Fantasy मोहिनी

Post Reply
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2766
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: Fantasy मोहिनी

Post by Dolly sharma »

लेकिन पुलिस मुझे गिरफ्तार करने नहीं आई। शाम होते ही अचानक वह सुंदर लड़की जरूर मेरे सिर पर आ बैठी। अब मुझे उससे डर नहीं लग रहा था।

“राज!” वह फुसफुसाई।

“त...तुम कौन हो?” मैंने धड़कते दिल से पूछा।

“मोहिनी।” वह मुस्कुरा कर बोली।

“मोहिनी....त....तो क्या तुम छिपकली हो ?”

“हाँ, वह भी मेरा रूप है असली रूप और यह भी मेरा ही रूप है, दोनों असली रूप हैं।”

“तुमने मेरे हाथो बॉस का कत्ल क्यों करवा दिया।”

“उसने तुम्हे थप्पड़ क्यों मारा... वैसे भी मैं नहीं चाहती थी कि तुम ऐसी छोटी-मोटी नौकरी करो...नौकरी की तुम्हे जरूरत ही क्या है।”

“आखिर वो नाराज़ क्यों था ? मैं तो ऑफिस ठीक वक्त पर पहुंचा था।”

“नहीं, तुम आधा घंटा लेट थे।”

“पर मैंने तो अपनी घड़ी में टाइम देखा था।”

“जो तुमने देखा वह सच नहीं था। तुम वही देख रहे थे जो मैं तुम्हें दिखाना चाह रही थी। फिर जब तुम्हारे बॉस ने ज्यादा ही बदतमीजी की तो मुझे बहुत बुरा लगा। ऐसे लोगों को सबक सिखाना जरुरी होता है।” वह बोली।

“इसका मतलब यह तो नहीं कि उसे मार ही डालो। अब पुलिस मुझे गिरफ्तार कर लेगी।”

“ऐसा नहीं होगा। मैंने सब ठीक कर दिया है।”

“क्या ठीक कर दिया है ?”

“ऑफिस के चपरासी ने उसके कत्ल का इल्जाम अपने सिर ले लिया है। तुम्हारा बॉस मर चुका है और पुलिस ने चपरासी को गिरफ्तार कर लिया है।” फिर वह खिलखिलाकर हंस पड़ी। उसके दांत मोतियों की तरह चमक रहे थे।

मोहिनी सुर्ख रंग के जोड़े में थी और आलथी पालथी मारे मेरे सिर पर बैठी थी।

“क्या तुम यह सब कर सकती हो ?” मैंने पूछा।

“यह सब क्या ?”

“मतलब चपरासी ने कत्ल का इल्जाम अपने सिर कैसे ले लिया ?”

“थोड़ी देर के लिये मैं उसके सिर पर चली गई थी। मुझे वही देख सकता है जिसे मैं देखने की अनुमति देती हूँ या जिसकी मैं गुलाम बन जाती हूँ। मैं जिसके सिर पर बैठ जाती हूँ उसका दिमाग पूरी तरह मेरे नियंत्रण में आ जाता है।” मोहिनी ने एक भरपूर अंगड़ाई ली। “ज्यादा मत सोचो अभी तुम्हें मोहिनी की शक्तियों की जानकारी नहीं है। दुनिया के बड़े से बड़े तांत्रिक मुझे गुलाम बनाने की तमन्ना रखते हैं। उनमें से बहुत से मर भी जाते हैं, जैसे रामा की माँ मर गई, वह मुझे गुलाम बनाना चाहती थी। तुम्हे देखकर उसे अंदाजा हो गया था कि तुम मुझे प्राप्त कर सकते हो फिर वह तुम्हारे जरिये अपने काम करवाती। वह सब मुझे मंजूर नहीं था। मैं तो तुम्हे खुद पसंद करती हूँ और सिर्फ तुम्हारी ही होकर रहना चाहती हूँ।”

“लेकिन मैं ही क्यों, मुझमे ऐसी क्या बात है?”

“पिछले जन्म में तुम एक तांत्रिक थे और तुमने मुझे हासिल कर लिया था। मैं तुम्हारी गुलाम थी। फिर हम एक-दूसरे को बेहद चाहने लगे। मैं भी तुम्हे बेहद चाहती थी। मुझे पाने के लिये कुछ तांत्रिकों ने तुम्हें मौत के घाट उतार दिया पर मरते वक्त भी तुम मुझे याद करते हुए मरे। फिर तुम्हारा जन्म एक विलक्षण घड़ी में हुआ। उसी घड़ी में जन्म लेने वाला मुझे आसानी से पा सकता है।”

कुछ रुक कर उसने आगे कहा–
“शायद तुम्हे अपने बचपन की बातें याद न हो, तुम्हारे माँ-बाप ने तुम्हे बेच दिया था और जिसने ख़रीदा था वह तुम्हारी बलि चढ़ाकर मुझे ही हासिल करना चाहता था। तुम उस वक्त सात-आठ बरस के थे। वे लोग तुम्हारी बलि नहीं चढ़ा पाये बल्कि मैंने शम्भु के हाथो जयधर की ही बलि चढ़ा दी जो तुम्हे खरीद कर ले गया था। लेकिन बाद में हुआ यह कि डमरू ने घोर तप करके मुझे घेर लिया और मैं उसकी गुलाम बन गई। डमरू की मौत के बाद ही मैं मुक्त हो पाई। तब तक बहुत बरस बीत चुके थे और तुम जवान हो चुके थे।
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2766
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: Fantasy मोहिनी

Post by Dolly sharma »

“हे भगवान।” मेरी खोपड़ी चकरा गई। पिछले जन्म से तुम मेरे साथ हो....?”

“हाँ...बशर्ते कि कोई मुझे अपना गुलाम न बना ले जो मुझे गुलाम बना लेता है मैं तब तक उसकी कैद में रहती हूँ जब तक वह जिन्दा रहता है या वह खुद ही मुझे आजाद कर दे।”

“यह तो अलिफ़ लैला जैसी दास्तान है।” मोहिनी की बातें अब मुझे अच्छी लगने लगी थी। “अब मेरी नौकरी का क्या होगा?”

“तुम्हे नौकरी करने की जरूरत नहीं, तुम्हे याद है एक बार तुम्हे रेस खेलने का चस्का लगा था।”

“वह सब मेरे एक दोस्त की वजह से हुआ, वह रेस खेलता था...मैंने भी रेस खेली और हार गया...पर तुम्हे कैसे मालूम ?”

“जब मैं तुम्हारे सिर पर बैठी हूँ तो तुम्हारा अतीत खुली किताब है मेरे लिये। अब मैं तुम्हे बताउंगी कि किस घोड़े पर दांव लगाना है, तुम वह दांव जीतोगे...”

“क्या मतलब?” मैंने बहुत तेजी से पूछा।

“मतलब यह कि मुझे सब मालूम रहता है।” उसने विश्वास भरे स्वर में उत्तर दिया।

“क्या सच में?” मैंने बौखलाकर पूछा।

“मोहिनी का फिर तुम्हारे साथ रहने से क्या लाभ?” उसने नाज से कहा। यह तिलस्मी बातें मुझे यूँ लग रही थीं मानो मैं किसी सिनेमा हॉल में बैठा अलादीन और जादू के चिराग से सम्बन्धित कोई फिल्म देख रहा हूँ।

परन्तु जब मैंने मोहिनी की बात सुनकर रेस में दिलचस्पी ली तो वारे के न्यारे हो गये। मेरी जेबें बड़े-बड़े नोटों से भर गयी। मुझे याद है रेस जीतकर जब मैं आया तो नोटों से मेरी जेबें भरी हुई थीं। मैं आश्चर्यचकित था।

“तुम्हें आश्चर्य क्यों हो रहा है राज?” मोहिनी फुसफुसाई। “मेरे लिये कुछ भी असम्भव नहीं है। तुम मुझसे जो माँगोगे, वह पूरा हो जाएगा। परन्तु इसके लिये एक शर्त है।”

“क्या?” मैंने धड़कते हुए दिल से पूछा। इस ख्याल से कि अब मैं मोहिनी के कारण बहुत जल्द बड़ा आदमी बन जाऊँगा। मेरी झल्लाहट और बौखलाहट अचानक समाप्त हो गयी। स्वर में जो कड़वाहट पायी जाती थी वह भी समाप्त हो गयी।

“जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हें मेरे साथ दोस्ती निभाने का वादा करना होगा।”

“मन्जूर है।” मैंने बिना सोचे-समझे कह दिया।

“तुम एक अच्छे दोस्त की हैसियत से जो कुछ भी मुझसे कहोगे मैं उसे अवश्य पूरा करूँगी। परन्तु उसके बदले तुम्हें मेरा एक काम करना होगा। वह काम मै स्वयं नहीं कर सकती।”

“वह काम क्या है?” मैंने जल्दी से पूछा।

“इस समय तुम वादा कर लो। जब समय आयेगा तो मैं तुम्हें वह काम भी बता दूँगी।”

“मैं वादा करता हूँ।”

“अच्छी तरह सोच-समझ लो।” मोहिनी का लहराता स्वर उभरा। “यदि तुमने बाद में वादा खिलाफी की तो फिर हमारी दोस्ती दुश्मनी में बदल जाएगी। यह भी हो सकता है कि मैं तुम्हें कोई भारी हानि पहुँचा दूँ।”

“उसकी नौबत नहीं आयेगी।” मैंने करेंसी नोटों को जेबों में दोबारा गिनते हुए कहा – “मैं वादा करता हूँ कि जिस काम को भी तुम मुझसे कहोगी, वह मैं अवश्य पूरा करूँगा।” मोहिनी द्वारा हुए उस काम के बाद मेरे ऊपर छाई हुई बौखलाहट धीरे-धीरे छंट गयी। मुझे अब उसकी बातों पर विश्वास हो गया था। इस विश्वास का दूसरा कारण वह करेंसी नोट भी थे जो उस समय मेरी जेब में पड़े हुए थे। मुझे विश्वास था कि जब मोहिनी की रहस्यमय शक्ति मुझे एक संकेत द्वारा इतनी सारी दौलत की मालिक बना सकती है तो बॉस कि जुबान भी बंद करा सकती है।
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2766
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: Fantasy मोहिनी

Post by Dolly sharma »

बहरहाल मैंने अपनी कुशलता इसी में समझी कि मोहिनी से छुटकारा प्राप्त करने की बजाय उसे दोस्त बना लिया जाये। मैं बड़े चैन से था। मेरे घर की वस्तुओं में बढ़ोत्तरी हो रही थी और अब मुझे ज़िन्दगी कुछ अधिक ही दिलचस्प महसूस होने लगी थी। प्रतिदिन मैं बड़े इत्मीनान से बिस्तर में लेटकर मोहिनी से बातें करता। मोहिनी ने मुझे बताया था कि उसकी आवाज मेरे अतिरिक्त कोई और नहीं सुन सकता। परन्तु जहाँ तक उसे देखने का सम्बन्ध था, तब यह बात मेरे वश से भी बाहर था।

मैं केवल उसकी हरकतों का आभास पा सकता था। वार्तालाप के बीच मैंने कई बार चेष्टा की थी कि वह अपने अस्तित्व के रहस्य के बारे में भी कुछ बता दे। परन्तु मुझे सफलता नहीं मिली। एक-दो बार मैंने यह भी पता लगाना चाहा कि आखिर वह काम क्या है जिसके लिये वह मेरी सहायता चाहती है ? किसके लिये वह मेरी सहायता की मोहताज थी ? परन्तु उसने हर बार यही कहकर टाल दिया कि अभी इसका समय नहीं आया। जब वह समय आएगा तो मुझे सब कुछ मालूम हो जाएगा। मैंने इस भय से अधिक पूछना उचित नहीं समझा कि कहीं वह मुझसे रुष्ट न हो जाए।

जब हम गयी रात तक बातें करते और नींद आने लगती तो मुझे यूँ महसूस होता कि वह मेरे सिर पर विश्राम करने के लिये हाथ-पाँव फैलाकर पसर गयी है। उसके थोड़ी देर बाद ही मोहिनी के खर्राटों की मद्धिम-मद्धिम आवाज सुनायी देती। वह दिलकश बातें करती थी। उसके सोने का अन्दाज भी निराला था। मुझे अब उसकी हर बात बड़ी दिलकश लगती। मैं उसके जिस्म का गुराज अपने सिर पर महसूस करता।
Post Reply