मनोरमा compleet

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jay
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मनोरमा compleet

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मनोरमा


मनोरमा शिशोदिया अपने गाँव राम नगर की बहुत सब से हसीन लड़की थी. रंग गोरा शरीन ऐसा की देखने वाला बस देखता रह जाए. वह पढने लिखने में एकदम सामान्य से लड़की थी, लेकिन गाँव के सारे लड़के यही तमन्ना करते थे कि किसी तरह मनोरमा उन पर मेहरबान हो जाए. ऐसा सुनने में आया है की मनोरमा जब भी मेहरबान हुई उन्होंने जाति, धर्म, आयु, कुंवारा या शादीशुदा के बीच में कोई भेद नहीं किया. मतलब ये है कि उन्होंने राम नगर में युनुस से चुदवाया जो १८ साल का नौजवान था और उनकी नुक्कड़ पर पंचर की दूकान थी. मनोरमा ने विवेक से पहली बार गांड मराने का अनुभव प्राप्त किया जो कॉलेज का टोपर था. उन्होंने एक बार ६० बर्षीय बेंछु से भी चुदवाया क्योंकि बेंछु की बीवी कई साल पहले भगवान् को प्यारी हो चुकी थी. मनोरमा के मन में सब के लिए बड़ा प्यार था.

मनोरम के लिए जब फुर्सतगंज से ठाकुरों के खानदान से रिश्ता आया, राम नगर तो मानों एक "राश्ट्रीय शोक" में डूब गया. जो लोग मनोरमा को चोद रहे थे वो तो दुखी थे ही, पर उनसे ज्यादा वो लोग दुःख में थें जिन्हें ये उम्मीद थी की उन्हें कभी न कभी मनोरमा को भोगने का मौका मिलेगा.

मनोरमा के पिता श्रीराम सिंह ने मनोरमा की शादी बड़ी धूमधाम से की. मनोरमा की मा के मरने के बाद श्रीराम सिंह का जीवन काफी कठिन रहा था, और वो चाहते थे की वो मनोरम के विवाह के बाद वो अपने जीवन के बारे में फिर से सोचेंगे.

शहनाइयों के बीच मनोरमा शिशोदिया से मनोरमा ठाकुर बनी और अपने पति रवि ठाकुर के साथ उनकी पुशतैनी हवेली आयीं. उनके ससुर शमशेर ठाकुर फुर्सतगंज के जाने माने ज़मीदार थे और हवेली के मालिक भी. ठाकुर परिवार में शमशेर और उनके थीं बेटे थे. रवि सबसे छोटा बेटे था. अनिल और राजेश रवि के दो बड़े भाई थे. ये बात सभी को अजीब लगी को शमशेर सबसे पहले अपने सबसे छोटे बेटे का विवाह क्यों कर रहे हैं. श्रीराम सिंह की तरह शमशेर की पत्नी कई वर्ष पहले इश्वर को प्यारी हो चुकी थी. अनिल एवं राजेश ने कुंवारा रहने का निर्णय लिया हुआ था. राजेश और अनिल खेतों का पूरा काम देखते थे. मनोरमा का पति रवि तो बाद खेतों पर पार्ट टाइम ही काम करता था. वो बगल के शहर सहारनपुर में एक टेक्सटाइल मिल में काम करता था. मनोरमा ने अपने विवाह के बाद अपना काम ठीक से संभाला. शीघ्र ही वो हवेली और खेतों की मालकिन बन गयी. खेतों के मामले में उसने सारे काम किये, पर परिवार के मामले में मनोरमा ने और भी ज्यादा काम किये. मनोरमा को पता था की पूरे ठाकुर खानदान में वह एक अकेली औरत है. उसे पता था कि उसके परिवार में चार मर्द हैं जिन्हे उसकी जरूरत है. मनोरमा के जीवन में ये नया चैप्टर था.

उस दिन शाम को, मनोरमा के पति रवि की रात की शिफ्ट थी. वो शाम को ६:०० बजे उसे उसके अधरों पर एक चुम्बन दे कर अपनी मोटरसाइकिल में सवार हो कर अपनी नौकरी को करने टेक्सटाइल मिल चला गया. मनोरमा ने शाम के सारे काम सामान्य तरीके से किये. उसने स्नान किया, टीवी देखा और गुलशन नंदा की नावेल पढने लगी.

शमशेर और उसके दोनों बेटों ने मिल कर बियर पी और टीवी देखा, और उन्होंने मनोरम के जिस्म को अपनी भूखी नज़रों से देखा.
मनोरमा को ये बिलकुल इल्म नहीं था की उसेक ससुर और दोनों देवर उसके बदन को वासना की नज़र से निहार रहे हैं. सारे उसे किसी तरह से शीशे में उतारने की मन ही मन योजना बना रहे थे.

मनोरमा जो इन सब बातों से अनजान थी थोडा जल्दी ही अपने बिस्तर पर चली गयी. उसे पता ही नहीं चला की कब उनकी आँख लग गयी. जवानी न जाने कैसे कैसे स्वप्न दिखाती है.... मनोरमा को जैसे चुदाई का कोई स्वप्न आया.. स्वप्न में उसे उसके गर्म बदन में कोई मादक आनंद की लहरें लगा रहा था...मनोरमा को बड़ा ही आनंद आ रहा था .... उसे लग रहा था मानों कोई गरम और बड़ा सा लंड उसकी चूत में अन्दर बाहर हो रहा हो....

घने अँधेरे कमरे में मनोरमा की नींद टूट गयी. उसने तुरंत महसूस किया की कोई चीज उसके पैरों के बीच में थी जो उसकी चूत चूस रही थी. शीघ्र ही उसने महसूस किया किया की कोई उसे जीभ से चोद रहा है.

उसे लगा कि ये उसका पति रवि है. उसने गहरी साँसों में बीच गुहार लगाईं, "ओह राजा,चूसो मेरी चूत को"

मनोरमा ने अपनी गांड पूरी उठा ली ताकि वो अपनी चूत पूरी तरह से चुसाई के के लिए समर्पित कर सके. उसी समय उसने महसूस किया की चूत चूसने वाले ने अपने दोनों हाथ उसकी जाँघों पर रखे और अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया. उसकी साँसें भारी हो रही थीं. एक ही ठाप में पूरा का पूरा लंड मनोरमा की चूत के अन्दर हो गया.

मनोरमा इस समय तक पूरी तरह से जाग गयी थी. उसे अच्छी तरह से मालूम था की उसे छोड़ने वाला इंसान उसका पति नहीं है. मनोरमा ने शादी के पहले कई लोगों से चुदवाया था. पर जब से शादी की बात हुई थी, उसने अपने पति रवि के प्रति वफादारी का फैसला लिया था. पर इस समय जो भी उसे चोद रहा था, उसकी चूत को पूरी तरह से संतुष्ट कर रहा था. उसकी चूत पूरी तरह से भरी हुई थी. लंड चूत को भकाभाक छोड़ रहा था, चूत पूरी तरह से लंड से भर सी गयी थी. मनोरमा इस बात को पूरी तरह महसूस कर सकती थी की जो लंड उसकी चूत को छोड़ रहा है वो उसके पति से बड़ा है और उसे उसके पति से कहीं ज्यादा वासना से चोद रहा है.

कमरे में इतना घुप्प अँधेरा था की मनोरम को ये बिलकुल समझ नहीं आया की उसकी चूत में जिस इंसान का लुंड इस समय घुसा हुआ है वो है कौन. चुदाई का पूरा आनंद उठाते ही मनोरमा सोच रही थी की ये उसका ससुर हो सकता है या उसके देवरों में से एक. पर इस समय मनोरमा चोदने वाले का चेहरा तो नहीं देख पा रही थी पर केवल उसके हांफने की आवाज ही सुन सकती थी. चुदाई में इतना मज़ा आ रहा था की मनोरमा से ये सोचना की बंद कर दिया की साला छोड़ने वाला है कौन. मनोरम ने अपनी टाँगे चोदने वाले के कन्धों पर रखे और अपनी चूत को ऊपर उठाया ताकि छोड़ने वाले का पूरा लंड अपनी चूत में उतार सके.

चोदने वाले ने भी रफ़्तार पकड़ ली. भकाभक मनोरमा की चूत छोडनी चालू करी.

"हाय मार डाला ....फाड़ दी तूने साले मेरी चूत" , मनोरमा ने हाँफते हुए बोला,

मनोरमा ने अपनी गांड उठा उठा के अपने गुप्त प्रेमी के धक्के स्वीकार किये.

चोदने वाले ने अपना बड़ा सा लौंडा मनोरमा की चूत में भकाभक पेश किया और ऐसा झडा की मनोरमा की चूत से उसका सामान बह बह के निकलने लगा.

मनोरमा बोली, " ओ ओह ..मार ले मेरी .. मैं गयी रे ....मेरी चूत का मक्खन निकला रे .........."

मनोरमा को छोड़ने वाला बड़ा ही महीन कलाकार निकला. उसने अपने झड़ने हुए लंड को मनोरमा की गरम चूत में एकदम अन्दर तक पेल दिया. लंड का रस मनोरमा की चूत के सबसे अन्दर वाले इलाके में जा के जमा हुआ. मनोरमा को इतना घनघोर तरीके से किसी ने नहीं चोदा था. पर वो संतुष्ट एवं परिपूर्ण महसूद कर रही थी.

उसे जो भी चोद रहा था, उसने अपना लंड बिना कुछ कहे मनोरमा की चूत से निकाला. इसके पहले की मनोरमा या किसी को कुछ पता चले वो गायब हो गए.

मनोरमा अपने बिस्तर पर लेती हुई थी, सोच रही थी की उसे इतना "खुश" किसी ने नहीं किया आज तक.


अगले दिन, मनोरमा पूरे दिलो-दिमाग से ये जानने की कोशिश में थी की पिछली रात उसकी चूत को इतनी अच्छी तरह चोदने वाला था कौन. उसे ये तो पता था की वो या तो उसका ससुर था या उसके देवरों में से कोई एक. उसने पूरे दिन अपने ससुर, अनिल और राजेश को पूरी तरह से observe किया. पर तीनों मर्दों ने कतई कोई भी ऐसा हिंट नहीं दिया जिससे मनोरमा को जरा सी भनक पड़े की की गई रात उसे चोदने वाला था कौन.

उस दिन लंच के बाद जब उसके ससुर और देवर खेतों पर चले गये, उसके पति रवि ने उसे नंगा कर के उसे जम के चोदा. मनोरमा एक पतिव्रता नारी के तरह अपनी जांघो और चूत को पूरी तरह से खोल कर लेटी रही, रवि उसे अपनी पूरी सामर्थ्य से चोदता रहा, पर उसका लंड मनोरमा की चूत के लिए छोटा था. रवि अपनी बीवी की चूत में झड गया पर मनोरमा इस चुदाई से असंतुष्ट अपनी चूत को खोल के लेटी हुई थी और सोच रही थी कि रात की चुदाई में और उसके पति की चुदाई में कितना ज्यादा फर्क है.

उस शाम मनोरमा का पति अपनी टेक्सटाइल मिल की नाईट ड्यूटी पर फिर से गया. मनोरमा अपने ससुर और देवरों के बारे में गहन विचार में थी. वो इस बात से कम परेशान थीं की किसने उसे पिछली रात चोदा था. वो इस बात से परेशान थी की इस रात उसकी चुदाई होगी या नहीं.

उस रात मनोरमा जब फिर से सोने गयी, उसने अपने गाउन के नीचे कोई चड्ढी नहीं पहनी थी. क्योंकि वो मन ही मन चुदवाने का प्लान कर रही थी.


थोड़ी ही देर में मनोरमा को उसी तरह से जगाया गया जैसे उसे पिछली रात जागाया गया था. उसकी चूत पर कोई अपनी गीली जीभ लगा कर अपनी पूर लगन एवं श्रद्धा से उसकी चूत का मुख-चोदन कर रहा था. मनोरमा ने अपने पैर उठा लिए, चूसने वाले व्यक्ति का सर पकड़ा और तेजी से अपनी चूत में गडा दिया. चोदने वाले व्यक्ति की जीभ बुरी तरह से मनोरमा की चूत में घुसी हुई थी. जीभ वाला आदमी मनोरमा की चूत का पूरा आनंद ले रहा था, वो अपनी जीभ को मनोरमा की चूत के ऊपर नीचे कर रहा था. मनोरमा की चूत जैम के अपना पानी छोड़ रही थी.

"ओह उम् आह", मनोरमा ने सिसकारी भरी.

मनोरमा ने अपने छोड़ने वाले के लंड को पकडा और उसे सोंटना शुरू कर दिया.

पर इसी बीच इसे चोदने वाला मनोरमा ऊपर आया और अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर लगा के एक ठाप मारी. उसका लंड चूत में आधा घुस गया,

"ये ले मेरा लंड", चोदने वाले ने मनोरमा के कान में फुसफुसाया.


मनोरमा ने तुरंत ये आवाज़ पहचानी. ये तो उसका ससुर शमशेर था.

"ओह शमशेर पापा जी!" वो चुदवाते हुए बोली.

मनोरमा ने अपने हाथ और पैर शमशेर के शरीर पर रख कर चूत उसके लंड पर भकाभक धक्के लगाना चालू किया....

"साली हरामजादी तुझे तेरे ससुर की चुदाई पसंद है...."

शमशेर मनोरम की चूत में बेरहमी से लंड के धक्के लगाते ही बोला.

"हाँ जी ससुर जी... आपका लंड कितना अच्छा है.....मेरी चूत पानी छोड़ रही है ......" मनोरमा बोली.

शमशेर ने अपनी बहु की चूत में अपने लंड के भालाभाक धक्के लगाए.

"तुम्हारा लंड कितना बड़ा है..... फाड़ दो मेरी चूत को...मैं झड रही हूँ . पापा आ...आ ...आ ... ....." मनोरमा चिल्लाते हुए झड रही थी

"मेरा लंड भी तेरी चूत में पानी छोड़ रहा है ....... मैं झड रहा हूँ", शमशेर झाड़ते हुए बोला.

इस घटना के बाद, मनोरमा ने महसूस किया की इस परिवार में उसका स्थान काफी ऊपर है.

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Re: मनोरमा

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सुबह हुई और रोज की तरह मनोरमा सुबह के पहले उठी. मनोरमा अपने पति रवि के लिए नाश्ता बनाती थी. रवि अपनी नाईट ड्यूटी करके आता था और नाश्ता खा के सो जाता था. मनोरमा उसके बाद अपने ससुर और देवरों के लिए नाश्ता बनाती थी. सामान्य तौर पर, उसके ससुर और देवर सात बजे तक नाश्ता कर के खेतों के तरफ प्रस्थान कर जाते थे. पर आज उसके ससुर ने अनिल और राजेश को खेतों पर भेज दिया पर खुद नहीं गया.

मनोरमा रासोई में बर्तन धो रही थी. तभी उसने अपनी गांड की दरार पर एक कहदा लंड महसूस किया. मुद कर देखा तो पाया की ससुर जी खड़े हैं मुस्करा रहे हैं. मनोरमा ने अपने गोल और गुन्दाज़ चूतडों को और पीछे फेंका जैसे अपने चूतडों के द्वारा ससुर के लंड की मालिश कर रही हो. शमशेर खुद को बड़ा किस्मतवाल मन रहे थे की उन्हें ऐसी चुदाक्कड टाइप बहु मिली.,वो अपने हाथों से बहु की गुन्दाज़ चुंचियां दबाने और सहलाने लगे.

"ओह ओह पापा जी ......" मनोरमा ने भारी आवाज में बोला

"मेरा लंड बहुत जोर से खड़ा है बहु. क्या तुम्हारी चूत के पास थोडा टाइम है?"

शमशेर पैशनेट आवाज में बोला और मनोरमा की टांगों के बीच हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा.

"ओह पापा जी...प्लीज ... आपको चोदने का बड़ा दिल कर रहा है......पर रवि घर में है...वो बेडरूम में सो रहा है ...पर कभी भी जग सकता है.....हम यहाँ नहीं चोद सकते..." मनोरमा बोली.

"तुम ठीक कहती हो बहु...यहाँ ठीक नहीं है... मैं तबेले में तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ ...चलो तबेले में आओ ...जल्दी से...".

शमशेर अपनी बहु की चून्चियों को दबाते ही आँख मारते हुए बोला.

मनोरमा बेडरूम गयी और देखा की उसका पति रवि अच्छी तरह से सो रहा है. मनोरमा किचन से निकल कर तबेले में गयी. उसके शरीर में एक अजीब तरह की इच्छा थी जिसकी वज़ह से उसकी चूत गीली थी.
मनोरमा ने तबेले में प्रवेश किया और देखा की उसके ससुर शमशेर वहां पूर्ण नग्न हो कर अपने लंड को धीमें धीमें सोंट रहे थे.

मनोरमा ने अपने सारे कपडे उतारे और अपने ससुर के पास गयी. शमशेर अपने घुटनों के बल बैठ गया और मनोरमा उसके लौंड़े के ऊपर चढ़ गयी. मनोरमा ने अपनी चुन्चिया ससुर के मुंह में दे दीं. शमशेर ने बहु की चुन्चिया चूसी और लंड को बहु की चूत की गहराइयों में डुबाया.

"ओह....ओह... मर गयी रे .....पापा जी तुम्हारा औज़ार तुम्हारे बेटे से बड़ा है .....चोदो मुझे.......मेरी फाड दो पापा जी......."

शमशेर ने अपना लंड लपालप अपनी बहु की चूत के हवाले किया और बहु को तो तब तक चोदा जब तक मज़ा न आ जाए.

मनोरमा चुदाई करवाते हुए बोली, "पापा प्लीज मेरी चूत में अपना पानी डाल के झडो ......प्लीज...."

शमशेर ने मनोरमा की चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करते हुए निकला और मनोरमा के मुंह में डाल के बोला, " ये ले बहु चूस ले इसे....पी ले इस का रस ....
"
मनोरमा ने अपने ससुर का लंड जम के चूसा पर ससुर को मनोरमा की चूत में लंड डाल के ही झाड़ना पड़ा.

"ये ले चख ले मेरा वीर्य", शमशीर ने झड के मनोरमा को बोला.

"ओह मेरे मुंह में अपना सारा माल जमा कर दो पापा जी जानेमन", मनोरमा आँख मारते हुए बोली.

दोनों चुदाई से थक चुके थे, इसके पहले की मनोरम का पति रवि उठे उसने अपने साडी ठीक की और घर में चली गयी. शमशेर ने अपना गीला लंड अपने जांघिये में डाला और खेतों पर राउंड मारने निकल गया.

मनोरमा को पता था की उसके अच्छे दिन आने आ चुके हैं. और बहुत ही खुश थी.

मनोरमा जब से शादी कर के फुर्सतगंज आयी थी, हर रात कोई उसकी "चोरी" से चुदाई कर रहा था. शुरू में तो उसे पता नहीं चला की उसका ये गुप्त प्रेमी कौन है, पर एक दो सप्ताह में ही उसने पता कर लिया की वो और कोई नहीं उसके ससुर शमशेर खुद थे. ऐसी बातें जब परदे से बाहर आ जाएँ तो फिर चुदाई का कार्यक्रम कहीं भी और कभी भी हो जाता है. मनोरमा और शमशेर के बीच में कुछ ऐसा ही होने लगा. पति रवि को सोता छोड़ कर और अपने दोनों देवरों राजेश और अनिल की आँखों में धुल झोंक कर मनोरमा अपने ससुर के साथ वासना के खेल कभी भी खेल लेती थी.

पर एक बात तो तय है, ऐसी बातें ज्यादा दिन तक छुपती नहीं हैं. एक दिन जब शमशेर मनोरमा को घोडी बना कर पीछे से उसे छोड़ रहा था, अनिल और राजेश ने उन दोनों को देख लिया. ऐसा चुदाई का दृश्य देखते ही दोनों का लंड एक दम खड़ा हो गया और उन्होंने मन ही मन में तय किया वो भी जल्दी ही मौका देख कर मनोरमा के कामुक शरीर का भोग लगायेंगे.

और ऐसा मौका उन्हें दो दिन बाद ही मिल गया. उस दिन शमशेर पंचायत के काम के सिलसिले में सुबह ही शहर निकल गया था. रवि रोज की तरह अपनी नाईट ड्यूटी कर के नाश्ता कर के सो रहा था. उन दिन ज्यादा थक कर वापस आया था, सो उसने मनोरमा को छोड़ा भी नहीं और खा कर सीधे सोने चला गया. आज मनोरमा को थोडा बुरा लग रहा था की उसे छोड़ने वाले दोनों लोग उपलब्ध नहीं थे. उसने सोचा की थोड़े घर के काम के काम ही कर लिए जाएँ.

पर उसे ये बिलकुल आभास नहीं था की उसके कामुक शरीर में घुसने के लिए दो दो लंड कुछ दिनों से लालायित थे. जिस समय वो घर के बाहर पौधों को पानी दे रही थी. उस समय राजेश और अनिल बगल में तबेले में काम कर रहे थे.

राजेश ने उसे तबेले में मदद के लिए बुलाया. मनोरमा जैसे ही तबेले में घुसी, दोनों ने उसे पकड़ कर वहां पडी चारपाई पर जबरन लिटा दिया. मनोरमा ने अपनी शक्ति के अनुरूप अपने देवरों की जबरदस्ती का पूरा विरोध किया. ये सा कुछ इतना अचानक हुआ की उसकी आवाज निकले उससे पहले अनिल ने उसकी साडी और पेटीकोट खींच के फ़ेंक दिया गया. और राजेश उसका ब्लाउज खोल रहा था. मनोरमा अपने ससुर जी की सहूलियत के चड्ढी वैसे भी नहीं पहनती थी. सो दो मिनट में वो वहां दो जवान लड़कों के सामने पूरी नंग धडंग पडी हुई थी.

मनोरम ने शर्म से अपनी आँखें बंद कर रखीं थीं. उसे अब ये तो पता था की उसके साथ अब क्या होने वाला है. हालांकि वो कोई दूध की धुली नहीं थी, पर उसे देवरों के सामने इस प्रकार से बल के ऐसे प्रयोग से नंगा हो कर लेटना अच्छा नहीं लग रहा था. उसने चुदाई तो बहुत की थी, पर दो दो लंडों का स्वाद एक साथ लेने का यह पहला अवसर था. इस बात को सोच कर उसकी चूत में अजीब तरह की प्यास जग गयी.

राजेश ने अपना लंड बिना किसी निमंत्रण के अपनी भाभी की चूत के मुंह पर टिकाया और अपना सुपदा अन्दर किया. मनोरमा सिहर उठी. मनोरमा की चूत थोडा गीली थी सो लंड दो तीन धक्कों में अपने मुकाम पर पहुच गया. दूसरा देवर अनिल अनिल उसकी चून्चियां चूसने ऐसे चूस रहा था मानों वो कोई स्वादिष्ट पके हुए आम हों. मनोरमा को अब इस खेल में मजा आना शुरू हो गया था और वो सिसकारी लेने लगी.

राजेश का लंड अपने पिता शमशेर से छोटा था पर साइज़ में मोटा था. इस लिए जब भी राजेश धक्का लगता था, मनोरमा की चूत और फैलती थी और उसे ज्यादा आनंद आ रहा था. उसने अपनी ऑंखें खोल लीं, अपनी टाँगे राजेश की गांड के दोनों तरफ फंसा कर मनोरमा अपनी गांड उठा उठा कर राजेश का लंड अपनी गीली चूत में लेने लगी. फचफच की आवाज तबेले में गूँज रही थी.

"चोदो मुझे राजेश....." मनोरमा पहली बार मुंह खोल कर कुछ बोली.

राजेश ने अपनी भाभी की चूत में अपने लंड की रफ़्तार बढ़ा दी. और अनिल ने खुले मुंह का लाभ उठा कर उसके मुंह में अपना हथियार घुसा दिया. मनोरमा पूरे मजे ले ले कर उसे चूसने लगी. अपने मादक शरीर में दो दो लंडों को अन्दर बाहर होने के अनुभर से भाव विभोर गयी.

"अरे क्या मस्त चूत है तुम्हारी भाभी. पूरे गाँव में इतनी मौज और किसी लडकी ने नहीं दी मुझे", राजेश उसे चोदते हुए बोला.

"ये ले ....मेरा ल...अ...अं....न्ड....."

मनोरमा समझ गयी की राजेश अब बस झड़ने ही वाला है. वह जोर जोर से अपनी गांड उठाते हुए मरवाने लगी. अगले ४-५ ढाकों के बाद राजेश ने अपने लंड का पानी मनोरमा की चूत में उड़ेल दिया.

राजेश ने अपना लंड निकाला और अनिल को इशारा किया की अब वो भी अपने भाभी के हुस्न का सेवन करे.

अनिल ने मनोरमा को उल्टा किया और उसकी गांड पकड़ कर उठाने लगा. मनोरमा समझ गयी की ये देवर उसी कुतिया के पोस में चोदना चाह रहा है सो वह तुरतं घुटनों के बल हो गयी. राजेश का वीर्य उसकी चूत से निकल कर झांघों से बहने लगा. अनिल ने अपना लंड एक झटके में उसकी चूत में डाल दिया और फुर्ती से चोदने लगा.

अनिल का मोटा लंड मनोरमा की चूत बुरी तरह से चोद रहा था. पीछे से चोदते हुए उसने उसकी चून्चियों को अपने हाथों से सहलाते हुए फुसफुसाया

"मैं और राजेश तुम्हें रोज इसी तरह से अच्छे से चोदेंगे. तुम्हारी चूत में अपने लंड डाल डाल के तुम्हारी क्रीम निकालेंगे रोज हम दोनों भाई. ठीक है न भाभी?"

"हाँ....हाँ ...मुझे तुम दोनों इसी तरह से मजे देना रोज....आह ...आह .....रोज ......" मनोरमा ने पूरे आनंदित स्वर में जवाब दिया.

ये सुन कर अनिल ने अपने चुदाई की रफ़्तार बाधा दी. उसकी जांघें मनोरमा के चूतडों से टकरा टकरा कर जैसे संगीत बनाने लगीं.

"ओह ...ओह...मैं गया ....ये ले ..मेरा सारा रस ....अपनी चूत में ......"

ये कहते कहते अनिल ने अपना लंड पूरी जोर से घुसा दिया और झड गया. मनोरमा को ऐसा लगा मानो उसकी चूत के गहराई में जा कर किसी ने वाटर जेट चला दिया हो.

मनोरमा बड़ी खुश थी, उसके पास तीन तीन मर्द थे जो उसे रोज कभी भी जवानी का सुख देने को तैयार रहते थे. उसके जैसी कामुक स्त्री के लिए ये किसी स्वर्ग से कम नहीं था,


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Re: मनोरमा

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"हाँ मैं बिलकुल ठीक से हूँ और बहुत झुशी से हूँ पापा. ससुराल वाले मेरा अच्छी तरह से ख़याल रखते हैं."

मनोरमा ने चहकते हुए कहा.

बेटी की आवाज़ को सुन कर पापा श्रीराम सिंह समझ गए की उनकी बेटी ने ससुराल में अपना जलवा दिख ही दिया है. पर उन्हें इस बात का जरा भी इल्म नहीं था ये जलवा था किस तरह का. वो जानते थे कि मनोरमा खुश है और उनके लिए इतना ही काफी था.

उन्होंने बोला, "मतलब, लगता है पूरा पूरा ख़याल रख रहे हैं ससुराल वाले?"

मनोरमा ने अपना निचला होठ दांत में दबाते हुए बताया, "हाँ पापा, मैंने सोचा भी नहीं था की तीन महीने में ही सभी लोग मेरा इतना ख़याल रखने लगेंगे. "

श्रीराम सिंह बोले, "बेटे मैं बड़ा खुश हूँ की तू खुश है. अब वही तेरा घर है. तेरी शादी हो गयी, अच्छा घर मिला गया. वहां सबका अच्छे से ख़याल रखना. अब तेरे भाई अमित की शादी हो जाए. बस मैं मुक्त हो जाऊं"

मनोरमा ने कहा, "हां पापा अब अमित की शादी जल्दी कराइए."

मनोरमा उस समय शीशे के सामने कड़ी थी. उसने खुद को ही अपनी आँख मारते हुए बोला,

"यहाँ मैं सबका ख़याल इतनी अच्छी तरह से रख रही हूँ कि आपकी बहु आपका कभी नहीं रख पाएगी"

श्रीराम सिंह बोले, " अच्छा बेटे, मेरा काम पर जाने का वक़्त हो गया है, मैं फ़ोन रखता हूँ. खुश रहो"

श्रीराम सिंह ने फ़ोन रखा नहीं था, बल्कि उन्हें रखना पड़ा. क्योंकि गुलाबो जो उनके घर की नौकरानी थी, उनका लंड किसी स्वादिष्ट लेमन चूस की तरह चाट रही थी. जब वो फ़ोन पर थे, गुलाबो घर का काम ख़तम कर के आई, श्रीराम सिह की धोती से उनका लंड निकाला और उसे मुंह में डालकर चुभलाने लगी. लंड चुस्वाने के आन्दतिरेक में अब उनकी आवाज संयत न रहती, इस लिए बेटी का फ़ोन थोडा जल्दी ही काटना पड़ा. बेटी को बोलना पड़ा की काम पर जा रहे हैं, और बेटी को ये बिलकुल अंदाजा नहीं था की उनके पापा कौन से काम पर जा रहे हैं.

"गुलाबो, तेरी मुंह बड़े कमाल का है. चूस इसे जरा जोर से. बड़ा आनंद आवे है मन्ने"

गुलाबो ने लंड को पूरा अपने मुंह में लिए हुए उनसे नज़रें मिलाईं मुस्कराई और जोर से चाटने लगी. श्रीराम सिंह का लंड अब तक पूरे शबाब पर आ चुका था. वो अपनी कुसी से उठे तो उनका लम्बा और मोटा लंड गुलाबो के मुंह से निकल गया. उन्होंने अपनी धोती और कच्छा जल्दी से उतारा और कुरते को निकाल कर फ़ेंक दिया और जा कर बगल में बिछे हुए दीवान पर जा कर लेट गए. गुलाबो अपने घुटनों के बल बैठ कर उनका लंड फिर से चूसने लगी. इस प्रक्रिया में उसकी गांड ऊपर की तरफ उठी हुई थी. वो पूरी तरह से नंगी थी.

वो दोनों इस बात से बिलकुल बेखबर थे की खिड़की पर खड़ा अमित उनके ये सारे कार्य प्रलाप देख रहा है. अमित आज अपनी सुबह की दौड़ से जल्दी घर आया और जब पापा को बात करते सुना तो सोचा की वो भी दीदी से बात कर ले. पर खिड़की से देखा की बात चीत के साथ गुलाबो की उनके पापा के लंड से डायरेक्ट बात चल रही है तो वो वहीँ ठहर गया. ये दृश्य पिछली रात में देखी गयी सनी लोएन्ने की फिल्म से कहीं ज्यादा कामुक था. उसका हाँथ उसके शॉर्ट्स में था और वो पाना लंड धीरे धीरे सहला रहा था. गुलाबो का गदराया बदन वो कई बार देख चूका था. गुलाबो बहार नौकरों के क्वार्टर में खुले में नहाती थी. अमित को उसके बड़े बड़े मम्मे और फेंकी हुई गोल एवं गुन्दाज़ चुतड इतने पसंद थे की उन्हें याद करते ही उसका लंड खड़ा हो जाता था. गुलाबो का पति हरिया श्रीराम सिंह के खेतों का प्रमुख था. वो अन्य नौकरों का सुपरवाइजर था. अमित को ये पता नहीं था की गुलाबो की चुदाई हरिया की पूरी रजामंदी से हो रही है .

अपना लंड चुस्वाते चुस्वाते, श्रीराम की साँसे तेज हो गयी थीं. गुलाबो की चूत में अभी तक वो अपनी तीन उंगलिया दाल चुके थे. चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. और उन्होंने अपनी उंगलिया निकाली और गुलाबो की उठी हुई गांड पर एक चपत मारी. गुलाबो को इस चपत का इशारा अच्छी तरह पता था. उसने उनके लौंडे को अपने मुंह से अज्जाद किये और फर्श पर कड़ी हो कर झुक कर उसने कुर्सी के दोनों हैंडल पकड़ लिए. उसकी गांड मानो श्रीराम सिहं को आमंत्रण दे रही थी की आइये और मेरी लीजिये. श्रीराम उठ कर उसके पीछे आये और अपने लंड गुलाबो की चूत के मुंह पर टिका दिया. गुलाबो ने अपने गांड को हिला कर मालिक का लंड थोडा अन्दर लिया. लंड का सुपादा पूरा अन्दर जा चूका था. आज गुलाबो की चूत बड़ी कसी कसी लग रही थी. उन्होंने एक धक्का दिया और पूरा का पूरा लंड अन्दर. गुलाबो के मुंह से चीख निकल गयी.

गुलाबो को अपने चूत में श्रीराम सिंह का लौदा कसा और गरम लग रहा था. उसे अभी भी याद है वो दिन जब वो हरिया से ब्याह कर इस हवेली के सर्वेंट क्वार्टर में आई थी. श्रीराम सिह उसकी उस दिन से नियमित रूप से चुदाई कर रहे थे. आदम जात की भूख जितना बढ़ाया जाये वो उतनी ही बढ़ती जाती है. गुलाबो का अब हाल यही हो गया था की वो रोज रोज अपनी चूत में कोई लंड चाहती थी. श्रीराम और हरिया दोनों इस बात को जानते थे. इस लिए उसे जैम के पलते थे. कई बार तो दोनों ने उसे एक साथ मिल कर छोड़ा हुआ था. जब भी श्रीराम सिंह किसी नेता या अफसर को बुलाते थे, उन्हें खिला पिला के बाद उनकी पेट के नीचे की भूख का इंतजाम गुलाबो करती थी. इस प्रकार से उस इलाके के जितने भी कॉन्ट्रैक्ट थे वो सब श्रीराम सिंह को मिलते थे.

श्रीराम सिंह ने उसे चोदते हुए दोनों हाथों से उसकी चुंचियां दबाना चालू कर दिया. चुन्ची के दबने से गुलाबो वर्तमान में आई.

"मालिक जोर से पेलो अपना लंड.... पेलो रजा पेलो ...."

"साली तू तो बिलकुल रंडी हो गयी है. ये ले .....मेरा पूरा लंड ....तेरी चूत तो अब लगता है ...गधे का लौंडा भी ले सकती है ...."

"मालिक आपके लंड के सामने ....गधे का लंड भी फेल है ....आ ...आ...उई.....सी,,,,,मर गयी मैं "

अमित अब तक अपना लंड शॉर्ट्स के बाहर निकाल चूका था. अन्दर की कार्यवाही को देख कर उसका लंड भी पूरी तरह से तन चूका था और वह सडका मारने लगा.

श्रीराम सिंह जोर जोर से गुलाबो को चोदने लगे...बीच बीच में उसकी गांड पर चपत भी लगा देते ...

"ये ले साली....ये ले मेरा लंड ...मैं छूट रहा हूँ....ऊ.....ऊ.....ऊ..... ..."

ये कहते हुए वो गुलाबो की चूत के अन्दर उन्होंने अपना सारा पानी छोड दिया. अमित के लंड से भी फव्वारा निकला उसके निशाँ खिड़की के नीचे की दीवाल पर आज भी है.

श्रीराम सिंह आकर दीवान पर बैठ गए और गुलाबो के पेटीकोट से अपना गीला लंड पोछने लगे. उनकी नज़र फ़ोन पर गयी. जल्दी में उशोने फ़ोन काटा नहीं था, फ़ोन अभी भी उनकी बेटी मनोरमा से कनेक्टेड था. उन्होंने फ़ोन उठा के सुनने की कोशिश की किसी ने उनके प्रलाप को सुना तो नहीं. उधर से कोई आवाज नहीं आई. पर जैसे ही श्रीराम सिंह के साँसे फ़ोन से टकराई, मनोरम की तरफ से फ़ोन कट गया. श्रीराम सिंह को पक्का नहीं पता चला की मनोरमा ने उस्न्की चुदाई सुनी है या नहीं.

पर दूसरी तरफ मनोरमा अपने पिता की इस गरम सी चुदाई को फ़ोन पर सुनकर पूरी तरह गरम हो चुकी थी और वह रवि को जगा कर उससे चुदने का प्लान बना रही थी. उसे अब पता चल गया था की उसकी चुदाक्कड आदतें उसने अपने बाप से ली हैं.

मनोरमा का शादीशुदा जीवन में आनंद के जैसे सीमा नहीं थी. एक अकेली विडम्बना यही थी उसका पति जो उसके कामुक एवं मादक शरीर का असल में हकदार था, वही उसका सबसे कम या फिर न के बराबर इस्तेमाल कर रहा था. जब रात में उसका पति रवि नाईट ड्यूटी करने चला जाता था, उसके ससुर शमशेर उसका पेटीकोट उठा कर नियमित रूप से उसकी लेते थे. उसके दोनों देवर कभी अपने पिता की चुदाई के बाद मनोरमा को चोदते थे, या फिर सुबह उसे तबेले में पडी चारपाई पर लिटा कर उसकी लेते थे. कुल मिला कर, इस घर के सरे मर्द मनोरमा के मुठ्ठी में थे. कहने को ठाकुर शमशेर भले ही मालिक हों, पर इस हवेली की असली मालकिन मनोरमा खुद थी.

वो एक गर्मी की सुबह थी. मनोरमा के ससुर शमशेर खेतों के राउंड पर निकले हुए थे. राजेश और अनिल को मनोरमा की लिए हुए लगभग एक सप्ताह हो गया था. आज जैसे ही उनके पिता निकले वो तुरंत मनोरमा के कमरे में गये. अनिल ने उसकी बांह पकड़ी और राजेश ने उसकी कमर में हाथ डाला और दोनों उसे लगभग खींचते हुए तबेले में ले गए. मनोरमा हंस रही थी, विरोध का नाटक कर रही थी.

"देवर जी, रवि सो रहे हैं. और पापा जी कहीं आ गए तो?"

"भाभी देवरों को इतना न तडपाओ. आज अगर हमारे खड़े लंडों को खाना नहीं मिला तो हम गर्मी से फट जायेंगे."

अनिल ने अपने पजामे की तरफ इशारा किया. मनोरमा ने देखा की पजामा उसके लंड की वजह से टेंट की तरह ताना हुआ था. राजेश का हाल भी कुछ ऐसा ही था.

तीनों लगभग दौड़ते हुए तबेले में पहुंचे. हांफ रहे थे, हंस रहे थे और साथ में कपडे उतार रहे थे. अनिल मनोरमा अनिल के सामने नंगी खादी थी. अनिल उसकी झांटों से भरी हुई चूत सहला रहा था. पीछे खड़ा राजेश ने मनोरमा की गांड अपने दोनों हाथों से पकडी हुई थी. अनिल ने अपने होंठ मनोरम के होठों पर रख दिए और उसका गीला चुम्बन लेने लगा, उसकी दो उंगलिया मनोरमा की गीली चूत में थीं और उसकी जीभ मनोरमा के मुह के अन्दर थी. राजेश ने पीछे से उसे पकड़ा हुआ था, उका एक हाथ मनोरमम की गांड पर और दूसरा हाथ उसकी चून्चियों पर था. वो मनोरमा के गले पे पीछे की जगह को अपनी जीभ से चाट रहा था. मनोरमा चरम आनंद का अनुभव कर रही थी.


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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: मनोरमा

Post by jay »

अनिल ने अपनी उंगलिया निकाल लीं और मनोरमा के मुंह में से दीं. मनोरमा एक गरम कुतिया की भांति अनिल की उँगलियों से अपनी का चूत का रस चाट चाट कर चख रही थी. तीनों अभी भी खड़े थे. अनिल ने अपना लंड मनोरमा की चूत में डाल दिया. राजेश मनोरमा की पीठ से चिपका हुआ था और अनिल के धक्के उसे अपने ऊपर महसूस हो रहे थे. मनोरमा की चूत अनिल का लंड चप्प चप्प की आवाज कर के ले रही थी. अनिल का लंड पतला और लम्बा था. शायद राजेश को चप्प चप्प कि आवाज सुन कर लगा कि भाभी की चूत में दुसरे लंड की जगह है. सो उसने मनोरम की दोनों टांगों के बीच से ले जा कर अपने लंड का मुंह अपनी भाभी की चूत के मुंह पर टिकाया. अगले धक्के में जब अनिल ने अपना लंड थोडा बाहर लिए तो राजेश ने अपना सुपाडा अन्दर किये. इसके पहले की मनोरमा कुछ समझ पाती, दोनों के लंड उसकी चूत में थे.

मनोरमा को अपनी चूत में बड़ी जोर का दर्द हुआ. उसने अपनी चूत को इन दोनों जवान लंडों से हटाने की कोशिश की. पर दोनों ने उसे जोर से पकड़ा हुआ था. और उसके पास हटने या बच कर के निकलने की कोई जगह नहीं थी.

"अरे कमीनों छोडो मुझे....एक एक के कर के करो....मेरी चूत फट गए....मैं मर गयी ......"

मनोरमा ने गुहार लगाई. पर दोनों भाई गज़ब के चोदू थे. मनोरमा को ऐसा लगा रहा था मानूं एक हज्जार चींटियां उसकी चूत में घुस गए हैं और सब एक साथ मिल कर उसे वहां काट रही हैं. कहते हैं चूत के अन्दर गज़ब की क्षमता होती है. दो तीन मिनट में मनोरमा का दर्द काफूर हो गया और उसे मज़ा आने लगा.

मनोरमा बोली , "चोदो हरामियों...मुझे जोर से चोदो.....दो दो लंड से मेरी फाड़ डालो ......आ ....आ......बड़ा मज़ा आ रहा है"

तीनों के बदन पसीने से सने गए और तीनों के बदन से चाप चाप की आवाज आ रही थी. तबेले में खड़े गाय बैल उन्हें देख कर मानों यही मुश्किल में थे उन सबमें सबसे बड़े जानवर हैं कौन.

"भाभी, हम लोग तुमको हर बार नहीं चीजें सिखायेंगे...दो लंड इकठ्ठे किसी चूत को बड़ी किस्मत से मिलते हैं मेरी जान", राजेश चहकते हुए बोला.

मनोरमा ने अपनी खड़े खड़े अपनी टांगो को फैला लिए ताकि दोनों लंडों को ठीक से चोदने की जगह मिले. राजेश और अनिल के लौंड़े मनोरमा की चूत में आपस में रगड़ रहे थें मानो एक दुसरे से कम्पटीशन कुश्ती का हो की कौन कितनी चूत मारेगा भाभी की.

मनोरमा ने अपनी बायीं तरफ की चूंची अनिल के मुन्ह में दे दी. दायीं वाली राजेश पीछे से दबा रहा था. राजेश अपना लंड भाभी के मोटे चूतड़ों के बीच से भाभी की चूत में आते जाते देख रहा था. उसे बड़ी ख़ुशी थी की मनोरमा जैसी कामुक लडकी उनके घर आई. अब चुदाई के लिए बाहर जा कर लडकियां पटाने का कितना सारा समय बाख जाता था. ऊपर से घर का माल घर में की खर्च हो रहा था.

"दो दो लौंड़े खाने वाली भाभी .... दो लौंड़े खा ले ...
अपनी चूत का भक्काडा, बनवा ले बनवा ले......"

अनिल छोड़ भी रहा था और गा ही रहा था.

मनोरमा को चुद्वाते हुए गंदी बातें सुनना बड़ा पसंद है. अनिल और राजेश की चुदाई और उनकी गंदे बातों और गानों से उसकी चूत का रस मानों अब निकला तब निकला.

इसी बीच खेतों के राउंड पर गए शमशेर ठाकुर को याद आया कि आजा सुबह उनकी बहन कमला का फ़ोन आने वाला है. जब जेबें टटोली तो पता लगा कि फ़ोन घर में ही चूत गया है .इस बात से बिलकुल अनजान कि घर में क्या चल रहा है, वो समय से पहले ही घर की तरफ लौट चले. जैसे जैसे उसके कदम उन्हें घर के पास लाते गए, एक जानी पहचानी आवाज उन्हें सुनाई पड़ने लगी. उनको लगा की उनकी गई हाजिरी में उनकी बहु मनोरमा कुछ गुल खिला रही है. इस बात संशय कि कहीं कोई नौकर तो उसे नहीं छोड़ रहा है, उन्हें गुस्सा दिला रहा था. वो घर में घुसे और मनोरमा के कमरे के दरवाजे तक गए. बाहर से कमरे को देखा फिर अन्दर गए, पर वहां कोई था नहीं सो मिला नहीं. वो आवाज का पीछा करते हुए हवेली के दुसरे हिस्से में जाने लगे. जैसे ही वो मुख्य दरवाजे के पास से निकले उन्हें पता चल गया वो आवाज कहाँ से आ रही है. वो सीधे तबेले में पहुँच गए.

वहां का दृश्य देखा तो उनका दिल ही हिल गया. उसके दोनों बेटे उसकी बहु को एक साथ चोद रहे थे. मनोरमा ने आनंद में अपनी आँखें बंद कर रखीं थीं. और दोनों पूरी रफ़्तार से उसे छोड़ रहे थे. शमशेर का मन तो किया की जूते उतार के राजेश और अनिल को मारें. पर वास्तविकता तो ये थी की उन्हें पता था जवान बेटों से अब दोस्तों जैसा बर्ताव करना ही ठीक है. वो दरवाजे के पीछे छिप गए.

अब तक मनोरमा दो बार झड चुकी थी. वो दोनों देवरों से गुहार लगा रही की वो अपना रस जल्दी से निकालें. दोनों ने अपने लौड़े निकले और मनोरम को जमीन पर बिठाया वो उसके चेहरे के दोनों साइड में आ ये और अपना लौंडा हिलाने लगे. मनोरमा ने अपने एक एक हाथ में एक एक लंड लिया और उन्हें हिलाने लगी. पहले राजेश झडा और मनोरमा ने उसकी एक एक बूँद अपने मुंह में ले ली. अनिल ने इसी बीच अपना फव्वारा मनोरका के चेहरे और मम्मों पर छोड़ दिया.

शमशेर का लंड बुरी तरह खड़ा हो रहा था. वो वहां से बिना कोई आवाज के निकल गए.

राजेश और अनिल अपने कपडे पहन रहे थे. मनोरमा दोनों देवरों के वीर्य और पसीनें से सनी हुई तबेले की चारपाई पर अभी भी पडी हुई थी. उसकी साँसे भरी थीं. उसे आनंद का नया अहसास मिला था. दो मर्दों ने उसे आज एक रंडी की तरह इस्तेमाल किया था और उसे बहुत ही मज़ा आया.

उधर शमशेर के मन में अभी अभी जो देखा उसके जैसे फिल्म लगातार चल रही थी. वो बैठ कर अपनी बहन कमला के फ़ोन का इंतज़ार कर रहे थे. शमशेर और कमला अपने जवानी के दिनों से एक दुसरे के काफी करीब थे. कमला ने अपनी सील अपने भाई शमशेर से ही खुलवाई थी. शादी के बाद भी जब शमशेर शहर जाते थे, कमला के यहाँ की रुकते थे और मौका देख जीजा जी की नज़रें बचा कर चुदाई करते थे. जबसे मनोरमा घर आई थी, शमशेर को कमला के यहाँ जाने की तलब बिलकुल नहीं हुई.

मनोरमा तबेले की चारपाई से उठी और अपने कपडे पहन कर घर आ कर सीधा बाथरूम चली गयी. बाथरूम में जा कर उसे ये याद आया की ससुर जी के जूते बाहर रखे थे , इसका मतलब वो जिस समय राजेश और अनिल के साथ थी ससुर जी वापस आ चुके थे. कहीं ससुर जी उसे उस अवस्था में राजेश और अनिल के साथ देख तो नहीं लिया ये सोच कर उसका दिल एकदम से धक् से रह गया.

आने वाले दिनों में हवेली में बहुत कुछ होने नया होने वाला था. मनोरमा के सामने कुछ अजान सी स्थिति थी. शमशेर के मन में अशांति थी.

इस सब बातों से अनजान मनोरमा का पति रवि अपनी नाईट ड्यूटी पूरी कर के घर आया और उसने आवाज दी,

"मनोरमा जरा मेरा नाश्ता लगवा दे. आज मैं बहुत थक गया हूँ"

मनोरमा ने एक कामुक सी अंगड़ाई लेते हुए एक मादक सी मुस्कान के साथ कहा, "मैं भी".


शमशेर सिंह ने जेब से सिगरेट का पैकेट निकाला, एक सिगरेट निकला कर होठों के बीच लगाया और जैसे जला कर पहला काश खींचा उनका फ़ोन बजा. लाइन पर दूसरी तरफ कमला थीं. वो कमला का हेल्लो भैया सुनते ही समझ गए की कुछ समस्या है.

"भैया तुम्हारे जीजा को किसी ने किसी के कतल में फंसा दिया है, पुलिस इन्हें ढूंढ रही है. तो ये तो अभी अंडरग्राउंड हैं. पर पुलिस बार बार घर में आती है और पूछताछ करती है. वो इंस्पेक्टर कुरील मुझे बड़ी गंदी नज़रों से देखता है, तुम कुछ करो प्लीज", कमला उधर से लगभग रोते हुए बोली.

"अरे परेशान मत हो कमला. मैं विधायक जी से बात करूंगा. तुम एक काम करो, कुछ दिन के लिए यहाँ आ के रहो. तुम्हारा मन भी बदल जाएगा. और हम लोग तब तक जीजाजी का कुछ कर लेंगे " शमशेर ने सुझाव दिया.

"ठीक है भाई, मैं कल सुबह की बस से पहुचती हूँ. तुम बस स्टैंड पर किसी को भेज देना"

"ठीक है बहना"

शमशेर ने फ़ोन डिसकनेक्ट कर दिया. और सिगरेट का काश लगाया. धुओं के उन्हें उनकी बहू मनोरमा का गदराया सा बदन नज़र आ रहा था. वो चोदने के लिए बड़े लालायित थे. पर बहु अभी अपने पति रवि को नाश्ता करा रही थी. आज उन्हें पंचायत के लिए सरपंच के घर भी जाना था. कुल मिला कर शमशेर को लगा की आज का दिन इसी तरह काटना पड़ेगा और चूत का स्वाद उन्हें रात में ही प्राप्त हो सकेगा,

उधर अपने कमरे में मनोरमा रवि को नाश्ता करा कर उसका लंड चूस रही थी. उसकी चूत चुदे हुए कुछ घंटे ही हुए थे पर वो फिर से चुदवाने के लिए तैयार थी, पर रवि इतना थका था की अपना लंड मनोरमा के मुंह में झाड़ कर खर्राटे मार मार के सो गया. मनोरमा ने उसे थोडा हिलाया पर वो तो जैसे बेहोशी की नींद में सो रहा था.

उस रात जब शमशेर मनोरमा के कमरे में गया तो उसने अपना लौंडा सीधा एक झटके में चूत में डाल दिया. और इतनी जोर जोर से चोदने लगा की जैसे किसी पुश्तैनी दुश्मनी का बदला ले रहा हो. होठों पर चुम्मे के बजाय जैसे काट लिया, और बहु के गले के नीचे काल निशान ही बना दिया. छोड़ने की रफ़्तार फुल स्पीड. मनोरमा उस दिन तीन बार झडी, तब जा कर शमशेर झड़ने के कगार पर आये. शमशेर अपना लौंडा निकाल कर मनोरमा के मुंह में घुसेड दिया और अपना सडका मारने लगे. बहु समझ गयी की ससुर आज कुछ ज्यादा ही गर्म है और आज उसके लौंड़े का रस अपने मुंह में ले कर पीना पड़ेगा. सो जैसे ही शमशेर के लंड का फव्वारा छूटा, मनोरमा ने उसे पूरा का पूरा अपने गले के नीचे उतार लिया.

शमशेर उठे और कमरे के बाहर निकल गए. मनोरमा अभी भी अपने बिस्तर पर नंगी पड़ी हुई थी. जिस तरह से ससुर जी ने उसकी चुदाई की थी, उसे रंच मात्र का संदेह नहीं रह गया था की ससुर जी ने आज उसे अपने दोनों देवरों के साथ रंगरेलियां मनाते हुए देखा था. उसके दिल का एक हिस्सा कहा रहा था की ये ठीक नहीं हुआ. पर दूसरा हिस्सा कह रहा था की चलो ये ठीक ही हुआ. अब सबको सब पता है. इन्हीं बातों का विचार करते करते उसे कम नींद आ गयी पता ही नहीं चला.

फुर्सत्गंज़ में जब अगले दिन का सूरज निकला तो एक नयी और खूबसूरत सुबह ले कर निकला. ठीक 9 बजे बस स्टैंड के पास शमशेर गाडी ले कर अपनी बहन कमला देवी को बस से रिसीव करने पहुँच गया. वो कमला के साथ की गयी चुदाईयां याद कर रहा था और मन ही मन मुस्करा रहा था. बस कब रुकी कमला कब निकली और और उसकी गाडी के पास आ कर खादी हो गयी पता ही चला. शीशे पर किसी के खटखटाने से शमशेर अपनी यादों की दुनिया से बाहर आया. उसने देखा कमला अपना सूटकेस ले कर बाहर खड़ी थी. वो गाडी से बाहर आया और कमला का सूटकेस लिया और गाडी के ट्रंक में रखा. कमला को गाडी में बिठा कर वो ड्राईवर की सीट पर आ कर बैठ गया.

शमशेर ने गाडी स्टार्ट की और बस स्टैंड से आगे निकल आया. बस स्टैंड से हवेली का रास्ता कुछ चालीस मिनट का था. रास्ता बड़ा की सुन्दर था. सड़क के दोनों तरफ हरे खेत थे. और दूर दूर तक प्रकृति ही प्रकृति थी.

"कमला, इतने दिनों बाद तुम्हें देख कर अच्छा लग रहा है" , शमशेर ने कहा.

"भाई, तुम बड़ा खिल गए हो. लग रहा है बहू बड़ा अच्छे से ख़याल रख रही है तुम्हारा", कमला ने बोला.

"हाँ बहना, तुम्हारे जाने के बाद हवेली में जिस चीज की कमी थी, मनोरमा बहु ने उसे पूरा कर दिया है" , शमशेर चहक कर बोला.

"अब समझ आया की तुम पिछली बार जब शहर आये थे, तो मेरे घर क्यों नहीं आये थे. जब जवान चूत उपलब्ध हो तो अधेडा किसको चाहिए", कमला ने शिकायते की.

"अरे नहीं बहना, वो अपनी जगह है और तुम अपनी जगह हो" शमशेर ने शर्म खाते हुए कहा.

"सच कहो तो तुम्हारी जगह जब मेरी बीवी ने नहीं ली, तो ये बहु मनोरमा क्या ले पाएगी", शमशेर ने कहा.

"क्या तुम सही में ऐसा मानते हो", कमला ने पूछा.

शमशेर ने उत्तर दिया, "तुम्हें अगर जरा भी शक है तो इन्हें देख लो"

शमशेर ने अपने लंड की तरफ इशारा किया जो खड़ा था. कमला ये देख कर मुस्कराने लगी. वो जानती थी की उसके भाई की चुदाई का मज़ा ही कुछ और है. इतने सालों के विवाहित जीवन में उसका पति कभी उसे वो सुख नहीं दे पाया जो भाई से उसे मिला है. उसने अपना हाथ उसके लंड पर रख दिया और पेंट के ऊपर से ही लौंडा सहलाने लगी. शमशेर ने गाडी मेंन रोड से निकाल कर साइड में पेड़ों के पीछे जा कर रोक दी. जिससे रोड पर आने जाने वाले उन्हें देख न सकें. अपना जिपर खोल के जैसे ही अपने लंड को आजाद किया, कमला ने उसे अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी.

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Re: मनोरमा

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शमशेर ने कमला की साडी और पेटीकोट ऊपर उठा लिया. कमला की मोटी मोटी जांघे और काले बालों से ढकी चूत को देख कर उसका लंड और तन गया. शमशेर ने उसका मुंह अपने लंड से हटाया और उसके होठों पर चुम्बन ले लिया. दोनों गाडी से बाहर निकले. शमशीर ने गाडी के ट्रंक से कम्बल और तकिया निकले तो कमला समझ गयी कि उसका भाई अभी भी उसका इतना दीवाना है तभी तो इतनी तैयारी से आया है.

"अब तुम जब तक यहाँ हो कमला, अपनी परेशानी भूल जाओ और जीवन के आनंद लो", समशेर बोला.

शमशेर ने कमला का ब्लाउज खोल दिया और उसके बड़े बड़े मम्मे सहलाने लगा. कमला तो जैसे शमशेर का लंड छोड़ ही नहीं रही थी.

"भाई, आजकल बहु को चोद रहे हो, इसी लिए यहाँ के बाल साफ़ रखते हो, सही है", कमला ने कटाक्ष किया.

शमशेर अपनी पैंट नीचे खिसका कर लेट गया और कमला उसके ऊपर अपनी साडी उठा कर बैठ गयी. कुछ ही पलों में शमशेर का लंड अपनी बहन कमला की चूत में सैर करने लगा. कमला शमशेर के लंड की सवारी उछल उछल कर कर रही थी. उसकी चूत शमशेर का लंड गपागप ले रही थी. उसके इस कलाप में उसके मम्में हवा में उछालते थे. दोनों को अपने जवानी के दिन याद आ गए जब वो खेतों में छुप छुप कर चुदाई करते थे. बीच बीच में शमशेर अपना चेहरा दोनों मोटे मम्मों के बीच में रख कर कमला की छाती को धीरे शीरे छोम लेता.

चुदाई करते हुए वो सड़क से गुजरती हुई गाड़ियों की आवाज सुन सकते थे. दूसरी तरफ से पंछियों की आवाज आ रही थी. इसी समय एक मोटर-साइकिल पास में रुकी. और एक आदमी उन्हीं झाड़ियों के तरफ बढ़ रहा था जहाँ शमशेर और कमला अपनी काम क्रीडा कर रहे थे.

"इतने दिन बाद मेरी पसंद का लंड मिला है, आज मैं इसे जम के चोदूंगी भाई" कमला सिसकारी मारते हुए बोली.

शमशेर को कमला की चुदते हुए ऐसी गंदी गंदी बातें बोलने की आदत बड़ी पसंद थी. उसने

"अब तुम जब तक यहाँ हो, ये लंड कभी भी और कहीं भी हाज़िर जय तुम्हारी सेवा में", शमशेर अपनी कमर उठा उठा कर कमला की चूत चोदते हुए बोला.

कमला शमशेर के ऊपर झुक कर उसका चुम्मा लेने लगी. इसी समय उसे अपनी गांड के छेद पर कुछ गीला गरम गरम सी कोई चीज चुभती हुई महसूस हुई. शमशेर ने कमला की आँखें बंद कर दीं और पूछा,
"दरो मत, ये मेरा तुम्हें सरप्राइज देने का अत्रीका था. पहचानो तो ये दूसरा लौंडा किसका है"

"अब इस उम्र में तो याददाश्त इतनी कमज़ोर हो गयी है की ये बता पाना मुश्किल है. पर ये लगता तो जाना पहचाना है"

"अरे ये हमारे चाचा का बीटा बलविंदर उर्फ़ बल्ली है कमला. याद है हम दोनों ने श्यामपुर के मेले के बाहर खेतों में मिल के चोदा था?"

कमला को ये बिलकुल पता नहीं चला की कब बल्ली अपनी मोटर साइकिल उनकी कार के बगल में पार्क कर के उनके दबे पाँव उनके पास की झाड़ियों तक आया. उसने देखा कमला मजे ले कर अपने मोटे मोटे चुतड अपने बड़े भाई शमशेर के लंड पर पटक रही है, तो उसका 8 इंच का लौंडा तुरंत खड़ा हो गया. जैसे ही शमशेर ने उसे इशारा किया वो वो दबे पाँव पीछे से पीछे आया, अपना लंड निकला उसमें ठीक से थूक लगाया और भिड़ा दिया कमला की मोती गांड के छेद पर. इस पॉइंट पर, कमला ने अपनी गांड पर कुछ गीला गरम महसूस किया था.

कमला का मन बाग बाग हो रहा था. उसे अभी भी मेले के दिन का एक एक पल याद था.
"हाँ, अच्छी तरह याद है. तुम दोनों मुझे चोदते थक नहीं रहे थे और उसे दिन पहली बार मेरी गांड की चुदाई की गयी थी."

"दीदी, उसी दिन की याद में ये ले ...."

बल्ली ने ये बोलते हुए कमला की गांड में अपना 8 इंची लौंडा गपाक से पेल दिया. कमला इस आक्रमण को मानो चाहती तो थी पर पूरी तरह से तैयार नहीं थी. सो उसकी चीख निकल गयी. उसकी चीख वहां से जाते हुए किसी यात्री ने जरूर सुनी होगी. पर आजकल कौन किसी समस्या में फंसना चाहता है इस लिए इस तरफ आया नहीं.

कमला की गांड ने अब तक एडजस्ट हो गयी थी और उसे दो दो लौंड़े कह के जबर्दश्त मंजा आ रहा था.

"पेलो ओ...ओ.....ओ.....ओ.........मुझे.....फा....आ...आ...आ...आ...ड़...डाल मेरी गांड.....मेरी चूत मार ...."

शमशेर थोडा धीरे हो गए थे. चूँकि वो कमला को थोडा पहले से छोड़ रहे थे, वो चाहते थे उनका भाई बल्ली भी अपनी गाडी साथ में ले आये ....बल्ली गांड में अपना लंड गपागप डाल के छोड़ रहा था ...बाली की पत्नी सुषमा कभी उसको गांड चोदने नहीं देती थी. इसी लिए जब शमशेर ने कल उसे फ़ोन कर के कमला के बारे में बताया, वो इस चुदासीसीनता के कार्यक्रम को सम्पादित करने के लिए झट से राजी हो गया. वो भभक धक्के लगा रहा था. कमला अपनी गांड उठा उठा कर उसके धक्कों को अपनी गांड में ग्रहण कर रही थी. दोनों लगता है जैसे झड़ने के कगार पर थे. शमशेर ने भी अपने धक्के बाधा दिए.

कमला अपने दोनों भाइयों की अपने जलते बदन पर की गयी ऐसी आक्रामक चुदाई की कार्यवाही को प् कर निहाल हो गयी, उसे दोनों के लौंड़े अपने चूत और गांड के बीच की झिल्ली के बीच में रगड़ते हुए महसूस हो रहे थे.

"अरे ...पेलो ....जोर से...मेरा भक्काडा बना डालो ...ओ....ओ....." कमला ने सिसकारी भरी.

"ये ले बहना.....मेरा प्रसाद अपनी चूत में....." शमशेर बोला.

"और मेरा प्रसाद अपनी गांड में ले.....दीदी", बल्ली बोला.

तीनों ने अपना अपना माल अपने अपने हिस्से के छेद में अनलोड कर दिया. कमला को अपनी चूत और गांड दोनों में ही गरम गरम वीर्य की सिंकाई ऐसा सुख दे रही थी मानो वो ज़न्नत में हो.

जब लंड झड के ढीले हो गए तो ऑटोमेटिकली, बाहर निकल आये. कमला के दोनों छेदों से अपने भाइयों का वीर्य बाहर बहने लगा. कमला ने उसे अपने साडी के कोने से पोंछा. दोनों भाइयों ने उसके गाल पर एक साथ चूमा.

इस के पहले की कोई आता तीनों ने जल्दी से कपडे पहने. शमशेर और कमला गाडी से हवेली की तरफ बढे. बल्ली घर में ये कह के आया था की उसको शहर में काम था, सो वो वहीं रुक गया. वो वहीँ खेत की मुंडेर पर बैठा और बीडी सुलगा कर पीने लगा.

पर किसी को ये पता नहीं था बल्ली की पत्नी सुषमा को शक था उसका पति बल्ली कह तो शहर जाने के लिए रहा है. पर वास्तव में वो कुछ और करने जा रहा था. इस लिए घर के नौकर रघु के साथ उसने बल्ली का पीछा किया. और झाडी के पीछे से उनका सारा कार्य कलाप देखा और उसकी एम् एम् एस क्लिप बनायीं.

सुषमा इस सबूत को किसी सुरक्षित जगह रखना चाहती थी. उसे पता था की इस एम् एम् एस के बदौलत वो बहुत कुछ हासिल कर सकती थी. उसके मन में असल में क्या चल रहा था ये किसी को पता नहीं था. ठीक से शायद खुद सुषमा को भी नहीं.

शमशेर कमला को ले कर हवेली पहचे. मनोरमा ने दरवाजे पर आरती उतार कर हवेली के पुराने तरीके से उसका स्वागत किया. कमला ने मनोरमा को सौ साल जीने का आशीर्वाद दिया.

सब लोग चाय और जलपान कर ही रहे थे की शमशेर का फ़ोन बजा. शमशेर उठ कर बाहर बालकनी में चले गए.

"सफ़र कैसा रहा बुआ जी" मनोरमा ने पूछा.

"एकदम बढ़िया बहु" कमला बोली.

"क्या बस लेट आई थी क्या. काफी टाइम लग गया ससुर जी को वापस आते आते" ,मनोरमा ने पूछा.

मनोरमा की आज की सुबह की ससुर चुदाई नहीं हो पायी थी क्योंकि ससुर को बस स्टैंड जाना था.

बुआ ने बोला, "हाँ ऐसे ही .... थोडा देर हो गयी"

मनोरमा को बुआ की बात में कुछ डाल में काला लगा. उसके ससुर चोदु हैं ये तो उसे पता था. पर भाई बहन के रिश्ते को भी उन्होने नहीं छोड़ा होगा ये बात उसे बिलकुल पता नहीं थी.

कमला को मनोरमा का सवाल सुन कर एक घंटे पहले ही अपनी गांड और चूत में भकाभक पेलाई करते हुए दोनों लौंड़े याद आ गये. पर वो मनोरमा को वो सब कैसे कहती. सो उसने बात बदलने का प्रयास किया.

"बहु, तुम्हारे मायके में सब कैसे हैं"

"एक दम ठीक बुआ जी, कल ही बात हुई थी मेरी", मनोरामा बोली. उसे भी फ़ोन पर सुनी हुई पापा की चुदाई याद आ गयी.

"अरे बहुत के घर से खुशखबरी है. समधी जी का फ़ोन था" कहते हुए शमशेर अन्दर आये.

"सच! बताइए न ससुर जी", मनोरमा ने लगभग सीट से उछालते हुए बोला.

"अरे, तुम्हारे भाई अमित का विवाह तय हो गया है. लडकी शहर में कंप्यूटर कर रही है. अगले हफ्ते बरीक्षा है. बहु, वहां कोई औरत तो है नहीं. इस लिए तुम्हारा वहां होना बहुत जरूरी है." शमशेर बोला.

"जैसा आप ठीक समझें ससुर जी", मनोरमा बोली.

"मैं कल रवि से कहूँगा की तुम्हें तुम्हारे घर ड्राप कर दे. वहां से किसी भी तरह की जरूरत हो तो मुझे फ़ोन जरूर करना" शमशेर ने कहा.

मनोरमा ने जवाब में अपना सर हिला दिया.

अगले दिन मनोरमा जब अपना बैग पैक कर के निकली तो देखा की रवि की बजाय उसके दोनों देवर उसे छोड़ने के लिए आये थे. रवि को काम के सिलसिले में दिल्ली जाना था सो उसने वो काम अपने भाई से बोला. अब ये भाई कोई काम अकेले तो करते नहीं थे इस लिए दोनों आ गए भाभी को छोड़ने.

शमशेर ने तीनों को विदा किया. पुराने मॉडल की पद्मिनी कार में सवार हो कर मनोरमा अनिल राजेश के साथ निकल गयी. शमशेर को ये पता था की ये दोनों रास्ते में कम से एक बार तो अपना काम करेंगे ही. उन्हें मनोरमा का जाना अच्छा भी लग रहा था और बुरा भी. अच्छा इसलिए की उन्हें अपनी बहन कमला पर पूरा ध्यान देने को मिलेगा. बुरा इस लिए की अब उनकें मनोरमा की जवान चूत मिस होगी. पर जीवन में रोज सब कुछ नहीं मिलता ऐसा सोच कर वो मेहमान कच्छ की तरफ बढे जहाँ कमला ठहरी हुई थी.

इधर मनोरमा की कार गाँव से थोडा आगे निकली नहीं की राजेश ने गाडी रोक कर मनोरमा को आगे अपने और राजेश के बीच में बिठा लिया. पाठकों को ये बता दूं की उस जमाने की पद्मिनी कार में गियर स्टीयरिंग व्हील के साथ होते थे. इसलिए आगे की सीट में तीन लोग बैठ सकते थे.

मनोरमा तो जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रही थी. पर पहल करने का उसका कोई मूड नहीं था. उसने उस दिन लो-कट ब्लाउज बहना हुआ था. दोनों देवर उसके मम्मे निहार रहे थे. मनोरमा दोनों हाथों से उन्हें और ऊपर उठा लिया था. उसने ध्यान दिया कि राजेश और अनिल के पतलुनों के जिपर पूरी तरह ताने हुए थे. क्योंकि उनके लौंड़े बुरी तरह खड़े थे.

"भाभी तुम्हारी छाती देख के हमारे डंडे बिलकुल तन गए हैं", अनिल बोला.

"देवर जी, मेरे से गलती हो गयी. लगता है मुझे कुछ और पहनना था. क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर्रूँ इस मामले में", मनोरमा ने उसे छेड़ा.

"अरे भाभी ये हमारे लंड नहीं खड़े हैं. ये तो हमारा अंदाज़ है आपके हुस्न और जवानी को सलाम करने का", राजेश बोला और उसने अपनी चैन खोल कर अपने 8 मोटे लंड को आज़ाद कर दिया.


"सलाम करने वालो को मेरा चुम्मा", मनोरमा ये कहते हुए राजेश के लंड पर अपने होठ टिका दिए.

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