Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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SUNITASBS
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Re: वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

Post by SUNITASBS »

super
😪
koushal
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Re: वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

Post by koushal »

अगले दिन शनिवार था, शाम को प्रियम खुद रीमा चाची के कमरे में चला गया | वो बेड पर दीवाल के सिरहाने तकिया लगाये बैठी थी, कोई टीवी सीरियल देख रही थी | प्रियम को देखकर थोड़ी सतर्क हो गयी, संभल कर बैठ गयी, लेकिन अभी तक पालथी मार के बैठी थी पता नहीं क्यों अब आगे की तरफ पैर फैलाकर बैठ गयी |
प्रियम को बेड पर बैठने का इशारा करते हुए- तुम्हे यहाँ देखकर अच्छा लगा, कैसे हो बेटा |
इससे ज्यादा उसके मुहँ से शब्द नहीं निकले, प्रियम का सेक्सुअल हरकत को देखने के कारन वो काफी शर्मिंदगी अभी भी महसूस कर रही थी |उसे समझ नहीं आ रहा था की प्रियम से अब क्या बात करे, कैसे बात करे | पहले वो एक बच्चे की तरह ही उससे व्यवहार करती थी, लेकिन जब से उसने प्रियम को नूतन की चूची चूसते देखा है, उसका प्रियम को लेकर नजरिया ही बदल गया | अपनी सालो से दबी वासना और हवस की कामनाओं के कारन वो और ज्यादा सतर्क थी| वो किसी भी तरह से अपनी हवस को खुद के नियंत्रण से बाहर नहीं जाने देना चाहती थी|
चाची मै आपके लिए एक गिफ्ट लाया हूँ|-प्रियम मुस्कुराते हुए, चाची को चोदने के ख्याल से ही वो बहुत रोमांचित था | उसे चुदाई के बारे में सब पता था, लेकिन कभी किसी लड़की को चोदा नहीं था, इसलिए थोडा नर्वस भी था |
रीमा-क्या लाये हो प्रियम ?
प्रियम -चाची स्कूल में कुक फेस्ट था जिसमे मेरी क्लास फर्स्ट आई है, और मै मॉनिटर हूँ इसलिए सबने मुझे पेस्ट्री गिफ्ट की थी | मै आपके लिए लाया हूँ|
रीमा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा - सो स्वीट बेटा |


उसने प्रियम के हाथ से पेस्ट्री लेकर उसको खोला और खाने लगी, प्रियम को भी खाने को दी | दोनों इधर उधर की बाते करते करते पेस्ट्री खाने लगे | आधे घंटे के अन्दर तीन पेस्ट्री खाने और दो कोल्ड काफी पीने के बाद रीमा बोली-प्रियम तुम यहाँ आये, बहुत अच्छा लगा, बिलकुल पुराने दिनों की तरह, जब हम साथ बैठकर एक ही प्लेट में ब्रेकफास्ट करते थे |


प्रियम-हाँ चाची बिलकुल पुराने दिनो की तरह, जब आप पास होती है मुझे भी अच्छा लगता है | लेकिन मै आपसे काफी दिनों से कुछ बात करना चाह रहा था लेकिन समझ में नहीं आ रहा, करू कैसे, डर लगता है |
रीमा-अच्छा सच में, ऐसा क्या है जो तुम्हे मुझे बताने में डर लग रहा है |
प्रियम-पता नहीं कैसे आपको एक्सप्लेन करू, लेकिन माँ के न होने की वजह से बहुत सी बाते मेरे लिए एक पहेली की तरह है, जिसकी वजह से मुझे अक्सर प्रॉब्लम होती रहती है |
रीमा संवेदना व्यक्त करते हुए मातृत्व भाव से अपना हाथ प्रियम की जांघ पर रखती हुई-हाँ बेटा, मै समझ सकती |
रीमा निश्चित नहीं थी की उसके साथ वास्तव में क्या हो रहा है, लेकिन उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसने कुछ पैग मारे हुए है और हलके से मादकता वाले नशे में है, लेकिन ये हल्का नशा वैसा नहीं था, ये कुछ अलग था और रीमा इसे पहचान नहीं पा रही थी कौन सी चीज है जिसका उसे हल्का हल्का शुरुर हो गया है |

उसके सामने से प्रियम का चेहरा धुंधला हो चला, उसके पति का चेहरा नजर आने लगा, फिर पिता का चेहरा, और फिर प्रियम का चेहरा दिखने लगा| ऐसा लगा जैसे अपने अतीत की एक पल में यात्रा करके वापस आ गयी हो |रीमा ने फिर से अपना फोकस प्रियम पर किया जो लगातार उसे घूरे जा रहा था, तभी रीमा को लगा बोलने की बारी उसकी है |

रीमा अपने चेहरे पर दोनों हाथ फिराते हुए-प्रियम बेटा सॉरी, पता नहीं मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है, वैसे उसको छोड़ो तुम बतावो मै तुमारी क्या मदद कर सकती हूँ, जो भी कहना हो कह दो डरने की जरुरत नहीं है, मै तुमारी शिकायत तुमारे डैड से नहीं करूंगी |
प्रियम-चाची मुझे नहीं पता की मुझे आपसे ये सब पूछना चाहिए की नहीं लेकिन मै और किसी से पूछ भी नहीं सकता ये सब | मुझे आदमी औरत के बारे में जानना है, मुझे सेक्स मतलब चुदाई के बारे सब कुछ जानना है, बच्चे कैसे पैदा होते, मुझे इन सबके बारे में कुछ नहीं पता है | थोडा निराशा का भाव जाहिर करते हुए |
रीमा ने गहरी लम्बी साँस ली, प्रियम के सवाल से उसे हल्का झटका लगा, लेकिन उसे शर्मिंदगी महसूस नहीं हुई जिसकी वो अपेक्षा कर रही थी | आखिरकार वो भी तो वही कर रही है जो उसकी माँ अगर यहाँ होती तो करती | उसे ये सब बताने में कोई शर्म या झिझक नहीं थी लेकिन वो किस तरीके से समझाए की प्रियम को सब कुछ समझ में आ जाये | रीमा इसी बारे में सोच रही थी की प्रियम ने अगला सवाल दाग दिया, जिसकी रीमा को बिलकुल उम्मीद नहीं थी |
koushal
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Re: वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

Post by koushal »

प्रियम-चाची मै ठीक से डिटेल्स में जानना चाहता हूँ की आदमी और औरत आपस में चुदाई करते कैसे है |

रीमा को अपने कानो पर यकीन ही नहीं हुआ, आखिरकार अपने भतीजे को वो सेक्सुअल इंटरकोर्स (चुदाई) के बारे में डिटेल्स में कैसे समझाएगी|
प्रियम-सच में चाची मै जानना चाहता हूँ एक लड़की और लड़के में क्या अंतर होता है, बड़े होने के बाद क्या क्या चेंज हो जाते है, आपको तो सब पता होगा |
रीमा लम्बी साँस लेकर-देखो प्रियम, आदमी के पास लंड होता है और औरत के पास चूत होती है, जिसमे में एक छेद होता है, आदमी अपना लंड औरत की चूत में घुसेड़ता है फिर बार बार अन्दर बाहर करता है जिससे उसके लंड से एक सफ़ेद गाढ़ा वीर्य निकलता है, अगर औरत का उस समय अंडा गर्भाशय में होता है तो बच्चे पैदा होता है | इसी को सम्भोग कहते है |
प्रियम-फिर चुदाई क्या होती है,वो एक दूसरे के साथ खेलते क्यों है आदमी औरत की चूचियां क्यों चूसता है,स्कूल में लड़के कुछ ऐसी ही बाते करते रहते है|
रीमा उलझन भरे स्वर में-प्रियम मुझे नहीं पता की ये सब बाते मै मै तुम्हे कैसे समझाऊ|

प्रियम-चाची मै सिर्फ इतना जानना चाहता हूँ की आदमी औरत को चोदता कैसे है, बस?

रीमा एकदम चौक गयी, उसको अपने कानो पर यकीन ही नहीं हुआ, प्रियम उससे इस तरह का सवाल कैसे पूछ सकता है, नहीं पूछ सकता, इस तरह का सवाल नहीं पूछ सकता |

रीमा को बड़ा अजीब लग रहा था पता नहीं उसके साथ क्या गलत था, प्रियम का चेहरा बार बार उसके सामने से गायब हो जाता फिर आ जाता | उसके स्वेटर के अन्दर पसीना निकलने लगा था, उसके शरीर में हलकी सी उत्तेजना भी थी | आखिरकार वो दाहिने हाथ को स्वेटर को हिलाकर अन्दर लग रही गर्मी कम करने लगी | प्रियम समझ गया चाची पर हशीश का असर होने लगा है, वो उत्तेजित होने लगी है, आखिरकार रीमा ने आंखे बंद कर ली, स्वेटर को हिलाना जारी रखा, अब रीमा के ओठ कुछ बुदबुदा रहे थे लेकिन वो क्या बोल रही थी पता नहीं, शायद खुद से ही कुछ कह रही थी | प्रियम ने देखा की अब रीमा की जीभ भी बाहर आकर सूखे ओठो को गीला करके अन्दर चली जा रही है, कुछ देर बाद फिर बाहर आ रही है और सूखे ओठो को रसीला बना रही है | रीमा मदहोशी की गिरफ्त में धीरे धीरे जा रही थी | प्रियम को लगा यही सही समय है जब उसे कुछ करना चाहिए | उसने अपने अन्दर की सारी हिम्मत बटोरी और कापते हुए दाहिने हाथ को, गोरे से कठोर होते रीमा के स्तन की तरफ बढ़ा दिया |

रीमा को तब तक इस बात का अहसास नहीं हुआ जब तक प्रियम ने अपना हाथ रीमा के बड़े से गोल गोरे स्तन पर रख नहीं दिया | रीमा चौक गयी, उसने आंखे खोल दी और खुद को पीछे की तरफ धकेला | प्रियम ने भी डर के हाथ पीछे खीच लिया |


रीमा को समझ नहीं आ रहा था कैसे रियेक्ट करे, वो शॉक में लेकिन चुप थी | वो बोले भी तो क्या बोले, भतीजे की इस हरकत पर बस उसे घूरे जा रही थी, सब कुछ इतना अविश्वासनीय था की उसे अब तक समझ ही नहीं आया क्या बोले, कैसे रियेक्ट करे |
प्रियम डरते हुए-चाची गलती हो गयी प्लीज माफ़ कर दो | बस इतना ही कह पाया |

प्रियम की आवाज सुनकर रीमा की चेतना लौटी और उसने प्रियम को गौर से देखा, उसके अन्दर एक झुनझुनी झंकार जैसी लहर दौड़ गयी जब उसने अपने जवान होते भतीजे की तरफ देखा, दिल की धड़कने तेज हो गयी थी, सांसों की गति बढ़ गयी थी, पेट में लहरे सी उठने लगी थी, सीने पर विराजमान दोनों उन्नत चोटियाँ हर साँस के साथ उठने गिरने लगी थी | उसके अनुसार उसके भतीजे ने जो हरकत की थी इसलिए उसे प्रियम पर बहुत गुस्सा होना चाहिए, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से ऐसा कुछ नहीं था, उसे खुद ही यकींन नहीं हो रहा था की आखिर वो प्रियम से गुस्सा क्यों नहीं है | उसे पता था प्रियम ने जो कुछ किया है जानबूझकर किया लेकिन बजाय उस पर गुस्सा करने के रीमा ने प्यार से उसकी तरफ हाथ बढाया, उसके चेहरे को सहलाया, उसके बालो को कंघी करने लगी |

रीमा-प्रियम तुम्हे क्या हो गया है, तुमने इससे पहले तो ऐसा कभी नहीं किया, बेटा तुमारी प्रॉब्लम क्या है ?
रीमा ने अपने सूखते ओंठो पर जीभ फिराते हुए प्रियम के और नजदीक आ गयी | प्रियम को यकीन ही नहीं हो रहा था, कि रीमा चाची उसकी तरफ बढ़कर और नजदीक आ गयी | ऐसा लग रहा था ये रीमा नहीं बल्कि कोई आत्मा उसके शरीर में घुसकर उसके शरीर को चला रही है | प्रियम हैरान था, रीमा चाची उसको इतने मादक तरीके से कैसे देख सकती है, क्या भरे पुरे बड़े स्तन को छुने से चाची उत्तेजित हो गयी है, क्या वो इतना नजदीक आकर अपने गीले ओठो से मुझे किस करने जा रही है |
koushal
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Re: वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

Post by koushal »

हल्की मादक कराह के साथ रीमा ने प्रियम का चेहरा बिलकुल अपने सामने किया, प्रियम की आँखों में हल्का आश्चर्य था, इससे पहले वो प्रियम की आंखे और पढ़ पाती, रीमा ने अपने भीग चुके होठो को प्रियम के ओठो पर रख दिया, धीरे से साँस लेटे हुए रीमा ने अपने ओठ खोलकर अपनी जीभ को प्रियम के दांतों के बीच से होते हुए उसके मुहँ की तरफ ठेल दिया | प्रियम को एक झटका सा लगा, रीमा चाची उसको किस कर रही है वो भी अपनी जीभ उसके मुहँ में डालकर डीप किस कर रही है |

दोनों के मुहँ की लार एक में मिलने लगी | रीमा प्रियम को मातृत्व भाव से नहीं चूम रही थी, बल्कि अपनी जबान से प्रियम की जबान चूस रही थी चूम रही थी | उनकी बड़े बड़े स्तनों से भरी पूरी छाती, प्रियम के सीने से टकरा रही थी| वो चाची के दोनों स्तनों का भरपूर कसाव दबाव अपने सीने पर महसूस कर पा रहा है, रीमा की सांसे तेज चल रही और उसका पूरा शरीर उत्तेजना के कारन कांप रहा था | प्रियम ने भी अपने हाथ रीमा चाची की कमर पर रख दिए और हलके हलके सहलाते हुए पीठ पर ऊपर बांहों तक ले जाने लगा, थोड़ी देर के बाद सहलाने में कसाव बढ़ गया, पीठ पर ऊपर की तरफ हाथ जाते ही प्रियम रीमा को कसने की कोशिश कने लगा | जिससे पहले से ही सीने से रगड़ रहे कुचल रहे रीमा के बड़े स्तन और कसकर प्रियम से सीने से रगड़ने लगे | प्रियम के शरीर की कंपकपी बता रही थी की उसकी उत्तेजना बहुत बढ़ गयी है, रीमा को प्रियम की कंपकपी से उसकी उत्तेजना पता लग रही थी, उसे पता था वो जो कर रही है वो पाप है, घोर पाप, विक्षिप्त क्रिया है, कामरोगी की लालसा है फिर भी रीमा ही प्रियम को उत्तेजित कर रही थी और बदले में प्रियम की हरकतों से उसकी उत्तेजना और बढ़ रही थी | ये सब जानते हुए भी वो खुद को रोक नहीं पा रही थी |


उसकी छाती से अपने भतीजे के लिए वर्षो से जमा प्यार निकल रहा था और खुद उसका शरीर अपने अन्दर की छिपी हुई वासना और हवस का समुन्दर बाहर निकालने को आतुर था | रीमा को पता था ये खतरनाक है लेकिन फिर भी वो खुद को रोक पाने से असमर्थ थी |

रीमा के अन्दर वासना का समन्दर हिलोरे मार रहा था ऐसे में वह कहाँ से खुद को रोक पाती | उसने प्रियम के ओठो से ओठ हटा लिए, अपने चेहरे को उसके गालो पर रगड़ने लगी, उसके कानो में फूंक मारने लगी | इसी बीच प्रियम का एक हाथ रीमा के स्तन को मसलने दोनों के चिपके शरीरो के बीच से फिसलता हुआ रीमा की छाती तक पंहुच गया, जिसे रीमा ने बैगनी रंग की ब्रा में ढक रखा था | रीमा चाहकर भी विरोध नहीं कर पाई |


प्रियम अपनी सांसे काबू करता हुआ बोला- चाची प्लीज अपनी गोल गोल बड़े बड़े स्तनदिखावो न, चूमना चाटना रगड़ना मसलना चोदना ये सब कैसे करते है बतावोगी न|

रीमा को यकीन नहीं हुआ की वो क्या सुन रही है | नहीं ये तो कुछ ज्यादा ही हो रहा है सीधे सीधे ये खुला चुदाई के आमंत्रण का अनुरोध था | आमतौर पर ऐसी बात कहने वाले से रीमा को काफी नाराज और गुस्सा होना चाहिए था लेकिन यहाँ ऐसा कुछ हो नहीं रहा था इसलिए उसको आश्चर्य था | भतीजे को लेकर लगाव और भतीजे को लेकर वासना के बीच वो कंफ्यूज हो गयी थी, उसे समझ ही नहीं आ रहा था क्या कहे? ऊपर से अतृप्त काम भावनावो का ज्वार उसकी वजह उसका रिएक्शन बिलकुल अलग था | ये वो रीमा थी ही नहीं ये कोई और था जो रीमा के शरीर को वासना में बहाए ले जा रहा था |
प्रियम - चाची प्लीज क्या आप अपने प्यारे भतीजे के लिए इतना करोगी?
रीमा धीरे से प्रियम के कान में फुसफुसाई- नहीं प्रियम मै नहीं कर सकती, मै नहीं कर पाऊँगी, मै नहीं ...|
रीमा को इसका अहसास भी नहीं था की बातो बातो में प्रियम ने उसका दूसरा हाथ पकड़ कर धीरे धीरे खिसकाते हुए नीचे ले गया है और अपनी दोनों जांघो के बीच बिलकुल उस जगह पर जाकर रख दिया है जहाँ उसके खड़े लंड की वजह से पेंट के अन्दर तम्बू तन गया है | क्या रीमा को पता था की उसका एक हाथ,पेंट के ऊपर से प्रियम के तन चुके लंड को सहला रहा है

दूसरी तरफ रीमा की कमर के आस पास एक नयी झुनझुनी दौड़ गयी जब प्रियम का वो हाथ जो अब तक रीमा के बड़े बड़े स्तनों को मसल रहा था कुचल रहा था, नीचे घुटने के पास से स्कर्ट खिसकाते हुए मखमली नरम जांघ पर हाथ फेरते हुए आगे कमर की तरफ बढ़ने लगा | प्रियम ने स्कर्ट ऊपर की तरफ उड़ेल दी, रीमा की झीनी पारदर्शी पैंटी दिखने लगी | प्रियम को यकीन नहीं हुआ रीमा चाची, इस तरह की पैंटी पहनती होगी |
koushal
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Re: वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

Post by koushal »

पैंटी भी इतनी बड़ी थी की बमुश्किल ही रीमा चाची की चिकनी चूत को ढक पा रही थी | पैंटी देखते ही खून का दौरान लंड की तरफ और तेज हो गया | प्रियम की उत्तेजना और जोश का कोई ठिकाना नहीं था, उसका शरीर पर से काबू हटने लगा था | उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था की ये सब वो अपनी चाची के साथ कर रहा है और वो करने भी दे रही है | उसने रीमा चाची की पैंटी कभी धुप में तक सुखती नहीं देखती थी | आज उनकी गोरी चिकनी जांघो के बीच पहने देखा, उसका अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं रहा | इधर उधर दिमाग दौड़ाने की बजाय उसने अपनी चाची के स्तनों को मसलना शुरू किया, जबकि रीमा का एक हाथ उसके खड़े लंड से बने पेंट के तम्बू पर आराम कर रहा था | उसके लंड में खून का दौरान और तेज हो गया था | प्रियम का रीमा चाची के कपडे उतारकर उनकी गोल चिकनी नरम गुदाज गोरी जांघो और नितम्बो को देखने की कल्पना मात्र से रोमांच की उत्तेजना पर पंहुच गया | ये सब कुछ उसकी उम्मीदों से बहुत ज्यादा था, जिसकी उसने कल्पना तक नहीं की थी | पता नहीं इतना रोमांच और उत्तेजना वो सहन भी कर पायेगा या नहीं | उसका लंड इतना ज्यादा कड़ा हो चूका था की उसे लग रहा था कि अगर अन्दर का दहकता लावा बाहर नहीं निकाला, अगर उसने अपनी चाची को नहीं चोदा तो कही ये पेंट में ही ना फट जाये | प्रियम का दिमाग सातवे आसमान पर था |

रीमा ने अपने अन्दर की सारी ताकत इकट्ठी की और प्रियम को खुद से दूर धकेला | उसके बाद नीचे की तरफ अपने शरीर को देखने लगी | कमर के नीचे वो पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी बस वो छोटी सी झीनी पारदर्शी पैंटी ही थी जो बमुश्किल ही उसकी चूत और उसके चारो ओर के काले बालो को ढक पा रही थी | बाकि उसके पैरो से लेकर जांघो और कमर तक कुछ भी उसके तन पर नहीं था | स्कर्ट खिसक के नाभि तक पंहुच गयी थी | उसके बाद रीमा की नजर प्रियम की पेंट की तरफ गयी, पेंट के अन्दर के तने लंड के कारन बने तम्बू को देखकर उसकी साँस अटक गयी | नहीं ये सच नहीं हो सकता, ये सब रियल नहीं है, ये मै कोई सपना देख रही है, ये सब सच नहीं है |

रीमा के इस तरह अलग होने से प्रियम झुंझला गया- चाची प्लीज मुझे करने दो, मुझे इसकी सख्त जरूरत है, मेरे पैर देखो कैसे काँप रहे है| प्लीज चाची, नीचे लंड में दर्द होने लगा है प्लीज …..|

रीमा प्रियम का झुन्झुलाहट साफ साफ देख रही थी, गलती प्रियम की नहीं थी, वही तो उसको यहाँ तक लायी थी, अब बीच में कैसे छोड़ सकती है, उसको बीच में नहीं छोड़ा जा सकता, अगर बीच मझदार में प्रियम को छोड़ दिया तो आगे चलकर ये सब उसे नुकसान पंहुचा सकता है | पेंट के अन्दर खड़े लंड की तरफ देखकर उसको प्रियम पर दया आ गयी, आखिर वो इतनी कठोर कैसे हो सकती है, आखिर है तो वो उसका भतीजा ही| अभी अगर बच्चे के खड़े लंड को शांत नहीं किया तो आगे' चलकर हो सकता है इसका सेक्स से इंटरेस्ट ही खतम हो जाये, जो सकता है ये लडकियों के पास जाने से कतराने लगे, औरतो से नफरत करने लगे, कही लडको की तरफ न आकर्षित हो जाये ब्ला ब्ला........., पता नहीं कितने ख्याल उसके दिमाग में आये और निकल गए |
रीमा-एक शर्त है, तुम किसी को कुछ नहीं बतावोगे, मुझसे प्रोमिस करो |
प्रियम उत्साह से बोला- प्रोमिस |
रीमा-प्रियम मै तुम्हे प्यार नहीं कर सकती, नहीं कर सकती.........मेरी आत्मा मुझे ऐसा करने नहीं देगी |
प्रियम-लेकिन.........
रीमा- तुम्हे इस तरह की हालत में छोड़ने के लिए मै बहुत दुखी है, काश मै वो कर पाती जो तुम चाहते हो |
रीमा ने अपना हाथ नीचे की तरफ कमर पर ले गयी, और अपनी स्कर्ट ठीक की, उसे प्रियम को इस हालत में छोड़ना अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन वो अब तक के अपने अस्तित्व के खिलाफ जाकर कुछ ऐसा भी नहीं कर सकती थी की अपनी ही नजरो में गिर जाये |जो कुछ थोड़ी देर पहले हो रहा था वो काम विक्षिप्त पागलपन था फिर भी वो खुद को न रोक सकी | लेकिन प्रियम को इस हालत में छोड़ भी नहीं सकती थी |
रीमा-क्या तुमारे पास रूमाल है ?
प्रियम- हाँ
रीमा- मुझे दो

प्रियम ने रूमाल अपनी चाची को दे दिया लेकिन उसे समझ नहीं आया वो इसका करेगी क्या |

रीमा ने रूमाल को अपने पेट पर बिछा लिया और प्रियम की पेंट की जिप खोलने लगी, और अपने अन्दर के कामुक मादक आहों को दबाने की कोशिश करने लगी | रीमा के हाथ प्रियम के लंड तक पंहुच गया था उसने लंड को कसकर पकड़ लिया |

रीमा ने महसूस किया की प्रियम का लंड पकड़ते ही उसकी कमर ने उत्तेजना की कारन झटके लगने शुरू हो गए थे, रीमा ने एक हाथ से गरम, खून से भरे मांस की गरम राड, लोहे की तरह सख्त हो चके लड़ को कसकर पकड़ा, दुसरे हाथ से प्रियम का शॉर्ट्स को किनारे करने लगी, और लंड को बाहर निकाल लिया, प्रियम का लंड ज्यादा बड़ा तो नहीं था लेकिन पत्थर की तरह कठोर हो चूका था |प्रियम के दुविधा भरे चेहरे को देखकर उसने लंड को जड़ से पकड़कर जोर से ऊपर नीचे किया और एक हल्की चिकोटी भी काट ली | प्रियम के चहरे पर उत्तेजना और संसय दोनों नजर आ रहे थे | रीमा ने जीभ से अपने ओठो को गीला किया और तेज खून के बहाव के चलते कांपते लोहे की तरह सख्त हो चुके लंड को भूखी नजरो से देखते हुए रीमा कहने लगी - मै तुमारा मुठ मारने जा रही हूँ प्रियम |
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