शांता बाई तो बाबली सी अपनी मालकिन को देखती रह गयी, फिर उसके दिमाग़ में कुछ क्लिक हुआ और अपने सर पर हाथ मार कर बोली-
उरी बाबा ! ये तो हमारा साब है, मे कैसे पहचाने को भूल गयी..?
शांता की आवाज़ सुनकर ट्रिशा को होश आया, वो झेन्पती हुई मेरे से अलग हुई, और तब उसकी नज़र मेरे बाजू में खड़ी शाकीना पर पड़ी..
मैने कहा ट्रिशा ये… अभी मे बोलने ही वाला था कि उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया… और बोली –
आपको बताने की ज़रूरत नही है, मे जानती हूँ ये मेरी प्यारी छोटी बेहन शाकीना है.. है ना !!
फिर मैने शाकीना को कहा – शाकीना यह मेरी पत्नी ट्रिशा हैं, यहाँ की अडीशनल कमिशनर ऑफ पोलीस.
मेरी बात सुनकर उसको धक्का सा लगा, वो कुछ देर सकते की हालत में खड़ी रह गयी…
तभी ट्रिशा ने आगे बढ़ कर उसे गले से लगा लिया, और बोली – ज़्यादा चोन्कने की ज़रूरत नही है मेरी बेहन,
मे तुम्हारे बारे में सब जानती हूँ, जिस दिन तुमने हाथ लेकर अरुण से अपनी बात मनवाई थी, इन्होने उसी दिन मुझसे पुच्छ लिया था…
फिर वो उसे लिए हुए अपने बेडरूम की तरफ चल दी.
शाकीना किसी कठपुतली की तरह उसके साथ-2 चली गयी, हमारी बातें सुन कर मेरे दोनो बेटे भी बाहर आ गये और एक लंबीईइ सी पापाआ निकालते हुए मेरे से लिपट गये, दोनो ही मेरे कंधे तक पहुँच गये थे.
मेरे गले से लग कर दोनो की रुलाई फुट पड़ी, मैने जैसे-तैसे उन दोनो को शांत किया. फिर मैने दोनो से पुछा –
अच्छा ये बताओ, तुम दोनो की स्टडी कैसी चल रही है..?
कौशल – एकदम फर्स्ट क्लास पापा, मम्मी हमारा पूरा काम चेक करती है, नेक्स्ट वीक से हमारे एग्ज़ॅम हैं, तो लगे पड़े हैं.
मे शूलभ से – और बड़े लाल आपके क्या हाल हैं ?, क्रिकेट-विक्रेट चल रहा है तुम लोगों का या बंद कर दिया.
शूलभ – कहाँ पापा, मम्मी ने पढ़ाई के चक्कर में सब बंद करा रखा है.
मे – ये सही भी है मेरे बच्चो, मुझे फक्र है अपने बेटों पर कि अपनी मम्मी की हर बात मानते हैं, शाबाश मेरे बच्चो…!!
कुछ देर ऐसे वो दोनो मेरे साथ लिपटे बातें करते रहे, फिर मैने उनको स्टडी कंटिन्यू करने को बोलकर उनके रूम में भेज दिया.
जब वो दोनो शाकीना से मिले तो वो कितनी ही देर तक मुँह फाडे मेरे दोनो बेटों को देखती रही.
उसे ये कतई अंदाज़ा नही था, कि मेरे इतने बड़े दो बेटे भी होंगे…
वो दोनो उसे देखते ही बोले – मम्मी ये इतनी सुंदर सी आंटी कॉन आई हैं पापा के साथ…?
ट्रिशा ने मुस्कराते हुए उन दोनो के बालों को सहलकर कहा – बेटा ये तुम्हारी छोटी मम्मी है…
उसके मुँह से छोटी मम्मी सुनकर शाकीना की आँखें दबदबा गयी, लेकिन बच्चों के सवाल जारी रहे…
सुलभ – छोटी मम्मी मतलब…?
ट्रिशा – अरे बेटा, मम्मी की छोटी बेहन मतलब तुम्हारी छोटी मोम..
कौशल – लेकिन मम्मी, आपकी छोटी बेहन तो निशा मौसी है ना.. फिर ये भी तो मौसी ही हुई ना…
ट्रिशा ने फिर प्यार से दोनो को डाँटते हुए कहा – तुम लोग ज़्यादा दिमाग़ मत चलाओ समझे… जब मे कह रही हूँ कि ये तुम्हारी छोटी मोम हैं, तो आज से तुम इन्हें वोही कहोगे…
उन दोनो ने असमजस की ही हालत में अपनी माँ की बात मानते हुए हां में अपनी गर्दन हिला दी…
मे मौन अपनी प्यारी पत्नी की समझदारी और अपनेपन को बस देखे जा रहा था…
यहाँ कदम रखते ही शाकीना एकदम गुम-सूम सी हो गयी थी, शायद उसे गिल्टी फील होने लगी थी कि वो क्यों यहाँ इस परिवार की खुशियों में आग लगाने आ गयी है.. ?
अब जाकर उसकी समझ में आया, कि क्यों मे उससे निकाह ना करने के लिए बोलता रहा था…
ट्रिशा ने शांता बाई को हम दोनो के लिए खाना तैयार करने को बोला, आधे घंटे बाद हम तीनों डाइनिंग टेबल पर बैठे खाना खा रहे थे,
शाकीना को गुम-सूम बैठे देख, ट्रिशा बोल पड़ी – अरुण ! लगता है, मेरी छोटी बेहन अपने नये परिवार से मिलकर खुश नही हुई…!
शाकीना से रहा नही गया, वो खाना छोड़कर ट्रिशा के गले से लिपट गयी और फफक-2 कर रो पड़ी.. फिर सुबक्ते हुए बोली –
बाजी ! आप कितनी अच्छी हो ! मे यहाँ क्यों आप लोगों की खुशियों में आग लगाने आ गयी..?
ट्रिशा बड़ी मासूम सी सूरत बना कर बोली – अरे अरुण ! आप अभी तक बैठे ही हो..?
जल्दी से फाइयर ब्रिगरेड को फोन करो भाई, यहाँ हमारी खुशियों में आग लग रही है और आप अभी तक चुप-चाप बैठे हो..?
ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete
- jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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- jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
ट्रिशा की बात सुन कर मे ठहाका लगा कर हँस पड़ा, शाकीना भी अपना रोना बंद करके खिल-खिलाकर हँसने लगी.
ट्रिशा अपने दोनो हाथों को उसके सर के उपर से घुमाकर उसकी बालाएँ लेती हुई बोली-
किसी की नज़र ना लगे मेरी प्यारी गुड़िया को, देखो हँसती हुई कितनी सुंदर लग रही है मेरी बेहन.
एक बात कान खोलकर सुनलो शाकीना, आज कहा सो कहा…आइन्दा ये बात कभी भी अपने मन में मत लाना कि तुम्हारी वजह से हमें कभी कोई प्राब्लम आएगी.
मे तुम्हें वचन देती हूँ, हमेशा तुम्हें अपनी छोटी बेहन की तरह ही प्यार करती रहूंगी,
अरुण पर हम दोनो का बराबर का हक़ होगा समझी तुम !
आइन्दा फिर कभी इस तरह की बात मुँह से निकली ना ! तो मुँह तोड़ दूँगी तुम्हारा, ये एक पोलीस वाली का हाथ है..समझी..!!
शाकीना ट्रिशा का ऐसा प्यार देख कर भाव बिभोर हो गयी और अपने आप को नही रोक पाई,
उसके गले लग कर सुबकने लगी, मुझे मुआफ़ कर दो दीदी.. आपको समझने में भूल हो गयी मुझसे..
आइन्दा ऐसी कोई बात मेरे मुँह से आप कभी नही सुनेंगी..
मे मूक वाचक की तरह उन दोनो का प्यार देखता रह गया, और स्वतः ही मेरी आँखें भी गीली हो गयी…
खाना ख़तम करके वो दोनो ट्रिशा के बेडरूम में चली गयी और मे दूसरे रूम में सोने चला गया,
शांता बाई काम ख़तम करके अपने क्वॉर्टर में चली गयी जो बंगले के बाहरी साइड में था, बच्चे पहले ही सो चुके थे.
कुच्छ देर के बाद ट्रिशा मेरे पास आई और मेरे बगल में लेट कर बालों में उंगलियों से सहलाती हुई बात-चीत करने लगी,
मैने शाकीना पर बीती घटना जब उसको बताई, तो वेदना से उसकी आँखें नम हो गयी, और उसके लिए उसके मन में प्यार की भावना और बढ़ गयी.
मे बीती रात सो नही पाया था, पूरा दिन भाग दौड़ में लगा रहा, सो जल्दी से एक राउंड अपनी प्यारी बीबी के साथ सेक्स किया और नींद के आगोश में चला गया.
वो बेचारी 5 साल से अपने पति का संपूर्ण प्यार पाने की लालसा लिए हुए मेरे पास आई थी,
लेकिन मेरी मजबूरी देख कर कुछ नही बोली, मेरे होठों पर प्यार भरा चुंबन लेकर मेरे शरीर से लिपट कर सो गयी…!
ट्रिशा ने शाकीना को अपनी छोटी बेहन के रूप में सच्चे दिल से अपना लिया, और खुशी-खुशी अपना आधा हक़ उसे दे दिया…
रहीम चाचा के द्वारा, शाकीना की अम्मी को तसल्ली करा दी थी कि उसकी बेटी, यहाँ अमन चैन से जिंदगी जी रही है, उसे उसकी चिंता करने की ज़रूरत नही है…
हमने अपने पदों का लाभ लेते हुए, शाकीना का नाम चेंज करके साक्षी कर दिया और उसे भारत की नागरिकता दिला दी, एक परिचित के रूप में…
अब हम तीनों अपने दोनो बेटों के साथ सुखी जीवन जी रहे थे…,
मैने अपनी राजनीतिक सोर्स से राज्य की आंतरिक सुरक्षा एजेन्सी में ही एक बड़े पद पर ट्रान्स्फर ले लिया…
शाकीना यानी साक्षी ने दोनो बेटों को इतना प्यार दिया कि वो अपनी सग़ी माँ से बढ़कर उसे अपनी माँ मानने लगे….!
किसी ने सच ही कहा है, कि प्यार दोगे तो बदले में प्यार ही मिलेगा..
एसीपी ट्रिशा के निश्चल प्यार की एबज में साक्षी ने भी अपने प्यार की बरसात करदी इस परिवार पर…!
और हां ! इस कथानक का हीरो अरुण दो दो बिवीओ का प्यार पाकर बड़े गर्व से कह उठता है….”मेरा जीवन कुछ काम तो आया…”
नोट :
मित्रो ! आप लोगों को ये कहानी कैसी लगी अपने फाइनल रिमार्क्स अवश्य दें…,
और हां, कहीं भी कोई सवाल इस कहानी को लेकर आप लोगों के मन में हो, कि ऐसा कैसे हुआ, ये नही होना चाहिए वग़ैरह…वग़ैरह तो बस कहानी समझ कर अवाय्ड कर देना प्लीज़..
आप सबके साथ के लिए धन्यवाद… ज़य हिंद…ज़य जननी .... जय भारत…
ट्रिशा अपने दोनो हाथों को उसके सर के उपर से घुमाकर उसकी बालाएँ लेती हुई बोली-
किसी की नज़र ना लगे मेरी प्यारी गुड़िया को, देखो हँसती हुई कितनी सुंदर लग रही है मेरी बेहन.
एक बात कान खोलकर सुनलो शाकीना, आज कहा सो कहा…आइन्दा ये बात कभी भी अपने मन में मत लाना कि तुम्हारी वजह से हमें कभी कोई प्राब्लम आएगी.
मे तुम्हें वचन देती हूँ, हमेशा तुम्हें अपनी छोटी बेहन की तरह ही प्यार करती रहूंगी,
अरुण पर हम दोनो का बराबर का हक़ होगा समझी तुम !
आइन्दा फिर कभी इस तरह की बात मुँह से निकली ना ! तो मुँह तोड़ दूँगी तुम्हारा, ये एक पोलीस वाली का हाथ है..समझी..!!
शाकीना ट्रिशा का ऐसा प्यार देख कर भाव बिभोर हो गयी और अपने आप को नही रोक पाई,
उसके गले लग कर सुबकने लगी, मुझे मुआफ़ कर दो दीदी.. आपको समझने में भूल हो गयी मुझसे..
आइन्दा ऐसी कोई बात मेरे मुँह से आप कभी नही सुनेंगी..
मे मूक वाचक की तरह उन दोनो का प्यार देखता रह गया, और स्वतः ही मेरी आँखें भी गीली हो गयी…
खाना ख़तम करके वो दोनो ट्रिशा के बेडरूम में चली गयी और मे दूसरे रूम में सोने चला गया,
शांता बाई काम ख़तम करके अपने क्वॉर्टर में चली गयी जो बंगले के बाहरी साइड में था, बच्चे पहले ही सो चुके थे.
कुच्छ देर के बाद ट्रिशा मेरे पास आई और मेरे बगल में लेट कर बालों में उंगलियों से सहलाती हुई बात-चीत करने लगी,
मैने शाकीना पर बीती घटना जब उसको बताई, तो वेदना से उसकी आँखें नम हो गयी, और उसके लिए उसके मन में प्यार की भावना और बढ़ गयी.
मे बीती रात सो नही पाया था, पूरा दिन भाग दौड़ में लगा रहा, सो जल्दी से एक राउंड अपनी प्यारी बीबी के साथ सेक्स किया और नींद के आगोश में चला गया.
वो बेचारी 5 साल से अपने पति का संपूर्ण प्यार पाने की लालसा लिए हुए मेरे पास आई थी,
लेकिन मेरी मजबूरी देख कर कुछ नही बोली, मेरे होठों पर प्यार भरा चुंबन लेकर मेरे शरीर से लिपट कर सो गयी…!
ट्रिशा ने शाकीना को अपनी छोटी बेहन के रूप में सच्चे दिल से अपना लिया, और खुशी-खुशी अपना आधा हक़ उसे दे दिया…
रहीम चाचा के द्वारा, शाकीना की अम्मी को तसल्ली करा दी थी कि उसकी बेटी, यहाँ अमन चैन से जिंदगी जी रही है, उसे उसकी चिंता करने की ज़रूरत नही है…
हमने अपने पदों का लाभ लेते हुए, शाकीना का नाम चेंज करके साक्षी कर दिया और उसे भारत की नागरिकता दिला दी, एक परिचित के रूप में…
अब हम तीनों अपने दोनो बेटों के साथ सुखी जीवन जी रहे थे…,
मैने अपनी राजनीतिक सोर्स से राज्य की आंतरिक सुरक्षा एजेन्सी में ही एक बड़े पद पर ट्रान्स्फर ले लिया…
शाकीना यानी साक्षी ने दोनो बेटों को इतना प्यार दिया कि वो अपनी सग़ी माँ से बढ़कर उसे अपनी माँ मानने लगे….!
किसी ने सच ही कहा है, कि प्यार दोगे तो बदले में प्यार ही मिलेगा..
एसीपी ट्रिशा के निश्चल प्यार की एबज में साक्षी ने भी अपने प्यार की बरसात करदी इस परिवार पर…!
और हां ! इस कथानक का हीरो अरुण दो दो बिवीओ का प्यार पाकर बड़े गर्व से कह उठता है….”मेरा जीवन कुछ काम तो आया…”
नोट :
मित्रो ! आप लोगों को ये कहानी कैसी लगी अपने फाइनल रिमार्क्स अवश्य दें…,
और हां, कहीं भी कोई सवाल इस कहानी को लेकर आप लोगों के मन में हो, कि ऐसा कैसे हुआ, ये नही होना चाहिए वग़ैरह…वग़ैरह तो बस कहानी समझ कर अवाय्ड कर देना प्लीज़..
आप सबके साथ के लिए धन्यवाद… ज़य हिंद…ज़य जननी .... जय भारत…
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
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- Kamini
- Novice User
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete
Mast kahani hai new kahani ka intzar rahega
शादी का मन्त्र viewtopic.php?t=11467
हादसा viewtopic.php?p=164372#p164372
शैतान से समझौता viewtopic.php?t=11462
शापित राजकुमारी viewtopic.php?t=11461
संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा viewtopic.php?t=11464&start=10
हादसा viewtopic.php?p=164372#p164372
शैतान से समझौता viewtopic.php?t=11462
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- Viraj raj
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete
Super Nice story..... Mitra Jai Hind
मैं वो बुरी चीज हूं जो अक्सर अच्छे लोगों के साथ होती है।
** Viraj Raj **
🗡🗡🗡🗡🗡
- naik
- Gold Member
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- Joined: 05 Dec 2017 04:33
Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete
bahot hi khoobsurat kahani dost. aur aap se koyi sawal nahi karega
bas ab aaki nayi kahani ka intizar rehega koyi mast pyar romance se bharpoor kahani shuru keryega
bahot bahot shukria aapa ka
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