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जीशान-“ये बेड सुहागरात के लिए तड़प रहा है। है ना सोफी?”
सोफिया-हाँ।
जीशान-“आज तुम दोनों ने मुझे इतनी बड़ी खुशी दी है कि मैं तुम दोनों का मुँह ऐसे मीठा करूँगा की तुम भी याद रखोगी…” कहकर जीशान अपनी शर्ट-पैंट उतारकर अंडरवेअर फेंक कर नंगा बेड पर लेट जाता है-तुम दोनों में से जो सबसे पहले नंगी होकर मेरे पास आएगी, मैं समझूंगा वो मुझसे सबसे ज्यादा प्यार करती है…”
अनुम सोफिया की तरफ देखती है और फिर जीशान के खड़े लण्ड को। उसकी शर्म तो जीशान कई दिन पहले ही मिटा चुका था। अब उसे किसी के सामने अपने शौहर से चुदने में कोई परेशानी नहीं महसूस होती थी।
अनुम और सोफिया, दोनों बिजली की तेजी से अपने कपड़े निकालकर जीशान के पास एक साथ आ जाते हैं। जीशान अनुम को अपने ऊपर खींच लेता है-“अनुम, मुझे तेरी चूत बता, जहाँ से मेरा बच्चा निकलेगा?”
अनुम अपनी कमर जीशान के मुँह की तरफ घुमा देती है और अपना मुँह जीशान के लण्ड की तरफ-“ये देखिये…”
जीशान अपने होंठ अनुम की चूत पर रख कर उसे चाटने लगता है गलपप्प।
जीशान-“तू क्या देख रही है? मुँह में ले…” वो सोफिया को देखते हुये कहता है, जो सामने बैठी सब देखकर मुश्कुरा रही थी।
सोफिया और अनुम दोनों जीशान के लण्ड पर झुक जाते हैं, और दोनों माँ-बेटी शरमाती हुई जीशान के लण्ड को बार -बार चाटने और चूमने लगती हैं। इस तरह चूमने से दोनों के होंठ एक दूसरे से टकराने लगते हैं, और उसकी वजह से दोनों की चूत से चिंगारियाँ फूट ने लगती हैं।
कुछ ही पलों में वो शर्म-ओ-हया का पतला सा पर्दा भी फट जाता है, और दोनों अपनी जीभ बाहर निकालकर जीशान के लण्ड को, तो कभी एक दूसरे के होंठों को चूमने लग जाती हैं गलपप्प।
इधर जीशान भी अनुम की चूत के दाने को चाट-चाटकर सुजाने लग जाता है गलपप्प।
अनुम अपनी चूत जीशान के मुँह से हटाकर उसके ऊपर सवार हो जाती है और अपने हाथ से लण्ड पकड़कर उसे अपने चूत पर लगा देती है-“बहुत दिल कर रहा है जी अपनी बेटी के सामने चुदने के लिए… आह्ह… अब चोदिए भी जान …”
अपनी अनुम के बड़े-बड़े चूत ड़ों को दोनों हाथों में थामे जीशान भी लण्ड को अनुम की चूत में डाल देता है और सोफिया को अपने होंठों पर झुकाकर सटासट अनुम को चोदने लगता है।
अनुम-“आह्ह… जान …” अनुम भी सोफिया के साथ जीशान के होंठों को, तो कभी सोफिया के होंठों को चूमती हुई अपनी कमर आगे पीछे हिलाने लगती है।
एक तरफ माँ, तो दूसरी तरफ बेटी , दोनों के पेट में जीशान का बच्चा। बस यही एक बात जीशान के खून में ऐसी तपिश पैदा कर देती है कि वो जानवरों के तरह सटासट झपा-झप अनुम की चूत में पिस्टन की तरह अपने लण्ड को आगे पीछे करते हुये उसे चोदता चला जाता है।
और अनुम गधी की तरह अपना मुँह खोलकर चीखती चली जाती है-“आजज्ज्ज्ज्जई मार डालोगे क्या? अम्म्मी जी मैं गई…” वो धक्के इतने जानलेवा थे कि 10 मिनट में ही अनुम फारिघ् हो जाती है।
मगर जीशान का जोश अभी थमा नहीं था। वो सोफिया को अपने नीचे लेटा देता है और उसकी सोई हुई चूत पर थूक कर उस पर हथेली से रगड़ देता है।
सोफिया तड़प जाती है। पिछले कई दिन से चुदी नहीं थी सोफिया।
जीशान उसे और तड़पाने के लिए उसकी क्लोटॉरिस पर अपना लण्ड रगड़ने लगता है। उसकी चूत से लेकर गाण्ड के सुराख तक जीशान अपना लण्ड आगे पीछे करने लगता है।
सोफिया-“अम्मी इनसे बोलिये ना ऐसा ना करें… आह्ह…”
जीशान-तो क्या करूँ जान मेरी हाँ बोल?
सोफिया-“चोदिये ना आह्ह…”
उसका बोलना था कि जीशान अपने लण्ड को सोफिया की चूत में दो महीने बाद फिर से घुसा देता है।
सोफिया का जिस्म अकड़ सा जाता है। एक जोरदार चीख उसके मुँह से निकल जाती है। वो और चीखना चाहती है, मगर अनुम अपने चूत को उसके मुँह पर रख देती है और सोफिया को अपनी जीभ अनुम की चूत में डालनी पड़ती है। एक तरफ से जीशान के लण्ड का वार तो दूसरी तरफ से अनुम की चूत से बहते पानी की धार, सोफिया दोनों तरफ से पानी में सरबोर होने लगती है।
दोनों माँ-बेटी सबसे ज्यादा खुश थीं कि उनका शौहर उन दोनों को इतनी मोहब्बत और इतनी शिद्दत से प्यार भी करता है।
जीशान, अनुम और सोफिया के साथ अमन विला लौट आता है।
लुबना हाल में ही बैठी थी। उसके चेहरे से लगा रहा था कि वो थोड़ी अपसेट सी है।
अनुम और सोफिया चुदाई से थक से गई थीं, वो दोनों अपने-अपने रूम में थोड़ी देर आराम करने चली जाती हैं और जीशान आकर लुबना के बगल में बैठ जाता है।
जीशान-“की हाल है सोणियो?”
लुबना-बड़ी जल्दी आ गये? बड़े थके-थके से लग रहे हैं?
जीशान-नहीं तो। मैं बिल्कुल ठीक हूँ , तुम मुझे परेशान लग रही हो।
लुबना कुछ नहीं कहती। मगर उसकी खामोशी में छुपी हुई बातें जीशान को परेशान करने लगती है। वो लुबना से बात करना चाहता था, मगर उससे पहले उसका सेल फोन बजता है।
काल जीशान के यू ॰के॰ वाले दोस्त का था। जीशान थोड़ी देर उससे बात करता है और फिर से लुबना के पास आकर बैठ जाता है। जीशान सेल पर बात करने के बाद खुश नजर आ रहा था।
लुबना-क्या बात है, बहुत खुश लग रहे हैं? किसका काल था?
जीशान-दोस्त का। तुम क्यों मुँह उतारकर बैठी हो? किसी ने कुछ कहा क्या तुमसे?
लुबना-“कोई मुझसे बात करना पसंद नहीं करता, और जिसे मैं चाहती हूँ कि बात करूँ, वो मेरी तरफ देखता भी नहीं …” वो वहाँ से ये कहकर अपने रूम में चली जाती है।
जीशान भी उसके पीछे-पीछे रूम में चला जाता है, और रूम बंद करके उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ घुमा लेता है-“बात क्या है लुब ? तू मुझसे नाराज है?”
लुबना-“हाँ हूँ मैं आपसे नाराज, और क्यों ना हूँ ? जब देखो आप अम्मी के साथ बिजी रहते हैं। मेरे लिए तो आपके पास वक्त ह नहीं । कभी-कभी तो लगता है आप मुझसे झूठ कहते हैं कि आप भी मुझसे मोहब्बत करते हैं। देखिये जीशान , मुझसे नहीं देखा जाता कि आप मुझे अनदेखा करें। मैं ये नहीं चाहती कि आप अम्मी, और दादी का ख्याल ना रखें । मगर क्या मेरे लिए आपके पास वक्त नहीं ?”
जीशान एक हाथ लुबना की कमर में डालकर उसे अपने से चिपका लेता है-“हुम्म… नाराज है मेरी जान मुझसे तो कैसे मनाया जाए? हुम्म… एक काम करते हैं कि अपनी लुब की किस्सी ले लेते हैं…” और ये कहते हुये जीशान अपने होंठ लुबना के होंठों पर रख देता है।
यही वो तपिश थी जिसके लिए लुबना बेकरार थी, यही वो चाह थी जो लुबना जीशान से चाहती थी। अपने होंठों पर अपने महबूब के होंठों के लगते ही लुबना का सारा गुस्सा हवा हो जाता है, और वो भी जीशान के गले में बाहें डाल देती है।
जीशान-“आइ लव यू मेरा बच्चा…”
लुबना-“ लव यू टू जान …”
जीशान-मेरे साथ चलेगी घूमने?
लुबना-कहाँ?
जीशान-इग्लेंड।
लुबना-क्या? सच्ची जीशान ?
जीशान-“हाँ मुझे यू ॰के॰ जाना पड़ेगा, वहाँ एक गारमेंट्स की फॅक्टरी मैंने खरीद ली है और हमारा नया घर खरीद ने की भी कुछ कार्यवाही की है…”
लुबना खुशी से झूम उठती है-“मैं ज़रूर चलूंगी , और कौन साथ चलेगा?”
जीशान-“अम्मी, तू और मैं…”
लुबना-कब जाना है?
जीशान-“कल सुबह 11:00 बजे की फ्लाइट है। तू पेकिंग कर ले, मैं अम्मी को भी बता दूँगा। और एक बात?”
लुबना-क्या?
जीशान लुबना को अपनी गोद में उठ लेता है और खुद बेड पर बैठ जाता है। लुबना दोनों टाँगे जीशान के इर्द-गिर्द लपेटकर उसके लण्ड पर बैठ जाती है।
जीशान-“वहाँ मैं तुझसे निकाह करने वाला हूँ , अम्मी की मौजूदगी में…”
ये सुनते ही लुबना की पलकें शर्म से झुकती चली जाती हैं। जीशान दोनों हाथों में लुबना के चूत ड़ों को हल्के से दबाता है।
लुबना-“इशह… क्या कर रहे हैं?”
जीशान-“करेगी ना मुझसे शादी लुबु?”
लुबना अपने मुँह में जीशान का कान लेकर चूमती हुई धीरे से कहती है-“हाँ…”
जीशान-“मुझे तुझसे कितनी मोहब्बत है लुब , ये मैं तुझसे उस दिन के बाद बताऊँगा?”