवार आ जाती है। सब इस शादी से खुश हैं। किसी को कोई आपत्ती नहीं है।
रातों-रात पूरे बंगले को सजा दिया जाता है। बंगले के आगे बने पार्क को सजाया जाता है। सब खाने पीने का लफ्ट उठा रहे थे, और उनके रहने का इंतजाम 5-स्टार होटेल में किया गया था। अगले दिन सवेरे चारों की शादी हो जाती है। सब बहुत खुश होते हैं। वीर चारों जोड़ों को हनीमून पे भेज देता है।
वीर- लीना, तुम्हें एक काम दे रहा हूँ, तुम सभी बहनों को। सिर्फ लारा को छोड़कर, वो मेरे पास ही रहेगी। अब तुम लोगों के पास बहुत पावर्स हैं। मैं चाहता हूँ की तुम अपने देश में रहकर वहां की गंदगी साफ करो।
लीना- क्या यह जरूरी है? आप हमें खुद से दूर कर रहे हैं।
वीर- नहीं लीना, ऐसी कोई बात नहीं है। हम सब भी दो महीने बाद वहीं शिफ्ट हो रहे हैं। यह जरूरी है। अगर हमारे पास कुछ पावर्स हैं तो उसका इश्तेमाल करना चाहिए, जिससे लोगों की भलाई हो। जब वहां सब खतम हो गया, तो हम सब मार्गन प्लैनेट चलेंगे रहने। हमारा सफर बहुत पड़ा है अभी।
मोम- हाँ वीर ठीक कहता है। बड़े दुश्मन तो खतम हो गये हैं। अब बस जो छोटे मोटे बचे हैं, उन्हें खतम करना है या सही रास्ते पर लाना है।
लीना- ठीक है मोम। हम तैयार हैं। पर आप वादा करो की हर महीने मिलने आओगे।
वीर- “वादा रहा। एक सेकेंड में तुम्हारे पास पहुँच जाएंगे। अब सफर करना हमारे लिए चुटकियों का काम है..." ऐसे ही सभी लीना और उसकी बहनों से मिलते हैं। पाँचो यू.एस.ए. के लिए निकल जाते हैं। पीछे रह गये वीर और दोस्त परिवार।
वीर ने यह बात अंदर रूम के करी थी। ताकी बाहर आए रिश्तेदारों को पता ना चल जाए। बाहर आकर वीर सभी रिश्तेदारों से मिलता है, और शादी में आने की खुशी में सब रिश्तेदारों को सोने के सिक्के देता है।
सब रिश्तेदार एक-एक करके चले जाते हैं। बस खास-खास रह जाते हैं।
रूम में। वीर- मोम, मैं कुछ दिनों के लिए मोरगोन प्लैनेट जाना चाहता हूँ। वहां की मेरी प्रजा को भी देखना है, और बाकी के प्लैनेट को भी। ऐसा करते हैं हम सब चलते हैं।
मोम- ठीक है बेट, कल चलेंगे। आज सभी रिश्तेदारों से मिल लें।
वीर रूही और अज्जू की परिवार को भी साथ चलने को बोलता है अवनी को भी। ऐसे है आज का दिन निकल जाता है। अगले दिन वीर अपनी सारी की सारी परिवार प्रिया, नैना, अवनी मोम डैड, लारा, रिया, चाचा चाची उनकी बड़ी बेटी। दादाजी, मोम डैड, दोनों ड्रैगन्स सब अफा में बैठकर निकलते हैं, मोरगोन प्लैनेट की ओर।
वहां पहँचकर वीर सबसे मिलता है। संजू प्रीत को वो एक प्लैनेट की महारानी घोषित करता है। एक प्लैनेट मोम डैड को, और एक चाचा चाची को देता है। \
ऐसे ही इनकी जिंदगी आगे बढ़ती रहती है, और हमारा अनदेखा सफर भी खतम हो जाता है। जिन्न-लोक, परी लोक, धरती-लोक और मोरगोन प्लैनेट सब खुशी-खुशी रह रहे हैं।
बाइ दोस्तों, मैं उम्मीद करती हूँ की आपको यह कहानी बहुत पसंद आई होगी।
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खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete